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gajab upma hai bhai!मौसम के कच्चे कुँवारे बदन को देखकर राजेश का लंड पेंट के अंदर.. सेंसेक्स और निफ्टी की तरह ऊपर उठ रहा था..
mujhe bhi aisa hi lagta hai ki sara badhiya maal ab sold out ho chuka haiपत्नी और मोबाइल दोनों किस्सों में यही होता है.. अपना वाला ले लो उसके बाद ही मार्केट में नए बढ़िया पीस आने लगते है.. जैसी मेरी किस्मत.. !!
what an update bro! love your Devnagari writingमाउंट आबू पहुंचते ही वहाँ के मदहोश वातावरण को देखकर सब रोमेन्टीक होने लगे.. वैशाली बार बार पीयूष की ओर देख रही थी.. वो सोच रही थी की एक बार अगर आधा घंटा पीयूष के साथ कहीं बाहर निकलने का मौका मिले तो मज़ा आ जाए.. जी भर कर पीयूष के साथ मजे करूंगी अगर ऐसा हुआ तो.. उस दिन रेत के ढेर में पीयूष ने जिस तरह उसके जिस्म को रौंदा था.. आह.. याद करते ही मज़ा आ गया.. वातावरण और विचारों के संगम से वैशाली की चुत में झटके लगने लगे थे.. दूसरी तरफ मौसम के कडक स्तनों को देखकर ठंडी आहें भर रही थी वैशाली.. अभी तक किसी मर्द का हाथ नहीं लगा है.. इसलिए मस्त टाइट है.. एक बार किसी का हाथ लगते ही आकार बिगड़ जाएगा.. वैशाली अपने खुद का भूतकाल याद करने लगी..
शुरुआत के समय में जब संजय के साथ सब ठीक चल रहा था तब संजय को उसके स्तन कितने पसंद थे!! जितनी बार वो दोनों अकेले पड़ते थे तब सब से पहले संजय उसके स्तन चूसता था.. कभी कभी किचन में वो काम कर रही हो.. सास ससुर बाहर बैठे हो.. तब भी संजय चुपके से आकर.. उसका टॉप ऊपर करके उसके बबले चूसकर भाग जाता.. वैशाली लाख मना करती पर वो मानता ही नहीं था.. वैशाली सोचती की उसका पति उसे कितना प्यार करता था.. !!! जब कोई अपने पीछे पागल हो तो कितना अच्छा लगता है.. !! वैसा ही वैशाली को महसूस होता था.. तकलीफ तो तब होती थी जब घर पर मेहमान आए हुए हो.. पूरा घर भरा हुआ हो तब संजय को अपनी चुची चुसवा पाना बेहद कठिन हो जाता था.. पर संजय इतना जिद्दी था की उसके बॉल चूसे बगैर हटता ही नहीं था..एक बार तो ज्यादा मेहमान होने की वजह से संजय-वैशाली के बेडरूम में भी ४ लोग सोये हुए थे.. तब भी संजय चादर के नीचे घुसकर वैशाली की निप्पलों को चूसने के बाद ही सोता था.. अपने दांत निप्पल में ऐसे गाड़ देता की दूसरे दिन वैशाली को दर्द होता रहता.. कितने सुहाने दिन थे वोह..!!!
पर वो वक्त जल्दी ही खतम हो गया.. संजय अपनी असलियत पर आ गया.. और फिर जो दुख के दिन शुरू हुए वो अब तक चल रहे थे.. संजय की याद आते ही वैशाली के चेहरे पर विषाद के भाव आ गए
कविता भी पीयूष को देख रही थी.. पर पीयूष जैसे उसे जानता ही न हो वैसे खिड़की से बाहर.. पहाड़ों के टेढ़े मेढ़े रास्तों को.. और दूर दिख रहे उत्तुंग शिखरों को देखने में व्यस्त था.. ये मर्द हमारे दिल का दर्द कब समझेंगे? पीयूष हमेशा अपने एंगल से ही सोचता है.. कभी उसने मेरे दृष्टिकोण को समझने का प्रयास ही नहीं किया.. मुझे इसीलिए तो पिंटू इतना पसंद है.. पिंटू की बात ही निराली थी.. जब साथ पढ़ाई करते थे तब एक बार पिंटू के मुंह से प्याज की बदबू आ रही थी.. कविता ने उसे टोका.. उसके बाद पिंटू ने कभी प्याज नहीं खाया.. इतना महत्व देता है वो मुझे.. सारे मर्द अगर ऐसे ही हमारी भावनाओं को समझे तो औरत अपना सबकुछ समर्पित कर दे उसे..
ऐसा नहीं था की कविता को पीयूष से प्यार नहीं था.. बस ऐसी ही छोटी छोटी बातों को लेकर असंतोष था.. पर ऐसी बातों पर अगर वक्त पर ध्यान न दिया जाएँ तो आगे जाकर यही बातें भयानक स्वरूप धारण कर लेती है..
माउंट आबू के नज़ारों का अगर कोई सब से ज्यादा आनंद ले रहा था तो वोह थे.. राजेश, रेणुका, फाल्गुनी और सब की आँखों का तारा.. मौसम !!
मौसम के कच्चे कुँवारे बदन को देखकर राजेश का लंड पेंट के अंदर.. सेंसेक्स और निफ्टी की तरह ऊपर उठ रहा था.. मौसम के गालों के डिम्पल देखकर राजेश की हवस जलने लगती थी.. गोरी सुंदर मौसम के टाइट ड्रेस के अंदर छुपे हुए अमरूद साइज़ के स्तन देखकर राजेश के पूरे बदन में घंटियाँ बजने लगती थी.. वो सोच रहा था "कुछ भी करके ईसे पटाना होगा.. " मन ही मन.. मौसम के जोबन को लूटने के ख्वाब देखते हुए राजेश ने रेणुका से पूछा
राजेश: "ये मौसम कहाँ तक पढ़ी है? अगर उसे कंप्युटर चलाना आता हो हमारी ऑफिस में एक जगह खाली है.. तू पूछकर देखना अगर वह नौकरी करना चाहती हो तो "
रेणुका के दिमाग की बत्ती जल गई.. औरतों के पास एक खास छठी इंद्रिय होती है.. जो उन्हे अपने आसपास के मर्दों की नजर के बारे में आगाह कर देती है.. ५० फिट दूर खड़े पुरुष की नजर कहाँ है वह औरतें एक पल में जान लेती है.. कुदरत ने जब औरतों को रूप दिया तो उसको संभालने के लिए ये शक्ति भी साथ ही दी..
रेणुका: "तुम चिंता मत करो राजेश.. मैं बात कर लूँगी.. तू एक बार पीयूष को पूछ ले.. मैं मौसम से डाइरेक्ट बात करती हूँ" रेणुका ने एक कुटिल मुस्कान के साथ राजेश को कहा.. राजेश को इस मुस्कुराहट का अर्थ समझ में नहीं आया.. वैसे मर्दों को औरतों की आधी बातें समझ में ही कहाँ आती है !!!
इन सब बातों से बेखबर पीयूष.. खिड़की से बाहर नजर आते अप्रतिम कुदरती नज़ारों का आनंद ले रहा था.. चारों तरफ पहाड़ ही पहाड़.. हरे घने जंगल.. पतली सी घुमावदार सड़क.. बादलों से बातें करते हुए शिखर.. आहाहाहा.. देखकर ही मन प्रफुल्लित हो जाता था.. नशा सा हो जाता था देखकर.. अगर इंसान को पीना आता हो.. तो ऐसी कौन सी चीज है जो शराब नहीं है.. !!!
"दोस्तों, दस मिनट में हम माउंट के ऊपर पहुँच जाएंगे.. आपकी पर्सनल शॉपिंग के अलावा जो भी खर्च होगा वो मैडम ही देगी.. इन्जॉय योरसेल्फ पर थोड़ा कंट्रोल भी रखना" हँसते हुए राजेश ने घोषणा की..राजेश का इशारा किस तरफ था वो सब समझ गए.. गुजरात से अधिकतर लोग माउंट आबू शराब पीने ही आते है.. पीने वालों के लिए यह जगह स्वर्ग से कम नहीं है.. सब का दिल कर रहा था की कब होटल पहुंचे और शराब की महफ़िल जमाए.. राजेश की घोषणा का सबने तालियों से स्वागत किया.. साथ ही सब अपना समान इकठ्ठा करने लगे
जैसे ही बस रुकी.. सब धीरे धीरे नीचे उतरे.. पहाड़ की तलहटी पर एक सुंदर आलीशान होटल थी.. माउंट आबू का वातावरण वाकई बेहद उत्तेजक था.. फेशनेबल छोटे छोटे कपड़े पहनी लड़कियां.. अपने टाइट टॉप के ऊपर से आधे स्तन बाहर दिखाती हुई चले जा रही थी.. कुछ फिरंगी टुरिस्ट भी नजर आ रहे थे.. पास ही से गुजर रही एक फिरंगी लड़की की लो-नेक टॉप से नजर आ रही क्लीवेज को देखकर अपना लंड खुजा रहे पिंटू को गुस्से देख रही थी कविता.. वह सोच रही थी.. इन मर्दों को सारी औरतों की छातियों में ऐसा क्या दिख जाता है जो वहीं देखते रहते है.. !! सब के सब साले नालायक!!
रेणुका के कहने पर, मौसम और फाल्गुनी को एक अलग कमरा दे दिया गया.. होटल के तीसरे माले पर सुंदर बालकनी वाला कमरा उन दोनों को देखते ही पसंद आ गया.. फाल्गुनी ने इंटरकॉम पर फोन लगाकर एक कडक कॉफी का ऑर्डर दिया.. मौसम ने अपने लिए चाय बोली.. पहले तो दोनों ने अपने तंग कपड़े उतार दिए और आरामदायक टीशर्ट और शॉर्ट्स पहन लिए.. बाहर बालकनी में खड़े रहकर बादलों को गुजरते देखा जा सकता था उतनी ऊंचाई पर थी होटल.. दोनों लड़कियां खुश होकर बादलों संग खेलने लगी..
माउंट आबू का वातावरण इतना अद्भुत है की अगर कोई बीमार यहाँ आकर रहें तो कुछ ही दिनों में ठीक होकर वापिस लौटे.. बालकनी में टेबल पर पैर जमाकर दोनों सहेलियाँ चाय और कॉफी की चुस्की लेने लगी.. मौसम के माउंट आबू पर प्रवेश करते ही जैसे पूरे पर्वत की सुंदरता दोगुनी हो गई थी.. उसे गोरे गालों में पड़ते खड्डों के सामने नक्की लेक की सुंदरता भी फीकी लग रही थी.. उसके मस्त स्तनों के आगे पहाड़ों की उछाइयाँ भी कम पड़ती नजर आ रही थी
बालकनी में बैठे दोनों कुंवारी अल्हड़ लड़कियां.. दुनियादारी से बेफिक्र होकर मजे लूट रही थी.. फाल्गुनी अक्सर शांत रहती.. पर अकेले में अपनी सहेली के साथ वह भी खुल गई थी.. उसके चेहरे पर निर्दोषता के साथ साथ एक अजीब सा डर और घबराहट छुपे हुए थे..
दोनों सहेलियाँ अपनी दुनिया में मस्त थी तभी वहाँ पीयूष आया.. पीयूष ने मौसम का चाय का कप उठाया और पीने लगा..
पीयूष: "क्यों साली साहेबा!! सब कुछ ठीक है ना!!"
मौसम: "अरे जीजू आप मेरी झूठी चाय क्यों पी रहे हो.. कहते है की किसी का झूठा खाएं या पिए तो उनके जैसे बन जाते है"
पीयूष: "हा हा हा.. मौसम अगर मैं तेरे जैसा बन गया तो सब से पहले राजेश सर को ही पागल कर दूंगा.. जिससे की मेरी तनख्वाह बढ़ जाए.. "
फाल्गुनी ने हँसते हुए कहा.. "इसका मतलब ये हुआ की मौसम ने राजेश सर को पागल बना दिया है.. सही कहा न मैंने?"
पीयूष: "हाँ यार.. बस में वो मौसम को ही देखें जा रहे थे.. मेरे खयाल से वो मौसम पर लाइन मार रहे थे"
मौसम: "क्या जीजू आप भी!! कुछ भी उल्टा सीधा बोलते हो.. " कृत्रिम क्रोध के साथ मौसम ने कहा
फाल्गुनी बैठे बैठे साली और बहनोई की शरारती बातों का मज़ा ले रही थी..
"क्या बात है पीयूष? अपनी साली को मेरे खिलाफ क्यों भड़का रहा है?" राजेश सर की एंट्री हुई..
पीयूष: "अरे सर.. आइए आइए.. हम आप की ही बात कर रहे थे.. मेरी साली तो आपकी तारीफ करते हुए थक ही नहीं रही.. कहती है की जीजू आपके बॉस कितने अच्छे इंसान है.. स्टाफ का कितना खयाल रखते है !!"
राजेश: "तुम चाहो तो.. मतलब अगर मिस मौसम चाहे तो वो भी इस स्टाफ का हिस्सा बन सकती है.. शर्त सिर्फ इतनी है की उसे कंप्युटर चलना आना चाहिए.. हमारी ऑफिस में वैसे भी एक कंप्युटर ऑपरेटर की जरूरत है.. और उस स्थान के लिए मौसम बिलकूल परफेक्ट है"
स्लीवलेसस टीशर्ट पहन कर बैठी मौसम के उरोजों को एकदम करीब से देखकर पागल हो रहा था राजेश.. स्लीवलेस टीशर्ट इतनी ढीली थी की मौसम के हाथ ऊपर करने पर साइड से उसका आधा खुला स्तन नजर आ जाता था.. संगेमरमर जैसी चिकनी काँखों को देखकर पीयूष का लंड भी सलामी देने लगा.. राजेश का लंड तो पेंट के अंदर मुजरा करने लगा था.. मौसम के कातिल हुस्न ने एक ही बॉल में दो विकेट गिरा दी थी.. टेबल पर पैर रखकर बैठी फाल्गुनी की शॉर्ट्स से उसकी गोरी मस्त जांघें बड़ी खतरनाक लग रही थी.. राजेश द्विधा में था.. मौसम को देखूँ या फाल्गुनी को?
मौसम और फाल्गुनी की कच्ची जवानी ने जैसे समय को बांध दिया था.. राजेश किस काम के लिए यहाँ आया था वोही भूल गया.. संस्कारी घर की लड़कियां वैसे तो नादान थी.. पर दो जवान हेंडसम मर्दों की उपस्थिति और माउंट आबू के मदमस्त वातावरण का असर उन दोनों पर भी हो रहा था.. जिस तरह मौसम और फाल्गुनी के हुस्न को देखकर पीयूष और राजेश की हालत खराब थी.. वैसे ही उन दोनों लड़कियों की चुत में भए सुरसुराहट हो रही थी.. जवानी का करंट उन दोनों को भी लग चुका था.. बातें करते करते राजेश और पीयूष मौसम के स्तनों को देखते हुए पिघल रहे थे..
राजेश: "अरे पीयूष.. मैं जो बात करने आया था वो तो भूल ही गया.. रात को हम मैडम के बर्थडे के लिए फ़ंक्शन रखने वाले है.. मैं उन्हे कोई अच्छा सा मस्त गिफ्ट देना चाहता हूँ.. मैं चाहता हूँ की तुम और कविता किसी दुकान से अच्छी सी गिफ्ट लेकर आओ.. !!"
कविता का नाम सुनते ही पीयूष का मूड खराब हो गया.. "कविता को गिफ्ट लेने में कुछ पता नहीं चलेगा.. वो तो शॉपिंग करते वक्त भी मुझे साथ लेकर चलती है.. एक काम करता हूँ.. मैं और मौसम गिफ्ट लेने चले जाते है.. मौसम, चलोगी न मेरे साथ?"
मौसम: "हाँ हाँ.. क्यों नहीं.. फाल्गुनी को भी साथ ले लेंगे"
"कबाब में हड्डी" पीयूष मन ही मन बोला
फाल्गुनी: "नहीं.. मैं कबाब में हड्डी बनना नहीं चाहती.. मैं नहीं आऊँगी" चोंक गया पीयूष.. !!! ये फाल्गुनी ने उसके मन की बात कैसे जान ली.. !!! और वो भी उन्ही शब्दों में जैसा उसने मन में सोचा था !!! बचकर रहना पड़ेगा इस कबूतरी से.. कहीं इसने मेरे दिमाग में रेणुका के लिए जो खयाल है वो पढ़ लिए तो गजब हो जाएगा.. !!!
राजेश ने वॉलेट से १०,००० रुपये निकालकर देते हुए कहा "ये लो पीयूष दस हजार है.. तुम्हें और मौसम को जो गिफ्ट पसंद आए वो ले आना.. लेडिज की पसंद का पता दूसरी लेडिज को ही ज्यादा होता है.. कुछ कन्फ्यूजन हो तो फोन करना"
पीयूष: "ठीक है सर.. "
साली-जीजू की जोड़ी माउंट आबू के बाजार की तरफ निकल गई.. बाजार में दोनों तरफ दुकानों की लंबी कतार थी.. बीच का रास्ता काफी संकरा था और पार्क कीये हुए वाहनों के कारण और भी छोटा हो गया था.. थोड़ी भीड़ भी थी.. इसी कारण चलते वक्त मौसम के स्तन कई बार पीयूष के हाथों पर और पीठ पर छु जाते.. पीयूष सोच रहा था.. हाय रे मेरी किस्मत.. कविता की जगह अगर इसके साथ मेरा ब्याह हुआ होता तो तो पूरी ज़िंदगी जन्नत बन जाती.. पत्नी और मोबाइल दोनों किस्सों में यही होता है.. अपना वाला ले लो उसके बाद ही मार्केट में नए बढ़िया पीस आने लगते है.. जैसी मेरी किस्मत.. !! काश ये नए कंचे जैसा टंच माल एक बार इस्तेमाल करने के लिए मिल जाए !!
ये पहली बार था की मौसम और पीयूष अकेले मिले हो.. वैसे मौसम को पीयूष की कंपनी बेहद पसंद थी.. और उसे यह भी अंदेशा था की बाकी सारे जीजाजीओ की तरह.. उसके जीजू की नजर भी उसपर थी.. वैसे साली-जीजू के संबंध में थोड़ी बहोत शरारत तो चलती है.. ऐसा मौसम का मानना था.. मौसम पर माउंट आबू के दिलकश वातावरण का सुरूर धीरे धीरे छा रहा था..
एक गिफ्ट शॉप का बोर्ड देखकर दोनों अंदर घुसे.. रीसेप्शन पर खड़ी सुंदर लड़की ने उनका स्वागत किया.. मौसम ने पूरी दुकान पर नजर दौड़ा दी पर उसे कुछ खास पसंद नहीं आया.. उसने पीयूष को इस बारे में इशारा किया और वो दोनों दुकान से बाहर निकलने ही वाले थे तभी.. एक ४५ वर्ष के करीब की उम्र का पुरुष उनके पास आया और बोला
"May I help you gentleman and lady? If your choice is not hear..don't be disappointed. We have another part of this store, where you can get what you want. I am sure you will like something there.. Because that part of our shop is secret and safe. New couples like you love the items over there.. Would you like to visit?"
(आपकी पसंद की चीज यहाँ न मिली हो तो निराश होने की जरूरत नहीं है.. हमारी शॉप का एक दूसरा हिस्सा भी है जहां पर आप जो चाहो वो मिल जाएगा.. मुझे यकीन है की वहाँ पर आपको कुछ न कुछ जरूर पसंद आ जाएगा.. शॉप का वह दूसरा हिस्सा गोपनीय और सलामत है और सिर्फ खास लोगों के लिए है.. आप जैसे नवविवाहित जोड़ों की पसंद की बहोत सी चीजें है वहाँ.. आप चलोगे?)
मौसम: "हाँ हाँ.. क्यों नहीं.. लेट्स गो"
आदमी: "ठीक है.. आप उस कोने से बायीं तरफ मुड़ जाना.. वहाँ एक दरवाजा होगा.. तीन बार खटखटाइएगा.. तो दरवाजा खुल जाएगा"
अंदर क्या होगा इस अपेक्षा में रोमांचित होकर दोनों उस दरवाजे तक गए.. तीन बार दस्तक देने पर दरवाजा खुला.. बाहर से देखने पर वो दरवाजे जैसा लगता भी नहीं था.. पीयूष को थोड़ी सी घबराहट हो रही थी.. अनजान जगह पर मौसम ले कर जाने में उसे डर लग रहा था.. लेकिन मौसम ने उसका हाथ पकड़कर खींच लिया और अंदर ले गई..
आगे छोटा सा पेसेज पार किया तो दूसरा दरवाजा आया.. ऐसे तीन और विचित्र दरवाजों को पार करने के बाद एक बड़ा सा हॉल दिखा.. काफी अंधेरा था.. एसी की तेज हवा से अंदर काफी ठंडक थी.. भव्य सुशोभन भी किया हुआ था..
"वेलकम सर एंड मैडम.. " कहीं से एक सुरीली आवाज ने उनका स्वागत किया.. दोनों ने आवाज की दिशा में देखा तो एक सुंदर स्त्री खड़ी थी और उन्हे पास बुला रही थी.. दोनों धीरे धीरे चलते हुए उसके पास गए
मौसम: "यहाँ इतना अंधेरा क्यों है?"
सेल्सगर्ल: "इसलिए की आपको शर्म न आए मैडम.. जो मैं दिखाना चाहती हूँ उसके लिए तैयार हो जाइए" कहते ही उसने लाइट ऑन की.. शोकैस में ढेर सारी चीजें रखी हुई थी जो अब नजर आ रही थी.. मौसम को तो ज्यादा कुछ पता नहीं चला पर पीयूष की देखकर ही गांड फट गई.. उससे भी ज्यादा झटका तब लगा जब रोशनी में उस सेल्सगर्ल को वो ठीक से देख पाया.. वो लड़की टॉपलेस थी !!! पूरी दुकान में लड़कियों और औरतों के मूठ मारने के लिए विविध उपकरण भरे हुए थे.. इलेक्ट्रॉनिक और मकैनिकल.. उत्तेजक परफ़्यूमस.. पॉर्न डीवीडी.. नंगे पोस्टर्स.. सजे हुए थे.. एक पोस्टर पर लंबे मोटे लंड वाले कल्लू को देखकर मौसम के होश उड़ गए.. शर्म से उसकी आँखें झुक गई
मौसम: "छी छी छी.. ये सब क्या है जीजू?" शॉप में रखी सारी चीजों के अलावा उस अधनंगी सेल्सगर्ल को देखकर चोंक उठी मौसम
अपने स्तनों को मटकाते हुए वह सेल्सगर्ल बोली "मैडम, आजकल लैटस्ट यही चल रहा है गिफ्ट देने के लिए.. पुराना ज़माना गया.. ये देखिए.. ये डिल्डो.. मेईड इन जर्मनी.. फुली ऑटोमैटिक.. आपके पति की गैरमौजूदगी में ये आपको पूरा संतोष देगा.. स्पीड ज्यादा कम कर सकते है.. वॉटरप्रूफ है.. बाथरूम में भी इस्तेमाल कर सकते है.. और ये बटन दबाते ही अंडर डिस्चार्ज भी होगा.. है ना मजे की चीज? सिर्फ ६००० का है.. पूरा सिलिकॉन से बना है.. एकदम अरिजनल वाली फिल आएगी जब अंदर डालोगी तब.. ट्राय करके देखिए एक बार" वह लगातार बोले जा रही थी
मौसम का शरीर कांप रहा था.. पीयूष की स्थिति ऐसी थी की वह कुछ बोल ही नहीं पा रहा था..
सेल्सगर्ल: "एक बात बताइए मैडम.. आपके हसबंड हफ्ते में कितनी बार आपसे सेक्स करते है?"
मौसम शरमाकर नीचे देखने लगी
आखिर में पीयूष बोला.. "मैडम, ये मेरी पत्नी नहीं है.. मेरी साली है.. और अभी कुंवारी है"
सेल्सगर्ल: "ओह्ह सॉरी.. यहाँ आने वाले अधिकतर लोग शादीशुदा होते है.. इसलिए मुझे गलतफहमी हो गई.. इनको शर्म आना स्वाभाविक है.. पर मैडम जीने का मज़ा तभी आता है जब आप शर्म छोड़ देगी.. जब आपकी शादी हो जाए तब यहाँ जरूर आना मैडम.. आपको नई नई चीजें देखने को मिलेगी.. और सर आप अपनी वाइफ को लेकर आइए.. उनका दिल खुश कर दूँगी"
बिना कुछ कहे मौसम और पीयूष दुकान के बाहर निकल गए.. थोड़े दूर जाने तक दोनों ने एक दूसरे से कुछ नहीं कहा..
आखिर मौसम ने मौन तोड़ा "अच्छा हुआ हम वहाँ से निकाल गए, जीजू.."
पीयूष: "जो भी हुआ अनजाने में हुआ.. हमें थोड़े ही पता था की अंदर ऐसा सब होगा? चलो तुझे कुछ नया जानने को तो मिला.. अपने पति को लेकर आना इधर.. वैसे मैं कविता को शाम को यहाँ लेकर आने की सोच रहा हूँ"
मौसम: "हाँ हाँ जरूर लेकर आना" मौसम ये सोच रही थी की जीजू दीदी को यहाँ क्यों लेकर आना चाहते है? खैर, वो उन दोनों की पर्सनल बात है मैं जानकर क्या करूंगी.. !!!
मौसम: जीजू, एक घंटा बीत गया.. अभी गिफ्ट लेना बाकी है.. जल्दी कीजिए वरना दीदी शक करेगी.. की कहीं हम दोनों साथ भाग तो नहीं गए?"
पीयूष: "अरे ऐसे मेरे नसीब कहाँ.. !!! तू भागने के लिए राजी हो तो मैं तैयार हूँ.. वैसे भी साली तो आधी घरवाली होती है.. उस हिसाब से तेरी कमर के ऊपर के हिस्से पर तो मेरा हक है ही.. और अगर तू कमर के नीचे का हिस्सा देने को तैयार हो तो मुझे कोई दिक्कत नहीं है !!"
गुस्से का अभिनय करते हुए मौसम ने कहा "हाँ हाँ.. दीदी को पूछकर आपको बता दूँगी.. अब हम गिफ्ट लेने का काम निपटा दे?" कविता का नाम सुनते ही पीयूष सपनों के आसमान से वास्तविकता की धरती पर आ गिरा
पीयूष ने मौसम का हाथ पकड़ लिया.. मौसम ने कोई विरोध नहीं किया.. कैसे करती.. अभी थोड़ी देर पहले जो जीजू के साथ अलग अलग तरह के नकली लंड देखने के बाद वो भी थोड़ी सी उत्तेजित हो गई थी
एक बड़ी दुकान के अंदर वो दोनों गए.. अंदर जाते ही सब से पहले उसने दुकान वाले को बोल दिया.. "हम दोनों पति पत्नी नहीं है.. रिलेटिव है ठीक है!!" दुकान वाले को पता नहीं चला की यह मैडम ने आते ही ऐसी बात क्यों की
पीयूष भी यह सुनकर हंसने लगा..
मौसम: "फिर से उस दुकान में हुआ वैसा कोई लोचा हो उससे अच्छा पहले ही बता दिया"
पीयूष ने मौसम के कान में कहा "वैसे वहाँ जो चीजें थी वो बड़ी जबरदस्त थी.. तुझे कैसी लगी थी?"
"चुप्पपपपप.. " कहते हुए हल्की सी थप्पड़ लगाई मौसम ने पीयूष के गालों पर
पीयूष: "ओह्ह मौसम.. तू कितनी क्यूट है यार.. तुझे देखते ही मेरी नियत खराब हो जाती है.. एक किस करने का मन हो रहा है मुझे"
मौसम: "क्या जीजू आप भी!!! कोई देखेगा तो क्या सोचेगा हमारे बारे में?"
पीयूष: "अरे यार.. यहाँ हमें जानता ही कौन है !! अभी तूने बताया न होता तो इस दुकान वाले को थोड़े ही पता चलता की हम पति पत्नी नहीं है.. वैसे भी तू मेरी पत्नी जैसी ही लगती है.. एक किस तो कर ही सकता हूँ.. "
मौसम पीयूष के होंठों को देखती रही.. इस डर से की कहीं सब के सामने ही जीजू कुछ उल्टा सीधा कर न दे.. पर पीयूष से अब ओर रहा नहीं जा रहा था.. शॉप के एक हिस्से में बहोत सारे लेडिज ड्रेस लटके हुए थे.. पीयूष मौसम का हाथ पकड़कर उन ड्रेस के पीछे ले गया.. यहाँ से उन्हे कोई देख नहीं पा रहा था.. पीयूष ने मौसम को अपने आगोश में भर लिया और एक जबरदस्त किस कर दी.. "ओह मौसम.. आई लव यू.. यू आर सो हॉट मेरी जान" कहते हुए एक और बार उसने मौसम के गुलाबी होंठों को चूम लिया
"आह्ह जीजू.. इशशशश.. " शर्म से लाल लाल हो गई मौसम.. मौसम के जिस्म से एक अजीब उत्तेजक खुश्बू आ रही थी.. पीयूष सोचने लगा.. कहीं उत्तेजित मौसम की चुनमुनिया की खुश्बू तो नहीं है वो.. पीयूष के पतलून में माउंट आबू से भी ऊंचा उभार आ गया.. जो उसके पेंट की चैन तोड़ देने की धमकी दे रहा था
मौसम स्तब्ध होकर मूर्ति सी खड़ी रह गई.. उसके जीवन की ये प्रथम किस.. आह्ह.. जैसे मौसम की पहली बारिश.. जैसे सरसराती हवा.. जैसे ताज़ा खिला हुआ गुलाब.. जैसे पहाड़ों से बहता हुआ झरना.. जैसे जीवन का पहला ऑर्गैज़म.. !!! रोमांच से थर थर कांप रही थी मौसम.. जिंदगी में पहली बार किसी मर्द ने इस तरह छुआ था उसे.. यह स्पर्श इतना मधुर लगेगा उसका अंदाजा नहीं था मौसम को.. उसकी दोनों जांघों के बीच कुछ अजीब सी अनुभूति हो रही थी.. जो वह समझ नहीं पा रही थी..
मौसम के हावभाव देखकर पीयूष को इतना तो यकीन हो गया की उसे अच्छा लगा था.. उस दुकान से उन्होंने एक अच्छा सा ड्रेस पेक करवाया और दोनों दुकान से बाहर निकल गए.. मौसम तेज कदमों से आगे चल रही थी और पीयूष उसके पीछे पीछे.. पीयूष ने और एक साहस कर दिया.. अपने मध्यम कद के कूल्हे मटकाते चल रही मौसम के एक चूतड़ को अपनी हथेली से दबा दिया..
मौसम रुककर पीछे देखने लगी और बोली "बस जीजू.. बहोत हो गया.. "
पीयूष हँसकर उसके करीब आया और उसकी कमर में हाथ डालकर उसके साथ ही चलने लगा..
पीयूष ने चलते चलते धीरे से उसके कानों में कहा "मौसम, आई लव यू.. टेल मे यू ऑलसो लव मी.. प्लीज मौसम प्लीज.. !!"
मौसम के हुस्न ने पीयूष को अंधा बना दिया था.. वह अभी अपना सबकुछ मौसम को समर्पित करने के लिए तैयार था.. बदले में सिर्फ मौसम का दिल चाहता था.. आज मिले इस मौके का वह भरपूर फायदा उठाना चाहता था.. जीवन की प्रथम किस के नशे ने मौसम को ऐसा भ्रमित कर दिया था की उसे ये भी खयाल नहीं आया की पीयूष उसकी बहन का पति था
मौसम: "आई लव यू टू, जीजू.. पर किसी को ये पता नहीं चलना चाहिए.. वरना आफत आ जाएगी.. मुझे आपके साथ बहोत अच्छा लगता है"
मौसम की कमर पर ओर जोर से पकड़ बनाई पीयूष ने.. और अपनी ओर खींच लिया.. वह ऐसा महसूस कर रहा था जैसे उसका जीवन सफल हो गया हो
पीयूष: "मौसम.. चल यार.. वो वाली दुकान पर वापिस चलते है"
मौसम: "नहीं जीजू.. हम उस लड़की को बता चुके है की हम पति पत्नी नहीं है.. अब वापिस जाएंगे तो वो लोग हमारे बारे में क्या सोचेंगे?"
एक दुकान के बार बैठक पर मौसम बैठ गई
पीयूष: "क्या हुआ? थक गई ?"
मौसम: "नहीं जीजू.. मुझे आपके साथ बैठकर बातें करनी है.. ढेर सारी.. बैठिए ना.. वापिस लौटकर दीदी की मौजूदगी में हम थोड़े ही बात कर पाएंगे.. !!"
पीयूष समझ गया.. इस आजादी और एकांत का फायदा उठाने का मन कर रहा है मौसम को.. पर यहाँ काफी लोग है आजूबाजू.. कहीं खोपचे में ले जाकर इसके संतरे दबाने की तीव्र इच्छा हो रही है.. क्या करू? ऐसी कटिली चीज है की देखते ही लंड बेकाबू हो जाए.. जिस मौसम को में पाना चाहता था वह इतनी आसानी से मेरी झोली में आ गिरेगी इसका अंदाजा नहीं था मुझे.. आग दोनों तरफ बराबर जली हुई है.. पर हाय रे किस्मत.. यहाँ खुली सड़क पर कुछ भी कर पाना नामुमकिन था..
सड़क के किनारे एक कुत्ता.. किसी कुत्तिया की पूत्ती सूंघ रहा था.. देखकर पीयूष को गुस्सा आया.. हम से तो अच्छे ये जानवर है.. जहां मर्जी चोदना शुरू कर सकते है.. ये समाज की हदें और इज्जत की बकचोदी.. बहोत गुस्सा आ रहा था पीयूष को.. उसका लंड उसे बार बार आपे से बाहर जाने की धमकी दे रहा था
मौसम ने पीयूष का हाथ अपनी जांघ पर रख दिया था.. और उस पर उंगलियों से "आई लव यू" लिख रही थी.. इस हरकत से पीयूष अब गुर्राए सांड की तरह हांफने लगा.. अपनी कुहनी से हल्के हल्के मौसम के स्तन को छु रहा था वो..
"जरा धीरे से करो जीजू.. दर्द हो रहा है मुझे" मौसम ने पीयूष के कान में कहा.. वैसे भी बेचारी मौसम को स्तन मसलवाने का अनुभव तो था नहीं.. उसे भला कहाँ पता था की आगे जाकर उसके स्तनों के साथ क्या क्या होने वाला था.. !!
"कितने मस्त है यार तेरे.. अंदर हाथ डालकर दबाने का मन कर रहा है मुझे" पीयूष ने कहा
मौसम ने तुरंत अपना टीशर्ट ठीक कर लिया "नहीं जीजू"
पीयूष: "अगर रात को चांस मिले तो होटल से कहीं जाना है?"
मौसम: "नो जीजू.. रात को कहीं भी जाएंगे तो दीदी को पक्का डाउट जाएगा.. यहाँ से वापिस लौट जाने के बाद हम कुछ भी ऐसा वैसा नहीं करेंगे.. चलिए अब चलते है यहाँ से.. " गिफ्ट की थैली हाथ में पकड़कर मौसम खड़ी हो गई.. सड़क पर चलते चलते एक सुमसान नाके पर पीयूष ने मौसम को पकड़कर एक जोरदार किस कर दी.. किस करते वक्त पीयूष के हाथ मौसम की चूचियों पर चले गए और उसने मजबूती से उसके नरम संतरे जैसे स्तनों को दबा दिया..
"ओ माँ.. कितनी जोर से दबाया आपने जीजू.. !!! ऐसे भी कोई दबाता है क्या?" टीशर्ट के बाहर निकली हुई ब्रा की पट्टी को अंदर डालते हुए मौसम ने कहा.. पर्स से छोटा सा आईना निकालकर मौसम ने अपना हुलिया चेक किया.. और दो बार किस करने से निकल चुकी लिपस्टिक को फिर से लगा दिया..
Thanks Napster bhaiबहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गया
शीला को अपनी बेटी वैशाली के वैवाहिक जीवन के बारें चिंता सताये जा रही है तो उसने वैशाली की सहेली फोरम का सहारा लिया जानकारी जुटाने के लिये सारी जानकारी जान कर फोरम तो लौट गयी पर शीला को वो जानकारी कब साझा करेगी
रसिक और शीला की रासलीला वैशाली ने देख लिया
अब पियुष के घर के लोग पिकनिक पर जाने वाले है और वो शीला और वैशाली को भी ले जाना चाहते
Thanks Ek number bhaiBehtreen update
Thanks sunoanuj bhaiSuperb update ekdam jhakaash….
Thanks sunoanuj bhaiSuperb update ekdam jhakaash….
Fantastic updateमाउंट आबू पहुंचते ही वहाँ के मदहोश वातावरण को देखकर सब रोमेन्टीक होने लगे.. वैशाली बार बार पीयूष की ओर देख रही थी.. वो सोच रही थी की एक बार अगर आधा घंटा पीयूष के साथ कहीं बाहर निकलने का मौका मिले तो मज़ा आ जाए.. जी भर कर पीयूष के साथ मजे करूंगी अगर ऐसा हुआ तो.. उस दिन रेत के ढेर में पीयूष ने जिस तरह उसके जिस्म को रौंदा था.. आह.. याद करते ही मज़ा आ गया.. वातावरण और विचारों के संगम से वैशाली की चुत में झटके लगने लगे थे.. दूसरी तरफ मौसम के कडक स्तनों को देखकर ठंडी आहें भर रही थी वैशाली.. अभी तक किसी मर्द का हाथ नहीं लगा है.. इसलिए मस्त टाइट है.. एक बार किसी का हाथ लगते ही आकार बिगड़ जाएगा.. वैशाली अपने खुद का भूतकाल याद करने लगी..
शुरुआत के समय में जब संजय के साथ सब ठीक चल रहा था तब संजय को उसके स्तन कितने पसंद थे!! जितनी बार वो दोनों अकेले पड़ते थे तब सब से पहले संजय उसके स्तन चूसता था.. कभी कभी किचन में वो काम कर रही हो.. सास ससुर बाहर बैठे हो.. तब भी संजय चुपके से आकर.. उसका टॉप ऊपर करके उसके बबले चूसकर भाग जाता.. वैशाली लाख मना करती पर वो मानता ही नहीं था.. वैशाली सोचती की उसका पति उसे कितना प्यार करता था.. !!! जब कोई अपने पीछे पागल हो तो कितना अच्छा लगता है.. !! वैसा ही वैशाली को महसूस होता था.. तकलीफ तो तब होती थी जब घर पर मेहमान आए हुए हो.. पूरा घर भरा हुआ हो तब संजय को अपनी चुची चुसवा पाना बेहद कठिन हो जाता था.. पर संजय इतना जिद्दी था की उसके बॉल चूसे बगैर हटता ही नहीं था..एक बार तो ज्यादा मेहमान होने की वजह से संजय-वैशाली के बेडरूम में भी ४ लोग सोये हुए थे.. तब भी संजय चादर के नीचे घुसकर वैशाली की निप्पलों को चूसने के बाद ही सोता था.. अपने दांत निप्पल में ऐसे गाड़ देता की दूसरे दिन वैशाली को दर्द होता रहता.. कितने सुहाने दिन थे वोह..!!!
पर वो वक्त जल्दी ही खतम हो गया.. संजय अपनी असलियत पर आ गया.. और फिर जो दुख के दिन शुरू हुए वो अब तक चल रहे थे.. संजय की याद आते ही वैशाली के चेहरे पर विषाद के भाव आ गए
कविता भी पीयूष को देख रही थी.. पर पीयूष जैसे उसे जानता ही न हो वैसे खिड़की से बाहर.. पहाड़ों के टेढ़े मेढ़े रास्तों को.. और दूर दिख रहे उत्तुंग शिखरों को देखने में व्यस्त था.. ये मर्द हमारे दिल का दर्द कब समझेंगे? पीयूष हमेशा अपने एंगल से ही सोचता है.. कभी उसने मेरे दृष्टिकोण को समझने का प्रयास ही नहीं किया.. मुझे इसीलिए तो पिंटू इतना पसंद है.. पिंटू की बात ही निराली थी.. जब साथ पढ़ाई करते थे तब एक बार पिंटू के मुंह से प्याज की बदबू आ रही थी.. कविता ने उसे टोका.. उसके बाद पिंटू ने कभी प्याज नहीं खाया.. इतना महत्व देता है वो मुझे.. सारे मर्द अगर ऐसे ही हमारी भावनाओं को समझे तो औरत अपना सबकुछ समर्पित कर दे उसे..
ऐसा नहीं था की कविता को पीयूष से प्यार नहीं था.. बस ऐसी ही छोटी छोटी बातों को लेकर असंतोष था.. पर ऐसी बातों पर अगर वक्त पर ध्यान न दिया जाएँ तो आगे जाकर यही बातें भयानक स्वरूप धारण कर लेती है..
माउंट आबू के नज़ारों का अगर कोई सब से ज्यादा आनंद ले रहा था तो वोह थे.. राजेश, रेणुका, फाल्गुनी और सब की आँखों का तारा.. मौसम !!
मौसम के कच्चे कुँवारे बदन को देखकर राजेश का लंड पेंट के अंदर.. सेंसेक्स और निफ्टी की तरह ऊपर उठ रहा था.. मौसम के गालों के डिम्पल देखकर राजेश की हवस जलने लगती थी.. गोरी सुंदर मौसम के टाइट ड्रेस के अंदर छुपे हुए अमरूद साइज़ के स्तन देखकर राजेश के पूरे बदन में घंटियाँ बजने लगती थी.. वो सोच रहा था "कुछ भी करके ईसे पटाना होगा.. " मन ही मन.. मौसम के जोबन को लूटने के ख्वाब देखते हुए राजेश ने रेणुका से पूछा
राजेश: "ये मौसम कहाँ तक पढ़ी है? अगर उसे कंप्युटर चलाना आता हो हमारी ऑफिस में एक जगह खाली है.. तू पूछकर देखना अगर वह नौकरी करना चाहती हो तो "
रेणुका के दिमाग की बत्ती जल गई.. औरतों के पास एक खास छठी इंद्रिय होती है.. जो उन्हे अपने आसपास के मर्दों की नजर के बारे में आगाह कर देती है.. ५० फिट दूर खड़े पुरुष की नजर कहाँ है वह औरतें एक पल में जान लेती है.. कुदरत ने जब औरतों को रूप दिया तो उसको संभालने के लिए ये शक्ति भी साथ ही दी..
रेणुका: "तुम चिंता मत करो राजेश.. मैं बात कर लूँगी.. तू एक बार पीयूष को पूछ ले.. मैं मौसम से डाइरेक्ट बात करती हूँ" रेणुका ने एक कुटिल मुस्कान के साथ राजेश को कहा.. राजेश को इस मुस्कुराहट का अर्थ समझ में नहीं आया.. वैसे मर्दों को औरतों की आधी बातें समझ में ही कहाँ आती है !!!
इन सब बातों से बेखबर पीयूष.. खिड़की से बाहर नजर आते अप्रतिम कुदरती नज़ारों का आनंद ले रहा था.. चारों तरफ पहाड़ ही पहाड़.. हरे घने जंगल.. पतली सी घुमावदार सड़क.. बादलों से बातें करते हुए शिखर.. आहाहाहा.. देखकर ही मन प्रफुल्लित हो जाता था.. नशा सा हो जाता था देखकर.. अगर इंसान को पीना आता हो.. तो ऐसी कौन सी चीज है जो शराब नहीं है.. !!!
"दोस्तों, दस मिनट में हम माउंट के ऊपर पहुँच जाएंगे.. आपकी पर्सनल शॉपिंग के अलावा जो भी खर्च होगा वो मैडम ही देगी.. इन्जॉय योरसेल्फ पर थोड़ा कंट्रोल भी रखना" हँसते हुए राजेश ने घोषणा की..राजेश का इशारा किस तरफ था वो सब समझ गए.. गुजरात से अधिकतर लोग माउंट आबू शराब पीने ही आते है.. पीने वालों के लिए यह जगह स्वर्ग से कम नहीं है.. सब का दिल कर रहा था की कब होटल पहुंचे और शराब की महफ़िल जमाए.. राजेश की घोषणा का सबने तालियों से स्वागत किया.. साथ ही सब अपना समान इकठ्ठा करने लगे
जैसे ही बस रुकी.. सब धीरे धीरे नीचे उतरे.. पहाड़ की तलहटी पर एक सुंदर आलीशान होटल थी.. माउंट आबू का वातावरण वाकई बेहद उत्तेजक था.. फेशनेबल छोटे छोटे कपड़े पहनी लड़कियां.. अपने टाइट टॉप के ऊपर से आधे स्तन बाहर दिखाती हुई चले जा रही थी.. कुछ फिरंगी टुरिस्ट भी नजर आ रहे थे.. पास ही से गुजर रही एक फिरंगी लड़की की लो-नेक टॉप से नजर आ रही क्लीवेज को देखकर अपना लंड खुजा रहे पिंटू को गुस्से देख रही थी कविता.. वह सोच रही थी.. इन मर्दों को सारी औरतों की छातियों में ऐसा क्या दिख जाता है जो वहीं देखते रहते है.. !! सब के सब साले नालायक!!
रेणुका के कहने पर, मौसम और फाल्गुनी को एक अलग कमरा दे दिया गया.. होटल के तीसरे माले पर सुंदर बालकनी वाला कमरा उन दोनों को देखते ही पसंद आ गया.. फाल्गुनी ने इंटरकॉम पर फोन लगाकर एक कडक कॉफी का ऑर्डर दिया.. मौसम ने अपने लिए चाय बोली.. पहले तो दोनों ने अपने तंग कपड़े उतार दिए और आरामदायक टीशर्ट और शॉर्ट्स पहन लिए.. बाहर बालकनी में खड़े रहकर बादलों को गुजरते देखा जा सकता था उतनी ऊंचाई पर थी होटल.. दोनों लड़कियां खुश होकर बादलों संग खेलने लगी..
माउंट आबू का वातावरण इतना अद्भुत है की अगर कोई बीमार यहाँ आकर रहें तो कुछ ही दिनों में ठीक होकर वापिस लौटे.. बालकनी में टेबल पर पैर जमाकर दोनों सहेलियाँ चाय और कॉफी की चुस्की लेने लगी.. मौसम के माउंट आबू पर प्रवेश करते ही जैसे पूरे पर्वत की सुंदरता दोगुनी हो गई थी.. उसे गोरे गालों में पड़ते खड्डों के सामने नक्की लेक की सुंदरता भी फीकी लग रही थी.. उसके मस्त स्तनों के आगे पहाड़ों की उछाइयाँ भी कम पड़ती नजर आ रही थी
बालकनी में बैठे दोनों कुंवारी अल्हड़ लड़कियां.. दुनियादारी से बेफिक्र होकर मजे लूट रही थी.. फाल्गुनी अक्सर शांत रहती.. पर अकेले में अपनी सहेली के साथ वह भी खुल गई थी.. उसके चेहरे पर निर्दोषता के साथ साथ एक अजीब सा डर और घबराहट छुपे हुए थे..
दोनों सहेलियाँ अपनी दुनिया में मस्त थी तभी वहाँ पीयूष आया.. पीयूष ने मौसम का चाय का कप उठाया और पीने लगा..
पीयूष: "क्यों साली साहेबा!! सब कुछ ठीक है ना!!"
मौसम: "अरे जीजू आप मेरी झूठी चाय क्यों पी रहे हो.. कहते है की किसी का झूठा खाएं या पिए तो उनके जैसे बन जाते है"
पीयूष: "हा हा हा.. मौसम अगर मैं तेरे जैसा बन गया तो सब से पहले राजेश सर को ही पागल कर दूंगा.. जिससे की मेरी तनख्वाह बढ़ जाए.. "
फाल्गुनी ने हँसते हुए कहा.. "इसका मतलब ये हुआ की मौसम ने राजेश सर को पागल बना दिया है.. सही कहा न मैंने?"
पीयूष: "हाँ यार.. बस में वो मौसम को ही देखें जा रहे थे.. मेरे खयाल से वो मौसम पर लाइन मार रहे थे"
मौसम: "क्या जीजू आप भी!! कुछ भी उल्टा सीधा बोलते हो.. " कृत्रिम क्रोध के साथ मौसम ने कहा
फाल्गुनी बैठे बैठे साली और बहनोई की शरारती बातों का मज़ा ले रही थी..
"क्या बात है पीयूष? अपनी साली को मेरे खिलाफ क्यों भड़का रहा है?" राजेश सर की एंट्री हुई..
पीयूष: "अरे सर.. आइए आइए.. हम आप की ही बात कर रहे थे.. मेरी साली तो आपकी तारीफ करते हुए थक ही नहीं रही.. कहती है की जीजू आपके बॉस कितने अच्छे इंसान है.. स्टाफ का कितना खयाल रखते है !!"
राजेश: "तुम चाहो तो.. मतलब अगर मिस मौसम चाहे तो वो भी इस स्टाफ का हिस्सा बन सकती है.. शर्त सिर्फ इतनी है की उसे कंप्युटर चलना आना चाहिए.. हमारी ऑफिस में वैसे भी एक कंप्युटर ऑपरेटर की जरूरत है.. और उस स्थान के लिए मौसम बिलकूल परफेक्ट है"
स्लीवलेसस टीशर्ट पहन कर बैठी मौसम के उरोजों को एकदम करीब से देखकर पागल हो रहा था राजेश.. स्लीवलेस टीशर्ट इतनी ढीली थी की मौसम के हाथ ऊपर करने पर साइड से उसका आधा खुला स्तन नजर आ जाता था.. संगेमरमर जैसी चिकनी काँखों को देखकर पीयूष का लंड भी सलामी देने लगा.. राजेश का लंड तो पेंट के अंदर मुजरा करने लगा था.. मौसम के कातिल हुस्न ने एक ही बॉल में दो विकेट गिरा दी थी.. टेबल पर पैर रखकर बैठी फाल्गुनी की शॉर्ट्स से उसकी गोरी मस्त जांघें बड़ी खतरनाक लग रही थी.. राजेश द्विधा में था.. मौसम को देखूँ या फाल्गुनी को?
मौसम और फाल्गुनी की कच्ची जवानी ने जैसे समय को बांध दिया था.. राजेश किस काम के लिए यहाँ आया था वोही भूल गया.. संस्कारी घर की लड़कियां वैसे तो नादान थी.. पर दो जवान हेंडसम मर्दों की उपस्थिति और माउंट आबू के मदमस्त वातावरण का असर उन दोनों पर भी हो रहा था.. जिस तरह मौसम और फाल्गुनी के हुस्न को देखकर पीयूष और राजेश की हालत खराब थी.. वैसे ही उन दोनों लड़कियों की चुत में भए सुरसुराहट हो रही थी.. जवानी का करंट उन दोनों को भी लग चुका था.. बातें करते करते राजेश और पीयूष मौसम के स्तनों को देखते हुए पिघल रहे थे..
राजेश: "अरे पीयूष.. मैं जो बात करने आया था वो तो भूल ही गया.. रात को हम मैडम के बर्थडे के लिए फ़ंक्शन रखने वाले है.. मैं उन्हे कोई अच्छा सा मस्त गिफ्ट देना चाहता हूँ.. मैं चाहता हूँ की तुम और कविता किसी दुकान से अच्छी सी गिफ्ट लेकर आओ.. !!"
कविता का नाम सुनते ही पीयूष का मूड खराब हो गया.. "कविता को गिफ्ट लेने में कुछ पता नहीं चलेगा.. वो तो शॉपिंग करते वक्त भी मुझे साथ लेकर चलती है.. एक काम करता हूँ.. मैं और मौसम गिफ्ट लेने चले जाते है.. मौसम, चलोगी न मेरे साथ?"
मौसम: "हाँ हाँ.. क्यों नहीं.. फाल्गुनी को भी साथ ले लेंगे"
"कबाब में हड्डी" पीयूष मन ही मन बोला
फाल्गुनी: "नहीं.. मैं कबाब में हड्डी बनना नहीं चाहती.. मैं नहीं आऊँगी" चोंक गया पीयूष.. !!! ये फाल्गुनी ने उसके मन की बात कैसे जान ली.. !!! और वो भी उन्ही शब्दों में जैसा उसने मन में सोचा था !!! बचकर रहना पड़ेगा इस कबूतरी से.. कहीं इसने मेरे दिमाग में रेणुका के लिए जो खयाल है वो पढ़ लिए तो गजब हो जाएगा.. !!!
राजेश ने वॉलेट से १०,००० रुपये निकालकर देते हुए कहा "ये लो पीयूष दस हजार है.. तुम्हें और मौसम को जो गिफ्ट पसंद आए वो ले आना.. लेडिज की पसंद का पता दूसरी लेडिज को ही ज्यादा होता है.. कुछ कन्फ्यूजन हो तो फोन करना"
पीयूष: "ठीक है सर.. "
साली-जीजू की जोड़ी माउंट आबू के बाजार की तरफ निकल गई.. बाजार में दोनों तरफ दुकानों की लंबी कतार थी.. बीच का रास्ता काफी संकरा था और पार्क कीये हुए वाहनों के कारण और भी छोटा हो गया था.. थोड़ी भीड़ भी थी.. इसी कारण चलते वक्त मौसम के स्तन कई बार पीयूष के हाथों पर और पीठ पर छु जाते.. पीयूष सोच रहा था.. हाय रे मेरी किस्मत.. कविता की जगह अगर इसके साथ मेरा ब्याह हुआ होता तो तो पूरी ज़िंदगी जन्नत बन जाती.. पत्नी और मोबाइल दोनों किस्सों में यही होता है.. अपना वाला ले लो उसके बाद ही मार्केट में नए बढ़िया पीस आने लगते है.. जैसी मेरी किस्मत.. !! काश ये नए कंचे जैसा टंच माल एक बार इस्तेमाल करने के लिए मिल जाए !!
ये पहली बार था की मौसम और पीयूष अकेले मिले हो.. वैसे मौसम को पीयूष की कंपनी बेहद पसंद थी.. और उसे यह भी अंदेशा था की बाकी सारे जीजाजीओ की तरह.. उसके जीजू की नजर भी उसपर थी.. वैसे साली-जीजू के संबंध में थोड़ी बहोत शरारत तो चलती है.. ऐसा मौसम का मानना था.. मौसम पर माउंट आबू के दिलकश वातावरण का सुरूर धीरे धीरे छा रहा था..
एक गिफ्ट शॉप का बोर्ड देखकर दोनों अंदर घुसे.. रीसेप्शन पर खड़ी सुंदर लड़की ने उनका स्वागत किया.. मौसम ने पूरी दुकान पर नजर दौड़ा दी पर उसे कुछ खास पसंद नहीं आया.. उसने पीयूष को इस बारे में इशारा किया और वो दोनों दुकान से बाहर निकलने ही वाले थे तभी.. एक ४५ वर्ष के करीब की उम्र का पुरुष उनके पास आया और बोला
"May I help you gentleman and lady? If your choice is not hear..don't be disappointed. We have another part of this store, where you can get what you want. I am sure you will like something there.. Because that part of our shop is secret and safe. New couples like you love the items over there.. Would you like to visit?"
(आपकी पसंद की चीज यहाँ न मिली हो तो निराश होने की जरूरत नहीं है.. हमारी शॉप का एक दूसरा हिस्सा भी है जहां पर आप जो चाहो वो मिल जाएगा.. मुझे यकीन है की वहाँ पर आपको कुछ न कुछ जरूर पसंद आ जाएगा.. शॉप का वह दूसरा हिस्सा गोपनीय और सलामत है और सिर्फ खास लोगों के लिए है.. आप जैसे नवविवाहित जोड़ों की पसंद की बहोत सी चीजें है वहाँ.. आप चलोगे?)
मौसम: "हाँ हाँ.. क्यों नहीं.. लेट्स गो"
आदमी: "ठीक है.. आप उस कोने से बायीं तरफ मुड़ जाना.. वहाँ एक दरवाजा होगा.. तीन बार खटखटाइएगा.. तो दरवाजा खुल जाएगा"
अंदर क्या होगा इस अपेक्षा में रोमांचित होकर दोनों उस दरवाजे तक गए.. तीन बार दस्तक देने पर दरवाजा खुला.. बाहर से देखने पर वो दरवाजे जैसा लगता भी नहीं था.. पीयूष को थोड़ी सी घबराहट हो रही थी.. अनजान जगह पर मौसम ले कर जाने में उसे डर लग रहा था.. लेकिन मौसम ने उसका हाथ पकड़कर खींच लिया और अंदर ले गई..
आगे छोटा सा पेसेज पार किया तो दूसरा दरवाजा आया.. ऐसे तीन और विचित्र दरवाजों को पार करने के बाद एक बड़ा सा हॉल दिखा.. काफी अंधेरा था.. एसी की तेज हवा से अंदर काफी ठंडक थी.. भव्य सुशोभन भी किया हुआ था..
"वेलकम सर एंड मैडम.. " कहीं से एक सुरीली आवाज ने उनका स्वागत किया.. दोनों ने आवाज की दिशा में देखा तो एक सुंदर स्त्री खड़ी थी और उन्हे पास बुला रही थी.. दोनों धीरे धीरे चलते हुए उसके पास गए
मौसम: "यहाँ इतना अंधेरा क्यों है?"
सेल्सगर्ल: "इसलिए की आपको शर्म न आए मैडम.. जो मैं दिखाना चाहती हूँ उसके लिए तैयार हो जाइए" कहते ही उसने लाइट ऑन की.. शोकैस में ढेर सारी चीजें रखी हुई थी जो अब नजर आ रही थी.. मौसम को तो ज्यादा कुछ पता नहीं चला पर पीयूष की देखकर ही गांड फट गई.. उससे भी ज्यादा झटका तब लगा जब रोशनी में उस सेल्सगर्ल को वो ठीक से देख पाया.. वो लड़की टॉपलेस थी !!! पूरी दुकान में लड़कियों और औरतों के मूठ मारने के लिए विविध उपकरण भरे हुए थे.. इलेक्ट्रॉनिक और मकैनिकल.. उत्तेजक परफ़्यूमस.. पॉर्न डीवीडी.. नंगे पोस्टर्स.. सजे हुए थे.. एक पोस्टर पर लंबे मोटे लंड वाले कल्लू को देखकर मौसम के होश उड़ गए.. शर्म से उसकी आँखें झुक गई
मौसम: "छी छी छी.. ये सब क्या है जीजू?" शॉप में रखी सारी चीजों के अलावा उस अधनंगी सेल्सगर्ल को देखकर चोंक उठी मौसम
अपने स्तनों को मटकाते हुए वह सेल्सगर्ल बोली "मैडम, आजकल लैटस्ट यही चल रहा है गिफ्ट देने के लिए.. पुराना ज़माना गया.. ये देखिए.. ये डिल्डो.. मेईड इन जर्मनी.. फुली ऑटोमैटिक.. आपके पति की गैरमौजूदगी में ये आपको पूरा संतोष देगा.. स्पीड ज्यादा कम कर सकते है.. वॉटरप्रूफ है.. बाथरूम में भी इस्तेमाल कर सकते है.. और ये बटन दबाते ही अंडर डिस्चार्ज भी होगा.. है ना मजे की चीज? सिर्फ ६००० का है.. पूरा सिलिकॉन से बना है.. एकदम अरिजनल वाली फिल आएगी जब अंदर डालोगी तब.. ट्राय करके देखिए एक बार" वह लगातार बोले जा रही थी
मौसम का शरीर कांप रहा था.. पीयूष की स्थिति ऐसी थी की वह कुछ बोल ही नहीं पा रहा था..
सेल्सगर्ल: "एक बात बताइए मैडम.. आपके हसबंड हफ्ते में कितनी बार आपसे सेक्स करते है?"
मौसम शरमाकर नीचे देखने लगी
आखिर में पीयूष बोला.. "मैडम, ये मेरी पत्नी नहीं है.. मेरी साली है.. और अभी कुंवारी है"
सेल्सगर्ल: "ओह्ह सॉरी.. यहाँ आने वाले अधिकतर लोग शादीशुदा होते है.. इसलिए मुझे गलतफहमी हो गई.. इनको शर्म आना स्वाभाविक है.. पर मैडम जीने का मज़ा तभी आता है जब आप शर्म छोड़ देगी.. जब आपकी शादी हो जाए तब यहाँ जरूर आना मैडम.. आपको नई नई चीजें देखने को मिलेगी.. और सर आप अपनी वाइफ को लेकर आइए.. उनका दिल खुश कर दूँगी"
बिना कुछ कहे मौसम और पीयूष दुकान के बाहर निकल गए.. थोड़े दूर जाने तक दोनों ने एक दूसरे से कुछ नहीं कहा..
आखिर मौसम ने मौन तोड़ा "अच्छा हुआ हम वहाँ से निकाल गए, जीजू.."
पीयूष: "जो भी हुआ अनजाने में हुआ.. हमें थोड़े ही पता था की अंदर ऐसा सब होगा? चलो तुझे कुछ नया जानने को तो मिला.. अपने पति को लेकर आना इधर.. वैसे मैं कविता को शाम को यहाँ लेकर आने की सोच रहा हूँ"
मौसम: "हाँ हाँ जरूर लेकर आना" मौसम ये सोच रही थी की जीजू दीदी को यहाँ क्यों लेकर आना चाहते है? खैर, वो उन दोनों की पर्सनल बात है मैं जानकर क्या करूंगी.. !!!
मौसम: जीजू, एक घंटा बीत गया.. अभी गिफ्ट लेना बाकी है.. जल्दी कीजिए वरना दीदी शक करेगी.. की कहीं हम दोनों साथ भाग तो नहीं गए?"
पीयूष: "अरे ऐसे मेरे नसीब कहाँ.. !!! तू भागने के लिए राजी हो तो मैं तैयार हूँ.. वैसे भी साली तो आधी घरवाली होती है.. उस हिसाब से तेरी कमर के ऊपर के हिस्से पर तो मेरा हक है ही.. और अगर तू कमर के नीचे का हिस्सा देने को तैयार हो तो मुझे कोई दिक्कत नहीं है !!"
गुस्से का अभिनय करते हुए मौसम ने कहा "हाँ हाँ.. दीदी को पूछकर आपको बता दूँगी.. अब हम गिफ्ट लेने का काम निपटा दे?" कविता का नाम सुनते ही पीयूष सपनों के आसमान से वास्तविकता की धरती पर आ गिरा
पीयूष ने मौसम का हाथ पकड़ लिया.. मौसम ने कोई विरोध नहीं किया.. कैसे करती.. अभी थोड़ी देर पहले जो जीजू के साथ अलग अलग तरह के नकली लंड देखने के बाद वो भी थोड़ी सी उत्तेजित हो गई थी
एक बड़ी दुकान के अंदर वो दोनों गए.. अंदर जाते ही सब से पहले उसने दुकान वाले को बोल दिया.. "हम दोनों पति पत्नी नहीं है.. रिलेटिव है ठीक है!!" दुकान वाले को पता नहीं चला की यह मैडम ने आते ही ऐसी बात क्यों की
पीयूष भी यह सुनकर हंसने लगा..
मौसम: "फिर से उस दुकान में हुआ वैसा कोई लोचा हो उससे अच्छा पहले ही बता दिया"
पीयूष ने मौसम के कान में कहा "वैसे वहाँ जो चीजें थी वो बड़ी जबरदस्त थी.. तुझे कैसी लगी थी?"
"चुप्पपपपप.. " कहते हुए हल्की सी थप्पड़ लगाई मौसम ने पीयूष के गालों पर
पीयूष: "ओह्ह मौसम.. तू कितनी क्यूट है यार.. तुझे देखते ही मेरी नियत खराब हो जाती है.. एक किस करने का मन हो रहा है मुझे"
मौसम: "क्या जीजू आप भी!!! कोई देखेगा तो क्या सोचेगा हमारे बारे में?"
पीयूष: "अरे यार.. यहाँ हमें जानता ही कौन है !! अभी तूने बताया न होता तो इस दुकान वाले को थोड़े ही पता चलता की हम पति पत्नी नहीं है.. वैसे भी तू मेरी पत्नी जैसी ही लगती है.. एक किस तो कर ही सकता हूँ.. "
मौसम पीयूष के होंठों को देखती रही.. इस डर से की कहीं सब के सामने ही जीजू कुछ उल्टा सीधा कर न दे.. पर पीयूष से अब ओर रहा नहीं जा रहा था.. शॉप के एक हिस्से में बहोत सारे लेडिज ड्रेस लटके हुए थे.. पीयूष मौसम का हाथ पकड़कर उन ड्रेस के पीछे ले गया.. यहाँ से उन्हे कोई देख नहीं पा रहा था.. पीयूष ने मौसम को अपने आगोश में भर लिया और एक जबरदस्त किस कर दी.. "ओह मौसम.. आई लव यू.. यू आर सो हॉट मेरी जान" कहते हुए एक और बार उसने मौसम के गुलाबी होंठों को चूम लिया
"आह्ह जीजू.. इशशशश.. " शर्म से लाल लाल हो गई मौसम.. मौसम के जिस्म से एक अजीब उत्तेजक खुश्बू आ रही थी.. पीयूष सोचने लगा.. कहीं उत्तेजित मौसम की चुनमुनिया की खुश्बू तो नहीं है वो.. पीयूष के पतलून में माउंट आबू से भी ऊंचा उभार आ गया.. जो उसके पेंट की चैन तोड़ देने की धमकी दे रहा था
मौसम स्तब्ध होकर मूर्ति सी खड़ी रह गई.. उसके जीवन की ये प्रथम किस.. आह्ह.. जैसे मौसम की पहली बारिश.. जैसे सरसराती हवा.. जैसे ताज़ा खिला हुआ गुलाब.. जैसे पहाड़ों से बहता हुआ झरना.. जैसे जीवन का पहला ऑर्गैज़म.. !!! रोमांच से थर थर कांप रही थी मौसम.. जिंदगी में पहली बार किसी मर्द ने इस तरह छुआ था उसे.. यह स्पर्श इतना मधुर लगेगा उसका अंदाजा नहीं था मौसम को.. उसकी दोनों जांघों के बीच कुछ अजीब सी अनुभूति हो रही थी.. जो वह समझ नहीं पा रही थी..
मौसम के हावभाव देखकर पीयूष को इतना तो यकीन हो गया की उसे अच्छा लगा था.. उस दुकान से उन्होंने एक अच्छा सा ड्रेस पेक करवाया और दोनों दुकान से बाहर निकल गए.. मौसम तेज कदमों से आगे चल रही थी और पीयूष उसके पीछे पीछे.. पीयूष ने और एक साहस कर दिया.. अपने मध्यम कद के कूल्हे मटकाते चल रही मौसम के एक चूतड़ को अपनी हथेली से दबा दिया..
मौसम रुककर पीछे देखने लगी और बोली "बस जीजू.. बहोत हो गया.. "
पीयूष हँसकर उसके करीब आया और उसकी कमर में हाथ डालकर उसके साथ ही चलने लगा..
पीयूष ने चलते चलते धीरे से उसके कानों में कहा "मौसम, आई लव यू.. टेल मे यू ऑलसो लव मी.. प्लीज मौसम प्लीज.. !!"
मौसम के हुस्न ने पीयूष को अंधा बना दिया था.. वह अभी अपना सबकुछ मौसम को समर्पित करने के लिए तैयार था.. बदले में सिर्फ मौसम का दिल चाहता था.. आज मिले इस मौके का वह भरपूर फायदा उठाना चाहता था.. जीवन की प्रथम किस के नशे ने मौसम को ऐसा भ्रमित कर दिया था की उसे ये भी खयाल नहीं आया की पीयूष उसकी बहन का पति था
मौसम: "आई लव यू टू, जीजू.. पर किसी को ये पता नहीं चलना चाहिए.. वरना आफत आ जाएगी.. मुझे आपके साथ बहोत अच्छा लगता है"
मौसम की कमर पर ओर जोर से पकड़ बनाई पीयूष ने.. और अपनी ओर खींच लिया.. वह ऐसा महसूस कर रहा था जैसे उसका जीवन सफल हो गया हो
पीयूष: "मौसम.. चल यार.. वो वाली दुकान पर वापिस चलते है"
मौसम: "नहीं जीजू.. हम उस लड़की को बता चुके है की हम पति पत्नी नहीं है.. अब वापिस जाएंगे तो वो लोग हमारे बारे में क्या सोचेंगे?"
एक दुकान के बार बैठक पर मौसम बैठ गई
पीयूष: "क्या हुआ? थक गई ?"
मौसम: "नहीं जीजू.. मुझे आपके साथ बैठकर बातें करनी है.. ढेर सारी.. बैठिए ना.. वापिस लौटकर दीदी की मौजूदगी में हम थोड़े ही बात कर पाएंगे.. !!"
पीयूष समझ गया.. इस आजादी और एकांत का फायदा उठाने का मन कर रहा है मौसम को.. पर यहाँ काफी लोग है आजूबाजू.. कहीं खोपचे में ले जाकर इसके संतरे दबाने की तीव्र इच्छा हो रही है.. क्या करू? ऐसी कटिली चीज है की देखते ही लंड बेकाबू हो जाए.. जिस मौसम को में पाना चाहता था वह इतनी आसानी से मेरी झोली में आ गिरेगी इसका अंदाजा नहीं था मुझे.. आग दोनों तरफ बराबर जली हुई है.. पर हाय रे किस्मत.. यहाँ खुली सड़क पर कुछ भी कर पाना नामुमकिन था..
सड़क के किनारे एक कुत्ता.. किसी कुत्तिया की पूत्ती सूंघ रहा था.. देखकर पीयूष को गुस्सा आया.. हम से तो अच्छे ये जानवर है.. जहां मर्जी चोदना शुरू कर सकते है.. ये समाज की हदें और इज्जत की बकचोदी.. बहोत गुस्सा आ रहा था पीयूष को.. उसका लंड उसे बार बार आपे से बाहर जाने की धमकी दे रहा था
मौसम ने पीयूष का हाथ अपनी जांघ पर रख दिया था.. और उस पर उंगलियों से "आई लव यू" लिख रही थी.. इस हरकत से पीयूष अब गुर्राए सांड की तरह हांफने लगा.. अपनी कुहनी से हल्के हल्के मौसम के स्तन को छु रहा था वो..
"जरा धीरे से करो जीजू.. दर्द हो रहा है मुझे" मौसम ने पीयूष के कान में कहा.. वैसे भी बेचारी मौसम को स्तन मसलवाने का अनुभव तो था नहीं.. उसे भला कहाँ पता था की आगे जाकर उसके स्तनों के साथ क्या क्या होने वाला था.. !!
"कितने मस्त है यार तेरे.. अंदर हाथ डालकर दबाने का मन कर रहा है मुझे" पीयूष ने कहा
मौसम ने तुरंत अपना टीशर्ट ठीक कर लिया "नहीं जीजू"
पीयूष: "अगर रात को चांस मिले तो होटल से कहीं जाना है?"
मौसम: "नो जीजू.. रात को कहीं भी जाएंगे तो दीदी को पक्का डाउट जाएगा.. यहाँ से वापिस लौट जाने के बाद हम कुछ भी ऐसा वैसा नहीं करेंगे.. चलिए अब चलते है यहाँ से.. " गिफ्ट की थैली हाथ में पकड़कर मौसम खड़ी हो गई.. सड़क पर चलते चलते एक सुमसान नाके पर पीयूष ने मौसम को पकड़कर एक जोरदार किस कर दी.. किस करते वक्त पीयूष के हाथ मौसम की चूचियों पर चले गए और उसने मजबूती से उसके नरम संतरे जैसे स्तनों को दबा दिया..
"ओ माँ.. कितनी जोर से दबाया आपने जीजू.. !!! ऐसे भी कोई दबाता है क्या?" टीशर्ट के बाहर निकली हुई ब्रा की पट्टी को अंदर डालते हुए मौसम ने कहा.. पर्स से छोटा सा आईना निकालकर मौसम ने अपना हुलिया चेक किया.. और दो बार किस करने से निकल चुकी लिपस्टिक को फिर से लगा दिया..