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Incest बेटी को लंड की प्यासी रंडी बनाया

कौनसा किरदार आपको सबसे अच्छा लगा?


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    71

Shivgoyal

Faminc
358
624
94
अब शिवम् और पलक रूम में आते हैं खाने के साथ और पलक खाना लगाने लगती हैं चारो के लिए। वही शिवम् और नुपुर एक दूसरे से झूठा मुठा सा मुंह फुलाए बैठ जाते हैं।
Update - 44
अब दिव्या कहती हैं: मम्मी मुझमें हिम्मत नहीं है खाना खाने की भी आप खिला दो।
नुपुर: अभी चुदाई के लिए बोल दो पूरी हिम्मत आ जायेगी नौटंकी बता रही हैं।
दिव्या: नही मम्मी सच में हिम्मत नही हैं।
शिवम्: अरे ठीक हैं ना बेचारी बोल रही हैं नही हिम्मत हैं तो। मैं खिला दूंगा।
नुपुर: अरे पर।
शिवम्: ठीक हैं मैं तुम तीनो को खिला दूंगा तुम तीनो आराम से बैठो बस।
नुपुर: मैं खुद खा लूंगी।
पलक: मैं भी पापा आप बस दिव्या को खिला दो।
शिवम्: तुम दोनो से किसी ने पूछा।
अब नुपुर पलक को आगे कुछ बोलने से रोक देती हैं। और शिवम् तीनो को अपने हाथो से खाना खिलाने लगता हैं। अब दिव्या खाना खाते हुए मन में सोचती हैं: हाए पापा सबका कितना खयाल रखते हैं। मम्मी कितनी लकी है उनको ऐसा पति मिला हैं मुझे जलन हो रही हैं उनसे अब। काश मेरा पति भी पापा की तरह हो। हाए उस से भी अच्छा काश पापा ही मेरे पति बन जाए। हाए क्या क्या सोच रही हूं मैं पर क्या करू पापा जैसा पति तो न मिलेगा तो इन्ही को क्यू ना पति बना लू। वैसे ही मैं चुदवाने तो वाली ही हूं और बेटी हूं तो पापा प्यार भी करते हैं अब बस पापा को और पाटा के अपना बना लेती हूं। हाए मैं भी ना अपनी का ही घर उजाड़ ने में लगी हूं क्या हो रहा हैं मुझे।
दिव्या इतना सोच रही होती हैं तभी नुपुर उसका चेहरा देखती जो की लाल हुआ पड़ा है और उसकी नजरे एक तक शिवम् पे ही अटकी हुई हैं और एक मुस्कुहरत हैं जिसको देख नुपुर समझ जाती हैं दिव्या के मन में क्या चल रहा हैं। अब वो दिव्या की सोच ज्यादा आगे न जाए इसलिए टोकते हुए बोलती हैं: दिव्या वो मेरे पति हैं ज्यादा मत सोचो उनका लंड भी नही मिलेगा याद रखना।
ये आवाज दिव्या के कान में पड़ती हैं तो वो हड़बड़ाते हुए नुपुर की तरफ चेहरा घुमा लेती हैं और हकलाते हुए बोलती हैं: क्या हुआ मम्मी?
नुपुर: जो होना था होगया पर तुम ज्यादा खयाली पुलाव मत पकाओ। एक बार तुम्हे मै निपटा दूंगी समझी।
दिव्या अनजान बनते हुए: कौनसे खयाली पुलाव मम्मी। क्या बोल रही हो आप मैं कुछ समझी नहीं।
नुपुर: नही समझी तो ठीक हैं वैसे मैं जान रही हूं के तुम अब ज्यादा ही समझ चुकी हो।
अब दिव्या समझ जाती हैं के मम्मी से कुछ छुपाने से कुछ नही होगा उनको बोल देना ही सही हैं तो शर्माते हुए बोलती हैं: मम्मी पर आप भी समझो मैं भी तो लड़की हूं एक मुझे भी कुछ चीज पसंद आयेंगे कहा तक दिल को रोकूंगी। आपके पास तो सब हैं पर मुझे तो कुछ नही पता के मुझे कुछ मिलेगा भी या नहीं तो जो दिख रहा हैं उसे देख रही हूं।
नुपुर: पर अपनी की ही चीज को देख रही हो।
दिव्या: क्या करू आप बताओ आप ही के पास हैं मेरे पास तो कुछ नही हैं तो कहा देखूं।
नुपुर दिव्या की बात समझती हैं और फिर दो मिनट सोच के बोलती हैं: तुम्हे जो चाहिए वो मेरे साथ शेयर कर लो पर दिमाग ज्यादा मत चलाओ क्युकी छीन नही पाओगी और मैं भी नाराज हो जाऊंगी तो कहा जाओगी।
दिव्या: ठीक हैं मम्मी मैं कुछ नही छीनूंगी। पर मुझसे आप शेयर करोगी ये सोचो।
नुपुर: तुम्हे जो जो चाहिए सब मिल तो रहा हैं बाकी जो कुछ और तुम्हारी जरूरत हैं वक्त आने पे मैं पूरी करवा दूंगी। ठीक।
दिव्या: ठीक अगर आप कहती हो तो मैं मन लेती हूं।
शिवम्: तुम दोनो क्या बतिया रही हो हम लोगो को कुछ समझ नही आ रहा हैं।
नुपुर: आप नही समझेंगे ये लड़कियों की बात हैं।
शिवम् पलक की तरफ देखते हुए: तुमको समझ आया कुछ?
पलक: नही पापा। मैं भी कोशिश ही कर रही हूं समझने की।
शिवम्: अब बताओ इसको भी नही आया अब ये लड़की नही हैं क्या?
नुपुर: ये बच्ची हैं और आप बेवकूफ़।
शिवम्: ठीक भाई हम बेवकूफ ही सही हैं।
दिव्या: हां आप ऐसे ही रहो एक दम बेवकूफ और आपके चाकर में न जाने क्या क्या हो जायेगा। थोड़े तो समझ डर बनो।
नुपुर: इनसे इस चीज की उम्मीद मैने तेरे पैदा होने के बाद से छोर दी थी। मुझे लगा था ये तेरे बाद समझदार हो जायेंगे पर उसके बाद और ज्यादा हो गए।
इस बात पे तीनो औरते हस देती हैं जिसपे शिवम् नुपुर को घूरता हैं और बोलता हैं: बेटा मैं समझदार हूं इसलिए इतनी बड़ी कंपनी चला रहा हूं समझी।
नुपुर: हां बस इतनी ही समझदारी हैं आपमें बाकी चीज़ों में घंटा कुछ नही जानते आप।
दिव्या: अच्छा मम्मी पापा को परेशान मत करो ज्यादा एक ही तो सहारा हैं हम लोगो का पापा नाराज हो जायेगा तो वो भी नहीं मिलेगा।
इसपे नुपुर बोलती हैं: भगवान भी अच्छी चीज़े गधों को देता हैं।
तीनो हस देती है और शिवम् भी इस बात पे हस देता हैं। तभी दिव्या बोलती हैं: हां मम्मी गधों का लंड बड़ा होता हैं। अब अपनी किस्मत में एक ही गधा हैं आप उसको नाराज कर दोगी तो कैसे चलेगा।
शिवम्: ज्यादा बोल रही हो तुम गधे का लंड तुममें घुसेगा तो मर जाओगी।
दिव्या: हाए पापा उस प्यारी मौत के लिए तो कबसे तड़प रही हूं दे दो ना वो मौत मुझे। मेरी जान।
शिवम्: क्या बेशर्म लड़की पैदा की हैं तुमने।
नुपुर: मेरे से ना बोलो कुछ स्पर्म आपका ही हैं।
शिवम्: इतने गंदे स्पर्म थे क्या मेरे।
दिव्या: पापा इसका पता मैं लगा सकती हूं आप मुझे चोद दो मैं बच्चा पैदा कर दूंगी फिर देख लेंगे आपके स्पर्म में दिक्कत थी या मम्मी के अंडे में।
शिवम्: तू चुप रहे हवस की पूजारन।
अब नुपुर और दिव्या हस पड़ती है और फिर चारो ऐसे ही तफरी करने लगते हैं। शिवम् तीनो को खाना खिला के बर्तन रूम के बाहर कर देता हैं। और दिव्या लेट जाती हैं और बोलती हैं: मम्मी मुझे नींद आ रही हैं मैं सोने जा रही हूं।
पलक: मैं भी मम्मी।
नुपुर: ठीक हैं तुम दोनो सो जाओ।
दिव्या नुपुर की तरफ पीठ करके लेटते हुए बोलती हैं: नुपुर हम लोग थके हुए हैं तो चुदाई मत करने लगना तुम दोनो डिस्टर्ब होता हैं।
इस बात पे नुपुर दिव्या का कान खींचते हुए बोलती हैं: क्या बोली आज कल ज्यादा बेशर्म नही होती जा रही है तू कुछ भी बोलने लगी हैं।
दिव्या दर्द से चिल्लाते हुए: अरे सॉरी मम्मी।
नुपुर उसका कान छोर देती हैं तो दिव्या कान मलते हुए बोलती हैं: आप भी ना बेशर्म खुद बनाती हो और फिर डांटती हो। मैने क्या गलत बोला आप दोनो सेक्स करोगे तो दिक्कत होगी वही तो बोला अब इतना भी नही बोल सकती?
नुपुर झूठ मूठ गुस्से वाली मुस्कान के साथ: तुम ना
दिव्या: क्या?
नुपुर: तुम बस बहुत बिगड़ गई हो। और तुम किसी दिन मुझसे पिटोगी।
दिव्या: आप प्यार नही करती क्या मुझे को मुझे मरोगी।
नुपुर: अरे तुमसे ही तो सबसे ज्यादा प्यार करती हूं मेरी जान तुम्हारे बाप से भी ज्यादा। उनसे तो बस उनके लंड की वजह से टिकी हुई हूं।
दिव्या: अच्छा मुझसे इतना प्यार करती हो। अगर इतना करती हो तो मेरे लिए अपने पति का लंड छोर दोगी।
नुपुर: हाए मेरी कमजोरी मांगली तुमने। पर चल तू बोलेगी तो वो भी तेरे लिए कुरबान अब बोल।
दिव्या: हम्म् चलो तो उसकी कुर्बानी मत दो बस इतना प्रोमिस करो के मुझे हर वक्त अपनी देती रहोगी।
नुपुर: तू जब लेना चाहती हैं तो ले ही लेती हैं रोका तुझे आज तक तेरी ही हैं।
दिव्या: वो तो हैं। पर अब तो दी भी हैं ना तो उनको भी तो दोगी।
नुपुर: तुम दोनो को जब लेना हो ले सकती हो तुम दोनो मेरी प्रायोरिटी हो। मेरे पति से भी पहले हो तुम दोनो।
दिव्या: हम्मम अब की अच्छी मम्मी वाली बात।
नुपुर: तो अभी तक मैं अच्छी मां ना थी।
दिव्या: हां थी अच्छी मां पर अब और अच्छी हो गई हो। चलो अब मुझे सोना हैं डिस्टर्ब मत करो।
इतना बोलके दिव्या पलक को घसीट लेती हैं अपने बगल में और उसको अपनी बाहों में भरके उसको kiss करते हुए सो जाती हैं और पलक भी अपनी आंखे बंद कर सो जाती हैं।
इधर दोनो सोती हैं और शिवम् रूम में आता हैं नीचे रिसेप्शन कुछ बात करके। वो रूम में घुसता हैं तो दोनो को सोता पाता हैं तो नुपुर की तरफ इशारा करके पूछता हैं के इन दोनो को क्या हुआ तो नुपुर जवाब में सोने का इशारा करती हैं। नुपुर शिवम् को अपने पास बुलाती हैं और शिवम् उसके पास आ के बिस्तर पे बैठ जाता हैं और बोलता हैं: हां बोलो महारानी क्या हुआ अभी तो लड़ रही थी अब क्या हैं।
नुपुर: हां तो लड़ना हक हैं मेरा और प्यार करना भी इसलिए बुलाया। बड़े दिन से ऐसे रात में बैठके बात नही करी ना।
शिवम्: हां तो रोज चुदना होता हैं तुझे तो कैसे करेंगे बात।
नुपुर मुस्कुराते हुए: हां तो आज नही चुद सकती मेरी बेटी ने बोला हैं do not disturb अब बोलिए। आप बात भी नही करोगे क्या।
शिवम् उसका माथा चूमते हुए: तुझे बात करना तो मुझे बहुत पसंद हैं बोल क्या बात करनी है तुझे मुझसे।
नुपुर: वैसे मैं इतना सब कर चुकी हूं के अब ये सवाल सही नही लगता हैं पर फिर भी आप एक बार सच सच बताइए मैं इसके साथ अपने शौक पूरे करके कुछ गलत तो नहीं कर रही हूं। मुझे ये डर लगता हैं के कही इसके साथ मैं कुछ बुरा न कर जाऊं।
शिवम्: हम्म् तुम इसकी मां हो पहली बात तो तुम गलत कर सकती हो। नही, और दूसरी बात ये के हर मां बाप अपने शौक बच्चो के साथ ही पूरा करते हैं बस तुम्हारे शौक अजीब हैं पर उसको भी पसंद हैं तो ठीक हैं और जो हो गया रोक सकती हो तुम नही ना तो क्यू सोच रही हो हर मां बाप की तरह हम्हे भी बाद में पता चलेगा हमारे शौक हमारे बच्चो के लिए सही हैं या नहीं। पर इतना बोल सकता हूं मैं के तू इनसे प्यार करती हैं तो तू सही हैं। और मैं तेरे साथ इस चीज में हमेशा हूं।
नुपुर: वो तो मुझे पता हैं के आप हो मेरे साथ। और जो होगा देखा जायेगा पर इन दोनो को मैं इनकी लाइफ पूरी मजे में जीने दूंगी कोई रोक टोक नही।
शिवम्: हम्म् कोई रोक टोक नही बस बाप पे डोरे मरने के बारे में जब बेटी सोच रही हो तो रोक दो क्युकी पति वो तुम्हारा।
नुपुर: मैं बुद्धू हूं जो सोच बैठी के आप कुछ नही समझे हो। और मैने दे तो दी परमिशन।
शिवम्: हां कैसी परमिशन दी हैं आपने। पापा को शेयर करलो। बेचारी वो पूरा चाहती हैं और तुम शेयरिंग करने बोल रही हो।
नुपुर: तो मेरे पति हो जलन तो होगी ना भले कोई हो मैं ऐसे ही दे दू अपना पति किसी को भी।
शिवम्: किसी को में ये नही आती हैं पहली बात और दूसरी बात तुमने ही इसको ये सब सोचने लायक बनाया हैं और ये तो हम दोनो जानते थे के इसका मन ये होगा आज नही तो कल। तब क्या सोचा था ये तो नही था के शेयरिंग पे लेके आ जाओगी तुम। इसको इसका हक मिले और तुम्हे तुम्हारा ये तुमने ही बोला था।
नुपुर: हां सॉरी चलो अब मैं अपने आपको समझा लूंगी और सच में अब कोई रोक टोक नही।
शिवम्: ठीक है अब हम भी सोए।
नुपुर: हां अब मेरे अंदर भी हिम्मत नही हैं चुदने की तो उस लड़के को माना कर देती हूं।
शिवम्: ठीक हैं तुम माना कर दो और कैसे सोना हैं।
नुपुर शिवम् की बात न सुनके पहले लड़के को माना करती हैं फिर शिवम् को जवाब देती हैं: हम्म् आप पलक के बगल में सो जाओ मैं दिव्या के बगल में सो जाती हूं?
शिवम्: अच्छा ठीक हैं।
नुपुर: नही नही उसके बगल में आप भी कपड़े पहन लोगे वो भी बुद्धू हैं ऐसे ही सो गई कपड़े भी नही उतरे। आप इधर सो और जैसे मेरे साथ सोते हो वैसे ही सोना। इसको भी रात में अच्छा लगना चाहिए बाकी मैं इसके कपड़े उतरके इसके बगल में सो जाती हूं। ठीक।
शिवम्: ठीक हैं महारानी साहिबा जो आपका आदेश।
अब शिवम् दिव्या के बगल में लेटता हैं और अपना लंड दिव्या की चूत के पास उसके पैरो के बीच में फसा देता हैं। अब दिव्या शिवम् की ओर पीठ करी हुई होती हैं तो शिवम् उसकी चूत से अपना लंड रगड़ देता है और उसकी चुचियों को अपने हाथ में भर के उसकी गर्दन पे मुंह लगाके उसकी पीठ को अपनी छाती हैं चिपका लेता हैं अब इतने सब से दिव्या के मुंह से आह निकल जाती हैं। वो गहरी में नींद में होती हैं और नींद में भी अपने पापा के सपनो में होती हैं तो ये सबसे वो नींद में बडबडा जाती हैं: आह पापा ऐसे ही अपनी बेटी को अपना बना लो।
शिवम् उसकी बात सुनके नुपुर को देखता हैं जो पलक के कपड़े उतार रही होती हैं तो वो शिवम् को देखती हैं और हस्ते हुए इशारे में कहती हैं नींद में हैं। शिवम् भी हस देता हैं। फिर नुपुर पलक को दिव्या की तरफ करती हैं और उसकी पीठ को अपनी छाती से लगा के उसकी चुचियों को एक हाथ से दबाती हैं और एक उसकी चूत पे रख देती हैं और उसकी गर्दन पे होंठ रख चूमती हैं। अब दोनो एक दूसरे को देखते हैं और अपनी बेटियो के कंधे पे सिर रख के उनको अपनी बाहों में भर के सो जाते हैं।
 
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शिवम् उसकी बात सुनके नुपुर को देखता हैं जो पलक के कपड़े उतार रही होती हैं तो वो शिवम् को देखती हैं और हस्ते हुए इशारे में कहती हैं नींद में हैं। शिवम् भी हस देता हैं। फिर नुपुर पलक को दिव्या की तरफ करती हैं और उसकी पीठ को अपनी छाती से लगा के उसकी चुचियों को एक हाथ से दबाती हैं और एक उसकी चूत पे रख देती हैं और उसकी गर्दन पे होंठ रख चूमती हैं। अब दोनो एक दूसरे को देखते हैं और अपनी बेटियो के कंधे पे सिर रख के उनको अपनी बाहों में भर के सो जाते हैं।
Update - 45 a
अब सुबह पीछले दो दिन की तरह दिव्या ही सबसे पहले उठती हैं। वो उठती हैं तो देखते हैं सामने पलक बिलकुल नंगी पड़ी होती हैं जिससे चिपकी हुई नुपुर सो रही होती हैं वही दिव्या की चूत से शिवम् का लंड रगड़ खा रहा होता हैं जिसे दिव्या महसूस करके पीछे घूम देखती हैं। पीछे शिवम् उससे चिपका हुआ हैं। ये सब देख उसको बहुत अच्छा लगता हैं। वो सोचती हैं: हाए पापा का लंड पूरी रगड़ खा रहा था। तभी मुझे पूरी रात पापा के साथ चुदाई के सपने आए। मेरी मम्मी कितनी प्यारी हैं पापा को ऐसे सोने के लिए उन्होंने ही कहा होगा जिस से मुझे अच्छा लगे। मेरी मां बेस्ट हैं। I love her अब मन नही कर रहा हैं उठने का पर क्या करू बाथरूम भी जाना हैं। चलो हो आती हूं पहले फिर थोड़ा और रगड़वा लूंगी।
ये सोचते हुए दिव्या बिस्तर से उठ जाती हैं और बाथरूम चली जाती हैं। अब दिव्या बाथरूम से रोते हुए बाहर निकलती हैं। अब वो इतनी तेज रो रही होती हैं के तीनो की नींद टूट जाती हैं। अब तीनो उठकर बैठ जाते हैं और उस से पूछने लगते के वो क्यू रो रही हैं तो दिव्या कुछ बोले बिना बस रोए जा रही होती हैं। थोड़ी देर पूछने के बाद नुपुर दिव्या के पास आती हैं और उसको एक जोर दार तमाचा लगा देती हैं। तमाचा पड़ते ही दिव्य चुप हो जाती हैं और नुपुर को देखने लगती हैं जिसपर नुपुर बोलती हैं: इतनी देर से पूछ रहे हैं क्या हुआ बोला नही जा रहा हैं ना तुझसे ड्रामा कर रही इतनी देर से अब जल्दी बोल क्या हुआ?
दिव्या सिसकते हुए: मम्मी वो... वो... मेरे ना...
नुपुर: तेरे क्या जल्दी बोल।
दिव्या: मेरे पीरियड्स चालू हो गए हैं।
ये सुनते ही शिवम् एक दम से अपना सिर पीट कर बिस्तर पे वापस लेट जाता है और नुपुर पलक उसको घूरती हैं और बोलती हैं बस और वो दोनो भी लेट जाती हैं। तभी नुपुर को समझ आता हैं के दिव्या क्यू रोई थी और वो उठ के हसने लगती हैं। वो बोलती: तेरे सच में पीरियड्स चालू हो गए।
दिव्या: हां और नही तो क्या।
नुपुर: तो अब तो सब बंद तेरा।
दिव्या रोते हुए: मम्मी कुछ करो।
अब शिवम् उठता हैं और बोलता हैं: अच्छा इसलिए ये रोई इतना।
नुपुर: हां आपकी बेटी की बेचारी की चुदाई रह गई अब इस हाल में तो काताई नही मैं इसकी चुदाई करवाऊंगी।
दिव्या: ये साले कुत्ते अभी ही आना था जब मैने मजे करने शुरू किए।
नुपुर: आने तो थे ही न बेटा आज नही तो कल।
दिव्या: ये पहले आने थे इस बार लेट होगाये और मेरी लगा गए।
नुपुर: चलो देर आए दुरुस्त आए।
दिव्या: मम्मी मजाक मत करो इस वक्त।
नुपुर: मजाक नही सीरियस हूं देख तेरा bday कितने दिन बाद हैं।
दिव्या: ध्यान नहीं।
नुपुर: ११ दिन बाद तब तक तो तेरे पीरियड्स ओवर हो जायेंगे। ठीक तो तुझे अब मैं और तेरे पापा क्या bday gift दे ये हम दोनो को भी समझ नही आ रहा था तो क्यू ना यही दे दे जो तुझे चाहिए। बोल
दिव्या: मतलब?
नुपुर: मतलब सीधा सा हैं तेरी वर्जिनिटी तेरे पापा तेरे bday के ठीक १२ बजते ही ले लेंगे। उस दिन मैं तेरी सुहागरात मनवाऊंगी। बोल ये गिफ्ट्स तेरे लिए अच्छे हैं के नही।
दिव्या: सच में ये गिफ्ट्स बहुत अच्छे हैं पर बहुत दिन बाद मिलेगा।
नुपुर: अब क्या कर सकते हैं पर किसी अच्छी चीज के लिए इंतजार तो कर ही सकते हैं साबर का फल मीठा होता हैं ना। तू भी साबर रख। तुम्हे बहुत मीठा फल तुम्हारे पापा और मैं दूंगी। १९ साल की होते ही मेरी बेटी की चूत जवान हो जायेगी और फिर तुम्हारा bday का दिन खतम होते होते मैं और भी गिफ्ट्स दूंगी तुम्हे।
दिव्या: अगर ये हैं तो मैं तयार हूं। पर अभी इसका क्या करूं मैं अब कैसे करूंगी सेक्स आप दोनो के साथ भी।
नुपुर: अब कुछ दिन सन्यास ले तू। अब बस चाट चटवा नही।
नुपुर हस देती हैं इस बात पी तो दिव्या थोड़ा उदास हो जाती हैं। अब नुपुर उसको खुश करने के लिए बोलती हैं: थोड़े दिन तू सेक्स नही करेगी तो पापा के साथ बहुत अच्छे से एंजॉय कर पाएगी ये सोच ना। और तेरे लिए मैं भी तेरे पापा के लंड को नही छूंगी। अब चलो एक काम करते हैं अब न मैं ना तुम ना ही पलक कोई पापा को bj नही देगा ना ही लंड को कोई हिलाएगा ठीक अब वो जब तुम दोनो को चोदेंगे तब उनका सड़का बाहर आएगा। बोलो।
दिव्या: हम दोनो को तो दी की सुहागरात कब मानेगी।
नुपुर: तेरे से पहले मतलब तेरे १० दिन में तो बीच में तेरी दी की वर्जिनिटी का काम कर लेंगे। मतलब ५ दिन के बाद पलक चुदेगी फिर तू।
दिव्या: ठीक हैं। और वैसे भी दी वर्जिन ही हैं उनके bf का तो लंड हैं ही नहीं एक तरीके से।
पलक: हां सच में। पर मम्मी मैं पहले क्यू?
नुपुर: तुम बड़ी हो इसलिए।
पलक: पर दिव्या..
दिव्या: आप मेरी दी हो तो ये जो बात बोलने जा रही हो कभी मत बोलना मेरी हर चीज पे आपका पूरा और पहला हक हैं समझी।
पलक: ठीक हैं मेरी मां। मैं समझ गई।
और पलक दिव्या को गले लगा लेती हैं। अब नुपुर कहती हैं: चलो अब घर चलते हैं एक रात में बहुत पैसे में आग लगा ली हम लोगो ने।
दिव्या: ठीक हैं मम्मी।
नुपुर: पलक तुम्हारे पास कोई एक्स्ट्रा ड्रेस और ब्रा पैंटी होगी इसके लिए।
दिव्या: मेरे लिए क्यू?
नुपुर: पैड्स कैसे पहनेगी। अब बेटा कुछ दिन पैंटी में ही गुजर।
पलक: मम्मी एक एक्स्ट्रा जोड़ी हैं मेरे पास अभी लाती हूं।
शिवम्: तुझे भी एक ड्रेस चाहिए होगी?
नुपुर: हां आपकी कार में जो ड्रेस रहती हैं ले आइए कल तो नंगे आ गए थे पर अब आज नही वो नौटंकी अब मुझे सही से घर जाना हैं कल बहुत बकचोदी करली हम दोनो ने।
शिवम् हस्ते हुए: हां वो तो हैं चलो लता हूं।
अब दोनो पलक और शिवम् रूम से निकल जाते हैं और नुपुर दिव्या के पास बैठती हैं। नुपुर दिव्या की ओर देखती हैं तो दिव्या बोलती हैं: अब क्या करना हैं ये पीरियड्स के चक्कर में मैं कुछ नही कर पाऊंगी और अब कपड़ो में ही रहना पड़ेगा।
नुपुर: तू घर चल मैं बताती हूं क्या क्या कर सकते हैं तुझे मुझपे भरोसा हैं ना।
दिव्या हां में गर्दन हिला देती हैं और दूसरी ओर शिवम् और पलक ड्रेस ले आते हैं जिनको नुपुर और दिव्या जल्दी से पहन लेते हैं। नुपुर शिवम् से कहती हैं के वो पलक के साथ चला जाए और उसका सामान पैक करवा के उसको और उसके सामान को घर पे छोड़ दे। वही वो दिव्या को घर ले जायेगी। शिवम् भी नुपुर की बात मानके पलक को अपने साथ कार में ले जाता हैं पलक के फ्लैट पे वही दिव्या और नुपुर अपने घर आ जाते हैं।
 

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दिव्या हां में गर्दन हिला देती हैं और दूसरी ओर शिवम् और पलक ड्रेस ले आते हैं जिनको नुपुर और दिव्या जल्दी से पहन लेते हैं। नुपुर शिवम् से कहती हैं के वो पलक के साथ चला जाए और उसका सामान पैक करवा के उसको और उसके सामान को घर पे छोड़ दे। वही वो दिव्या को घर ले जायेगी। शिवम् भी नुपुर की बात मानके पलक को अपने साथ कार में ले जाता हैं पलक के फ्लैट पे वही दिव्या और नुपुर अपने घर आ जाते हैं।
Update - 45 b
अब घर आने के बाद दिव्या नीचे कुर्सी पर बैठ जाती हैं और जो कार में पड़े दोनो के कपड़े होते हैं वो लेके आती हैं। नुपुर दिव्या से बोलती हैं: बेटा तुम यह क्यू बैठी हो जाओ रूम में आराम कर लो।
दिव्या: मैं नही जा रही एक तो वैसे ही बुरा लग रहा हैं ऊपर से पीरियड्स के चक्कर में मूड स्विंग हो रहे हैं।
नुपुर: हम्म् तो मतलब तुम खुद नही जा पाओगी। ठीक हैं फिर मुझे ही कुछ करना पड़ेगा।
इतना बोलके नुपुर दिव्या के पास आती हैं और उसको अपनी गोद में उठा लेती हैं। अब दिव्या बोलती हैं: क्या कर रही हो मम्मी?
नुपुर: मम्मी बोलोगी प्यार नही हैं तुम्हे मुझसे।
दिव्या: अरे नुपुर, बस अब ये बताओ मुझे उठाया क्यू हैं?
नुपुर: तुमको रूम में ले जाने के लिए।
दिव्या: गिर जाओगी तुम मैं भारी हूं।
नुपुर: पागल तुम कितनी हल्की हो ये तुम नही जानती हो। मैं तुम जैसी दो लड़कियां उठा लू।
दिव्या: कुछ भी मतलब।
नुपुर: तुम जानती नही हो मैं तुमसे बहुत ताकतवर हूं। तुम्हारे बाप को भी उठाया है मैंने।
दिव्या: नुपुर उतना फेको जितना मैं कैच कर पाऊं।
नुपुर: अपने बाप से पुछलेना कुत्तिया।
दिव्या: ठीक हैं। पर मेरे साथ कुछ कर तो सकती नही तो रूम में ले क्यू जा रही हो।
नुपुर: तुम्हारे साथ अभी भी मैं मेरा काम कर सकती हूं। बस तेरी चूत से ही तो परहेज करना हैं बाकी तो मैं तेरे पुरे शरीर के साथ खेल ही सकती हूं।
दिव्या: अच्छा।
अब नुपुर दिव्या को बिस्तर पे पटक देती हैं और उसके ऊपर चढ़ जाती हैं और उसके शर्ट के बटन खोलने लगती हैं। तभी दिव्या नुपुर को kiss करने के लिए अपना सिर आगे कर देती हैं। अब नुपुर दिव्या की शर्ट उतरते हुए उसको kiss करने लगती हैं। फिर नुपुर उसकी शर्ट उतार के फेक देती हैं। फिर उसके बाद उसकी ब्रा भी उतार के फेक देती हैं। अब दिव्या बस नीचे से पैंट पहनी होती हैं और दोनो kiss कर रहे होते हैं।
दिव्या: नुपुर ये ब्रा बहुत टाइट थी।
नुपुर: ये पैंट भी मुझे टाइट लग रही हैं आजाद कर दूं तुम्हे इस से।
दिव्या: तुम सब उतार दो। मेरे लिए तो तिनका भर भी कपड़ा बहुत लग रहा हैं।
नुपुर: कुछ तो पहन ना होगा।
इतना बोलके नुपुर दिव्या की पैंट भी उतार देती हैं फिर नुपुर खड़ी होकर अपने सारे कपड़े उतार देती हैं। फिर नुपुर दिव्या पे चढ़ जाती हैं वापस। दिव्या नुपुर से बोलती हैं: वैसे नुपुर मैं बहुत बिगड़ गई हूं ना? बहुत गंदी लड़की बन गई हूं।
नुपुर: ऐसा क्यों बोल रही हो जान?
दिव्या: वो मैं एक कपड़े में भी अब परेशान हो रही हूं जब ये तो एक दिक्कत हैं और तुमने तो मुझे मजबूरी में ही पहनाया हैं। फिर भी चिड़चिड़ा रही हूं।
नुपुर उसका माथा चूमते हुए: हां तुम बिगड़ तो गई हो पर मेरे लिए इतना काफी नही हैं मैं तो तुम्हे और बिगड़ना चाहती हूं।
दिव्या: और बिगड़ना चाहती हो। मैं इतनी तो बिगड़ गई और क्या बिगाड़ोगी तुम मुझे।
नुपुर: मैं तुम्हे अपनी ये कह लो फकटॉय बनाऊंगी। और फिर बहुत कुछ के तुम्हे इतना बिगड़ दूंगी के तुम सेक्स के सामने कुछ सोचो और हर मर्द तुम्हे किसी भी तरीके से इस्तेमाल करे। मेरी फैंटेसी थी और मैं भी कभी ऐसी ही थी के मर्द मेरे साथ कुछ भी कर सकते थे। मैं तेरे साथ ये सब करना चाहती हूं।
दिव्या: नुपुर तुम कितनी गंदी हो मैं तुम्हारी बेटी हूं और तुम ये सब सोचती हो मेरे बारे में। तुम्हे नही लगता इन सबसे तुम मेरी जिंदगी बर्बाद कर दोगी।
नुपुर: तुम्हे ऐसा लगता हैं मैं तुम्हे बर्बाद कर दूंगी?
दिव्या अपनी नजरे नुपुर से चुरा लेती हैं और दो मिनट सोचने के बाद बोलती हैं: तुम मुझे मर्दों स्लेव बनाओगी क्या?
नुपुर: नही मैं तुम्हे अपनी गुलाम बनाऊंगी। तुम्हारे साथ सब कुछ करूंगी और करवाऊंगी और तुम्हे दिमाग भी नही चलने दूंगी।
दिव्या: मतलब।
नुपुर: मतलब ये के जो मैं कहूंगी और जो करवाऊंगी तुम सिर्फ वो ही करोगी ना कुछ सोचोगी के सही हैं या गलत न कुछ समझोगी।
दिव्या: अच्छा वैसे तो मुझे ये सब गलत लग रहा हैं पर ये सब अच्छा भी लग रहा हैं मैं.... मैं नहीं जानती हूं अब कुछ तू जो चाहेगी मैं करूंगी अब तेरे साथ इतना बिगड़ गई हूं तो तू लूट ले मुझे वैसे भी तूने ही पैदा किया हैं तो जो तू करना चाहे तू कर ये शरीर वैसे भी तेरा हैं।
नुपुर: पक्का।
दिव्या: तुम्हारी और पापा कसम इस शरीर इस लड़की के साथ तुझे जो करना हैं कर के लड़की एक सेकंड भी आज के बाद नही सोचेगी कुछ। बस तेरे कहे पे चलेगी।
नुपुर: मेरी गुड गर्ल। अच्छा तेरी चूत को तो कुछ नही कर सकती हूं पर मैं चाहती हूं तेरा anal सेक्स safe हो। इसलिए एक दो दिन तक मैं तेरी गांड के छेद में अपनी उंगलियां डालूंगी और तुझे कुछ दिनों तक butt plug का इस्तेमाल करना होगा। क्युकी तू अगर एक बार में पापा लंड अपनी गांड में डलवाएगी तो उनको भी और तुझे भी दिक्कत हो सकती हैं समझी।
दिव्या: इतना समझने की जरूरत नहीं थी तुम जो लाके देती मैं उसे इस्तेमाल कर लेती।
नुपुर: अच्छा समझ गई मेरी जान। चल तू ये plug घुसाने की ट्राय कर।
अब दिव्या को दर्द होता हैं पर वो plug अपनी गांड में घुसा लेती हैं। अब नुपुर उसको kiss कर के बोलती हैं: चलो मैं नीचे सब ठीक करने जा रही हूं तेरे पास मेरा फोन हैं टीवी हैं जो देखना हो देखो ठीक। और जो मैं तुम्हे बनाना चाहती हूं वैसी चीज देखोगी तो मुझे अच्छा लगेगा।
दिव्या: तुमको क्या लगा मैं क्या देखूंगी मैं पहले वही देखूंगी फिर कुछ इंसेस्ट के बारे में देखूंगी।
नुपुर: मेरी जान अब मुझे लग रहा हैं तुझे कुछ बताने की जरूरत नहीं।
दिव्या: जरूरत हैं क्युकी मैं अब दिमाग नही चलाऊंगी बस मैं चुदूंगी अब कैसे किससे और कब चुदना हैं ये तो तुम्हे ही बताना हैं।
नुपुर: हां जान और तू बस अब नंगी रहेगी जब मैं कहूं तभी ही कपड़े छुएगी तू।
दिव्या: मैं तो वैसे भी नही छुने वाली थी।
अब नुपुर हस्ते हुए नीचे रसोई में चली जाती हैं और दिव्या ऊपर कमरे में फोन पे सारी चीज देखने लगती हैं। और सोच में पड़ जाती हैं: नुपुर के साथ मिलकर ये सब करना कितना सही रहेगा। पर ये कितना भी गलत क्यू ना हो पर हैं तो मजेदार ही। ना जाने कितने मर्दों को नुपुर मुझे देगी सब कुछ ना कुछ अपनी पसंद का मेरे साथ करेंगे। और मैं एक लड़की हूं मुझे मर्दों के लिए सब करना चाहिए और हर मर्द को ऐसी औरत रास आती हैं जो उसके सामने कुछ ना बोले बस लंड की भूखी हो। और वैसे भी अगर मैं ऐसी बनूंगी तो तो मुझे कोई न कोई मर्द इस हाल में भी सुख दे देगा। मेरे लिए तो ऐसी लड़की बन न ही सुख हैं। बस मर्दों को जो करना है वो करने की परमिशन ही तो देनी है गलत क्या हैं उसमें। अगर कई रोक टोक करूंगी तो वो जबरदस्ती कर ही लेंगे अपना काम तो अच्छा हैं नुपुर के हिसाब से चालू वो गलत नही सोचेगी मेरा। पर ये सब कितना गलत है पर कितना अच्छा फील दे रहा हैं मेरी चूत में पानी आ गया ये सब सोचते ही पता नही जब करूंगी तो कितना झडूंगी। हाए भगवान कैसी मां दी है तूने मुझे ये क्या क्या बनाएगी और मेरी चूत का क्या हाल करेगी। ऐसी मां तू और किसीको मत देना मेरे जितना सुख सब के जीवन में नही होना चाहिए। वो औरत अपने पति को मुझे दे रही हैं और इतने मर्द देगी हाए। नुपुर कितनी अच्छी हैं मैं भी ऐसी मां बनूंगी। और जैसे नुपुर सोच रही है मैं वैसे भी बहुत जल्द मां बन भी जाऊंगी।
अब ये सोचते ही दिव्या को हसी आ जाती हैं। वो इन्ही खयालों में खोई होती हैं तभी नीचे डोर बेल बजती हैं।
 
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