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Adultery दोस्त की अम्मी ने जमकर चोदा

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Barkha Jaisal

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दोस्तो, मेरा नाम आयुष्मान सिंह उर्फ आयुष है.
मेरी उम्र 22 साल है और मेरी हाइट 5 फिट 8 इंच की है. मैं लखनऊ से हूँ.

ये सेक्स क्रेजी आंटी स्टोरी तब की है, जब मैं 12वीं में पढ़ता था.

मेरा एक दोस्त था, रियाज़ ... जो मेरा बेस्ट फ्रेंड था.

एक दिन कॉलेज के बाद मैं अपनी बाइक से रियाज़ को उसके घर छोड़ने गया.
वह आमतौर पर बस से आता था लेकिन उस दिन थोड़ा लेट हो गया था.

मैंने उसके घर के बाहर बाइक रोक दी.
रियाज़ बोला- चलो, अन्दर चलो!
मैंने कहा- नहीं यार, रात हो जाएगी!

उसने ज़िद की और बेल बजाई.
दरवाज़ा उसकी अम्मी ने खोला, जिनका नाम आयशा था.

वाह ... मेरी नजर सीधे आंटी के मम्मों पर जा पड़ी और दिल बाग बाग हो गया.

आंटी व्हाइट सूट में क्या माल लग रही थीं.
उनके गहरे गले के कुर्ते से उनके बड़े बड़े बूब्स आधे से ज्यादा नुमायां हो रहे थे और बाहर निकल भागने को दिख रहे थे.

रियाज़ ने कहा- अम्मी, ये मेरा कॉलेज का दोस्त आयुष है.
मैंने आंटी को हैलो कहा.

उनको देखकर मेरा लंड पहले से ही खड़ा हो गया था, आंटी भी मुझे घूर रही थीं.

आंटी बोलीं- आओ आयुष, अन्दर आ जाओ.
मैंने कहा- नहीं आंटी, किसी और दिन!

आंटी ने कहा- चल कोई नहीं, पर आना ज़रूर!
मैंने कहा- जी आंटी, जरूर!

मैं वहां से अपने घर निकल गया.
घर पहुंच कर मैं यही सोचता रहा कि आंटी को कैसे पटाऊं और उनकी चूत गांड मारूँ!

बाथरूम में जाकर मैंने आंटी के बड़े बूब्स और गांड को याद करके लंड हिलाया, पानी टपकाया और ढीला होकर ठंडी ठंडी सांसें लेने लगा.

तभी से मैं सोच रहा था कि बिना बुलाए रियाज़ के घर कैसे जाऊं.

फिर ईद आई.

ईद के दिन रियाज़ ने मुझे फोन करके अपने घर बुलाया.
मैं उसके घर पहुंचा.

वह मुझे अपने रूम में ले गया और बोला- तू यहीं रुक, अम्मी तुझे सेवईं खाने को दे रही हैं. मुझे अम्मी का काम से थोड़ा बाहर जाना है, मैं होकर अभी आता हूँ. तू कहीं जाना मत!.
मैंने कहा- ठीक है.

कुछ देर बाद रियाज़ की अम्मी आईं.

हाय ... ऐसा गदर माल मैंने पहले कभी नहीं देखा था.
उनके चुस्त लाल रंग के सूट में बड़े-बड़े बूब्स, बड़ी-बड़ी गांड ... आह मस्त लग रहे थे. मैं तो बस उन्हें देखता ही रह गया.

आंटी मुस्कुरा कर बोलीं- क्या हुआ? ऐसे क्या देख रहे हो?
मैंने कहा- आंटी, आप बहुत सुंदर हैं.
वे हंसने लगीं.

मैं उनकी चूचियों और गांड को बेखौफ घूरे जा रहा था ... मेरी नज़रें हट ही नहीं रही थीं.
उन्होंने भी नोटिस कर लिया कि मैं उन्हें देख रहा हूँ.

आंटी बोलीं- तुम सेवईं खाओ! मैं अभी आती हूँ.
मैंने कहा- ठीक है, आंटी.

रियाज़ ने एक बार बताया था कि उसके अब्बू दुबई में रहते हैं और दो साल में एक बार आते हैं.
मुझे लगा कि शायद आंटी पट जाएंगी.

मैंने आंटी के बारे में सोचते हुए अपने पैंट में हाथ डालकर अपने लंड को हिलाना शुरू किया.

मेरा लंड खड़ा हो गया था और आंटी की चूत फाड़ने के लिए तैयार था.

इतने में आंटी फिर से आईं.
मैंने फटाक से हाथ पैंट से निकाला, लेकिन मेरे खड़े लंड को आंटी ने देख लिया.

उन्होंने बहाना बनाते हुए कहा- तुमने सेवईं नहीं खाई अभी?
मैंने कहा- आंटी, इसमें दूध कम है.

आंटी बोलीं- हां, इसलिए रियाज़ को दूध लेने भेजा है.
मैंने कहा- आंटी, आपके पास भी तो दूध है, आप भी दे सकती हैं.
आंटी बोलीं- मेरे पास कहां से दूध? क्या पागलों जैसी बात करते हो!

मैंने कहा- आंटी, आपके पास तो दूध की दो बड़ी-बड़ी टंकियां हैं!

आंटी समझ गईं कि मैं उनके बूब्स की बात कर रहा हूँ.
वे शर्मा गईं और बोलीं- तुम सेवईं खाओ, मैं तुम्हारे लिए पानी लाती हूँ.


जाते-जाते आंटी ने मुझे पलटकर देखा और हंसती हुई चली गईं.
मैं समझ गया कि आंटी पट गई हैं.

मैं हिम्मत करके नीचे किचन में गया.
आंटी पीने के लिए पानी भर रही थीं.

मैंने पीछे से उन्हें पकड़ लिया और उनकी पीठ पर किस करने लगा.
उस दौरान मेरा खड़ा लंड उनकी बड़ी गांड से टच हो रहा था.

आंटी बोलीं- आयुष, ये क्या कर रहे हो? मैं तुम्हारे दोस्त की अम्मी हूँ, ये सब गलत है.
मैंने कहा- आंटी, मैं ये बात किसी से नहीं कहूँगा.

वे हंस कर बोलीं- मैं जानती हूँ तुम किसी से नहीं कहोगे!
मैं शॉक्ड हो गया.

आंटी अपने बूब्स तानती हुई बोलीं- जब तुम पहली बार आए थे और मेरे बूब्स को घूर-घूरकर देख रहे थे, तभी मैं समझ गई थी कि तुम मुझे चोदना चाहते हो, इसलिए मैं भी तुम्हें देख रही थी.

जब आंटी ने खुल कर चोदना शब्द कहा तो मैं समझ गया कि खेल हो जाएगा.
अब मैंने हंस कर उनके दूध देखे और कहा- अच्छा जी!

वे इठला कर बोलीं- और मैं क्या कर सकती हूँ? मेरे शौहर दुबई में रहते हैं. मैं बहुत दिनों से प्यासी हूँ. तुम्हें देखकर मुझे थोड़ी आस जगी कि मेरी प्यास बुझाने वाला मिल गया. तुम्हारा आज मुझ पर इस तरह फिदा होना मुझे बहुत अच्छा लगा!

यह सुनकर मुझे बड़ी हिम्मत मिली और मैंने तुरंत आगे बढ़ कर आंटी के बूब्स दबाने शुरू कर दिए.

आंटी ने अपना हाथ मेरे लंड के पास लाकर लंड को सहलाना शुरू कर दिया.

मैंने अपना पैंट खोलकर अपना लंड आंटी के हाथ में दे दिया.
आंटी मेरे लौड़े को हिलाने लगीं और बोलीं- इतना बड़ा तो मेरे शौहर का भी नहीं है, इस लौड़े से चुदने में तो मुझे बहुत मज़ा आएगा.

इतने में दरवाज़े की घंटी बज उठी.
आंटी लंड छोड़ती हुई बोलीं- रियाज़ आ गया, तुम ऊपर कमरे में चले जाओ.

मैं अपने आपको ठीक करते हुए ऊपर चला गया.
मैंने जल्दी-जल्दी सिवइयां खा लीं.

रियाज़ बोला- आयुष सेवईं खा लीं कैसी लगीं?
मैंने कहा- बहुत मजा आ गया यार ... सच में जी कर रहा था कि आंटी के हाथ चूम लूँ. कमाल की सिवइयां बनाई हैं.

वह बोला- और खाना है?
मैंने कहा- नहीं दो बार ले चुका हूँ.

उसने कहा- नहीं लेना, तो चल तुझे घर छोड़ देता हूँ, तुझे देर हो रही होगी!

हम दोनों जाने को रेडी हुए कि तभी आंटी आ गईं.
वे शर्म के मारे मुझसे नज़रें नहीं मिला पा रही थीं.

वे बोलीं- जा रहे हो आयुष? फिर आना!
मैंने कहा- जी आंटी.

रियाज़ और मैं उनके घर से निकल गए.

ईद के दिन मैं रियाज़ के घर से लौटा, तो मेरे मन में आयशा आंटी के बड़े-बड़े बूब्स की यादें ताज़ा थीं, जिन्हें मैंने अपने हाथों से दबाया था, उनकी गांड पर मैंने अपना लंड रगड़ा था.

ये सब सोच-सोचकर मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा था, उस रात मैंने ये सब सोचकर चार बार मुठ मारी.

अब मैं सोच रहा था कि आयशा आंटी तो पट ही गई हैं, किसी बहाने रियाज़ के घर जाऊं और आयशा आंटी को घोड़ी बनाकर उन्हें हचक कर चोदूं!

सुबह मैं करीब आठ बजे जागा.
अचानक एक अनजान नंबर से कॉल आई.

मैंने कहा- हैलो, कौन?
दूसरी तरफ से आवाज़ आई- मैं रियाज़ की अम्मी आयशा बोल रही हूं.

मैं शॉक्ड हो गया कि आंटी ने मुझे कॉल क्यों किया!
मैंने कहा- जी आंटी, कोई काम था मुझसे?

वे बोलीं- आज तुम कॉलेज मत जाना, रियाज़ से बोल देना कि मेरी तबीयत ठीक नहीं है.
मैं समझ गया कि आंटी क्या चाहती हैं.
मैंने कहा- ठीक है, आंटी!

वे बोलीं- कल जो तुमने किया, उससे मैं रात भर सो नहीं पाई, तुम्हारे मोटे लंड के बारे में सोच-सोचकर पागल हो गई हूं, जब रियाज़ कॉलेज चला जाएगा, मैं तुम्हें कॉल करूंगी. तुम मेरे घर आ जाना.

मैंने पूछा- पर आंटी, आपको मेरा नंबर कहां से मिला?
वे बोलीं- मैंने रियाज़ के फोन से लिया है.

मैंने कहा- ठीक है आंटी, मैं आ जाऊंगा!
फिर आंटी ने फोन रख दिया.

मैं बाथरूम में घुस गया जल्दी से फ्रेश हुआ और लौड़े को झांटों से मुक्ति दिलाई.
आज लंड से मेहनत जो लेनी थी, तो उसे बढ़िया से धोया और चमकाया, लौड़े पर खुशबू लगाई और बाहर आ गया.

करीब साढ़े आठ बजे रियाज़ का कॉल आया. उसने पूछा- तू कॉलेज के लिए निकल चुका है?
मैंने कहा- सॉरी यार, आज नहीं आ पाऊंगा. मुझे दादाजी को हॉस्पिटल ले जाना है. पापा ने बोला है.

रियाज़ बोला- ठीक है, मैं जा रहा हूं कॉलेज!
मैंने कहा- हां, ठीक है.

करीब नौ बजे आयशा आंटी का कॉल आया.

वे बोलीं- आयुष, रियाज़ कॉलेज चला गया. तुम अब घर आ सकते हो.

मैंने कहा- आता हूं, आंटी. झांटें साफ कर ली हैं?
वे हंस कर बोलीं- चुत एकदम चमचमा रही है.

मैंने कहा- आता हूँ उस चमचमाती हुई चुत का भोसड़ा बनाने के लिए!
वे हंसने लगीं.

मैं करीब दस बजे रियाज़ के घर पहुंचा और दरवाजे की बेल बजाई.
आंटी ने दरवाजा खोला और बोलीं- जल्दी अन्दर आ जाओ.
मैं तेजी से अन्दर चला गया.

आंटी ने ब्लू कलर का सूट पहना था जो इतना टाइट था कि उनके बड़े-बड़े बूब्स साफ दिख रहे थे.
उनकी गांड भी ऐसी लग रही थी, जैसे उन्होंने ये सब मुझे दिखाने के लिए ही पहना हो.

वे बोलीं- बैठो, मैं पानी लाती हूं.
मैं सोफे पर बैठ गया.

आंटी ने पानी लाकर मुझे दिया और मुस्कुराती हुई अपने कमरे में चली गईं.

कमरे के दरवाजे के पास से पलट कर उन्होंने मुझे अर्थ भरी नजरों से देखा और वापस मुस्कुराती हुई अन्दर चली गईं.

मैं समझ गया कि आंटी चुत फड़फड़ा रही है और उनका पूरा मन चुदवाने का है इसी लिए वे मुझे अपने रूम में बुला रही हैं!
मैं भी उनके कमरे में चला गया.

वहां देखा कि आंटी बेड सैट कर रही थीं.
मैंने उन्हें पीछे से पकड़ लिया.

आयशा आंटी बोलीं- आयुष, ये क्या कर रहे हो? प्लीज छोड़ दो!
मैंने कहा- आंटी, आज तो आपको किसी हाल में नहीं छोड़ सकता.

मैं उनके मम्मों को अपने हाथों से दबाने लगा.
मेरा लंड पूरा खड़ा हो गया था और आंटी की गांड से टच हो रहा था.

आंटी ऊपरी मन से बस बोलती रहीं- आयुष, ये सब गलत है.

लेकिन मैंने उनके होंठ चूसने शुरू कर दिए.
वे भी मेरे होंठ चूसने लगीं.

मैं उनकी गर्दन पर किस करने लगा.

आंटी पूरी गर्म हो चुकी थीं.
कल की तरह उनका हाथ फिर मेरे लंड को पैंट के ऊपर से पकड़ने लगा.

मैंने अपना पैंट खोलकर लंड निकाला और उनके हाथ में दे दिया.
वे उसे हिलाने लगीं.
मैं उन्हें किस करने लगा.

फिर मैंने कहा- आंटी, अपने कपड़े खोलिए!

आंटी ने अपना सलवार सूट उतार दिया.
अब वे सिर्फ ब्रा और पैंटी में थीं.

उनके बूब्स इतने बड़े थे कि एक हाथ में भी एक पूरा नहीं आ रहा था.

फिर मैंने उनकी ब्रा और पैंटी भी उतार दी.
आंटी पूरी नंगी थीं और वे किसी पॉर्नस्टार से कम नहीं लग रही थीं.

आंटी अभी भी मेरे लंड को हिला रही थीं.
मैं उनके बूब्स को कस कस कर मसल रहा था.

आंटी की कामुक आवाजें मुझे और ज्यादा उत्तेजित कर रही थीं.

दोस्तो, यहां तक आपने आयशा आंटी की प्यासी चुत की आग से तप्त सेक्स क्रेजी आंटी स्टोरी का आनन्द लिया.

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वे बोल रही थीं- आह आह ओह ... आयुष मेरी जान ... आह और जोर से दबाओ!

मैं करीब बीस मिनट तक उनके बूब्स मसलता रहा.
उनके दोनों बूब्स लाल हो गए थे.

फिर मैंने आंटी को बेड पर लिटा दिया और उनकी चूत में उंगली करने लगा.
आंटी की मादक आवाजें निकलने लगीं- ओह येस ... ओह माय गॉड ... आयुष, आह ... बहुत मज़ा आ रहा है ... मेरी जान!

मैंने और तेजी से उनकी चूत में उंगली करना शुरू किया.
आंटी और जोर-जोर से चिल्लाने लगीं- आयुष ओह गॉड ... बहुत मज़ा आ रहा है ... आह ई उह आई!
करीब दस मिनट बाद उनकी चूत से पानी निकल गया.

आंटी बोलीं- आयुष, अब और मत तड़पाओ यार ... मैं बहुत प्यासी हूँ, अपने लंड से मेरी प्यास बुझा दो!

मैंने अपना आठ इंच का खड़ा लंड हाथ से मुठिया कर उनकी गीली चूत में डालने के लिए तैयार किया.
आंटी को चित लिटाया और लौड़े को चुत पर रगड़ने लगा.

आंटी अपनी चुदास से परेशान होकर अपनी गांड उठा कर लंड अन्दर लेने की कोशिश कर रही थीं.

तभी मैंने एक जोर के धक्के में अपना पूरा लंड अन्दर ठेल दिया.

एकदम से लंड अन्दर घुसा तो आंटी जोर-जोर से चिल्लाने लगीं- आह अम्मी ... मर गई आह आयुष ... तुमने तो साले मेरी फाड़ ही दी.

मैंने कहा- क्या हुआ आंटी रुक जाऊं क्या?
वे बोलीं- आह नहीं रे तुमने तो एक ही शॉट में मुझे जन्नत की सैर करा दी मेरी जान! बस अब पेलना चालू करो!

मैंने यह सुनते ही और तेजी से धक्के मारने शुरू कर दिए.

आंटी की मदभरी चीखों से पूरा कमरा गूँज रहा था ‘आह ओह यस अम्मी ... आयुष तुम बहुत अच्छे चोदू हो ... आयुष मेरे लंड के राजा ... आह मुझे ऐसे ही हचक कर चोदो आह मुझे अपनी रंडी बना कर चोदो आह मस्त लंड है तेरा!’

मैंने कहा- तो अब आपको मेरी रंडी बनना है ... तो लो!
यह कह कर मैंने उनकी चुत को रेल बना दी.

वे एकदम के शॉट लगने से चिल्ला उठीं- आह साले माँ चोद दी तूने तो आह मैं तो सच में तेरी रंडी बन गई हूँ आह बजा दे मेरी चुत का बाजा ... मुझे और जोर से चोद दे आह आह रगड़ साले!

मैंने कहा- साली माँ की लौड़ी कुतिया ... तुझसे बड़ी रंडी मैंने आज तक नहीं देखी ... आज तो तुझे ऐसा चोदूँगा कि तू मेरा नाम जपेगी!

वे अपनी दोनों टांगें उठा कर चुत का भोसड़ा बनवाने के लिए मरी जा रही थीं.

कुछ देर बाद मैंने आयशा आंटी को घोड़ी बनाया.
उनके खुले बालों को एक हाथ से समेट कर पकड़ा और अपना लंड उनकी लपलपाती चूत में डाल दिया.

आयशा आंटी की चुत में ठंडक पड़ गई थी तो वे अब धीरे-धीरे मस्ती से बोल रही थीं.

‘आह आयुष, तुम बहुत अच्छे मर्द हो ... आह ... साले प्यार से चोद न ... मेरी चूत फट जाएगी ... थोड़ा धीरे धीरे डालो ना ... आयुष!’

मैंने कहा- पहले बोल साली रांड ... मैं तेरा कौन लगता हूँ, जो मेरे लंड से इतने प्यार से चुद रही है?
वे हंस कर बोलीं- तुम मेरे हसबैंड लगते हो!

मैंने लंड की ठोल देते हुए कहा- अच्छा जी, तो अपने नए शौहर का लंड अपने मुँह में नहीं लोगी?
उन्होंने कहा- आह ... मैंने आज तक मुँह में नहीं लिया है!

मैंने कहा- पर तुम्हें मेरा लंड तो मुँह में लेना ही पड़ेगा!
वे बोलीं- ठीक है, ले लूँगी ... अभी तो चोदो!
मैंने कहा- ओके, अब तुमको आसन बदल कर पेलूँगा.

फिर मैंने आंटी को खड़ा किया, उनकी एक टांग उठाई और अपना लंड उनकी चूत में पेलना शुरू किया.
लंड के करारे झटकों से आंटी के बड़े-बड़े बूब्स खूब उछल रहे थे.

वे दीवार से अपनी गांड टिका कर खड़ी थीं और लंड की चोटों से बार बार चीख रही थीं ‘आह आयुष ... सच में यार इस आसन में तो बहुत मज़ा आ रहा है मेरी जान! तू तो बड़ा चुदक्कड़ लंड है!’
मैंने कहा- साली, तू भी तो बहुत बड़ी वाली चुदक्कड़ रंडी है!

वे हंसने लगीं और कहने लगीं- क्या करूं यार ... मुझे लंड मिलता ही नहीं है तो बस तुम्हारे लौड़े से चुदने में मजा आ गया, इसलिए खुल कर कह रही हूँ!

कुछ देर यूं ही चोदने के बाद मैंने उन्हें बेड पर लिटा दिया और उनकी चूत में अपना मोटा लंड डालना शुरू किया.
लंड की चोटें पड़ना शुरू हुईं और वे फिर से चिल्लाने लगीं- आह उह ... ओह यस यस आयुष ... आह बहुत मज़ा आ रहा है और जोर जोर से पेलो.

मैंने और जोर से धक्के देने शुरू किए.

करीब बीस मिनट बाद मैं आंटी की चूत में झड़ गया.
मैंने अपना सारा माल उनकी चूत में निकाल दिया.

फिर मैंने कुछ देर आराम किया और आंटी से एक और राउंड के लिए कहा.
वे बोलीं- आयुष, मैं अभी और नहीं चुद सकती. इतनी देर तो आज तक मेरे हसबैंड ने भी नहीं चोदा ... और तुम एक और राउंड की बात कर रहे हो! प्लीज ... किसी और दिन करेंगे!

मैंने आंटी की एक न सुनी और उन्हें फिर से गर्म करके घोड़ी बना दिया.
मैंने कहा- साली रांड ... अब मैं तेरी गांड मारूँगा!
वे बोलीं- नहीं आयुष, उधर नहीं ... बहुत दर्द होगा!

मैंने उनकी एक न सुनी और उनकी गांड पर अपना लंड सैट कर दिया.
वे घबरा रही थीं और कह रही थीं कि मैंने अभी तक सिर्फ एक बार ही गांड में लिया था और वह भी नकली लंड लिया था.

यह सुनते ही मैं समझ गया कि आंटी का पिछवाड़ा भी मस्त होगा.
मैंने गांड के छेद पर लंड टिका कर धक्के मारने लगा.

आंटी की गांड इतनी ज्यादा टाइट थी कि लंड अन्दर जा ही नहीं रहा था.

वे बोलीं- साले सूखा लंड नहीं जाएगा ... गांड में से चिकनाई नहीं निकलती है ... यह चुत नहीं है ... गांड है, इसमें अलग से तेल लगा कर चोदना पड़ता है!
मैं किचन से तेल ले आया और आंटी की गांड और अपने लंड पर तेल लगा दिया.

आंटी बोलीं- आयुष प्लीज धीरे-धीरे डालना!
मैंने धीरे-धीरे लंड अन्दर डाला.

आयशा आंटी की चीखें निकल गईं ‘आह अम्मी मर गई ... साले तूने फाड़ दी मेरी!’
आंटी की गांड आज तक किसी के लंड से नहीं चुदी थी.

मैंने उनकी गांड में जोर-जोर से धक्के देना शुरू किए.

वे और जोर से चिल्लाने लगीं- आयुष, बस कर ... अब और नहीं मेरी जान ... मैं मर जाऊंगी ... आह उह मत करो रुक जाओ मादरचोद आह आयुष मेरी गांड फट जाएगी ... आह आयुष मेरे राजा आह!

आंटी के बड़े-बड़े बूब्स जोर-जोर से हिल रहे थे.

करीब बीस मिनट तक मैंने आंटी की गांड चोदी.

उसके बाद वे बोलीं- अब और नहीं आयुष ... मैं और नहीं चुद सकती! किसी और दिन करेंगे!
मैंने कहा- ठीक है मेरी जान!

फिर मैंने अपना लंड निकाला और उनके बड़े-बड़े मम्मों पर मुठ मारकर अपना सारा माल निकाल दिया.

हॉट सेक्स विद आंटी में झड़ने के बाद मैंने आंटी को किस करना शुरू किया.

वे बोलीं- आयुष, आज तुमने मेरी प्यास बुझा दी. आज तक मैं इतनी संतुष्ट नहीं हुई, तुम बहुत अच्छे हो!
मैं मुस्कुरा दिया.

उसने पूछा- क्या टाइम हो रहा है?
मैंने फोन में देखा तो तीन बज रहे थे.

वे बोली- तीन बज गए, रियाज़ के आने का टाइम हो गया है ... तुम जाओ! मैं नहाने जा रही हूँ. रियाज़ आता ही होगा. उसने तुम्हें यहां देख लिया तो हमारी पोल खुल जाएगी.

मैंने अपने कपड़े पहने.
आंटी मुझे दरवाजे तक छोड़ने आईं.

मैंने उन्हें फिर से पकड़ लिया और उनके बूब्स दबाने लगा.

आयशा बोलीं- आयुष, अभी भी तुम्हारा मन नहीं भरा? जाओ ... दूसरे दिन कर लेना!
मैंने कहा- ठीक है आंटी!

वे मुझे बाय बोलकर दरवाजा बंद करके अन्दर चली गईं.

मैं बाइक लेकर दूसरे रास्ते से चला गया क्योंकि रियाज़ बस से आता था और उसकी बस आ चुकी होगी.
इसीलिए मैं दूसरे रास्ते से अपने घर चला गया.

घर पहुंचकर मैं बहुत खुश था कि आज आयशा आंटी जैसी माल को चोदा है.

रात को 10 बजे आयशा आंटी का कॉल आया- आयुष, क्या कर रहे हो?
मैंने कहा- कुछ नहीं, सोने ही जा रहा हूँ आंटी. आप क्या कर रही हैं?

वे बोलीं- साले तुमने इतनी बेरहमी से चोदा है मुझे कि मेरा पूरा बदन दर्द कर रहा है ... ठीक से चला भी नहीं जा रहा है.

मैंने कहा- दवा खा लीजिएगा, कल मैं दवा लेकर आ जाऊंगा!
वे बोलीं- मैं जानती हूँ, तू दवा लेकर आएगा और फिर मुझे चोदेगा.
मैं हंसने लगा.

वे बोलीं- अब कुछ दिन बाद मिलेंगे, मेरा पीरियड भी एक दो दिन में ही आने वाला है.
मैंने कहा- ठीक है.

फिर उन्होंने फोन रख दिया और मैं भी सो गया.

अगले दिन कॉलेज गया तो रियाज़ से मुलाकात हुई.

वह बोला- हॉस्पिटल से कब आया था?
मैंने कहा- एक बजे आ गया था.

वह बोला- तुझसे कुछ बातें करनी है.
मैं डर गया कि कहीं इसे पता तो नहीं चल गया कि मैं हॉस्पिटल नहीं, उसके घर गया था, उसकी अम्मी से मिलने!

वह बोला- एक बजे छुट्टी कर लेना.
मैंने कहा- ठीक है.

मैंने एक बजे छुट्टी की और हम एक होटल में गए.
उधर समोसे ऑर्डर किए.

मैं तो डर गया था, मेरी फटी पड़ी थी, अगर इसे सब पता है, तो मेरी दोस्ती खत्म और आयशा जैसी माल को चोदने का मौका भी नहीं मिलेगा!

रियाज़ बोला- जो पूछता हूँ, सच-सच बताना!
मैंने कहा- हां, पूछो?

वह बोला- मैंने तुझे करीब 3:30 बजे अपने घर से निकलते देखा था.
मैंने सोचा, बस इसने निकलते हुए देखा है, इसे और कुछ पता नहीं है शायद!

मैंने कहा- ओह, मैं तुझे बताना भूल गया ... जब मैं तेरे घर पढ़ने आया था, तो अपनी बुक भूल गया था. वही लेने गया था. सोचा तू कॉलेज में होगा, तो फोन नहीं उठाएगा, इसीलिए कॉल नहीं किया.
वह बोला- अच्छा ठीक है!

मैंने कहा- तू क्या सोच रहा था?
वह बोला- कुछ नहीं!

मैंने कहा- बता ना, क्या सोच रहा था?
मुझे लगा रियाज़ कुछ छिपा रहा है.
 
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