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Adultery भुज गई प्यास

arushi_dayal

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कस्बे के एकमात्र बड़ी कोठी वाले किराना के व्यापारी लाला विजय कुमार हैं, जिन्हें लोग बिज्जू लाला के नाम से जानते हैं.

मोटा थुलथुला शरीर, पर बातें इतनी मीठी कि शक्कर भी शरमा जाए.

एक नम्बर के बेईमान, मिलावटबाज़, मौके का फायदा उठाने वाले लालची और झूठ बोलने में माहिर व्यक्ति.

बिज्जू लाला की मुख्य चौराहे पर बड़ी किराना की दूकान थी, पीछे गोदाम, ऊपर तिमंजला मकान.



किराना दूकान क्या, छोटा मोटा सुपर स्टोर समझिये. रोजाना की जरूरत का हर सामान वहां मिलता, वह भी बिना पैसे के.

मतलब लाला के पास कस्बे के हर आदमी का उधार खाता था.

सबको उधार मिलता था.

पर था वह केवल एक महीने का.

अगर अगले महीने पैसे नहीं दिए, तो आगे उधार नहीं.



लाला लंगोट के कच्चे थे.

पता नहीं, कितनों के पेटीकोट और ब्लाउज के अन्दर घूम आए थे, उन्हें खुद भी कुछ याद नहीं था.

अब वे भी क्या करें … हर इतवार को
वसूली पर जाते थे, जहां से जो वसूल हो जाए.

साथ में एक जवान बांका गबरू लड़का रहता था राजू.



राजू बिज्जू लाला की रखैल का लड़का था, बीज उन्हीं का था.

वह रखैल तो मर गयी पर लाला को कसम दे गयी कि राजू को उन्हें ही पालना पोसना पड़ेगा.


लाला ने राजू का दाखिला पास के शहर में करा दिया.

राजू ने इंटर कर लिया और लाला के पास उनके कच्चे-पक्के हिसाब देखने लगा.

राजू गठीले बदन का मजबूत कद-काठी का नौजवान था.



लाला की बीवी भी कोविड में चल बसी.

उनका एक ही लड़का था, जो पढ़ लिख कर मर्चेंट नेवी में लग गया था.

वह साल में 8-9 महीने पानी वाले जहाज़ पर ही रहता था, बाकी समय लाला के पास रहता.



लाला की पत्नी ने कोविड से ठीक पहले उसकी शादी शहर की एक बहुत सुंदर लड़की रिशा से यह झूठ बोल कर करवा दी कि लड़का शादी के बाद अपनी बीवी को जहाज पर ले जाएगा.

पर हुआ उलटा.



लड़की बहुत रोई … पर फिर उसने अपना नसीब मान लिया और इसी बीच लाला की बीवी चल बसी.

अब लाला के घर को तो मानो ग्रहण लग गया.

घर पर अकेली नयी बहू.



लाला का इतना बड़ा कारोबार … लाला की एक रिश्ते की भाभी कुछ दिनों तक तो आकर रहीं, फिर उनका अपना भी घर था.

लाला तो मानो हंसना ही भूल गए थे.

रात को दुकान बढ़ा कर शराब पीने लगे.



सबने यही राय बनायी कि अब तो उनका लड़का अजय जॉब छोड़ कर यहीं आ जाए.

पर अजय ने जॉब छोड़ने को मना कर दिया.



सच तो ये था कि वह शादी के लिए भी राजी नहीं था.

उसे शादी का दैहिक सुख बाहर से लेने की आदत पड़ चुकी थी.

पर मां की जिद के आगे वह झुक गया.



उसका अपनी दुल्हन रिशा से कोई ख़ास लगाव भी नहीं हो पाया था.

हां इतना था कि बेड पर दोनों एक दूसरे की शारीरिक जरूरतों को जी भर कर पूरा कर देते.



रिशा ने अजय को साफ़ बोल दिया कि वह बच्चा तब ही करेगी, जब अजय उसे अपने साथ रखे.



अंततः सभी रिश्तेदारों ने दबाव बनाकर लाला से बहुत छोटी एक गरीब पढ़ी-लिखी लड़की सरिता को ढूंढकर उनकी शादी करवा दी.

सरिता तलाकशुदा थी. उसके पति ने उसको बाँझ करार दे दिया था.



वैसे सरिता सुंदर और भरे शरीर की खुशमिजाज लड़की थी.

अब लाला को बच्चे तो पैदा करने नहीं थे, तो उन्हें ये रिश्ता ठीक ही लगा.



अजय से पूछा तो उसने अनमने ढंग से हां कह दी.

हां, रिशा खुश थी कि चलो मां के रूप में ही सही, कोई तो घर में होगा … जिससे वह मन की बात कह सकेगी.

बिज्जू लाला ब्याह तो कर लाये पर वे सरिता का साथ बिस्तर पर नहीं दे पाए.

मोटा थुलथुला शरीर, मन टूटा हुआ. कुल मिलाकर वे सरिता पर चढ़े तो कई बार, पर न तो धक्के लगा पाए, न पानी निकाल पाए. बस मम्मे चूस कर और चूत में उंगली करके लाला ठंडे पड़ जाते और बाजू होकर खर्राटे लेने लगते.



सरिता को तो एक खूंटा चाहिए था.

वह इसी से खुश थी कि चलो चूत तो गीली होनी शुरू हुई.



घर में किसी चीज़ की कमी नहीं थी.

पर हां … वह अपनी दोनों शादियों में शारीरिक सुख से वंचित रही.

पहली शादी में तो मानसिक और शारीरिक प्रताणना मिली थी तो सेक्स के बारे में सोचने का समय नहीं था.



पर इस घर में सुख सुविधाएँ सभी थीं, तो मोबाइल, टी-वी देख उसकी चूत अब कुलबुलाने लगी थी.

वह अब एकांत में उंगली या सब्जियों का इस्तेमाल करने लगी थी.

इस तरह से घर में दो दो भूखी चूतें थीं, जो रिश्ते की शर्म के चलते आपस में अपने दुःख भी नहीं बाँट सकती थीं.



रिशा ने शुरू में तो सरिता को मां कहना चाहा, पर दोनों की उम्र में दो तीन साल का ही फर्क था तो सरिता ने उससे दीदी ही कहलवाया.

इसी तरह छह महीने बीत गए.
 

SKYESH

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kya bat hai ...................aarushi.....................................

congratulation..................... :flowers2:
 
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कस्बे के एकमात्र बड़ी कोठी वाले किराना के व्यापारी लाला विजय कुमार हैं, जिन्हें लोग बिज्जू लाला के नाम से जानते हैं.

मोटा थुलथुला शरीर, पर बातें इतनी मीठी कि शक्कर भी शरमा जाए.

एक नम्बर के बेईमान, मिलावटबाज़, मौके का फायदा उठाने वाले लालची और झूठ बोलने में माहिर व्यक्ति.

बिज्जू लाला की मुख्य चौराहे पर बड़ी किराना की दूकान थी, पीछे गोदाम, ऊपर तिमंजला मकान.



किराना दूकान क्या, छोटा मोटा सुपर स्टोर समझिये. रोजाना की जरूरत का हर सामान वहां मिलता, वह भी बिना पैसे के.

मतलब लाला के पास कस्बे के हर आदमी का उधार खाता था.

सबको उधार मिलता था.

पर था वह केवल एक महीने का.

अगर अगले महीने पैसे नहीं दिए, तो आगे उधार नहीं.



लाला लंगोट के कच्चे थे.

पता नहीं, कितनों के पेटीकोट और ब्लाउज के अन्दर घूम आए थे, उन्हें खुद भी कुछ याद नहीं था.

अब वे भी क्या करें … हर इतवार को
वसूली पर जाते थे, जहां से जो वसूल हो जाए.

साथ में एक जवान बांका गबरू लड़का रहता था राजू.



राजू बिज्जू लाला की रखैल का लड़का था, बीज उन्हीं का था.

वह रखैल तो मर गयी पर लाला को कसम दे गयी कि राजू को उन्हें ही पालना पोसना पड़ेगा.


लाला ने राजू का दाखिला पास के शहर में करा दिया.

राजू ने इंटर कर लिया और लाला के पास उनके कच्चे-पक्के हिसाब देखने लगा.

राजू गठीले बदन का मजबूत कद-काठी का नौजवान था.



लाला की बीवी भी कोविड में चल बसी.

उनका एक ही लड़का था, जो पढ़ लिख कर मर्चेंट नेवी में लग गया था.

वह साल में 8-9 महीने पानी वाले जहाज़ पर ही रहता था, बाकी समय लाला के पास रहता.



लाला की पत्नी ने कोविड से ठीक पहले उसकी शादी शहर की एक बहुत सुंदर लड़की रिशा से यह झूठ बोल कर करवा दी कि लड़का शादी के बाद अपनी बीवी को जहाज पर ले जाएगा.

पर हुआ उलटा.



लड़की बहुत रोई … पर फिर उसने अपना नसीब मान लिया और इसी बीच लाला की बीवी चल बसी.

अब लाला के घर को तो मानो ग्रहण लग गया.

घर पर अकेली नयी बहू.



लाला का इतना बड़ा कारोबार … लाला की एक रिश्ते की भाभी कुछ दिनों तक तो आकर रहीं, फिर उनका अपना भी घर था.

लाला तो मानो हंसना ही भूल गए थे.

रात को दुकान बढ़ा कर शराब पीने लगे.



सबने यही राय बनायी कि अब तो उनका लड़का अजय जॉब छोड़ कर यहीं आ जाए.

पर अजय ने जॉब छोड़ने को मना कर दिया.



सच तो ये था कि वह शादी के लिए भी राजी नहीं था.

उसे शादी का दैहिक सुख बाहर से लेने की आदत पड़ चुकी थी.

पर मां की जिद के आगे वह झुक गया.



उसका अपनी दुल्हन रिशा से कोई ख़ास लगाव भी नहीं हो पाया था.

हां इतना था कि बेड पर दोनों एक दूसरे की शारीरिक जरूरतों को जी भर कर पूरा कर देते.



रिशा ने अजय को साफ़ बोल दिया कि वह बच्चा तब ही करेगी, जब अजय उसे अपने साथ रखे.



अंततः सभी रिश्तेदारों ने दबाव बनाकर लाला से बहुत छोटी एक गरीब पढ़ी-लिखी लड़की सरिता को ढूंढकर उनकी शादी करवा दी.

सरिता तलाकशुदा थी. उसके पति ने उसको बाँझ करार दे दिया था.



वैसे सरिता सुंदर और भरे शरीर की खुशमिजाज लड़की थी.

अब लाला को बच्चे तो पैदा करने नहीं थे, तो उन्हें ये रिश्ता ठीक ही लगा.



अजय से पूछा तो उसने अनमने ढंग से हां कह दी.

हां, रिशा खुश थी कि चलो मां के रूप में ही सही, कोई तो घर में होगा … जिससे वह मन की बात कह सकेगी.

बिज्जू लाला ब्याह तो कर लाये पर वे सरिता का साथ बिस्तर पर नहीं दे पाए.

मोटा थुलथुला शरीर, मन टूटा हुआ. कुल मिलाकर वे सरिता पर चढ़े तो कई बार, पर न तो धक्के लगा पाए, न पानी निकाल पाए. बस मम्मे चूस कर और चूत में उंगली करके लाला ठंडे पड़ जाते और बाजू होकर खर्राटे लेने लगते.



सरिता को तो एक खूंटा चाहिए था.

वह इसी से खुश थी कि चलो चूत तो गीली होनी शुरू हुई.



घर में किसी चीज़ की कमी नहीं थी.

पर हां … वह अपनी दोनों शादियों में शारीरिक सुख से वंचित रही.

पहली शादी में तो मानसिक और शारीरिक प्रताणना मिली थी तो सेक्स के बारे में सोचने का समय नहीं था.



पर इस घर में सुख सुविधाएँ सभी थीं, तो मोबाइल, टी-वी देख उसकी चूत अब कुलबुलाने लगी थी.

वह अब एकांत में उंगली या सब्जियों का इस्तेमाल करने लगी थी.

इस तरह से घर में दो दो भूखी चूतें थीं, जो रिश्ते की शर्म के चलते आपस में अपने दुःख भी नहीं बाँट सकती थीं.



रिशा ने शुरू में तो सरिता को मां कहना चाहा, पर दोनों की उम्र में दो तीन साल का ही फर्क था तो सरिता ने उससे दीदी ही कहलवाया.

इसी तरह छह महीने बीत गए.
Ati-uttam arushi_dayal ji... Bohot hi sundar lekhni.. apni kavitao ki tarah ye gadyansh bhi bohot sundar aur kamuk likha hai.....

maza aa gaya.... lagta hai kahani bohot romanchak hone wali hai... Jawan saas, jawan bahu, baanka naujawan jo lala ki najayiz aulad hai aur dur gaya hua samundra ke beech reh raha ek shadi shuda aadmi...

waah dilchasp kahani...
 
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कस्बे के एकमात्र बड़ी कोठी वाले किराना के व्यापारी लाला विजय कुमार हैं, जिन्हें लोग बिज्जू लाला के नाम से जानते हैं.

मोटा थुलथुला शरीर, पर बातें इतनी मीठी कि शक्कर भी शरमा जाए.

एक नम्बर के बेईमान, मिलावटबाज़, मौके का फायदा उठाने वाले लालची और झूठ बोलने में माहिर व्यक्ति.

बिज्जू लाला की मुख्य चौराहे पर बड़ी किराना की दूकान थी, पीछे गोदाम, ऊपर तिमंजला मकान.



किराना दूकान क्या, छोटा मोटा सुपर स्टोर समझिये. रोजाना की जरूरत का हर सामान वहां मिलता, वह भी बिना पैसे के.

मतलब लाला के पास कस्बे के हर आदमी का उधार खाता था.

सबको उधार मिलता था.

पर था वह केवल एक महीने का.

अगर अगले महीने पैसे नहीं दिए, तो आगे उधार नहीं.



लाला लंगोट के कच्चे थे.

पता नहीं, कितनों के पेटीकोट और ब्लाउज के अन्दर घूम आए थे, उन्हें खुद भी कुछ याद नहीं था.

अब वे भी क्या करें … हर इतवार को
वसूली पर जाते थे, जहां से जो वसूल हो जाए.

साथ में एक जवान बांका गबरू लड़का रहता था राजू.



राजू बिज्जू लाला की रखैल का लड़का था, बीज उन्हीं का था.

वह रखैल तो मर गयी पर लाला को कसम दे गयी कि राजू को उन्हें ही पालना पोसना पड़ेगा.


लाला ने राजू का दाखिला पास के शहर में करा दिया.

राजू ने इंटर कर लिया और लाला के पास उनके कच्चे-पक्के हिसाब देखने लगा.

राजू गठीले बदन का मजबूत कद-काठी का नौजवान था.



लाला की बीवी भी कोविड में चल बसी.

उनका एक ही लड़का था, जो पढ़ लिख कर मर्चेंट नेवी में लग गया था.

वह साल में 8-9 महीने पानी वाले जहाज़ पर ही रहता था, बाकी समय लाला के पास रहता.



लाला की पत्नी ने कोविड से ठीक पहले उसकी शादी शहर की एक बहुत सुंदर लड़की रिशा से यह झूठ बोल कर करवा दी कि लड़का शादी के बाद अपनी बीवी को जहाज पर ले जाएगा.

पर हुआ उलटा.



लड़की बहुत रोई … पर फिर उसने अपना नसीब मान लिया और इसी बीच लाला की बीवी चल बसी.

अब लाला के घर को तो मानो ग्रहण लग गया.

घर पर अकेली नयी बहू.



लाला का इतना बड़ा कारोबार … लाला की एक रिश्ते की भाभी कुछ दिनों तक तो आकर रहीं, फिर उनका अपना भी घर था.

लाला तो मानो हंसना ही भूल गए थे.

रात को दुकान बढ़ा कर शराब पीने लगे.



सबने यही राय बनायी कि अब तो उनका लड़का अजय जॉब छोड़ कर यहीं आ जाए.

पर अजय ने जॉब छोड़ने को मना कर दिया.



सच तो ये था कि वह शादी के लिए भी राजी नहीं था.

उसे शादी का दैहिक सुख बाहर से लेने की आदत पड़ चुकी थी.

पर मां की जिद के आगे वह झुक गया.



उसका अपनी दुल्हन रिशा से कोई ख़ास लगाव भी नहीं हो पाया था.

हां इतना था कि बेड पर दोनों एक दूसरे की शारीरिक जरूरतों को जी भर कर पूरा कर देते.



रिशा ने अजय को साफ़ बोल दिया कि वह बच्चा तब ही करेगी, जब अजय उसे अपने साथ रखे.



अंततः सभी रिश्तेदारों ने दबाव बनाकर लाला से बहुत छोटी एक गरीब पढ़ी-लिखी लड़की सरिता को ढूंढकर उनकी शादी करवा दी.

सरिता तलाकशुदा थी. उसके पति ने उसको बाँझ करार दे दिया था.



वैसे सरिता सुंदर और भरे शरीर की खुशमिजाज लड़की थी.

अब लाला को बच्चे तो पैदा करने नहीं थे, तो उन्हें ये रिश्ता ठीक ही लगा.



अजय से पूछा तो उसने अनमने ढंग से हां कह दी.

हां, रिशा खुश थी कि चलो मां के रूप में ही सही, कोई तो घर में होगा … जिससे वह मन की बात कह सकेगी.

बिज्जू लाला ब्याह तो कर लाये पर वे सरिता का साथ बिस्तर पर नहीं दे पाए.

मोटा थुलथुला शरीर, मन टूटा हुआ. कुल मिलाकर वे सरिता पर चढ़े तो कई बार, पर न तो धक्के लगा पाए, न पानी निकाल पाए. बस मम्मे चूस कर और चूत में उंगली करके लाला ठंडे पड़ जाते और बाजू होकर खर्राटे लेने लगते.



सरिता को तो एक खूंटा चाहिए था.

वह इसी से खुश थी कि चलो चूत तो गीली होनी शुरू हुई.



घर में किसी चीज़ की कमी नहीं थी.

पर हां … वह अपनी दोनों शादियों में शारीरिक सुख से वंचित रही.

पहली शादी में तो मानसिक और शारीरिक प्रताणना मिली थी तो सेक्स के बारे में सोचने का समय नहीं था.



पर इस घर में सुख सुविधाएँ सभी थीं, तो मोबाइल, टी-वी देख उसकी चूत अब कुलबुलाने लगी थी.

वह अब एकांत में उंगली या सब्जियों का इस्तेमाल करने लगी थी.

इस तरह से घर में दो दो भूखी चूतें थीं, जो रिश्ते की शर्म के चलते आपस में अपने दुःख भी नहीं बाँट सकती थीं.



रिशा ने शुरू में तो सरिता को मां कहना चाहा, पर दोनों की उम्र में दो तीन साल का ही फर्क था तो सरिता ने उससे दीदी ही कहलवाया.

इसी तरह छह महीने बीत गए.
कहानी का प्रारंभ बडा ही शानदार और जानदार हैं भाई मजा आ गया
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 
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Premkumar65

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कस्बे के एकमात्र बड़ी कोठी वाले किराना के व्यापारी लाला विजय कुमार हैं, जिन्हें लोग बिज्जू लाला के नाम से जानते हैं.

मोटा थुलथुला शरीर, पर बातें इतनी मीठी कि शक्कर भी शरमा जाए.

एक नम्बर के बेईमान, मिलावटबाज़, मौके का फायदा उठाने वाले लालची और झूठ बोलने में माहिर व्यक्ति.

बिज्जू लाला की मुख्य चौराहे पर बड़ी किराना की दूकान थी, पीछे गोदाम, ऊपर तिमंजला मकान.



किराना दूकान क्या, छोटा मोटा सुपर स्टोर समझिये. रोजाना की जरूरत का हर सामान वहां मिलता, वह भी बिना पैसे के.

मतलब लाला के पास कस्बे के हर आदमी का उधार खाता था.

सबको उधार मिलता था.

पर था वह केवल एक महीने का.

अगर अगले महीने पैसे नहीं दिए, तो आगे उधार नहीं.



लाला लंगोट के कच्चे थे.

पता नहीं, कितनों के पेटीकोट और ब्लाउज के अन्दर घूम आए थे, उन्हें खुद भी कुछ याद नहीं था.

अब वे भी क्या करें … हर इतवार को
वसूली पर जाते थे, जहां से जो वसूल हो जाए.

साथ में एक जवान बांका गबरू लड़का रहता था राजू.



राजू बिज्जू लाला की रखैल का लड़का था, बीज उन्हीं का था.

वह रखैल तो मर गयी पर लाला को कसम दे गयी कि राजू को उन्हें ही पालना पोसना पड़ेगा.


लाला ने राजू का दाखिला पास के शहर में करा दिया.

राजू ने इंटर कर लिया और लाला के पास उनके कच्चे-पक्के हिसाब देखने लगा.

राजू गठीले बदन का मजबूत कद-काठी का नौजवान था.



लाला की बीवी भी कोविड में चल बसी.

उनका एक ही लड़का था, जो पढ़ लिख कर मर्चेंट नेवी में लग गया था.

वह साल में 8-9 महीने पानी वाले जहाज़ पर ही रहता था, बाकी समय लाला के पास रहता.



लाला की पत्नी ने कोविड से ठीक पहले उसकी शादी शहर की एक बहुत सुंदर लड़की रिशा से यह झूठ बोल कर करवा दी कि लड़का शादी के बाद अपनी बीवी को जहाज पर ले जाएगा.

पर हुआ उलटा.



लड़की बहुत रोई … पर फिर उसने अपना नसीब मान लिया और इसी बीच लाला की बीवी चल बसी.

अब लाला के घर को तो मानो ग्रहण लग गया.

घर पर अकेली नयी बहू.



लाला का इतना बड़ा कारोबार … लाला की एक रिश्ते की भाभी कुछ दिनों तक तो आकर रहीं, फिर उनका अपना भी घर था.

लाला तो मानो हंसना ही भूल गए थे.

रात को दुकान बढ़ा कर शराब पीने लगे.



सबने यही राय बनायी कि अब तो उनका लड़का अजय जॉब छोड़ कर यहीं आ जाए.

पर अजय ने जॉब छोड़ने को मना कर दिया.



सच तो ये था कि वह शादी के लिए भी राजी नहीं था.

उसे शादी का दैहिक सुख बाहर से लेने की आदत पड़ चुकी थी.

पर मां की जिद के आगे वह झुक गया.



उसका अपनी दुल्हन रिशा से कोई ख़ास लगाव भी नहीं हो पाया था.

हां इतना था कि बेड पर दोनों एक दूसरे की शारीरिक जरूरतों को जी भर कर पूरा कर देते.



रिशा ने अजय को साफ़ बोल दिया कि वह बच्चा तब ही करेगी, जब अजय उसे अपने साथ रखे.



अंततः सभी रिश्तेदारों ने दबाव बनाकर लाला से बहुत छोटी एक गरीब पढ़ी-लिखी लड़की सरिता को ढूंढकर उनकी शादी करवा दी.

सरिता तलाकशुदा थी. उसके पति ने उसको बाँझ करार दे दिया था.



वैसे सरिता सुंदर और भरे शरीर की खुशमिजाज लड़की थी.

अब लाला को बच्चे तो पैदा करने नहीं थे, तो उन्हें ये रिश्ता ठीक ही लगा.



अजय से पूछा तो उसने अनमने ढंग से हां कह दी.

हां, रिशा खुश थी कि चलो मां के रूप में ही सही, कोई तो घर में होगा … जिससे वह मन की बात कह सकेगी.

बिज्जू लाला ब्याह तो कर लाये पर वे सरिता का साथ बिस्तर पर नहीं दे पाए.

मोटा थुलथुला शरीर, मन टूटा हुआ. कुल मिलाकर वे सरिता पर चढ़े तो कई बार, पर न तो धक्के लगा पाए, न पानी निकाल पाए. बस मम्मे चूस कर और चूत में उंगली करके लाला ठंडे पड़ जाते और बाजू होकर खर्राटे लेने लगते.



सरिता को तो एक खूंटा चाहिए था.

वह इसी से खुश थी कि चलो चूत तो गीली होनी शुरू हुई.



घर में किसी चीज़ की कमी नहीं थी.

पर हां … वह अपनी दोनों शादियों में शारीरिक सुख से वंचित रही.

पहली शादी में तो मानसिक और शारीरिक प्रताणना मिली थी तो सेक्स के बारे में सोचने का समय नहीं था.



पर इस घर में सुख सुविधाएँ सभी थीं, तो मोबाइल, टी-वी देख उसकी चूत अब कुलबुलाने लगी थी.

वह अब एकांत में उंगली या सब्जियों का इस्तेमाल करने लगी थी.

इस तरह से घर में दो दो भूखी चूतें थीं, जो रिश्ते की शर्म के चलते आपस में अपने दुःख भी नहीं बाँट सकती थीं.



रिशा ने शुरू में तो सरिता को मां कहना चाहा, पर दोनों की उम्र में दो तीन साल का ही फर्क था तो सरिता ने उससे दीदी ही कहलवाया.

इसी तरह छह महीने बीत गए.
Good start. Bahut action dekhne ko milga. Raju ke to balle balle hone wale hain.
 
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arushi_dayal

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लाला ने तिमंजले पर एक कमरे का सैट राजू के लिए भी बना रखा था.

राजू तो घर का ही सदस्य था, खाना-नाश्ता भी घर पर ही खाता.

वह सरिता को सेठानी और रिशा को भाभी कहता.

राजू गठीले बदन का बांका नौजवान तो था ही, सलीकेदार और साफ़ सुथरा रहता.

लाला की नस उससे दबती थी क्योंकि लाला के सारे हिसाब किताब और गड़बड़ धंधों की जानकारी राजू के पास ही रहती.

अब तो तकादे पर अक्सर राजू ही जाता.

लाला की तरह अब वह भी पेटीकोट और ब्लाउज के अन्दर के नाप लेने लगा था.

जब लाला को मालूम पड़ा तो उन्होंने उसे कसम दे दी कि वह ये सब न करे.

उसके 25 साल का होने पर लाला उसकी शादी करा देंगे.

इधर राजू रिशा और सरिता से बहुत घुल-मिल गया था.

जब लाला ज्यादा खर्राटे भरते, तो कभी कभी सरिता ऊपर की मंजिल पर बने रिशा के कमरे में सोने चली जाती, जहां दोनों देर रात तक हंसी मजाक करतीं, टीवी देखतीं और सो जातीं.

एक रात बारिश जोर की हो रही थी.

लाला तो ठण्ड का बहाना करके दो पैग लगा कर लुढ़क लिए.

सरिता के मन में न जाने क्या आया.

उसने भी एक बड़ा सा पैग बनाया और गिलास लेकर ऊपर रिशा के कमरे में चली गयी.

रिशा उसे पैग लेकर आते देख कर हंस दी और बोली- दीदी आज क्या मूड है!

सरिता ने झट से कमरा बंद किया और बोली- चल हम भी आज पीकर देखती हैं.


रिशा ने मना भी किया पर सरिता बोली- चल थोड़ी थोड़ी पी लेती हैं.

दोनों ने बुरा सा मुँह बना कर दो चार घूँट ले ही लिए.

बिजली जोर से कड़क रही थी.

ठण्ड भी थी तो दोनों रजाई में घुस गईं.

रिशा बाथरूम में गयी तो सरिता उसका मोबाइल देखने लगी.

सरिता ने देखा कि रिशा कोई सेक्स कहानी पढ़ रही थी.

वह Xforum की साईट थी.

सरिता उसे पढ़ने लगी.

उसकी सांस जोर से चलने लगी.

कहानी बहुत गर्म थी … चुदाई से भरपूर!

सरिता को लगा कि उसकी चूत में कुछ हो रहा है.

उसकी उंगली अपनी नाईटी के अन्दर जा घुसी.

वह चूत कुरेदने में मस्त थी.

तभी उसने देखा कि उसके पास रिशा खड़ी है.

दोनों की आंखें मिलीं.

आंखों ही आंखों में वासना ने अपना रस साझा किया.

अब सरिता ने मोबाइल एक ओर रख दिया.

रिशा ने लाईट बंद की और वह रजाई में लेट गयी.

दोनों चुप थीं.

तभी अचानक बिजली कड़की.

रिशा सरिता से चिपट गयी.

दोनों एक दूसरे को चूमने लगीं.

रिशा सरिता को भींचे जा रही थी.

काफी देर की चूमाचाटी के बाद सरिता ने पहल की और अपनी और रिशा की नाइटी उतार दी.

अब वे दोनों एक दूसरे से नंगी ही चिपट गयीं.

दोनों के जिस्म गर्म हो रहे थे.

आज जैसा होंठों का मिलन … शायद उन्होंने कभी ऐसा सुख लिया ही नहीं था.

रिशा ने फिर भी बिस्तर पर अजय के साथ भरपूर चुदाई की थी पर उसमें अपनापन नहीं था.

अजय ने केवल अपनी जिस्म की भूख मिटाई थी उसके साथ.

रिशा ने अपनी एक उंगली सरिता की चूत की ओर की.

सरिता की चूत बालों के झुण्ड से भरी थी.

रिशा बोली- ये क्या दीदी … इतनी झाड़ियां!?

सरिता बोली- किसके लिए साफ़ करूँ!

खैर … आज के लिए शायद इतना ही काफी था.

दोनों एक दूसरे को चूमती चाटती हुई एक दूसरे के आगोश में सो गयीं.

अब तो उनका ये आए दिन का हो गया.

रिशा ने सरिता को भी चिकना कर दिया था.

दोनों अब एक दूसरे के छेद में उंगली और खीरे, केले करतीं.

खूब पोर्न देखतीं.

रिशा से गर्मी पाकर अब सरिता खुद पहल करके लाला का लंड सहला देती या चूस देती.

लाला खुश हो जाते और सरिता को ऊपर बैठाकर उससे चुदते.



सरिता का मन तो नहीं भरता, बल्कि आग और भड़क जाती.

पर फिर भी लाला का लंड उसे कुछ तो सुख दे ही जाता.

अब वह जिस रात लाला के साथ रासलीला कर लेती तो उस रात ऊपर नहीं जाती.

उसने ये इशारा रिशा को भी दे दिया था.
 
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