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Adultery भाई बहन,ननद भाभी और नौकर ( Copied)

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Rahul Chauhan

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विमल और कुसुम की शादी हुए 5 साल हो चुके थे. विमल इस समय लगभग 32 साल का था और उसकी पत्नी कुसुम की उम्र इस समय लगभग 27 साल की थी शादी के लगभग दो साल बाद ही विमल के पिता का स्वर्गवास हो गया था. अब परिवार में विमल और उसकी पत्नी पल्ल्वी के अलावा , विमल की माँ जयन्ती देवी और उसकी छोटी बहन रश्मि एक साथ रहते थे. रश्मि की उम्र 18 साल की थी- वह बारहवीं क्लास में पढ़ रही थी और अंग्रेजी और गणित में कमजोर होने की वजह से दो बार फेल हो चुकी थी. विमल खुद एक मल्टीनेशनल कंपनी में जनरल मैनेजर की पोस्ट पर था लेकिन उसके पास इतना समय नहीं था कि वह अपनी बहन रश्मि की पढाई लिखाई पर ध्यान दे सके. लिहाज़ा उसने रश्मि की पढाई की पूरी जिम्मेदारी अपनी पत्नी कुसुम को सौंप दी थी. कुसुम ने खुद अंग्रेजी से ही पोस्ट ग्रेजुएशन की थी इसलिए उसे रश्मि को अंग्रेजी पढ़ाने में कोई खासी दिक्कत नहीं आती थी लेकिन गणित में खुद कुसुम का हाथ भी तंग था. विमल और कुसुम रश्मि को गणित पढ़ाने के लिए किसी टीचर की तलाश कर ही रहे थे कि अचानक ही एक दिन विमल ने बताया कि कंपनी ने उसका ट्रांसफर अपनी अमेरिका की ब्रांच में कर दिया है और उसे वहां एक हफ्ते के अंदर ज्वाइन भी करना है. क्योंकि विमल की पत्नी कुसुम उसके साथ अमेरिका नहीं जा रही थी, इसलिए विमल की मां और और उसकी छोटी बहन की देखभाल की पूरी जिम्मेदारी भी विमल ने कुसुम के हवाले कर दी और खुद अमेरिका रवाना हो गया. विमल के जाने के बाद घर परिवार की पूरी जिम्मेदारी कुसुम के कन्धों पर आ गयी थी. कुसुम इस बात से हालांकि बिलकुल भी परेशान नहीं थी बल्कि उसने अपने पति की इस गैरहाज़िरी का भरपूर फायदा उठाने की योजना बनाकर उस पर अमल करना शुरू कर दिया.....

कुसुम हालांकि रश्मि से उम्र में सिर्फ 9 साल बड़ी थी लेकिन उसने रश्मि के ऊपर अपना इतना रौब दाब बना रखा था कि रश्मि उसकी हार बात मानने के लिए मजबूर हो जाती थी - रश्मि की माँ और कुसुम की सास जयन्ती देवी भी कुसुम का साथ इसलिए देती थीं क्योंकि उनको लगता था कि कुसुम की इस सख्ती से ही शायद रश्मि पढाई लिखाई में कुछ ठीक हो जाए. पति की गैरहाज़िरी में अपनी सास की पूरी सपोर्ट मिल जाने से कुसुम एकदम निरंकुश होती जा रही थी और रश्मि को अंग्रेजी पढ़ाने के बहाने उससे इस तरह पेश आती थी मानो कि रश्मि उसकी छोटी ननद न होकर कोई खरीदी हुई गुलाम हो.

रश्मि हर रोज अपनी कॉपी -किताब लेकर कुसुम के पास शाम को 6 बजे उसके कमरे पे अंग्रेज़ी पढ़ने पहुँच जाती थी. पांच मिनट से ज्यादा देरी होने पर कुसुम उसे अपनी मर्ज़ी के मुताबिक सजा देती थी. होम वर्क न करने पर, गलत करने पर या फिर किसी पाठ को ठीक से याद न करने पर, हर काम के लिए कुसुम ने सजा तय कर राखी थी और उसी के अनुसार वह रश्मि को सज़ा देती थी.

आज शाम जब रश्मि ठीक 6 बजे कुसुम के कमरे में पढ़ने के लिए पहुँची तो उस समय कुसुम कहीं मार्केट से आकर ही सोफे पर बैठी थी और प्लेट में रखकर आइसक्रीम खा रही थी. रश्मि को देखते ही अचानक कुसुम के हाथ से आइस क्रीम की प्लेट गिरकर उसके जूतों पर गिर गयी. इससे पहले कि रश्मि कुछ बोल पाती, कुसुम ने उसकी तरफ देखते हुए कहा-"यहां खड़ी खड़ी देख क्या रही हो. देख नहीं रही कि मेरे जूते ख़राब हो गए हैं. जाओ जल्दी से किचन से कपडा लाओ."

रश्मि ने अपनी कॉपी-किताब पास राखी टेबल पर रख दीं और किचन की तरफ कपडा लेने दौड़ गयी. कपडा लेकर वापस आयी तो कुसुम ने उसे फिर हुक्म देते हुए कहा-" इधर आओ मेरे पास और नीचे बैठकर मेरे जूते साफ़ करो."

रश्मि का हालांकि कुसुम इस तरह से अपमान अक्सर करती रहती थी लेकिन आज तो रश्मि को लगा कि यह कुछ ज्यादा ही हो रहा है, हिलाजा उसने विरोध करते हुए कहा-" भाभी यह रहा कपडा और आप अपने जूते खुद ही साफ़ कर लीजिये. मैं यह नहीं करूंगी"

कुसुम जो अब तक पूरी तरह निरंकुश हो चुकी थी, रश्मि की इस हिमाकत पर एकदम आग बबूला सी हो उठी और बोली-" तेरी जुबान अब कैंची की तरह चलने लगी है. लगता है इसी कैंची से अब तेरे पर कतरने पड़ेंगे. कपडा वहीं टेबल पर रख और इधर मेरे पास आकर खड़ी हो जा"

रश्मि ने कपडा टेबल पर रख दिया और कुसुम के पास जाकर खड़ी हो गयी
कुसुम ने रश्मि की तरफ देखकर उसे फिर से हुक्म दिया-"नीचे बैठ और अपनी जीभ से चाट-चाटकर मेरे जूतों को साफ़ कर. अगर अभी भी तूने मेरे हुक्म का पालन नहीं क्या तो मैं तुझे इससे भी भयंकर सजा दूंगी, जिसके बारे में तूने कभी सोचा भी नहीं होगा."

अब रश्मि कुसुम के आगे गिड़गिड़ाने लगी-"नहीं भाभी मुझसे गलती हो गयी. मैं कपडे से ही आपके जूते साफ़ कर देती हूँ."

कुसुम अब अपनी पूरी मस्ती में आ चुकी थी और अपने चेहरे पर कुटिल मुस्कान बिखेरती हुई बोली-" अब तो तुझे अपनी जीभ से चाट चाटकर ही मेरे जूते साफ़ करने पड़ेंगे. चल नीचे बैठ और चाटना शुरू कर."...


रश्मि को जब लगा की अब कोई रास्ता नहीं है तो वह कुसुम के जूतों के पास फर्श पर बैठ गयी और अपने मुंह को उसके जूतों पर ले जाकर अपनी जीभ से उसके जूतों पर गिरी हुई आइस क्रीम को चाट चाट कर साफ करने लगी. रश्मि जब अपनी जीभ से कुसुम के जूते चाट चाट कर साफ कर रही थी तो उसका कुसुम अपने मोबाइल पर वीडियो बना रही थी.

कुसुम को इस तरह रश्मि को ज़लील करने में बहुत मज़ा आता था और वह रश्मि को ज़लील करने का कोई भी मौका अपने साथ से जाने नहीं देती थी.

कुछ समय बाद जब रश्मि को लगा कि उसने जूतों पर गिरी हुई सारी आइस क्रीम चाट ली है तो वह बोली-"भाभी, अब जूते साफ़ हो गए हैं, अब क्या मैं उठ जाऊं ?"

कुसुम को अब मज़ा आने लगा था. वह बोली-"जब तक मैं न कहूँ, इसी तरह अपनी जीभ से मेरे जूतों को चमकाती रह -आज तेरी बची खुची हेकड़ी भी निकल जाएगी"
और रश्मि उसी तरह झुककर कुसुम के साफ़ हो चुके जूतों पर अपनी जीभ फिराने लगी
कुछ देर बार कुसुम ने उसे खड़ा होने का हुक्म दिया-"चल अब खड़ी हो जा और वाशरूम से अपना मुंह साफ़ करके वापस आ -आज तेरी ढंग से क्लास लेने का मूड बन रहा है"

रश्मि वाशरूम में अपना मुंह साफ़ करने चली गयी क्योंकि जूते साफ़ करते करते उसके चेहरे पर भी काफी आइस क्रीम लग गयी थी.
इधर रश्मि वाशरूम गयी उधर कुसुम ने अपने कपडे बदल डाले और अब वह सिर्फ रेड टी शर्ट और ब्लैक हाफ पैंट पहनकर सोफे पर एक टांग दूसरी टांग के ऊपर रखकर बैठ गयी और रश्मि के आने का इंतज़ार करने लगी

रश्मि वाशरूम से अपना चेहरा साफ़ करके वापस आयी तो कुसुम ने उससे कहा-" कल मैंने तुम्हे एक निबंध याद करने के लिए दिया था. उसे याद कर लिया क्या ?"

रश्मि डरते हुए अपना सर झुकाकर बोली-" जी भाभी, उस निबंध को मैंने याद कर लिया है."

पल्ल्वी फिर बोली-" इधर मेरे सामने आकर खड़ी हो जाओ और उस याद किये हुए निबंध को सुनाओ"

रश्मि कुसुम के सामने आकर खड़ी हो गयी.. रश्मि ने एक सफ़ेद रंग की टाइट टी शर्ट और ब्लैक कलर का टाइट शार्ट पहना हुआ था. कुसुम ने उसे यह हिदायत दी हुई थी कि वह इसी तरह से कपडे पहनकर उसके सामने आया करे ताकि उसे सजा देने में कुसुम को ज्यादा मशक्कत न करनी पड़े.

कुसुम कुछ समय तक रश्मि के सेक्सी बदन को देखती रही. दरअसल कुसुम लड़कों के साथ साथ लड़कियों के प्रति भी काफी आकर्षित रहती थी. वह पूरी तरह से लेसबियन तो नहीं थी लेकिन अब उसे रश्मि के सेक्सी बदन को देखकर काफी उत्तेजना होने लगी थी. रश्मि १८ साल की एक बेहद खूबसूरत लड़की थी जिसका बदन एकदम सांचे में ढला हुआ लगता था. पढाई लिखाई में कमजोर होने की वजह से उसे अपनी भाभी कुसुम के जाल में फंसकर उसकी जायज़ नाजायज़ बातों को मानना पड़ रहा था और पल्ल्वी इस हाथ आये हुए सुनहरे मौके का जमकर फायदा उठा रही थी.
कुसुम अब रश्मि की तरफ देखती हुई बोली-" थोड़ा मेरे नजदीक आकर मेरे सामने घुटनों के बल बैठो और याद किये हुए निबंध को सुनाओ."

रश्मि आगे बड़ी और कुसुम के सामने घुटनों के बल बैठ गयी और फिर उसने याद किये हुए निबंध को सुनाना शुरू कर दिया
रश्मि जैसे ही एक जगह निबंध सुनाते सुनाते अटक गयी तो कुसुम ने एक थप्पड़ उसके गाल पर रसीद करते हुए कहा-"ठीक से याद क्यों नहीं किया ?"

रश्मि ने अपना गाल सहलाते हुए फिर से निबंध को सुनाना शुरू किया. लेकिन एक पैराग्राफ पूरा सुनाने के बाद वह फिर अटक गयी और फिर डरते हुए पल्ल्वी से बोली-" सॉरी भाभी, अब याद नहीं आ रहा है. मैं कल जरूर याद करके सुना दूंगी. आज कुछ और पढाई करवा दो."

कुसुम तो इसी मौके की तलाश में थी और भला वह इस हाथ आये हुए सुनहरे मौके को क्यों छोड़ती. उसने गुस्सा होने का नाटक करते हुए रश्मि से कहा-" तुम्हारा पढाई लिखाई में मन ही नहीं लग रहा है. पता नहीं तुम्हारा ध्यान किधर है. लेकिन मुझे भी मालूम है कि तुम्हे निबंध कैसे याद करोगी. चलो अब मैं तुम्हे निबंध याद करवाती हूँ."
रश्मि को कुछ समझ नहीं आया और वह वहां उसी तरह घुटनो के बल बैठी रही.
कुसुम अब रश्मि से बोली-"चल खड़ी हो जा और अपने कपडे उतार"

कुसुम की बात सुनकर रश्मि एकदम स्तब्ध रह गयी. आज पहली बार कुसुम भाभी उसे कपडे उतारकर नंगा होने के लिए कह रही हैं.पहले तो ऐसा कभी नहीं हुआ था.

रश्मि का चेहरा शर्म और जलालत से एकदम लाल हुआ जा रहा था. उसने एक बार फिर से कोशिश की -"सॉरी भाभी, आज माफ़ कर दो. अब आगे से मैं टाइम पर निबंध याद कर लिया करूंगी."

रश्मि जिस तरह से माफी मांग रही थी, कुसुम की उत्तेजना उतनी ही अधिक बढ़ती जा रही थी और वह यह सोच रही थी कि यही मौका है जब इस चिकनी लौंडिया को अपना सेक्स स्लेव बनाया जा सकता है.

कुसुम ने घुटनों के बल बैठी रश्मि के दोनों गालों पर एक एक थप्पड़ और लगाया और बोली-"अगर अब तूने अगर तुरंत अपने कपडे नहीं उतारे तो तुझे और भी सख्त सजा मिलेगी."

रश्मि को मालूम था कि भैया की गैर हाज़िरी में भाभी एकदम हिटलर हो गयी हैं और कुछ और भी अजीबोगरीब सजा दे सकती है इसलिए वह खड़ी होकर बोली-"ठीक है भाभी.मैं अपने कपडे उतार रही हूँ."

पल्ल्वी अब अपनी जांघों पर हाथ फिराते हुए सोफे पर आराम की मुद्रा में पीछे होकर बैठ गयी और रश्मि की तरफ देखकर बोली-" गुड़ गर्ल. चलो अपने सभी कपडे एक एक करके उतारो"

रश्मि ने सबसे पहले अपनी सफ़ेद टी शर्ट उतार दी. अब उसके ऊपरी भाग पर सिर्फ एक सफ़ेद रंग की ब्रा ही बची थी.

जैसे ही रश्मि ने अपनी ब्रा उतारने की कोशिश की तो कुसुम ने उसे रोका-"पहले अपना निक्कर उतार चिकनी"

रश्मि भाभी के द्वारा "चिकनी" जैसे शब्दों को सुनकर एकदम सकते में आ गयी थी क्योंकि उसने भाभी के मुंह से पहली बार इस तरह के शब्दों को सुना था.

रश्मि ने अब अपने काले रंग के निक्कर को भी उतार दिया था और अब उसके बदन पर सफ़ेद रंग की ब्रा और पैंटी ही बच गए थे.
कुसुम बहुत उत्तेजित लग रही थे और अपनी दोनों टांगों को सोफे पर ही जोर जोर से हिलाते हुए बोली-"अब ब्रा और पैंटी भी उतारो और मेरे नजदीक आओ"

रश्मि का चेहरा शर्म से लाल होकर एक दम तमतमा रहा था लेकिन उसके पास कुसुम की हर बात मानते जाने के सिवाय आओ कोई चारा नहीं था.

रश्मि ने अब एक एक करके अपनी ब्रा और पैंटी भी उतार दी और अपने एक हाथ से वह अपने उरोजों को और दुसरे हाथ से अपने योनि प्रदेश को छिपाने का असफल प्रयास करने लगी.

लेकिन कुसुम कहाँ मानने वाली थी. उसने फ़ौरन रश्मि को हुक्म दिया-"अपने दोनों हाथ ऊपर उठाओ और धीरे धीरे चलती हुई मेरे नजदीक आओ"
 

Rahul Chauhan

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पूरी तरह से निर्वस्त्र रश्मि अपने दोनों हाथों को ऊपर उठाकर कुसुम की तरफ धीरे धीरे आने लगी और कुसुम के पास आकर सोफ़े से कुछ दूरी पर रुक गयी।
कुसुम ने इस सारे कारनामे की वीडियो रिकॉर्डिंग करने के लिए अपने कमरे में सीक्रेट कैमरा लगा रखा था ताकि वह बाद में इस शर्मनाक वीडियो के जरिये रश्मि को ब्लैकमेल भी करना चाहे तो कर सके।
फ़िलहाल रश्मि कुसुम के सामने खड़ी हुई थी और उसका चेहरा शर्म और जलालत से लाल हो चुका था। कुसुम ने अब सोफे पर थोड़ा आगे होकर बैठते हुए रश्मि के मखमली बदन पर अपना हाथ फिराना शुरू कर दिया। उसके हाथ रश्मि के उरोजों को काफी देर तक मसलते और सहलाते रहे और उसके बाद कुसुम के हाथ उसके चिकने पेट और कमर को सहलाते हुए रश्मि के चिकने योनि प्रदेश पर आ गए।
कुसुम को रश्मि के योनि प्रदेश को सहलाने में कुछ अड़चन हुई तो उसने रश्मि को हुक्म दे डाला-"अपनी टांगे खोलो"
रश्मि ने अपनी जांघों को खोल दिया ताकि कुसुम अपने हाथ को रश्मि की जांघों के बीच के योनि प्रदेश पर आसानी से फिरा सके।
कुछ देर बाद कुसुम ने रश्मि को खींचकर अपनी गोद मे गिरा लिया और उसके पूरे नंगे बदन को दबाने सहलाने लगी। रश्मि को सज़ा देने के नाम पर कुसुम और रश्मि के बीच यह जो कुछ भी सेक्सुअल ड्रामा चल रहा था, वह अपने चरम पर पहुंच चुका था। रश्मि के साथ साथ कुसुम भी पूरी तरह गरम हो चुकी थी। उसने रश्मि को अपनी गोद से हटाकर उसे फिर से खड़ा होने के लिए कहा। इसके बाद कुसुम ने अपने निक्कर को भी उतार डाला। उसकी पैंटी भी काफी गीली हो गई थी। अपनी गीली हो चुकी पैंटी को उतारने के बाद कुसुम ने रश्मि की तरफ देखकर कहा-'चल अब नीचे बैठ जा और मेरी ठीक से सेवा कर'
रश्मि सब समझ रही थी कि कुसुम भाभी सज़ा देने के बहाने किस तरह से उसका यौन शोषण कर रही है लेकिन वह पूरी तरह से विवश और कुसुम के रहमोकरम पर थी। लिहाज़ा कोई और रास्ता न देख, रश्मि नीचे जमीन पर कुसुम की दोनों जांघो के बीच मे बैठ गयी । कुसुम ने उसके नीचे बैठते ही अपने दोनो हाथों से रश्मि के चेहरे को पकड़ा और अपने योनि प्रदेश की तरफ लाती हुई बोली-"देख तुझे सज़ा देने के चक्कर मे मेरा योनि प्रदेश कितना गीला हो गया है। अब तू इसे अपनी मखमली जीभ से चाट चाटकर इसका गीलापन दूर कर। "
रश्मि यह सब करते हुए झिझक रही थी क्योंकि यह सब उसने पहले कभी नही किया था। लेकिन कुसुम तो इस समय अपनी पूरी मस्ती और उत्तेजना में थी। उसने रश्मि के दोनों गालों पर तमाचे लगाए और बोली-"चल चिकनी, जल्द शुरू हो जा वरना तेरी बहुत दुर्गति करूंगी। मुझे खुश रखेगी तो तू भी ख़ुश रहेगी वरना तेरा जीना भी मैं कितना मुश्किल करूँगी यह तू अच्छी तरह जानती ही है।"
कुसुम के दिये गए हुक्म के मुताबिक रश्मि ने अपनी जीभ को कुसुम के योनि प्रदेश पर फिराना शुरू कर दिया। कुछ देर तक रश्मि इसी तरह अपनी जीभ से कुसुम के योनि प्रदेश को चाटती रही और इस तरह से कुसुम जब अपने क्लाइमेक्स पर पहुँची तो उसने रश्मि को अपनी गिरफ्त से यह कहते हुए आज़ाद कर दिया-"चल अब उठ जा और फ्रेश होकर अपने कपड़े वगैरा पहन लें। याद रहे कि मेरे हर हुक्म की बिना किसी सवाल के तामील होनी चाहिए। कायदे में रहेगी तो फायदे में रहेगी।"
इसके बाद रश्मि ने अपने कपड़े पहने और सिर झुकाकर अपनी कापी किताब उठाकर कुसुम के कमरे से बाहर चली गई



अगले दिन जब रश्मि रोजाना की तरह अपनी कापी किताबें लेकर कुसुम के पास पहुंची तो उस समय कुसुम अपने बेड पर लेटी हुई थी। रश्मि को देखकर वह बोली-"आज मेरी तबियत कुछ ठीक नही लग रही है।पूरे बदन में हल्का हल्का दर्द महसूस हो रहा है। आज पढ़ाई रहने दो। कल आज के बदले की भी पढ़ाई करवा दूँगी। अभी तुम ऐसा करो इन कापी किताबों को टेबल पर रख दो और जरा मेरे पास आकर मेरे पूरे बदन की मालिश करो।"
रश्मि ने कापी किताबें टेबल पर रख दीं और कुसुम के बेड के पास पहुंच गई . रश्मि अब कुसुम के अगले आदेश की प्रतीक्षा कर रही थी क्योंकि खुद उसे समझ नही आ रहा था कि पूरे बदन की मालिश कैसे और कहां से शुरू करनी है। कुसुम उसकी उलझन को समझ गयी और उससे बोली-"देखो वह सामने बॉडी लोशन की बोतल रखी हुई है, उसे लेकर आओ फिर मैं तुम्हे बताती हूँ कि मालिश कैसे करनी है।"
रश्मि ने बॉडी लोशन की बोतल को उठा लिया और फिर से कुसुम के पास आकर खड़ी हो गई। कुसुम मन ही मन इस बात से बहुत खुश और उत्तेजित महसूस कर रही थी कि अब रश्मि पूरी तरह से उसके काबू में आ चुकी है और उसकी हर बात को बेझिझक मान रही है।
कुसुम एक पारदर्शी गाउन पहने हुए बेड पर लेटी हुई थी। रश्मि रोजाना की तरह टी शर्ट और निक्कर पहने हुए थी।
दरअसल कुसुम की तबियत ठीक ठाक थी लेकिन वह तबियत खराब होने का बहाना बनाकर रश्मि के साथ थोड़ी मौज मस्ती करने के मूड में थी। पति की गैर हाज़िरी में अपने सेक्स की भूख शायद वह रश्मि से पूरी करना चाहती थीं।
रश्मि इस बात से ही बहुत खुश थी कि उसे आज कुसुम डांट फटकार नही रही थी और बड़े प्यार से बात कर रही थी।
कुसुम ने रश्मि से अब कहा-" ऊपर बेड पर आ जाओ।"
रश्मि बॉडी लोशन की बोतल लेकर बेड पर आ गई और कुसुम की साइड में बैठकर उसकी तरफ देखने लगी।
कुसुम ने अपने पारदर्शी गाउन की फ्रंट ज़िप खोलकर उसे अपने बदन से अलग कर दिया। उसके बदन पर अब सिर्फ एक ब्लैक ब्रा और पैंटी ही बाकी थी।
कुसुम अब रश्मि से कहने लगी-" ऐसा करो कि तुम भी अपने कपड़े उतार दो वरना यह खराब हो सकते हैं।"
रश्मि ने भी अपने कपड़े उतार दिए और उसके बदन पर भी अब सिर्फ ब्रा और पैंटी ही बचे थे।
अब रश्मि ने बॉडी लोशन को कुसुम के बदन पर लगाकर मालिश करना शुरू कर दिया। कुसुम उसे लगातार गाइड कर रही थी-" यहां मेरी जांघों पर लोशन लगाओ और ठीक से मालिश करो।"
रश्मि कुसुम के दिशा निर्देशों के अनुसार उसके बदन की मालिश करते करते खुद अपने बदन में भी जबरदस्त उत्तेजना और गर्मी महसूस कर रही थी।
अब कुसुम ने रश्मि की तरफ देखकर कहा-"चलो अब अपनी ब्रा और पैंटी भी उतारो।"
कुसुम की हर बात मानने के लिए रश्मि बेबस थी सो उसने अपने बाकी के कपड़े भी उतार दिए और बिल्कुल निर्वस्त्र हो गई। कुसुम ने भी इस बीच अपनी ब्रा और पैंटी उतार दी थी। अब बेड पर रश्मि और कुसुम दोनों पूरी तरह निर्वस्त्र अवस्था मे थीं।


कुसुम ने अब रश्मि से अपने पूरे बदन पर लोशन लगवाया और जब रश्मि के हाथ कुसुम के सीने की गोलाइयों को सहलाने लगे तो कुसुम के मुंह से हर्ष मिश्रित उत्तेजना के स्वर निकलने लगे। कुसुम ने उसी वक़्त रश्मि को अपनी तरफ खींच लिया और उसे बिस्तर पर नीचे गिराकर उसके बदन को चूमने चाटने और दबाने सहलाने लगी। कुसुम की हरक़तों से रश्मि भी जबरदस्त उत्तेजना से भर चुकी थी और उसके मुंह से भी हर्ष और उत्तेजना मिश्रित आवाज़ें निकल रही थीं। एक दूसरे को दबाते सहलाते और चूमते चाटते हुए दोनों अपने क्लाइमेक्स पर जल्द ही पहुंच गईं। इसके बाद दोनों बेड पर सीधी होकर लेट गई। क्लाइमेक्स पा लेने के बाद भी कुसुम के शरारती मन मे अभी भी कुछ और शरारत करने की इच्छा बाकी रह गयी थी। दरअसल जब तक रश्मि कुसुम की किसी बात का विरोध न करे और उसके लिए कुसुम रश्मि को सज़ा न दे ले तब तक कुसुम को पूरा मज़ा नही आता था लेकिन आज तो रश्मि ने बिना किसी झिझक या विरोध के कुसुम की सारी बातें न सिर्फ मान लें, बल्कि अपने सारे कपड़े भी बिना किसी झिझक के उतार दिए।
कुसुम ने अपनी शरारत को अंजाम देने का मन बना लिया और रश्मि से कुछ ऐसा करने के लिए कहने का मन बना लिया जिसे रश्मि कभी भी नही मानने वाली थी।

कुसुम ने अपनी साइड में लेटी रश्मि के उरोजों को दबाते हुए कहा-"अब जरा उठो और किचन से मेरे लिए कॉफी बनाकर लाओ।"
रश्मि बेड पर लेटे लेते ही बोली-"भाभी, मैं अर्जुन को फोन कर देती हूँ, वह काफी बनाकर ले आएगा।"
अर्जुन घर का फुल टाइम नौकर था जो किचन के साथ बने साइड रूम में ही रहता था और घर के सभी कामों के साथ साथ कुसुम की किचन में भी सहायता करता था। अर्जुन को भी कुसुम भाभी ने ही अपनी पसंद से नौकरी पर रखा था और उस पर भी कुसुम भाभी अपना पूरा रौब दाब बना के रखती थीं। अर्जुन लगभग 19 साल का गठीले बदन का बिहारी लड़का था-देखने भालने मे भी अर्जुन एकदम ठीक ठाक और फिट था-कुल मिलाकर उसकी पर्सनालिटी ऐसी थी कि अगर उसे ढंग के कपड़ें पहना दिए जाएं तो कोई यह अन्दाजा नही लगा सकता था कि वह किसी घर मे नौकरी करता होगा।

दरअसल आम तौर पर काफी बनाकर लाने का काम अर्जुन का ही था। चाय काफी क्या, अगर घर मे किसी को पानी भी पीना होता था तो वह अर्जुन को ही आवाज़ लगता है-"अर्जुन जरा पानी लेकर आना"
कुसुम को यह मालूम था कि काफी बनाकर अर्जुन ला सकता है लेकिन उसके शरारती मन में कुछ और ही चल रहा था-काफी उसे नही पीनी थी-काफी तो सिर्फ एक बहाना थी-असली मकसद तो रश्मि को एक ट्रैप मे फंसाना था। कुसुम ने थोड़ा अपनी आवाज़ में सख्ती लाते हुए रश्मि से कहा-"जब मैं चाहती हूँ कि मेरे लिए तू खुद कॉफी बनाकर लाये तो तुझे ही काफी बनानी है, अर्जुन को नही। अब फटाफट खड़ी हो जा और जल्दी से मेरे लिए कॉफी बनाकर ला।"
रश्मि न चाहते हुए भी बेड से उठी और अपने कपड़े पहनने लगी लेकिन कुसुम ने डांटते हुए रश्मि को रोका-" तुझसे कपड़े पहनने के लिए मैंने कब कहा चिकनी ? ऐसे ही बिना कपड़े पहने किचन में जा और कॉफ़ी बनाकर ला।"
रश्मि को काटो तो खून नही। वह विरोध करते हुए कुसुम से बोली-"भाभी, यह आप क्या कह रही हैं। किचन में अर्जुन के सामने क्या मैं निर्वस्त्र हालत में जा सकती हूं ?"
कुसुम भी समझ रही थी कि रश्मि ठीक कह रही थी लेकिन कुसुम के ऊपर तो अपनी शरारत का भूत सवार था सो उसने रश्मि को और उकसाते हुए कहा-" हाँ तूने सही सुना है चिकनी- तुझे निर्वस्त्र अवस्था मे ही किचन में जाना होगा क्योंकि यह मेरा हुक्म है। अगर अर्जुन ने तुझे इस हालत में देखकर अपना आपा खो दिया और तेरे इस मखमली बदन को पकड़कर दबा सहला भी दिया तो कौन सी आफत टूट जाएगी। चल फ़टाफ़ट यहां से निकल वरना तुझे ऐसी सज़ा दूंगी कि तू भी क्या याद रखेगी।"

रश्मि ने कुसुम की तरफ देखकर फिर से विरोध किया-"भाभी, बाहर अगर मम्मी ने मुझे इस हालत में देख लिया तो ?"
अब कुसुम और भड़क उठी और बोली-" बकवास बंद कर। इस समय रात के 8 बज रहे हैं और तू भी अच्छी तरह जानती है कि मम्मीजी 6 बजे ही डिनर करके 7 बजे तक अपने कमरे में ऊपर सोने चली जाती हैं और फिर सुबह को ही नीचे आती हैं। और अगर उन्होंने तुझे इस हालत में देख भी लिया तो कह देना कि भाभी ने सज़ा देने के लिए मेरे कपड़े उतरवाए हैं। बाकी उन्हें मैं खुद समझा दूँगी। अब बहानेबाज़ी बंद कर और फटाफट मेरे लिए कॉफी बनाकर ला।"
रश्मि फिर भी कुसुम की बात मानने को तैयार नही हुई और बोली-"भाभी एक मामूली से नौकर के सामने मैं अपने बदन की नुमायश करने हरगिज़ नही जाऊंगी। तुम्हे जो सज़ा देनी है, वह दे लो।"
कुसुम तो यही चाहती थी सो कहने लगी-"ठीक है, अब तुम्हे सज़ा तो देनी ही पड़ेगी- चलो अपने कान पकड़ो और गिन गिन कर 100 उठक बैठक लगाओ. गिनती की आवाज़ मुझे सुनाई आनी चाहिए, वरना उसे काउंट नही किया जाएगा और तुम्हे ज्यादा उठक बैठक लगानी पड़ेंगी। अब फटाफट शुरू हो जाओ।"
रश्मि ने अब निर्वस्त्र अवस्था मे ही कान पकड़कर गिनती करते हुए उठक बैठक लगानी शुरू कर दीं। कुसुम भी अब बेड से उठकर अपने पारदर्शी गाउन को फिर से पहन लिया और कमरे के अंदर ही बने एक साइड रूम में चली गयी। कुछ देर बाद वह साइड रूम से निकल कर वहीं आ गई जहाँ रश्मि नंगी होकर उठक बैठक लगा रही थी। कुसुम के हाथ में अब एक चमड़े का हंटर था जिसे लेकर वह सोफे पर बैठ गयी और रश्मि को उठक बैठक लगाते हुए देखने लगी। रश्मि अब तक 50 उठक बैठक लगा चुकी थी और अब काफी थकी हुई लग रही थी।
कुसुम ने अपने चेहरे पर हल्की सी मुस्कान लाते हुए कहा-"इधर मेरे नजदीक आकर लगाओ बाक़ी की उठक बैठक।"
कुसुम के हाथ मे चमड़े का हंटर देखकर रश्मि और भी डर गई थी इसलिए वह बिना किसी देरी के कुसुम के सामने आकर खड़ी हो गई और बाकी की उठक बैठक गिनती करते हुए लगाने लगी।
अब कुसुम बीच बीच मे रश्मि की जांघों और टाँगों पर यह कहते हुए हंटर मारने लगी-" ठीक से लगाओ उठक बैठक"
जब 100 उठक बैठक पूरी हो गईं तो कुसुम रश्मि से बोली-"चल अब मुर्गा बन जा"
रश्मि गिड़गिड़ाते हुए बोली-" प्लीज़ भाभी, मैं उठक बैठक लगाते हुए बहुत थक गई हूँ। आज मुर्गा मत बनाओ- फिर कभी बना देना।"
अब कुसुम को वह मज़ा आ रहा था जो वह चाहती थी। रश्मि की तरफ देखकर वह मुस्कराते हुए बोली-"ठीक है, आज तुम थक गई हो तो किसी और दिन तुझे मुर्गा बनाकर देख लेंगे। आज तुझे ऐसी सज़ा देती हूँ जिससे तुझे कोई थकान नही होगी। चल सामने रखी उस कुर्सी को उठाकर ले आ और उसे मेरे सामने रख दे।"
रश्मि सामने रखी कुर्सी उठा लाई और उसे कुसुम के ठीक सामने रख दिया।
अब कुसुम रश्मि से बोली-"कुर्सी को थोड़ा पीछे करो और उस पर बैठ जाओ।"
रश्मि ने कुर्सी को थोड़ा पीछे खिसकाया और उस पर बैठ गयी।
अब कुसुम जो कि सोफे पर बैठी हुई थी, उसने अपनी दोनों टांगे उठाकर रश्मि की गोद मे रख दीं और बोली-"अब तुम बारी बारी से मेरे दोनों पैरों को अपने हाथों में उठाओ और मेरे पैरों के तलवों को अपनी जीभ से चाटो"
इससे पहले कि रश्मि तलवे चाटने शुरू करे, कुसुम अपने पैर के अँगूठे को रश्मि के होंठों पर फिराने लगी-रश्मि ने शर्म के मारे अपनी आंखें बंद कर लीं तो कुसुम ने चमड़े का हंटर जोर से रश्मि के बदन पर मारते हुए कहा-"आंखें खोलकर रखो क्योंकि तुम्हे अपनी सज़ा अपनी आंखों से देखनी भी है।"
कुसुम अब रश्मि को एक 'सेक्स टॉय" की तरह इस्तेमाल कर रही थी। रश्मि उसके पैरों के तलवे चाट रही थी और बीच बीच मे कुसुम उसे चमड़े के हंटर यह कहकर लगा रही थी-"ठीक से तलवे चाट मेरी प्यारी चिकनी ननद"
रश्मि के साथ खेलते खेलते जब कुसुम का मन भर गया तो कुसुम ने उसे आज़ाद करते हुए कहा-"चल अब खड़ी हो जा और अपने कपड़े पहन लें। और हाँ, डिनर करने के बाद मेरे बेड रूम में आ जाना।"
 
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