अपडेट –4
जब से संजय पी के आने लगा है वो ज्यादा निधि पर ध्यान नहीं देता है और निधि भी घर के काम काज़ो में थक जाती थी।
इस बीच वो अपनी वासना को ध्यान नहीं देती लेकिन कोई चीज कब तक छुपी रहे सकती है।
उस दिन अपने बेटे के लंड का अहसास पाके उसके अंदर की वासना बाहर आने को तड़पाने लगी।
निधि रूम में जाते ही बिस्तर पर लेट कर अपनी साड़ी उतर के संजय को आवाज देने लगी। लेकिन संजय बिल्कुल बेहोश उसे दुनिया से कोई मतलब ही नहीं, निधि अपने पति को सीधा के उसकी पैंट खोल का उसका लन्ड बाहर निकलती है जो कि बिल्कुल मुरझाया हुआ होता है निधि अपने हाथ से काफी देर पकड़ने के बाद भी उसके लन्ड पर कोई असर नहीं पड़ता।
थक हार कर निधि अपनी चूत को पैंटी के ऊपर से ही रगड़ने लगी।
निधि ने जैसी पैंटी को किनारे करके जैसे अपनी उंगली डाली के अंदर डाला उसकी आह निकल गई वो एक दम से होश में आई।( क्योंकि निधि की चूत काफी दिन से न चुदाने के कारण टाइट हो गई थी और उसने शादी के बाद से उंगली करना भी छोड़ दिया था) यह में क्या कर रही हूं अपने बेटे के लन्ड का एहसाह पाके खुद को रोक नहीं पा रही। फिर निधि ने अपनी पैंटी और साड़ी सही की और सो गई।
लेकिन कहते है ना धनुष से तीर छुटे तो वापिस तरकश में नहीं जा सकता। निधि रात भर बेचैन रही जब तक उसने अपनी प्यास उंगली करके नहीं बुझाई।
दूसरी तरफ इन सब से अनजान कोमल जिसको दोपहर का नजारा बार - बार उसे याद आ रहा था वो चुप चाप से कमरे से बाहर निकलती है ऊपर विक्की के कमरे के बाहर कान लगा कर खड़ी हो जाती है।
इधर विक्की भी अपने कमरे को अंदर से बंद कर के नंगा हो गया और मोबाइल निकल इंसेस्ट कहानी पढ़ने और दूसरे हाथ से अपना लंड हिलाने लगा। विक्की अपनी मां का नाम लेकर मूठ मार रहा और विक्की को आज शर्मिंदगी की जगह एक खुशी सी महेसुस हो रही थी।
विक्की लंड हिलाते हुए अपनी माँ का नाम ले रहा था और जोर से चिल्ला रहा था। उसे बहुत मजा आ रहा था बहुत ही एंजॉय कर रहा था।
थोड़ी देर बाद विक्की के लंड में ढेर सारा माल छोड़ दिया।और विक्की वही ऐसा नंगा हो कर सो गया।
अपनी माँ का नाम लेकर शायद आज विक्की के लंड ने बहुत ज्यादा माल निकल दिया।
कोमल यह सब सुन के गरम हो जाती है और जाके अपने कमरे में लेती रहती है सुबह निधि के जगाने उसकी आंख खुलती है।
रोज की तरह आज भी विक्की देर से उठा और नहा धोकर रवि को कॉल करके जंगल की तरफ निकल गया सिगरेट फूंकने।
निधि नहा धोकर अपने काम में लग गई और कोमल नहा के अपने रूम में पढ़ने बैठ गई।
कोमल का हाल कल की तरह था उसका आज भी मन नहीं लगा रहा था।
कोमल किचेन में पानी पीने के लिए गई।
निधि - क्या हुआ कोमल कोई दिक्कत है
कोमल - नहीं मम्मी वो मुझे आप का फोन चाहिए था अपनी दोस्त को कॉल करने के लिए।
निधि - हा हां क्यों नहीं, निधि अपना फोन कोमल को दे देती है और अपने काम करने लगती है।
कोमल फोन लेकर चुप चाप से ऊपर छत पर निकल जाती है बात करने के लिए।
कोमल अपनी दोस्त को कॉल लगती है।(कोमल को k प्रिया को p)
दूसरी तरफ से - हाय कोमल कैसे है तू
K - हेलो प्रिया मै ठीक हु तू बता कैसी
P - मै ठीक हु तू बता और कैसे फोन किया
K - क्यों नहीं कर सकती तुझको कॉल कही की महारानी है तू
P - ओहो महारानी को बहुत बातें आ रही
K - हा तो नहीं आ सकती बातें
P - बताओ कैसे कॉल की तू जब कोई अर्जेंट काम होता है तभी कॉल करती है।
K - यार तुझे कैसे बताऊं समझ में नहीं आ रहा।तू अकेली है ना तेरे कोई आस पास तो नहीं है।
P - अरे बेफिकर होके बोल कोई दिक्कत नहीं मै अपने रूम मै वहां अकेले ही रहती है।
K - यार कल मेरे यह मेरे एक दूर से रिश्तेदार का लड़का आया हुआ था।(भाई को डायरेक्ट नहीं बोल सकते)
P - तो क्या उसने तुम्हे चोद दिया
K - छी यार कैसी बात कर रही ही तू पहले बात तो सुन फिर बीच में बोलना
P - अच्छा सॉरी अब बोल तू
K - हा तो मे किसी काम से उसको बुलाने गई तो मैने देखा कि वो अपने उससे अपनी मां का नाम लेके कुछ कर रहा था।
P - मतलब नहीं समझी तू कुछ खुल के बोला
K - बोला तो अपने उससे कुछ कर रहा था
P - उससे मतलब लन्ड हिला रहा था किसी का नाम लेके
K - हा यार मुझे तो बोलने में भी शर्म आ रही है।
P - हा जब अंदर लेगी तब नहीं आयेगी शर्म, और उसे मूठ मारना बोलते है।
K - छी यार तू कैसी बातें कर रही है।
P - छी करना छोड़ यह सब लड़के लोग करते है और रही बात मां का नाम लेने से लड़कों की फैंटेसी होती की उनका लन्ड किसको देख कर खड़ा हो रहा है। किसका नाम लेकर मूठ मारने में मजा आता है।
K - क्या सच में ऐसा होता होगा।
P - होने को बहुत कुछ होता है होली के बाद मेरे घर आना तुझको जन्नत दिखाऊं गी। तब तू समझे गी।
K - OK बाय जा रही हूं, मम्मी आवाज लगा रही है।
P - OK बाय टेक केयर ज्यादा लोड हो तो उंगली कर लेना
बेचारी कोमल भोली भाली इन सब से अनजान उसे कुछ मालूम नहीं, वही दूसरी तरफ प्रिया जो बहुत बिगड़ैल लड़की है।
ऐसे पूरा दिन निकल जाता है।वही विक्की मस्त घूम घाम के शाम के 7 बजे घर आता है।
रोज की तरह रात को कोमल अपने कान अपने भाई के रूम के बाहर, निधि नीचे अपनी चूत में उंगली करके अपने आप को ठंडा करते है।
आज होली का दिन था कुछ लोग रंग खेल रहे थे बच्चे एक दूसरे के ऊपर पिचरी से पानी फेंक रहे थे। संजय गांव के बड़े लोगो से आशीर्वाद लेके हुक्का खींच रहा था वही कोमल आश पड़ोस के साथ और निधि भी पड़ोस वाले के साथ होली खेल रही होती है।
विक्की अपने घर में अकेले नीचे कमरे मस्त लेता है और अपनी मम्मी के ख्वाब में गुम होता है।
तभी कोई होता जो दरवाज़ा पीत रह है।
विक्की- कौन है
रवि- अबे विक्की मैं हूं रवि,
विक्की- आया एक मिनट रुक,
विकी ने गेट खोला फिर दोनो ने एक दूसरे से होली मिली और एक दूसरे के रंग लगाया।
रवि- विक्की आजा चले बाहर कहां तू घर के अंदर बैठा है।
विक्की- नहीं यार मेरा मन नहीं है तू ही जा।
रवि आजा चलते गांव घूम आते है और बाग में भी हो ले गे।
फिर विक्की ने कुछ सोचा और बोला अच्छा रुक एक मिनट में मम्मी को बता दे फिर चलते हैं।
निधि को बताने के बाद विक्की और रवि दोनों लोग निकल जाते गांव घूमने,
1घंटे तक घूमने के बाद
रवि - आजा वो सामने खेत दिख रहे वहां चलते है वो जमीन अपनी है वहां झोपडी में बैठते चलके है।
विक्की - हा ठीक है धूप भी बहुत हो रही है। थोड़ी आराम करेंगे फिर घर चलते है।
हमलोग खेत पार करके झोपडी के पास पहुंचते है।लेकिन कुछ दूर पहले से कुछ आवाजे अंदर से आने लगती है।
चुप चाप से दोनों लोग अंदर झांकने की कोशिश करते है। तो देखते है अंदर कोई आदमी की औरत की गांड़ मारता है। दोनों लोग पूरे नंगे होते है।
आदमी: थोड़ा सही से झुक अंदर नहीं गया अभी पूरा,
औरत: अब इससे ज्यादा नहीं झुका जाता है। ऐसे काम चलाओ।
आदमी उसकी ऐसे ही लेने लगता है।
औरत आवाजे निकलती हुई आप को और कोई जगह नहीं मिली थी।
आदमी: नहीं जानेमन आज पूरा गांव होली मनाने में लगा है जो कोई भी हो वो मेरे घर जरूर आता है।अब मुझे कहा फुर्सत मिलती इसलिए तुझे यह बुला लिया।
औरत: कोई दिक्कत तो नहीं होगी यह पर,
आदमी: नहीं यह कोई आता नहीं है ये अपने दोस्त का ही खेत है और लेबर छुट्टी पर है। तो हमारे अभी 20 मिनट और है।
औरत: नहीं प्रधान जी 30 घंटे से मेरी ले रहे है में थक चुकी हूं। अब फिर कभी थोड़ी देर बाद वो आदमी उसी औरत की गांड़ में झड़ जाता है।
हम लोगों को बहुत आश्चर्य होता है। यह आदमी कोई और नहीं प्रधान का बेटा होता है रंजू। और वो औरत उसके यह काम करने वाले खास आदमी रमेश को बीवी सविता थी।
रंजू अपनी जेब से 5000 यह ले पकड़ और जा होली मना जाके।
सविता: क्या प्रधान जी इतने ही आप को मजा पूरा दी हु।
रंजू: ज्यादा नौटंकी मत कर कपड़े पहन और जल्दी निकल।
सविता कुछ दूर निकलने के बाद रंजू को मन ही मन गाली देती है साला कुछ काम का तो है नहीं 3 इंच का छोटा लन्ड इसकी औरत इस साले को हाथ नहीं रखने देती होगी तभी साला मेरे पिछे पड़ा रहता है।
फिर कुछ देर बाद दोनों लोग वह से चले जाते है।
यह दोनों मिलके उसकी चुप चाप से विडियो बना लेते है।
उसके थोड़ी देर बाद विक्की और रवि भी अपने घर चले जाते है।
विक्की घर पहुचा देखा तो गेट बंद था।
खट खटाने के 10 मिनट बाद निधि ने गेट खोला।
निधि को देखकर विक्की का मुंह खुले रह गया कि आज से पहले विक्की ने कभी अपनी मां को इस तरह से नहीं देखा था।
निधि बिलकुल नहा कर के बाथरूम से निकली थी और उसके लंबे लंबे बाल खुले हुए भीगे भीगे अच्छे लग रहे थे और कपड़े के नाम पर सिर्फ उसके शरीर में एक पेटीकोट पहने हुई थी। जिसके ऊपर के बूब्स और नीचे की जांघ साफ दिख रही थी।
निधि, विक्की को हिलाते हुए आवाज देती हुई अंदर आना या नही पता नहीं कहां घूम गया।
विक्की हदबदहत मैं, वो मम्मी कहीं नहीं वो बस ऐसे बस बस... करने लगा।
विक्की ने तुरन्त बात घुमाई कही मम्मी को शक ना हो।
विक्की- वो मेरी मम्मी इतनी देर से गेट खट खटा रहा हूं कहा है सब लोग।
निधि- कोमल नीचे और मैं ऊपर बाले बाथरूम में नहा रही थी। जैसे ही अंदर गई वैसे ही तू आ गया.तभी इतनी देर लगी।
विक्की- अच्छा ठीक है।
वहां से सीधा अपने कमरे में चला गया।
रूम में जाके अपने कपडे उतार के सीधे बाथरूम में नहाने चला गया। बाथरूम में एक गजब की खुशबू आ रही थी। मेरी मां के सोने से बदन की,
बाथरूम बंद करके के नल के ऊपर मम्मी के टगे हुए कपड़े देखने लगा जिसमे साड़ी, ब्लाउज और हटाने पे देखा तो उनकी ब्रा नहीं थी( शायद घर में नहीं पहनती हो) लेकिन पैंटी वही टांगी हुई थी।
मैंने बहुत सी कहानियों में पढ़ा है कि शुरूआती ब्रा और पैंटी में मुठ मारने से ही होती है।
सबसे पहले तो मैं पूरा नंगा हूं और फिर सभी कपड़े साइड में करके पैंटी को उठाकर अपनी नाक के पास ले जाके सुघने लगा जीभ से उनकी पैंटी को चटा और मूठ मरने लगा। अपने लंड में लपेट कर मुठी मारने लगा। धुली न होने के कारण उनकी पैंटी से चूत की महक आ रही थी। सोनी सोनी,
पहली बार पैंटी में मूठ मारने में मजा आ रही थी।
विक्की ने मूठ मार के पैंटी को ऐसे ही किनारे रख दिया और नहाकर अपने रूम में जाके। थके होने के कारण सो गया।
शाम 5 बजे जब विक्की की नींद खुली तब दोपहर वाला मंजर फिर याद आ गया और मन ही मन खुश होने लगा।
थोड़ी देर बाद विक्की नीचे गया। निधि जो किचन में चाय बना रही थी। कोमल ऊपर सब कपड़े उतार रही थी और संजय का कुछ आता पता नहीं था।
(निधि जब अपने कपड़े धुलने के लिए ऊपर गई तब उसने देखा कि उसकी पैंटी में कुछ चिप चिप सा लगा हुआ जो उनसे देख नजरअंदाज कर दिया।उसे लगा शायद उसका ही पानी छूट गया होगा।)
विक्की चुप से किचन में गया और मम्मी को पीछे से चिपक कर आगे गर्दन पर हाथ डाल कर उनके गालों पर किस कर दिया।
पहले तो निधि डर गयी और विक्की को पीछे धकेल दिया।
लेकिन निधि ने देखा कि पीछे विक्की है तो बोली क्या बात है बहुत प्यार आ रहा है मम्मी पे आज।
विक्की - हा मां जब प्यारी हो तो प्यार खुद बखुद आ ही जाता है।
आज से 2 दिन पहले विक्की ने सिर्फ सिगरेट मजे के लिए पी थी लेकिन अब उसे शायद लत लगने लगी है। और विक्की ने जो पैंटी के साथ किया वो निधि को ना समझ पाना,बेटे के लन्ड का एहसाह पाना,
यह निधि की चाहत थी या उसकी पहेली गलती समझ कर छोड़ना।
जल्दी मिलते है अगले
अपडेट में,