- 432
- 5,504
- 124
chapter 1
एक हैंडसम लरका जी जान लगा के काम करने मे लगा हुआ था पसीने से भीगा था तेज सासे ले रहा था साफ था बहोत थका हुआ था लेकिन काम जोर शोर से करने मे लगा था लेकिन चेहरे पे दर्द था पचतावा था गिल्टी थी
लरका एक बरी कपनी मे काम कर रहा था वर्कर के रूप मे नया था काम बहोत भारी था लोहे की पाइप को गारी पे लोड करना लरके ने कभी भी इतनी मेहनत नही की थी लेकिन आज उसे करना पर रहा था सायद इसी लिये बहोत थका पसीने से भीगा था

एक अंकल लरके के पास आके - अशोक चल लंच का समय हो गया है
हा दोस्तो लरके का नाम अशोक है 19 साल का गाव से सेहर पहली बार आया है कमाने बॉडी अच्छी है हैंडसम भी है
अशोक अंकल को देख - जी अंकल आता हु
दोस्तो अंकल अशोक के पिता के दोस्त है जिनका नाम है हरीलाल 42
का है जवानी से सेहर आके इसी कपनि मे काम करता आ रहा है और हरीलाल सुपरवाइज़र है अच्छा सेलरी है बंद है मेहनत कर अच्छा घर गाव मे बना लिया है और हा अपनी बीवी बच्चो को लेके आता भी है घुमाने फिलहाल हरीलाल की वाइफ आई हुई है

हरीलाल की वाइफ - सुलेखा बहोत खुबसूरत है गोरी चिकनी बॉडी चुचे बरे है कमर उफ बरी गांड जब चलती है तो मस्त हिलती है
दिल की साफ अच्छी है परोसन है जैसे हरीलाल अशोक के पिता का दोस्त है वैसे सुलेखा अशोक की मा की अच्छी दोस्त है
अशोक नल के पास जाके हाथ मुह धोके अपने लोगो के पास आता है
असल मे अशोक के भी 3 लरके थे जिसे हरीलाल लेके आया था जो अशोक के उमर के ही है
हरीलाल गाव मे एक अमीर अच्छा इंसान है सब लोग जानते है हरीलाल कहा कैसा काम करता है तो कुछ मा बाप अपने बेटे को हरीलाल से केह काम लगवाने को कहा तो हरीलाल भी मान गया कियुंकी जान पहचान के लोग थे
अशोक तीनों के पास आके बैठ जाता है अपना टिफिन लेके बाकी वर्कर भी अपने अपने लोगो के साथ बैठे हुवे खाना खाने मे लगे हुवे थे
तीन दोस्त - राजू,राज,राजेस् ये तीनो तीन महीने से काम कर रहे है
अशोक टिफिन खोलने लगता है राजू अशोक को देख - यार अशोक अब काम तुझे भारी तो नही लग रहा
अशोक - नही यार पहले के कुछ दिन बहोत भारी लगा फट गई थी लेकिन अब धीरे धीरे आदत पर रही है
राज - हम भी जब आये थे कसम से यार गांड फट गई थी जैसे तैसे काम कर रूम पे गया उफ पूरा बदन दर्द से टूट रहा था जिन
राजेस् हस्ते हुवे - मेरा भी लेकिन अब आदत हो गई है तुझे भी जल्दी आदत पर जायेगी
अशोक सभी को देख - हा
फिर सभी बाते करते खाना खाने लगते है अशोक सब के सामने नॉर्मल हस्ते मस्ती मजाक मे बाते करता था लेकिन अंदर दर्द लिये था अशोक नही चाहता था किसी को पता चले वो दुखी है फिर लोग सवाल पूछेगे जोकि अशोक बता नही सकता था
खाना होने के बाद सभी एक जगह लेत आराम करने लगते है अशोक लेता आखे बंद किये सर पे हाथ रखे ख्यालों मे खोया था और दर्द फिर चेहरे पे आने लगते है ,( चला जा यहा से मुझे तेरी सकल भी नही देखनी है तू कमीना गिरा हुवा नीच है मर जा जाके कही )
एकदम से अशोक उठ जाता है ये कवरे शब्द उस इंसान के मुह से बोले गये थे जो अशोक का पीछा नही छोर रही थी जो अशोक को दर्द दिये जा रही थी रात की नींद चैन छीन रही थी
टाइम भी हो गया था सब वर्कर फिर काम पे लग जाते है साम 5 बजे छुट्टी होती है अशोक तीनो दोस्त हाथ पैर मुह धोके नये कपड़े पहन कम्पनी से बाहर आते है पास मे ही सभी का रूम था
सेहर मे थे साम का वक़्त का लोगो की गारियो कीभीर थी अशोक सभी चलते हुवे रूम की तरफ निकल जाते है
राजू चारों तरफ देख - यहा हर तरफ बरे होटल सोरूम शॉप पता नही क्या क्या है कितने लोग है सांति तो अपने गाव में ही है
राजेस् - सेहर ऐसे ही होते है बरी बरी बिल्डिंग घर गारी लोगो की भीर चहल पहल यहा हर टाइम होती है साम को जयदा हो जाती है
राज - यार सुरु मे मुझे गाव की बहोत याद आती थी दिल करता था भाग जाऊ अपने गाव अपने घर
राजेस् राजू - सेम भाई
अशोक चुप था लेकिन सब की बाते सुन रहा था
अशोक मन मे - मे जाना भी चाहू तो जा नही सकता
बाते घूमते सब अपने रूम पे आ जाते है मंजिला मिल्डिंग की लाइन से रूम बने थे नीचे दस उपर दस सभी मे दूर से आये रोजी रोटी कमाने वाले लोगो से ही भरी हुई थी
नीचे एक रूम खाली था उसमे ही राज राजू राजेस् रहते थे अशोक उपर वाले मंजिल मे लास्ट एक रूम खाली हुआ था उसी को ले लिया था कियुंकी अशोक अकेला रहना चाहता था राजू सब ने कहा लेकिन अशोक मे किसी की नही सुनी
हरीलाल अमीर था मतलब अच्छा खासा पैसे वाला था तो आगे एक और बिल्डिंग थी उस मे रूम बहोत अच्छा खासा था किचन बाथरूम सब था तो रेंट भी जयदा था लेकिन हरीलाल के लिये नॉर्मल था उसी बिल्डिंग के एक रूम मे हरीलाल रहता है अभी बीवी के साथ
सुलेखा के आये 3 दिन हुवे थे घर पे बहु है तो टेंसन नही जब हरीलाल आता है सुलेखा साथ मे कुछ दिन महीने के लिये आ जाती है फिर जब जाना होता है हरीलाल टिकट निकाल ट्रेन मे बैठा देता है सुलेखा अकेले चली जाती है आते जाते सुलेखा के लिये अब कोई दिकत की बात नही थी
अशोक रूम का ताला खोल अंदर जाता है एक चटाई पतली कंबल एक चादर खाना अशोक बनाना जनता था तो अशोक ने (Diesel Stove) ले रखा था कुछ बर्तन थे अकेले के लिये काफी था पैसे हरीलाल ने दिये थे
अशोक बिस्तर पे लेत जाता है थका हुआ था थोरा आराम करता है अधेरा हो चुका था अशोक उठ कर चावल चढ़ा देता है फिर आलू प्याज काटने लगता है लेकिन चेहरे पे दर्द कुछ बुरी यादे फिर आखो के सामने आने लगते है
अशोक के आखो से आसु निकल आते हो अशोक आसु साफ करता हो सब्ज़ी फिर काटने लगता है चावल होने के बाद अशोक सब्ज़ी बनाने लगता है
तभी राजेस् कमरे मे आते हुवे अशोक को देख - यार तू खाना बहोत मस्त बनाता है बाहर तक खुशबु आ रही है
अशोक मुस्कुराते हुवे - साले बोल ना सब्ज़ी लेने आया है
राजेस् बिस्तर पे बैठ मुस्कुराते हुवे - क्या करू यार तू जो बनाता है खाके मजा आ जाता है और साला हम बनाते है तो कभी नमक कम जयदा तो कभी मसाला
अशोक हस्ते हुवे राजेस् को देख - धीरे धीरे सब सिख जायेगा
राजेस् - जनता हु तब तक तेरे सहारे है हम सब
अशोक मुस्कुराते हुवे - अच्छा ठीक है बन जायेगी तो लेके जाना
थोरी देर बाद सब्ज़ी बना जाती है राजेस् को अशोक एक कटोरी मे सब्ज़ी लेते हुवे - थोरा ही बनाया है इतना ही लेके जा
राजेस् - इतना ही बहोत है चिकन कम बनायेगा
असल मे अशोक मास मछली सब से जयदा मस्त स्वादिस् बनाता है
अशोक - तेरा बाप देगा इतना पैसा जो मे रोज रोज चिकन बनाउ
राजेस् हस्ते हुवे खरा होके जाते हुवे - नही है मेरा बाप नही तू हि लायेगा बनायेगा तो दे देना
राजेस् चला जाता है अशोक मुस्कुराते हुवे - कमीना
अशोक अकेला बैठ खाना खाता है घर की अपनो की याद बहोत आ रही थी बोले तो रोज आती है लेकिन अशोक सेह रहा था
खाना खाने के बाद अशोक बिस्तर साफ अच्छे से बिछा के लेत जाता है कुछ मिनट हुवे थे की कमरे मे सुलेखा आती है
अशोक सुलेखा को देखते हुवे - आइये पधारिये मेरे छोटे आशियाने मे

सुलेखा मुस्कुराते हुवे अशोक के पास ही बिस्तर पे मस्त लेत जाती है पेट के बल चिकनी कमर ब्लाउस में कैद दबे चुचे काले बिकनी का पट्टा मस्त बरे गांड की उभार साला कोई भी देखेगा तो उपर चढ़ना चाहेगा लंड खरा हो जायेगा लेकिन अशोक पहले के जैसा होता तो सायद अशोक की नजर वही होती यहा देखने की चीज है जो दिख रही है पर हालत और अशोक बदल गया था
अशोक सुलेखा की तरफ देत देखते हुवे - गाव की एक गिनी चुनी मे से आप ही है जो सेहर के मजे भी ले रही है
सुलेखा अशोक को देखते हुवे - हा तेरी बात सही है ये तो तेरे अंकल की मेहनत है जिसकी वजह से हमारी लाइफ थोरी अच्छी हो पाई है
अशोक - हु आपका कहना भी सही है
सुलेखा - ये बता आज क्या बनाया है
अशोक - चावल आलू सोयाबीन
सुलेखा - किया बात है बचा है क्या
अशोक - माफ करना राजेस् आया था सब्ज़ी लेके गया अब सब साफ है
सुलेखा - अरे यार सोचा था बचा होगा कोई ना कल बचा के रखना जो भी बनायेगा तुझे पता है ना यहा खाने ही आती हु
अशोक मुस्कुराते हुवे - हा बच्चा के रखुंगा
सुलेखा खरी होके - अच्छा अब मे चलती हु आराम से सोजा सुबह काम पे पे भी जाना है
अशोक - हा ठीक है
सुलेखा जाने लगती है अशोक देखता है सुलेखा की बारी गांड चलने से मस्त हिल रही थी लेकिन अशोक खरा होता ही फिर दरवाजा बंद कर बिस्तर पे लेत सोने लगता है
सुलेखा अपने रूम मे आती है हरीलाल बिस्तर पे लेता है हरीलाल सुलेखा को देख - आ गई मिल के आज क्या बनाया था अशोक ने
सुलेखा सारी हटाते हुवे - आलू सोयाबीन
हरीलाल - अच्छा है एक बात तो है अशोक खाना मस्त बनाता है
सुलेखा ब्लाउस खोलते हुवे - हा कियुंकी सुजाता जब कभी बीमार परती थी तो अशोक ही खाना बनाता था बहने तो शादी कर चली गई

सुजाता अशोक की मा बहोत खुबसूरत गोरा बदन बॉडी परफेक्ट कोई कमी नही गाव मे सुजाता के ऊपर नजरे कई की ठिकी रहती हैं सिर्फ एक बार देखने के लिये
हरीलाल - घर पे था तो पढाई छोर घूमता रहता था कोई कई बार बिरजू मे कहा मुझे अशोक को कोई काम लगा दु लेकिन अशोक आने से मना कर देता था लेकिन एकदम से एक दिन आया और बोला साथ लेके चलने के लिये
बिरजू अशोक के पिता अच्छे है हरीलाल के साथ कई साल काम क्या अब कुछ साल से घर पे रह खेती करने मे लग गया है
सुलेखा उपर से नंगी नीचे सिर्फ पेटीकोट बरे चुचे लटके थे थोरा सा निपल काले थे
सुलेखा नाइटी निकालते हुवे - सायद तंग आके फैसला लिया होगा
हरीलाल - हो सकता है लेकिन अशोक को समझना होगा पढाई नही तो काम तो करना होगा ना
सुलेखा नाइटी लिये हरीलाल को देख - समझ जायेगा देखा नही इस कुछ दिनों मे कितना बदल गया है बाते करने का तरीका भी
हरीलाल - हु ये बात तो तुमने सही कही
सुलेखा पेटीकोट भी निकाल नंगी हो जाती है बुर पे काले बाल थे सुलेखा फिर नाइटी पहने लगती है तो हरीलाल मुस्कुराते हुवे - यार मत पेहनो आज मन है करते है ना
सुलेखा मुस्कुराते हुवे हरीलाल के पास आके - अच्छा जी
हरीलाल नीचे से नँगा होके मुस्कुराते हुवे - हा जी
सुलेखा भी मुस्कुराते हुवे हरीलाल के ऊपर आके लंड बुर पे रख बैठ गांड उपर नीचे कर लंड लेने लगती है दोनों बिया बीवी के बीच 5 मिनट चुदाई चलती है
सुलेखा नाइटी पहन - आपके लंड मे वो दम नही रहा
हरीलाल मुस्कुराते हुवे - जानेमन उमर हो गई है नही तो ऐसे ही तुम चार बच्चो की मा नही बन गई
सुलेखा हरीलाल के पास लेत मुस्कुराते हुवे - हा ये तो है दम तो था अब कम हो गया लेकिन समझ सकती हु चलिये सोते है
फिर दोनों सो जाते है
आज के लिये इतना ही


एक हैंडसम लरका जी जान लगा के काम करने मे लगा हुआ था पसीने से भीगा था तेज सासे ले रहा था साफ था बहोत थका हुआ था लेकिन काम जोर शोर से करने मे लगा था लेकिन चेहरे पे दर्द था पचतावा था गिल्टी थी
लरका एक बरी कपनी मे काम कर रहा था वर्कर के रूप मे नया था काम बहोत भारी था लोहे की पाइप को गारी पे लोड करना लरके ने कभी भी इतनी मेहनत नही की थी लेकिन आज उसे करना पर रहा था सायद इसी लिये बहोत थका पसीने से भीगा था

एक अंकल लरके के पास आके - अशोक चल लंच का समय हो गया है
हा दोस्तो लरके का नाम अशोक है 19 साल का गाव से सेहर पहली बार आया है कमाने बॉडी अच्छी है हैंडसम भी है
अशोक अंकल को देख - जी अंकल आता हु
दोस्तो अंकल अशोक के पिता के दोस्त है जिनका नाम है हरीलाल 42
का है जवानी से सेहर आके इसी कपनि मे काम करता आ रहा है और हरीलाल सुपरवाइज़र है अच्छा सेलरी है बंद है मेहनत कर अच्छा घर गाव मे बना लिया है और हा अपनी बीवी बच्चो को लेके आता भी है घुमाने फिलहाल हरीलाल की वाइफ आई हुई है

हरीलाल की वाइफ - सुलेखा बहोत खुबसूरत है गोरी चिकनी बॉडी चुचे बरे है कमर उफ बरी गांड जब चलती है तो मस्त हिलती है
दिल की साफ अच्छी है परोसन है जैसे हरीलाल अशोक के पिता का दोस्त है वैसे सुलेखा अशोक की मा की अच्छी दोस्त है
अशोक नल के पास जाके हाथ मुह धोके अपने लोगो के पास आता है
असल मे अशोक के भी 3 लरके थे जिसे हरीलाल लेके आया था जो अशोक के उमर के ही है
हरीलाल गाव मे एक अमीर अच्छा इंसान है सब लोग जानते है हरीलाल कहा कैसा काम करता है तो कुछ मा बाप अपने बेटे को हरीलाल से केह काम लगवाने को कहा तो हरीलाल भी मान गया कियुंकी जान पहचान के लोग थे
अशोक तीनों के पास आके बैठ जाता है अपना टिफिन लेके बाकी वर्कर भी अपने अपने लोगो के साथ बैठे हुवे खाना खाने मे लगे हुवे थे
तीन दोस्त - राजू,राज,राजेस् ये तीनो तीन महीने से काम कर रहे है
अशोक टिफिन खोलने लगता है राजू अशोक को देख - यार अशोक अब काम तुझे भारी तो नही लग रहा
अशोक - नही यार पहले के कुछ दिन बहोत भारी लगा फट गई थी लेकिन अब धीरे धीरे आदत पर रही है
राज - हम भी जब आये थे कसम से यार गांड फट गई थी जैसे तैसे काम कर रूम पे गया उफ पूरा बदन दर्द से टूट रहा था जिन
राजेस् हस्ते हुवे - मेरा भी लेकिन अब आदत हो गई है तुझे भी जल्दी आदत पर जायेगी
अशोक सभी को देख - हा
फिर सभी बाते करते खाना खाने लगते है अशोक सब के सामने नॉर्मल हस्ते मस्ती मजाक मे बाते करता था लेकिन अंदर दर्द लिये था अशोक नही चाहता था किसी को पता चले वो दुखी है फिर लोग सवाल पूछेगे जोकि अशोक बता नही सकता था
खाना होने के बाद सभी एक जगह लेत आराम करने लगते है अशोक लेता आखे बंद किये सर पे हाथ रखे ख्यालों मे खोया था और दर्द फिर चेहरे पे आने लगते है ,( चला जा यहा से मुझे तेरी सकल भी नही देखनी है तू कमीना गिरा हुवा नीच है मर जा जाके कही )
एकदम से अशोक उठ जाता है ये कवरे शब्द उस इंसान के मुह से बोले गये थे जो अशोक का पीछा नही छोर रही थी जो अशोक को दर्द दिये जा रही थी रात की नींद चैन छीन रही थी
टाइम भी हो गया था सब वर्कर फिर काम पे लग जाते है साम 5 बजे छुट्टी होती है अशोक तीनो दोस्त हाथ पैर मुह धोके नये कपड़े पहन कम्पनी से बाहर आते है पास मे ही सभी का रूम था
सेहर मे थे साम का वक़्त का लोगो की गारियो कीभीर थी अशोक सभी चलते हुवे रूम की तरफ निकल जाते है
राजू चारों तरफ देख - यहा हर तरफ बरे होटल सोरूम शॉप पता नही क्या क्या है कितने लोग है सांति तो अपने गाव में ही है
राजेस् - सेहर ऐसे ही होते है बरी बरी बिल्डिंग घर गारी लोगो की भीर चहल पहल यहा हर टाइम होती है साम को जयदा हो जाती है
राज - यार सुरु मे मुझे गाव की बहोत याद आती थी दिल करता था भाग जाऊ अपने गाव अपने घर
राजेस् राजू - सेम भाई
अशोक चुप था लेकिन सब की बाते सुन रहा था
अशोक मन मे - मे जाना भी चाहू तो जा नही सकता
बाते घूमते सब अपने रूम पे आ जाते है मंजिला मिल्डिंग की लाइन से रूम बने थे नीचे दस उपर दस सभी मे दूर से आये रोजी रोटी कमाने वाले लोगो से ही भरी हुई थी
नीचे एक रूम खाली था उसमे ही राज राजू राजेस् रहते थे अशोक उपर वाले मंजिल मे लास्ट एक रूम खाली हुआ था उसी को ले लिया था कियुंकी अशोक अकेला रहना चाहता था राजू सब ने कहा लेकिन अशोक मे किसी की नही सुनी
हरीलाल अमीर था मतलब अच्छा खासा पैसे वाला था तो आगे एक और बिल्डिंग थी उस मे रूम बहोत अच्छा खासा था किचन बाथरूम सब था तो रेंट भी जयदा था लेकिन हरीलाल के लिये नॉर्मल था उसी बिल्डिंग के एक रूम मे हरीलाल रहता है अभी बीवी के साथ
सुलेखा के आये 3 दिन हुवे थे घर पे बहु है तो टेंसन नही जब हरीलाल आता है सुलेखा साथ मे कुछ दिन महीने के लिये आ जाती है फिर जब जाना होता है हरीलाल टिकट निकाल ट्रेन मे बैठा देता है सुलेखा अकेले चली जाती है आते जाते सुलेखा के लिये अब कोई दिकत की बात नही थी
अशोक रूम का ताला खोल अंदर जाता है एक चटाई पतली कंबल एक चादर खाना अशोक बनाना जनता था तो अशोक ने (Diesel Stove) ले रखा था कुछ बर्तन थे अकेले के लिये काफी था पैसे हरीलाल ने दिये थे
अशोक बिस्तर पे लेत जाता है थका हुआ था थोरा आराम करता है अधेरा हो चुका था अशोक उठ कर चावल चढ़ा देता है फिर आलू प्याज काटने लगता है लेकिन चेहरे पे दर्द कुछ बुरी यादे फिर आखो के सामने आने लगते है
अशोक के आखो से आसु निकल आते हो अशोक आसु साफ करता हो सब्ज़ी फिर काटने लगता है चावल होने के बाद अशोक सब्ज़ी बनाने लगता है
तभी राजेस् कमरे मे आते हुवे अशोक को देख - यार तू खाना बहोत मस्त बनाता है बाहर तक खुशबु आ रही है
अशोक मुस्कुराते हुवे - साले बोल ना सब्ज़ी लेने आया है
राजेस् बिस्तर पे बैठ मुस्कुराते हुवे - क्या करू यार तू जो बनाता है खाके मजा आ जाता है और साला हम बनाते है तो कभी नमक कम जयदा तो कभी मसाला
अशोक हस्ते हुवे राजेस् को देख - धीरे धीरे सब सिख जायेगा
राजेस् - जनता हु तब तक तेरे सहारे है हम सब
अशोक मुस्कुराते हुवे - अच्छा ठीक है बन जायेगी तो लेके जाना
थोरी देर बाद सब्ज़ी बना जाती है राजेस् को अशोक एक कटोरी मे सब्ज़ी लेते हुवे - थोरा ही बनाया है इतना ही लेके जा
राजेस् - इतना ही बहोत है चिकन कम बनायेगा
असल मे अशोक मास मछली सब से जयदा मस्त स्वादिस् बनाता है
अशोक - तेरा बाप देगा इतना पैसा जो मे रोज रोज चिकन बनाउ
राजेस् हस्ते हुवे खरा होके जाते हुवे - नही है मेरा बाप नही तू हि लायेगा बनायेगा तो दे देना
राजेस् चला जाता है अशोक मुस्कुराते हुवे - कमीना
अशोक अकेला बैठ खाना खाता है घर की अपनो की याद बहोत आ रही थी बोले तो रोज आती है लेकिन अशोक सेह रहा था
खाना खाने के बाद अशोक बिस्तर साफ अच्छे से बिछा के लेत जाता है कुछ मिनट हुवे थे की कमरे मे सुलेखा आती है
अशोक सुलेखा को देखते हुवे - आइये पधारिये मेरे छोटे आशियाने मे

सुलेखा मुस्कुराते हुवे अशोक के पास ही बिस्तर पे मस्त लेत जाती है पेट के बल चिकनी कमर ब्लाउस में कैद दबे चुचे काले बिकनी का पट्टा मस्त बरे गांड की उभार साला कोई भी देखेगा तो उपर चढ़ना चाहेगा लंड खरा हो जायेगा लेकिन अशोक पहले के जैसा होता तो सायद अशोक की नजर वही होती यहा देखने की चीज है जो दिख रही है पर हालत और अशोक बदल गया था
अशोक सुलेखा की तरफ देत देखते हुवे - गाव की एक गिनी चुनी मे से आप ही है जो सेहर के मजे भी ले रही है
सुलेखा अशोक को देखते हुवे - हा तेरी बात सही है ये तो तेरे अंकल की मेहनत है जिसकी वजह से हमारी लाइफ थोरी अच्छी हो पाई है
अशोक - हु आपका कहना भी सही है
सुलेखा - ये बता आज क्या बनाया है
अशोक - चावल आलू सोयाबीन
सुलेखा - किया बात है बचा है क्या
अशोक - माफ करना राजेस् आया था सब्ज़ी लेके गया अब सब साफ है
सुलेखा - अरे यार सोचा था बचा होगा कोई ना कल बचा के रखना जो भी बनायेगा तुझे पता है ना यहा खाने ही आती हु
अशोक मुस्कुराते हुवे - हा बच्चा के रखुंगा
सुलेखा खरी होके - अच्छा अब मे चलती हु आराम से सोजा सुबह काम पे पे भी जाना है
अशोक - हा ठीक है
सुलेखा जाने लगती है अशोक देखता है सुलेखा की बारी गांड चलने से मस्त हिल रही थी लेकिन अशोक खरा होता ही फिर दरवाजा बंद कर बिस्तर पे लेत सोने लगता है
सुलेखा अपने रूम मे आती है हरीलाल बिस्तर पे लेता है हरीलाल सुलेखा को देख - आ गई मिल के आज क्या बनाया था अशोक ने
सुलेखा सारी हटाते हुवे - आलू सोयाबीन
हरीलाल - अच्छा है एक बात तो है अशोक खाना मस्त बनाता है
सुलेखा ब्लाउस खोलते हुवे - हा कियुंकी सुजाता जब कभी बीमार परती थी तो अशोक ही खाना बनाता था बहने तो शादी कर चली गई

सुजाता अशोक की मा बहोत खुबसूरत गोरा बदन बॉडी परफेक्ट कोई कमी नही गाव मे सुजाता के ऊपर नजरे कई की ठिकी रहती हैं सिर्फ एक बार देखने के लिये
हरीलाल - घर पे था तो पढाई छोर घूमता रहता था कोई कई बार बिरजू मे कहा मुझे अशोक को कोई काम लगा दु लेकिन अशोक आने से मना कर देता था लेकिन एकदम से एक दिन आया और बोला साथ लेके चलने के लिये
बिरजू अशोक के पिता अच्छे है हरीलाल के साथ कई साल काम क्या अब कुछ साल से घर पे रह खेती करने मे लग गया है
सुलेखा उपर से नंगी नीचे सिर्फ पेटीकोट बरे चुचे लटके थे थोरा सा निपल काले थे
सुलेखा नाइटी निकालते हुवे - सायद तंग आके फैसला लिया होगा
हरीलाल - हो सकता है लेकिन अशोक को समझना होगा पढाई नही तो काम तो करना होगा ना
सुलेखा नाइटी लिये हरीलाल को देख - समझ जायेगा देखा नही इस कुछ दिनों मे कितना बदल गया है बाते करने का तरीका भी
हरीलाल - हु ये बात तो तुमने सही कही
सुलेखा पेटीकोट भी निकाल नंगी हो जाती है बुर पे काले बाल थे सुलेखा फिर नाइटी पहने लगती है तो हरीलाल मुस्कुराते हुवे - यार मत पेहनो आज मन है करते है ना
सुलेखा मुस्कुराते हुवे हरीलाल के पास आके - अच्छा जी
हरीलाल नीचे से नँगा होके मुस्कुराते हुवे - हा जी
सुलेखा भी मुस्कुराते हुवे हरीलाल के ऊपर आके लंड बुर पे रख बैठ गांड उपर नीचे कर लंड लेने लगती है दोनों बिया बीवी के बीच 5 मिनट चुदाई चलती है
सुलेखा नाइटी पहन - आपके लंड मे वो दम नही रहा
हरीलाल मुस्कुराते हुवे - जानेमन उमर हो गई है नही तो ऐसे ही तुम चार बच्चो की मा नही बन गई
सुलेखा हरीलाल के पास लेत मुस्कुराते हुवे - हा ये तो है दम तो था अब कम हो गया लेकिन समझ सकती हु चलिये सोते है
फिर दोनों सो जाते है
आज के लिये इतना ही