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फागुन के दिन चार भाग ३४ - मॉल में माल- महक पृष्ठ ३९८
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ekdm aur aag bhadkaane men bhi aage rahte hain TRP ke liyeचैनेल वाले भी भेड़ चाल का सा काम करते हैं...
और दूसरे से किसी भी हालत में कम नहीं दिखना चाहते हैं...
तो जो न कर जाएं .. कम हीं है...
aur yah jaankaari sirf Guddi de sakti thiलड़कियों ने भी अपना सारा इंतजाम कर रखा है...
कैसे स्कूल के बहाने .. अपने अपने सेटिंग के साथ...
लेकिन यही जानकारी आज काम आने वाली है...
ekdam sahi pakde hainमोहिनी मैडम का भी मोहिनी मंत्र चल गया मालूम होता है...
इसी कारण लेट आती हैं ..
और लड़कियों के भी मजे करने का समय मिल जाता है...
बात भी साली की थी, वो भी छोटी, कच्ची कली, एकदम कोरी, दर्जा नौ वाली और बोनस में उसकी दो सहेलियांसरकार से सौदेबाजी का जरिया हाथ से निकल गया..
तो जी जान से तदबीर लगा के... साधन को पुनः पकड़ना हीं बचाव का रास्ता....
लेकिन नायक भी कम सूरमा नहीं है..
कितनी सफाई से सारे जतन नाकाम किए...
खतरे ही खतरे,बम से बचे तो चाकू और फिर गोलियांखतरा टला नहीं...
अंधाधुंध फायरिंग ... चुम्मन की तो खिसयानी बिल्ली खंभा नोचे वाली हालत हो गई है....
सालियों का काम है खुलवाना और जीजा का काम है खोलनाये क्या.. अंदर भी दुश्मन और बाहर भी दुश्मन के सहायक ..
तीनों लड़कियों अभी बोल्ट खुलवाया...
आगे बुर खुल्वाएंगी...
कॉपियों के बंडल का काम .. तमाम होने से बचा लिया...
लेकिन बाहर के गिद्ध कौन से कम थे...
ये तो खबरों की ऐसी की तैसी कर अपने चैनल की टीआरपी बढवाएंगे..
फिर किस्मत ने भी साथ दिया..
बिना किसी की नजर में आए..
एकदम गुड्डी के पास...
सस्पेंस और थ्रिलर साथ साथमुखबिर कौन...
ताला किसने लगवाया...
अब तो और सस्पेंस...
ऐक्शन शुरूक्या नजारा पेश किया है...
एकदम पोस्टरों से ढंके किसी भी शहर का माहौल..
खासकर स्कूलों के आस-पास..
लेकिन ऑन ग्राउंड रियलिटी ...
आनंद बाबू को अब सामना करना पड़ेगा..