• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest अम्मी vs मेरी फैंटेसी दुनिया

xforum

Welcome to xforum

Click anywhere to continue browsing...

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
7,892
22,239
189
कहानी का नया अपडेट 33
पेज नं 138 पर पोस्ट कर दिया गया है
Kindly read & review
 
Last edited:

Napster

Well-Known Member
6,202
16,316
188
UPDATE 30

ट्रेनिंग-डे


रात के किसी प्रहर में, जब दुनिया सो रही थी, बिस्तर पर एक हल्की हलचल शुरू हुई। बेड का पुराना लकड़ी का ढाँचा हल्का-हल्का चरमराने लगा, जैसे कोई उस पर अपनी जगह बदल रहा हो। मेरी नींद में अभी पूरी तरह कोई खलल नहीं पड़ा, लेकिन कमरे में एक अजीब सी ऊर्जा फैलने लगी थी। मुझे मेरे जिस्म में गरमाहट सी महसूस हो रही थी और कानों में गुनगुनाहट भरी आवाज रह रह कर आती । आंखे अब खुलना चाह रही थी मानो मेरी चेतना में कोई सतर्कता के लिए घंटी बज रही थी शायद अब तक अम्मी की जो हरकते रही है उसको लेकर मेरा दिमाग पूरी तरह अलर्ट हो गया था । रात के अंधेरे में मेरे सोने के बाद अम्मी का जागना हो सकता था । और सही भी था । मैने अपनी आँखें पल भर को खोली और झट से बंद कर ली
करवट लेटे हुए मेरे सामने जो नजारा मेरी आंखो के सामने आया उसे देखते ही भीतर से मेरे पूरे बदन में सरसरी उमड़ी और मै पूरी तरह से चेत गया । बंद आंखो में मेरे वो दृश्य उभर रहा था जो अभी अभी मैने देखा था

बेड के हेडबोर्ड पर, जहाँ लकड़ी की नक्काशी में पुराने फूलों के निशान उकेरे हुए थे, अम्मी उससे सटकर बैठी थी।उनका सिर हेडबोर्ड से टिका हुआ था, और उनकी साँसें थोड़ी तेज़ चल रही थीं। उन्होंने अपनी नाइटी को जाँघों तक उठा रखा था—वह हल्के रंग की नाइटी, जो पुरानी होने के बावजूद उनकी रोज़ की पसंद थी। कपड़ा उनकी त्वचा पर हल्का सिकुड़ा हुआ था, और बल्ब की सफेद रोशनी में उनकी दूधिया जाँघों की गोरी चमक साफ दिख रही थी। उनका एक हाथ उनकी पैंटी के अंदर था

GIF-20250407-194039-945

—वह सादी सफेद पैंटी, जो रोज़मर्रा की सादगी लिए हुए थी। उनकी उंगलियाँ धीरे-धीरे, लेकिन एक लय में हिल रही थीं, जैसे कोई गहरा तनाव या चाहत उन्हें जकड़े हुए हो।उनके दूसरे हाथ में मेरा मोबाइल था। स्क्रीन की नीली रोशनी उनके चेहरे पर पड़ रही थी, जिससे उनकी आँखों में एक अजीब सी चमक दिख रही थी। कानों में इयरफोन लगे हुए थे—वह सस्ते वाले काले इयरफोन, जिनके तार आपस में उलझे हुए थे। मोबाइल की स्क्रीन पर एक वीडियो कॉल चल रही थी। उनकी आवाज़ दबी हुई थी, जैसे वे किसी से धीरे-धीरे बात कर रही हों, शब्दों को होंठों के बीच दबाकर बोल रही हों। बीच-बीच में उनकी साँसें भारी हो जाती थीं, और उनकी उंगलियों की गति पैंटी में तेज़ हो जाती थी।

"उम्ममम सीईईई उम्हू नहीं मै नहीं आ सकती ऐसे , समझो उम्हू .... हा याद है न ( अम्मी एक गहरी आह भरते हुए बोली और उनकी उंगलियां पैंटी में चूत के गहरे घुस गई ) सीईईईई अह्ह्ह्ह्ह आप बहुत तंग करते है अह्ह्ह्ह्ह आपके शौक बहुत शरारती है अह्ह्ह्ह......

अम्मी की मीठी महीन कुनमुनाती हुई सिसकिया और शब्द सुनकर मेरे लंड में हरकत होने लगी थी । देर रात में अब्बू और अम्मी की बातें सुनने का मजा ही कुछ और था । लेकिन ये मजा दुगना हो जाता अगर अब्बू की शरारत भरी गंदी बातें सुनने को मिलती जो वो अम्मी के जिस्म की तारीफ ने कहते नहीं थकते थे

हम्ममम क्यों आपको नहीं अच्छा लगा था ? ( अम्मी की उंगलियां रुक गई और चेहरे पर शरारती भाव थे ) ........ धत्त बदमाश हो आप ( अम्मी ने दुबारा से पैंटी के ऊपर से चूत के फांके पर एक उंगली ऊपर नीचे करने लगी उनकी रसाई बुर से पैंटी पूरी पचपचाई हुई थी ) ...... क्या ? नहीं अब रखो हो गया ... मुझे नीद आ रही है आप हो कि ( अम्मी उबासी लेती हुई बोली ) ...... दिन में कहा शानू रहता है पूरे दिन और उसके अब्बू आ जायेंगे तो ये मौका भी गया हीही ( अम्मी खिलखिलाई और फिर शांत हो गई )

मेरे कान खड़े हो गए ये सोच कर कि क्या मैने जो सुना वो सही था । इतनी देर रात में अम्मी अब्बू के सिवा भला किस्से बाते कर रही थी .. कही वो कार वाला आदमी तो नहीं ?
एक बार फिर मै आवेश और उलझन से भर गया । कि अम्मी ने अब मेरे साथ साथ अब्बू को भी धोखा देने लगी ।

अम्मी ने फोन काट कर मोबाइल और इयरफोन बिस्तर पर रखा और उठ कर बाथरूम के लिए कमरे से बाहर निकल गई
जैसे ही वो निकली मैने लपक कर मोबाइल उठाया और व्हाट्सअप ओपन कर कालिंग लॉग देखा
उसमें Nagma2 करके नंबर सेव था और नम्बर चेक किया तो देखा ******2277 , उस नम्बर पर न कोई डीपी थी और ना कुछ अब एकदम से गोपनीय रखा हुआ था न ही उसपे कोई चैट की गई थी ।
मैने वापस मोबाइल रख दिया और वो नंबर दिमाग में रटने लगा ।

तभी कमरे में अम्मी लौटी और मुझे बिस्तर पर बैठे हुए पाया
मेरी आँखें अपनी अम्मी पर जमी थीं। मेरा चेहरा भ्रम और डर से भरा हुआ था।

"अम्मी... ये... ये क्या था?" (आवाज़ में मासूमियत थी, लेकिन साथ ही एक सवाल भी था, जिसका जवाब शायद उसकी अम्मी के पास नहीं था।)
अम्मी ने एक गहरी साँस ली, और उनके चेहरे पर शर्मिंदगी और डर साफ दिख रहा था।
"शानू... बेटा... कुछ नहीं... सो जा," उन्होंने कहा, लेकिन कमरे का माहौल अब बदल चुका था। मेरी जिज्ञासा और अम्मी की गुप्त चाहतों के बीच एक दीवार खड़ी हो गई थी।

: अम्मी ... अब्बू का मोबाइल बंद है चेक किया मैने ( मैने सख्ती दिखाने का महज प्रयास किया और अम्मी के चेहरे के भाव बदल गए)
वह अपनी माँ को हमेशा से एक मजबूत और साधारण औरत के रूप में देखता था—वह औरत जो सुबह जल्दी उठकर चूल्हा जलाती थी, उसे स्कूल के लिए तैयार करती थी, और रात को कहानिया थी। उसके लिए उसकी अम्मी सिर्फ उसके अब्बू की दीवानी थी लेकिन अब, उसकी आँखों के सामने जो कुछ हुआ था, वह उस छवि को तोड़ रहा था।उनकी अम्मी ने उसकी ओर देखा। उनकी आँखें नम थीं, और चेहरे पर शर्मिंदगी का एक भारी बोझ था।
वो बिना कुछ बोले मेरे करीब आई और मेरे सर को अपने गुदाज नर्म सीने से लगा लिया, अगले ही पल मै भाव विभोर होने लगा मानो अम्मी जादू से मेरे भीतर की उठ रही जिज्ञासाओ को मिटा देना चाहती हो ।

मैने हल्के से अपने सिर को पीछे खींच लिया। उसका यह छोटा सा इशारा अम्मी को वर्तमान में लाने का ।
: आप... आप उस फोन पर क्या कर रही थीं? मैंने हिचकिचाते हुए हिम्मत कर पूछा )
मेरी आवाज़ में मासूमियत थी, लेकिन साथ ही एक जिज्ञासा भी थी जो अब दब नहीं रही थी। उनकी अम्मी का चेहरा एक पल के लिए सख्त हो गया, जैसे वे कोई जवाब ढूँढ रही हों। लेकिन फिर उनकी आँखें फिर से नम हो गईं।
: बेटा... कुछ चीज़ें... कुछ चीज़ें तेरी माँ को भी समझ नहीं आतीं । ( उन्होंने धीरे से कहा। उनकी आवाज़ में एक टूटन थी, जैसे वे खुद से भी लड़ रही हों। )
: मै उस पल में बस कमजोर सी हो गई थी और ...कुछ गलत नहीं था। तू सो जा, सुबह सब ठीक हो जाएगा। ( अम्मी ने मेरे सर सहलाने हुए बोली और उनके चेहरे पर एक उम्मीद भरी मुस्कुराहट थी शायद वो चाह रही थी कि मै उनपर भरोसा बनाए रखूं)


मेरे के लिए सुबह का इंतज़ार अब आसान नहीं था। कमरे की बत्ती बुझ गई थी और करवट होकर अपनी अम्मी की ओर देखना चाहा तो कमरे का घुप अंधेरा मानो मुझे मेरी अम्मी से दूर ले जा रहा था ।


और पहली बार मुझे लगा कि मै उन्हें पूरी तरह नहीं जानता। मै हमेशा उनकी गोद में सिर रखकर सोता था, उनकी सूट की महक मुझे सुकून देती थी। लेकिन अब, उस महक के पीछे एक अनजाना सच छिपा हुआ था।
: अम्मी, आप मुझसे कुछ छिपा रही हैं न? ( मैने धीरे से उनसे लिपटे हुए कहा )
अम्मी ने एक गहरी साँस ली। उनके मन में शायद एक तूफान चल रहा था—शर्मिंदगी, डर, और अपने बेटे के सामने सच को छिपाने की मजबूरी।

: नहीं, बेटा... ऐसा कुछ नहीं है ( उन्होंने कहा, लेकिन उनकी बेचैन सांसे और मेरे कानो के पास तेज धड़कता दिल कुछ और कह रहा था )
हमने कोई बात नहीं की ... लाख सवाल और नाराजगी थी मन में लेकिन अम्मी की बाहों में लिपटने से मानो सारे सवालों के जवाब मिल गए हो सारे जख्म भर गए हो, भीतर का तनाव कम होने लगा था उनके मुलायम स्पर्श से और मै कब सो गया पता ही नहीं चला ।

सुबह की पहली किरणें खिड़की से कमरे में रोशनदान से दाखिल हुईं। मै अभी भी बेड पर लेटा था, आँखें खुली थीं, लेकिन मेरा मन रात की घटना में उलझा हुआ था। मैने कई बार करवट बदली, लेकिन नींद मुझसे कोसों दूर थी। अम्मी रसोई में थीं, और वहाँ से चूल्हे की हल्की खटपट की आवाज़ आ रही थी।कुछ देर बाद, दरवाज़े पर एक हल्की आहट हुई। अम्मी कमरे में दाखिल हुईं, उनकी आँखें अभी भी लाल थीं, जैसे रात भर रोने के निशान छिपे हों, लेकिन चेहरे पर एक कोशिश थी—अपने बेटे के सामने फिर से वही माँ बनने की, जो वह हमेशा से थीं।

: शानू, बेटा... उठ जा। सुबह हो गई, ( उनकी आवाज़ में हल्की कोमलता थी, लेकिन एक झिझक भी थी)

मैने ने धीरे से सिर उठाया और अपनी अम्मी की ओर देखा। मेरी आँखों में अभी भी सवाल थे, लेकिन अब उनमें डर कम और कुछ समझने की चाह ज़्यादा थी। मै बेड पर बैठ गया, और उनकी अम्मी पास बैठ गईं।

: रात को नींद ठीक से नहीं आई न? ( कनपटी के पास मेरे कानो को छूते हुए मेरे बालों को संवारते हुए वो बोली , उनकी आवाज़ में ममता थी, लेकिन साथ ही एक डर भी था कि शायद मै अब उनकी बातों का जवाब न दूं । )

मैने उनकी आंखों में देखा एक उम्मीद जो आंखों उठ रही थी उनके , चेहरे पर डर का वो भाव जिसे वो अपनी जबरन मुस्कुराहट से छिपाना चाहती थी उनके भीतर एक कंपकपी सी महसूस कर पा रहा था
: आप रो रही थी न .. अम्मी ( मैने मासूम होकर बोला , उनका दुलार उनका स्पर्श मुझमें हर बार बचपन भर देता था )
: बेटा ... ( उनकी आवाज भर्रा गई ) ... हा रो रही थी तेरी अम्मी भी तो एक इंसान है जो कभी कभी कमजोर सी पड़ जाती है ( उनकी आंखे छलक पड़ी अब ,और उन्होंने मेरे हाथ अपने हाथ में लिए , एक गर्माहट महसूस हो रही मुझे मेरे हाथों में ) लेकिन तू मेरे लिए सबसे बढ़ कर बेटा , तू ये कभी नहीं भूलना ।

मैने ने अपनी अम्मी के हाथ को देखा। वह हाथ, जो उसे हमेशा थपकी देकर सुलाता था, अब काँप रहा था।
: अम्मी, आप जो भी कर रही थीं... मुझे समझ नहीं आया। लेकिन मुझे डर लगा था कि आप मुझसे दूर जा रही हैं। ( मै धीरे से बोला एक मासूम डर था, जो उनकी अम्मी के सीने में चुभ गया। उन्होंने जल्दी से उसे अपने गले से लगा लिया।)

: नहीं, बेटा... मैं कहीं नहीं जा रही। तू मेरी जान है। रात को... रात को मैं बस एक कमज़ोर पल में थी। लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि मैं तेरी अम्मी नहीं हूँ। (उनकी आवाज़ में अब पछतावा था )

मैने अपनी अम्मी की गोद में सिर रख दिया, जैसे वह फिर से वही सुकून ढूँढ रहा हो जो उसे हमेशा मिलता था।
: अम्मी, आप मुझसे कुछ मत छिपाना। मुझे सब समझ नहीं आता, लेकिन मैं आपसे प्यार करता हूँ ( मैने धीरे से कहा और अम्मी की आँखों से आँसू टपक पड़े, लेकिन अब ये आँसू दुख के नहीं, राहत के थे )
उन्होंने मेरे सिर पर हाथ फेरा और कहा, "ठीक है, बेटा। अब कुछ भी तुझसे नहीं छिपाऊंगी , तेरा मुझपर उतना ही हक है जितना तेरे अब्बू का और तुझे भी वो सब जानने का हक है जो उन्हें है । आखिर तू भी तो मेरे जीवन का हिस्सा है मै क्यों समझ नहीं पाई ( अम्मी मानो अपनी उस वेदना को व्यक्त कर रही थी जो रात में सोचते हु उन्होंने सोची थी जिसके लिए उन्हें पछतावा था )

मै उनकी गोदी और दुबक गया और वो सिसकते हुए मुझे कस ली
: चल उठ और फ्रेश हो ले , फिर नाश्ता भी करना है न ? ( अम्मी ने मेरे सर को सहला कर कहा )
: अम्मी ... आप नहला दो न ( मैने भी उनके इमोशन का फायदा लेने का सोचा )
: धत्त बदमाश... जा नहा मै नहीं नहलाने वाली , उठ अब ( अम्मी वापस अपने रूप में आ गई , वैसे ही खिली हुई खुश और मेरी अम्मी जैसी )
: जा रहा हूं, लेकिन मुझे कुछ पूछना है आपसे , मतलब काफी कुछ है बताओगे न सब ( मै मुंह बना कर बोला )
: सोचूंगी ... हट अब ( अम्मी ने मेरे मजे लिए और मुझे गोदी से उतार दिया फिर बिस्तर से जाने लगी )
: अरे अभी मै नाराज ही हुं ( मैने उन्हें रोकना चाहा )
: अच्छा ... चल बड़ा आया ( अम्मी हंसके निकल गई और नाइटी में उनके चूतड़ों की थिरकन देख कर मै अपना सुपाड़ा मिज दिया )

नहाने नाश्ते के बाद हम दोनो कमरे में बैठे थे, एक चुप्पी सी थी हमारे बीच । अम्मी को हिचक थी कि मै क्या पूछने वाला हूं।

: अम्मी ..... मै परेशान हूं अभी भी ( मै उनके कंधे पर सर रखे हुए बोला , मेरे फैले हुए पैर की उंगलियां अम्मी के उंगलियों को सहला रही थी )
: क्या हुआ बेटा ... क्या सोच रहा है तू ( अम्मी के लहजे ने डर शामिल था उसके सांसों की तेजी मुझे महसूस हो रही थी )
: मुझे कुछ जानना है ?
ये सवाल किसी अंधेर जगह में उस दरवाजे की तरह था जिसके बारे में अम्मी के कल्पना करना कठिन था कि वो उनकी किस दुनिया को मेरे सामने ला खडा करेगा , साथ ही मेरे लिए भी जिज्ञासा पूर्ण था उस रोमांच के बारे में सोचना कि कैसे इन सब की शुरुआत हुई होगी ।
: क्या बोल न ? ( अम्मी अटक कर बोली )
मेरे जहन में कई सवाल थे मन में आ रहा था कि अभी पूछ लूं कि रात में अम्मी जिससे बात कर रही थी और वो गाड़ी में जो उन्हें छोड़ने आया था दोनों एक ही शख्स थे , मगर दिल नहीं मान रहा था कि अम्मी ईमानदारी दिखाएंगी । फिर ख्याल आया कि नानी और अब्बू के बारे में पूछ लू, मगर हाल ही में जो हुआ वो सोच कर हिम्मत नहीं थी कि नानी का टॉपिक छेड़ा जाए ।
फिर दिमाग में ख्याल आया अनायास नगमा मामी का क्योंकि अम्मी ने वो नम्बर भी नगमा मामी के नाम से ही सेव किया था ।
: वो नगमा मामी का क्या हुआ? ( मै थोड़ा डरा डरा सा हिम्मत करके बोला )
: नगमा को क्या होना है ? ( अम्मी को शायद मेरी बात समझ नहीं आई )
: नहीं वो आप उनको अब्बू से ... हुआ ? ( मै भीतर से थरथरा सा रहा था कही थप्पड़ पड़ ही न जाए इस गुस्ताखी के लिए )
: क्या ... तू पागल है ? तुझसे किसने कहा कि मै नगमा को तेरे अब्बू से .... ( अम्मी चौंकते हुए बोली )
अम्मी की आंखे चौकन्ना थी और मै थोड़ा डरा हुआ उनकी आंखों में देख रहा था ,
: वो .. वो मैने वीडियो देखी आप लोगों की ( मेरा इशारा उस रोज की तरफ था जब मैने अब्बू के लेपटॉप में मम्मी की मेमोरी कार्ड लगाई थी मगर पकड़ा गया था ) उसमें आप कह रहे थे ( खुद को सुरक्षित करने के भाव से थोड़ा पीछे होता हुआ मै बोला )

अम्मी के चेहरे रंग एकदम से गुलाबी होने लगा और वो मुस्कुराने लगी
: हा तो तुझे उससे क्या ? बोला होगा ? ( अम्मी ने फिर से बात को दबाने के लिए नाराज होने का नाटक कर रही थी जो मुझे पसंद नहीं आया )
: कुछ नहीं ... ( मै शांत ही गया , मेरे भीतर एक पोजेसिवनेस जैसा कुछ था जो मै महसूस कर पा रहा था जब अम्मी ने ऐसा कुछ जवाब दिया मुझे , मानो अम्मी मुझसे मेरा हक छिन रही थी )
कुछ देर तक अम्मी मुस्कुराते हुए मुझे घूरने लगी और फिर मै बिस्तर से सरक कर उतरने लगा ।
: अरे कहा जा रहा है... ( अम्मी के सवाल में हसी की खनक थी )
: अपने कमरे में पढ़ाई करने ( मै उखड़ कर जवाब दिया )
: अच्छा ठीक है नाराज मत हो .. बताती हूं ( अम्मी ने रोका मुझे ) आ इधर ... बड़ा आया पढ़ाई करने वाला जैसे मुझे नहीं पता कैसी पढ़ाई करता है तू

मै मुस्कुराने लगा कि अम्मी को सब पता है

मै मुस्कुराता हुआ घुटने के बल टेंग कर अम्मी के पास गया और उनसे लिपट गया
वो मुझे बाहों में लेकर मेरे गाल दुलारने लगी
: अम्मी बताओ न ( मै उनको हग करता हु बोला
: अब ... क्या बताऊं तुझे ( अम्मी के गाल खिले हुए थे , शर्माहट हिचक उनके चेहरे पर साफ झलक रही थी ) कहा से शुरू करूं क्या बताऊं कुछ समझ ही नहीं आ रहा है और तू है कि जिद कर रहा है ।
: अच्छा ये तो बताओ कि अब्बू और मामी मिले या नहीं ( मैने उनकी उलझन कम करने की कोशिश की )
: उम्मम .... हा मिल चुके है ( अम्मी शर्म से गाढ़ होती हुई मुस्कुराई )
: कब ? कहा ? ( मेरे भीतर हलचल होने लगी , लंड में हरकत होने लगी , लोवर में तनाव बढ़ने लगा )
: वो जब मै तेरे अब्बू के पास थी तो वही बुलवाया था उसे ( अम्मी के जवाबों में झिझक साफ झलक रही थी मानो ये सब बाते मुझसे करने में उन्हें कितनी शर्म आ रही थी और उन्हें कितना असहज लग रहा था सब )
: तो क्या ? अब्बू ने आपके सामने ही .... ( मै अपने कल्पनाओं की किताब खोलने लगा और लंड धीरे धीरे अपनी ताकत महसूस कर रहा था )
: हम्ममम ( अम्मी ने एक शब्द में अपनी बात पूरी की )
: और आप? ( मै लंड पकड़ कर मिस दिया लोवर के ऊपर से ) आप भी शामिल थी ?
: क्या मतलब ? ( अम्मी ने मुस्कुराते हुए मुझे देखा )
: मतलब क्या मामी के साथ अब्बू ने आपको भी चो... ( मेरा गला सूखने लगा था )
: तू कुछ ज्यादा नहीं सोचता है ( अम्मी ने आंखे महीन कर मुझे घूरते हुए मुस्कुराई )
: पता नहीं , बस ऐसे ही ख्याल आया क्योंकि अब्बू आपके सामने कर रहे होंगे तो आपका भी मन हुआ होगा न ? ( मैने थोड़ी मासूमियत दिखाई कुछ जिज्ञासा रखते हुए )
: हा लेकिन पहली बार में उतना आसान नहीं था ( अम्मी बातों को घुमाते हुए बोली )
: पहली बार ? कितने बार किया था अब्बू ने ( मै चौक कर बोला तो अम्मी की आंखे बड़ी हो गई मै समझ गया मेरा लहजा अभी अम्मी को अच्छा नहीं लगा) मेरा मतलब कितने रोज थी मामी वहां ?
: 3 दिन ( अम्मी आंखे नचा कर बोली और मुस्कुराने लगी )
: तो क्या बाद में आपने ज्वाइन किया था ( मै धीरे से अपना लंड खुजा कर बोला )
: हम्म्म ( अम्मी मुझसे नजरे चुराती हुई बोली , उनकी सांसे भारी हो रही थी ) तेरे अब्बू को जानता ही है कितने शरारती है वो । ( अम्मी शर्मा कर बोली )
: अच्छा लेकिन मुझे लगता है कि आप ज्यादा हो हिही ( मैने उन्हें छेड़ा )
: धत्त बदमाश, मै तो कुछ करती भी नहीं सब तेरे अब्बू ही करते है समझा ( अम्मी सफाई देते हुए लजा रही थी और मुस्कुरा रही थी )
: हा देखा है मैने कौन कितना शरारती है हीही ( मै खिलखिलाया और उन्हें छेड़ा )
अम्मी लाज से लाल हुई जा रही थी उनकी सांसे चढ़ने उतरने लगी थीं और मेरा लंड उनके फूलते चूचों को देख कर अकड़ने लगा था अब ।
: अब चुप रहेगा तू और वो क्या कर रहा है ( अम्मी का इशारा मेरे हाथ पर था जो लोवर के ऊपर से लंड को मिस रहा था )
: हीही , कुछ नहीं ( मैने वहा से हाथ हटा लिया )
: इतना जल्दी खड़ा हो गया तेरा ( अम्मी अचरज से बोली )
: हा वो आपकी और अब्बू की बातों से ये परेशान हो जाता है ( मै थोड़ा असहज होकर बोला )
: इतना पसंद है तुझे हमारी बातें ( अम्मी उत्सुक होकर बोली )
: बहुत ज्यादा , कितनी मजेदार होती है आपकी बातें और अब्बू जब आपकी तारीफ करते है तो उम्ममम ये और भी बड़ा हो जाता है ( मैने अपने पैर फैलाए जिससे लोवर में मेरा लंड एकदम से टाइट होकर खूंटे जैसा खड़ा हो गया और अम्मी ने उसे देखा )

: धत्त बदमाश, कितना गंदा हो गया है तू , शर्म नहीं आती तुझे अपनी अम्मी के बारे में वो सब सुनते हुए ( अम्मी ने मुझे टटोला )
: उम्हू , मुझे तो मजा आता है जब अब्बू आपके बारे में गंदा गंदा बोलते है ( अम्मी आंखे फाड़ कर मुझे देख रही थी ) सच्ची में ( मै पूरे विश्वास से बोला )
अम्मी चुप रही उनके चेहरे पर एक लाज भरी मुस्कुराहट थी शायद उन्हें अब थोड़ा थोड़ा मेरे बातों से गुदगुदी हो रही थी । उनकी एड़ीया आपस में उलझी हुई थी और वो अपने दोनों पैरों के अंगूठे एक दूसरे से रगड़ रही थी ।

: और जब आप मुझे खुद के साथ शामिल करती है तो मुझे और भी अच्छा लगता है ( मैने अपने दिल की बात कही अम्मी से )
: मैने कब किया तुझे शामिल ? ( अम्मी अचरज से बोली )
: क्यों उस रोज अब्बू को भेजने के लिए तस्वीरें मैने ही निकाली थी न ( मैने पुरानी यादें ताजा की )
: धत्त बदमाश, याद है मुझे और फोटो खींचने में ही तेरा ... हीही ( अम्मी मेरे झड़ने का मजाक उड़ाती हुई बोली )
: हा तो मेरी जगह कोई भी होता वो सीन देख कर पागल हो जाता जैसे मै हो गया , आपके बड़े बड़े (मै आगे बोलता तो अम्मी मुझे घूरने लगी ) इतना बड़ा सा तो है । मै तो बाजार में भी सब निहारते है आपको पीछे से ( मासूम होकर मैने अपने आप को सेफ जोन में कर लिया )
: धत्त इतने भी बड़े नहीं है ( अम्मी थोड़ा इतराई )
: विश्वास न हो तो अब्बू से पूछ लो ( मैने उन्हें छेड़ा )
: तू और तेरे अब्बू एक जैसे है , ना जाने तुम लोगों को क्या पसंद आता है उसमें ( अम्मी थोड़ा इतराई और लजाए )
: उफ्फ अम्मी आप क्या जानो , जो देखता है वो ही जानता है अपनी हालत , उस रोज जब आपने फैलाया उसको तो मै तो पागल ही हो गया , कितना बड़ा और गोल मटोल था उम्ममम अमीईईई अह्ह्ह्ह ( मै अम्मी के सामने बड़ी बेशर्मी से अपना लंड मसल दिया )


GNDKWa-SXc-AARDCv
: धत्त गंदा छोड़ उसे ... फिर गलत तरीके से कर रहा है । अभी कल समझाया न ( अम्मी ने मेरे हाथ को झटका )
: उम्मम अम्मी क्या करु तंग कर रहा है , कभी कभी मन करता है कि उखाड़ दूं ( मै सिहर कर बोला )
: धत्त पागल ( अम्मी हसी ) इसके साथ जबरजस्ती नहीं करते प्यार से करते है ( अम्मी ने लोवर के ऊपर से मेरे मूसल को थाम लिया )
उनके हाथों के स्पर्श से मै भीतर से सिहर उठा और आंखे उलटने लगा
: अह्ह्ह्ह अम्मीई सहलाओ न सीईईई अह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह गॉड ( मै अपना जिस्म अकड़ता हुआ बोला और अम्मी पूरी मजबूती से मुठ्ठी में मेरे लंड को भरे हुए थी । )
उन्होंने लोवर के ऊपर से मेरे लंड को खींचना शुरू किया मै और छटपटाने लगा और बिस्तर पर अकड़ने लगा

: क्या हो रहा है तुझे ( अम्मी फिकर में बोली )
: ऐसे ही होता है अम्मी हर बार , आपका टच मुझे पागल कर देता है और लगता है कि अभी निकल जाएगा ( मैने एक सास में अपनी बात कह दी )
: क्या इतना जल्दी ( अम्मी चौकी ) ऐसा नहीं होना चाहिए बेटा ( अम्मी फिकर में बोली )
: तो क्या करु अम्मी आप बताओ न ( मै उनकी आंखों में देखता हुआ बोला इस उम्मीद में कि शायद उनके पास कोई जवाब हो )
: तुझे ये सब सिर्फ मेरे साथ महसूस होता है या और भी किसी को देख कर ( अम्मी ने सहज सवाल किया )
: मैने तो आपके सिवा किसी को नहीं देखा ( सरल भाव से मैने अपनी दीवानगी जाहिर की अम्मी से )
: चल उठ खड़ा हो , निकाल ये सब ( अम्मी मेरे लोवर खींचने लगी )
मै उलझे हुए भाव में बिस्तर पर खड़ा हो गया और अपने कपड़े निकालने लगा

और धीरे धीरे मेरे जिस्म के सारे कपड़े बिस्तर पर थे और मेरा मोटा मूसल पाइप के जैसे सीधा तना हुआ अम्मी की ओर मुंह किए हुए
अम्मी ने मुझे नीचे उतारा और बिस्तर पर बिठाया ।

: खबरदार उसको हाथ लगाया तो ( अम्मी ने आंखे दिखा कर मुझे चेतावनी दी )
मेरा हलक सूखने लगा था लंड सास लेते हुए हवा में झूल रहा था , पूरे लंड में सुरसुराहट फैली हुई थी । जैसे नसों में कुछ रेंग सा रहा हो ।

: अम्मी , क्या करने जा रहे हो ( मै बेचैन होकर बोला )
अम्मी मुझे देखते हुए मुस्कुराने लगी और देखते ही देखते अपनी सलवार का नाडा खोलने लगी और घूम गई

मेरे दिल की धड़कने तेज होने लगी
लंड एकदम फड़फड़ाने लगा था
अगले ही अम्मी कबोर्ड का सहारा लेते हुए अपनी सलवार छोड़ दी जो सरकते हुए उनके पैरों में चली


IMG-20241112-WA0007
मेरी आँखें फैल गई और अगले ही पल अम्मी ने अपने नंगे भड़कीले चूतड़ों पर से सूट को कमर तक खींच लिया

: ओह्ह्ह गॉड फक्क्क् ओह्ह्ह्ह अमीईई अह्ह्ह्ह्ह ( अम्मी के नंगे चूतड़ों को देख मै भीतर से पागल होने लगा )
: उम्हू , मारूंगी अगर छुआ उसको तो ( अम्मी गर्दन घुमा कर मुझे लंड को छूते देखा तो डांट लगाई )
: उफ्फ अम्मी कितना बड़ा है आह्ह्ह्ह जल रहा है मेरा अह्ह्ह्ह आप टच कर दो न इसको ( मै हांफते हुए बोला )

अम्मी घूम कर मेरे तरफ आई और मै खड़ा हो गया उनके बराबर में आ अम्मी अपने पैरो से सलवार उतारते हुए मुस्कुराई और आगे बिस्तर पर घुटने के बल चलती हुई बिस्तर पर घोड़ी बन गई। उनकी बड़ी मोटी गाड़ उनके सूट के पर्दे से बाहर निकल आई थी , जांघों खूब फैल आकर टाइट

अगले ही पल अम्मी ने अपने चूतड़ हवा में हिलाने लगी


GIF-20250408-153406-423

: ओह्ह्ह्ह गॉड अमीईईई कितनी सेक्सी हो आप आह्ह्ह्ह मुझे पागल कर रहे हो ओह्ह्ह
: क्या बोला ( अम्मी ने घोड़ी बने हुए मुस्कुरा कर गर्दन घुमा कर मुझे देखा)
: आप मुझे पागल कर रहें हो ( मै मुस्कुराया )
: उससे पहले क्या बोला ( अम्मी बड़ी शरारती मुस्कुराहट के साथ अपने चूतड़ों से शूट को ऊपर खींचते हुए बोली )
जैसे जैसे अम्मी के चूतड़ नंगे होते गए मेरी आँखें फैलने लगी और सांसे चढ़ने लगी और लंड पूरा तन गया
: उफ्फ अम्मी आपकी बु.... ( मेरी नजर उनकी गदराई जांघों से झांकती बुर पर गई और मै मेरे हाथ लंड के पास ले जाना लगा )
: अंहां, नहीं ( अम्मी ने मुझे रोका और वापस से अपने नंगे चूतड़ों को हवा में उछाला )


GIF-20250408-153608-067
: उम्मम अह्ह्ह्ह्ह अमीईई कितनी सेक्सी हो आप आह्ह्ह्ह कितनी बड़ी है आह्ह्ह्ह ( मेरे भीतर तरंगों का सैलाब आया था लंड में बिजली सी दौड़ रही थी )
: क्या बड़ी है उम्ममम ( अम्मी ने अपने बाल झटक कर मुस्कुरा कर मेरी ओर देखा)
: आ.. आपकी गाड़ ओह्ह्ह्ह मन कर रहा है इसी पर झड़ जाऊ आह्ह्ह्ह अम्मीईई ओह्ह्ह्ह ( मै अपनी जांघें कस कर लंड को सहलाने को नाकाम कोशिश करने लगा )
: और नहीं देखेगा, इतना जल्दी झड़ जायेगा ( अम्मी ने उकसाया मुझे और मोटिवेट भी किया )
: हा हा दिखाओ न ( सूखते हलक को घोंटते हुए मै बोला )
मेरी जांघें बिस्तर पर घिस रही थी लंड को बिस्तर पर स्पर्श करा रहा था मै
और अगले ही पल अम्मी ने अपनी गाड़ और ऊपर उठाई और दोनों पंजों से फाड़ दी


IMG-20250405-WA0069
: ओह गॉड फक्क्क् यूयू अमीईई अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम अमीईईई कितनी सेक्सी गाड़ है आपकी अह्ह्ह्ह आपकी बुर कितनी लंबी है ( मै वासना में पागल सा होने लगा , विवेक कही गायब सा हो गया था मेरे लहजे में )
: पसंद है न तुझे मेरी गाड़ ( अम्मी अपने चूतड़ पर थपेड़ मारती हुई सवाल की )
: हा ( मै सर हिलाया )
: और क्या पसंद है बेटा ( अम्मी ने हवा में अपनी गाड़ हिलाती हुई बोली )
: आपके दूध सीईईई कितना बड़ा है और आपकी ओह्ह्ह उम्ममम अमीईईई आओ न प्लीज अह्ह्ह्ह्ह आजाओ जल रहा है नहीं रहा जा रहा है आजाओ न ( मै तड़पता हुआ बोला )

और अम्मी घुटने के बल पीछे आने लगी उनके बड़े भड़कीले चूतड हिलकौरे खाते हुए आपस में टकराते हुएं मेरी ओर बढ़ने लगे

मै हदस कर पीछे हो गया और अम्मी बेड से नीचे उतर गई , अभी भी अपनी गाड़ मेरी ओर किए हुए थी
: उम्मम ले आ गई और देखेगा ( अम्मी ने बिस्तर पर औंधे झुके हुए अपने पंजों से दुबारा अपने चूतड़ों को फाड़ दिया ) ले देख


GIF-20250408-203742-490
: उम्मम अम्मीई अह्ह्ह्ह आपकी गाड़ कितनी बड़ी और वो गुलाबी सुराख अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह अमीईई ( मै पागल सा होने लगा , मेरे लंड की नसे वीर्य से भर गई थी , सुपाड़े पर मानो पूरे बदन का खून भरने लगा , वो जलन वो पीड़ा सी उठ रही थी उसमें , अम्मी का रंडीपना देख कर आड़ो से लेकर सुपाड़े के मुहाने तक नसे डकार रही थी , बस एक स्पर्श और भलभला कर सारी गाढ़ी मलाई बाहर

GIF-20250408-203859-540
अम्मी पूरे जोश में अपने चूतड़ हिला रही थी कमरे उनके चूतड़ एक ताल में तालिया बजा रहे थे और हर ताल के साथ अम्मी के गाड़ और बुर की गुलाबी झलक मिल जाती
मानो दोनों मुझे बुला रही हो अपने करीब और मै दो कदम आगे बढ़ गया और लंड को जड़ से पकड़ कर अम्मी के गदराई मोटी मोटी गाड़ के दरारों में टिका दिया

मेरे गर्म तपते लंड का स्पर्श पाते ही अम्मी भीतर से मचल उठी , उनके भीतर अलग ही काम की ज्वाला उठी
: या अल्लाह ओह्ह्ह कितना गर्म.. ओह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह ( अम्मी मेरे लंड पर अपने चूतड़ फेकने लगी )
: अह्ह्ह्ह्ह अम्मी ओह्ह्ह्ह्ह बस ऐसे ही आयेगा अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्म फक्क्क् ओह्ह्ह्ह गॉड फक्क्क् यूयू अमीईईई अह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह अम्मीईई आह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह आ रहा है अह्ह्ह्ह
और अगले ही पल मै भलभला कर अपनी के गाड़ के सुराखों में झड़ने लगा


GIF-20250408-204047-726

खूब गाड़ी सफेद मलाई उनके मोटी गदराई गाड़ के सकरे दरारों में जाने लगी जो रिस कर अम्मी की बुर की ओर बढ़ने लगी और मै आखिरी बूंद के निचोड़ने तक अपना लंड अम्मी के गाड़ के दरारों में रखे रहा और अम्मी बेड पर अपनी गाड़ हवा में झुकी हुई हाफ रही थी

मै अपना लंड झाड़ कर दो बार उनके नरम चूतड़ों पर पटका और सुस्त होकर अम्मी के बगल में बिस्तर पर पैर लटका कर पसर गया वही अम्मी सरक पर नीचे फर्श पर घुटने के बल आ गई और बिस्तर पर सर रख कर सुस्ताने लगी ।

जारी रहेगी

कहानी की अगली कड़ी आपके प्रतिक्रियाओ पर निर्भर रहेगी
ज्यादा से ज्यादा रेवो और सपोर्ट करें ।
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 
Top