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Adultery भैरवगढ़ - कामुकता की इंतेहा

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Lutgaya

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Bhai tumko agar ye pasand nahi he to mat paro faltu bakwas karke story ka maja nasht na karo
बकवास नही भाई आलोचना
जो कि उतनी ही जरूरी है जितनी की वाह वाही।
क्या ये आवश्यक है कि हर पाठक कमेन्ट में शानदार ही लिखे।
अभी शुरूआत है लेखक चाहे तो कुछ भी बदल सकता है।
 

Ayushhh

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Ayushhh

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करीम अपने कमरे में लेटा हुआ था......उसके लिए मानो वक़्त थम सा गया था.....वो आने वाले कल को लेकर बहुत बेचैन था.....उसके सपनो की राजकुमारी जो उसको मिलने वाली थी......करीम वो सब चीज़े अपने दिमाग में सोच रहा था जो उसके दिल में कई सालों से दफन थी.....उसे अच्छे से मालूम था कि निधि अब उसकी किसी भी बात को इनकार नही करेंगी....किसी ने कहा हैं “ जब मंज़िल करीब हो तो सफर तय करना और भी मुश्किल हो जाता हैं ”......करीम के साथ भी कुछ वैसा ही हो रहा था.....

उधर निधि भी आने वाले कल को लेकर उतेजित हो रही थी.....समय के साथ उसकी चूत में भी गीलापन बढ़ता जा रहा था.....दोनो अगले दिन का इंतेज़ार कर रहे थे......

जैसे तैसे सुबह हुई और निधि के जहन में सबसे पहले करीम की याद आते ही उसके चेहरे पर चमक आ गयी.....वो ना चाहते हुए भी मुस्कुरा पड़ी......वह आज नाश्ते के लिए नीचे नही गयी......वह करीम को तड़पाना चाहती थी.....साथ ही वो कमली के सामने ऐसे जाने से डर रही थी......उसे डर था कि कहीं कमली उसके और करीम के बारे में कुछ गलत ना समझले.....उधर करीम की बेचैनी बढ़ती जा रही थी.....उसका तो मन कर रहा था कि अभी वो निधि के कमरे में जाकर वही पटक कर उसे चोद दे......पर जब कोई काम प्यार से हो जा रहा था तो उसे जबरदस्ती करने से कोई फायदा नही था.....वो निधि के नीचे आने का इंतेज़ार कर रहा था....

करीब दो घंटे बाद निधि अपने बेड से उठी और अपने वार्डरॉब के साड़ी के कलेक्शन में से एक बेहद ही खूबसूरत बंगाली साड़ी निकाली जो उसने अपनी शादी के पहले कोलकाता से खरीदी थी जब वो अपने कॉलेज टूर के दौरान वहाँ गयी थी....उसने साड़ी निकाल कर बेड पर रख दी और टॉवल लेकर बाथरूम में घुस गई.........उसने रेजर से अपनी चूत के बाल साफ किये और पूरे जिस्म को साबुन से मल मल कर अच्छे से धोया......करीब आधे घंटे बाद नहाने के बाद वो बाथरूम से बाहर आयी......इस वक़्त उसके जिस्म पर एक भी कपड़ा नही था..........फिर वो बेड पर रखे काले रंग की ब्रा और पैंटी को पहनने लगी.......फिर आखिर में उसने वो खूबसूरत साड़ी पहनी....




अगर कोई भी उसको इस साड़ी में देखता तो उसे बंगालन ही समझता.....उसका जिस्म भी किसी बंगाली औरत की तरह भरा हुआ था इसीलिए वो साड़ी उस पर बहुत जच रही थी.......उसने अपने बाल खुले रखे थे जो उसकी गांड तक आ रहे थे.......निधि की बेताबी बढ़ती जा रही थी........

निधि - पता नही करीम चाचा मुझे इस ड्रेस में देखकर क्या प्रतिक्रिया देंगे.......क्या मैं उसी बंगाली औरत की तरह दिख रही हूँ मैं जैसे करीम चाचा मुझे देखना चाहते थे......

वो अपनी कल्पना की दुनिया में खोई हुई थी.......जब निधि को पूरा यकीन हो गया कि अब तक कमली जा चुकी होगी तब वो अपने कमरे से बाहर आती हैं...... जब वो सीढियां उतर रही थी तो उसके पैरों की पायल की आवाज़ पूरी हवेली में गूंज रही थी......करीम हॉल में सीढ़ियों के सामने ही खड़ा हुआ निधि को एकटक नज़रो से देख रहा था......उसके कई सालों का सपना आज पूरा होने वाला था......आज वो एक बड़े घर की औरत को अपना बनाने वाला था......निधि सीढ़ियों से उतरते हुए ऐसे लग रही थी जैसे कोई परी स्वर्ग से जमीन पर उतर रही हो........निधि का दिल इस वक़्त बहुत जोरो से धड़क रहा था......कुछ ही पलों में वो हॉल में पहुँच जाती हैं.......करीम उसके सामने ही खड़ा था......निधि के दिमाग में यही चल रहा था कि करीम उसे इस साड़ी में देखकर क्या कहेगा.......कितने अरमानो से आज वो उसके लिए तैयार हुई थी......उसे यकीन था कि करीम उसे देखकर खुश हो जाएगा.......करीम हमेशा की तरह कुर्ता और लुंगी पहने हुए था......वह अपने मुँह में इलायची चबा रहा था......निधि को देखकर करीम की आंखे चमक उठी थी........उसका एक हाथ फौरन लुंगी के ऊपर से ही अपने लन्ड पर चला गया और उसने निधि के सामने ही अपने लन्ड को अच्छे से सहला दिया......निधि को शायद करीम की इस हरकत से अपना जवाब मिल गया था......उसकी नज़रे शर्म से फौरन नीचे झुक जाती हैं......निधि की ये अदा देखकर करीम के चेहरे पर गन्दी सी हँसी आ जाती हैं........

करीम - नमस्ते मालकिन.......माशाअल्लाह..... आप तो इन कपड़ो में पूरी क़यामत लग रही हैं.......जी करता हैं आपको बस ऐसे ही देखता रहूँ.......मैं ये बता नही सकता आप इन कपड़ो में कितनी खूबसूरत लग रही हैं.....बस इतना कहूंगा कि आपने इस गरीब के सपनो को साकार कर दिया......जिसकी मैने कल्पना की थी आप उससे भी कही ज्यादा सुंदर लग रही हैं......

निधि चाह कर भी शर्म के मारे अपनी नज़रे करीम से नही मिला पा रही थी.........उसकी बेताबी बढ़ती जा रही थी.....निधि सीढ़ियों के पास से हॉल में जहाँ सोफे थे उस तरफ जाने लगती हैं.......करीम भी उसके पीछे पीछे चलने लगता हैं.....अब आगे निधि चल रही थीं और करीम उसके पीछे चलते हुए निधि की ऊपर नीचे होती हुई गांड को देख रहा था........निधि को भी अहसास हो गया था कि करीम उसकी गांड को ही घूर रहा है......निधि चलते चलते फौरन पीछे की और मुड़ जाती हैं और करीम को अपनी गांड को घूरते हुए पाती हैं.......करीम जानबूझकर अपनी नज़रे उसकी गांड से नही हटाता और अब वो निधि की चूचियों को खा जाने वाली नज़रो से घूर रहा था......निधि को बहुत शर्म आ रही थी.....

निधि वापिस मुड़कर जैसे ही आगे की तरफ चलने लगती हैं तभी करीम उसका हाथ पकड़ लेता हैं......करीम के हाथ पकड़ते ही निधि का पूरा शरीर सहम उठता हैं और वो वही रुक जाती हैं.....करीम फिर उसके करीब आता हैं और उसके सामने आकर खड़ा हो जाता हैं......

करीम - शुक्रिया मालकिन जो आपने मेरे लिए इतना कुछ किया.......वरना आजकल कौन गरीबो की परवाह करता हैं......

करीम बात खत्म करते हैं निधि को जोर से अपनी और खिंचता हैं.....निधि किसी अबला की तरह उसके सीने से लिपट जाती हैं.....उसकी दोनो बड़ी बड़ी छातियाँ करीम के सीने में दब जाती हैं.....करीम भी उसकी छातियों की गर्मी को अपने सीने पर महसूस कर रहा था.....अब निधि ने अपनी हवस के आगे हार मान ली थी और वो भी यही चाहती थी करीम उसे अपनी मजबूत बाहों में जकड़े....करीम उसके नाजुक बदन को अपने कठोर हाथो से मसले.....वो अब करीम जैसे असली मर्द की बाहों में टूटना चाहती थी.....अपनी जवानी उसके नाम करना चाहती थी.....

सच तो ये था निधि पहली ही नजर में करीम की और आकर्षित हो गयी थी.....मगर कोई भी लड़की हो वो अपनी तरफ से कभी पहल नही करती....बस उसके अंदर की चिंगारी को हवा की जरूरत होती हैं फिर उस चिंगारी को आग में बदलते हुए देर नही लगती......मोहित का निधि पर ध्यान ना देना भी उसके करीम की और आकर्षित होने का कारण था....

करीम के इतने करीब होने से उसके जिस्म की बदबू निधि की सांसों से होते हुए उसके नाक में जा रही थी...करीम के शरीर की बदबू उसे मदहोश कर रही थी...उसकी सांसें अब धीरे धीरे बेकाबू होती जा रही थी ...वो एक नज़र करीम की तरफ देखती हैं फिर वो उसे दूर हटाने की कोशिश करती है मगर करीम की पकड़ उसकी कमर पर इतनी टाइट थी की निधि चाह कर भी हिल नहीं पाती.. ..अब भी वो करीम से दूर जाने का विरोध कर रही थी.....

निधि - करीम चाचा..... प्लीज़......छोड़ो मुझे.......ये सब गलत है...

करीम - आपको ऐसा क्यों लगता है मालकिन कि ये सब गलत है... अगर प्यासा कुँए के पास नहीं जाएगा तो वो अपनी प्यास कैसे मिटाएगा... कुछ गलत नहीं है मालकिन... ..मैंने आपकी आंखों में वो प्यास देखी हैं.......वो तड़प देखी है...सच तो ये है की इस वक़्त आप बहुत प्यासी है...इस वक़्त आपको एक मर्द की जरूरत है जो आपके तन में उठ रही उस प्यास को शांत कर सके ... अगर मैं झूठ बोल रहा हूं तो आप बेशक जा सकती हैं ... मैं आपको अब रोकूंगा नहीं ..... ...

निधि शर्म से अपनी नजरें नीचे झुकाये रहती हैं...उसके होंठ उत्साह से वजह से फड़फड़ा रहे थे...अब करीम की पकड़ में वो ताकत नहीं थी जो पहले थी... .वो अच्छे से जानता था की निधि अब उससे दूर नहीं जा सकती... और जैसा उसने सोचा था बिलकुल वैसा ही हुआ .... निधि किसी पत्थर के मूरत के समान चुप चाप वही खड़ी थी ........ करीम से सटकर उसके बहुत पास ......... करीम अपनी जीत पर आज बहुत खुश था....... अब निधि उसके पूरे कंट्रोल में आ गई थी ......... अब वो अपनी सारी फैंटेसी एक एक कर पूरी कर सकता था.....

निधि कुछ देर तक यू ही खामोश रहती है और करीम से ऐसे ही चिपकी रहती है....आज निधि की खामोशी में इकरार साफ बयान हो रहा था... इधर करीम अब अपने दोनों हाथ उसकी कमर पर ले जाता है और अपने हाथ को धीरे-धीरे सरकाते हुए उसके कमर के नीचे की तरफ बढ़ने लगता हैं ......... जैसे जैसे करीम के हाथ उसकी कमर के नीचे की तरफ सरक रहे थे वैसे वैसे निधि की हालत खराब हो रही थी ……लज्जत और एक्साइटमेंट इन दोनो का मिला जुला रूप निधि के चेहरे से साफ झलक रहा था...वो इस वक़्त न तो इंकार की हालत में थी और न ही इकरार की ...

निधि अब अपने आपको करीम के हवाले कर चुकी थी...अब उसके अंदर का विरोध पूरी तरह से खतम हो चुका था...करीम अपना एक हाथ निधि की गांड पर ले जाता है और अपने सख्त हाथों से उसकी गोल और टाइट गांड को कसकर मसल देता है... जवाब में निधि अपनी आंखें तुरंत बन्द कर लेती हैं और आगे बढ़कर वो करीम के होंठो पर धीरे से अपना होंठ रख देती हैं .... अब वो पूरी तरह से करीम की बाहों में बहकना चाहती थी...उसकी बाहों में टूटना चाहती थी......... करीम के इस तरह से गांड मसलने पर निधि के मुँह से आआआउउउउउउक्कच्च्छ्ह... की एक जोर की आवाज फुट पड़ती है... करीम भी निधि के होंठो को धीरे धीरे चूसना शुरू करता है ......इस वक़्त उसका एक हाथ उसके कंधे पर था जो अब धीरे-धीरे सरकते हुए उसके बाजू की तरफ जा रहा था... करीम के मुंह से थूक का स्वाद अब धीरे-धीरे निधि के मुँह में भी घुलता जा रहा था ....

सच ही है हवस की आग में इंसान अपना सब कुछ भूल जाता है .... यहां तक कि अपना वजूद भी ... क्या सही क्या गलत ... वो अपने अंदर की भूख मिटाने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है …… किसी भी रंग में रंग सकता है … आज वैसा ही कुछ हाल निधि का था ……उसे पता ही नही था कि वो इस हवेली की मालकिन हैं और जो उसके सामने बूढ़ा खड़ा है वो यहाँ का नौकर हैं.....वो अब धीरे धीरे करीम के रंग में रंगने लगी थी

करीम बड़े प्यार से निधि के होंठो का रस धीरे-धीरे पी रहा था ....उसके मुँह से निकला थूक अब निधि के मुँह में घुलने लगा था... निधि भी अब आगे बढ़ कर करीम के होंठो को उसी अंदाज में चूस रही थी...... करीम फिर अपनी जीभ बाहर की ओर निकालता है तो उसपर करीम का थूक लगा हुआ था....निधि एक नजर करीम की आंखों में देखती है फिर वो धीरे से अपना होंठ आगे बढ़ाकर उसकी जीभ अपने होंठो में लेकर चूसने लगती है …….. अब उसकी चूत में भी गिलापन बहुत हद तक बढ़ गया था…….. करीम अपना एक हाथ धीरे से सरकाते हुए निधि के हाथों पर रख देता है फिर वो उसे ऊपर की ओर धीरे धीरे बढ़ाने लगता है...जब उसका हाथ निधि के कंधों पर आता हैं तो वो इस बार अपना हाथ उसके सीने की तरफ धीरे धीरे बढ़ाने लगता हैं ...... निधि अब समझ रही थी की करीम उसकी कड़क चुचियों को अपने हाथों से मसलना चाहता है ... मगर वो भी तो यही चाहती थी.....अब उसके अंदर इंकार पूरी तरह से खतम हो चुका था... करीम का एक हाथ अभी भी निधि की साड़ी के ऊपर उसकी गांड पर था ......वो अपने सख्त हाथों से उसकी गांड को कुरेद रहा था ..वहीं वो अपना दूसरा हाथ निधि के सीने तरफ बढ़ाता जा रहा था ......... जैसे ही करीम का हाथ निधि की चुचियों को छूता है एक बार फिर से निधि जोरों से सिसक पड़ती है ......... मगर इस बार उसकी आवाज उसके मुँह के अंदर ही घुटकर रह जाती हैं ... करीम अभी भी उसके होंठो को बेतहाशा चूस रहा था .........करीम की उस हरकत पर निधि वहीं तड़प उठती हैं ......... निधि के मुँह में उसके गंदे दांतो से निकलने वाली गंदगी भी अब उसके जीभ के रास्ते उसके मुंह के अंदर जा रही थी ... और शायद यही वो अंदाज था जिससे वो अपना होश अब खो छुकी थी ...वो अपनी चूत की आग के सामने बिलकुल बेबस सी नजर आ रही थी......

करीम अपना एक हाथ जैसे ही निधि की बांयी चूची पर रखता है वो उसे पूरी ताकत से मसल देता है...कब से वो ना जाने उसकी चूचियों को अपने में हाथ में लेना चाहता था.....उनकी कोमलता को वो महसूस करना चाहता था ...... निधि फिर से तड़प उठाती है करीम की उस हरकत पर .....निधि फिर से उसके होंठो को कसकर चूसने लगती हैं. ..करीम अब अपने दोनों हाथों से उसकी साड़ी को उतारने लगता हैं और अगले ही पल निधि उसके सामने सिर्फ ब्लाऊज़ और पेटिकोट में थी.....करीम उसके पेटिकोट को घुटनों तक ऊपर कर देता हैं और करीम फिर से अपना एक हाथ उसकी चूची पर रख देता हैं और दूसरा हाथ पेटिकोट के अंदर डालकर उसकी चुत के ऊपर लेकर चला जाता हैं......

अब निधि धीरे-धीरे अपने चरम की ओर बढ़ रही थी ......वो अपने हाथों को करीम की छाती पर ले जाती हैं और उसके कुर्ते के ऊपर से ही उसके काले निपल्स को अपने नाखुनों से कुरेदने लगती हैं ..... ..निधि की उस हरकत पर करीम के लन्ड में एक ज़ोर की हलचल होती है और वो अपना हाथ उसकी चूचियों पर और सख्ती से दबा देता है .........इधर वो अपना हाथ जैसे ही निधि के पेटिकोट के अंदर ले जाता है एक बार फिर से निधि अपनी आंखें लज्जत से बंद कर लेती हैं...वो इस समय जन्नत में अपने आपको महसूस कर रही थी...अब उसे कोई होश नहीं था कि क्या सही है और क्या गलत है....बस उसे अपने अंदर की प्यास को बुझाने से मतलब था चाहे वो जैसे भी बुझे...

मगर आज करीम उसकी प्यास को भड़काने के मूड में था... ना की बुझाने के...वो अच्छे से जानता था की औरत को कब और कहां पर चोट करनी चाहिए... इधर निधि अपने दोनो नाखुनों से करीम के निपल्स को मसल रही थी जिससे करीम की बेचैनी भी धीरे धीरे बढ़ने लगी थी ....तभी करीम उससे दूर हट जाता है और वो निधि के पीछे जकर खड़ा हो जाता हैं... ..अब उसका लन्ड निधि की गांड पर दस्तक दे रहा था .........

वो फिर अपने दोनो हाथों से उसकी चूचियों को थाम लेता हैं और अपनी दोनो उंगलियों के बीच बारी बारी से उसके ब्लाऊज़ के ऊपर से उसकी निपल्स को मसलने लगता है... निधि फिर से तड़प उठती है... एक बार फिर से उसके मुंह से ज़ोर की सिसकारी फुट पड़ती है...उसकी चुत इस कदर गिली हो जा रही थी की अब उसकी पैंटी भी लगभग पूरी तरह से भीग चुकी थी...और उस हाल में उसका खड़ा रहना मुश्किल होता जा रहा था......... .......

करीम फिर अपना होंठ धीरे से निधि की गर्दन पर रख देता है और बड़े प्यार से वहां चूम लेता है …… निधि की आंखे लज्जत की वजह से बंद होती जा रही थी …….वो फौरन अपने दोनो हाथ करीम के गले में डाल देती हैं ……करीम के इस तरह चूमने से उसके होंठो पर लगा थूक अब उसकी गर्दन पर भी लगता जा रहा था …करीम अपने एक हाथ से उसकी निपल्स को छेड़ रहा था वही वो अपना दूसरा हाथ सरकाते हुए नीचे की तरफ ले जा रहा था ... जैसे जैसे उसका हाथ निधि के पेटिकोट के करीब जा रहा था वैसे वैसे निधि की आहें तेज होती जा रही थी......

करीम फ़िर अपना हाथ फ़ौरन उसके पेटिकोट के अंदर डाल देता है और उसे सरकाते हुए उसे ब्लैक कलर की पैंटी पर ले जाने लगता है …….. अब उसका एक हाथ उसकी चूत पर था …… जैसे ही वो अपना हाथ उसकी चूत पर ले जाता है इधर निधि एक बार फिर से बेचैन हो उठती हैं ......... वो फौरन अपनी गर्दन पीछे की और ले जाती हैं और करीम के होंठो को चूसने लगती हैं.....आज वो खुद होश में नहीं थी .........

करीम अपनी मूठी से निधि की चूत को पकड़ता है और कसकर मसल देता है ...... निधि अपने होंठो की की सख्ती और भी बढाते जा रही थी ....वो कभी करीम के होंठो को काटती को कभी उन्हें अपने मुँह में लेकर चूसने लगती..... करीम कुछ देर तक निधि की चूत को ऐसे ही अपनी मुट्ठी में पकड़े रहता हैं फिर वो अपना दूसरा हाथ भी उसके पेटिकोट के अंदर ले जाता है... ..एक हाथ उसका गांड पर था और दूसरा उसकी चूत पर .... फिर वो अपने दोनो हाथों को निधि की पैंटी पर ले जाता है और उसे धीरे धीरे नीचे की तरफ सरकाने लगता है .... . निधि कोई विरोध नहीं करती हैंऔर उसी तरह करीम के होंठो का रस पीती रहती है...करीम फिर तूरंत थोड़ा सा झुक कर उससे दूर होता है फिर वो वहीं घुटनों के बल फ़र्श पर बैठ जाता है और अपने दोनो हाथो से निधि की पैंटी पेटिकोट के अंदर हाथ डाले धीरे-धीरे नीचे की तरफ खीचने लगता हैं....निधि चुपचाप खड़ी होकर अपनी पैंटी करीम से उतरवा रही थी....थोड़ी देर बाद जब करीम उसकी पैंटी को उसके घुटनों तक लाता है तो निधि फौरन उससे अपने पांव सटा लेती है जिससे उसकी पैंटी सरकते हुए उसके कदमों तक आ जाती है...

करीम फ़ौरन उसकी पैंटी को अपने हाथों में उठा लेता है और उसकी खुशबू को अपने नाक से सूंघने लगता है... अभी भी ताज़ी ताज़ी उसकी चूत की खुशबू उसमे से आ रही थी...फिर से वो निधि के पीछे जाकर खड़ा हो जाता है और अपना एक हाथ फिर से वो निधि के पेटिकोट के अंदर डाल देता है .... निधि किसी पत्थर की मूरत के समान चुप चाप खड़ी होकर करीम का साथ दे रही थी.... ...जैसे ही करीम का हाथ निधि की नंगी चूत पर जाता है निधि एक बार फिर से लज्जा से अपनी आंखें बंद कर देती हैं.......उसकी चूत से पानी लगातार बह रहा था...

वो अपनी एक उंगली उसकी चूत पर रखता हैं और उसके छेद पर हलका सा अपनी उंगली से को दबाव देता है... पुचक...की आवाज करते हूंए उसकी एक उंगली निधि की चूत में समा जाती है और उधर निधि के मुँह से ... आआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआ...हह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्म्म्मम्मम्मम्म... की मादक आवाज फुट पड़ती हैं.... वो अब पूरी तरह से बेकरार हो चुकी थी ........अब उसके जिस्म पर उसका कंट्रोल पूरी तरह से खतम हो चुका था ......... करीम फिर अपनी उंगली को धीरे-धीरे आगे पीछे करते हुए निधि की चूत को चोदने लगता है... ...पूरे हॉल में निधि की सिसकियाँ गूंज रही थी और साथ में फच ... फच ... की आवाजें भी ... जो लगातार करीम के हाथ चलने से निधि की चूत से निकल रही थी.....इधर निधि अपने दोनो पांव धीरे धीरे फैलाती जा रही थी ताकि करीम को उंगली चलाने में कोई दिक्कत ना हो .... और उधर वो करीम के होंठो को काटे भी जा रही थी..... कभी कभी निधि अपनी गांड को भी आगे की और धकेलती ऐसा लग रहा था मानो वो करीम की उंगली ना होकर लन्ड हो.....

करीम फिर उसकी पैंटी को अपने मुँह में ले जाता है और उसपर लगा वन्दना का चूत रस अपनी जीभ से धीरे धीरे चाटने लगता है... निधि अपनी आंखें फाड़े उसे देखे जा रही थी ...सच में बहुत गन्दा था करीम......वैसी ही उसकी हरकते भी थी...करीम पूरी श्रद्धा से निधि की पैंटी को अपने मुंह में लेकर चूस रहा था...इस वक़्त उसकी आंखें बंद थी मगर उसका एक हाथ अभी भी निधि की चूत में हलचल मचा रहा था .........इधर निधि की आंखें सुर्ख लाल हो चुकी थी अब वो अपनी मंजिल के बहुत करीब थी ... तभी करीम फ़ौरन वो पैंटी निधि के होंठो के पास ले जाता है और उसके होंठो पर अपनी उंगली से धीरे धीरे दबाव डालने लगता है...निधि पहले तो विरोध करती हैं और अपनी गर्दन इधर उधर झटकने लगती हैं ...उसने इस तरह का खेल पहले कभी नहीं खेला था...करीम के दबाव को वो ज्यादा देर तक नहीं रोक पाती और आखिरकर धीरे से अपने होंठ खोल देती हैं...

करीम - चुसो ना मालकिन..आपको इसका स्वाद ज़रुर पसंद आएगा......आज खुद चखकर देख लो अपनी चूत का स्वाद...आपकी तरह ही इसका स्वाद भी नमकीन है.. .....

निधि आगे कोई विरोध नहीं करती है और अपने मुंह में अपनी पैंटी को लेकर धीरे-धीरे अपने होंठो से चुसने लगती हैं … करीम की उंगलियों का दबाव अब धीरे धीरे बढ़ता जा रहा था …निधि को उसका स्वाद बहुत अजीब सा लग रहा था... ऊपर से करीम का थूक भी उसकी पैंटी को भीगो रहा था...जहां पर करीम ने पहले पैंटी को चुसा था वही पर निधि अपनी पैंटी को चुस रही थी.... अब उसके मुँह में उसकी चूत का रस और करीम के थूक का रस दोनो का स्वाद धीरे-धीरे घुल रहा था ......... इधर वो लगातर निधि की चूत में भी अपनी उंगली पेले जा रहा था ..... ..निधि की बर्दाश्तगी अब धीरे-धीरे जवाब देने लगी थी ......... अब करीम अपनी दूसरी उंगली भी निधि की चूत में पेलता है और उससे निधि की चूत चोदने लगता है ...... निधि की सिसकारी अब उसके मुंह के अंदर ही घुटती जा रही थी .... अब निधि अपने चरम के बहुत करीब थी और उधर अब उसकी पैंटी आधी से ज्यादा उसके मुँह में जा चुकी थी ....तभी करीम का फोन बज उठता है... एक बार फिर से उसके चेहरे पर गुस्सा साफ झलक पड़ता है.....वो फौरन अपनी लुंगी से फ़ोन बाहर निकालता हैं और अपना फोन रिसीव करता है...मगर उसने अपना दूसरा हाथ निधि की चूत से बाहर नही निकाला था.... .अभी भी वो निधि की चूत को अपने हाथों से चोद रहा था .........

करीम - हेलो ..... कौन ...

फोन उसके दोस्त हरिया का था और हरिया गाँव के सरपंच का चौकीदार था.....

हरिया -कहां है तू करीम आजकल......और क्या कर रहा हैं........

करीम के चेहरे पर फिर से वही मुस्कान तैर जाती है....वो निधि के चेहरे की तरफ देखने लगता है....मगर इस वक़्त निधि की आंखें कुछ बंद थी तो कुछ खुली हुई थी... वो इस वक़्त बिलकुल नशे की हालत में दिख रही थी...

करीम - बोल साले क्या काम था.....

हरिया - पहले बता तू कर क्या रहा था.......मैने तो तुझे इसीलिए फ़ोन किया था कि हम दोनों को साथ में दारू पिये हुए काफी समय हो गया हैं..... कभी बैठते हैं साथ में.....और सरपंच को भी तुझसे कुछ क़ाम था.....

करीम निधि की और बड़े गौर से देखने लगता हैं...फिर वो अपना हाथ अपने मोबाइल के स्पीकर पर रख देता है...

करीम - बता दूं मालकिन हरिया को कि इस वक़्त मैं क्या कर रहा हूं...

निधि का चेहरा शर्म से बिलकुल लाल पड़ता जा रहा था......वो चाह कर भी कुछ नहीं बोल पाती और अपनी नजरें नीचे की तरफ झुका लेती हैं...

करीम - तो सुनो ...... मैं इस वक़्त हवेली की मालकिन की चूत में उंगली कर रहा हूं...उनकी चूत से पानी निकाल रहा हूं... अब कहो क्या काम था.. .....

हरिया की तो मानो बोलती बंद हो चुकी थी....वैसे वो करीम को जानता था इसिलिए वो उसे गंभीरता से नहीं लेता...

हरिया -तुझे अभी आना होगा..नही तो तुम्हारे घर के कागजात नही बन पाएंगे.....

करीम - मगर मैंने तो बताया ना की मैं अपनी मालकिन की चूत में उंगली कर रहा हूं...

हरिया -मजाक मत कर करीम.....मैं सीरियस हूं...अगर तू नहीं आया तो फिर तू गया समझ....

करीम - ठीक है साले मैं अभी आता हूं .... मगर मैं मजाक नहीं कर रहा ... कहो तो अपनी मालकिन की सिसकारी तुझे सुनाऊ ...

इतना कहकर करीम और तेजी से निधि की चूत में उंगली करने लगता है....निधि तो अपनी जुबान पर लगाम रखना चाहती थी मगर वो चाह कर भी अपनी सिसकारी नहीं रोक पाती हैं और वही सिसकने लगती है... ....... आआआआ......
उईईईईई..........उममममम

उधर हरिया का लन्ड भी पूरी तरह से खड़ा हो गया था.......उसकी भी मानो बोलती बंद हो चुकी थी...

करीम - अब आया यकीन... चल फोन रख मैं अभी दस मिनट में आता हूं...

फिर करीम फोन बंद कर देता है और अपनी दोनो उंगलियों को निधि की चूत से फौरन बाहर निकाल लेता है... .............करीम को अपने से ऐसे दूर जाता हुआ देख वो तड़प उठती हैं...... .

निधि - नहीं नही करीम.......मत जाओ मुझे इस हाल छोड़कर...प्लीज्...

करीम - मैं क्या करुं मालकिन..जाना तो मुझे पड़ेगा ही .... अगर नहीं गया तो सरपंच मेरे घर के कागजात नही देगा ......... और अगर घर सलामत रहा तो बाद में चूत चोदने को बहुत मौके मिलेंगे............

फिर करीम निधि की पैंटी उसके हाथों में देता है और अपने हाथों पर लगा उसका चूत रस वो आगे निधि के होंठो की तराफ धीरे से बढ़ा देता है......

करीम - इसे चाट कर साफ करो मालकिन...इसपे आपकी चूत का असली स्वाद लगा हुआ है...आपको ये जरूर पसंद आएगा...

निधि इस बार भी इनकार नहीं कर पाती और अपनी जीभ धीरे धीरे करीम की उँगलियों पर फेरने लगती हैं ....... अब उसकी चूत का जायका उसके मुँह में घुलने लगा था ....... जब उसकी उंगलियां साफ हो जाती है तो वो निधि से दूर हो जाता है और फौरन बाहर की और निकल पड़ता है....निधि खामोशी से चुप चाप करीम के पीछे पीछे जाती है...

करीम - आप फ़िकर मत करो मालकिन .... मैं कल आउंगा आपके पास ... फिर आपकी अच्छे से चूत की आग ठंडी करुंगा ......... और हां शाम को मैं आपसे बात करूंगा फोन पर .....इतना कहकर करीम बाहर निकल जाता है.....निधि को यू प्यासा ऐसे मझधार में अकेला छोड़ कर
 

Ayushhh

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Ayushhh

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Mujhe lgta h kisi ko ye story psnd nhi aa rhi.....Kya aisa hi h kya.....
 
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