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Thik baApan ye sab chis banane me intrest na hai bas sewan karne me intrest hai aur agar bande chahiye to batane ka meko baat karega apan![]()
Ghumne gya hoyengaKaha gayab rahta hai![]()
सब जानवरों में इमोशंस होते है, पर मनुष्य को एक इमोशन ज्यादा मिला, लालच।आपकी कही गई सभी बातों से हम पूर्णतः सहमत हैं Ankitarani जी।
प्रकृति संतुलन के लिए इंसानों के योगदान की भी बहुत जरूरत है। काश ऐसा कभी हो जाए कि आरुषि का केमिकल लोचा वाला फार्मूला सच हो जाए तो इंसानों को उनके किए गए कृत्यों का भान हो जाए।।![]()
बात तो बिल्कुल सही है आपकी महोदय।सब जानवरों में इमोशंस होते है, पर मनुष्य को एक इमोशन ज्यादा मिला, लालच।
अब चाहे वो पैसे का हो या स्वाद का, यही लालच प्रकृति का बनाया वो हथियार है जिससे प्रकृति विनाश और विध्वंस की ओर अग्रसर होती है। ताकि नया निर्माण हो सके, और ये सतत प्रक्रिया है, और चलती ही रहेगी।
लालच और संतुष्टि भी इमोशन ही हैं।बात तो बिल्कुल सही है आपकी महोदय।
लालच को इमोशन न कहें तो ज्यादा ठीक है। लालच इंसानी मस्तिष्क में जन्मी वो नकारात्मक प्रक्रिया है जो विनास को जन्म दे रही है।
Oye andyking302 iss Riky007 namak manushya ko uthakar lejaa ye tere business me bohot kaam ayega biswas nhi to iske upar wale teen comment padh le khas kar antim waleGhumne gya hoyenga
BPSC KI TAIYARI KARTA HU YAAR...BUSY LIFE....11 ster fan kaha tha utte din se![]()