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ऐसा अक़्सर कहा जाता है कि अपने जीवन का पहला प्यार कभी नहीं भुलाया जाता और हर दिन यह विचार दिमाग में आता है कि इस वक़्त वह कहां होगी, कैसी होगी और क्या कर रही होगी....वगैरह वगैरह....??
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आज सुबह सुबह विकास का मोबाइल फोन बज उठा ऐसे तो उसके फोन की घंटी दस बजे के बाद ही बजनी शुरू होती थी पर आज इतनी सुबह अपना फोन बजता देख वो चौंका....जब उसने देखा तो वो एक अंजान नंबर था...
उसने फोन उठाया ये सोचते हुए कि सुबह सुबह कौन हो सकता है जिसने उसे याद किया इस मतलबी जमाने में......
सामने से एक मीठी आवाज आई :- क्या मैं विकास जी से बात कर सकती हूं...?
आवाज थोड़ी जानी पहचानी लगी तो विकास ने कहा :- हां बोलिए, हम विकास ही बोल रहे है, लेकिन आप कौन हैं हमने आपको पहचाना नहीं....
महिला ने कहा :- अरे हम बोल रहे है अंजली
विकास :- कौन अंजली पहचाने नही.....
महिला :- हम अंजली रोल नंबर 12 हम एक ही क्लास में पढ़ते थे कुछ याद आया....
रोल नंबर 12 रोल नंबर 12 उम्मम्मम अरे ये तो अंजली है....
विकास को एकाएक याद आया....अंजली
वही अंजली जिसको विकास अपने स्कूल के समय दिलोजान से चाहता था और उसने कितने ही मर्तबा उसे अपने प्यार का इजहार किया पर अंजलि ने उसे बिलकुल भी तवज्जो नहीं दी.....
विकास के मन में बिजली सी कौंधी और उसके पुराने आशिक वाले जीवाणु फिर से एक्टिव हो गए और विकास बाबू तुरंत मोबाइल फोन लेकर घर के बाहर गली में निकल गए.....
उसके दिल की धड़कन बढ़ गई थी और तो और पेट में मडोड़े उठने लगे और वो लग गया इस उधेड़बुन में की क्या करे कैसे बात करे......आज तो किस्मत बड़ी मेहरबान है मुझपर....
उधर से अंजली फिर बोली :- पहचाने मुझे विकास हम अंजली....पता नही हम कितना साल से तुमको देखे ही नही और मेरे पास तुम्हारा नंबर भी नहीं था वो तो कल शाम को सुप्रिया से मुलाकात हुई तो उससे तुम्हारे बारे में पता चला....और उसी ने तुम्हारा नंबर भी दिया....
कैसे हो तुम कभी तो अपने पुराने दोस्तों की खोज खबर ले लिया करो....
तभी अंजली ने विकास को एक और झटका दिया वो बोली हमको तुमसे मिलना है एक ही शहर में रह कर भी इतने दिन से नही मिले तो बताओ कब समय है तुम्हारे पास...??
इधर विकास बेटा आशिकी के समुंदर में गोते लगाए जा रहा था और ये सोच रहा था की साला आज सुबह किसका मुँह देखकर उठा था जो इतनी पुरानी मोहब्बत सामने से खुद फोन कर रही है और मिलने के लिए भी बुला रही है.....वाह प्रभु तेरी लीला अपरम्पार है....
विकास ने अचकचाते हुए तुरंत जवाब दिया :- सन्डे को फ्री हूं....आओ मिलते हैं...
तो अंजली बोली बताओ कहा मिलना है हम आ जायेंगे....
विकास बेटा थोड़ा ज्यादा ही दूर का सोच कर एक मस्त महंगे होटल का नाम बोल दिए और टाइम रखा शाम के पांच बजे....
इसके बाद फोन कट गया....हालांकि सन्डे आने में अभी दो दिन थे पर विकास बाबू का बेचैनी था की कमने का नाम नही ले रहा था....
अपनी पुरानी प्रेमिका जो उस वक्त केवल क्रश बन कर रह गई थी शायद अब कुछ बात बन जाए या फिर प्रेमिका ही बन जाए इसी उत्साह में विकास बाबू लग गए तैयारी में और अपनी डेटिंग पेंटिंग चालू कर दी....
उसी दिन शाम को ऑफिस से लौटते वक्त एक मॉल से ब्रांडेड शर्ट लिया और एक जोड़ी नए जूते और एक नया परफ्यूम और एक रेबिन का चश्मा.....
सन्डे मॉर्निंग में सैलून में गए और महंगा वाला फेशियल करवाया सो करवाया ही साथ में अपने बाल भी डाई करवा लिए....कुल मिला कर वो अपनी उमर के मुकाबले दस साल छोटा दिख रहा था....और अपने आप को शीशे में देख कर फूले नहीं समा रहा था....
आखिरकार वो अपनी "उससे" मिलने जा रहा था....इसलिए वो बिलकुल हीरो की तरह उसके सामने जाना चाहता था....
पर कहते है ना की हड़बड़ का काम गड़बड़.....विकास के इस उतावलेपन को देह कर उसकी पत्नी उससे बोली क्या बात है जी बहुत जोर शोर से तैयारी चल रहा है.....बहुत सज संवर रहे हो कही जाना है क्या....
पत्नी के अचानक ऐसे पूछने पे उसके पेट में फिर मडोड़े उठने लगे की कही उसकी चोरी पकड़ी ना जाए क्या बोलूं क्या बोली तभी धड़ाक से वो बोला सन्डे को एक मीटिंग में जाना है और सब कुछ बढ़िया रहा तो प्रमोशन के चांसेज है....
पत्नी बेचारी अपने पति के कारस्तानी को समझ न पाई और अपने भोलेपन में वह मान गई और लगे हाथ भगवान से प्रार्थना भी करने लगी की उसके पति को तरक्की के नए मुकाम पे पहुंचाए....
विकास शाम चार बजे से ही तैयार होने में लग गया और ठीक साढ़े चार बजे एक ओला टैक्सी दरवाजे पर खड़ी थी पत्नी और बच्चों ने उसको बेस्ट ऑफ़ लक बोला और विकास बाबू चल पड़े
तक़रीबन पंद्रह मिनट में विकास होटल के सामने गाड़ी से उतरा और जैसे ही वो मेन गेट से अंदर घुसा सामने के टेबल पे अंजली गुलाब के फूलो के गुलदस्ते के साथ उसका इंतजार करती दिखी....
इतने सालो बाद भी उसने अंजली को एक ही बार में पहचान लिया....खैर विकाश एकदम घबराहट के साथ उसके सामने पहुंचा तो अंजली ने बड़े ही गर्मजोशी के साथ उससे हाथ मिलाया और हाय हेलो के बाद दोनो अपनी अपनी जगह पे विराजमान हो गए....
फिर सिलसिला शुरू हुआ बातो का और उसी दौरान महंगे खाने का भी ऑर्डर दे दिया गया.....
बातो ही बातो में दोनो ने खाना खतम किया और जब बिल आया तो जैसा बड़ा होटल वैसा ही बड़ा बिल....पर विकास बाबू ने आशिकी झाड़ने के चक्कर में बड़े ही शान से अपने डेबिट कार्ड से खाने का बिल विथ टिप चुका दिया.....
और अब बारी थी चलने की तभी अंजली ने धीरे से उसका हाथ पकड़कर बड़े प्यार से कहा हमको तुमसे एक बहुत जरूरी काम है और हमको यकीन है की तुम हमको मना नहीं करोगे....
विकास ये बाते सुन कर तो हवा में ही उड़ने लगा क्युकी अंजली ने उसका हाथ पकड़ रखा था और जैसा मुंह बना कर वो विकास को बोल रही थी अब तो वो जान भी मांग ले तो कोई गम नही....
विकास बोला अरे बाबू तुम्हारे लिए तो मेरी जान भी हाजिर है तुम बोलो तो क्या चाहिए....
तुरंत अंजली ने अपना पर्स खोला और उसमे से सादे रंग का एक बड़ा सा पैकेट निकालकर उसे देते हुए कहा देखो विकास इसमें दो दो हज़ार के अस्सी नोट हैं जिसे मैंने बड़ी हिफाजत से बिना अपने पति के जानकारी के जमा किए हैं....प्लीज तुम इनको पाँच पाँच सौ के नोटों में बदल दो क्युकी हम जानते है तुम सरकारी बैंक में क्लर्क हो....
उस दिन जब सुप्रिया मिली थी तो तुम्हारे बारे मे पता चला और अभी कुछ दिन पहले ही ये दो हज़ार के नोट बंद होने की खबर आई तो हम बहुत परेशान हो गए थे हमको बिलकुल समझ नही आ रहा था की क्या करे पर तुम्हारे बारे में जानने के बाद हम एकदम निश्चिंत हो गए थे और पुरानी दोस्त होने के नाते तुम मना नही करोगे हमको है ना....
अंजली ने ये बात अपने बालों में अपनी उंगलियों को घुमाते हुए विकास को बोली....
अब बेचारे विकास के पास कोई रास्ता नहीं बचा था......उसको हर दिन दो हज़ार के दस नोट बदलकर किश्तों में अंजली को देना होगा..... ये सोचकर ही विकास का माथा फिर गया उसके सर में बहुत तेज दर्द होने लगा और अभी वो कुछ बोल पाता अंजली उसे एडवांस में थैंक्यू बोल कर मुस्कुराते हुए वहा से चलती बनी....
विकास उसके जाते ही बोला....
जो रे तोरा....
अभी वो इतना बोला ही था की वेटर ने उसे थैंक्यू बोला टिप के लिए और विकास बेहद खराब मूड लिए होटल से बाहर निकल कर बस स्टैंड की तरफ चल पड़ा और वहा पहुंच कर वो बस का इंतजार करने लगा....की तभी वहा सामने एक पान दुकान पे गाना बज रहा था....
गोलमाल है भाई सब गोलमाल है
(समाप्त)
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आज सुबह सुबह विकास का मोबाइल फोन बज उठा ऐसे तो उसके फोन की घंटी दस बजे के बाद ही बजनी शुरू होती थी पर आज इतनी सुबह अपना फोन बजता देख वो चौंका....जब उसने देखा तो वो एक अंजान नंबर था...
उसने फोन उठाया ये सोचते हुए कि सुबह सुबह कौन हो सकता है जिसने उसे याद किया इस मतलबी जमाने में......
सामने से एक मीठी आवाज आई :- क्या मैं विकास जी से बात कर सकती हूं...?
आवाज थोड़ी जानी पहचानी लगी तो विकास ने कहा :- हां बोलिए, हम विकास ही बोल रहे है, लेकिन आप कौन हैं हमने आपको पहचाना नहीं....
महिला ने कहा :- अरे हम बोल रहे है अंजली
विकास :- कौन अंजली पहचाने नही.....
महिला :- हम अंजली रोल नंबर 12 हम एक ही क्लास में पढ़ते थे कुछ याद आया....
रोल नंबर 12 रोल नंबर 12 उम्मम्मम अरे ये तो अंजली है....
विकास को एकाएक याद आया....अंजली
वही अंजली जिसको विकास अपने स्कूल के समय दिलोजान से चाहता था और उसने कितने ही मर्तबा उसे अपने प्यार का इजहार किया पर अंजलि ने उसे बिलकुल भी तवज्जो नहीं दी.....
विकास के मन में बिजली सी कौंधी और उसके पुराने आशिक वाले जीवाणु फिर से एक्टिव हो गए और विकास बाबू तुरंत मोबाइल फोन लेकर घर के बाहर गली में निकल गए.....
उसके दिल की धड़कन बढ़ गई थी और तो और पेट में मडोड़े उठने लगे और वो लग गया इस उधेड़बुन में की क्या करे कैसे बात करे......आज तो किस्मत बड़ी मेहरबान है मुझपर....
उधर से अंजली फिर बोली :- पहचाने मुझे विकास हम अंजली....पता नही हम कितना साल से तुमको देखे ही नही और मेरे पास तुम्हारा नंबर भी नहीं था वो तो कल शाम को सुप्रिया से मुलाकात हुई तो उससे तुम्हारे बारे में पता चला....और उसी ने तुम्हारा नंबर भी दिया....
कैसे हो तुम कभी तो अपने पुराने दोस्तों की खोज खबर ले लिया करो....
तभी अंजली ने विकास को एक और झटका दिया वो बोली हमको तुमसे मिलना है एक ही शहर में रह कर भी इतने दिन से नही मिले तो बताओ कब समय है तुम्हारे पास...??
इधर विकास बेटा आशिकी के समुंदर में गोते लगाए जा रहा था और ये सोच रहा था की साला आज सुबह किसका मुँह देखकर उठा था जो इतनी पुरानी मोहब्बत सामने से खुद फोन कर रही है और मिलने के लिए भी बुला रही है.....वाह प्रभु तेरी लीला अपरम्पार है....
विकास ने अचकचाते हुए तुरंत जवाब दिया :- सन्डे को फ्री हूं....आओ मिलते हैं...
तो अंजली बोली बताओ कहा मिलना है हम आ जायेंगे....
विकास बेटा थोड़ा ज्यादा ही दूर का सोच कर एक मस्त महंगे होटल का नाम बोल दिए और टाइम रखा शाम के पांच बजे....
इसके बाद फोन कट गया....हालांकि सन्डे आने में अभी दो दिन थे पर विकास बाबू का बेचैनी था की कमने का नाम नही ले रहा था....
अपनी पुरानी प्रेमिका जो उस वक्त केवल क्रश बन कर रह गई थी शायद अब कुछ बात बन जाए या फिर प्रेमिका ही बन जाए इसी उत्साह में विकास बाबू लग गए तैयारी में और अपनी डेटिंग पेंटिंग चालू कर दी....
उसी दिन शाम को ऑफिस से लौटते वक्त एक मॉल से ब्रांडेड शर्ट लिया और एक जोड़ी नए जूते और एक नया परफ्यूम और एक रेबिन का चश्मा.....
सन्डे मॉर्निंग में सैलून में गए और महंगा वाला फेशियल करवाया सो करवाया ही साथ में अपने बाल भी डाई करवा लिए....कुल मिला कर वो अपनी उमर के मुकाबले दस साल छोटा दिख रहा था....और अपने आप को शीशे में देख कर फूले नहीं समा रहा था....
आखिरकार वो अपनी "उससे" मिलने जा रहा था....इसलिए वो बिलकुल हीरो की तरह उसके सामने जाना चाहता था....
पर कहते है ना की हड़बड़ का काम गड़बड़.....विकास के इस उतावलेपन को देह कर उसकी पत्नी उससे बोली क्या बात है जी बहुत जोर शोर से तैयारी चल रहा है.....बहुत सज संवर रहे हो कही जाना है क्या....
पत्नी के अचानक ऐसे पूछने पे उसके पेट में फिर मडोड़े उठने लगे की कही उसकी चोरी पकड़ी ना जाए क्या बोलूं क्या बोली तभी धड़ाक से वो बोला सन्डे को एक मीटिंग में जाना है और सब कुछ बढ़िया रहा तो प्रमोशन के चांसेज है....
पत्नी बेचारी अपने पति के कारस्तानी को समझ न पाई और अपने भोलेपन में वह मान गई और लगे हाथ भगवान से प्रार्थना भी करने लगी की उसके पति को तरक्की के नए मुकाम पे पहुंचाए....
विकास शाम चार बजे से ही तैयार होने में लग गया और ठीक साढ़े चार बजे एक ओला टैक्सी दरवाजे पर खड़ी थी पत्नी और बच्चों ने उसको बेस्ट ऑफ़ लक बोला और विकास बाबू चल पड़े
तक़रीबन पंद्रह मिनट में विकास होटल के सामने गाड़ी से उतरा और जैसे ही वो मेन गेट से अंदर घुसा सामने के टेबल पे अंजली गुलाब के फूलो के गुलदस्ते के साथ उसका इंतजार करती दिखी....
इतने सालो बाद भी उसने अंजली को एक ही बार में पहचान लिया....खैर विकाश एकदम घबराहट के साथ उसके सामने पहुंचा तो अंजली ने बड़े ही गर्मजोशी के साथ उससे हाथ मिलाया और हाय हेलो के बाद दोनो अपनी अपनी जगह पे विराजमान हो गए....
फिर सिलसिला शुरू हुआ बातो का और उसी दौरान महंगे खाने का भी ऑर्डर दे दिया गया.....
बातो ही बातो में दोनो ने खाना खतम किया और जब बिल आया तो जैसा बड़ा होटल वैसा ही बड़ा बिल....पर विकास बाबू ने आशिकी झाड़ने के चक्कर में बड़े ही शान से अपने डेबिट कार्ड से खाने का बिल विथ टिप चुका दिया.....
और अब बारी थी चलने की तभी अंजली ने धीरे से उसका हाथ पकड़कर बड़े प्यार से कहा हमको तुमसे एक बहुत जरूरी काम है और हमको यकीन है की तुम हमको मना नहीं करोगे....
विकास ये बाते सुन कर तो हवा में ही उड़ने लगा क्युकी अंजली ने उसका हाथ पकड़ रखा था और जैसा मुंह बना कर वो विकास को बोल रही थी अब तो वो जान भी मांग ले तो कोई गम नही....
विकास बोला अरे बाबू तुम्हारे लिए तो मेरी जान भी हाजिर है तुम बोलो तो क्या चाहिए....
तुरंत अंजली ने अपना पर्स खोला और उसमे से सादे रंग का एक बड़ा सा पैकेट निकालकर उसे देते हुए कहा देखो विकास इसमें दो दो हज़ार के अस्सी नोट हैं जिसे मैंने बड़ी हिफाजत से बिना अपने पति के जानकारी के जमा किए हैं....प्लीज तुम इनको पाँच पाँच सौ के नोटों में बदल दो क्युकी हम जानते है तुम सरकारी बैंक में क्लर्क हो....
उस दिन जब सुप्रिया मिली थी तो तुम्हारे बारे मे पता चला और अभी कुछ दिन पहले ही ये दो हज़ार के नोट बंद होने की खबर आई तो हम बहुत परेशान हो गए थे हमको बिलकुल समझ नही आ रहा था की क्या करे पर तुम्हारे बारे में जानने के बाद हम एकदम निश्चिंत हो गए थे और पुरानी दोस्त होने के नाते तुम मना नही करोगे हमको है ना....
अंजली ने ये बात अपने बालों में अपनी उंगलियों को घुमाते हुए विकास को बोली....
अब बेचारे विकास के पास कोई रास्ता नहीं बचा था......उसको हर दिन दो हज़ार के दस नोट बदलकर किश्तों में अंजली को देना होगा..... ये सोचकर ही विकास का माथा फिर गया उसके सर में बहुत तेज दर्द होने लगा और अभी वो कुछ बोल पाता अंजली उसे एडवांस में थैंक्यू बोल कर मुस्कुराते हुए वहा से चलती बनी....
विकास उसके जाते ही बोला....
जो रे तोरा....
अभी वो इतना बोला ही था की वेटर ने उसे थैंक्यू बोला टिप के लिए और विकास बेहद खराब मूड लिए होटल से बाहर निकल कर बस स्टैंड की तरफ चल पड़ा और वहा पहुंच कर वो बस का इंतजार करने लगा....की तभी वहा सामने एक पान दुकान पे गाना बज रहा था....
गोलमाल है भाई सब गोलमाल है
(समाप्त)
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