• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Adultery बस का सफर (Reboot)

Status
Not open for further replies.

MastramNew

Modern Mastram Official Account
Banned
73
443
63
Episode 1 : Part I


नीता शादी के बाद दूसरी बार अपने मायके जा रही थी। पहली बार तो शादी के कुछ ही दिन बाद गयी थी , पर उसके बाद उसे मौका नहीं मिला था। उसे बिलकुल भी पता नहीं था कि वो घर जाने के नाम से खुश हो या उदास। ऐसे देखें तो नीता का जीवन खुसहाल था। अपने पति रवि के साथ वो ख़ुशी ख़ुशी रांची में रहती थी। रवि एक कंस्ट्रक्शन कम्पनी में सीनियर इंजीनियर था। एक और दो नंबर मिला कर अच्छी खासी आमदनी हो जाती थी। एक सुखी जीवन के लिए ज़रूरी सभी चीजें थीं उसके पास। बस शादी के 4 साल बाद भी वो माँ नहीं बन पायी थी। उसकी सास कई बार बोल चुकी थी डॉक्टर से दिखवाने को, पर रवि हर बार किसी न किसी बहाने से बात को टाल देता।

नीता को पूरा विश्वास था की कमी उसके अंदर नहीं है, कमी रवि में है और इसलिए शायद रवि डॉक्टर के पास जाने से हिंचकता है। बिस्तर में भी रवि अधिक देर नहीं टिक पाता था। नीता ने सेक्स के बारे में जो भी सुना था उसे कभी पता ही नयी चल पाया की वो सब केवल कहने की बातें हैं या बस उसके जीवन में ही वो आनंद नहीं है जो उसने लोगों से सुना है। उसकी सहेलियों ने उसे कई बार बताया की संभोग में शुरुआत में दर्द तो होता है पर उसके बाद स्वर्ग सामान आनंद है। उसने न तो दर्द की ही अनुभूति की और न ही स्वर्ग समान आनंद की। उसके लिए संभोग बस 5 मिनट का एक रिचुअल मात्र था - रवि उसकी साड़ी को ऊपर सरका कर उसके कमर के नीचे, जांघों के बीच में छिपी अँधेरी गुलाबी गुफा में अपना मिर्च के अकार का शिश्न घुसाता और क्षण भर में ही निढ़ाल हो कर सो जाता। नीता तो ये भी नहीं जानती थी की रवि का लण्ड बड़ा है या छोटा! उसने कभी किसी और मर्द का लण्ड देखा भी नहीं था।

खैर, अपनी मनःस्थिति का पता नीता ने कभी भी रवि को नहीं चलने दिया, और अपने व्यवहार और बातों में वो हमेसा एक आदर्श पत्नी की तरह थी। आज उसे ये चिंता सताए जा रही थी कि उसकी गांव की सहेलियाँ जब उससे चुदाई के बारे में पूछेंगी तो वो क्या कहेगी? रजनी ने जब बताया था तब नीता की पैंटी गीली हो गयी थी। शायद रजनी ने झूठ कहा होगा, ऐसा तो कोई मज़ा नहीं आता। या रवि मज़ा देने में समर्थ नहीं है? क्यूंकि कुणाल ने जब होली में उसे रंग लगाया था तो उसे अजीब सा एहसास हुआ था। कुणाल ने जान बूझ कर किया था या अनजाने में, ये नीता नहीं जानती, पर उसने उसे रंग लगते समय अपना हाथ नीता के पुष्ट उरोजों पर रख दिया था। वो रंग से बचने की कोशिश में नीचे फिसल गयी थी, नीता का पल्लू उसके ब्लाउज पर से हट गया था, और भाग दौड़ में उसके ब्लाउज के ऊपर का एक बटन भी खुल गया था। कुणाल उसके बदन से लिपट कर उसे रंग लगा रहा था। नीता अपने मुंह को रंग लगने से बचाने के लिए पेट के बल लेट कर अपने मुंह को हाथ से छिपा रही थी। उसकी साड़ी सिमट कर उसके घुटने के ऊपर आ चुकी थी। हलके गुलाबी रंग में रंग कर उसकी सफ़ेद चिकनी जांघें गुलाब की पंखुड़ी के समान लग रही थी। कुणाल उसकी पीठ से लिपटा हुआ एक हाथ से उसके चेहरे को चेहरे पर रंग लगाने का प्रयास कर रहा और दूसरा हाथ नीता के स्तन को दबा रहा था। नीता को जब यह एहसास हुआ कि उसके स्तन पर किसी गैर मर्द का हाथ है तो उसके जिश्म में करंट सा दौड़ गया। उसके दिल की धड़कन इतनी तीव्र हो गयी थी कि मानो उसका ह्रदय फट पड़ेगा। उसने अपने नितम्ब पर कुछ कठोर सा महसूस किया था, शायद कुणाल का लण्ड हो। पर इतना बड़ा कैसे? हो सकता है उसकी जेब में मोबाइल फ़ोन रहा हो! चाहे जो हो, उस घटना के तीन दिन बाद तक नीता बेचैन रही थी। उस घटना के स्मरण मात्र से उसके शरीर में स्पंदन होने लगता, उसके हृदय की गति तेज हो जाती, उसके जांघों के बीच अग्नि और जल के अद्भुत मिलन का एहसास होता।
 

Sumit1990

सपनों का देवता
5,860
4,276
188
Bro aap phele 2 story likh chuko ho jo abhi bhi incomplete hai aur phir wahi kahani wo bhi suru se......kya yaar bro hum intazaar kar rahe chudai ka aur aap ne dubara se suru kar di di story.......

housewife-kangna-20200920-1
 
  • Like
Reactions: Dark Soul

MastramNew

Modern Mastram Official Account
Banned
73
443
63
Episode 1 : Part II

इस घटना को बीते 4 महीने हो गए थे। पर आज भी वो कुणाल के सामने जाने में झिझकती थी। शायद रवि ही नामर्द है। शायद उसकी किस्मत में ही यौवन का आनंद नहीं है और शायद कुणाल के साथ बीते वो क्षण ही उसके जीवन का सबसे आनंददायक पल थे।

“अरे नीता, इतनी देर से तैयार हो रही हो? बस छूट जाएगी भई!” रवि की आवाज़ नीता के कानों में पड़ी।

“मैं तैयार हूँ, आप गाड़ी निकालिये।” नीता अपना पर्स उठा कर बेडरूम से बाहर आयी।

“माधरचोद एमडी! साले को अभी ही प्रोजेक्ट रिपोर्ट चाहिए था!” रवि अपने बॉस पर गुस्सा का इज़हार कर रहा था। “तुम अकेली चली जाओगी न? मैं हरामज़ादे के मुंह पर रिपोर्ट फेंक कर जल्दी से जल्दी चला आऊंगा।”

रवि के मुंह से गाली सुन कर नीता को विचित्र लगा। क्या बिस्तर में अपनी नामर्दी को छिपाने के लिए रवि अपने शब्दों में मर्दानगी दिखाता है? या कंस्ट्रक्शन लाइन में लोगों की भाषा ही ऐसी होती है? “आप फिक्र मत कीजिये, वहां बस स्टैंड पर पापा आ जायेंगे मुझे रिसीव करने, और यहाँ तो आप चल ही रहे हैं छोड़ने। बांकी सफ़र तो बस में बिताना है। जल्दी चलिए, लेट हो जायेगा।” नीता ने रवि को कम और खुद को अधिक आश्वासन दिया।

दोनों गाड़ी में बैठ कर बस स्टैंड की तरफ निकले। “माधरचोद! ये ट्रैफिक। भोंसड़ी वाले अनपढ़ गँवार सब पॉलिटिक्स में आएंगे तो यही होगा। सालों के दिमाग में सड़क बनाते समय ये बात नहीं आती कि कल इसपर और भी गाड़ियां दौड़ेंगी। आज हर कुत्ते बिल्ली के पास गाड़ी है और रोड देखो - बित्ते भर का।” हॉर्न की आवाज़ के बीच रवि खुद पर चिल्ला रहा था। “हरामज़ादे बाइक वालों की वजह से जाम लगता है। जहाँ जगह मिला घुसा दिए।” रात के 8 बज चुके थे, और बस खुलने का समय 7 बजे ही था। आपको जितनी जल्दी होगी ट्रैफिक उतना ही जाम मिलेगा जैसे कोई कहीं से बैठा देख रहा हो और आपके साथ मज़ाक कर रहा हो। जान बूझ कर आप जिस जिस रस्ते जा रहे हैं उन्ही रास्तों पर जाम होगा, और आपके जाम से निकलते ही जाम भी ख़तम हो जाएगी मानो जाम आपको देर कराने के लिए ही लगी हो। बस स्टैंड पहुँचते पहुँचते रात के 9 बज चुके थे।
 

MastramNew

Modern Mastram Official Account
Banned
73
443
63
Episode 2 : Part I

बस स्टैंड पर 2-3 छोटी रूट की बस के अलावा कोई बस नहीं थी, और वहां लोग भी बहुत कम थे। रवि बुकिंग काउंटर वाले के पास चिल्ला रहा था - “सब के सब लुटेरे हैं! फ़ोन नहीं करना था तो मोबाइल नंबर लिया क्यों? जब पैसेंजर गया ही नहीं तो पैसे किस बात के?”

वो बुकिंग क्लर्क से पैसे वापस मांग रहा था। नीता उसके बगल में खड़ी थी। उसकी लाल ब्लाउज के साइड से उसकी काली ब्रा का फीता बाहर निकला हुआ था। क्लर्क के सामने बैठा एक अधेड़ उम्र का आदमी उसे घूर रहा था। और घूरे भी क्यों न? नीता की जिन चूचियों को उस ब्रा ने ढक रखा था वो 34 इंच की थी। 26 साल की गोरी, लम्बी छरहरे बदन वाली नीता हलोजन लैंप के सामने खड़ी थी जिससे उसके होंठों पर लगी लाल लिपस्टिक चमक कर मादक दृश्य उत्पन्न कर रहे थे। जैसे जैसे नीता के उरोज सांस के साथ ऊपर नीचे हो रहे थे, वैसे वैसे उस अधेड़ के लिंग में यौवन का संचार हो रहा था। 55 साल के उस बुढ्ढे का रंग जितना काला था बाल उतने ही सफ़ेद। उसकी धोती उसके जांघों तक ही थी और आँखें लाल, मानो अभी अभी पूरी एक बोतल चढ़ा ली हो। उसके मुंह की बास दूर खड़ी नीता महसूस कर सकती थी।

जब नीता की नज़र उस बुढ्ढे पर पड़ी तो नीता सहम गयी। औरतों में मर्दों की नियत भांपने का यन्त्र लगा होता है शायद। नीता ने अपने ब्लाउज को ठीक उभर को साड़ी से ठीक से ढक लिया। नीता को सहमा देख कर उस बुढ्ढे के लण्ड में और जवानी भर गयी। वो अपना मुंह खोल बेशर्म की तरह मुस्कुराने लगा। उसके सामने की दांत लंबी और बदसूरत थी। उसके चेहरे को देख कर नीता के मन में घिन्न हो रहा था। वो रवि के और निकट आ गयी और उसकी बाँह को पकड़ कर बोली “चलिए यहाँ से। अब बस चली गयी तो फिर लड़ाई करके क्या फायदा?”

“अरे भैया! हम भी सीतामढ़ी ही जा रहे हैं, चलिएगा हमारे बस पर?” सर पर गमछा बांधे, बड़ी मूँछ और विशाल काया वाले एक हट्टे कट्ठे आदमी ने कहा।

“कब खुलेगी बस?”

“बस अब निकलबे करेंगे। उधर 1785 नंबर वला बस खड़ा है। सीट भी खालिये होगा। अइसे भाड़ा त 700 रुपइया है लेकिन आप 500 भी दे दीजियेगा त चलेगा। आप पैसेंजर को बइठाइये हम दू मिनट में आते हैं।”

रवि नीता को लेकर बस पहुंचा। उसने अन्दर झाँक कर देखा, बस में 8-10 मर्द थे और दो-तीन औरत। सब गांव के थे। बांकी पूरा बस खाली था। “बस में सब देहाती सब हैं, अंदर बदबू दे रहा है। तुम इसमें जा पाओगी? दिक्कत होगा तो आज छोड़ दो, कल चली जाना?”

“कल फलदान है, जाना ज़रूरी है। मैं चली जाउंगी, आप फिक्र मत कीजिये।”

“हम्म! तुम अंदर बैठो, मैं तुम्हारे लिए पानी का बोतल ला देता हूँ।”

नीता अंदर गयी। पर अंदर बदबू बहुत थी। शायद पैसेंजर में से कुछ लोगों ने देसी शराब पी रखी थी। ऊपर से गर्मी अलग। नीता उतर कर बस से नीचे आ गयी। रात के दस बज रहे थे। बस स्टैंड पर कुछ ही लोग थे। बस के आस पास कूड़ा फेंका हुआ था और पेशाब की तीखी गंध आ रही थी। नीता बस से थोड़ी दूर गयी। उसने चारों तरफ घूम देखा। यहाँ उसे कोई नहीं देख रहा था। उसने अपनी साड़ी ऊपर उठाई, पैंटी नीचे सरकाया और बैठ कर पेशाब करने लगी। दूर लगे बस के हेडलाइट की रौशनी में उसकी सफ़ेद चिकनी गाँड़ आधे चाँद की तरह चमक रही थी। वो पेशाब करके उठी, और जैसे ही पीछे मुड़ी, सामने बदसूरत शक्ल वाला वो बुढ्ढा अपनी दाँत निकाले मुस्कुरा रहा था। नीता काँप उठी। उसके चेहरे पर वही बेशर्मी वाली मुस्कराहट थी। उसका एक हाथ नीचे धोती के बीच कुछ पकड़े हुआ था। पर वो क्या पकड़े हुआ है ये नीता नहीं देख पा रही थी। नीता के लिए ये समझना कठिन नहीं कि वो क्या पकड़े हुआ है। पर वो रवि के औजार से काफी बड़ा था।

बुढ्ढा नीता की तरफ बढ़ने लगा। नीता घबरा कर इधर उधर देखने लगी। तभी उसे रवि आता दिखा। वो दौड़ कर रवि के पास पहुंची। रवि डर से पीली पर गयी नीता को देख कर बोला “क्या हुआ?”
 
Status
Not open for further replies.
Top