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Adultery कामिनी की कामाग्नि

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Bholaram

Divine
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यह कहानी है कामिनी की! कामिनी की शादी को अभी एक साल भी नहीं हुआ था और उसके पति को उसके साथ संभोग में कोई दिलचस्पी नहीं रही। कारण यह नहीं था कि कामिनी में कोई कमी थी, बल्कि उसके पति को सेक्स में कोई रूचि ही नहीं थी।

कामिनी काम की अग्नि में झुलसी जा रही थी। रोज इन्टरनेट पर ब्लू-मूवीज देख कर अपनी काम-अग्नि कोई कब तक शांत कर सकता था। ऐसा ही कुछ कामिनी के साथ भी हुआ।

देखने में तो कामिनी पूरी सेक्स की देवी थी। सुंदर सुडौल वक्ष, पतली नाज़ुक कमर, उस पर भरे हुए गोल नितम्ब यानि सामने अगर कोई वाकई में मर्द हो, तो बिना चुदाई किए नहीं छोड़ेगा। कामिनी अपने मन को मारती भी तो कब तक।
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एक दिन सुबह-सुबह जब दरवाजे की घंटी बजी, तो कामिनी को भी नहीं पता था कि वो अब सेक्स के किस दरवाजे को खोलने जा रही थी। जिस को खोलने के बाद उसकी ज़िंदगी में सेक्स के सिवा और कुछ भी नहीं रहने वाला था।

सुबह के 4:30 बजे थे। दूध वाला तो 5 बजे तक आता है, इतनी जल्दी कौन आ गया? यही सोचते-सोचते कामिनी ने दरवाज़ा खोला। दरवाजे पर एक 5 फुट 10 इंच लंबा, चौड़ी मांसल छाती, पहलवानों जैसा कसरती बदन वाला एक मर्द खड़ा था।
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कामिनी की आँखें खुली की खुली रह गईं। कामिनी बिना कुछ पूछे उसे ऊपर से नीचे तक देखती रह गई। तभी सामने खड़े मर्द ने उसे अपना परिचय दिया।

उसने अपना नाम भीम बताया और कहा- वह उनके दूध वाले भोला का जीजा है और किसी कारणवश उनके दूधवाले को अपने गाँव जाना पड़ा है। और आज से वो ही उनके लिए दूध लेकर आएगा।

कामिनी का ध्यान उसकी बातों में कम पर उसके दमकते बदन पर ज़्यादा था। और होता भी क्यों नहीं, भीम ने अपने कंधे पर एक गमछा रखा हुआ था। चौड़ी छाती पूरी खुली हुई थी और केवल एक सफेद रंग की धोती पहन रखी थी। जो पारदर्शी होने के कारण बदन को ढक कम दिखा ज़्यादा रही थी।

यही नहीं कमर और जाँघ के पास के हिस्से को देख कर ऐसा लग रहा था कि शायद उसने धोती के अंदर कुछ नहीं पहना था।

कामिनी यही सब देख रही थी कि अचानक भीम ने उससे कहा- बीवी जी दूध ले लीजिये।

उसने जैसे-तैसे अपने होश बटोरे और मुड़कर अंदर दूध का बर्तन लेने चली गई। पर अंदर जाते वक्त से लेकर वापस आने तक वो केवल भीम के बदन के बारे में ही सोचती रही।

और बाहर आते ही उसने भीम से कहा- तुम दूध वाले हो या पहलवान?

यह सुन कर भीम मुस्कुरा दिया और कंधे से गमछा उतारकर बाजू में रखते हुए, जैसे शौच के लिए बैठते हैं, उस तरह से पंजों के बल पैरों को ज़्यादा खोलते हुए बैठ गया। ऐसा करने से उसकी धोती का एक तरफ का खुला हुआ भाग, बाईं जाँघ को पूरी तरह से प्रदर्शित करते हुए नीचे हो गया।

अब कामिनी के सामने उसकी बाईं जाँघ उसके आंडों तक बिल्कुल नंगी दिख रही थी। तभी कामिनी ने ध्यान दिया कि भीम उसे बोल रहा था कि वो पेशे से दूधवाला है। पर उसे पहलवानी का शौक जवानी से ही था। इसलिए उसका बदन पहलवान जैसा हो गया है।

यह बात सुन कर कामिनी का ध्यान फिर टूटा और उसने बातचीत आगे बढ़ाते हुए उससे पूछा- तुम इतनी जल्दी क्यों आए हो?

भीम बोला- मुझे मेरे साले के चले जाने से, दो लोगों का काम करना पड़ रहा है। इसलिए उसे जल्दी आना पड़ा।

यह बोलते-बोलते उसने दूध का पतीला कामिनी की ओर कर दिया। पर कामिनी का ध्यान तो कहीं और ही था। उसकी आँखें तो भीम के पैरों के बीच में घुसी हुई थीं।

वो तो यह सोच रही थी कि जो उभार सामान्य अवस्था में कसी हुई धोती के अंदर इतना बड़ा दिख रहा है, वह उत्तेजित अवस्था में बिना किसी बंधन के कितना प्रबल, प्रचंड, व्यापक, कामुक और सुंदर दिखाई देता होगा।

कामिनी का ध्यान अपने लवड़े में घुसा देख कर भीम को कामिनी की मनोदशा का अहसास हो गया।

उसने उसे भंग करते हुए कामिनी से कहा- बीबी जी, अगर आप कहें तो मैं देर से ही आऊँगा।

यह सुनकर कामिनी का ध्यान फिर टूटा और उसकी नज़रें भीम से चार हो गईं। ऐसा होते वक्त भीम ने कामिनी को एक मनमोहक स्वीकारोक्ति सी मुस्कान दी, और फिर से अपना सवाल दोहराया।

अब कामिनी का ध्यान भीम के रस भरे होंठों पर गया और उसकी चिकनी चूत ने काफ़ी सारा पानी छोड़ दिया। ऐसा होते ही कामिनी के होश ठिकाने आए। उसके दिमाग़ में भीम के सवाल और जवाब दोनों ही ने, दस्तक दी।

कामिनी ने अपनी साँस गुटकते हुए भीम से कहा- उसे कोई परेशानी नहीं है।

ऐसा बोलते-बोलते उसकी जीभ उसके होठों को गीला कर गई। और उसका ध्यान फिर से भीम के चिकनी जांघों से होते हुए उसके लवड़े पर जा कर रुक गया। कुछ पल ऐसे ही बीतने के बाद कामिनी का ध्यान फिर टूटा और उसने देखा कि भीम उसे देख, अभी भी मुस्कुरा रहा था। बिना हिले, बिना कुछ कहे, कामिनी को अपने लवड़े के पूरे दर्शन दे रहा था।

यह देख कामिनी सकपकाती हुई खड़ी हो गई। कामिनी के खड़े होने के बाद, भीम भी मुस्कुराता हुआ खड़ा हो गया।

कुछ पल के लिए वहाँ ऐसा मौन था, मानो जैसे कोई वहाँ था ही नहीं।

फिर भीम ने मुस्कुराते हुए कहा- मैं कल आता हूँ।

और वो दूध का कंटेनर लेकर लिफ्ट से नीचे चला गया। उसके जाने के बाद कामिनी दूध का पतीला ले कर किचन में चली गई और पतीला रख कर अपनी बाल्कनी में जाकर खड़ी हो गई।

कुछ ही पल में उसे भीम बिल्डिंग से बाहर अपनी साइकल की ओर जाते दिखाई दिया। पर कमाल की बात तो यह थी कि साइकल में अपना कंटेनर टाँगने के बाद भीम ने सिर उठा कर सीधा कामिनी की ओर देखा। मानो उसे पता था कि वो उसे ताक रही होगी। और फिर प्यारी सी कातिलाना मुस्कान देते हुए साइकल पर चढ़ कर गेट की तरफ चल दिया।

कामिनी के लिए यह बिल्कुल आशा से परे था। भीम के जाने के बाद तो जैसे उसके होश ही उड़ गये थे। सारा दिन वो केवल उसके बारे में ही सोचती रही। ऊपर वाला भी कामिनी पर मेहरबान ही था। ऑफिस जाने के बाद उसके पति का फोन आया कि उसे एक अर्जेंट मीटिंग के लिए लंदन जाना पड़ेगा और वो दोपहर की फ्लाइट से ही जाने वाला है। इसलिए वो घर जल्दी आएगा। उसका ज़रूरी समान पैक कर दे।

पति के जाने के बाद तो कामिनी सेक्स के लिए पागल सी हुई जा रही थी। उसका मन कर रहा था कि अभी भीम आ जाए और उसे जम कर चोदे। उसकी अतृप्त प्यास को अपने वीर्य से सराबोर कर दे। इस चाह में वो अपने सारे कपड़े उतार कर, बिल्कुल नग्न होकर अपने आप को दर्पण में देखने लगी।

उसने पाया कि सोच मात्र से उसके वक्ष इतने उभर गये थे। जब भीम उसे चोदेगा तो उसे कितना आनन्द आएगा। यही सोचते-सोचते उसकी चूत ने फिर पानी छोड़ दिया।

पानी छूटते ही कामिनी ने ध्यान दिया कि उसकी चूत के बाल काफ़ी बड़े हो गये हैं, इसलिए वो तुरंत बाथरूम में चली गई और हेयर-रिमूवर लगा कर अपने अनचाहे बालों को हटा दिया।

अब तो वो बिल्कुल चिकनी हो गई थी। उसकी चूत एक छोटी बच्ची की तरह चमकने लगी थी। इसके बाद उसने अपने बदन को और मुलायम करने की सोची और सारे बदन पर खूब सारा उबटन लगा कर उसे मखमली और कोमल कर लिया।

कुछ घंटों की देखभाल के बाद कामिनी का बदन एक खूबसूरत अप्सरा के समान दमकने लगा था। वो फिर से दर्पण के सामने नग्न आ कर खड़ी हो गई। अपने आप को देख, उसे अपनी खूबसूरती पर नाज़ हुआ और फिर वो बिस्तर पर लेट कर भीम के साथ अपने संभोग की कल्पना करने लगी।

उसके मन में अलग-अलग मुद्राओं, अलग-अलग तरह के रति काम कलाओं के विचार आने लगे। तभी उसने घड़ी के घंटों की आवाज़ सुनी और पाया कि रात के 10 बज चुके थे।

कामिनी ने अपनी अलमारी से एक पारदर्शी छोटे साइज़ की, गहरे गले की काले रंग की नाइटी निकाली और उसे पहन लिया।

नाइटी की लंबाई केवल उसकी चूत तक ही थी। उसका पीछे का भाग तो पूरा खुला हुआ था। यानि नाइटी का कपड़ा केवल उसके नितंबों के हिस्से पर ही था। नाइटी गले पर एक डोरी से बँधी थी। और डोरी के दोनों दूसरे छोर, वक्षों के लगभग बीच पर आकर सामने के भाग से जुड़े हुए थे।

कामिनी के वक्ष आधे ही ढके थे। यही नहीं गले की बीच की गहराई नाभि के दो अंगुल ऊपर ही ख़त्म हो रही नाइटी ज़्यादा ढीली नहीं थी। इसलिए लगभग बदन से चिपकी हुई थी। नाइटी कामिनी के बदन के उतार-चढ़ाव को साफ़ दिखा रही थी।

नाइटी पहनने के बाद कामिनी रसोई में गई। दोपहर का बचा हुआ खाना खाने लगी, कारण उसे कुछ बनाने का मन नहीं था और वो कोई काम करके थकना नहीं चाहती थी।

खाना खाने के बाद कामिनी टीवी देखने बैठी पर उसका मन नहीं लगा तो वो कंप्यूटर पर पोर्न देखने लगी। कल्पना से परे आज उसका मन पोर्न देखने में भी नहीं लगा तो वो बिस्तर पर आकर लेट गई।

आज कामिनी को नींद कहाँ आनी थी! कुछ देर बाद उसने अपनी नाइटी बिस्तर पर उतार फेंकी और नग्न ही बाल्कनी में आ कर खड़ी हो गई। क्योंकि सामने खुला मैदान था और इस वक्त रात के 12 बज चुके थे। उसे किसी के देखने का डर नहीं था। आज तो वो इतनी गर्म हो चुकी थी कि अगर कोई देख भी लेता तो शायद उसे कोई फ़र्क नहीं पड़ता।

कामिनी को बाल्कनी में खड़े हुए कुछ वक़्त ही हुआ था कि अचानक ज़ोरों की बरसात शुरू हो गई। कुछ देर ठंडी हवा खाने के बाद कामिनी बाथरूम में चली गई, और गरम पानी के टब में घुस गई। जब पानी ठंडा हो गया तो वो बाहर आ गई।

उसने अपने शरीर पर खूब सारा बॉडी लोशन लगा कर मालिश की। इसके बाद वो वापस बिस्तर पर आकर नग्न ही लेट गई। और भीम के ख्यालों में खो गई।

तभी अचानक कामिनी को घंटी बजने की आवाज़ आई उसने तुरंत घड़ी की ओर देखा और पाया कि रात के 3 बजे थे। वो एकदम विचलित हो गई और उसे लगा कहीं उसका पति वापस तो नहीं आ गया। यह सोचते हुए उसने अपनी नाइटी उठा कर पहन ली, और दरवाज़े की तरफ भागी दरवाज़ा खोलते ही जो उसने देखा तो उसके होश ही उड़ गए।
 

Bholaram

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सामने भीम बारिश में भीगा हुआ बिल्कुल नंगा सा खड़ा था। कामिनी ने अपनी फटी हुई आँखों से देखा कि उसने कमर पर एक सफेद रंग का काफ़ी पतला पूरा पारदर्शी कई गजह से छेद वाला, काफ़ी ऊँचा और छोटा सा गमछा बँधा हुआ था।

गमछा कमर के बाईं तरफ से बँधा था और उसकी बाईं जाँघ कमर तक लंबाई में आधी खुली हुई थी। यानी बाईं साइड पर उसके शरीर पर केवल गमछे की गाँठ मात्र थी। यही नहीं गमछा दाईं तरफ़ से भी फटा हुआ था, जिस वजह से दाईं जाँघ भी कमर से 10 अंगुल नीचे से लंबाई में आधी खुली हुई दिख रही थी।

अब क्योंकि गमछा सफेद पारदर्शी और गीला था। भीम के भीमकाय लंड का आकार भी साफ दिख रहा था। भीम का लंड और गमछे का किनारा दोनों एक ही जगह ख़त्म हो रहे थे।

इतना सब कुछ कामिनी ने केवल कुछ ही पलों में देख लिया था। लेकिन वो इस बात पर ज़्यादा अचम्भित थी कि रात के 3 बजे भीम उसके दरवाज़े पर ऐसी अवस्था में कैसे आ गया?

इससे पहले कि वो कुछ बोल पाती, भीम ने उससे कहा- आज दोपहर में उसे किसी काम से दूसरे शहर जाना था। इस वजह से वो जल्दी आ गया।

कामिनी यह सुन कर उसके लण्ड को देखने लगी।

तभी भीम बोला- बीबी जी, आप कहीं यह तो नहीं सोच रहीं कि मैं आज धोती पहन कर क्यों नहीं आया? तो मैं आपको बता दूँ कि मेरे पास दो ही धोती हैं और मेरी सूखी हुई धोती आज उड़ कर गोबर में गिर गई। अब क्योंकि आज दोनों ही धोती गीली थीं, तो मैंने गमछा ही पहन लिया। रास्ते में बारिश होने से मैं भीग गया हूँ।

भीम अपनी बातों को कहते हुए कल की तरह ही उकडूं बैठ गया। ऐसा करने से उसका गमछा गीले होने और तनाव के कारण दाईं जाँघ की फटे हुए छोर से 5 अंगुल और फट गया। अब उसकी बाईं जाँघ तो बिल्कुल नंगी थी। दाईं जाँघ भी काफ़ी हद तक नंगी हो गई थी। यह सब इतनी जल्दी हुआ कि कामिनी खड़ी की खड़ी रह गई।

तभी भीम ने कहा- बीबी जी, दूध का बर्तन ले आइए।

कामिनी उसकी बात सुन कर स्तब्ध अवस्था में रसोई की ओर चल दी। उसने यह भी नहीं सोचा कि भीम ने भी उसे उसकी सेक्सी नाइटी में पूरा नंगा देख लिया होगा। कल की तरह ही वो अंदर जाते वक्त से लेकर वापस आने तक केवल भीम के बदन के बारे में ही सोचती रही।

और फिर उसने भीम की तरह ही बैठते हुए दूध का बर्तन भीम को सौंप दिया। उसके पश्चात उसकी नज़रें भीम के लटकते मध्यम आकार वाले अमरूदों जैसे आंडों और 6 इंच लंबे 4 इंच गोलाई वाले लंड पर गईं। जो कि इस वक्त गमछे के ऊपर हो जाने की वजह से पूरे नंगे दिख रहे थे।

इस वक्त भीम उसके सामने, इतने पास पूरा का पूरा नंगा बैठा था। जिस वक्त कामिनी यह सब देख रही थी, उसे नहीं पता था कि उसकी चिकनी चूत भी भीम के सामने बिल्कुल नंगी थी।

यही नहीं उसके वक्ष भी नाइटी के लटकने से पूरे के पूरे साफ नंगे दिख रहे थे। और कल की तरह ही, आज भी भीम ने उसे अपने लंड को देखते हुए देख लिया था। वो बिना कुछ बोले उसी अवस्था में काफ़ी देर तक बैठा रहा। पर क्योंकि आज कामिनी भी उसके सामने नंगी थी, सो उसके लंड ने हरकत करना चालू कर दिया था। अब वो फूल कर बड़ा हो रहा था। ऊपर-नीचे हिल रहा था।

लंड की हरकत से कामिनी को एहसास हुआ कि वो वहाँ दूध लेने के लिए बैठी थी। उसकी नज़रें भीम से चार हो गईं। भीम ने कल की तरह ही उसे प्यार भरी मुस्कान दी। कामिनी एकदम से खड़ी हो गई। उसने भीम के हाथ से दूध का बर्तन ले लिया और मुड़ कर अंदर जाने लगी।

तभी भीम भी जल्दी से खड़ा हो गया और उसने कहा- बीबी जी, अगर आपके पास कोई दूसरा गमछा हो, तो मुझे दे दो क्योंकि मेरा गमछा पूरा गीला हो गया है।

यह सुन कर कामिनी मुड़ी और उसने देखा कि भीम का लंड हवा में तन गया है। गमछा उसके पीछे लटक रहा है।

कामिनी यह देख कर फिर कुछ पलों के लिए वहीं खड़ी रह गई, पर जैसे ही लंड ने फिर से हरकत की, उसने अपनी आँखें बंद कीं और भीम के सवाल के बारे में सोचा।

फिर उसने कहा- तुम रूको, मैं आती हूँ।

और वो अंदर रसोई में चली गई। अंदर जाने के बाद कामिनी ने सोचा कि अगर आज वो बेशर्म नहीं हुई तो उसे कभी सेक्स का सुख नहीं मिलेगा। उसने सोचा कि अब तो वो भीम के साथ सेक्स ज़रूर करके रहेगी।

यही सोचते हुए वो बाहर आ ही रही थी कि उसने कपड़े के फटने की आवाज़ सुनी। उसने देखा कि भीम वहाँ बिल्कुल नंगा, तने हुए लण्ड के साथ, हाथ में गमछा लिए खड़ा था। वो गमछे को लंड के सामने कुछ ऐसे खड़ा था कि लंड ढक कम, दिख ज़्यादा रहा था।

इससे पहले कि कामिनी कुछ बोलती, भीम खुद ही बोल पड़ा- बीबी जी, गमछा गीला होने के कारण पूरा फट गया।

कामिनी को उसकी बात पर यकीन तो नहीं हुआ पर उसे यह समझ में आ गया कि शायद भीम ने यह सब कुछ जानबूझ कर किया है।

तभी कामिनी ने बनते हुए कहा- अरे कोई बात नहीं, तुम अगर मेरी मदद कर दो तो, मैं तुम्हारे लिए गमछा निकाल देती हूँ।

यह सुन कर भीम ने कहा- क्यों नहीं बीबी जी।
“क्या मैं अंदर आ जाऊँ?”
तो कामिनी ने कहा- क्या तुम बाहर खड़े हुए ही मेरी मदद कर सकते हो?
यह कह कर उसने भीम को प्यारी सी आमंत्रण देती हुई मुस्कान दी।

भीम भी समझ गया कि शायद बीबी जी को उसकी चालाकी का आभास हो गया है। उसने दूध का बर्तन उठा कर दरवाज़े के अंदर प्रवेश किया और बाजू में रख कर उसने दरवाजा बंद कर दिया। वो अभी भी शराफ़त का नाटक करते हुए गमछे को लंड के सामने लेकर खड़ा था।

यह देख कामिनी ने भी उसे बोतल में उतारने की सोची और उसने कहा- गमछा बेडरूम के ऊपर की अलमारी में पड़ा है।

और भीम को उसके पीछे आने को कहा। बेडरूम की ओर जाते वक़्त कामिनी को अपने सेक्सी नाइटी और खूबसूरत बदन के प्रदर्शन का अहसास हुआ, और उसमें एक अलग सा आत्मविश्वास पैदा हुआ।

कमरे में पहुँचने के बाद उसने भीम से कहा- घर में कोई सीढ़ी नहीं है इसलिए तुमको मुझे अपने कंधों पर उठाना पड़ेगा। यह कहानी आप xforum.live पर पढ़ रहे हैं।

यह सुन कर भीम ने कहा- हाँ बीबी जी, क्यों नहीं!

फिर कामिनी ने भीम को घुटनों के बल बैठने को कहा। भीम अभी भी गमछा हाथ में लिए हुए था। तभी कामिनी भीम के सामने से आई और अपनी एक टांग भीम के कंधे पर रख दी।

ऐसा देख कर भीम समझ गया कि कामिनी उसकी चूत चटवाने वाली है।

भीम को देख कर कामिनी ने कहा- अब तुम इसे कस कर पकड़ लो जिससे मैं अपनी दूसरी टांग तुम्हारे के दूसरे कंधे पर रख सकूँ।

ऐसा करने के लिए भीम ने गमछे को बिस्तर पर रख दिया और कामिनी को एक हाथ से पीठ से पकड़ते हुए, दूसरी टांग को उठा कर अपने कंधों पर चढ़ा लिया।

अब कामिनी ने उसे खड़े होने को कहा। खड़े होते वक्त कामिनी ने नाइटी को ऊपर कर दिया, और भीम के सिर को नाइटी के अंदर करते हुए छोड़ दिया। अब कामिनी की चूत भीम के मुँह के बिल्कुल सामने थी।

भीम ने भी कामिनी से कहा- बीबी जी, मैं आपको ठीक से नहीं पकड़ पाया हूँ, इसलिए आप ज़रा ऐसे ही रहें तो मैं आपको कस कर पकड़ लूँ।

यह दोनों को अपनी पोजीशन ठीक करने का संदेशा था। फिर भीम ने अपने दोनों हाथ नाइटी के अंदर करते हुए कामिनी को उसकी कमर से पकड़ा और फिर एक हाथ कमर के पीछे और दूसरा पीठ पर ले जाकर कामिनी को अपने मुँह की तरफ दबाया।

ऐसा करते ही कामिनी की चूत भीम के होंठों से जा चिपकी। अपनी चूत पर भीम के मादक होंठों के स्पर्श से कामिनी ने एक गहरी साँस ली। जिसका आभास भीम को भी हुआ।

और उसने नाटक ज़ारी रखते हुए कामिनी से कहा- बीवी जी आप मुझे बताती जायें तो मैं वैसे ही मुड़ता जाऊँगा।

कामिनी ने भी ऊपर-नीचे होने का नाटक ज़ारी रखा और जी भर के अपनी चूत को उसे मुँह से रगड़ती रही। अब दोनों को मज़ा आ रहा था तो भीम ने जानबूझ का अपने होंठ खोल दिए और बार-बार सांस ना आने के नाटक के बहाने कामिनी की चूत की गीली-गीली चुम्मियाँ करने लगा।

इस नाटक का फायदा उठाते हुए कामिनी ने पूछा कि क्या नाइटी के अंदर उसे घुटन हो रही है? यदि दिक्कत हो तो वो अपनी नाइटी ऊपर कर दे।

भीम ने भी कहा- हाँ बीबी जी, आप ऊपर करने की जगह अगर थोड़ी देर उसे उतार दें तो दोनों का काम आसान हो जाएगा।

कामिनी भी तो यही चाहती थी। अगले ही क्षण कामिनी ने नाइटी उतारकर बिस्तर पर दूर फेंक दी।

अब कामिनी और भीम दोनों ही नंगे थे और भीम कामिनी की रसीली चूत खुल के चाटने लगा था। कामिनी ने नाटक कुछ और देर तक करने की सोची और वो भीम के सिर को अपनी चूत में ज़ोर से घुसाते हुए ऊपर हो गई। भीम समझ गया कि कामिनी चाहती है कि वो अपनी जीभ से उसको चोदे।

अगले ही पल भीम ने अपनी लंबी जीभ कामिनी की चूत में घुसा दी। ऐसा करते ही कामिनी का पानी छूट गया, और वो भीम पर झुक गई। भीम ने सारा पानी चाट लिया और कामिनी को जीभ से चोदना ज़ारी रखा। करीब 10 मिनट की चुदाई के बाद जब घड़ी के घंटे ने 4 बजाए तो भीम ने कामिनी को कंधों से नीचे उतारा। अब दोनों एक-दूसरे के सामने नंगे खड़े थे। अगले ही पल दोनों ने एक-दूसरे को पकड़ कर चूमना चालू कर दिया। फिर 10 मिनट बाद दोनों ही अलग हुए और मुस्कुराने लगे।

कामिनी ने भीम से पूछा- तुम्हें जाना नहीं है?

तो भीम ने कहा- वो घर से बोल के निकला था कि दो दिन बाद लौटेगा।

कामिनी यह सुन कर आश्चर्य चकित रह गई और उसने पूछा- तुम दो दिन के लिए आए हो?

भीम बोला- हाँ बीबीजी, कल जब आप अपने पति को छोड़ने नीचे आई थीं, तब मैं आपकी बिल्डिंग से शाम का दूध देकर लौट रहा था। आपको वहाँ देख कर में छुप गया और आप दोनों की बातें सुनने लगा। मैंने सुन लिया था कि आपके पति कह रहे थे कि उन्हें कम से कम दो दिन तो लगेंगे। अगर ज़्यादा समय लगेगा तो वो फोन पर बता देंगे। बस फिर क्या था, मैंने रात में ही आने की तैयारी कर ली थी। मैं तीन बजे तक कैसे रुका, यह मैं ही जानता हूँ।

कामिनी यह सुन कर खुश हो गई, और बोल पड़ी- आग दोनों तरफ ही लगी हुई है।
भीम बोला- बीबी जी, अगर मुझे ज़रा भी पता होता, तो मैं कल शाम 8 बजे ही चला आता। पर आपकी रज़ा नहीं थी, इसलिए इतना नाटक करना पड़ा।

कामिनी यह सुन कर उससे चिपक गई और बोली- राजा, अब मुझे अपनी चुदाई से तृप्त कर दो।
भीम बोला- रानी, तुम चिंता मत करो। मैं तुम्हें 2 दिन तक इतना चोदूँगा कि तुम हिलने लायक भी नहीं रहोगी।

यह सुन कर कामिनी बिस्तर पर चढ़ गई और फिर पैर खोल कर ऐसे बैठ गई, जिससे भीम आकर अपना लंड उसकी चूत में घुसा दे।
 

Bholaram

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अब इतनी देर बाद कामिनी ने भीम के पूरी तरह से तने हुए लंड को देखा जो कि अब 9 इंच लंबा और 4 इंच गोलाई का हो गया था, यह देख उसके मुँह से पानी टपक गया। यही नहीं उसने यह भी महसूस किया कि भीम भी उसी की तरह पूरा चिकना था। उसके शरीर पर भी कोई बाल ना था।

यह देख उसने भीम से पूछ लिया, “तुम इतने चिकने कैसे हो?”

भीम बोला- मुझे शरीर पर बाल पसंद नहीं हैं। इसलिए में हर 15-20 दिनों में अपनी पूरी सफाई करवाता हूँ। बगल और लंड के बाल तो में हर दूसरे दिन शेविंग करते समय साफ़ कर लेता हूँ।
इत्तफ़ाक से उसने दो दिन पहले ही अपनी सफाई करवाई थी। और आज आने से पहले बाकी बालों को भी साफ़ करके आया था।

भीम आगे बोलता गया- मुझे अपने शरीर को दिखाने का बहुत शौक है, और मैं नंगा होने का कोई भी मौका नहीं छोड़ता! घर पर, तबेले में जहाँ तक होता है, पूरा का पूरा नंगा ही रहता हूँ, या फिर छोटे-छोटे गमछे बाँधे रहता हूँ। चड्ढी तो मैंने कभी पहनी ही नहीं।

यह सुन कर कामिनी ने पूछा- तुम्हारे घर या तबेले में औरतें नहीं हैं क्या?
भीम हंस पड़ा और बोला- मेरा और भोला का परिवार गाँव में है। हम दोनों यहाँ अकेले रहतें हैं। तबेले में काम करने वाले केवल पुरुष ही हैं। इसलिए मुझे कोई चिंता नहीं है।
यह सुन कर कामिनी ने उससे पूछ लिया- तुम्हारे परिवार में कौन-कौन है?
भीम बोला- मेरी पत्नी और दो लड़के, एक 20 साल का और दूसरा 16 का!

कामिनी कुछ और पूछती, इससे पहले वो खुद ही बताने लगा- अगले महीने बेटे की शादी है और इसी काम के लिए भोला गाँव गया है। मैं खुद अपने गाँव 4-5 महीनों में जाता रहता हूँ।

यह बोलते हुए भीम बिस्तर पर चढ़ गया। उसे मालूम था कि कामिनी अब क्या पूछने वाली है। इसलिए खुद ही आगे बोलता गया- गाँव तो वो 4-5 महीने में जाता हूँ, लेकिन चुदाई जब मन आए तब करता हूँ।

कामिनी ने झट से पूछा- वो कैसे?

भीम बोला- बीबी जी, मैंने ना जाने कितनी औरतों को चोदा है। तबेले में दूध लेने आने वाली औरतों से लेकर, काम वाली बाईओं, रंडियों और बड़े-बड़े घरों की मेम साबों को अपने लंड का मज़ा दिया है। यही नहीं मैने कई चिकने लाट साहबों और छक्कों की गाँड भी मारी है। इस तरह मुझे चुदाई का काफ़ी तज़ुर्बा है। चुदाई मैंने कम उमर से ही शुरू कर दी थी। और अब जब मैं 40 का हो चुका हूँ। ना जाने कितने घाटों का पानी पी चुका हूँ।

यह कहते-कहते उसने अपने लंड का सुपाड़ा कामिनी की चूत पर टिका दिया और फिर उसके होंठों को चूसते हुए एक ज़ोर का धक्का मारा। जिससे लंड का सुपाड़ा चूत में घुस गया। सुपाड़ा अंदर घुसते ही कामिनी सकपका उठी। क्योंकि उसने आज तक इतना मोटा सुपाड़ा कभी अपनी चूत में लिया ही नहीं था।

भीम को इस बात का शायद अंदाज़ा पहले से ही था, इसलिए उसने कामिनी को चूमना चालू रखा। धीरे-धीरे कामिनी का दर्द कम हो गया। अब कामिनी को पूरी तरह से गर्म करने के लिए उसने उसकी चूचियों को मसलना शुरू कर दिया।

उसने कहा- बीबीजी, आप चिंता मत करो। मैं आपको बहुत प्यार से चोदूँगा। चोदते वक्त आपको अपनी चुदाई के बहुत से किस्से भी सुनाऊँगा। जिससे आप गर्म हो कर चुदवाती रहेंगीं।

ऐसा कहते-कहते उसने अपना आधा लंड कामिनी की चूत में घुसा दिया। लंड के अंदर घुसने से कामिनी की चूत चिर गई। पर उसे बहुत अच्छा भी लगा।

उसने भीम से कहा- तुम मुझे हर संभव मुद्रा में चोदो।
भीम बोला- बीबीजी, आप बस देखते जाओ।

और उसने एक और धक्का मारा जिससे करीब 7 इंच लंड कामिनी की चूत में समा गया। बस फिर क्या था, धीरे-धीरे उसने कामिनी को चोदने की रफ़्तार बढ़ा दी। कुछ ही समय में उसका पूरा का पूरा 9 इंच लंबा लंड कामिनी की चूत में दफ़न हो गया।

ऐसा होने से कामिनी को काफ़ी आनन्द आने लगा और वो पूर्ण समर्पण से चुदवाने लगी। तभी कामिनी ने ध्यान दिया कि घड़ी का घंटा 6 बजा रहा था और भीम उसे बिना झड़े एक घंटे से चोदे जा रहा था। इस बीच कामिनी कितनी बार झड़ चुकी थी, यह उसे खुद भी नहीं पता था।

तभी चुदते हुए कामिनी ने भीम से पूछा- तुम बिना झड़े इतनी देर से मुझे कैसे चोद रहे हो?

भीम ने मुस्कुराते हुए कहा- मेरी जान मैं एक घंटे से पहले तो कभी नहीं झड़ता, और आज आने से पहले मैंने ना झड़ने की दो गोलियाँ भी खाई थीं। तो स्वाभाविक है कि 3 घंटों से पहले तो बिल्कुल नहीं झड़ेगा।

यह सुन कर कामिनी की रूह एक बार को काँप उठी पर फिर उसके तो वारे न्यारे हो गये थे। भीम की एक घंटे की चुदाई ने ही उसे इतना थका दिया था। अभी 2 घंटे और चुदने के नाम से उसे घबराहट होने लगी।

यह भीम ने देखा तो बोला- बीबी जी, आप डरो मत, 2 घंटे कैसे बीतते हैं, यह आपको पता भी नहीं चलेगा।

और उसने कामिनी के ध्यान को भंग करने के लिए उसे चूमना शुरू कर दिया। फिर अगले 2 घंटों तक उसने बिना रुके कामिनी को हर संभव मुद्रा में जी भर के चोदा। जब वो झड़ने को हुआ तो अपना लंड बाहर निकालने लगा।

कामिनी ने उसे रोका और कहा- तुम मेरे अंदर ही झड़ जाओ।

यह सुन कर भीम ने अपना लंड ज़ोर से उसके अंदर पेल दिया और अपना ढेर सारा गर्म-गर्म वीर्य उसके बच्चे-दानी पर छोड़ दिया। वो करीब 5 मिनट तक झड़ता रहा। इस दौरान कामिनी उसे कस कर पकड़े रही, और अपने नाख़ून उसकी पीठ पर गाड़ दिए।

झड़ने के बाद भी भीम का लंड कड़ा था। तो उसने उसे बाहर नहीं निकाला और वैसे लेटे-लेटे ही कामिनी के चेहरे को चूमने लगा।

तभी घड़ी ने 9 का घंटा बजाया तो कामिनी को अहसास हुआ कि उसने अभी 4.5 घंटे की चुदाई ख़त्म की है। वो कल से सोई भी नहीं है, उसने भीम को कहा- चलो, नहा कर थोड़ा आराम कर लेते हैं।

तो भीम उसे अपने से अलग किए बिना उसी मुद्रा में गोद में उठाते हुए बाथरूम ले गया। गर्म पानी के शावर के नीचे खड़ा हो गया।

फिर वो दोनों टब में घुस गये, लेकिन भीम ने अपना लंड अभी भी बाहर नहीं निकाला।

कामिनी को ऐसा लग रहा था, मानो लंड अंदर ही फिक्स हो गया है और अब बाहर नहीं निकलेगा। करीब आधा घंटे बाद जब भीम का लंड थोड़ा नर्म हुआ तो कामिनी टब से बाहर निकल गई।

और बोली- मैं जल्दी से कुछ नाश्ता बनाती हूँ। फिर हम आराम करेंगे।
कहते-कहते वो नंगी ही रसोई में जाकर ऑमलेट बनाने लगी। उसने 15 मिनट में ही ऑमलेट ब्रेड, जूस, फ्रूट्स आदि का नाश्ता बना लिया और उसे लेकर बेडरूम में आ गई। उसने देखा कि भीम अभी भी टब में ही लेटा था। तो उसने उसे बाहर आने को कहा।

यह सुन कर भीम बोला- मैं तुम्हें टब में चोदना चाहता हूँ।

कामिनी ने कहा- क्यों नहीं! पर बाद में, अभी उसे जोरों की भूख लगी है।

भीम कामिनी का प्यार भरा चेहरा देख कर मान गया और टब से बाहर निकल आया। उसका लंड अभी भी आधा खड़ा था। ये देख कर कामिनी ने भीम के लंड को पकड़ लिया। और उसे पकड़े हुए वो दोनों बिस्तर पर आकर बैठ गये।

फिर उन्होने नाश्ता ख़त्म किया और जल्दी ही एक-दूसरे से चिपक कर सो गये। सोने से पहले कामिनी ने समय देखा तो 12 बज चुके थे।

करीब 4 बजे कामिनी ने पाया कि उसकी चूत में कुछ हलचल हो रही थी। उसने आँखें खोलीं तो देखा, भीम उसे मज़े से चोद रहा था।

आँख खुलते ही उसने पूछा- तुम कब से चोद रहे हो?

तो भीम बोला- करीब आधा घंटे से।

यह सुन कर कामिनी ने उसे ज़ोर का चुम्बन दिया और कहा- तुम मुझे जी भर के चोदो।

भीम तो पहले से ही लगा था, पर कामिनी की रज़ा मिलते ही उसने अपनी रफ़्तार बढ़ा दी और उसे कुत्तों की तरह चोदने लगा। बस फिर 3 घंटे बाद उसने ढेर सारा वीर्य फिर से कामिनी की चूत में उगल दिया। और लण्ड बिना बाहर निकाले करीब आधा घंटा लेटा रहा।

इन दोनों चुदाईयों के दौरान भीम ने कामिनी को अपने चुदाई के कई किसे सुना दिए थे। अब रात के 8 बज गये थे।

तो कामिनी ने फोन करके खाना ऑर्डर कर दिया। खाना खाने तक उन दोनों ने खूब सारी बातें कीं। फिर आराम करने के लिए लेट गये। पर भीम के मन में तो कुछ और ही था, उसने कामिनी से कहा- अब मैं तुम्हारी गाँड मारना चाहता हूँ।

कामिनी यह सुन कर फिर घबरा गई।

पर भीम ने उससे कहा- जिस तरह तुम्हें चूत चुदाने में आन्न्द आया उससे ज़्यादा गाँड मराने में आएगा।

भीम ने कामिनी को टब में गाँड मराने को कहा इसलिए कामिनी ने टब तैयार कर लिया और जब वो दोनों टब में घुसे तो रात के 12 बज चुके थे।

टब में घुसने के बाद भीम ने धीरे-धीरे कामिनी की गाँड में उंगली करना चालू कर दिया। गरम पानी होने और साबुन की चिकनाहट से गाँड में उंगली आराम से आने जाने लगी। थोड़ी देर में भीम ने 2 और फिर 3 उंगली गाँड में अंदर बाहर करना चालू कर दीं।

जब कामिनी को मज़ा आने लगा तो उसने कामिनी को टब से निकाला और कुतिया बनने को कहा। फिर खुद कुत्ते की तरह उसके ऊपर आकर उसकी गाँड में अपना लंड घुसाने लगा।

लंड का सुपाड़ा अंदर जाते ही कामिनी ज़ोर से चीख पड़ी और उसकी आँखों से पानी निकल आया। यही नहीं भीम ने इतनी ज़ोर का झटका मारा था कि गाँड भी फट गई थी और उसमें से खून निकलने लगा था।

पर भीम ने यह बात कामिनी को नहीं बताई और फिर से उसे टब में लेकर घुस गया। अब गरम पानी के सुकून से कामिनी का दर्द कुछ कम हुआ तो भीम ने धीरे-धीरे लंड और अंदर करना चालू कर दिया।

करीब एक घंटे की मेहनत के बाद भीम का पूरा लंड कामिनी की गाँड में समा गया था। ऐसा होने के बाद भीम कामिनी को उसी पोज़ में गोद के बल उठा कर बिस्तर पर ले आया।

कामिनी ने सर उठा के देखा तो रात के 2 बज चुके थे और फिर भीम कुत्तों की तरह मज़े से उसकी गाँड मारने लगा। गाँड मारते वक्त वो दो बार उसकी गाँड में ही झड़ चुका था। पर उसमें जोश इतना था कि उसने झड़ने के बावजूद भी लंड गाँड में से नहीं निकाला।

लगातार 2 घंटे बिना रुके हर मुद्रा में कामिनी की गाँड की चुदाई की। सुबह के 4 बजे दोनों थक कर एक दूसरे में समाए, सो गये।

जब नींद खुली तो दोपहर के 2 बज चुके थे। भीम अभी भी सो रहा था। कामिनी ने उठ कर स्नान किया और फिर खाना बनाने रसोई में चली गई।

एक घंटे बाद उसने भीम को उठाया और नहा कर खाना खाने के लिए कहा। 4 बजे तक दोनों ही खाना खा कर फ़ुर्सत हो गये थे।

अब कामिनी ने भीम से कहा- मुझे डर है कि कहीं मेरा पति वापस ना आ जाए इसलिए तुम को चले जाना चाहिए।

यह सुन कर भीम हँस पड़ा और बोला- मैं अभी कहीं नहीं जा रहा।

कह कर उसने कामिनी को गोद में उठाया और बिस्तर पर ला कर पटक दिया। फिर खुद उसके ऊपर चढ़ कर उसे चूमने लगा। कुछ ही पल में उसका लंड खड़ा हो गया और उसने कामिनी की जोरों से चुदाई चालू कर दी।

इस बार उसने कामिनी की चूत और गाँड दोनों ही बारी-बारी से 3 घंटे तक चोदी, दोनों ही छेदों में अपना वीर्य उगल दिया। रात के 8 बजे कामिनी ने फिर खाना ऑर्डर किया और खाना खाने के बाद करीब 10 बजे दोनों टब में घुस गये। आज भीम ने टब में घुसे हुए ही कामिनी की गाँड दो बार मारी।

फिर बिस्तर पर दोपहर 12 बजे तक 3 बार उसकी गाँड में अपना वीर्य उगला।

अभी भीम गाँड में वीर्य उगल ही रहा था कि कामिनी का फोन बज पड़ा। कामिनी ने देखा तो उसके पति का नंबर बज रहा था। कामिनी झट से भीम से अलग हुई और उसने फोन उठाया।

फोन पर बात ख़त्म होते ही कामिनी ने भीम से कहा- मेरा पति घर पहुँच रहा है इसलिए तुम्हें जल्दी से जाना होगा।

यह सुन कर भीम बिस्तर से उतर गया और उसने कामिनी से एक गमछा माँगा। कामिनी ने झट से अपनी अल्मारी से एक नया गमछा निकाल कर भीम को दे दिया।

गमछा देते वक्त दोनों ही हंस पड़े और फिर एक-दूसरे के गले से लिपट गये।

कामिनी ने कहा- अब मैं कब चुदवा पाऊँगी तुमसे?
तो भीम ने कहा- जब तुम मुझे बुलाओ, आ जाऊँगा।

यह कह कर उसने गमछा लपेटा और दूध का खाली बर्तन उठा कर लिफ्ट से जाने लगा। कामिनी ने भी फट से अपनी नाइटी पहनी और बिस्तर की चादर वॉशिंग मशीन में डाल कर बाल्कनी में आ गई। उसने नीचे देखा तो भीम गेट की तरफ़ जा ही रहा था। उसके पति की कार अंदर आ गई। अगले ही पल उसका पति कार से निकला और उसने कामिनी को बाल्कनी में खड़ा देख अपना हाथ हिलाया। उधर कामिनी ने भी हाथ हिलाया, पर वो भीम के लिए था। भीम ने बदले में एक प्यार भारी मुस्कान दी और वो चला गया।
 
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