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Bahut hi chota update hai komal ji
Bahut hi shandaar.... Speechlessऔर जबतक मैं उसे रिमाइंड करूँ , की उसे आज आना है , उसका व्हाट्सएप आ गया , ... आ रहीं हूँ थोड़ी देर में साढ़े दस , ग्यारह बजे तक ,...
बाथरूम में
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मैंने हग और किस का जवाब भेजा , तब तक वो आगये और बचपन में बच्चे जिस तरह एक ऊँगली दिखा के सु सु के लिए जाते हैं , बस उसी तरह ,
मैं समझ गयी उनकी चालाकी , पिछली बार जो वो आये थे तो बाथरूम में हम लोगों ने बहुत बदमाशी की थी
, मैंने चिढ़ाया भी बहुत था उन्हें अपनी सास का नाम ले ले के ,
असल में कुछ मामलों में वो अभी भी बहुत लजाते थे , ...
मैंने मम्मी से कहा भी पर वो हंस के बोली , आने दो दमाद जी को होली में , सारी शरम लिहाज उनकी गाँड़ में डाल दूंगी , ...
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सच में थोड़ी बहुत लाज उनकी मम्मी और मेरी भाभियों ने , कोहबर में ही कम कर दी थी ,
और बाकी बची खुची जब वो मेरे मायके पहुंचेंगे तब , ...
लेकिन तब तक मैं भी तो अपनी माँ की बेटी थी , थोड़ा बहुत तो मैं भी उनकी ऐसी की तैसी कर सकती थी ,
तो बाथरूम में मैं भी उनके पीछे दबे पाँव ,...
गनीमत थी उन्होंने अंदर से लॉक नहीं किया था , ... और बस खड़े होकर
वही सु सु ,...
'
आँखे बंद , बस पीछें से मैंने उन्हें दबोच लिया ,
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मेरे जोबन की बरछी कटारी की नोंके उनकी पीठ पे और मेरे लम्बे नाख़ून उनके निप्स पे जोर से स्क्रैच करते ,
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दूसरा हाथ , उनके खूंटे के बेस पर , कस के पकडे दबाये , ...
शादी के बाद के महीने डेढ़ महीने में मैंने सीख लिया था ,
देह के इस खेल में कुछ भी गर्हित नहीं , वर्ज्य नहीं , जिसमें मजा आये बस ,...
और जो देह , देह के अंग इतना सुख देते हैं उनसे जुडी कोई भी चीज कैसे खराब हो सकती है , फिर इनकी सोहबत में और बाद में जेठानी जी के संग जो मैंने नीली पीली ' अच्छी वाली ' फ़िल्में देखनी शुरू की थीं , उससे और मनबढ़ हो गयी थी , ...
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बस , ... मैंने बोला था न सेक्स में झड़ते समय और सु सु करते समय इनकी आँखे अपने आप बंद हो जाती हैं , और इस समय वो उसी 'स्लीप मोड ' में थे , और
बस
अगले पल , सुपाड़ा सीधे मेरे मुंह में , ...
उन्होंने लाख छुड़ाने की कोशिश की पर , एक बार मेरे होंठ पकड़ लें तो , और मैं वहीँ बाथरूम में बैठी , उसे मुंह में लिए
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थोड़ा अलग स्वाद था , मैंने पहले सुपाड़े पर देर तक जीभ फिराई , फिर सीधे जीभ की टिप ' पी होल ' के अंदर , सुरसुराती ,
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ये गिनगीना रहे थे , छुड़ाने की कोशिश कर रहे थे ,
पर करें , ...
मैंने तो सात जनम के लिए इन्हे पकड़ रखा था , इतनी आसानी से मैं नहीं छोड़ने वाली थी ,
कुछ देर में आधा खूंटा मेरे मुँह में , ... और मेरी एक ऊँगली इनके पिछवाड़े , जड़ तक अंदर , गोल गोल ,...
ये भी तो जड़ तक घुसेड़ते थे ,...
देर तक बाथरूम में मैं चूसती रही , ...
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फिर उसी तने खूंटे को पकड़ के उन्हें वाशबेसिन के पास ,
टूथ ब्रश की जगह मेरी जीभ , और सफेद टूथ पेस्ट की जगह ,... आप समझ सकते हैं ,
लेकिन इस लड़के ने भी न पूरा बदला ले लिया शावर में , वहीँ निहुरा के , पीछे से , ... क्या धक्के मारे ,
मैं बहुत चिलायी लेकिन मज़ा भी बहुत आया ,
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और बदमाशी भी तो मेरी हैंड शावर का नोजल सीधे उनके सुपाड़े पर , ... फिर लंड के बेस पर ,...
तो मेरी चुदाई तो होनी ही थी शावर में ,
और शावर में ही नहीं बाथ टब मे भी
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रगडायी का बदला मैंने भी लिया आखिर मेरे पास भी तो जोबन है , होंठ है , उँगलियाँ हैं
टिट फ़क ,
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ब्लो जॉब ,
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हैण्ड जॉब , ...
और वाशबेसिन पास निहुरा के भी , कोई तरीका उस लड़के ने छोड़ा नहीं ,... रोज हम लोग पन्दरह बीस मिनट में नहा के निकल जाते थे आज पूरे डेढ़ घंटे लगे ,
और हम दोनों जब बाहर निकले , टॉवेल से एक दूसरे को सुखा रहे थे मेरी निगाह मोबाइल और घडी दोनों पर एक साथ पड़ी , साढ़े आठ बज रहे थे , और जेठानी जी के तीन मेसेज थे , नाश्ता तैयार है आकर ले जाओ ,
मैंने बस किसी तरह ड्रेसिंग टेबल पर पड़ी रात की साडी लपेटी , ब्लाउज बस देह पर टांग लिया और झट से नीचे , लेकिन तबतक दस बार वो बोले होंगे , जल्दी आना , जल्दी आना ,... .
मैं सीढ़ियों से नीचे उतर भी नहीं पायी थी की सीढ़ियों पर ही जेठानी जी मिल गयी , नाश्ते की ट्रे के साथ
जोर से मुस्करायीं वो , मेरी हालत देख कर , ...
मैं भी मुस्करायी , मालूम उन्हें भी था और मुझे भी उनके देवर को किस नाश्ते का इन्तजार है। मैंने नाश्ते की टेबल ट्रे पर रखी , बिस्तर के सामने
और उन्होंने अपने ' नाश्ते ' खींच कर अपनी गोद में , ...
उफ़फ्फ़ कोमाल भाभी...ममेरी बहन समझ के
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मैं समझ गयी , जो मैंने उन्हें गुड्डी को लेकर उकसाया है , ... बस उसी का , ... वो मुझे अपनी ममेरी बहन समझ के चोद रहे हैं , ...
लेकिन दर्द के मारे मैं चीख रही थी ,
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ओह्ह्ह्हह नहीं उफ्फ्फ्फ़ उईईईईईई बस , बस
पर वो धीरे धीरे एकदम कस के रगड़ते , दरेरते , ... ये धीमे धक्के और जान निकाल रहे थे ,
बड़ी देर तक , ... और जब मेरी हालत एकदम खराब हो गयी , तो उन्होंने निकाल लिया और खींच के मुझे फर्श पर , हम दोनों खड़े ,
वो अभी भी अंदर तक धंसे , लेकिन मैं उसी तरह झुकी निहुरि , और कुछ देर बाद मेरा एक पैर बिस्तर पर , ... और दूसरा फर्श पर
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मैं उसी तरह आधी निहुरी , झुकी , और वो
सटासट , सटासट , गपागप ,
वो पेल रहे थे मैं घोंट रही थी , ...
पर थोड़ी देर बाद हम दोनों बिस्तर पर थे , और मैं उनकी गोद में और अब मैं खूंटे पर ऊपर नीचे , वो सिर्फ मुझे पकडे थे ,
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लेकिन जब वो झड़े तो मैं बिस्तर पर लेटी थी पीठ के बल , और वो मेरे ऊपर चढ़े , मेरी टाँगे फैली ,
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जाँघे एकदम खुली तबतक मैं थेथर हो चुकी थी एकदम थकी , तीन बार झड़ चुकी थी उनके धक्कों से , ...
और एक बार फिर उनके साथ , मेरी देह काँप रही थी , एकदम शिथिल हो गयी थी , और उनको अपने अंदर गिरते झड़ते महसूस कर रही थी
, मेरी गुलाबो में उनकी मलाई तो भरी ही थी , ढेर सारी मलाई छलक कर मेरी जाँघों पर पड़ी थी , ... और
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और मेरी निगाह , पलंग पर पड़ी उस किशोरी की २८ सी वाली ब्रा पर पड़ी जिसकी फोटो दिखा के , बस
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मैंने ब्रा उठा के , पहले तो जाँघों पर पड़ी मलाई फिर मेरी सहेली के अंदर ,
वो भी मेरे बगल में लेटे आँखे बंद किये , काफी मलाई उनके सुपाड़े पर भी लगी , बस उनके माल की ब्रा के कप में सीधे , वहीँ से ,...
मैंने कहा था न डबल बैरेल गन वाले थे , एक बार झड़ने के बाद भी , अगर थोड़ा सा ,...
तो एक बार फिर से रबड़ी मलाई की धार , और इस बार भी ,
मैंने उनकी टीनेजर बहन की ब्रा को उनके खूंटे में लपेट के मुठियाना शुरू किया , लंड के बेस पर थोड़ा सा दबाया और एक ऊँगली पिछवाड़े के अंदर
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नतीजा तुरंत आ गया ,
ढेर सारी थक्केदार , रबड़ी मलाई , गाढ़ी गाढ़ी , मेरी अंजुरी से भी ज्यादा ,...
और वो सब सब उनकी बहन की ब्रा के कप में मैंने रोप लिया , ... वो आँखे टुकुर टुकुर खोल कर देख रहे थे , मुस्करा रहे थे ,
ब्रा के दोनों कप उनकी मलाई से भरे ,...
और मैंने अपने होंठों से बदमाश आँखों को बंद कर दिया , मैंने बुरी तरह थक गयी थी , उनकी चौड़ी छाती पर चढ़ कर मैंने भी आँखे बंद कर ली , बस बड़ी देर तक हम दोनों एक दूसरे की बाहों में बंधे , एक दूसरे के अंदर धंसे खोये , ...
सोई तो न मैं न वो पर , बिना बोले , एक दूसरे को महसूस करते ,
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जितना मज़ा सेक्स में आता था उससे कम मज़ा एक दूसरे की बाँहों में चिपक कर सोने में नहीं आता था , और जब वो नहीं होते थे तो इस की याद बहुत आती थी और बिना उस की बाँहों में दुबके मुझे अब नींद नहीं आती थी
और जब उसकी बाँहों में मैं पहुँचती थी , तो वो सोने नहीं देता था , ... और उसी पर मैं क्यों दोस धरु ,... मैं ही कौन अगर वो थके भी हों , तो चिकोटी काट के , गुदगुदी लगा के और कुछ न हो तो उनकी बहनों का नाम ले ले के , ... मैं उन्हें नहीं सोने देती थी ,
और आँख खुली उन्ही के आवाज से , टी टाइम ,...
,
मैंने खिड़की की ओर देखा , अभी भी कुहासे की हलकी सी चादर , लेकिन एक गुलाबी नन्ही किरण , शरारती बदमाश ननद की तरह कोहरे के परदे को हटाकर अंदर झाँकने की कोशिश कर रही थी ,
और मैंने उसे नजरअंदाज करके उनकी लायी चाय की ओर ध्यान लगाया , ...
सच में चाय बड़ी अच्छी बनाते थे
( वो तो बाद में पता चला की अपनी छोटी साली से उन्होंने पता लगाया था की मुझे कैसी चाय अच्छी लगती है , अपनी दोनी सालियों से अच्छी सांठ गाँठ थी उनकी )
और चाय पीते पीते मेरी निगाह ननद की ब्रा पर पड़ी , अभी भी उसके दोनों कप में इनकी मलाई भरी , छलछला रही थी , और उनकी निगाह भी वहीँ
फिर मेरी निगाह उनके लाये आई फोन पर पड़ी , ... पता नहीं कैसे उसका रिकार्ड का बटन दब गया था , ...
और अभी ताज़ी मेरी डॉगी पोज़ की सारी वीडियो रिकारडिंग
वो चाय के कप रखने किचनेट में गए और एक बार फोन मेरे हाथ और मेसेज मैं चेक करने लगी ,
फिर याद आया , रोज की तरह आज , ननद गुड मॉर्निंग नहीं हुयी
आज रात में उनके खूंटे के साथ मैंने दर्जनो सेल्फी खींची थी , ... बस गुड मॉर्निंग के साथ एक उस मस्त खड़े खूंटे की फोटो ननद रानी को व्हाट्सऐप की , और साथ में पूछा ,
' बोल चहिये , ... "
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वो जैसे वेट कर रही थी , तुरंत मेसेज आया , गुड मॉर्निंग भाभी के साथ एक दर्जन स्माइली , हॉट , किस और थम्स अप के साथ , ...
एकदम ,
और जबतक मैं उसे रिमाइंड करूँ , की उसे आज आना है , उसका व्हाट्सएप आ गया , ...
आ रहीं हूँ थोड़ी देर में साढ़े दस , ग्यारह बजे तक ,...
![]()
मैंने हग और किस का जवाब भेजा , तब तक वो आगये और बचपन में बच्चे जिस तरह एक ऊँगली दिखा के सु सु के लिए जाते हैं , बस उसी तरह ,
उफ़फ्फ़ कोमाल भाभी...
आई नो, मैने पिछले कुछ अपडेट्स मिस कर दिए...पर आज का ये अपडेट पढ़कर तो जिस्म का हर अंग हिल गया और वो ख़ास अंग तो बैठने का नाम ही नही ले रहा...
यार, ये जो तुम्हारे वर्ड्स है ना...निहूरना, घोटना....एकदम ठेठ देसी स्टाइल के चुदाई में इस्तेमाल होने वाले...ये तो उत्तेजना को और भी ज़्यादा बड़ा देते है....गुड्डी की ब्रा में माल को इकट्ठा करना...सोचकर ही लंड टनटना जाता है...उस बेचारे का क्या हाल होता होगा...
बेडरूम से लेकर बातरूम तक की चुदाई में शायद ही कोई पोज़िशन बची होगी...संपूर्ण रूप से चुदाई को समर्पित इस अपडेट को मेरा नमन है...
ऐसे ही लिखते रहो
लव यू
What a description. Superb
Shabdon ko maala me piro kar bahut hi sundar kathanak ban raha hai.
Great
Shaandar update
What a description. Superb