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Adultery घर में दफन राज(इंसेस्ट; एडल्टरी ; कॉकोल्ड)

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क्या आप लोग मोनी दीदी के फ्लैशबैक जानना चाहोगे किसने पहली बार मोनी को कली से फूल बनाया


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Praveen84

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मैं चुपचाप वहां से निकाल कर के अपने कमरे में आ जाता हूं भले ही हमारी इतनी पुरानी जान पहचान तालुकात होते हैं लेकिन कहीं ना कहीं वंदना एक औरत होती है और मैं एक मर्द होता हूं।


मेरे नजरों के सामने में वंदना की पाव रोटी की तरफ फूली हुई बालों वाली बुर सामने घूम रही होती है। और पजामे के अंदर में मेरा पूरा लौड़ा खड़ा हो गया होता है। और कहीं ना कहीं मेरी नजर अब वंदना के लिए बदल चुकी होती है मैं वंदना को एक औरत की नजरों से देखने लग जाता हूं उसके लिए हवस आने लग जाती है। आधे घंटे तक सोने के बाद मैं सोच लिया होता है वंदना को लेकर के आगे बढ़ने का क्योंकि मुझे लग रहा होता है कि वह भी औरत है उसका पति हमेशा बाहर रहता है उसको भी जरूरत होगी किसी भरोसे की मर्द की ऐसे ही सोचते हुए आधे घंटे के बाद मैं अपने कमरे से बाहर निकलता हूं।

वंदना के दरवाजे के पास जब मैं जाता हूं तो जानबूझकर के आवाज देता हूं ताकि उसे मालूम नहीं चले कि मैं पहले ही आ गया था यहां। और जब वंदना मुझसे पूछती है कि कब आए तो मैं झूठ बोल दिया कि अभी तुरंत ही आया हूं।


वंदना तैयार हो चुकी होती है और पूरी तरीके से सुंदर लग रही होती है थोड़े ही देर में वंदना ने हम दोनों के लिए खाना निकाला। खाना खाते हुए मैं और वंदना बातें कर रहे होते हैं घर परिवार के इधर-उधर के बारे में जहां मेरी बातचीत होते हुए मैं वंदना से बोलता भी हूं



जैसे मानो कि मैं उसके जिंदगी की तनहाई को परखना चाहता हूं उसके अकेलेपन को जांचना चाहता हूं मैं बातों ही बातों में बोलता हूं कि तुम हमेशा घर में ही रहती हो कभी बाहर नहीं जाती हो मन कैसे लग जाता है तुम्हारा जिस पर वंदना का जवाब आता है कि बस घरेलू कामों में बच्चों में इन्हीं सब चीजों में वक्त निकल जाता है खुद के लिए अब वक्त कहां


मैं भी एक अच्छे और परिपक्व इंसान की तरह उसके शुभचिंतक की तरह उसके पारिवारिक सदस्य की तरह बोलता हूं फिर भी तुम्हें कम से कम कभी बाहर भी जाना चाहिए इससे मूड बढ़िया होता है। बच्चे काम यह तो जिंदगी भर चलता रहेगा इंसान को अपने लिए भी समय निकालना चाहिए जिस पर वंदना बोलती है बात तो ठीक है तुम्हारी लेकिन अकेले कहां जाएं

जिस बात को मैंने एक मौके की तरह झट से लपक करके बोलता हूं अरे अकेले की कहां बात है मैं भी यहां पर रहता हूं। हम लोगों ने साथ में पढ़ा है लिखा एक दूसरे के सोच से अवगत है एक दूसरे को जानते हैं।


कभी मार्केट हो जाया करो रोज कम से कम शाम के वक्त में इसी बहाने काम भी हो जाएगा रोज हरी सब्जियां भी खरीदना हो जाएगा और थोड़ा बहुत मन भी लग जाएगा


और ऐसा क्यों बोलती हो कि कोई है नहीं आदमी घर में मैं हूं ना यहां पर अब यह भी तो मेरे परिवार जैसा ही है तुम तो एकदम बेगाना ही कर रही हो मुझे



कहीं जाना हो या कोई दिक्कत हो कोई परेशानी हो मुझे तो कम से कम बोल सकती हो।


मैं वंदना की दुखती हुई नसों को पकड़ लिया था और मैं ठीक उसी तरीके से काम कर रहा था। बातचीत करते हुए बातों का सिलसिला बढ़ रहा वंदना और मैं काफी सालों से अच्छे दोस्त होते हैं तो जहां मुझे दोस्त की तरह हर तरह की पारिवारिक बातें वह मुझे। साझा करती है।।



मैं भी एकदम पारिवारिक होते हुए बोलता हूं कि मोनू के ऊपर थोड़ा ध्यान दिया करो गाड़ी दे दिया है मोटरसाइकिल अच्छी बात है लेकिन थोड़ा नया लड़का है ध्यान दिया करो बाकी मैं यहां पर रहने आया हूं रहता हूं तो अब कहीं ना कहीं वह भी मेरे बच्चे जैसा ही है तो मेरी भी कुछ जिम्मेदारी बनती है कहीं कुछ गलत लगेगा तो मैं तुमको बोलूंगा।

जिस पर वंदना मुझे बोलती है कि बोलना नहीं है सीधा दो थप्पड़ लगा देना है और एक पल भी नहीं सोचना है। मैं भी मुस्कुराते में बोलता हूं हां हां ऐसा ही होगा खैर कोई बात नहीं अच्छा लड़का है बस थोड़ी ध्यान देने की जरूरत है। दिमाग से तो काफी तेज है मैं बात किया है लेकिन थोड़ा चंचल है मन इधर-उधर भागता है आजकल देखता हूं मिलता ही नहीं है रात में ही कभी-कभी मिलता है।


शायद आजकल वह काफी पढ़ाई को लेकर के सीरियस हो गया है वैसे तुम भी तो अकेले ही रहती हो भी दिन भर मैं भी यहां ऑफिस से आने के बाद अकेले ही रहता हूं मन नहीं लगता है वही सोच रहा था कहीं जाता घूमने की लेकिन फिर अकेले कहां जाना इस अनजान शहर में


वैसे तुम भी खाली ही होती हो अकेले ही होती हो शाम को हम लोग कभी-कभी थोड़ा बाहर घूम लिया करेंगे तो सही रहेगा क्योंकि मुझे भी कोई कोई काम होता है और तुम भी इसी बहाने सब्जियां वगैरा लेना



बातें करते हुए वंदना मुझे बोल रही होती है किसके पापा यहां नहीं होते हैं तो थोड़ी दिक्कत तो होती है क्योंकि घर के आदमी के होने की एक अलग बात होती है वह होते तो मोनू के ऊपर थोड़ा बढ़िया तरीके से गाइडेंस रखते बहुत तरह की दिक्कत होती है उनके नहीं होने से



मैं भी इस बात को समझते हुए वंदना को बोलता हूं बात तो तुम्हारी सही है लेकिन कर भी क्या सकते हो कहीं ना कहीं आदमी घर परिवार से दूर रहता है अपने बच्चों के लिए ही ना अब मुझे ही देख लो



अब दूसरी जगह मेरी जॉइनिंग होती वहां पर तो और भी मुश्किल से समय निकलता लेकिन कम से कम यहां अपने लोगों के बीच में यहां आ गया हूं तो इसी बहाने तुमसे थोड़ी बातचीत हंसी मजाक चाय साथ में पीना तो एक वक्त निकल जाया करेगा तुम्हारा भी मेरा भी


बातों का दौर बढ़ रहा होता है जहां मैं यह तो समझ चुका होता हूं की वंदना पूरी तरीके से खालीपन महसूस करती है और उसे भी जरूरत है जिस चीज की मैं समझ रहा होता हूं क्योंकि अब मैं पूरी तरीके से घुमा फिरा करके उसके मन की स्थिति को जान लिया होता है।।



बातों ही बातों में वंदना मुझसे पूछती है मेरे काम के बारे में जहां मैं उससे बोलता हूं कि थोड़ी दिक्कत होती है अब बिना मोटरसाइकिल के बनेगा नहीं मैंने उसे बोला होता है कि अगर शाम को आज होगा तो चलना साथ में तो मार्केट भी कर लेना और मैं उधर से मोटरसाइकिल भी ले लूंगा अपने लिए


हालांकि वंदना ने मुझे कार के लिए बोला होता है
Tumari likhne ki kla shandar h maja aa jate h padke ....or jo Vandana ko discription diya wo to kamal ka ta .....aage jo kand hoga wo monu ke shabdon me likhna
 
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