Motaland2468
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Story slow hi chalne do maza a raha hai padne kaPl give your suggestions also to make the story more romantic
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Bahut hi sundar update bhai ji story me romanch hona chahiye direct seen se maza bhi nai aata...दिन ऐसे ही निकल गया. मैं घर में काम कर रही थी और ससुर जी मुझ इधर उधर घूम रही अपनी बहु के गदराये शरीर को देख देख कर आँखें सेंक रहे थे.
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मैंने घर का काम करने के कारण मैक्सी पहन राखी थी, ताकि थोड़ा आरामदायक रहूँ पर उसका कपडा थोड़ा पतला था तो ससुर जी को मेरे शरीर के कटाव दिखाई दे रहे थे. मैंने सोचा की मैक्सी बदल कर मोटे कपडे की पहन लूँ पर एक तो गर्मी थी और पता नहीं क्यों एक मर्द की अपने शरीर पर घुमती नजरें मुझे भी कुछ कुछ रोमांच दे रही थी, अंदर ही अंदर कहीं मुझे भी अच्छा लग रहा था. शायद शराबी पति से अपनी सेक्स जरूरतें पूरी न हो पाने के कारण मेरी भी सेक्स भूख पूरी नहीं हो रही थी, या शायद हर औरत को अच्छा लगता ही है जब कोई मर्द उस पर आकर्षित होता है. अब चाहे वो थे मेरे अपने ही ससुर पर थे तो एक मर्द ही, और मर्द भी कैसे कि जैसे कोई पहलवान जवान हो. मेरे पति से कहीं कड़ियल गबरू और मजबूत. तो कहीं न कहीं मुझे इतना बुरा भी नहीं लग रहा था. काश वे मेरे ससुर की जगह कोई और मर्द होते तो मैं भी आगे बढ़ कर उन्हें अपना जिस्म दिखाती, पर खैर जो है सो है,
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वे वैसे तो ड्राइंग रूम में बैठे टीवी देखने का बहाना कर रहे थे, पर थोड़ी देर बाद किसी न किसी बहाने से वे किचन में मेरे पास आते और किसी बहाने से मुझे छूने की कोशिश करते.
हम दोनों ससुर बहु के बीच यह आँख मिचौली का खेल चल रहा था.
न चाहते हुए भी मैं अंदर कहीं आनंदित ही हो रही थी,
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थोड़ी देर में आसमान में बादल आ गए. ऐसा लगता था कि कहीं बारिश न आ जाये. जब बादल गरजे तो मुझे एकदम से ध्यान आया कि ऊपर छत पर कपडे सूखने डाले हुए है,
मैंने बाबूजी को आवाज दे कर कहा
"बाबूजी! बारिश आने वाली लगता है. ऊपर छत पर कपडे सूख रहे हैं. उन्हें ले आएं, कहीं भीग न जाएँ."
बाबूजी उठ कर छत पर चले गए. जब वे गए तो मुझे एकदम ध्यान आया कि ऊपर कपड़ों में मेरे ब्रा पैंटी भी सूख रहे हैं.
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हे भगवान, अब मैं क्या करू? बाबूजी तो पहले ही लौड़ा आकड़ाये घूम रहे हैं, अब उनको ही मैंने कपडे उतारने भेज दिया.
पर अब हो भी क्या सकता था. थोड़ी ही देर में बाबूजी कपडे उतार कर नीचे ले आये.
मैं तो सोच ही रही थी कि अब बाबूजी कुछ न कुछ शरारत तो करेंगे.
तभी बाबूजी कपडे लिए हुए मेरे पास किचन में आये, उनके हाथ में मेरी पैंटी थी. पैंटी भी लेस वाली और काफी सेक्सी डिज़ाइन की थी,
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बाबूजी ने उसे पकड़ा हुआ था और उनकी उँगलियाँ पैंटी में जहाँ मेरी चूत होती है उस स्थान पर मसल रही थी जैसे वे मेरी पैंटी नहीं बल्कि मेरी चूत को ही मसल रहे हों.
बाबूजी को पैंटी मसलते देख कर मेरे आँखें शर्म से झुक गयीं. वो मुझे पैंटी दिखाते हुए बोले
"सुषमा! लगता है अपने छत पर किसी पडोसी के भी कपडे गिर गए हैं. यह कपडे (अभी वो भी इतने खुले न थे तो पैंटी न बोल कर कपडे शब्द ही बोल रहे थे) किसके है?"
यह बोलते हुए उन्होंने मेरी पैंटी मेरी सामने कर दी.
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मैं तो शर्म से पानी पानी हो गयी. शर्माते हुए बोली
"मेरी ही हैं बाबूजी."
बाबूजी उसी तरह पैंटी को मसलते बोले
"अरे नहीं बहु. ध्यान से देखो। यह कच्छी तुम्हारी कैसे हो सकती है. यह तो बहुत छोटी सी है, तुम्हारे नाप कैसे आएगी? मुझे लगता है कि किसी पडोसी की होगी. ध्यान से देखो."
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मैं जानती थी कि बाबूजी मुझे छेड़ रहे हैं. वरना उन्हें क्या पता नहीं कि पडोसी की पैंटी उड़ कर हमारी तार पर कैसे आ जायेगी. पर मुझे भी मजा सा आ रहा था. घर में सिर्फ मेरा बेटा ही था और वो भी अपने कमरे में पढ़ रहा था.
मेरी आँखों में भी शरारत की चमक आ गयी तो ना चाहते हुए भी मैं मजा करते बोली
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"बाबूजी यह मेरी ही है. आप कमरे में रख दें."
ससुर जी भी बात को आगे बढ़ाते बोले
"नहीं बहु. देखो तो यह तो बहुत छोटी सी है. तुम्हारी कमर पर कैसे आ पायेगी यह?"
मैं बोली "तो आप क्या समझते हैं कि आपकी बहु इतनी मोटी है?"
बाबूजी मेरे चूतड़ों को ध्यान से देखते हुए बोले
"बहुरानी तुम मोटी तो बिलकुल नहीं हो. तुम्हारे शरीर पर तो कहीं भी फ़ालतू मांस नहीं है. तुम बहुत सूंदर हो. पर लगता तो नहीं की यह पैंटी तुम्हारी टांगों (वो चाह कर भी जांघें या चूतड़ शब्द नहीं बोल पाए) पर चढ़ भी पायेगी. यह तो तुम्हे 10% भी ढक नहीं पाती होगी. इतनी छोटी पैंटी पहनने का क्या फायदा, जब कुछ छुपा ही नहीं पाती होगी यह.कम से कम कपडा जिस काम के लिए हो उसे तो ढक पाए तो ही उसके पहनने का कोई फायदा है. मुझे तो लगता है की इतनी छोटी कच्छी (अब पहली बार उन्होंने कच्छी शब्द बोल ही दिया) तुम्हारा कुछ भी छुपा पाती होगी. "
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ससुर जी का लौड़ा तन गया था और लोहे की तरह सख्त हो गया था. बाबूजी बार बार अपने लौड़े को हाथ से सेट कर रहे थे.
अब पता नहीं उनका लण्ड अकड़ गया था इसलिए उसे ठीक कर रहे थे या फिर मुझे अपना बड़ा सा लण्ड दिखा रहे थे.
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जो भी हो मैं भी तिरछी नजर से उनके लौड़े को देख रही थी और मेरी चूत में भी पानी आने लग गया था और वो भी बहुत गीली हो गयी थी,
मन तो मेरा भी कर रहा था कि मैं अपनी चूत में ऊँगली कर लूँ या कम से कम मैं अपनी चूत को मैक्सी के कपडे के ऊपर से हे रगड़ कर साफ़ कर लू पर ससुर जी पास ही खड़े थे तो कुछ नहीं कर सकती थी,
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अब बातचीत काफी सेक्सी हो चली थी. पैंटी से कच्छी जैसे शब्द और कुछ भी छुपा पाने जैसे शब्द से मैंने सोचा कि बात कहीं हद से आगे न बढ़ जाये तो बाबूजी को बोली.
"बाबूजी! यह कपडे मेरे ही हैं , आप इन्हे कमरे में रख दें. मुझे काम करना है. आप टीवी देखिये जा कर."
बाबूजी समझ गए कि मैं अभी शर्मा रही हूँ, तो उन्होंने भी बात को आगे ना बढ़ाते हुए फिर से एक बार मेरे चूतड़ों की तरफ देखा ।
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अभी मैं सोच ही रही थी की बात ख़त्म हुई, कि बाबूजी ने कपड़ों के ढेर में से मेरी ब्रा निकाली और उसी तरह उसके मुम्मे डालने वाले कप में उँगलियाँ मसलते हुए बोले
"सुषमा बेटी! दिल तो नहीं मानता पर चलो मान लेते हैं कि वो कच्छी तुम्हारी ही है, किसी तरह तुम खींच खाँच कर उसे अपनी टांगो से ऊपर चढ़ा भी लेती होगी और जो थोड़ा बहुत वो ढक सकती है, ढक लेती होगी. पर अब यह मत कह देना की यह ब्रा भी तुम्हारी ही है. यह तो इतनी छोटी लग रही है कि तुम्हारे नाप आ ही नहीं सकती. यह तो जरूर किसी पड़ोसी के उड़ कर आ गए होंगी "
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यह बोलते हुए ससुर जी शरारत से मुस्कुरा रहे थे और उनकी आँखों में चमक थी. उनकी नजरें मेरे बड़े बड़े मम्मों पर थी. और में शर्म से जमीन में गढ़ी जा रही थी.
मैं बोलती तो बोलती भी क्या. पर जवाब तो देना ही था. तो बोली
"नहीं बाबूजी यह ब्रा भी मेरी ही है. किसी और की नहीं. आप प्लीज इसे रख दीजिये."
बाबूजी फिर मेरे आगे ब्रा को लहराते बोले
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"पर बहु. यह ब्रा तो मेरे हिसाब से तुम्हारे नाप से बहुत छोटी है. तुम ध्यान से देखो तुम्हारी ही है क्या?"
यानि अब बाबूजी नजरों से मेरा "नाप" चेक कर रहे थे. और जो कह रहे थे उसका मतलब था कि मेरे मम्मे मोटे और बड़े हैं.
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मैं क्या बोलती. मुंह नीचे किये बोली
"बाबूजी! आप भी क्या बात ले कर बैठ गए. मैंने बोल तो दिया कि मेरे हैं सारे कपडे. आप इन्हे रख दीजिये और मुझे काम करने दें."
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शायद बाबूजी को लगा की बात कुछ ज्यादा खिंच रही है और मैं नाराज न हो जॉन और बात बनने की बजाए बिगड़ न जाये तो बाहर की तरफ चल पड़े , पर चलते चलते बोले
"क्या अजीब हैं आजकल की लड़कियां भी (अब मैं 12 साल पुरानी शादीशुदा औरत थी लड़की थोड़े ही थी) न जाने कैसे इतने छोटे कपडे पहन लेती हैं कि दोनों कप को मिला कर मुश्किल से एक अंदर आ सके."
सीधा मतलब था कि मेरे मम्मे बड़े थे. मैं चुप ही रही. मैं समज रही थी, कि कुछ बोला तो बाबूजी फिर कुछ और कह देंगे.
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बाबूजी ने भी मुझे चुप देखा तो चले गए.
मैंने भी चैन की सांस ली. यह पहली बार था कि बाबूजी ने जब मुझे छेड़ा तो मैंने भी उन्हें आगे से शरारत भरा ही उत्तर दिया था.
बाबूजी भी खुश लग रहे थे. उन्हें लग रहा था कि अब उनकी बहु भी रिस्पॉन्स दे रही है.
वो जा कर ड्राइंग रूम में टीवी के आगे बैठ गए.
Bahut hi sundar update bhai ji story me romanch hona chahiye direct seen se maza bhi nai aata...
क्या आपने ये कहानी खुद लिखी है ? अगर हाँ, तो इसे थोड़ा धीमा करके ले जाइये,Pl give your suggestions also to make the story more romantic
Thanks for your suggestions.क्या आपने ये कहानी खुद लिखी है ? अगर हाँ, तो इसे थोड़ा धीमा करके ले जाइये,
i mean slow seduction, आपको ऐसे ही विषय पर एक और कहानी का suggest कर रहा हूँ,
शायद इससे आपकी सहायता हो सके!