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Incest मेरी बीवियां, परिवार..…और बहुत लोग…

Rajizexy

❣️and let ❣️
Supreme
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वसु भी आखिर में मान जाती है और दिव्या भी उनके साथ रहने लगती है.

दिव्या भी इसी तरह से इस परिवार में जुड़ जाती है.

अब आगे ….


वक़्त गुज़रता है. .. वसु जिसकी उम्र अभी ३५ + थी. .. अपने जवानी के आग में जलती रहती है. .. क्यूंकि वो अपने जवानी के शिकार पे थी और उसकी आग बुझाने के लिए उसका पती नहीं था. लेकिन वो अपनी जवानी को बरकारार रखती है और अपने आपको अच्छे से संभालती है. .. मोटी नहीं लेकिन एकदम गदराया हुआ बदन..बच्चे भी बड़े होने लगते है और वो भी होनहार साबित होते है. वसु की बेटी निशा भी एकदम अपनी माँ पर जाती है और वो भी एकदम सुन्दर और अच्छे बदन की मालिक बन जाती है. उसका बेटा दीपू भी बहुत स्मार्ट और हैंडसम नज़र आता है. ..

वक़्त के साथ साथ अब दोनों कॉलेज जाने लगते है अपनी पढाई के लिए (दोनों एक ही कॉलेज में पढ़ने जाते है) .. और साथ ही घर का माहौल भी थोड़ा बदल जाता है और सब एक दुसरे के साथ थोड़ा फ्री और प्यार से रहते है.

दोनों पढाई में बहुत अच्छे थे, होशियार थे और हर बार अव्वल नंबर से पास होते थे.

घर में सभी में हसीं मजाक भी चलता है और कभी कभी एक दुसरे को प्यार से छेड़ते भी है.

देखते देखते दिव्या भी अब उस घर में सब से खुल कर रहने लगती है और उसका बदन भी गदरा जाता है. वो भी एक मस्त माल के रूप में निखार जाती है.

दीपू कॉलेज में अपने दोस्तों के साथ मस्ती में रहता है और उनकी सांगत में रहते हुए उसे भी अब चुदाई का ज्ञान आ जाता है. .... दोस्तों से लड़कियों के बारे में बातें करना.. कभी कभी दोस्तों के घर जाकर उनके साथ मौज मस्ती करना और ब्लू फिल्म्स भी देखना जो हर लड़का उस उम्र में करता है.. दीपू भी वही सब करता है लेकिन वो हमेशा अपने limit में रहता है.

वो हैंडसम था तो उस पर कॉलेज की कई लडकियां भी लाइन मारती है लेकिन फिलहाल वो उनपर ज़्यादा ध्यान नहीं देता.. इसी प्रकार से निशा भी खूबसूरत थी तों उसपर भी कॉलेज के काफी लड़के उसपे मरते है लेकिन वो किसी को घास नहीं देती..

एक दिन कॉलेज में कुछ लड़के निशा को ताड़ते हुए गंदे सा कमैंट्स करते है और उससे छेड़खानी करने लगता है. दीपू और उसका एक अच्छा दोस्त देखते है और उन्हें कहते है की वो निशा से दूर ही रहे. .. उन्ही में उनकी भलाई है. एक लड़का कुछ ऐसे ही गंदे कमैंट्स फिर से करता है तो दीपू को बहुत गुस्सा आता है और उसे पकड़ कर 2-4 मुक्के मार के उसकी हालत ख़राब कर देता है. ये सब निशा के सामने ही होता है.

दोनों फिर कॉलेज से घर आ जाते है और दोनों भी नार्मल तरीके से ही घर में रहता है

Btw, वसु का पति अच्छे से मेहनत कर के १ बडा घर लिया था. .. सभी उसी में रहते है. एक कमरे में वसु और दिव्या और दोनों भाई बेहन अलग कमरे में रहते थे.

रात को निशा सोते वक़्त आज की घटनाओं के बारे में सोचती है. उसे अब धीरे से दीपू के दोस्त के ऊपर ध्यान देती है. वो भी निशा को भाने लगता है. वो भी दीपू की तरह एकदम गोरा अच्छे कद काठी का लड़का था और वो भी दीपू की तरह एकदम स्मार्ट और हैंडसम… नीली आँखे. .. एकदम फुर्तीला बदन और एकदम आकर्षक चेहरा.

दीपू के दोस्त का नाम दिनेश है. उसके परिवार का परिचय बाद में होगा.

निशा भी दिनेश को याद कर के थोड़ा चहल उठती है और वो ना चाहते हुए भी अपना हाथ पाजामे में दाल कर पैंटी के ऊपर से ही अपनी चूत रगड़ने लगती है और बड़बड़ाती है

दो मिनट बाद जब निशा अपना हाथ निकलती है तो देखती है की उसका हाथ उसके चूत रस से एकदम भीगा हुआ है.. अपना हाथ अपने नाक के पास लाकर सूंघते हुए शर्मा जाती है.. और ऐसे ही ख्यालों में रहते हुए सो जाती है

वहीँ दीपू अपने कमरे में बेखबर हुए अपने पढाई के बारे में सोच कर सो जाता है.

ऐसे ही एक दिन दोनों नाश्ता कर रहे थे तो दीपू निशा को छेड़ता है और चिढ़ाता है तो निशा अपने मौसी ( दिव्या) से कहती है..

देखो ना मौसी कैसे दीपू मुझे चिढ़ा रहा है आप कुछ कहती क्यों नहीं

दिव्या: बेटा मैं क्यों उसे कुछ कहूँ. .. तुम्हे लगता है की वो तुम्हे चिढ़ा रहा है लेकिन मैं तो ये देख रही हूँ की तुम दोनों एक दुसरे को कितना प्यार करते हो

उसकी छेड़खानी में भी प्यार झलक रहा है और ऐसा कहते हुए दिव्या हस देती है और दोनों को नाश्ता परोस देती है.

नाश्ता करने के बाद दीपू दिव्या को गले लगा लेता है तो दिव्या भी उससे गले लग जाती है. गले लगते वक़्त दिव्या की ठोस चूची दीपू के सीने में दब जाती है और जिसका एहसास दीपू को भी होता है. आज ये पहली बार था जब दीपू को भी एहसास होता है की उकसी मौसी कितनी कड़क माल है. लेकिन दीपू सामान्य रहता है और दिव्या को गले लगाते हुए उसे धन्यवाद देता है की उसने दीपू और निशा की छेड़खानी में प्यार देखा है.

दोनों नास्ता कर के कॉलेज के लिए निकल जाते है

दिव्या वसु से कहती है..वसु मैं कितनी खुश हूँ की तुम लोगों के प्यार ने मुझे मेरे ग़म को भुला दिया है

वसु भी प्यार से दिव्या का गाल सहलाते हुए..तू चिंता क्यों करती है दिव्या.. देखना एक दिन तुझे भी ऐसा पति मिलेगा जो तुम्हे जी जान से प्यार करेगा

वसु थोड़ा पीछे हैट के दिव्या को देखती है और कहती है.. कोई नपुंसक ही होगा जो तुझे देखे और अपना लंड ना हिलाये.. अगर मैं तेरा पति होती तो अब तक तुझे ढेर सारे बच्चों की माँ बना देती और उसे आँख मार देती है.

दिव्या.. छी.. ऐसी भी कोई बातें करता है क्या..तू कब से ऐसी बातें करने लग गयी है.
वसु: क्या करून.. मैं भी तो तेरी तरह ही थोड़ी जल रही हूँ और वैसे भी मैंने क्या गलत कहा है. देख तू इतनी गदरायी हुई है और ऐसा कहते हुए वसु दिव्या की चूचि को पकड़ कर दबा देती है.. जिससे दिव्या के मुँह से आह्हः की सिसक निकलती है

वसु: देखा एक बार चूचि मसली तो तेरी ये हालत है. जब कोई तुझ पर चढ़ेगा तो तेरी क्या हालत होगी. ये बात सुन कर दिव्या शर्मा जाती है और दोनों ही ऐसी कामुक बातें करते हुए अपना समय निकल लेते है..

जवानी के पहली झलक

एक दिन दीपू नहाने के लिए बाथरूम जाता है तो वहां पर एक बाल्टी में कपडे रखे हुए थे. वो ज़्यादा ध्यान नहीं देता और अपने कपडे निकल कर उस बाल्टी में डाल देता है. तब उसकी नज़र बाल्टी में पड़े एक पैंटी पे नज़र आती है. पैंटी एकदम छोटी और थोड़ा ट्रांसपेरेंट था. ये पहली बार था की उसने कोई पैंटी देखी थी. उस को देख कर एकदम मंत्रमुग्ध हो जाता है और उसे उठाते हुए वो गौर से उसे देखता है. उसे देखते हुए उसके लंड में हलचल होती है और लंड खड़ा होने लगता है और देखते ही देखते लंड एकदम तन कर पूरे फॉर्म में आ जाता है और पूरा तन जाता है. वो पैंटी को अपनी नाक के पास लाता है और उसे सूंघने लगता है. पैंटी थोड़ी गीली और लसदार लगती है उसे और उसे सूंघते हुए अपने लंड को हिलाते हुए मूठ मारने लगता है और सोचता है की ये पैंटी किसकी होगी जिसकी मेहक उसे पागल और दीवाना बना रही थी.

ये उसके जीवन में पहली बार था जब वो एक पैंटी को देख कर मूठ मार रहा था. उसे बहुत मजा आता है और करीब २ मिनट में ही झड जाता है (क्यूंकि ये उसका ऐसा पहला मौका था की उसने किसीकी पैंटी देखी थी इसीलिए जल्दी ही झड़ जाता है) और देखता है की वो काफी वीर्य निकलता है और वो वीर्य एकदम गाड़ा था.

उसके चेहरे पे हसीं आती है और वो वीर्य को साफ़ करते हुए नहा कर बाहर आता है. आज वो पहली बार तीनो को देखता है तो उसके देखने का नजरिया बदल जाता है. वो देखता है की तीनो एकदम कड़क माल है ..तीनो की उठी हुई चूचियाँ , गदराया हुआ बदन और सब से एहम बात उनकी उठी हुई गांड.

दीपू अपने ज़ज़्बातों को अपने पे काबू रख कर अपना काम करता है और वो भी कॉलेज के लिए निकल जाता है.

कुछ दिन बाद फिर से कॉलेज में कुछ लड़के निशा से बतमीज़ी करते है तो इस बार दीपू का दोस्त दिनेश उनको चेतावनी देता है और उन्हें छोड़ देता है. निशा ये सब देख कर दिनेश को मन ही मन चाहने लगती है. उसे लगता है की दिनेश उसी के लिए बना है भले ही वो उस के भाई का दोस्त था.

लेकिन उसे अब ये पता नहीं था की दिनेश उसके बारे में क्या सोचता है.

उस दिन रात को खाना खाने के बाद जब वसु और दिव्या सो जाते है तो निशा धीरे से दीपू के कमरे में जाती है तो इस वक़्त अपने मोबाइल में कुछ देख रहा था.

निशा इस वक़्त एक लूज़ टी शर्ट और शॉर्ट्स पहन कर रूम में आती है. दीपू उसे देखता है तो देखता ही रह जाता है क्यूंकि उस टी शर्ट में उसके मम्मे एकदम साफ़ झलक रहे थे ख़ास कर के उसके निप्पल्स जो एकदम तने हुए थे और वो शॉर्ट्स में उसकी चिकनी जांघें एकदम सेक्सी लग रही थी और उसे देख कर धीरे से सीटी मारते हुए कहता है…

क्या बात है. आज इस कमरे में कैसे आना हुआ? दीपू उसे ऊपर से नीचे तक देखते हुए कहता है.. क्या बात है? तू तो बहुत सेक्सी लग रही है

निशा दीपू के बात से थोड़ा शर्मा जाती है और दीपू के पास आकर उससे कहती है

निशा: मेरी एक मदत करेगा?

दीपू: तू बोल तो सही.

निशा: थोड़ा हड़बड़ाते हुए.. कहती है की उसे उसके दोस्त दिनेश का नंबर चाहिए

दीपू: क्यों?

निशा: अरे यार एक बार देना... मैं उससे बात करती हूँ. दीपू जब ये बात निशा से सुनता है तो थोड़ा निराश हो जाता है लेकिन वो निराश अपनी चेहरे पे नहीं लाता. .. क्यूंकि निशा को उन कपड़ों में देख कर दीपू का भी मन ललचा जाता है.

दीपू: ठीक है मैं उससे एक बार पूछ कर तुझे देता हूँ. ठीक है?

निशा: हाँ ठीक है.

दीपू: वैसे क्या बात है जो तुझे उसका नंबर चाहिए.. कहीं प्यार व्यार का लफड़ा तो नहीं है?

निशा: तू भी ना... फ़ालतू की बात मत कर. जितना तुझसे मदत मांगी हूँ उतना करना यार. आज तू नहीं था तो कुछ लड़के फिर से मुझे छेड़ रहे थे तो दिनेश ने उन सब को फिर से धमकाया और अपनी हद में उनको रहने को कहा. तो एक बार तो उससे बात करना बनता है ना.

दीपू: ठीक है. निशा फिर उसपर झुक कर उसके गाल पे एक प्यार से चुम्मा देती है और कहती है ये मेरी मदत करने के लिए और वहां से अपनी गांड मटकाते हुए अपने कमरे में चली जाती है.

दीपू उसकी मटकती हुई गांड को देख कर आहें भरता है लेकिन कुछ नहीं कर पाता. उसे भी लगता है की वो उसकी बेहन है तो ऐसे ख़याल उसके मन में नहीं आना चाहिए. लेकिन जब उसे वो बाथरूम में पैंटी और मूठ मारने की बात याद आती है तो हस देता है और सोचता है की उसकी मटकती गांड को देख कर ऐसे ख्याल तो आएंगे ही.

अगली सुबह जब दोनों नाश्ता कर रहे होते है तो दीपू निशा से कहता है की वो उसे आज दिनेश का नंबर दे देगा.

इतने में उनकी माँ नाश्ता देकर किचन में जाती है. दीपू अपनी नज़र उठाये वसु को देखता रह जाता है क्यूंकि वो भी अपनी बड़ी गांड मटकाते हुए किचन में चली जाती है. उसके चूतड़ काफी मस्त और भरे थे, जिसकी वजह से काफी थिरकन होती थी। निशा जब ये देखती है तो अपनी कोहनी से दीपू को हल्का सा मारते हुए कहती है..कहाँ देख रहा है तू? दीपू भी अपने आपे से बहार आता है और कुछ नहीं कहते हुए अपना नाश्ता करने लग जाता है.

उस दिन कॉलेज में निशा अपने सहेलियों के साथ गप्पे मार रही थी और तभी वहां दीपू और दिनेश भी आ जाते है लेकिन थोड़ा दूर बैठते है. ये पहली बार था जब दिनेश और निशा की आँख मिलती है.

निशा उसको देख कर Hi बोलती है. दीपू ये सब देख और सुन रहा था.

दिनेश भी Hi बोलता है लेकिन वो ज़्यादा ध्यान नहीं देता.

दीपू को देख कर निशा की दोस्त धीरे से कहती है की दीपू कितना स्मार्ट और हैंडसम है. अगर वो उसका बॉयफ्रेंड होता तो उसे ले कर कहीं भाग जाती और खूब मस्ती करती.

निशा: सिर्फ मस्ती ही करती? उसकी एक और दोस्त: नहीं रे मस्ती नहीं मैं तो उस पे चढ़ जाती और अपनी जवानी उसपे लुटाती.

निशा:क्यों तूने अब तक कितने से चुदवा लिया है?

दोस्त: नहीं रे मैं तो अब तक कुंवारी हूँ और अपने हाथों से ही काम चला रही हूँ.

उस दिन कॉलेज में और कुछ नहीं होता और रात को खाने के बाद दीपू निशा को इशारा करता है की वो उसके कमरे में आये. निशा है देती है. दिव्या उन्दोनो को धीरे से बात करते हुए देख कर कहती है की क्या खुसुर फुसुर हो रही है दोनों के बीच में. दोनों इस बात को टाल देते है और कहते है की कॉलेज की कुछ बातें कर रहे है.

रात को निशा फिर से दीपू के कमरे में ऐसे ही सेक्सी कपड़ों में आती है तो फिर से दीपू की जान हतेली पे आ जाती है लेकिन वो फिलहाल कुछ नहीं करता.

निशा: हाँ बोल किस लिए बुलाया है.

दीपू: तूने ही तो दिनेश का नंबर माँगा था न… तो ये ले और उसे दिनेश का नंबर दे देती है. निशा खुश हो जाती है और फिर से दीपू के गाल पे किस कर के उसे थैंक्स बोल के अपनी गांड मटकाते हुए निकल जाती है.
आगे देखते है उन सब का क्या हाल होने वाला है...
Awesome kamuk update
✅✅✅✅
👌👌👌
💯💯

Lagta hai Dinesh ka toh ek bahana hai,
Nisha ko toh Deepu ne hi tikana hai
 
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parkas

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वसु भी आखिर में मान जाती है और दिव्या भी उनके साथ रहने लगती है.

दिव्या भी इसी तरह से इस परिवार में जुड़ जाती है.

अब आगे ….


वक़्त गुज़रता है. .. वसु जिसकी उम्र अभी ३५ + थी. .. अपने जवानी के आग में जलती रहती है. .. क्यूंकि वो अपने जवानी के शिकार पे थी और उसकी आग बुझाने के लिए उसका पती नहीं था. लेकिन वो अपनी जवानी को बरकारार रखती है और अपने आपको अच्छे से संभालती है. .. मोटी नहीं लेकिन एकदम गदराया हुआ बदन..बच्चे भी बड़े होने लगते है और वो भी होनहार साबित होते है. वसु की बेटी निशा भी एकदम अपनी माँ पर जाती है और वो भी एकदम सुन्दर और अच्छे बदन की मालिक बन जाती है. उसका बेटा दीपू भी बहुत स्मार्ट और हैंडसम नज़र आता है. ..

वक़्त के साथ साथ अब दोनों कॉलेज जाने लगते है अपनी पढाई के लिए (दोनों एक ही कॉलेज में पढ़ने जाते है) .. और साथ ही घर का माहौल भी थोड़ा बदल जाता है और सब एक दुसरे के साथ थोड़ा फ्री और प्यार से रहते है.

दोनों पढाई में बहुत अच्छे थे, होशियार थे और हर बार अव्वल नंबर से पास होते थे.

घर में सभी में हसीं मजाक भी चलता है और कभी कभी एक दुसरे को प्यार से छेड़ते भी है.

देखते देखते दिव्या भी अब उस घर में सब से खुल कर रहने लगती है और उसका बदन भी गदरा जाता है. वो भी एक मस्त माल के रूप में निखार जाती है.

दीपू कॉलेज में अपने दोस्तों के साथ मस्ती में रहता है और उनकी सांगत में रहते हुए उसे भी अब चुदाई का ज्ञान आ जाता है. .... दोस्तों से लड़कियों के बारे में बातें करना.. कभी कभी दोस्तों के घर जाकर उनके साथ मौज मस्ती करना और ब्लू फिल्म्स भी देखना जो हर लड़का उस उम्र में करता है.. दीपू भी वही सब करता है लेकिन वो हमेशा अपने limit में रहता है.

वो हैंडसम था तो उस पर कॉलेज की कई लडकियां भी लाइन मारती है लेकिन फिलहाल वो उनपर ज़्यादा ध्यान नहीं देता.. इसी प्रकार से निशा भी खूबसूरत थी तों उसपर भी कॉलेज के काफी लड़के उसपे मरते है लेकिन वो किसी को घास नहीं देती..

एक दिन कॉलेज में कुछ लड़के निशा को ताड़ते हुए गंदे सा कमैंट्स करते है और उससे छेड़खानी करने लगता है. दीपू और उसका एक अच्छा दोस्त देखते है और उन्हें कहते है की वो निशा से दूर ही रहे. .. उन्ही में उनकी भलाई है. एक लड़का कुछ ऐसे ही गंदे कमैंट्स फिर से करता है तो दीपू को बहुत गुस्सा आता है और उसे पकड़ कर 2-4 मुक्के मार के उसकी हालत ख़राब कर देता है. ये सब निशा के सामने ही होता है.

दोनों फिर कॉलेज से घर आ जाते है और दोनों भी नार्मल तरीके से ही घर में रहता है

Btw, वसु का पति अच्छे से मेहनत कर के १ बडा घर लिया था. .. सभी उसी में रहते है. एक कमरे में वसु और दिव्या और दोनों भाई बेहन अलग कमरे में रहते थे.

रात को निशा सोते वक़्त आज की घटनाओं के बारे में सोचती है. उसे अब धीरे से दीपू के दोस्त के ऊपर ध्यान देती है. वो भी निशा को भाने लगता है. वो भी दीपू की तरह एकदम गोरा अच्छे कद काठी का लड़का था और वो भी दीपू की तरह एकदम स्मार्ट और हैंडसम… नीली आँखे. .. एकदम फुर्तीला बदन और एकदम आकर्षक चेहरा.

दीपू के दोस्त का नाम दिनेश है. उसके परिवार का परिचय बाद में होगा.

निशा भी दिनेश को याद कर के थोड़ा चहल उठती है और वो ना चाहते हुए भी अपना हाथ पाजामे में दाल कर पैंटी के ऊपर से ही अपनी चूत रगड़ने लगती है और बड़बड़ाती है

दो मिनट बाद जब निशा अपना हाथ निकलती है तो देखती है की उसका हाथ उसके चूत रस से एकदम भीगा हुआ है.. अपना हाथ अपने नाक के पास लाकर सूंघते हुए शर्मा जाती है.. और ऐसे ही ख्यालों में रहते हुए सो जाती है

वहीँ दीपू अपने कमरे में बेखबर हुए अपने पढाई के बारे में सोच कर सो जाता है.

ऐसे ही एक दिन दोनों नाश्ता कर रहे थे तो दीपू निशा को छेड़ता है और चिढ़ाता है तो निशा अपने मौसी ( दिव्या) से कहती है..

देखो ना मौसी कैसे दीपू मुझे चिढ़ा रहा है आप कुछ कहती क्यों नहीं

दिव्या: बेटा मैं क्यों उसे कुछ कहूँ. .. तुम्हे लगता है की वो तुम्हे चिढ़ा रहा है लेकिन मैं तो ये देख रही हूँ की तुम दोनों एक दुसरे को कितना प्यार करते हो

उसकी छेड़खानी में भी प्यार झलक रहा है और ऐसा कहते हुए दिव्या हस देती है और दोनों को नाश्ता परोस देती है.

नाश्ता करने के बाद दीपू दिव्या को गले लगा लेता है तो दिव्या भी उससे गले लग जाती है. गले लगते वक़्त दिव्या की ठोस चूची दीपू के सीने में दब जाती है और जिसका एहसास दीपू को भी होता है. आज ये पहली बार था जब दीपू को भी एहसास होता है की उकसी मौसी कितनी कड़क माल है. लेकिन दीपू सामान्य रहता है और दिव्या को गले लगाते हुए उसे धन्यवाद देता है की उसने दीपू और निशा की छेड़खानी में प्यार देखा है.

दोनों नास्ता कर के कॉलेज के लिए निकल जाते है

दिव्या वसु से कहती है..वसु मैं कितनी खुश हूँ की तुम लोगों के प्यार ने मुझे मेरे ग़म को भुला दिया है

वसु भी प्यार से दिव्या का गाल सहलाते हुए..तू चिंता क्यों करती है दिव्या.. देखना एक दिन तुझे भी ऐसा पति मिलेगा जो तुम्हे जी जान से प्यार करेगा

वसु थोड़ा पीछे हैट के दिव्या को देखती है और कहती है.. कोई नपुंसक ही होगा जो तुझे देखे और अपना लंड ना हिलाये.. अगर मैं तेरा पति होती तो अब तक तुझे ढेर सारे बच्चों की माँ बना देती और उसे आँख मार देती है.

दिव्या.. छी.. ऐसी भी कोई बातें करता है क्या..तू कब से ऐसी बातें करने लग गयी है.
वसु: क्या करून.. मैं भी तो तेरी तरह ही थोड़ी जल रही हूँ और वैसे भी मैंने क्या गलत कहा है. देख तू इतनी गदरायी हुई है और ऐसा कहते हुए वसु दिव्या की चूचि को पकड़ कर दबा देती है.. जिससे दिव्या के मुँह से आह्हः की सिसक निकलती है

वसु: देखा एक बार चूचि मसली तो तेरी ये हालत है. जब कोई तुझ पर चढ़ेगा तो तेरी क्या हालत होगी. ये बात सुन कर दिव्या शर्मा जाती है और दोनों ही ऐसी कामुक बातें करते हुए अपना समय निकल लेते है..

जवानी के पहली झलक

एक दिन दीपू नहाने के लिए बाथरूम जाता है तो वहां पर एक बाल्टी में कपडे रखे हुए थे. वो ज़्यादा ध्यान नहीं देता और अपने कपडे निकल कर उस बाल्टी में डाल देता है. तब उसकी नज़र बाल्टी में पड़े एक पैंटी पे नज़र आती है. पैंटी एकदम छोटी और थोड़ा ट्रांसपेरेंट था. ये पहली बार था की उसने कोई पैंटी देखी थी. उस को देख कर एकदम मंत्रमुग्ध हो जाता है और उसे उठाते हुए वो गौर से उसे देखता है. उसे देखते हुए उसके लंड में हलचल होती है और लंड खड़ा होने लगता है और देखते ही देखते लंड एकदम तन कर पूरे फॉर्म में आ जाता है और पूरा तन जाता है. वो पैंटी को अपनी नाक के पास लाता है और उसे सूंघने लगता है. पैंटी थोड़ी गीली और लसदार लगती है उसे और उसे सूंघते हुए अपने लंड को हिलाते हुए मूठ मारने लगता है और सोचता है की ये पैंटी किसकी होगी जिसकी मेहक उसे पागल और दीवाना बना रही थी.

ये उसके जीवन में पहली बार था जब वो एक पैंटी को देख कर मूठ मार रहा था. उसे बहुत मजा आता है और करीब २ मिनट में ही झड जाता है (क्यूंकि ये उसका ऐसा पहला मौका था की उसने किसीकी पैंटी देखी थी इसीलिए जल्दी ही झड़ जाता है) और देखता है की वो काफी वीर्य निकलता है और वो वीर्य एकदम गाड़ा था.

उसके चेहरे पे हसीं आती है और वो वीर्य को साफ़ करते हुए नहा कर बाहर आता है. आज वो पहली बार तीनो को देखता है तो उसके देखने का नजरिया बदल जाता है. वो देखता है की तीनो एकदम कड़क माल है ..तीनो की उठी हुई चूचियाँ , गदराया हुआ बदन और सब से एहम बात उनकी उठी हुई गांड.

दीपू अपने ज़ज़्बातों को अपने पे काबू रख कर अपना काम करता है और वो भी कॉलेज के लिए निकल जाता है.

कुछ दिन बाद फिर से कॉलेज में कुछ लड़के निशा से बतमीज़ी करते है तो इस बार दीपू का दोस्त दिनेश उनको चेतावनी देता है और उन्हें छोड़ देता है. निशा ये सब देख कर दिनेश को मन ही मन चाहने लगती है. उसे लगता है की दिनेश उसी के लिए बना है भले ही वो उस के भाई का दोस्त था.

लेकिन उसे अब ये पता नहीं था की दिनेश उसके बारे में क्या सोचता है.

उस दिन रात को खाना खाने के बाद जब वसु और दिव्या सो जाते है तो निशा धीरे से दीपू के कमरे में जाती है तो इस वक़्त अपने मोबाइल में कुछ देख रहा था.

निशा इस वक़्त एक लूज़ टी शर्ट और शॉर्ट्स पहन कर रूम में आती है. दीपू उसे देखता है तो देखता ही रह जाता है क्यूंकि उस टी शर्ट में उसके मम्मे एकदम साफ़ झलक रहे थे ख़ास कर के उसके निप्पल्स जो एकदम तने हुए थे और वो शॉर्ट्स में उसकी चिकनी जांघें एकदम सेक्सी लग रही थी और उसे देख कर धीरे से सीटी मारते हुए कहता है…

क्या बात है. आज इस कमरे में कैसे आना हुआ? दीपू उसे ऊपर से नीचे तक देखते हुए कहता है.. क्या बात है? तू तो बहुत सेक्सी लग रही है

निशा दीपू के बात से थोड़ा शर्मा जाती है और दीपू के पास आकर उससे कहती है

निशा: मेरी एक मदत करेगा?

दीपू: तू बोल तो सही.

निशा: थोड़ा हड़बड़ाते हुए.. कहती है की उसे उसके दोस्त दिनेश का नंबर चाहिए

दीपू: क्यों?

निशा: अरे यार एक बार देना... मैं उससे बात करती हूँ. दीपू जब ये बात निशा से सुनता है तो थोड़ा निराश हो जाता है लेकिन वो निराश अपनी चेहरे पे नहीं लाता. .. क्यूंकि निशा को उन कपड़ों में देख कर दीपू का भी मन ललचा जाता है.

दीपू: ठीक है मैं उससे एक बार पूछ कर तुझे देता हूँ. ठीक है?

निशा: हाँ ठीक है.

दीपू: वैसे क्या बात है जो तुझे उसका नंबर चाहिए.. कहीं प्यार व्यार का लफड़ा तो नहीं है?

निशा: तू भी ना... फ़ालतू की बात मत कर. जितना तुझसे मदत मांगी हूँ उतना करना यार. आज तू नहीं था तो कुछ लड़के फिर से मुझे छेड़ रहे थे तो दिनेश ने उन सब को फिर से धमकाया और अपनी हद में उनको रहने को कहा. तो एक बार तो उससे बात करना बनता है ना.

दीपू: ठीक है. निशा फिर उसपर झुक कर उसके गाल पे एक प्यार से चुम्मा देती है और कहती है ये मेरी मदत करने के लिए और वहां से अपनी गांड मटकाते हुए अपने कमरे में चली जाती है.

दीपू उसकी मटकती हुई गांड को देख कर आहें भरता है लेकिन कुछ नहीं कर पाता. उसे भी लगता है की वो उसकी बेहन है तो ऐसे ख़याल उसके मन में नहीं आना चाहिए. लेकिन जब उसे वो बाथरूम में पैंटी और मूठ मारने की बात याद आती है तो हस देता है और सोचता है की उसकी मटकती गांड को देख कर ऐसे ख्याल तो आएंगे ही.

अगली सुबह जब दोनों नाश्ता कर रहे होते है तो दीपू निशा से कहता है की वो उसे आज दिनेश का नंबर दे देगा.

इतने में उनकी माँ नाश्ता देकर किचन में जाती है. दीपू अपनी नज़र उठाये वसु को देखता रह जाता है क्यूंकि वो भी अपनी बड़ी गांड मटकाते हुए किचन में चली जाती है. उसके चूतड़ काफी मस्त और भरे थे, जिसकी वजह से काफी थिरकन होती थी। निशा जब ये देखती है तो अपनी कोहनी से दीपू को हल्का सा मारते हुए कहती है..कहाँ देख रहा है तू? दीपू भी अपने आपे से बहार आता है और कुछ नहीं कहते हुए अपना नाश्ता करने लग जाता है.

उस दिन कॉलेज में निशा अपने सहेलियों के साथ गप्पे मार रही थी और तभी वहां दीपू और दिनेश भी आ जाते है लेकिन थोड़ा दूर बैठते है. ये पहली बार था जब दिनेश और निशा की आँख मिलती है.

निशा उसको देख कर Hi बोलती है. दीपू ये सब देख और सुन रहा था.

दिनेश भी Hi बोलता है लेकिन वो ज़्यादा ध्यान नहीं देता.

दीपू को देख कर निशा की दोस्त धीरे से कहती है की दीपू कितना स्मार्ट और हैंडसम है. अगर वो उसका बॉयफ्रेंड होता तो उसे ले कर कहीं भाग जाती और खूब मस्ती करती.

निशा: सिर्फ मस्ती ही करती? उसकी एक और दोस्त: नहीं रे मस्ती नहीं मैं तो उस पे चढ़ जाती और अपनी जवानी उसपे लुटाती.

निशा:क्यों तूने अब तक कितने से चुदवा लिया है?

दोस्त: नहीं रे मैं तो अब तक कुंवारी हूँ और अपने हाथों से ही काम चला रही हूँ.

उस दिन कॉलेज में और कुछ नहीं होता और रात को खाने के बाद दीपू निशा को इशारा करता है की वो उसके कमरे में आये. निशा है देती है. दिव्या उन्दोनो को धीरे से बात करते हुए देख कर कहती है की क्या खुसुर फुसुर हो रही है दोनों के बीच में. दोनों इस बात को टाल देते है और कहते है की कॉलेज की कुछ बातें कर रहे है.

रात को निशा फिर से दीपू के कमरे में ऐसे ही सेक्सी कपड़ों में आती है तो फिर से दीपू की जान हतेली पे आ जाती है लेकिन वो फिलहाल कुछ नहीं करता.

निशा: हाँ बोल किस लिए बुलाया है.

दीपू: तूने ही तो दिनेश का नंबर माँगा था न… तो ये ले और उसे दिनेश का नंबर दे देती है. निशा खुश हो जाती है और फिर से दीपू के गाल पे किस कर के उसे थैंक्स बोल के अपनी गांड मटकाते हुए निकल जाती है.
आगे देखते है उन सब का क्या हाल होने वाला है...
Bahut hi badhiya update diya hai Mass bhai....
Nice and beautiful update....
 
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AGRIM9INCH

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Bhai, main naukri karta hoon aur maine pehle hi kaha tha ki mujhe zyaada time nahi milega phir bhi definitely 1 update har hafte doonga. Hope you get it. Not to offend you...but need to take care of myself and job as well.. Hope you can understand. Much Thanks...isiliye 1st page pe index bhi update kiya hua hai.

AGRIM9INCH
Same problem hai....
 
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भाई अगला अपडेट Pg 18 पे पोस्ट किया है. Look forward to your comments and Review. Thanks.

ayush01111
 
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Bhai mai bhi job hi karta hu.....time mujhe bhi nahi milta time nikalkar aata hu padhne..... Monday se night duty chal rahi hai.... isliye is time khaali hu.....
Ok, sure. Understand...hope you can also imagine my situation. din mein job...baaki ghar kaa kaam..aur phir updates dena...thoda mushkil hai which I am sure you can understand.
Also, ek update likhne mein bahut time lagta hai..bahut sochna bhi padta hai ki kya likhen..story mein sab baatein jud rahe hai yaa nahi...aur phir aisa kuch naa likhe jisse koi masla ho. So, it takes a lot of time...hope you understand. Much thanks for your comment though and keep supporting.
Jaise maine pehle bhi likha hai...agar time milta hai aur work load kam hota hai to zyaada updates dene ki koshish karoonga.

AGRIM9INCH
 
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