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Your are the god in your this world
No wonder fir thisFor the first time I didn't like the update bro not because it's not good but little partiality
Copying ideas and things are common in story is not my preferences .When other readers were so eager for anuj ragini you scold them or make them understand your point that you said that if you want just sex you could finish story in only 100 update but you want a build up connection between characters , after so many update there is not much equation of anuj ragini even anuj hadn't seen ragini nude in bathroom which is very common thing a storyline
It's not about only experience it's all about charectors . Both have own life style & pattern, they think own way how they grown up... Things matter broeven though there is no sex but in just 2-3 update you made so many scene between Rajesh and babtia that Rajesh touch babitas buttocks babita musterbate thinking her father , where anuj has more sex experience than babita
Bcuz you are so possess for anuj ... So you feel like thatIf you would make anuj ragini scene after 10-20 update I wouldn't say those thing but you always made other characters equation so easily
I love this lineBut what can we do nothing as. Your are the god in your this world
Bahot sahi jawab diyaNo wonder fir this
Copying ideas and things are common in story is not my preferences .
It's not about only experience it's all about charectors . Both have own life style & pattern, they think own way how they grown up... Things matter bro
Bcuz you are so possess for anuj ... So you feel like that
I love this line![]()
Because I am real life anujBcuz you are so possess for anuj ... So you feel like that
बहुत ही कामुक और उत्तेजित अपडेट था मित्र खासकर बबीता की उत्सुकता देख बड़ा मज़ा आ रहा है, उधर जीजा सलहज की कहानी भी बहुत रोचक चल रही है। लगे रहिए।अध्याय : 02
UPDATE 09
हाइवे पर गाड़ियां तेजी से पास हो रही थी । तेज हवा के झोंके मंजू के साड़ी को हवा में लहरा दे रहे थे मगर वो शांत और चुप खड़ी थी , गाड़ी के पास
वही सामने वाले ढाबे से मुरारी मुस्कुराता हुआ हाथ में दो चाय प्याले और कांख में पानी को बोतल को दबाए आ रहा था
: लो लो पकड़ो , जल रहा है ( मुरारी ने अपना कंधा आगे किया जिसमें बोतल दबाए था )
मंजू ने एक बुझी सी मुस्कुराहट से उसके कांख से बोतल लिया और मुरारी ने झट से वो गर्म बट्टे गाड़ी के बोनट पर रख दी और हाथ फूंकने लगा
: अरे ड्राइवर को कह देते न ( मंजू ने मुरारी को परेशान देख कर बोली)
: अरे वो गधा अपनी बोतल लेकर खेतों में गया है ( मुरारी ने खीझ कर कहा लेकिन मंजू उसके बात को समझ कर मुस्कुराने लगी )
फिर मंजू ने पानी की बोतल से मुंह धुला और अपने पल्लू से मुंह पोछा। फिर कुछ घूंट पानी गटकने लगी , तो पानी उसके चिन से होकर उसके रसीले मम्में के दरारों में जाने लगा
: अरे मुंह लगा कर पी लो न
: जूठा हो जा.... ( मंजू अपनी बात कहती, मुरारी फिर उसे टोकता है )
: मै दूसरी ले लूंगा ...
फिर मंजू बिना कुछ कहे पानी पीकर पल्लू से अपनी गीली छाती को सोक करने लगी ।
: हम्मम ये लो ...( मुरारी ने उसे चाय का बट्टा दिया ) आराम से गर्म है
मंजू ने साँवधानी से चाय पकड़ी और गाड़ी के पास खड़ी होकर चुस्की लेने लगी ।
अभी भी मंजू की आंखों वो उदासी गई नहीं थी जिसकी चाह मुरारी को थी , वो नहीं चाहता था कि मंजू ऐसे चेहरे के साथ घर पहुंचे ।
: वैसे मुझे नहीं लगता मदन तुम्हे ऐसे देख कर खुश होगा ( मुरारी ने चुस्की लेकर कहा और उसकी ओर देखा )
मंजू सवालिया नजरो से मुरारी को निहारा
: और ये तो बिल्कुल भी अच्छा नहीं होगा अगर उसे भनक भी लग गई आज सुबह के बारे में ... ( मुरारी ने सहज होकर कहा )
: नहीं भइया ... आपको भाभी की कसम है आप किसी से कुछ नहीं कहेंगे और अगर आपको लगता है इनसब में सिर्फ मेरी गलती है तो आप मुझे वापस मेरे घर छोड़ सकते है... ( मंजू ने कड़ा रुख रखते हुए कहा )
: अरे भाई ... तुम गलत समझ रही हो , मेरे कहने का मतलब है कि तुम ऐसे उदास होकर चलोगी तो ममता मदन तुम्हे देखेंगे तो क्या सोचेंगे । ( मुरारी हस कर बोला ) और वैसे भी तुम्हे वापस छोड़ने का कोई सवाल ही नहीं उठता , क्योंकि मुझे भरोसा है ।
: मत कीजिए , मै उस लायक नहीं ( मंजू मुरारी के प्यार भरे शब्दों से भीतर से पिघल गई और उसे अपने कर्मों पर अफसोस हो रहा था )
: ऐसा नहीं कहते ....
: ना मै अपने प्यार के लिए लड़ सकी और न ही उस प्यार की इज्जत कर पाई और अगर आप मेरी हकीकत जानेंगे तो मुझे नहीं लगता कि आप कभी मुझे अपनाना चाहेंगे । ( मंजू सुबकने लगी )
: मै किसी के अतीत से उसका चरित्र निर्धारित नहीं करता , मै लोगो को उनके स्वतंत्र विचारों के लिए पसंद करता हूं , अभी भी तुम्हारे आगे ये रास्ता खुला है अगर तुम नहीं चलना चाहती हो तो मुझे कोई आपत्ति नहीं है मै अमन और उसकी मां.....(मुरारी के बोल लड़खड़ाने लगे मगर उसने अपना संयम नहीं खोया ) मै उन दोनों को समझा लूंगा तुम फिकर मत करो ।
मुरारी की बाते सुन कर मंजू की डबडबाई आंखों से पानी झरने लगा और वो भीतर से डर रही
: नहीइईई ....( उसने झट से सड़क किनारे ही खुलेआम मुरारी से लिपट गई ) मुझे वापस नहीं जाना है भैया , मै आपके साथ जाना चाहती हूं प्लीज ( बिलखते हुए बोली)
मुरारी मंजू के इस व्यवहार से सन्न रह गया मंजू का वो मुलायम स्पर्श उसके जिस्म में गुगुदाहट बढ़ा रहे थे और सड़क किनारे यूं एकदम से कस लेना अजीब सा झिझक हो रही थी उसको ।
: मंजू ... ( मुरारी ने उसके पीठ पर हाथ फेरा उसके ब्लाउज के ऊपर से और उसका पूरा जिस्म गिनगिना गया , मानो बिजली दौड़ गई हो जिस्म में )
: मुझे डर लग रहा है भैया .... ( मंजू की तेज सांसे मुरारी महसूस कर पा रहा था )
: आओ इधर आओ बैठो अंदर ( मुरारी ने उसका हाथ अपने हाथ में लिया और उसके गाड़ी में बिठा कर खुद भी बैठ गया )
मंजू उसके कंधे से लग गई और उसने अभी भी मुरारी का पंजा अपने गोद में ले रखा था , जैसे कितना सहमी हुई हो वो मुरारी को खोने से ।
वही मुरारी की हालत पतली हो रही थी , उसके जिस्म एम गर्मी बढ़ रही थी जिस तरह से मंजू उसको पकड़े थी , और गोद में साड़ियों के ऊपर उसको अपने हाथ में और भी मुलायम सॉफ्टी सा महसूस हो रहा था ।
: तुम फिकर मत करो और तुम्हे डरने की जरूरत नहीं है बस मै कुछ पूछूंगा तो बताओगी? भरोसा है मुझपर ? ( मुरारी ने उसकी आंखों में गहरे देख कर बोला और उसने बहती आंखों से हा में सर हिलाया ).
: देखो मै ये तो नहीं कहूंगा कि तुम पिछली बातें भूल जाओ , क्योंकि चीजें इतनी आसान होती नहीं है । मगर मै चाहता हूं कि जब तुम अपने घर में आओ तो वो सारी चीजें सुलझा कर ही जाओ , तुम्हारे साथ तुम्हारे अतीत का कोई बंधन न हो और तुम्हारा जीवन एक नए सिरे से सुंदर बने । तुम समझ रही हो ?
मंजू ने हुंकारी भरी और चुप रही।
मुरारी ने मुस्कुरा कर उसकी देखा , अब उसके चेहरे पर थोड़ी सी शांति झलक रही थी , जो कि एक अच्छा साइन था ।
मुरारी : तो फिर अगर तुम्हे लग रहा है तुम्हारे अतीत का ऐसा कोई पल है जिसका तुम्हे बहुत अफसोस है और तुम उसको सुलझाना चाहती हो तो एक दोस्त के नाते तुम मुझसे साझा कर सकती हो । मै तुम्हे जज नहीं करूंगा मंजू , तुम्हारी मदद ही करूंगा । बोलो ?
मंजू मुरारी की बातें सुनकर सोच में पड़ गई , उसके चेहरे पर विचलितता स्पष्ट थी और एक डर अभी भी तैर रहा था उसकी आंखों में जिसे मुरारी समझ रहा था ।
: आप प्लीज गलत मत समझिएगा , क्योंकि जो कुछ भी मैने किया यहां वो सब हालात के हाथों मजबूर थी मै जब मै इस शहर में आई थी तो राजन ने ही मुझे सहारा दिया था फिर हम करीब आ गए थे । मगर उसने मेरा फायदा अपने कारोबार के लिए करने लगा था ( मंजू निगाहे गिरा कर बोली , उसकी हथेली में मुरारी अपने पंजे को ढीला महसूस कर पा रहा था ) तो मै उससे छुटकारा चाहती थी मगर उसने.... मुझे डरा कर अपने पास रखा था जबरन ( मंजू की आंखे छलक पड़ी और मुरारी ने झट से अपने जेब से रुमाल निकाल कर उसके गाल खुद साफ करने लगा )
: अब रोओ मत , सब ठीक है तुम वहा से निकल आई हो । अब फिकर मत करो , तुम पर मै आंच भी नहीं आने दूंगा ( मुरारी ने उसके कंधे पर हाथ रख कर उसके सर को चूम कर बोला और मंजू उसके पास बैठी रही सुबकती हुई )
: बस मुझे एक ही बात का डर है !!
: क्या ?.
: उसके पास मेरे कुछ वीडियो है , वो बहुत कमीना है भैया , अगर उसे पता चला मेरे बारे में तो कल जरूर पैसे या फिर कुछ और के लिए तंग करेगा । ( मंजू साफ लफ्जों में बोली )
: उसका नंबर है क्या ? ( मुरारी सख्त होकर बोला )
: किसका ? ( मंजू के भीतर एक डर बैठने लगा )
: राजन का ?
: हा क्यों ? ( मंजू थोड़ा पीछे होकर बोली )
: लगाओ फोन उसको मै बात करता हूं
फिर मंजू ने उसको फोन लगा कर दिया और मुरारी उससे बात करता हुआ गाड़ी से बाहर निकल जाता है और करीब 10 मिनट बाद वापस आता है ।
इधर मंजू पूरी तरह परेशान थी , एक अनजाना सा डर उसे खाए जा रहा था और उसका मन बहुत उदास था । वही ड्राइवर भी वापस आ गया था ।
मुरारी मंजू को फोन देकर मुस्कुराया : चले ड्राइवर साहब ?
: जी बाउजी चलते है , माफ कीजिएगा सुबह चना खा लिए थे तो पेट गड़बड़ा गया था ।
: अच्छा अच्छा ठीक है चलो ( मुरारी ने हस कहा और गाड़ी निकल पड़ी )
मगर मंजू की उलझन कम नहीं हो रही थी वो एक टक मुरारी को निहार रही थी , कि आखिर क्या बात हुई होगी दोनों के बीच ।
: क्या हुआ , अब वो तुम्हे कभी भी तंग नहीं करेगा मैने उसे समझा दिया है अपने तरीके से , खुश !! ( मुरारी ने मुस्कुरा कर मंजू को देखा और मंजू ने अपने चेहरे पर फीकी मुस्कुराहट बिखेर दी )
: अरे ड्राइवर साहब जरा मेरा ये मोबाइल लगा देंगे चार्ज नहीं है और चाप कर चलिए किसी अच्छे होटल पर रोकिएगा वही खाना पीना किया जायेगा , क्यों ? ( मुरारी ने मंजू से उसकी इच्छा जाननी चाही तो मंजू मुस्कुरा कर हा सर हिला दी और गाड़ी तेजी से हाइवे पर निकल चुकी थी )
चमनपुरा
आज अनुज का मन खुश था , सुबह सुबह उसकी मां रागिनी ने उसका दिल पहले ही खुश कर दिया था और अब कालेज में आते ही लाली ने ।
कसी हुई पैजामी ने उसकी लंबी टांगे चलते हुए जब उसके गोल मटोल चूतड़ों को थिरकाती तो अनुज के अरमान भी ऊपर नीचे होने लगते , उसपे से उसका बार बार पलट कर अनुज की ओर देखना अपनी जुल्फे कानो में उलझाना , मुस्कुराना कभी कभी अनुज खुद शर्मा जाता मगर पहले जितना नहीं ।
तभी क्लास में लाली की दीदी की एंट्री हुई ,
खुले बाल वो शिफॉन की हल्की साड़ी नंगी कमर गुदाज चर्बीदार मुलायम पेट जिसकी नाभि की झलक रह रह कर पंखे के हवा से दिख जाती , अपने छातियों पर किताबें दबाए क्लास में आई ।
सभी ने खड़े होकर उनको ग्रिट किया और फिर क्लास चलती रही । अनुज का लंड अकड़ रहा था , वो लाली की दीदी के मटके जैसे चूतड़ों को निहार रहा था साड़ी में , उसकी आंखे साड़ी को भेद कर आज भी उनकी पैंटी का कलर जानने की कोशिश कर रही थी ।
क्लास कब खत्म हो गई पता ही नहीं चला , मगर लंड की अकड़न नहीं ।
वही अगला पीरियड खाली था और क्लास में लड़कियों की रो में लाली वाली बेंच पर खूब हंसी ठिठौली हो रही थी ।
लाली के आगे बैग वाली बेंच पर उसकी दोस्त पूजा बैठी थी उसके रसीले मम्में सूट में पूरे चुस्त थे , उसकी मोटी गदराई जांघें और कूल्हे उसके सूट के नीचे बगल से झलक रहे थे । ब्लूमर पैंटी की लास्टिक जांघों पर उभरी थी पैजामी के उसकी ।
सब खूब मस्ती कर रहे थे , वहां सबके पास मोबाईल थे ,क्लास में दूसरे लड़के भी थे जिनके पास मोबाइल थे वो भी सोशल मीडिया चला रहे थे ।
: भाग कुत्ती ... हीहीही ( एकदम से पूजा खिलखिलाई )
अनुज की नजर उस ओर गई तो लाली ने भी उसकी ओर देखा । दोनों की नजरे टकराई फिर अनुज नजरे फेर लिया और चुप चाप बैठ गया । अनुज के पास अपना कोई मोबाइल तो था नहीं , और ना उसके कोई ऐसे दोस्त थे स्कूल में , ज्यादातर तो इस बात से जलन रखते थे कि इतना सहज होने के बाद भी लाली जैसी खूबसूरत और अमीर घराने की लड़की उसके लिए पागल है ।
अगले ही पल लाली ने अनुज को आवाज दे ही दिया : अनुज ? अनुज ? आओ न
अनुज ने आस पास कुछ लड़कों को उसे देखता हुआ पाया , क्योंकि लाली की आवाज पर उनके भी कान बजे थे ।
अनुज चुपचाप उसके पास गया
: क्या कर रहे हो अकेले , बैठो न , हट न मोटकी ( लाली ने पूजा को सामने वाली बेंच से धकेला और जगह खाली कराई )
: उतर रही हूं कुत्ती अह्ह्ह्ह्ह
: आलू जैसी है गिरेगी तो भी तुझे कुछ नहीं होगा हाहाहाहाहा ( लाली ने उसे चिढ़ाया )
: मारूंगी न ( पूजा ने चिढ़ कर अपना मुक्का लाली की ओर ताना ताना और उसकी नजरें अनुज से टकराई )
मगर अनुज की निगाहे तो उसके डिजाईनर सूट के गले पर अटक गई थी , जहां से उसे पूजा के रसीले आमो की झलक आ रही थी । सेकंड नहीं लगा पूजा को वो अनुज की निगाह को भाप गई और शर्मा कर मुस्कुराते हुए अपना दुपट्टा सही करने लगी ।
अनुज भी नजरे फेर लिया ।
: यार तुम्हारा इंस्टा आईडी क्या है बताओ न ? ( लाली ने कैजुअल होकर बोली )
: नहीं मैने नहीं बनाई , दरअसल मेरे पास मोबाईल नहीं है मै लैपटॉप से काम करता हूं
: हा तो उसमें भी तो चलेगा इंस्टा , तुम डाउनलोड करके आइडी बना लो न ( लाली बेधड़क बोली)
: लेकिन मुझे वो भी नहीं आती ( अनुज ने सहज कहा )
: ओक रुको मै बना देती हूं अभी ,अपनी मेल आईडी बताओ ( लाली झट से अपना मोबाइल खोलने लगी और अनुज के मेल से एक अकाउंट बना दिया )
: लो हो गया , अब थोड़ा सा स्टाइल वाला पोज दो एक डीपी लगानी है । आओ खड़े हो जाओ
: साथ के खड़ी हो जा मै खींच देती हूं ( दूसरी पूजा ने पीछे से छेड़ा लाली को , अनुज ने आंखे बड़ी कर उसे देखा तो मुंह फेर कर मुस्कुरा रही थी । )
लाली ने उसे घूरा और बुदबुदा कर उसे गाली दे रही थी फिर अनुज को देख कर मुस्कुराई : तुम खड़े होवो न
फिर अनुज ने पोज दिया और लाली ने फोटो निकाल कर फिल्टर करके अपलोड कर दिया और सबसे पहले खुद को फ्रेंड बनाया।
: घर पर शाम को ओपन करना ,ओके
अनुज ने हा में सर हिलाया और फिर अगली क्लास के टीचर आ गए ।
प्रतापपुर
" अह्ह्ह्ह मै कह रही हूं छोड़ दो मुझे गुड़िया के पापा , मुझे कोई बात नहीं करनी आपसे हटिए " , संगीता ने राजेश का हाथ झटक कर आगे बढ़ गई ।
राजेश के एक नजर कमरे के भिड़के दरवाजे की ओर देखा और लपक कर सुनीता को फिर से पीछे से पकड़ लिया और उसके नरम चर्बीदार पेट को सहलाता हुआ उसको अपनी बाहों में भरने लगा और सुनीता उसके स्पर्श से परेशान होने लगी
: उफ्फ मेरी जान तेरे ये बड़े बड़े दूध अह्ह्ह्ह ( राजेश ने अपना हाथ ब्लाऊज के ऊपर से सुनीता के रसीले मम्मों पर फिराया )
: गुड़िया के पापा छोड़िए अह्ह्ह्ह सीईईईईई.....
तभी पीछे से बबीता की आवाज आई
राजेश झट से सुनीता से अलग हो गया और घूम कर देखा तो बबीता भीड़का हुआ दरवाजा खोलकर अंदर आ रही थी
बबीता : आपका मोबाईल कहा है ? दो न प्लीज
राजेश : बेटा वो मैने किचन में चार्ज लगाया है ले ले
बबीता खुश होकर : ओके पापा हीही
बबीता खुश हुई और निकल गई
सुनीता बिस्तर पर फैली हुई साड़ी को अपने कमर में खोसे हुए गुस्साए लहजे में : क्या जरूरत है उसे मोबाइल देने की , बिगाड़ना चाहते है क्या उसे भी ।
राजेश मुस्कुरा कर उसके पास गया और उसके नंगे पेट पर फिर से हाथ फिराया : मेरी जान अब मान भी जाओ न , थोड़ा अपने रसीले दूध पिलाओ न अह्ह्ह्ह ( उसने वापस से ब्लाउज के ऊपर से उसके चूचे मसलने लगा )
: अह मै कह रही हुं गुड़िया के पापा छोड़ दीजिए , नहीं तो मै बाउजी से अह्ह्ह्ह उम्मम नहीइईई, आप बहुत बुरे हो अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ( सुनीता राजेश को धकेल रही थी मगर राजेश उसे ही बिस्तर पर लिटा कर उसके ऊपर आ गया और उसके रसीले मम्मों को मसलता हुआ उसके गुलाबी होठ चूसने लगा ।
पहले तो सुनीता ने भी इंकार किया लेकिन एक ही चुम्बन में जैसे ही उसे राजेश के होठों से शराब की बू नहीं मिली वो समझ गई कि आज वो पीकर नहीं आया तो उसने खुद को ढीला छोड़ दिया ।
जोश में राजेश उसके रसीले होंठ चूसने लगा और उसके बड़े बड़े रसीले मम्में को ब्लाउज के ऊपर से ही मसलने लगा , नीचे उसका लंड पजामे में तना हुआ था जो पेटीकोट के ऊपर से सुनीता के पेडू में चुभ रहा था , राजेश अपनी कमर हिला कर अपना लंड उसके पेडू में ही घिसने लगा
: अह्ह्ह्ह गुड़िया के पापा ओह्ह्ह्ह उम्ममम ओह्ह्ह हा उफ्फ
सुनीता की सिसकिया उठने लगी , जब ब्लाउज के ऊपर से राजेश ने उसके चूचे सहलाते हुए काटने लगा और वो पूरी तरह से अकड़ने लगी
: उम्मम कितने मुलायम और रसीले है अह्ह्ह्ह जी कर रहा है खा जाऊ अह्ह्ह्ह
: उम्मम अह्ह्ह्ह्ह खा जाओ न अह्ह्ह्ह कितना तरसाते हो ओह्ह्ह्ह गुड़िया के पापा अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्म उफ्फ हा ऐसे ही .
राजेश ने उसके ब्लाउज खोलकर निप्पल चुभलाने लगा और दूसरा हाथ उसके दूसरी छाती को मसल रहा था
: तू ही पास नहीं आने देती तो क्या करु हा बोल ( राजेश ने प्यार से एक चपत लगाई सुनीता के कामोत्तेजीत चेहरे पर , मानो भीतर की भड़ास को निकाल रहा हो )
: अह्ह्ह्ह्ह मारते काहे हो , पीकर कर आओगे तो फटकने नहीं दूंगी कह देती हो , मुझे चोदना है तो ऐसे ही आना अह्ह्ह्ह्ह मेरे राजा ओह्ह्ह्ह उम्ममम कितना गर्म है अह्ह्ह्ह
राजेश ने उसका पेटीकोट उठा कर अपना लंड पजामे से निकाल कर चूत के मुहाने पर रख दिया था
: साली रंडी , बहुत नखरे है तेरे आह्ह्ह्ह
: ब्याह के लाए हो तो झेलेगा कौन उम्मम अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह
: उफ्फ कितनी गर्म बुर है तेरी ( राजेश अपना लंड उसकी चूत में उतारता हुआ बोला )
: क्यों उस कुलटा कमला की ठंडी हो गई क्या ? जो आज मेरी गर्म लग रही है अह्ह्ह्ह आराम से ओह्ह्ह्ह उम्ममम ओह्ह्ह हा उफ्फ कितना टाइट है जी आपका उम्मन
राजेश मुंह भींचता हुआ करारे झटके मारता हुआ : जब रोज रोज लेगी नहीं तो टाइट ही रहेगा न , कमला की तो मै ढीली कर चुका आगे पीछे दोनो से अह्ह्ह्ह तू भी रोज लिया कर उसके जैसी फाड़ दूंगा
सुनीता जोश में पागल होने लगी और अपने जांघें कसती हुई सिसकने लगी राजेश का लंड तेजी से उसकी बुर में अंदर बाहर हो रहा था
: अह्ह्ह्ह बड़े गंदे हो आप , मुझे उसके जैसा बनवा कर किससे चुदवाना चाहते हो , बाउजी से ? ( सुनीता ने उकसाया ) उम्मम बोलो न
राजेश की स्पीड एकदम से ठहर गई चौक कर : अब इसमें बाउजी कहा से आ गए
सुनीता मुस्कुराई : क्यों बाउजी अब कमला को बुलाते नहीं है क्या ?
राजेश ऐसे सवालों से झेप महसूस कर रहा था , मगर सुनीता पूरे मूड में थी उसे राजेश को तंग करना भा रहा था
राजेश : मुझे क्या पता , बुलाते है या नहीं
सुनीता ने उसकी आंखों में देखा और मुस्कुरा कर : चलो झूठे , अह्ह्ह्ह मम्मीईईई ओह्ह्ह्ह उम्मम
राजेश ने वापस से झटके चालू कर दिए : तुझे बड़ी रुचि है बाउजी में , क्या बात है उम्मम चाहिए क्या बाउजी का लंड , बोल लेगी क्या उम्मम
सुनीता एकदम से अकड़ने लगी और राजेश के तेज करारे झटके से उसकी सिसकियां तेज होने लगी : अह्ह्ह्ह क्यों देख लोगे मुझे बाउजी से चुदते अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह उम्ममम ओह्ह्ह यस्स अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह और चोदो और अह्ह्ह्ह
राजेश : तू बता न साली रंडी , मेरे सामने चुद लेगी बाउजी से , अह्ह्ह्ह
सुनीता चरम पर जा रही थी उसकी बुर बुरी तरफ से फड़फड़ा रही थीं और पूरी तरह से पागल हुई जा रही थी राजेश के मोटे टोपे की रगड़ से : अह्ह्ह्ह मेरे राजा मै तुम्हारी रंडी हु न , बाउजी से क्या , कहोगे तो नंदोई जी का भी लंड घुसवा लूंगी अह्ह्ह्ह्ह रुको मत और तेज अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह उम्ममम ओह्ह्ह पेलो मुझे कस कस के अह्ह्ह्ह मेरे राजा ऐस ही आ रहा है हा हा ओह्ह्ह्ह ममीइईई उम्ममम ईईईईई अह्ह्ह्ह्ह
सुनीता की बातें सुनकर राजेश का लंड एकदम फड़फड़ाने लगा वो तेजी से उसकी बुर में पेलने लगा , वही सुनीता झड़ती हुई अपने बुर में उसका लंड निचोड़ने लगी : अह्ह्ह्ह बहनचोद मजा ला दिया तूने मेरी जान अह्ह्ह्ह सीईईईईई साली रंडी अह्ह्ह्ह लेह मेरा भी आ रहा है अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह
: भर दो मेरी चूत को मेरे राजा ओह्ह्ह्ह कितना गर्म है अह्ह्ह्ह्ह उफ्फफ अह्ह्ह्ह
राजेश उसके ऊपर आकर झड़ता रहा उसकी चूत में और फिर शांत उसके ऊपर ही फैल गया
जैसे ही दोनों का जोश ठंडा हुआ दोनो मुस्कुराने लगे
सुनीता लजाती हुई उसको अपने ऊपर से धकेल कर : हटिए , गंदे कही के क्या क्या कहलवाते है आप मुझसे छीइइइ
राजेश हंस के : अरे देखो तो भोली को , अभी कुछ देर पहले नंदोई का लंड घोंटने को तैयार थी अब देखो ... हाहाहाहाहा
सुनीता शर्म से लाल होती हुई : धत्त गुड़िया के पापा , बस कीजिए नहीं तो...
राजेश भी उठ गया : नहीं तो क्या
सुनीता एकदम मुंह में बुदबुदाई : सच में ले लूंगी नंदोई जी का लंड
राजेश साफ सुन नहीं पाया : क्या बोली
सुनीता हस कर : कुछ नहीं जाइए आप , गोदाम नहीं जाना क्या आज ?
राजेश : नहीं वो आज ट्रक रात में आयेंगे तो रात में जाना होगा
सुनीता उदास होने लगी : क्या रात में ? मतलब फिर तरसाओगे मुझे
राजेश उसके पास खड़ा होकर : वैसे नंदोई जी है ही तेरे , देख ले अगर जुगाड़ लग जाए तो
सुनीता लाज से उसके पेट पर कोहनी मार कर : भक्क गंदे
राजेश उसको शर्म से गुलाबी होता देख छेड़ता हुआ : वैसे जीजा जी तुझे देखते तो होंगे ही , कभी नोटिस किया क्या ?
राजेश की बात सुनकर सुनीता तो एक पल के लिए ख्यालों में गुम ही हो गई , क्योंकि रंगी तो उससे अपनी दीवानगी का इजहार कर चुका है , बस उसके ही हा कि देरी है ।
राजेश : तेरे इस दूधिया कमर पर नजर जरूर गई होगी क्यों ?
सुनीता : धत्त गुड़िया के पापा , कैसी बात कर रहे है आप , जाइए हा नहीं तो ।
इधर इनकी बाते चल रही थी तो वही बबीता के कमरे में बिस्तर पर उसकी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी ।
उसकी नजरें कभी कमरे के दरवाजे पर जाती तो कभी मोबाइल स्क्रीन पर
अगर कुछ शतत था तो उसके उंगलियों का उसके चूत पर रेंगना
" उफ्फ पापा कितने गंदे हो आप , कमला आंटी के दूध दबा रहे हो अह्ह्ह्ह्ह "
उसकी नजरें मोबाइल स्क्रीन पर चल रही एक वीडियो पर थी जिसमें राजेश ने कमला की खेतों में चुदाई करते हुए वीडियो बनाई थी ।
" अह्ह्ह्ह कमला तेरे दूध कसम से कितने रसीले है उम्मम अह्ह्ह्ह सीईईईईई" , वीडियो में राजेश कमला के चूचे सहलाते हुए बोल रहा था और कमला की सिसकिया फूट रही थी । अपने पापा की हरकते देख कर बबीता की उंगलियां खुद ब खुद उसकी चूत पर रेंग रही थी । ये दूसरी वीडियो थी जो वो तबसे देख रही थी ।
उसने वीडियो को आगे भगाया और अब वीडियो में उसके पापा अंडरवियर के होल से अपना बड़ा सा लंड निकाल कर खड़ा किए थे और सामने बैठी हुई कमला पहले उसको हिलाती है और फिर मुंह में भर लेती ।
" ओह्ह्ह्ह कमला रानी अह्ह्ह्ह्ह कितना रसीला है तेरी जीभ उम्मम और ले न अह्ह्ह्ह ऐसे ही "
बबीता अपने पापा का लंड और उनकी सिसकी सुनकर सिहर उठी और उसने अपनी जांघें कस ली और उंगलियों से अपनी बजबजाती बुर पैंटी के ऊपर से दबाने लगी : अह्ह्ह्ह्ह पापा उफ्फ कितना बड़ा है उसने वीडियो और आगे बढ़ाया तो उसकी आंखे फेल गई और उसने अपनी टांगे पसारते हुए तेजी से अपने चूत को सहलाने लगी
वीडियो में उसके पापा तेजी से कमला की बुर में लंड डाले हुए चोद रहे थे और उसकी नंगी चूचियां मसल रहे थे , वही कमला उसके पापा को सिसकते हुए उकसा रही थी
अपने पापा के मुंह से निकलते गंदे अल्फ़ाज़ और लगातार चूत में घुसते लंड से उसकी बुर बुरी तरह से गीली हो गई थी , बस तलब थी तो एक लंड की
बबीता अपनी बुर मसल रही थी कि तभी दरवाजे पर दस्तक हुई और उसके पापा ने आवाज दी : गुड़िया बेटा, देख ली मोबाइल
बबीता की एकदम से फट गई उसे समझ नहीं आ रहा था क्या करे उसका हॉफ कैफरी टांगे में नीचे तक जा चुकी थी पैंटी पूरी बजबजाई हुई हाथ में मोबाइल पर वीडियो चल रही थी
उसने झट से मोबाइल का पावर बटन दबाया और उसको तकिए के पास रख कर एक चादर ओढ कर सोने का नाटक करने लगी ।
राजेश कमरे में दाखिल हुआ और उसने अंदर की बत्ती जलाई
तो देखा कि सामने उसकी लाडली गुड़िया सोई हुई है और उसका मोबाइल साइड में है ।
सुबह से अपनी बिटिया को देखकर जो अरमान राजेश के लंड और जहन में उठे, सुनीता को चोद कर थोड़ी देर के लिए शांत हुए थे मगर कमरे में लेती हुई अपनी बिटिया के टीशर्ट में उभरे हुए मौसमी जैसे चूचे को देख कर उसका लंड एकदम से अकड़ गया ।
वो धीरे से बबीता के पास गया और प्यार से उसके सर को सहलाया और हौले से उसके गाल चूम कर मोबाइल उठा लिया।
अपने पापा को इतने करीब पाकर बबीता भीतर से कांप रही थी डर था कि अगर उसके पापा मोबाइल खोलेंगे तो सबसे पहले वो वीडियो ही चलेगी ।
और हुआ भी वही मोबाइल लेकर जैसे ही राजेश बिस्तर से दरवाजे की ओर बढ़ा था कि उसने लॉक खोलकर मोबाइल देखा तो एकदम से मध्यम आवाज में वो वीडियो स्क्रीन पर चलने लगी ।
राजेश एकदम से हड़बड़ाया और सन्न रह गया , वो पलट कर बबीता की ओर देखा वो अभी भी वैसे ही करवट लिए सोई थी आंखे बंद किए
राजेश के जहन में काफी सारे सवाल थे और उनसे बढ़ कर एक डर कि कही उसकी बेटी उससे नाराज न हो जाए । वही बबीता की हालात अलग खराब थी , उसे अब पक्का यकीन होने लगा कि उसकी पिटाई तय थी ।
राजेश दबे पाव चल कर बबीता के पास गया और उसे आवाज दिया हल्का सा , ये जांचने के लिए कि वो जाग रही है या सो गई , मगर मारे डर के बबीता अपने पापा का सामना नहीं करना चाहती थी ।
राजेश ने देखा कि वो कुछ जवाब नहीं दे रही थी , उसके जहन में कुछ शंकाए उठ रही थी कि कही उसकी बेटी ने उसकी चुदाई की वीडियो देखकर ऊंगलीबाजी करके थककर तो नहीं सो गईं, क्योंकि उसने वीडियो जस का तस छोड़ा था ।
उसने धीरे से बबीता के ऊपर से चादर उठाई और वही बबीता अपने जांघें कसने लगी , उसका दिल जोरो से धड़क रहा था कि अब तो बेटा पक्का पकड़ी गई और मार मिलेगी।
जैसे ही चादर हटी बबीता कैफ़री उसके पैरो में नीचे थी और वो अपनी जांघें साट कर करवट होकर लेती थी उसकी नंगी जांघें और छोटे छोटे गोरे मुलायम चूतड पर कसी हुई पैंटी देखकर राजेश का लंड एकदम फड़फड़ाने लगा , अब उसे यकीन होने लगा कि जरूर उसकी बेटी ने उसकी वीडियो देख कर अपनी चूत मसली है , ये भावना से राजेश के बदन में कंपकपी सी हो रही थी उसका हल्क अपनी बेटी की पैंटी को देख कर सुख रहा था ।
उसकी नजरें बबीता के गुदाज मुलायम चूतड़ों से हट ही नहीं रही थी , उसकी सांसे बेकाबू हुई जा रही थी और उसने एक बार बबीता को सोता हुआ देखा और खुद को रोक नहीं पाया
आगे झुक आकर बबीता के नंगे चूतड़ों के हिस्सों को छूने लगा, अपने पापा के पंजों का स्पर्श पाते ही बबीता एकदम से सन्न रह गई, उसकी सांसे चढ़ने उतरने लगी कलेजा तेजी से धकधक हो रहा था । उसे यकीन नहीं हो रहा था उसके पापा ऐसा कुछ करेंगे । वो खुद को जबरन किसी भी हरकत करने रोकने लगी और वही अपनी बेटी के गुदाज मुलायम चूतड़ों को मसलकर राजेश भी अपना खड़ा लंड पजामे के ऊपर से मसलने लगा और उसकी नियत यही तक नहीं रुकी उसने जांघों के बीच झांकते अपनी लाडली के चूत के गिले फांके उंगलियों से छूने लगा
एकदम से अपने गीली बुर पर अपने पापा के उंगलियों को रेंगता पाकर बबीता की आंखे उलटने लगी ,उसका दिल जोरो से धड़कने लगा ,उसके नथुनों से गर्म सांसे उठने लगी और उसका काबू खुद से छुटने लगा , उसकी बुर बुरी तरह से फड़फड़ाने लगी और उसके पैरो में हरकत हुई
जिसे देख कर झट से राजेश पीछे हो गया और बेटी के रस से गीली हुई उंगली को चाटने लगा और लंड भींचता हुआ बत्ती बुझा कर कमरे से बाहर आ गया ।
वही पापा के जाते ही बबीता ने अपनी टांगे फैलाई और अपनी चूत मलने लगी : अह्ह्ह्ह पापा क्यों छू रहे थे मुझे आप सीईई देखो आपके छूने से खुजली हो रही अह्ह्ह्ह्ह पापा उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई
बबीता अपने पापा का नाम लेकर झड़ने लगी और सुस्त होके आखिर कार सो गई ।
जारी रहेगी
बहुत उत्तेजक और कामुकता से भरपूर कहानी है भाई।UPDATE 196 B
अमन के घर
पलंग के हेडबोर्ड की टेक लिये सोनल निशा से कुछ नमकीन बातें कर रही थी कि तभी कमरे मे अमन दाखिल हुआ और सोनल ने चैट बन्द कर मोबाइल स्क्रीन ऑफ करते हुए नजरे उठा कर सामने देखा तो अमन कमरे मे आ गया था
आस्तीन के बटन खोलकर उपर करता हुआ अमन मुस्कुरा कर उसकी ओर देखा तो सोनल भी लाज के मारे नजरे नीची कर मुस्कुरा दी ।
अमन - खाना खाई तुम
सोनल धीरे से मुस्कुरा कर - हम्म , आपकी भाभी लाई थी ।
अमन बिस्तर की ओर बढ़ता हुआ किनारे बैठ कर उसकी ओर देखा - फिर तो पक्का पेट भर ही गया होगा हिहिही दुलारी भाभी जब आई थी
सोनल - क्यू ! आपका नही भरा
अमन मुस्कुरा कर - मेरा पेट तो पापा ने लेक्चर देके ही भर दिया ।
सोनल उत्सुक होकर - कैसा लेक्चर ?
अमन हस कर - अरे कुछ नही , वही जो हर सुहागरात पर दूल्हे को मिलता है हाहाहाह मुझे मेरे पापा ने दिया ।
सोनल थोड़ी सी शर्माइ और हसी को होठों मे दबाती हुई मुस्कुरा दी ।
अमन - क्यू तुम्हे नही दिया मम्मी जी ( रागिनी) ने
सोनल लाज से गाढ़ होती हुई - धत्त नही
अमन थोड़े शरारती लहजे मे - अरे फिर हमारी सुहागरात कैसे होगी , सासु मा ने कुछ सिखाया पढाया नही जब
सोनल अमन की बात पर शर्मा कर हसती हुई - बक्क चुप रहो आप ! आपको पापा जी ( मुरारीलाल ) ने बताया है ना हिहिहिही
अमन एक गहरी आह भरता हुआ दोनो पैर उपर कर पालथी मारता हुआ सोनल के करीब बैठ कर - हा भाई , पापा ने तो जैसे सब खुल कर समझाया है मुझे
सोनल - मतलब ?
अमन हस कर - अरे सख्त आदेश हुआ है कि आज नाड़ा ढीला नही होना चाहिये हाहाहाह
सोनल अमन की बात पर मुह निचे किये हुए होठ भितर कर हसने लगी
अमन खसक कर उसके करीब होता हुआ - सच सच बताओ , कुछ भी नही बोली सासु मा इस बारे मे ।
सोनल हस कर - नही बाबा हिहिहिही , हा रीना भाभी अलबतक समझा रही थी ।
अमन - क्या ?
सोनल - यही कि ससुराल मे सुबह जल्दी उठना चाहिए , सास ससुर की सेवा करना चाहिए, चाय नासता सब टाईम पर हो
अमन मुह बिचका कर - क्या! यही सब ?
सोनल - हा तो ! और उन्हे क्या बताना चाहिए था
सोनल होठ दबा कर हसने लगी , अमन उसका मजाक समझ गया तो वो भी हस दिया
दोनो हस रहे थे कि अमन ने सोनल के हाथ के उपर से अपने हाथ रख दिये और सोनल चुप हो गयी ।
उसकी सासे उखड़ने लगी , जिस्म मे कपकपी सी उठने लगी ।
अमन का कलेजा भी जोरो से धड़क रहा था । हाथ पकड़े हुए वो भी नजर उठा कर सोनल की ओर देखता है
उसकी आंखे बन्द थी और चेहरे पर गर्मी चढ रही थी , होठ पर हल्की कपकफाहट सी थी ।
अमन उसके गोल सुन्दर चेहरे को देख कर खुश हो रहा था और उस्का दिल जोरो से उछल रहा था ।
हाथ बढा कर उसने सोनल के बाये गाल को छुआ और सोनल मानो उधर ही लुढक ही गयी हो , अमन के हाथो के स्पर्श से उसके जिस्म मे सनसनी सी फैल गयी, बदन की गर्मी भीतर से बढ़ रही थी जबकि उपरी हिस्से मे ठंडक सी हो रही थी
सिहरन ने सोनल के जिस्म के रोम रोम खिला दिये थे ।
अमन के हथेली मे अपने गाल और बाए गरदन के कुछ हिस्से घुमाती हुई सोनल अपने भीतर एक गुदगुदी सी मह्सूस कर मुस्कुरा देती है ।
उसके चेहरे पर चढ़ती खुमारी को देख कर अमन आगे लपक कर उसके दाहिये गाल को चूम लेता है और सोनल की मुस्कुराहट बड़ी हो जाती है ।
अमन अपने पैरो की स्थिति को बदलता हुआ कमर के उपर के बदन को खड़ा कर बाये हाथ से उसकी पीठ पर हाथ रख कर उसको अपनी ओर खिंचता हुआ उसके चेहरे को अपनी ओर करता है ।
सोनल अपनी कजरारी आंखो से उसकी आंखो मे देखती है और मुस्कुराने लगती है ।
अमन उसके बाये गाल को चुमता हुआ उसके कान से झुमके निकाल देता है और उसके नरम मुलायम कान को होठों मे भर कर दाँत गड़ाता है, जिससे सोनल सिस्क पड़ती है
सोनल - सीईईई उम्म्ंम क्या करते हो , बात करो ना
अमन मुस्कुरा कर उसके गरदन को चूमते हुए दाये तरफ से पीछे की ओर जाने लगता है और फिर उसके दाये कान के झुमके भी उतारता हुआ - इतने दिन तो सिर्फ बातें ही तो हुई है
सोनल शर्मा कर - धत्त उम्म्ंम्ं आह्ह
अमन पीछे से उसके डीप बैक वाली ब्लाऊज के बार्डर के पास सोनल की गोरी चिकनी पीठ पर हाथ फेरता है और गरदन के ठिक निचे हारों के गाठ के पास चूमने लगता है ।
सोनल का शरीर अकड़ने लगता है और अमन हौले से उसकी पीठ को चूमता हुआ उस्के गले से हार को खोल कर आगे सरका देता है
हार सरकर लड़ियों सहित सोनल के ब्लाउज के गले मे आगे फस कर लटक जाता है
सोनल - धत्त बदमाश , देखो ये अटक गया
अमन आगे होकर - कहा , दिखाओ जरा
सोनल शर्मा कर घूम गयी - नहीई हिहिहिही
फिर खुद से उसको अपने ब्लाउज से निकालने लगी , मगर उसके लहगे के ब्लाऊज पर पहले ही जरी वाला महिन काम हुआ था उसपे से चुन्नी खिचने का डर था
अमन मुस्कुरा कर - लाओ बाबा मै निकाल देता हु
सोनल मुस्कुराती हुई - ऊहु , नहीईई
अमन - अरे लाओ मै आराम से निकाल दू कढाई खुल जायेगा ब्लाउज का
सोनल हार कर शर्माते हुए उसकी ओर घूमी - लेकिन कोई शरारत नही , ओके
अमन ने मुस्कुरा कर उसकी ओर देख कर बिना कुछ बोले सहमती दी और फिर उसके कन्धे से चुन्नी का पिन हटा कर सरका दिया और थोड़ा कोसिस किया मगर वो हार के कुछ गोल्ड लरिया अन्दर की ओर उलझी हुई थी ।
उसने एक नजर सोनल की ओर देखा जो उसे ही निहार रही थी , दोनो मुस्कराये और अमन के सोनल के ब्लाउज के गले मे आगे से दो उंगली डाली
उंगलियों का स्पर्श सोनल को रोमांचित कर गया , उसकी सासे फिर से चढने लगी,
अमन ने उंगली डाले हुए ब्लाउज का हिस्सा आगे खींचा , सामने सोनल के 34B के मोटी गोलाई वाले दो सुन्दर गोरे चुचे ब्लाऊज मे भरे हुए सास ले रहे थे और उनकी चर्बीदार घाटी देख कर अमन का गल सुखने लगा ।
सोनल अमन की बेताबी से बखूबी परिचित थी , वो बस उसपे हसे जा रही थी अपने होठ भीतर किये हुए
वही अमन ने एक उंगली डाल कर वो हार निकाल लिया और फिर ब्लाउज को आगे खिंच कर भीतर उसकी मोटी चुचियों की गहरी घाटी निहारने लगा ।
सोनल मुस्कुरा कर - अब क्या देख रहे हो , हो गया ना !
अमन शरारत भरे लहजे मे - देख रहा हु , सोने की एक आध लरी छूट तो नही गयी भीतर
सोनल उसको धकेलती हुई - धत्त हटो अब हिहिहिही
अमन पीछे की ओर बिस्तर पर गिर गया हस्ता हुआ उसकी ओर देखने लगा , तभी उसके जेब मे मोबाइल रिंग हुआ
सोनल भी सतर्क होकर उसकी ओर देखी और इशारे से पूछी किसका फोन है ।
अमन ने जेब से मोबाइल निकाला और स्क्रिन पर नाम देख कर उसकी हसी छूट गयी
और उसने मोबाईल सोनल की ओर घुमा दिया
सोनल भी मोबाईल पर आ रही निशा की कॉल रिंग देख कर हसने लगी ।
राहुल के घर
राहुल के कमरे की बत्ती बुझी हुई थी और जंगी अपनी योजनानुसार थोड़ा टहल घूम कर खाना पचा कुचा कर एक फ्रेश बाथ लेके तरोताजा हो चुका था
उसने घड़ी पर निगाह मारी शालिनी को कमरे मे गये आधे घन्टे से उपर हो चुके थे ।
उसने हौले से कमरे का भिड़का दरवाजा धकेला और दरवाजा खुल गया ।
जंगी को राहत की सास मिली और उसने दरवाजे के पास से ही कमरे का बल्ब जलाया ।
कमरे मे रोशनी होते ही अनुज और शालिनी एकाएक कुनमुनाए
सोये तो दोनो ही नही थे बस सोने का नाटक चल रहा था ।
एक ओर शालिनी को यकीन था कि उसका पति आज की रात बिना उसे पेले बाज नही आयेगा
वही अनुज को भी घर मे होने वाले एक कामुक घटना का इन्तजार था ।
जन्गी ने देखा कमरे मे अनुज दुसरी ओर मुह किये करवट लेके सोया हुआ है और वही शालिनी सिर्फ ब्लाउज पेतिकोट मे टांग फ़ोल्ड किये हुए सो रही थी ।
टांग के बिच साये से हो रही हवाओ की आवाजाहि से जंगी और भी कामोत्तेजित हुआ
अपना मुसल मसलता हुआ वो हौले से कमरे मे दाखिल हुआ
गरदन फेर कर उसने अनुज को दुसरी ओर मुह करके करवट लेटे हुए देखा और फिर आगे बढ़ कर शालिनी के करीब आ गया
कमरे मे चल रही हल्की फुल्की आहत से दोनो परिचित थे और दोनो की सासे तेज हो रही थी ।
जंगीलाल ने एक बार सोई हुई बीवी का गदराय जिस्म निहारा और अपना जान्घिये मे उफनाता मुसल मसला फिर घुटनो के बल झुक कर
एक हाथ से उसके पेतिकोट का सिरा पकड कर उपर किया और कमरे का हनहनाता पंखा पेतिकोट मे हवा भर कर उसको और उठा दिया जिससे बिना पैंटी वाली शालिनी की झान्ट भरी बुर की लकीरे स्पष्ट दिखने लगी ।
जांघो के बीच मे हवा की तेज सरसराहट पाकर शालिनी ने झटके से अपनी आंखे खोली और जंगी की हरकत देख कर झट से उठ कर बैठती हुई अपना पेटिकोट झटपती हुई समेट लिया
शालिनी फुसफुसाकर- ये क्या कर रहे हो आप , देख नही रहे अनुज सो रहा है
जंगी मुह बना के अपना मुसल मसल कर अपनी परेशानी ब्यां करता हुआ - प्लीज ना जान , मान जाओ बहुत तडपा हु 3 दिनो से
शालिनी को उसकी स्थिति पर हसी आई मगर उसने अनुज का हवाला देकर साफ इन्कार कर दिया ।
जंगी - जान हमारे कमरे मे चलते है ना
शालिनी - नही मुझे नही जाना कही
जंगी अपने जान्घिये से लन्ड बाहर निकाल कर उसका सुपाडा खोलकर शालिनी के आगे हिलाता हुआ - आह्ह जान देखो ना परेशान कर रखा मुझे , प्लीज मान जाओ ना
ये बोलकर जन्गी ने शालिनी का हाथ पकड कर अपने तने हुए मुसल पर रख दिया
शालिनी जन्गी गर्म मुसल को छुते ही सिहर गयी और खुले सुपाड़े से आ रही भीनी सी गन्ध से उसको भी लालच उठने लगा
शालिनी जन्गी से बुदबुदाते हुए एक नजर अनुज को करवट लेके लेटे हुए देखा और उसका मुसल आगे पीछे करके हिलाने लगी ।
जंगी खुश होकर उस्के गाल दुलारने लगा और शालिनी मुह बनाने लगी ।
जंगी आगे बढ़ कर अपना लन्ड उसके मुह के पास किया और शालिनी ने भी मुह खोलकर उस्का सुपाडा मुह मे ले लिया
जन्गी सिस्का और वही अनुज के लोवर मे अलग ही बवाल मचा हुआ था ।
उसके पीछे ही कमरे मे एक जबरज्स्ट सीन चालू था मगर वो देख नही सकता था ।
वही जन्गी शालिनी के सर को दबा कर लन्ड को मुह मे दिये जा रहा था
जन्गी - अह्ह्ह जान उह्ह्ह कितना दिन बीत गया हो जैसे उम्म्ंम
शालिनी ने मुह मे लन्ड भरे हुए ही जन्गी की जांघ पर हाथ से थपेडी मारकर उसे चुप रहने का इशारा किया
जंगी ने भी मुस्कुरा कर अनुज की ओर देखा और उसका लन्ड पहले से ज्यादा उत्तेजित होने लगा ।
शालिनी के मूह मे भी उसे लन्ड फूलता मह्सुस हुआ
शालिनी ने लन्ड बाहर निकाल कर हल्के से फुसफुसाइ- क्या हुआ
जन्गी मुस्कुरा कर ना मे सर हिलाया लन्ड मसलते हुए उसे घोडी बनने को कहा
शालिनी तुनक कर बिस्तर के एक ओर अपना पेतिकोट उपर चढा कर घोडी बन गयी ।
उसके ठिक सामने अनुज लेटा हुआ था , जिसका कलेजा पहले से ही धकधक हो रहा था ।
बिस्तर पर हो रही हलचल से उसकी कामोत्तेजना और भी तीव्र हो रही थी , जांघों बीच हाथ फसाए वो बस अपना लन्ड बिस्तर पर खरोच रहा था , चालू बिजली मे अच्छे से अपना लन्ड तक नही मस्ल सकता था ।
तभी उसके कान मे शालिनी की कामुक सिसकी आई - आह्ह सीईई आराम सेह्ह्ह उम्म्ंम
जन्गी अपना मुसल शालिनी की चुत मे उतार चुका था और निचे खड़े खड़े ही खचाखच उसकी चुत मे लन्ड पेल रहा था
जांघ की थपेडों से शालिनी को गाड़ खुब हिल्कोरे खा रही थी और कमरे मे थपथप की आवाज आने लगी
जंगी मारे जोश मे लन्ड को खुब हचक हचक कर पेल रहा था
और बिस्तर पर आगे की ओर झुकी शालिनी जन्गी के झटके से मुह भिचे हुए उसके लन्ड को अपनी चुत की जड़ो मे महसुस कर रही थी ।
तेज झटको से बिस्तर भी पुरा हिलने लगा था , जिस्से अनुज और भी सतर्क हुआ वो भी बिस्तर पर हल्के झटके खाने लगा
उसका सुपाडा जो अब तक बस लोवर के भीतर से नरम बिस्तर को चुभो रहा था वो अब झटके खाने से बुरी तरफ से घिसने लगा था
उसकी आड़ और लन्ड दोनो के आकार बढ़ने लगे ऐसे उसने हौले से अपने फ़ोल्ड हुए टांगो को सीधा किया
शालिनी ने जैसे ही अनुज के शरीर मे हरकत देखी उसने हाथ पीछे ले जाकर जंगी के हाथ पर थपथपाया जो उसके कूल्हो को थामे हुए था ।
जंगी भी ठहर गया और बहुत ही आराम से लन्ड को रेंगता हुआ उसकी बुर मे पेलते हुए आगे झुक कर शालिनी से धीरे से बोला - क्या हुआ
शालिनी ने होठ पर उंगली रखती हुई उठने लगी
जंगी ने भी अपना लन्ड खिंच लिया और शालिनी उठ कर बिस्तर से उतरने लगी
जंगी अपना मुसल रगड़ता - क्या हुआ
शालिनी धीमी आवाज मे - वो जाग जायेगा बिस्तर तेज हिल रहा था
जन्गी मुस्कुरा कर उसको अप्नी ओर खिंच कर उसकी गाड़ मसलता हुआ - तो बाहर चले जान
शालिनी समझ रही थी कि अगर वो बाहर गयी तो जंगी प्कका उसे 3 4 राउंड से पहले सोने नही देगा और वो बस उससे किसी भी तरह निपटना चाहती थी क्योकि थकान उसे भी थी ।
शालिनी उस्का मुसल पकड़कर मुस्कुराती हुई उसकी आन्खो मे देखते हुए बोली - मुझे मेरे बेटे के कमरे मे ही पेलो ना जान
जन्गी का लन्ड उसकी हथेली मे फडका - ईईईस्स्स आह्ह जान
इधर अनुज थोड़ा संसय मे था कि क्या हुआ अचानक से सब रुक क्यू , दरवाजे या फिर कमरे मे कोई आहट भी नही हो रही थी ।
वो इतनी भी हिम्म्त नही कर पा रहा था कि गरदन घुमा के देख ले , क्योकि ऐसे मे कयी सारे सवाल खड़े हो जाते और शर्मिंदगी होती सो अलग
उसने हलके से अपना लन्ड भिन्चा और उसके कान शालिनी की चिख से फिर बज उठे
जंगी शालिनी को बिस्तर के निचे लिटा कर उसकी टाँगे उठाए हुए
खचाखच उसकी चुत मे लण्ड पेले जा रहा था और शालिनी जन्गी के जोश के आगे हारी जा रही थी, ना ही वो जन्गी के मजेदार लन्ड की थपेड़ को रोकना चाहती थी और ना ही खुद को सिस्कने से रोक पा रही थी ।
जोरदार और ताबड़तोड़ झटको के साथ जंगी ने अपनी पूरी ताकत के साथ शालिनी की चुत पेले जा रहा था और कुछ ही मिनटो मे उस्से रहा नही गया
वो झटके से अलग होते हुए शालिनी को टांगो को थपथपाते हुए उपर आने को कहा
शालिनी भी झटके से उठी और उसका लन्ड मुह मे भर लिया
जंगी उसका सर थामते हुए उसके मुह मे झडने लगा
फिर शालिनी ने अच्छे से उसका लन्ड साफ किया , दोनो मुस्कुरा रहे थे और गरदन घुमा कर दोनो ने अनुज की ओर देखा जो अभी भी वैसे ही सोया हुआ था ।
राज के घर
" क्या हुआ पता चला कौन बाहर निकला था ? "
" नही यार , दरवाजा तो बन्द ही लग रहा है " , गीता ने सोनल के कमरे के बाहर गैलरी मे खड़ी हो अनुज के कमरे मे दरवाजे पर खड़े हुए राहुल को फुसफुसाकर बोली ।
बबिता राहुल के पास खड़ी होकर - यार दरवाजा बन्द करना ठिक रहेगा और भी तक अनुज भी नही आया ।
राहुल - मुझे नही लगता अब अनुज वापस आयेगा या फिर उसकी जगह कोई और हमे डिस्टर्ब करेगा ।
गीता - तो ?
राहुल बगल मे खड़ी बबिता की कमर मे हाथ डाल लर - तो क्या ? अब हम तुम एक कमरे मे बन्द हो और चाबी खो जाये
बबिता शर्माती हुई मुस्कुराने लगी और गीता उन्हे देख कर मुस्कुराते हुए कमरे मे बिस्तर पर बैठे अरुण को देखा जो उसे अपने पास बुला रहा था ।
वही निचे राज के कमरे का दरवाजा अंदर से बन्द हो चुका था और रिना उसकी बाहो मे थी ।
राज उसके रसिले होठ चुसते हुए नाइटी के उपर से उसकी चर्बीदार गाड़ मिजता हुआ - आह्ह भौअजी बडा इन्तेजार करवाया आपने उम्म्ंम्ं
रीना उसकी बाहों मे कसम्साती हुई - ऊहह देवर जी सीईई क्या करती मामी जी सो ही नही रही थी उम्म्ंम्ं
राज - और निशा , वो भी तो आपके साथ ही ना
रिना मुस्कुरा कर उसकी आन्खो मे देखते हुए - आह्ह देवर जी मै तो निशा बहिनी को बोल के आई हु कि आज की रात देवर जी के साथ कटेगी हिहिहही
राज को लगा कि शायद ये महज मजाक है
मगर कुछ देर पहले....
" भाभीई , कहा ? "
रिना ने मुह पर उगली रख कर निशा को चुप करने का इशारा करती हुई - श्श्श्श , अभी आती हूँ
निशा इशारे से हाथ घुमा कर - किधर जा रही हो
रीना मुस्कुरा कर - तुम्हारे भैया के पास हिहिहिही या कहू तुम्हारे सईया के पास
ये बोलकर रिना ने निशा को आंख मारी
निशा आंखे बड़ी कर ताज्जुब से धीमी आवाज मे - क्या ? राज के पास ? कैसे कब ?
रिना खिलखिला कर -वो सब बाद मे हिहिहिही , कही मेरा हीरो सो ना जाये
निशा ने रिना को बेस्ट ऑफ लक बोला और खुश हुई , इस बात के लिए नही कि रीना राज के पास जा रही थी , बल्कि इस लिये कि उसे अमन से बात करनी थी और आज रात के लिए अमन ने उससे वीडियो काल का वादा किया था ।
रीना के जाते ही निशा भी लपक कर कमरे से एक तकिया और बिस्तर लेके बाल्किनी से लगे स्पेयर रूम मे घुस जाती है
राज के कमरे मे जबरदस्त कसमाहट और आहे उठ रही थी
राज रीना को पीछे से पकड कर नाइटी के उपर से ही उसके रस भरे जोबनो को रगड़ कर मसल रहा था - आह्ह भौजी क्या रसिली चुची है आपकी, लगता है रमन भैया खुब मेहनत करते है उम्म्ंम्ं
रीना उसके सीने पर लोटती हुई कसमसाती हुई -आह्ह देवर जी उम्म्ंम क्या कहू, एकदम तन्ग कर कर के मुझे गीला किए रहते है आह्ह अब नही हु उनके पास तो परेशान हु उम्म्ंम अह्ह्ह अराम्म्ं से बाबू
राज मुस्कुरा कर अपना तना हुआ मुसल उसकी गाड़ पर चुभोता हुआ - अह्ह्ह भौजी मै हु ना उम्म्ंम
राज उसकी नाइटी उठा कर उसकी चिकनी जान्घे बिस्तर पर रखता हुआ उन्हे मसलने लगा - ओह्ह भौजी क्या मलाई जैसा देह है तुम्हारा , उम्म्ंम
रीना- अह्ह्ह देवर जी बापू हलवाई है तो मलाई होगी ना उनकी बेटी उह्ह्ह्ह आह्ह्ह सीईई
राज ने उसको अपनी ओर घुमाया और उसकी नाइटी निकाल दी , अब रिना ब्रा पैंटी मे उसके सामने थे और राज उसकी कमर मे हाथ डाल कर उसे अपने शरीर से सटा कर उसके होठ चूमने लगा , राज का हाथ रिना की पीठ से लेकर उसकी उभरी हुई मोटी गाड़ पर रेन्ग रहा था ।
रिना उसको अपने छाती से कसे हुए सिस्किया ले रही थी ।
अगले ही पल उसने राज को दिवाल से लगाया और उसके शर्ट खोलते हुए उस्के सीने को चूमने लगी
राज के लिए ये बिल्कुल ही नया अह्सास था , रीना के नरम होठ उसके सीने पर मानो मोम के जैसे घिस रहे थे और उसके बदन की गर्मी बढ़ने लगी थी ,
उसने झुक कर निप्स पर अपनी गीली जीभ फिराई और राज की सासे अटक गयि पैंट मे उसका लन्ड फड़फ्ड़ा कर रहा गया ।
उससे अब बर्दाश्त नही हो रहा था वो अपना जल्दी जल्दी पैंट खोलकर उसे अंडरवियर सहित निचे कर दिया और उसने रिना के हाथ पकड कर उसको अपनी ओर खींचा
लन्ड की कठोर चुभन भरी ठोकर रीना ने अपनी पैंटी मे पावरोटी सी फूली हुइ बुर पर पाई तो उसकी सिसकी निकल गयी ।
राज उसकी चर्बीदार दबोचते हुए उसके रसिले होठ चुसता हुआ उसको घुमा कर वापस से पीछे से दबोचते हुए उसकी चुचिया मिजने लगा और ब्रा कन्धे से सरका कर उसकी नरम नरम चुचिया हाथो मे भरने लगा
राज का लन्ड वही बगल मे उसके कुल्हे मे ठोकर मार रहा था
रिना ने भी हाथ बढा कर उसे पकडते हुए भीचने लगी
राज भी हाथो मे भर रिना की 34C वाली चुचियां मिजता हुआ उसके कन्धे चूमने लगा
रीना - आह्ह राज बाबू क्या दमदार मुसटन्ड है उह्ह्ह्ह उम्म्ंम्ं रगड़ ही डालोगे क्या उम्म्ं माह्ह्ह
राज - अह्ह्ह भाऊजी आपकी ये नरम चुचिया उसको और भी मोटा कर रही है ओह्ह्ह क्या रसिला जोबन है आपका
रीना - उउऊ मेरे राजा बस मसलोगे ही उम्म्ंम चख के देखो ना उम्म्ं
राज ने तेजी से रीना को अपनी बाहो मे घुमाया और लपक कर उसकी रस भरी छातीया दोनो हाथो से पकड कर चुसने लगा
रीना एक हाथ से उसका लन्ड भींचती हुई उसके सर पर हाथ घुमा रही थी - ओह्ह मेरे राजाह्ह उह्ह्ह सीईई उम्म्ंम खा जाओ ऊहह कितना परेशान किया है दो दिन से उम्म्ंम्ं आह्ह्ह
राज बारि बारी से दोनो चुचिया मसल मसल कर चुस रहा था और वही रीना निचे से उसका मुसल मसल रही थी
राज थोड़ा अलग हुए और रीना के गाल थामते हुए उसके होठ चुस कर उसे निचे जाने का इशारा किया
रीना उसकी आंखो मे निहारती हुई उसके खुले नंगे जिस्म पर हाथ फेरती हुई एड़ियो के बल बैठ गयी और राज का लन्ड हाथो मे लेके उसको घुमा फिरा कर निहारती हुई उसका सुपाडा खोला और नजरे उठा कर राज को देखा जो उसे ही देखे जा रहा था
रिना ने एक हाथ राज का मोटा लन्ड पकडा और मुह खोलकर उसे भर लिया , राज को जैसे ही नरम अह्सास हुआ उसने रिना के बालो को सहलाने लगा
उसके जिस्म में नसो का सारा खुन उसकी जांघो की ओर खिचने लगा , जैसे जैसे रीना उसके लन्ड को मुह लेके सुरकती , राज की एडिया उचकने लगती और वो आहे भरने लगता - ओह्ह्ह भौजी उम्म्ंम क्या मस्त चुस रही हो उम्म्ं आह्हह मजा आ रहा है सीईई आह्हह फ्क्क्क्क और लो उम्म्ंम
रीना उसके लन्ड को चुबलाती उसके आड़ो पर हथेली बान्धती उन्हे कसती
आह्ह ऊहह उम्म्ंम फ्क्क्क्क ऊहह येस्स्स भाभीईई उम्म्ंम
रीना झुक कर उसके आड़ो को मुह मे भरती हुई राज के चुतड पर नाखून गड़ाती है और राज चिहुक पडता है - आह्हह भाभीई उह्ह्ह कमाल हो आप उह्ह्ह मजा आ गया उह्ह्ह स्क्क्क इट भाभीई उम्म्ंम वाह्ह्ह और
रिना ने अच्छे से राज का लन्ड दुलारा और उसकी चमडी आगे पीछे करते हुए खडी हो गयी और उसका लन्ड पकड़े हुए बिस्तर की ओर लेके बढ़ गयी ।
और फिर उसने राज का लन्ड छोड कर अपनी गाड़ फैलाते हुए बिस्तर पर अपनी कोहनी टिकाते हुए झुक गयी ।
फिर उसने बड़ी अदा से अपने बाल झटकते हुए गरदन घुमा कर आंखो से राज को अपनी गोरी फैली हुई हिलती गाड़ की ओर इशारा किया
राज मुस्कुरा कर अपना लन्ड हिलाता हुआ घुटनो के बल होकर रीना की गाड़ को सहलाते हुए उसमे फसी हुई पैंटी मे उगली कर उसे बाहर की ओर खिंचते हुए लपक कर अपनी थुक से लसराई जीभ को उसकी गाड़ के गुलाबी सुराख पर लगाते हुए कुरेदने लगा
रीना - आह्हह देवर जी उम्मममं आह्हह ऊहह ओह्ह्ह माह्ह्ह उफ्फ्फ
राज उसकी गाड़ पर एक जोर का थप्पड़ लगाता हुआ उसकी रस छोड़ती बुर मे मुह दे दिया
रीना का जिस्म एठने लगा और उसकी सिस्किया तेज होने लगी
राज खड़ा हुआ और अपना लन्ड उसकी बुर के मुहाने पर लगाते हुए बिना किसी हिचक के अगले ही पल रीना की बुर मे उतार दिया
उसका सुपाडा आधी बुर को चीरता हुआ एक करारी चोट अन्दर करता है जिस्से रीना की आन्ख उलटने को हो जाती है - आह्हह माईयाआ उह्ह्ह बाबुउउऊ ओह्ह्ह अराम्म्ं से उम्म्ंम्ं आह्हह
राज बिना थमे एक और तगड़ा झटका देते हुए लगातार जगह बनाता हुआ पेलाई चालू कर देता है
आअहह उह्ह्ह्ह उम्म्ंम मेरे राजाहहह ऊहह येस्स्स उम्म्ं और तेज्ज्ज ओह्ह्ह
राज बिना रुके तेजी से उसकी चुत मे लन्ड पेलने लगा और रीना भलभला झड़ने लगती है
ओह्हह बाबुउऊ उम्म्ं ओह्ह इह्ह उम्म्ंम्ं रुको रुको ओह्हह
राज हाफ्ता हुआ - क्या हुआ भाभीई
रीना आगे बिस्तर पर चढ कर पीठ के बल लेटते हुए अपनी टांग उठाती हुई - अब आजाओ
राज मुस्कुराया और बिस्तर पर चढ कर रीना की टाँगे उठा कर वापस से अपना मुसल सेट करते हुए लन्ड को उसकी बुर मे उतार दिया
रीना खुमारी भरी आंखो से उसकी ओर देखती हुई अपने होठ चबाने लगती है जिससे राज और भी जोश मे आकर उसके होठ अपने होठ मे भर कर ह्च्क ह्च्क के लण्ड पेलने लगता है और रीना हवा मे टाँगे उठाए चुद रही है
राज - आह्ह भौजी आप भी रुक जाओ ना मौसी के साथ जाना
रीना अपने कुल्हे उठाती हुई -आह्ह बाबू तुम्हारे भैया अकेले है ना
राज - अरे कौन सा वो आपकी चुत के लिए तरस रहे है जैसे मै तडप रहा हु
रिन मुस्कुराई- ओह तो मेरे देवर बाबू बहुत तरस रहे थे उम्म्ं अब लेलो ना हचक मे मेरे राजा , आज रात तो मैं तुम्हारि हु ना उन्म्ं आह्हह ऐसे ही ओह्ह ओह्ह और तेज पेलो उम्म्ंम माईयाआ य्ह्ह बाबू ऊहह
राज - आह्ह भौजी उह्ह्ह आयेगा उम्म्ंम ओह्हह
राज तेजी से लन्ड निकाला और रिना के उपर हिलाने लगा और रिना भी जीभ निकाल कर उठने को हुई कि राज के लन्ड ने तेज पिचकारी छोड़ी
कुछ जीभ कुछ गालो पर और बाकी सारा जोबनो पर
रीना राज के रसिले नमकिन लण्ड का टोपा चुसती हुई राज को देखते हुए मुस्कुराने लगी
जारी रहेगी