पिछले अपडेट में आपने पढ़ा की.. अपनी बेतहाशा हवस को शांत करने के लिए शीला आखिरकार रसिक के खेत पर जाने के लिए रात को निकलती है.. वहाँ पहुँचने पर, सुमसान वातावरण और अकेली शीला का फायदा उठाते हुए अनजान शख्सों ने उस पर जबरदस्ती कर दी.. शायद यह वही लोग थे जो शीला ने तब देखे थे जब वो कविता को लेकर रसिक के खेत पर गई थी..
एक सप्ताह बाद, शीला ने राजेश को फोन किया और दोनों होटल के कमरे में मिले.. जहां शीला ने फाल्गुनी के बारे में रहस्य-स्फोट किया और राजेश को चोंका दिया.. एक संतोषकारक संभोग के साथ अध्याय का समापन हुआ
अब आगे...
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देखते ही देखते एक महीने का वक्त बीत गया.. पीयूष और मदन अमरीका से वापिस लौट आयें
उनके आने के दूसरे ही दिन, शीला पर कविता का फोन आया
शीला: "ओहो कविता.. आज सुबह सुबह कैसे याद किया?"
कविता: "आपको तो मैं रोज याद करती हूँ.. फोन आज किया है"
शीला: "बता क्या बात है?"
कविता: "मैंने यह कहने के लिए फोन किया है की मैंने आपका काम कर दिया"
शीला ने आश्चर्य से पूछा "कौनसा काम?"
कविता: "पिंटू की नौकरी पीयूष की ऑफिस मे लगाने वाली जो बात कही थी आपने.. मैं पीयूष के आने का इंतज़ार ही कर रही थी.. कल रात ही बात कर ली मैंने"
शीला: "वाह..!! तो क्या कहा पीयूष ने?"
कविता: "पीयूष तो उत्साहित है पिंटू को लेकर.. अब अमरीका वाला काम आ जाने से उसे वैसे भी किसी अच्छे भरोसेमंद आदमी की जरूरत है.. पर पीयूष को एक ही डर है.. कहीं राजेश सर को ऐसा ना लगे की वो उनके आदमियों को तोड़ रहा है"
शीला: "मैं राजेश से बात कर लूँगी.. ऐसा कुछ नहीं होगा"
कविता: "फिर तो आपका काम हो गया समझो"
शीला ने आभारवश होते हुए कहा "थेंक यू कविता.. बहोत बड़ा बोझ हल्का कर दिया तूने"
कविता: "भाभी, आपका काम हो और मैं न करूँ ऐसा कभी हो सकता है..!!"
शीला: "हाँ यार.. संजय का टेंशन दिन-रात लगा रहता है मुझे.. एक बार इन दोनों का शहर बदल जाए फिर मेरे दिल को तसल्ली होगी"
कविता ने हँसते हुए कहा "और आपकी लाइन भी क्लियर हो जाएगी"
शीला हंस पड़ी और बोली "हाँ.. वो भी है"
कविता: "तो आप राजेश सर से बात कर लीजिए.. मैं रखती हूँ फोन"
शीला: "ओके कविता"
कविता के फोन रखते ही शीला ने सीधे राजेश को फोन लगाया
राजेश: "हाँ भाभीजी, बोलिए.. आज मिलना है क्या?"
शीला ने हँसकर कहा "मदन लौट आया है राजेश.. मिल तो फिर भी सकते है.. और वो भी उसके साथ.. पर अभी किसी और काम से मैंने तुम्हें फोन किया है"
राजेश: "बताइए भाभी, क्या सेवा करूँ??"
शीला ने विस्तार से बताया.. संजय के खतरे के चलते पिंटू का शहर छोड़ना कितना जरूरी था और उसके लिए उसका नौकरी बदलना भी
राजेश: "भाभी, आपकी बात मैं समझ रहा हूँ.. पर अभी इतना वर्कलोड है की मैं पिंटू को अभी नहीं छोड़ सकता"
शीला: "राजेश, पिंटू की जान से बढ़कर तुम्हारा काम नहीं हो सकता.. संजय का कुछ ठिकाना नहीं है.. पता नहीं कब फिर से झपट पड़े..!! और यह भी सोच की एक बार वैशाली और पिंटू यहाँ से शिफ्ट हो गए तो हम सब अपनी पुरानी ज़िंदगी फिर से शुरू कर सकते है"
राजेश सोच में पड़ गया और काफी देर तक कुछ बोला नहीं
शीला: "देख राजेश, क्या तुम नहीं चाहते की तुम दोबारा बिना किसी रोकटोक के मेरे घर आ सको और हम दोनों फिर से पूरी रात मजे से गुजारे?"
राजेश: "ठीक है भाभी.. अगर पिंटू की भी इच्छा हो तो मैं उसे रोकूँगा नहीं"
शीला: "शुक्रिया राजेश.. अभी मुझे पिंटू और वैशाली से भी बात करनी है"
राजेश: "ठीक है भाभी"
राजेश ने फोन रख दिया.. पिंटू जैसे होनहार कर्मचारी को छोड़ने का उसका मूड नहीं था.. पर बात उसकी सुरक्षा की थी.. और उनके जाने से वह फिर से पूर्ववत होकर अपनी रंगीन ज़िंदगी में लौट भी सकते थे
शीला फोन रखकर सोफ़े पर बैठी सोच रही थी.. तभी मदन बाथरूम से नहाकर बाहर आया
मदन: "किससे बात कर रही थी सुबह सुबह?"
शीला ने सोफ़े से उठते हुए कहा "लंबी बात है.. तू नाश्ता करने बैठ जा.. मैं सब बताती हूँ"
मदन डाइनिंग टेबल पर बैठकर बेसब्री से शीला के आने का इंतज़ार करने लगा
शीला थोड़ी ही देर मे चाय और नाश्ता लेकर आई और मदन के बगल वाली कुर्सी पर बैठ गई
दोनों नाश्ते करने लगे..
मदन: "अब बताओगी भी की क्या बात है..!!!"
शीला ने विस्तारपूर्वक सारी बात मदन को बताई
सुनकर मदन भी सोच में पड़ गया
मदन: "क्या तुमने पिंटू और वैशाली से इस बारे में बात की है क्या?"
शीला: "अब तक नहीं की है.. पहले कविता के द्वारा पीयूष से बात की.. और फिर राजेश से.. दोनों मान गए है इसलिए अब पिंटू से बात करूंगी"
मदन: "लगता है की पिंटू मान जाएगा?"
शीला: "उसे मानना ही होगा.. ऐसे जोखिम के साथ कब तक जीते रहेंगे? और वहाँ उसे तरक्की भी मिलेगी.. सैलरी भी बढ़ जाएगी.. पिंटू का घर भी है उस शहर में.. सब से बेस्ट होगा"
मदन: "सही कह रही हो तुम"
शीला: "मैंने आज शाम को वैशाली और पिंटू को खाने पर बुलाया है.. तब बात करेंगे"
मदन: "ठीक है"
उस रात जब वैशाली और पिंटू, शीला के घर खाना खाने आए तब शीला ने विस्तार पूर्वक दोनों को सब कुछ बताया
पिंटू काफी देर तक खामोश रहा.. जैसे कुछ सोच रहा हो..!! व्यग्र मन से और बड़ी ही उत्कंठा के साथ शीला उसके सामने देख रही थी
पिंटू: "मुझे सोचने के थोड़ा वक्त चाहिए मम्मी जी"
शीला: "इसमे सोचने वाली कोई बात ही नहीं है.. एक तो तुम्हारी तरक्की हो जाएगी, तनख्वाह भी बढ़ेगी.. दूसरा, तुम्हारा वहाँ खुद का घर है.. तो रहने का इंतेजाम करने की कोई झंझट नहीं.. तुम्हारे माता-पिता भी कितना खुश होंगे.. तीसरा, संजय से भी छुटकारा मिल जाएगा"
पिंटू ने जवाब नहीं दिया.. हालांकि जो बातें शीला ने बताई वह शत प्रतिशत सच थी और काफी आकर्षक भी.. लेकिन पता नहीं उसके दिमाग में क्या चल रहा था..!!
शीला ने पिंटू का हाथ पकड़ा और उसे ड्रॉइंग रूम के बाहर, बरामदे में ले गई.. मदन और वैशाली सोफ़े पर ही बैठे रहे
शीला ने पिंटू से अब अकेले में कहा "देख बेटा.. शादी से पहले जो कुछ भी हुआ राजेश और वैशाली के बीच, उसके बाद तुम्हारे और राजेश के संबंधों में जो तनाव आया है, उसके बारे में मैं जानती हूँ.. और वो वाजिब भी है..!! ऐसे असुविधाजनक माहोल में काम करने से तो बेहतर होगा की तुम इस मौके को स्वीकार लो.. इसी में सबकी भलाई है" पिंटू को मनाने में कोई कसर छोड़ना नहीं चाहती थी शीला
पिंटू: "आप सही कह रही हो मम्मी जी, यह प्रस्ताव सभी मायनों में मेरे लिए अच्छा ही है"
शीला: "तो फिर इतना सोच क्यों रहे हो..!! तुम्हारी हाँ हो तो मैं आज ही कविता से कहती हूँ की पीयूष तुम्हारे साथ इस बारे में बात करें..!! वैसे कविता ने पीयूष से बात कर ली है इसलिए सिर्फ तुम्हारे हाँ कहने की ही देरी है"
पिंटू: "पर मम्मी जी, फिलहाल ऑफिस में जो काम का बोझ है मेरे ऊपर, मुझे नहीं लगता की राजेश सर इतनी आसानी से जाने देंगे मुझे"
शीला: "तुम एक बार बात करके तो देखो.. मेरा मन कह रहा है की राजेश मना नहीं करेगा.. कई बार हम पूर्व-धारणा और अनुमान लगाकर बिना वजह ही तनाव में जीते रहते है.. और कोशिश ही नहीं करते..!!! एक बार बात करके तो देखो..!! हो सकता है की वो खुशी खुशी मान जाएँ" शीला ने यह बात पिंटू को नहीं बताई की उसकी राजेश से इस बारे में बात हो चुकी है.. पिंटू के मन के शक को वो बढ़ावा देना नहीं चाहती थी
पिंटू ने आखिर शीला के सामने हथियार डाल दिए "ठीक है मम्मी जी, आप कविता से बात कीजिए.. पीयूष से मैं बात कर लूँगा.. फिर जो तय होता है उस हिसाब से मैं आगे राजेश सर से बात करूंगा"
सुनते ही शीला बहोत खुश हो गई, उसने कहा "तुमने बिल्कुल सही फैसला लिया है.. यही सब के हित में होगा"
पिंटू ने असमंजस से शीला के सामने देखते हुए कहा "सब के हित में मतलब?"
शीला: "अरे.. मतलब तुम्हारे और वैशाली के लिए.. और हमारे लिए भी.. तुम लोग आराम और चैन से खुशी खुशी रहोगे तो हमारे दिल को भी तसल्ली होगी"
पिंटू मान गया..!!!
वैशाली और पिंटू के जाने के बाद, शीला ने तुरंत कविता से फोन पर बात की और इस बारे में बताया.. साथ ही उसे पीयूष से जल्द से जल्द इस बारे में बात करने को कहा
फोन रखने के बाद, शीला ने गहरी सांस ली.. जैसे दिमाग से एक बहोत बड़ा बोझ उतर गया हो
मदन शीला के पास आकर खड़ा हुआ.. और उसका हाथ पकड़कर सोफ़े से खड़ा किया.. शीला ने उसकी आँखों में शरारत देखी और इशारा समझ गई.. मदन के पीछे चलते चलते वो बेडरूम मे आई और बिस्तर पर फैल गई..
गदराए बदन वाली शीला का रसीला बदन देखकर मदन बावरा हो गया.. एक महीने से उसे सेक्स नहीं मिला था.. और अब वो शीला को बड़े ही आराम से भोगना चाहता था..
मदन ने शीला का ब्लाउज खोल कर उतार दिया अंदर की ब्रा भी उतर गयी.. अब शीला के मटके जैसे बड़े बड़े स्तन मदन के सामने आ गये.. वह विराट चर्बी से भारे मांसल स्तन.. शीला के शरीर पर दोनों तरफ ढल गए.. एक पल के लिए मदन अपनी पत्नी के उन स्तनों का वैभव देखने में खो सा गया.. शीला भी अब उत्तेजना के कारण कांप रही थी.. मदन ने शीला् को बेड पर लिटा दिया.. मदन के हाथ शीला के स्तनों का मर्दन करने लग गये.. इस कारण से शीला के उरोज और तन गये और कठोर हो गये.. स्तनों के निप्पल फुल कर लंबें हो गये.. मदन ने उन निप्पलों को अपने होंठों के बीच ले लिया..
शीला के मुँह से हल्की सी कराह निकल रही थी.. मदन का हाथ शीला की गूँदाज कमर पर से होते हुये पेटीकोट के ऊपर से शीला की जाँघों के मध्य में पहुँच गया.. कपड़े के ऊपर से ही शीला की चूत को सहला दिया.. फिर हाथ को पेटीकोट के अंदर डाल कर पेंटी के ऊपर से चूत को सहलाना शुरु कर दिया.. शीला का भोसड़ा गीला हो चुका था.. मदन ने अपनी उंगली उसकी चूत में डाल कर अंदर बाहर करनी शुरु कर दी..
मदन ने आज शीला का जी-स्पॉट ढूंढ निकाला.. चूत के अंदर उंगली डालकर ऊपर के हिस्से पर बना गद्दीनुमा हिस्सा.. इतना संवेदनशील होता है की उंगली के सहलाते ही स्त्री झड़ जाएँ.. मदन हल्के हल्के उसे उंगली से सहलाने लग गया.. कुछ देर बाद उत्तेजना के वश हो कर शीला् ने मदन के होंठों को अपने दांतों में दबा लिया.. शीला के दांत मदन के होंठों को काटने लग गये.. शीला अब पूर्णतः उत्तेजित हो चुकी थी और अब उसका भोसड़ा भोग मांग रहा था..
मदन ने झुक कर शीला के पेटीकोट का नाड़ा खोल कर उसे नीचे खिसकाया और उस के बाद पेंटी को भी नीचे उतार दिया.. शीला् ने हाथ से दोनों को पैरों से निकाल दिया.. मदन ने अपना पायजामा और ब्रीफ उतार कर रख दी.. अब वह दोनों नंगें हो कर एक-दूसरे से चिपक गये.. मदन के पाँव शीला की कमर पर कस गये.. मदन के हाथ शीला के बड़े बड़े कुल्हों को दबा रहे थे..
कुल्हों के बीच की गहराई में वह उंगली फेरने लगा.. इस हरकत से शीला चिहुंक गयी.. मदन शीला की जाँघों को सहला कर शीला की जाँघों के बीच आ गया और अपने लंड को शीला की चूत पर रगड़ने लग गया.. मदन का लंड भी पुरी तरह से तन कर कठोर हो गया था..
एक महीने की भूख के बाद, मदन से अब रुका नहीं जा रहा था इस लिये लंड को चूत के मुँह पर लगा कर उसने जोर लगाया तो लंड शीला की चूत में समा गया.. अब दोनों के शरीरों के मध्य में कोई जगह नहीं बची.. कुछ देर रुकने के बाद मदन ने लंड को बाहर निकाला और फिर से अंदर डाल दिया.. इस बार शीला के पाँव उसकी कमर पर कस गये..
मदन अब धीरे-धीरे धक्कें लगाने लगा.. कुछ देर बाद शीला भी अपने कुल्हें उठा कर मदन का साथ देने लग गयी.. दोनों एक साथ दौडने लग गये.. पहले धीरे और उसके बाद दोनों की गति बढ़ गयी.. दोनों ही सेक्स के भुखे थे इस लिये दोनों एक-दूसरे में समाने का पुरा प्रयास कर रहे थे.. दोनों के शरीर की गति लगातार चलती रही.. काफी देर तक ऊपर रहने के बाद मदन शीला के उपर से उठ कर शीला की बगल में लेट गया.. वो थक सा गया था..
अब शीला उठ कर मदन के उपर आ गयी और उसने अपने हाथ से सहारा दे कर मदन का लंड अपनी चूत में डाल लिया और उसके कुल्हें मदन की जाँघों पर टक्कर मारने लग गये.. शीला के प्रहारों में बहुत ताकत थी और मदन की जाँघों का जोड़ उस की ताकत को झेल रहा था.. मदन ने अपने दोनों हाथों से शीला के कुल्हें थाम लिये.. दोनों काम की अग्नि में जल रहे थे और इस से छुटकारा चाहते थे.. कुछ देर बाद मदन के लंड पर उछलने के बाद, शीला भी थक गई और बिस्तर पर लेट गई..
अब मदन बेड पर बैठ गया और शीला को खींचकर अपनी गोद में बिठा लिया.. शीला मदन के लंड पर सवार हो गई और अपने कुल्हें उठा कर लंड को अंदर बाहर करने लगी.. मदन शीला के उरोजों का रस पीने लगा.. काफी देर तक उस आसन में रहे लेकिन चरम की अवस्था से दूर थे.. मदन ने शीला को धीरे से पीछे की तरफ झुका कर बेड पर लिटा दिया और उसके उपर आ गया.. मदन की धक्के लगाने की गति बहुत बढ़ गई.. चुदाई करते करते हमें काफी देर हो गयी थी..
कुछ ही देर बाद मदन के लंड के मुँह पर गर्म वीर्य के कारण आग सी लग गयी और उसकी आँखें मुंद गयी.. थका हुआ मदन शीला के ऊपर लेट गया.. मदन का स्खलन बहुत जोर से हुआ था.. शीला के पैर उसकी कमर पर कस गये यह बता रहा था कि वह भी स्खलित हो गई थी.. हम दोनों एक-दूसरे के बगल में लेट गये.. दोनों की सांसें बहुत जोर-जोर से चल रही थी..
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वक्त बड़ी तेजी से गुजर रहा था.. पिंटू ने पीयूष की ऑफिस जॉइन कर ली थी.. उतना ही नहीं.. पीयूष ने वैशाली को भी जॉब ऑफर कर दी.. जिसका वैशाली ने खुशी खुशी स्वीकार कर लिया.. पिंटू के माता पिता ने भी वैशाली को इजाजत दे दी.. पिंटू और वैशाली एक ही ऑफिस मे काम करेंगे.. और पीयूष से पुरानी पहचान होने के कारण, वह दोनों भी आश्वस्त थे..
वैशाली के वहाँ शिफ्ट हो जाने से कविता भी बहोत खुश थी.. उसे अपनी पुरानी सहेली वापिस मिल गई थी.. पिंटू के आने से पीयूष का काफी सारा बोझ हल्का हो गया.. अमरीका के ऑर्डर की ज्यादातर जिम्मेदारी उसने पिंटू को दे दी थी.. नया काम सीखने में पिंटू को ज्यादा देर नहीं लगी.. पीयूष के साथ काम करने का उसे पहले भी तजुर्बा था.. वैशाली और पिंटू बड़े ही आराम से पीयूष की ऑफिस में सेट हो गए थे
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दोपहर का समय था.. द्रश्य है शीला और मदन के बेडरूम का..
मदन बेडरूम की एक कुर्सी पर.. नंगे बदन बैठा हुआ है.. उसके एक हाथ में व्हिस्की का ग्लास है और दूसरे हाथ से वह अपना लंड हिला रहा है.. उसकी नजर बिस्तर की तरफ थी..
पसीने से तरबतर नग्न शीला.. बिस्तर पर घोड़ी बनी हुई थी.. उसके बड़े बड़े मटके जैसे स्तन आगे पीछे हो रहे थे.. विराट गुंबज जैसे उसके कूल्हे थिरक रहे थे.. और उन कूल्हों के बीच की दरार में लंड फँसाकर.. राजेश ऐसे धनाधन शॉट मार रहा था.. जैसे १ ओवर में ३६ रन बनाने हो..!!!
गुदा-मैथुन से अभ्यस्त शीला.. अपने पृष्ठ भाग के छेदन का अप्रतिम आनंद ले रही थी.. उसके दोनों नितंबों पर अपनी हथेलियाँ जमाकर.. राजेश उस तंग छिद्र में अपना लंड आगे पीछे करने का मज़ा ले रहा था.. उसने झुककर शीला के दोनों स्तनों को पकड़ना चाहा.. पर एक ही हाथ में आया.. उस एक स्तन की चर्बी को हथेली में दबाकर उसने अपना लंड.. सिरे से लेकर जड़ तक शीला की गांड में अंदर तक घुसेड़ दिया..
ककॉल्ड संबंध..
यह विषय संवेदनशील और व्यक्तिगत प्रकृति का है, और इसे समझने के लिए गहन मनोवैज्ञानिक, सामाजिक और नैतिक पहलुओं पर विचार करना आवश्यक है.. ककॉल्ड फ़ैंटेसी या वास्तविकता एक ऐसी स्थिति है जिसमें एक पति को अपनी पत्नी को किसी अन्य पुरुष के साथ यौन संबंध बनाते हुए देखने या इसकी कल्पना करने से यौन सुख मिलता है.. यह एक प्रकार की यौन प्राथमिकता या फ़ैंटेसी हो सकती है, लेकिन इसमें कई जटिलताएं और जोखिम भी शामिल हैं..
ककॉल्ड फ़ैंटेसी अक्सर मनोवैज्ञानिक कारकों से जुड़ी होती है, जैसे कि दूसरे पुरुष के प्रति ईर्ष्या और आकर्षण का मिश्रण, या अपनी पत्नी को किसी और के साथ देखकर उत्तेजित होना.. कुछ पुरुषों को यह अनुभव अपनी पत्नी की यौन इच्छाओं को पूरा करने और उन्हें खुश रखने के तरीके के रूप में देखते हैं..
इस प्रथा में अक्सर सत्ता और अधीनता का तत्व शामिल होता है.. पति को यह अनुभव हो सकता है कि वह अपनी पत्नी को किसी और के साथ साझा करके उसकी इच्छाओं को प्राथमिकता दे रहा है, जो उसे एक अलग तरह की संतुष्टि प्रदान करता है.. यह प्रथा यौन रूढ़ियों और सामाजिक मानदंडों को चुनौती दे सकती है.. यह जोड़ों को यह एहसास दिला सकती है कि यौन संबंधों में कोई नियम या सीमाएं नहीं होती हैं, बशर्ते दोनों पार्टनर्स सहमत हों.. यह उन्हें अपने यौन जीवन को अपने तरीके से जीने की स्वतंत्रता दे सकता है..
ककॉल्ड प्रथा यौन जीवन में नई ऊर्जा और रोमांच ला सकती है.. यह एक तरह की यौन विविधता प्रदान करती है, जो कुछ जोड़ों के लिए उनके रूटीन यौन जीवन को और अधिक रोचक बना सकती है.. पति को अपनी पत्नी को किसी और के साथ देखकर एक अलग तरह की उत्तेजना महसूस हो सकती है, जो उनके यौन अनुभव को बढ़ा सकती है.. यह एक तरह से पत्नी की यौन स्वतंत्रता और खुशी को समर्थन देने का तरीका हो सकता है.. पति को यह अनुभव हो सकता है कि वह अपनी पत्नी को खुश रखने और उसकी इच्छाओं को पूरा करने में सक्षम है.. दोनों पार्टनर्स को एक-दूसरे के प्रति ईमानदार और खुला होने के लिए प्रोत्साहित कर सकती है.. इससे रिश्ते में पारदर्शिता और विश्वास बढ़ सकता है..
कुछ जोड़ों के लिए, यह प्रथा उनके रिश्ते में नई ऊर्जा और जुड़ाव ला सकती है.. यह एक साझा अनुभव हो सकता है जो दोनों पार्टनर्स को एक-दूसरे के करीब लाता है.. यदि दोनों पार्टनर्स इस प्रथा को सहमति और उत्साह के साथ अपनाते हैं, तो यह उनके बीच के बंधन को मजबूत कर सकता है.. ककॉल्ड प्रथा से दोनों पार्टनर्स को यौन संतुष्टि मिल सकती है.. पति को अपनी पत्नी को किसी और के साथ देखकर एक अलग तरह की उत्तेजना महसूस हो सकती है, जबकि पत्नी को भी एक नए यौन अनुभव का आनंद मिल सकता है.. यह दोनों के लिए एक तृप्तिदायक अनुभव हो सकता है..
हालांकि, यह प्रथा हर किसी के बस की बात नहीं है..!!
यदि यह प्रथा वास्तविक जीवन में अपनाई जाती है, तो इससे भावनात्मक जोखिम भी उत्पन्न हो सकते हैं.. पति को ईर्ष्या, असुरक्षा, या अपनी पत्नी के प्रति भावनात्मक दूरी महसूस हो सकती है.. इसके अलावा, पत्नी को भी इस स्थिति में असहजता या दबाव महसूस हो सकता है..
ऐसे संबंधों में सम्मिलित होने के लिए दोनों पार्टनर्स के बीच खुला और ईमानदार संचार आवश्यक है.. दोनों को इस प्रथा के बारे में सहमत होना चाहिए और किसी भी तरह का दबाव नहीं होना चाहिए..
शीला की गांड में धक्के लगाते हुए अब राजेश हांफ रहा था.. उसने मदन को इशारा करते हुए.. शीला के गुंबजों के बीच.. धक्के लगाने के लिए आमंत्रित किया.. ताकि वह थोड़ी देर विश्राम कर.. फिर से जुड़ सकें..
व्हिस्की के ग्लास से घूंट भरते हुए हस्तमैथुन कर रहे मदन ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई.. वह उत्तेजित तो था पर शायद संभोग में समाविष्ट होने के लिए या तो तैयार नहीं था या फिर उसे रुचि नहीं थी..
पर राजेश से अब और धक्के लगाना मुमकिन नहीं था.. उसने अपना लंड, शीला की गांड से "पुचुक" की आवाज करते हुए बाहर निकाला.. और हांफते हुए तकिये पर सिर रखकर लेट गया..
अचानक पीछे से धक्के लगने बंद होने की वजह सुनिश्चित करने के लिए, शीला ने आश्चर्य से पीछे देखा.. और राजेश को लेटकर हांफते हुए देखा.. वह उसकी स्थिति समझ गई.. और बिस्तर पर खड़ी होकर मुड़ गई.. वह अब राजेश के दोनों पैरों के आसपास पैर जमाकर खड़ी हुई थी और राजेश के सामने देख रही थी.. पसीने की धाराएँ उसके शरीर पर बूंदों की रेखाएं बना रही थी.. शीला ने मदन की ओर हाथ से इशारा करते हुए व्हिस्की का ग्लास मांगा.. मदन ने तुरंत उसे वो ग्लास थमा दिया..
करीब ३० मि.ली. जितनी, पानी मिश्रित शराब.. वह एक घूंट में पी गई.. ग्लास मदन को वापिस दिया.. और अपने मुंह से लार निकालकर.. भोसड़े की दरार को लसलसित करने लगी.. घुटने मोड़कर.. कमर झुकाते हुए वह नीचे की तरफ आई.. राजेश का लंड जो कमरे की सीलिंग को तांक रहा था.. उसे अपनी हथेली में लेकर.. अपने गरम भोस की और निर्देशित करते हुए.. उसके सुपाड़े को दोनों होंठों के बीच रखकर.. अपना वज़न डालने लगी.. एक ही पल में वह लंड उसकी यौन गुफा में ओझल हो गया..
शीला अब ऊपर नीचे होते हुए धक्के लगाने लगी.. हर धक्के के साथ उसके नितंब.. राजेश की जांघों पर थप-थप की आवाज कर रहे थे.. हर धक्के के साथ.. शीला के अलमस्त उरोज हवा में उछल रहे थे.. उत्तेजना से उसकी निप्पल तनकर लंबी हो गई थी..
अपनी दोनों जांघों पर हाथ रखकर.. शरीर को संतुलित रखते हुए.. शीला तालबद्ध ऊपर नीचे हो रही थी.. नीचे लेटा हुआ राजेश.. शीला के इस अद्भुत रूप को हतप्रभ होकर देख रहा था
एक उत्तेजित स्त्री, जो संभोग के क्षणों में पूरी तरह से लीन होती है, उसका सौंदर्य अद्वितीय और मनमोहक होता है.. उसकी आँखों में चमक, होंठों पर मुस्कान, और शरीर का हर एक अंग जैसे जीवंत हो उठता है.. उसकी सांसों की तेज़ गति, कोमल मुद्राएं, और उसकी आवाज़ में छुपी वह मधुरता, जो उसके आनंद को व्यक्त करती है, वह दृश्य अवर्णनीय होता है.. उसकी उत्तेजना और भावनाओं की गहराई उसे और भी आकर्षक बना देती है, जैसे वह प्रेम के हर पल को जी रही हो.. यह सौंदर्य न केवल बाहरी होता है, बल्कि आत्मा तक से प्रकट होता है, जो उसे एक अद्भुत और अविस्मरणीय अनुभव बनाता है.. यह सौंदर्य प्रेम के सबसे गहरे और सुंदर क्षणों को दर्शाता है, जो हमेशा याद रह जाती है..
दोनों हथेलियों से अपने बालों को सहलाते हुए शीला आँखें बंद कर उछलते हुए आनंद के महासागर में गोते लगा रही थी.. लेटा हुआ राजेश, अपने अंगूठे को उसकी अंगूर जैसी क्लिटोरिस को रगड़ रहा था.. उसके दो कारण थे.. एक यह की शीला अमूमन क्लिटोरिस रगड़ने पर जल्दी स्खलित हो जाती थी.. और दूसरा यह की शीला ने राजेश की सम्पूर्ण ऊर्जा निचोड़ ली थी.. राजेश अब इस संभोग को खत्म करना चाहता था.. पर बिना शीला के चरमोत्कर्ष पर पहुंचे यह मुमकिन नहीं था..!!
शीला अब अपनी धुंडियों को मसलते हुए अनाब-शनाब बकने लगी.. हवस का सुरूर उसके सर चढ़कर बोल रहा था.. वह इतने तेजी से उछलकूद रही थी की राजेश को डर था उसकी जंघा की हड्डी टूट न जाए..!! शेरनी की तरह गुर्राते हुए शीला ने अंतिम कुछ धक्के लगाएं.. और राजेश का अंगूठा हटाकर.. खुद अपनी हथेली से भगोष्ठ को रगड़ने लगी..
उसका शरीर कांपने लगा.. राजेश के लंड पर शीला के योनि-जल का विपुल मात्रा में अभिषेक हुआ.. शीला की सांसें धमन की तरह तेज चल रही थी.. वह अपने स्तनों के भारी बोझ को राजेश की छाती पर डालते हुए.. उसके गालों पर गाल रखकर लेट गई..
अगर उसकी धड़कनों का अनुभव न हो रहा होता.. तो राजेश को ऐसा ही लगता की शीला ने प्राण ही त्याग दिए..!!! लाश की तरह कुछ मिनटों तक पड़ी रही शीला.. राजेश को अब शीला के भारी भरकम शरीर का काफी वज़न लग रहा था.. उसने थोड़ा जोर लगाया और शीला के शरीर को अपने शरीर से धकेलते हुए बगल में बिस्तर पर गिरा दिया.. शीला का शरीर उतरते ही राजेश ने चैन की सांस ली..
उसने मदन की ओर देखा.. राजेश का यह हाल देखकर वो बैठा मुस्कुरा रहा था..
राजेश: "यार मेरे लिए भी एक पेग बना.. थक गया मैं तो.. तेरी बीवी ने मेरी जान ही निकाल दी आज"
मदन हंसने लगा "शीला को झेलना हर किसी के बस की बात नहीं है राजेश"
राजेश ने कहा "तू यार ज्ञान मत दे.. पेग बना"
मदन: "बोतल बाहर ड्रॉइंग रूम मे पड़ी है"
राजेश: "चल हम दोनों बाहर बैठते है.. शीला भाभी को आराम करने दे"
दोनों बाहर के कमरे में आए.. टेबल पर पड़ी व्हिस्की की बोतल से छोटा सा पेग बनाकर.. थोड़ा पानी डालकर.. राजेश सोफ़े पर धम्म से बैठ गया.. मदन भी उसके बगल में बैठकर अपने ग्लास से चुसकियाँ लगा रहा था
राजेश ने अपने कपाल से पसीना पोंछते हुए कहा "यार मदन.. तू क्यों नहीं आया बिस्तर पर?"
मदन: "यार, आज सुबह ही दो बार जबरदस्त शॉट लगा लिए थे.."
राजेश: "कसम से.. मज़ा आ गया.. शीला भाभी तो आग है आग..!!"
मदन ने कोई प्रतिक्रिया न दी और ग्लास से व्हिस्की पीता रहा..
राजेश ने मदन की ओर देखकर कहा "चुप क्यों है? कुछ बोलता क्यों नहीं??"
मदन: "क्या कहूँ?? तुझे तो मज़ा आ रहा है शीला के साथ.. पर मेरा क्या?"
राजेश कुछ समझा नहीं, उसने कहा "मतलब?"
मदन ने गुस्से से कहा "तुझे तो नई चूत मिल जाती है शीला के रूप में.. पर मेरे लिए तो वही पुराना खाना..!! जब से रेणुका प्रेग्नन्ट हो गई है.. मेरा तो सब कुछ बंद ही हो गया है"
राजेश: "वो दूधवाले की बीवी नहीं आती अब?"
मदन: "कहाँ..!! वो तो गायब ही हो गई है.. पता नहीं उसे क्या हो गया"
राजेश: "थोड़े पैसे दे दे उसको यार"
मदन: "देने के लिए हाथ भी तो आनी चाहिए"
राजेश: "हम्म..!!"
मदन: "यार, मेरे लिए कुछ जुगाड़ कर.. वरना ये अदला बदली वाला खेल ही बंद कर दूंगा"
राजेश सोच में पड़ गया.. वह जानता था की यह नोबत कभी न कभी तो आने ही वाली थी.. और उसका तोड़ भी उसके पास था.. वो शीला के गदराए बदन को ऐसे ही छोड़ने वाला नहीं था
राजेश ने कहा: "जुगाड़ तो है"
मदन की आँखें चमक उठी, वह बोला "अच्छा..!!! तो पहले क्यों नहीं बताया?? कौन है वो?"
राजेश: "यार इतना आसान नहीं है.. उसे मनाना भी पड़ेगा.. पर मुझे लगता है ज्यादा दिक्कत नहीं होगी"
मदन ने उत्सुकता से कहा "पर है कौन वो?"
राजेश ने थोड़ी देर रुककर कहा "फाल्गुनी.."
मदन को जैसे अपने सुने पर विश्वास नहीं हो रहा था.. उसने अचंभित भाव से कहा "फाल्गुनी..,.!!!"
राजेश: "हाँ तूने सही सुना"
मदन: "वो लड़की जो मौसम की सहेली है??" मदन को अब भी यकीन नहीं हो रहा था..
राजेश: "हाँ मदन.. वही फाल्गुनी"
मदन कुछ पल के लिए तो कुछ बोल ही नहीं पाया.. फिर जब उसकी वाचा वापिस लौटी तब उसने कहा
मदन: "पर यार वो तो अभी बच्ची है"
राजेश ने मदन के सामने देखकर हँसते हुए कहा "एक बार उसका बिस्तर गरम करके देख.. अच्छी अच्छी औरतों को भुला देगी"
मदन: "क्या बात कर रहा है यार..!! तूने ली है क्या उसकी?"
राजेश: "कई बार.. तभी तो तुझे बता रहा हूँ"
मदन ने चकित होते हुए पूछा "पर यार, उसका सेटिंग तूने क्या कैसे?"
राजेश ने मुसकुराते हुए कहा "लंबी कहानी है.. पूरे एक साल तक फील्डिंग कर मैंने उसे सेट किया है"
मदन: "गजब है यार तू तो"
राजेश हँसता रहा और कोई जवाब नहीं दिया
मदन: "बता तो सही.. आखिर तूने उस मछली को जाल में फँसाया कैसे?"
राजेश ने एक गहरी सांस ली और सुबोधकांत के एक्सीडेंट के बाद हाथ में आए उनके मोबाइल फोन के बारे में बताया
राजेश: "जब अस्पताल में तू चाय लेने गया था तब मैंने उनका पूरा मोबाइल छान मारा.. उसमे मुझे सुबोधकांत और फाल्गुनी के बीच की सारी सेक्सी चेट के बारे में पता चला.. अंदर अनगिनत सेक्स विडिओ भी थे दोनों के.. मैंने वह सब मेरे मोबाइल में ट्रैन्स्फर कर दिया और फिर सुबोधकांत के मोबाइल से डिलीट कर दिया"
लटके हुए जबड़े के साथ मदन राजेश की बात सुनता रहा
राजेश: "फिर काफी समय गुजर जाने के बाद मैंने फाल्गुनी से बात की और यह भी बताया की मुझे उसके और सुबोधकांत के संबंधों के बारे में सब कुछ पता है और उनके फ़ोटो विडिओ भी है मेरे पास.. बस फिर बातों का सिलसिला चलता रहा.. सुबोधकांत के जाने के बाद वो भी बिना चुदे तड़प रही थी.. फिर उसकी टांगें खोलने में ज्यादा देर नहीं लगी"
मदन: "वो सब तो मैं समझ गया.. पर वो उस शहर में.. और तू यहाँ.. तुम दोनों का मिलना होता कैसे था?"
राजेश: "जब तू और पीयूष अमरीका गए तब मैंने रेणुका से यह बहाना बनाया की पीयूष अपनी ऑफिस की जिम्मेदारी मुझे सौंप कर गया है.. और इसलिए हफ्ते में दो-तीन दिन मुझे उसकी ऑफिस जाना पड़ेगा.. बस फिर क्या था..!! मैं वहाँ पहुँच जाता था और फिर हम दोनों रात रात भर मजे करते थे"
मदन: "तुम लोग मिलते कहाँ थे? होटल में?"
राजेश: "अब उस शहर में होटल के नाम से ही डर लगता है मुझे..!!! याद है न वो सेक्स पार्टी वाली रात जब पुलिस की रेड पड़ी थी..!! असल में सुबोधकांत का एक निजी फार्महाउस है.. उनकी मृत्यु से पहले वह दोनों वही गुलछर्रे उड़ाते थे.. वहीं मिलते है.. मेरे खयाल से उस फार्महाउस के बारे में किसी और को पता भी नहीं है"
मदन: "सही है यार.. बड़ा ऊंचा दांव मारा है तूने..!! पर यार.. तेरे साथ तो उसने पहले डर के चलते और फिर मज़ा आने पर संबंध बनाए.. मेरे लिए वो राजी होगी?"
राजेश ने एक लंबी सांस लेकर कहा "देख.. मैं उससे बात करूंगा.. उसकी मर्जी होगी तो ही हम इस बात को आगे बढ़ाएंगे.. पर मुझे लगता है की वो मान जाएगी"
मदन खुश होकर बोला "तब तो मज़ा आ जाएगा यार..!! तू जल्द से जल्द उससे बात कर और अगर वह मान जाएँ तो मिलन तय कर"
राजेश: "उतावला मत हो यार.. मैं आज ही बात करता हूँ.. और अगर उसने हाँ कहा तो हम एक दो दिन में ही वहाँ जाएंगे"
तभी कमरे में शीला की एंट्री हुई
शीला: "कहाँ जाने की बात हो रही है?" शीला अब भी नंग-धड़ंग ही थी.. उसकी गदराई जांघों पर राजेश के सूखे हुए वीर्य के निशान थे.. बड़े बड़े स्तन उसके चलने की वजह से यहाँ वहाँ झूल रहे थे.. वह आकर, राजेश और मदन के बीच बैठ गई
अब शीला को क्या जवाब दे, यह सोचकर मदन असमंजस होकर राजेश की ओर देख रहा था
राजेश: "भाभी, आपका मर्द जिद पकड़ कर बैठा है.. की मुझे भी कोई चूत दिलाओ" हँसते हुए उसने कहा
शीला मदन की तरफ मुड़ी और अपने भोसड़े की ओर इशारा करते हुए कहा "क्यों? इससे दिल नहीं भरता तेरा??"
मदन सहम गया.. और बोला "यार शीला.. ऐसी बात नहीं है.. पर जब राजेश को तुझे चोदते हुए देखता हूँ तब मेरा भी मन करता है किसी नए जिस्म से खेलने के लिए.. रेणुका तो अब मिलने से रही.. मेरे लिए भी कुछ जुगाड़ तो होना चाहिए न"
शीला ने मुस्कुराकर राजेश की ओर देखा और कहा "तो तुम अब दलाल बनकर मेरे पति के लिए चूत का जुगाड़ भी करने लगे??"
राजेश: "कैसी बात करती हो भाभी..!! मैंने मदन को फाल्गुनी के बारे में बताया.. मैं उससे बात करूंगा.. और अगर वो मान गई.. तो हम दोनों जाएंगे उसके पास.. उससे मिलने"
शीला: "सिर्फ तुम दोनों ही क्यों..!! मैं भी साथ चलूँगी"
राजेश: "ठीक है, आप भी साथ चलना..और एक बात.. अगर सब सेट हो गया तो हमें बार बार आने जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी.."
शीला: "वो क्यूँ?"
राजेश: "मैंने तय किया है की मैं फाल्गुनी को अपनी ऑफिस में नौकरी दे दूंगा.. वो यहीं शिफ्ट हो जाएगी.. फिर आने जाने का चक्कर ही खत्म"
मदन: "वाह.. तू तो बड़ा ही मंजा हुआ खिलाड़ी निकला राजेश"
राजेश बगल में बैठी शीला के मदमस्त स्तनों को हथेली में भरकर मसलने लगा.. और इस बार मदन ने भी दूसरी और से शीला के बबले दबाना शुरू कर दिया.. बीच में किसी रानी की तरह बैठी शीला.. दोनों के लंड पकड़कर हौले हौले हिलाने लगी
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