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Adultery चाँद के पार

AnitaDelhiUttamnagar

Mai hoon hard muslims lund ki, ek hindu kutiya
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UPDATE-6

समर ने दव्वाब बढ़ाया और बड़े कामुक ढंग से अपनी कमर को गोल गोल घूमने लगा कि,

अह्ह्ह मेरी आँखें बंद हो गई और में सिसक उठी ,

सिसकी इतनी तेज थी कि रूम के बहार खड़ा कोई भी आराम से मेरी उस आवाज़ को सुन सकता हो ,
और शायद सुनी भी हो ,,,,,

उसने मेरे पेरो को अपनी हाथो कि जकड़ से आज़ाद किया और ,,,
उसके हाथ मेरी जांघ पर घूमते हुए । उसके अहसास का लुफ्त लेते हुए , मेरी चूत के साइड में पहुँच कर रुक गए ,

हम्ममम

मैंने उसके दोनों हाथ के अंगूठो को मेरी चूत के बिलकुल पास ,
इतना पास कि चूत का उभरना जहां से शुरू होता वहां पर , उसके अंगूठे दोनों तरफ हलके हलके सहलाने लगे ,

उसके इस सहकाने से , वो सनसनाहट पैदा हुई कि मैं बलखा गई ।।।
मेरी आँखें अपने आप ऊपर कि तरफ पलटने लगी ,,,

और मेरी कमर समर कि तर्ज ऊपर कि ओर उठ गई , जैसे बोल रही हो समर से कि मसल दो मेरी चूत को ,

मगर वो पठ्ठा साफ़ लग रहा था कि मुझसे खेलना चाह रहा है, थोड़ी दे वहीँ सहलाने के बाद उसके हाथ मेरी कमर पर घूमते हुए ,
हल्का हल्का बीच बीच में कमर के साइड के मीट को दबाते हुए ऊपर कि तरफ बड़े ,

क्या हो तुम मेरी।
।।समर कि आवाज़ टकराई मेरे कानो में।।
बोलो अनीता क्या हो तुम मेरी ?

इसका जवाब सोच कर देना अब मेरे बस में नहीं था, मुँह अपने अप्प खुला ,,,जुबान हिली ओर शब्द निकला

आपकी कुतिया हूं मैं ,,,

मेरी कुतिया है न तू ?
समर कि फुसफुसाहट पागल कर रही थी ,,,

हाँ ,,हूँ ,,, हाँ --- दो बार एक साथ हाँ निकला मेरे मुँह से जैसे सब यांत्रिक हो रहा हो ओर में बस एक रोबोट हूँ ,

फ़र्ज़ क्या है तेरा अब मेरी जान ? बोल न --समर फिर फुसफुसाया ,,

कोई जवाब इस बार न दे सकी ,,

कियुँकि सोच कर बोलना अब बस में नहीं था मेरे बस हाँ या न बोल सकती थी ,
,सेक्स वासना ने इतना गिरा दिया था मुझे ,,

मेरी जान बोल न अपना फ़र्ज़ ,, बोल,
समर ने फिर पुछा ,,इस बार उसकी आवाज़ ज्यादा ही फुसफसाहट ओर लम्बी खींचती हुई थी ।।

बोल जान ,,,

ओर मेरे दिमाग ने शायद मेरी जुबान का साथ देना शुरू कर दिया था , ओर मेरे दिल को भी अपनी भागीदारी में रख लिया था ,,,

तभी तो मेरे मुँह से ये शब्द निकले ,

आपको खुश रखना मेरा फ़र्ज़ है ।।।
समर के मुँह से सिसकी सी निकली ,,,

yesssssssssssssssss यस जान हाँ तू खुश करेगी न मुझे ।।

हम्म इस हम्म में मेरी हाँ थी

ओर अह्ह्ह्ह में चीख पड़ी ।।

समर इतना उतावला हो गया था कि उसके हाथ ने मेरे बूब्स को बेरहमी से दबा दिए , दबाये क्या थे बस ये समझ लो कि कस कर भिचंते हुए गोल घूमते हुए मरोड़ दिए थे ।


माँ आईई ,,,, धीरे रेरेरे ,, में चीख पड़ी थी ,,

चीख बहार सुनी गई होगी रूम से ,पक्का कह कह सकती हूँ , रिसेप्शन से हमारा रूम सिर्फ लगभग ७-८ मीटर कि दुरी पर होगा ,
रिसेप्शन से साइड में एक लॉबी थी उसी लॉबी में पहला रूम था हमारा

खुश करेगी न,,जान मुझे ,,
इन शब्दों के साथ एक बार ओर मेरे बूब्स को समर के पंजो ने मरोड़ दिया
मगर इस बार मरोड़ पहली वाली मरोड़ने से थोड़ी कम थी , शायद वो संभल गया था

खुद ब खुद मेरे मुँह से निकला ,,,,, हाँ हैं करूंगी उफ्फ्फ अहह करूंगी खुश करूंगी ।।
न जाने कोन सी ताकत थी जो मुझे बेशर्म बनlती जा रही थी ,

मेरी इस बात पर समर फिर सिसकी ले कर yesss को कुछ ज्यादा हे खींचकर बोलते हुए टूट पड़ा मेरे ऊपर,

एक हाथ से मेरी ठोड़ी पकड़ी ओर रख दिए अपने सख्त होठ मेरे होठो पर.........

उसके होठो ने मेरे कोमल होठो को अपने गिरफ्त मे इस तरह लिया कि मेरा अपना सिर हिलाकर बचने का कोई सवाल ही ना रहा,
एक्सपर्ट है वो मैं समझ गई थी अब कियुँकि मेरे होठो फिर एक बार जैसे किसी वैक्यूम क्लीनर ने खींचे हो, इस तरह एक पल मे ही खींच लिया उसके होठो ने अपने अंदर मेरे दोनों होठो को..
ममममममम... कि हलकी कराह.. और मै उसके चुंगल मे फांसी अपनी सांस पे काबू पाने कि कोशिश करने लगी l

अहह...उसका ढेर सारा थूक एक साथ मेरे होठो के बीच समाता चला गया कियुँकि पीछे से उसकी जुबान का बेहिसाब दवाब जो पड़ा था मेरे होठो के बीच मे...

एक दम उसके मुँह के अंदर का कसेला स्वाद और हलकी सी कुछ अलग सी.. जैसे मुँह को कुछ घंटो से कुल्ला ना करा गया हो... कुछ ऐसी हलकी बहुत हलकी बदबू...
मेरे मुँह मे समाती चली गई

Ooyaaa एक दम मैने मुँह खोलकर अपनी सांस बहार निकल चाही,
सच तो ये है कि मुँह अपने आप खुल गया था उस कसेले स्वाद, बहुत सारे थूक और हलकी अजीब सी बदबू से..
मेरा ऊपर वाला होंठ उसकी पकड़ से आज़ाद हुआ
और उसके ऊपर वाले होंठ के साइड से बाहर निकल आया,

बिलकुल गीला था मेरा वो होंठ..
बस यही गलती हुई और समर कि जुबान मेरी जुबान के ऊपर से फिसलती हुई लगभग मेरे हलक के पहले तक एक झटके मे पहुंच गई

सख्त जुबान,,,, शायद उसने जुबान को सख्त करके लम्बी नोकीली करके ये हमला किया था..

आआक़कहहह... ओऊ उहहह ... एक दम जैसे उलटी होगी इस तरह फील हुआ,

बहुत सारा थूक मेरे हलक के अंदर उतर गया, चिपचपा
लार सा...

गन्दा सा.. छी ::::
अब भी सोचती हूँ तो झुरझुरी आ जाती है

वो चिपचपा सा गाड़ा तरल नहीं था, बल्कि यूँ बोल सकते है कि वो तरल कि तरह ही नहीं था, वो जैसे बुलबुले अकराहट से भरे हुए,, अजीब सा था

मै describe नहीं कर पर रही. सॉरी दोस्तों

वोमिट तो नहीं हुए मगर वोमिट जैसे फील ने मेरा मुँह और ज्यादा खोल दिया था, मैंने सिर अलग करना चाहा मगर नहीं कर सकी, समर ने अब मेरे सर को जकड़ रखा था.

मैंने उसकी जुबान से बचने को अपना मुझे बंद किया तो
मेरे होंठ फिर उसके होठो के बीच फ़स गए जुबान तो उसने बाहर खींच ली मगर अब वो जुबान मेरे दोनों होठो को रगड रही थी,

दांतो मे फिर मेरे होठो को दबा लिया गया था, और जुबान से चाटा जा रहा था

थूक और लार मेरे होठो के बीच बार बार अंदर धकेली जाती
और होठो के ऊपर भी बहुत सारो लार चपर चपर जैसे आवाज़ ला कारण बन रही थी

समर ने गहरी सांस ली और टूट पड़ा फिर चूसने लगा मेरे होठो को
आअह्ह्ह हल्के दर्द से भरी मेरी कराह फूट पड़ी

और फिर ना जाने क्यों फिर एक बार जैसे काले घरे बादल सेक्स के आगोश मे मुझे ले जा रहे थे

मुझे ना जाने क्यों वो आवाज़ और गिला पन अच्छा लगने लगा

और मैंने अपने शरीर के साथ अपने होठो के मांसपेशियों को ढीला छोड़ दिया

मेरा मुँह अपने आप खुल गया और बेशरम जुबान खुद समर कि जुबान से मिल गई,

उसकी जुबान ने सख्त होते हुए मेरी जुबान से खेलना शुरू किया
कभी ऊपर फिसलती कभी निचे

मै भी कोशिश कर रही थी कि उसकी जुबान को समेट लू..

अपनी जुबान से मगर इस खेल मे मुझे सांस रोककर उसके लार और थूक का एक बड़ा घूंट गटकना पड़ा

वही कसेला स्वाद और हलकी बदबू मगर इस बार मै बह रही थी समर के तूफ़ान मे उसके साथ

वो बदबू अब मुझे अच्छी लग थी थी बल्कि उससे मुझे नशा सा हो रहा था

मेरे दोनों पैर खुद हि और ज्यादा खुल गए कि समर जो मेरी टांगो के बीच था उसकी लण्ड कि रगड मेरी चूत पर ठीक से पड़े
और बदले मे समर ने कमर का दवाब बढ़ायाl

अह्ह्ह चूत पर उसका लण्ड और सख्त मेसूस हुआ जैसे जीन्स को फाड़कर अंदर रगड देगा

उस दवाब के बाद समर का दवाब निचे से ऊपर कि तरह रगड़ता हुआ गया
...एआईई ीीे उफ्फ्फ्फ़ माँ मा माँ मै चीख सी पड़ी,

मस्ती कि तरंग दौड़ पड़ी चूत से निप्पल से होती हुई दिमाग़ तक

मानो पैंट और जीन्स के ऊपर से ही चूत के मांस को रगड के छील देगा समर आज,,

अब उसके दांये हाथ ने मेरे टॉप को निचे से पकड़ा और अपना माल समझते हुए बेदर्दी से ऊपर करना शुरू किया

अह्ह्ह्ह मै कराह उठी, उसके बेदर्द पन के कारण मेरे टॉप कि रगड़ पीछे मेरी कमर पर पड़ी, जैसे किसी ने कोई सख्त कपड़ा रगड दिया को पीछे कमर पर, वहाँ टॉप सिमट कर एक लाइन मे होकर सख्त हो गया था

समर रुका मेरी इस कराह पर
शायद वो समझ गया था मेरी परेशानी को

वो उठ कर बैठ गया

मेरी ओर देखते हुए बोला
जान मेरी.. चल उतर दे इसको उसका इशारा मेरे टॉप के तरफ था

उतार दे...
ओर मै कुछ ना बोली
उसकी आँखों मे देखती हुई मैंने निचे से अपना टॉप पकड़ा
और
और
और ऊपर किया....... ऊपर कमर कि हिस्से को देखते ही समर कि आँखे जैसे फैल गई
बेसब्र सा घूर रहा था..
मै रुक गई उसकी और देखकर मुस्कुराई

वो एकदम बोल उठा
उतार दे साली उतार... ना...

पहली बार मैंने इस तरह सेक्स मे गाली सुनी थी
एक बार को तो मेरे हाथ ठिठक गए
मै उसकी तरफ देखने लगी..

मेरी बीवी है ना तू अब?
उसके इस सवाल पे बस " हम्म्म.." शब्द निकला मेरे मुह से..

तो साली उतार दे इसको..

ना जाने दूसरी बार साली शब्द ने क्या हिट या जादू किया एक दम मेरे मुझे से सिसकी निकली और सेक्स बेहटा चला आया मेरे मस्तिष्क मे

उफ्फफ्फ्फ़ यस अह्ह्ह सिसकी के साथ मेरे हाथ टॉप को पकड़े हुए ऊपर उठते चले गये l

और समर जैसे चिल्ला पड़ा
हाँ क्या बात है साली
...
मस्त... मस्त ये मस्त शब्द इतना जोर से बोला था समर ने कि होटल मे दूर तक सुना गया होगा

खोल ना पूरा... यर मुझे साफ याद है समर के शब्द आउट इन शब्दों के असर मे मैंने टॉप उतार के नीचे डाल डाल दिया था l

मै ब्रा मै बैठी थी समर के सामने
मगर अब शरम नहीं थी मेरे अंदर

और समर ने सामने बैठे बैठे मेरी ब्रा के ऊपर से ही मेरे बूब्स पकड़ लिए
सीईई लम्बी सांस समर कि और मेरी हल्की चीख ahhhh
दब गये थे मेरे बूब्स समर के हाथो मे
उफ्फ्फ

फिर अगले पल
आइईईई चीख निकल गई मेरी
लम्बी चीख जोर से थी वो...

ये चीख भी रिसेप्शन पर सुनी गई होंगी

मगर सेक्स अब काम कर चूका था

ना जाने कब मैंने अपने दोनों हाथ पीछे करते हुए पीछे बेड से टिकाये और अपने बूब्स को और उठा दिया समर कि तरफ कि वो और इनका मर्दन कर सके

मस्ती आ रही है साली तुझे.. बोल ना

समर कि आवाज़ मेरे दिमाग़ के कई कोनो मे एक साथ टकराई

और जवाब मे मेरे मुह से निकला
हाँ... जी हाँ

साली तू पूरी चालू है..
है ना तू चालू?
समर के इस सवाल का मै क्या जवाब देती

मै कुछ बोलने लायक ही ना थी अब

बस सेक्स बोल रहा था अब मेरी जुबान मे बैठ कर
हाँ हाँ हू हूँ... ये शब्द थे वो जिसनर समर को कॉन्फिडेंस दिया और...

तू तो कुतिया है है ना.
तू है ना कुतिया. बोल ना साली

इस सवाल पर....

Yes जी हाँ Iam a bitch.. आपकी bitch..
शायद इतना तो समर को भी उम्मीद नहीं होंगी कि मै बोल दूंगी

मगर अब मुझे भूख थी उसके लण्ड की..
मुझे भूख थी की कोई भी कोई भी मैंने कहा कोई भी मुझे चोद दे अब

मै त्यार थी.. टाँगे खोलने के लिए, समर हो या कोई और आ जाये अब फर्क नहीं पड़ता था





मैंने समर की आँखों मे देखा
वो मुस्कुरा रहा था, मगर अब उसकी मुस्कुराहट वैसी मासूम नहीं थी,....

उसकी होठो पर ऐसे भाव थे जैसे उसके होठो पर नाचती मुस्कुराहट बोल रही हो...

साली आज फ़सी है तू... तुझे तो चूस जाऊंगा...

मैंने एक दम अपनी नज़रो को नीचे झुका लिया,
हिम्मत ही नहीं हो पाई ki. उसकी आँखों मे और ज्यादा देख पाऊं

उसकी दांये हाथ की एक ऊँगली ने मेरे ब्रा के बीच, मेरे बूब्स के बिलकुल बीच गहरी तराई मे धीरे से प्रवेश किया
और उसकी वो ऊँगली हुक के शेप मे मुड़ गई


अह्ह्ह्ह सी निकल गई मेरी फिर एक बार फिर..
एक दम थोड़ा झटके से खिंचा था उसने मेरी ब्रा को ऊँगली मे फसा के
कि मै आगे की तरफ झटका खा कर झुकती चली गई, मेरे दोनों हाथ एक दम आगे आकर बेड के सहारे से मुझे ना बचाते तो मेरा मुँह सीधा समर के चेहरे से टकराता और मुझे चोट लग सकती थी..

ब्रा के स्ट्रैप उस खींचने के कारण मेरे कंधो और बगल के नीचे थोड़ा पीछे की तरफ खींच की टीस महसूस कराते चले गये...

उफ्फ्फ्फ़ माँ अह्ह्ह......... फिर एक बार और निकला मेरे मुँह से उस टीस पर...

समर की तरफ एक दम से निगाह अपने आप उठ गई..
निगाह मिलते ही उसने अपनी जुबान निकली और अपने होठो पर फेर ली..

जैसे चिड़ा रहा हो वो मुझे और साथ ही साथ मेरी हालत का अहसास भी दिला रहा हो..

पागल हूँ मै कि ना जाने क्यों मैंने उस हरकत के बदले, उस टीस से उभरते हुए,
मैंने अपने दोनों होंठ दाँत पीसते हुए खोले और अपनी जुबान सख्त करते हुए धीरे से बहार निकली....

फिर मेरी वो जुबान मेरे ऊपरी होठो के ऊपर अपने आप फिर गई.. बांये कोने से दांये कोने तक......

ससीईई... समर के मुँह से साफ सिसकी निकलती मैंने सुनी...

इससे पहले मै कुछ कहती समर बोल उठा..
अह्ह्ह.. वाह बड़ी आग भरी है तुझमे तो..

और एक फरमाईश भी आ गई उसकी...

एक बार और निकाल जुबान.. निकल ना

समर की इस फरमाइश पर मुझे क्या करना चाहिए था?
पता नहीं....

मगर मैंने फिर अपनी जुबान बहार निकली, इस बार जुबान गीली थी मेरे ही थूक से, और उस गीली जुबान को अपने होठो पर,
नीचे वाले होठो से गोल घुमाते हुए ऊपर वाले होंठ के ऊपर से फिर एक बार धीरे से फिर गोल घुमाते हुए, अपने होठो को अपने ही थूक से गिला करते हुए जुबान फिर अंदर चली गई..

अह्ह्ह्हह साली.... समर के ये शब्द बिलकुल साफ सुने मैंने..

समर थोड़ा पास आया और फिर मैंने जाना की उसकी उंगलियां मेरे ब्रा के स्ट्रैप्स को मेरे कंधो से नीचे सरका रही है

मै चुपचाप बैठी थी...... नीचे मुँह किये

समर के हाथ फिर मेरे पीठ के पीछे तक गये, समर झुका था मेरी ओर हल्का सा और.....

हलकी सी सकककक की आवाज़ के साथ मेरी ब्रा ढीली होते हुए मेरे दोनों हाथो के बाज़ूओं मे झूल गई

दिल अब धड़क रहा था मेरा, वो पल और पास आ गया, जिस पल मै उसके नीचे सिर्फ एक भोग वस्तु बन पीसी जानी थी


समर ने मेरे दोनों कलाई पकड़ी, खुद कलाई उसके खींचने के कारण उसकी ओर सीधी होती चली गई

समर के हाथ फिसले और..... मेरी ब्रा मेरे दोनों हाथो से फिसलती हुए समर के सामने नीची पड़ी थी.....

शायद यही इनकी सही जगह थी, जहाँ समर ने उनको रखा,,,,, समर ने ब्रा को उठा कर जमीन मे फेक दिया,

उनको उनकी सही जगह...और सही औकात दिखा दी गई थी समर के द्वारा....


ऊपर चलते पंखे की हवा सीधे मेरे निप्पल से टकराई..
मैंने साफ उनको अकड़ते महसूस किया, निप्पल गिर औऱ सख्त होते गये..

समर मेरे बूब्स को घूर रहा था.. जैसे बिल्ले को उसका मनपसंद दूध मिल गया हो

अगले ही पल मेरी हसीं छूट गई औऱ साथ मे कराह भी
अहह समर ने मेरी दोनों कलाइयों को पकड़ मुझेअपनी ओर खींच लिया था

मै उसके सीने से जा लगी थी

अच्छा ही हुआ बूब्स को निप्पल छिपाने की जगह समर की छाती मे मिल गई थी

मगर ये सोच अगले ही पल टूट गई.. समर का पंजा मेरे बाये बूब पर कसता चला गया

उई ईई माँ... धीरे प्लीज.. अह्ह्ह्ह
उसकी उंगलियों की हरकत ने जैसे मुझे चीखने की मशीन बना दिया था

आइए प्लीज समर आह्ह
ओर साथ मे मेरे अंदर एक भुखी bitch जन्म ले बैठी थी

सांस तेज होकर बगावत कर चुकी थी
उस पिसने के हलके दर्द मे भी मुझे मजा आ रहा था,

मैंने अपने होंठ आगे बढ़ाये ओर समर के होंठ पर अपने होंठ रख दिए..
इससे पहले समर बाज़ी अपने हाथ मे लेता और मेरे होठो पर कब्ज़ा करता, मैंने उसका निचला होंठ अपने दांतो मे दबा लिया था..
अब बस बहुत हुआ, ये शर्माना, मैंने समर के निचला होंठ इस तरह दबा लिया था कि अब समर छुड़ा के तो दिखाए,
आह्ह समर कि कराह उसके हलक से निकली,

भाड़ मे जाये समर और उसका दर्द, मैंने उसके दाँत और कस कर दांतो के बीच दबाये कि लगभग काट ही दिए उसके होंठ,
मेरे दाँत अपने आप इस तरह मशीन कि तरह आगे से पीछेचलने लगे कि उसका निचले होंठ का आउट हिस्सा मेरे मुँह मे समता चला गया
एक हाथ से उसके बाल पकड़े और दूसरा हाथ उसके गर्दन के पीछे लपेट लिया कस कर, मै लगभग अपने घुटनो के बल हो चुकी थी उसपर अपने शरीर का भार डालती हुई,

उसके होंठ को चूसना शुरू किया, चुभलाने लगी उसके होंठ को और गिला करती हुई अपना बदला लेने लगी, मेरी निगोड़ी जुबान कहाँ अब पीछे रहती, एक पूरा हमला और गुस्ती चली गई जुबान उसके होठो के बीच.........

अगले ही पल और कुछ कर पाती..
कि आआह्ह्ह्हह
चीख निकल गई मेरी
समर ने पूरी ताकत से मेरा बूब्स दबा दिया था

माँ उई ई ीे ई माँ

बस इतना चीख पाई कि समर ने बाज़ी बदल दी मेरी कमर मे दूसरा हाथ डालकर उसने मुझे लगभग पलट दिया मै उसके सामने मगर थोड़ा बगल मे बेड पर गिर और समर टूट पड़ा

उसका हमला सीधे मेरे निप्पल पर था

अह्ह्ह (साला मुझे क्या अपनी प्रॉपर्टी समझ लिया उसने )...

उसके दांतो ने लगभग काट ही डाला था मेरे दांये निप्पल को अपने मुँह मे भरकर.

दांतो से दबा कर इस तरह खिंचा कि

उफ्फ्फ्फ़ मै फिर चीख पड़ी
निप्पल के आस पास का एलोरा (ब्राउन सर्किल ) को भी उसने मुँह मे भर लिया और अह्ह्ह्ह मा उफ्फ्फ
सिसकी निकल पड़ी मेरी जब उसकी जुबान ने हलके प्रेशर के साथ निप्पल को कुरेदा

अह्हह्ह्ह्ह yes yes एस्सस

मेरे होंठ मस्ती मे भिंच गये

मेरे मन ने चीख के कहा..... पी जाओ मुझे समर प्लीज पी जाओ


बना दो आज मुझे अपनी पालतू कुतिया

और मेरे मुँह से निकल ही पड़ा

प्लीज ।। आह्हः प्लीज यूज़ मी ,,,,,,,,,,,,,,,, यस यूज़ मी

समर ने एक दम ऊपर मेरे चेहरे की तरफ देखा ,

फिर जुबान बहार निकाल मेरे निप्पल पर पूरी ताक़त से दबाते हुए मेरी गर्दन तक चाटता हुआ ले गया ,
उसके होठ मेरे कानो के पास आये और उसने फुसफुसाते हुए जो कहा कि मैं सेक्स की आग में उफनती हुई चली गई

साली रांड ,,, तू है ही बस इस्तमाल करने के लिए ,,

हलकी सी हसीं उसके बाद, मैंने साफ़ सुनी थी उसकी ।। और फिर कुछ शब्द भी मेरे कानो से मेरे जहन में गरम पिघले शीशे कि तरह उतरते चले गए ,,,,,,,,,,,,,

तुझे तो आज मैं घोड़ी बनाऊंगा , ।

।फिर वो फिर एक बार हल्का सा हसा ।।।

क्या बनाऊंगा तुझे ? समर ने कुछ अपने शब्दों को खींचते हुए पुछा

बोल ना ,,


और मेरे मुँह से अपने आप निकल पड़ा ,, " आपकी घोड़ी "

वहहहह वाह ,,कहते हुए समर फिर हंस पड़ा मगर इस बार उसकी हंसी तेज थी

मैंने अपने अंदर थोड़ी guilty महसूस की ,,,, मगर अब किया ही क्या जा सकता था , बाज़ी तो अब समर के हाथ में थी

कुछ और सोच पाती
कि तभी समर ने मेरे गाल को अपने दांये हाथ कि अंगूठेऔर चार उँगलियों को गालो के दोनों तरफ रखकर
इस तरह दबाया कि मेरे होठ गोल शेप में उभर क्र ऊपर उठ गए ,

और समर के होठो ने उनको अपने कब्ज़े में लेने में देर न की ,,,

मममम,,, मममम ,,,,,,
कि आवाज़ ही निकल पा रही थी मेरे मुँह से ,

समर के होठ अब मेरे होठो को अपनी गिरफ्त में लेके उहने चूस रहे थे ,
मैं फिर होश खोने लगी और मेरा एक हाथ अपने आप समर के गर्दन के पीछे पहुँच गया , ।

उसकी गर्दन को मैंने कब सहलाना शुरू क्र दिया इसका मुझे भी होश नहीं था ,
सांस अब फिर तेज और सीना मेरा मेरे बूब्स को उठाते हुए तेजी से ऊपर निचे हो रहे थे ,

तभी समर ने अपनी छाती का पूरा बोझ मेरे बूब्स पर डाला ,,,


अह्ह्ह अह्ह्ह्हह ओह्ह्ह ओह ।।।। डाब गए मेरे बूब्स पूरी तरह उनकी छाती के नीचे,,

हाय राम पीस ही डालेगा ये आज मेरी इन कोमल गोल छतियो को ,,,

उफ़ मेरी साँसों का तूफ़ान बूब्स पिसनेके कारण और मेरी छाती दबने के कारण एक दम बाहर निकली
कि जैसे किसी ने गुब्बारे को दबा कर उसकी हवा निकल दी हो ,

एक पल को लगा पसली ही टूट जायगी ।।

अह्ह्ह उम्मम्म,,,,,,,, माँ ,,,, बस इतना हे निकला मेरे हलक से ,
पूरी कोशिश की मैंने कि सांस फिर से भर सकू अपनी पसलियों में मगर इससे पहले सांस लेती

समर मेरे होठो को चूसते हुए थोड़ा सा और ऊपर हो आया कि उसका वजन पूरा फिर मेरी छाती पर पड़ा


हक़्क़क़ आउच ,,,,,,कक्क्क्क मेरी सांस एक झटके में मेरी पसलियों से मेरे मुँह और नाक से बहार निकली,
मेरी आँखें एक पल को बड़ी हो गई

समर के होठो से ेल पल को मेरे होठ छूटे मगर पल पूरा होने से पहले समर ने झपट क मेरे होठ फिर अपने होठो के बीच कैद कर लिए ,

फिर मेरे ऊपर वाले होठ को दांतो में दबा कर इस कदर ऊपर कि तरफ खिंचा कि मेरे दांतो कि पंक्तिया साफ़ नुमाया हो गई
जैसे होठ अलविदा कह रहे दांतो की लाइन से ।।


ीीी ीे इ इ इ इ ी इ इ ।।। मैं बस इ इ इ इ इ इ करके चीख सकी,

समर ने मेरे होठ खोले और पीछे हो कर सीधा बैठ गया ,
उसकी टाँगे मुड़ी हुई कुछ इस तरह थी कि मेरे हिप्स उसके जांघो के ऊपर आ गए थे ,

उसके दोनों घुटने मेरे जांघो के नीचे से दोनों तरफ मेरी कमर के दोनों तरफ थे ,

और मेरे दोनों पैर अलग अलग हुए समर के कमर के दोनों ओर से बहार होते हुए उसके पीछे जा रहे थे ,

अजीब सी हालत थी मेरी हुए ऊपर से मैं कमर के ऊपर पूरी नंगी थी

समर मुस्कुराया ओर उसके हाथ मेरी नाभि पर घूमने लगे ,

अहह मैं उसकी इस हरकत पर सिसकती हुई बलखा गई

माँ अहह ,,,, बस इतना कह पाई मैं ,,

दोनों हाथो से मेरी कमर के दोनों तरफ हल्के से सहलाता हुआ वो अपनी उँगलियों को मेरे नाभी स्थल तक लता ,

गोल- गोल करते हुए मेरी नाभी पर उंगलिया ओर नाख़ून से हल्के से सहलाता

उफ़ उफ़ उफ्फफ्फ्फ़ ठण्ड सी उठ पड़ी , फुरफुरी ओर ठंड सी कुछ कि मेरा रोम रोम खड़ा हो गया ,,, अह्ह्ह मा

कमर के दोनों ओर से उठकर फुरफुरी नाभी से टकराती और फिर कमर पेट से हलचल सी मचाती हुई निपल और बूब्स के साइड तक फेल जाती ,

अहह
सच में दोस्तों इस हरकत से मुझे ठण्ड जैसे फुरफुरी होने लगी थी , मैं बिलख पड़ी ,

समर कि तरफ देखा तो वो बस मेरे बूब्स को घूर रहा था तो कभी मेरी नाभी को


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समर ने दव्वाब बढ़ाया और बड़े कामुक ढंग से अपनी कमर को गोल गोल घूमने लगा कि,

अह्ह्ह मेरी आँखें बंद हो गई और में सिसक उठी ,

सिसकी इतनी तेज थी कि रूम के बहार खड़ा कोई भी आराम से मेरी उस आवाज़ को सुन सकता हो ,
और शायद सुनी भी हो ,,,,,

उसने मेरे पेरो को अपनी हाथो कि जकड़ से आज़ाद किया और ,,,
उसके हाथ मेरी जांघ पर घूमते हुए । उसके अहसास का लुफ्त लेते हुए , मेरी चूत के साइड में पहुँच कर रुक गए ,

हम्ममम

मैंने उसके दोनों हाथ के अंगूठो को मेरी चूत के बिलकुल पास ,
इतना पास कि चूत का उभरना जहां से शुरू होता वहां पर , उसके अंगूठे दोनों तरफ हलके हलके सहलाने लगे ,

उसके इस सहकाने से , वो सनसनाहट पैदा हुई कि मैं बलखा गई ।।।
मेरी आँखें अपने आप ऊपर कि तरफ पलटने लगी ,,,

और मेरी कमर समर कि तर्ज ऊपर कि ओर उठ गई , जैसे बोल रही हो समर से कि मसल दो मेरी चूत को ,

मगर वो पठ्ठा साफ़ लग रहा था कि मुझसे खेलना चाह रहा है, थोड़ी दे वहीँ सहलाने के बाद उसके हाथ मेरी कमर पर घूमते हुए ,
हल्का हल्का बीच बीच में कमर के साइड के मीट को दबाते हुए ऊपर कि तरफ बड़े ,

क्या हो तुम मेरी।
।।समर कि आवाज़ टकराई मेरे कानो में।।
बोलो अनीता क्या हो तुम मेरी ?

इसका जवाब सोच कर देना अब मेरे बस में नहीं था, मुँह अपने अप्प खुला ,,,जुबान हिली ओर शब्द निकला

आपकी कुतिया हूं मैं ,,,

मेरी कुतिया है न तू ?
समर कि फुसफुसाहट पागल कर रही थी ,,,

हाँ ,,हूँ ,,, हाँ --- दो बार एक साथ हाँ निकला मेरे मुँह से जैसे सब यांत्रिक हो रहा हो ओर में बस एक रोबोट हूँ ,

फ़र्ज़ क्या है तेरा अब मेरी जान ? बोल न --समर फिर फुसफुसाया ,,

कोई जवाब इस बार न दे सकी ,,

कियुँकि सोच कर बोलना अब बस में नहीं था मेरे बस हाँ या न बोल सकती थी ,
,सेक्स वासना ने इतना गिरा दिया था मुझे ,,

मेरी जान बोल न अपना फ़र्ज़ ,, बोल,
समर ने फिर पुछा ,,इस बार उसकी आवाज़ ज्यादा ही फुसफसाहट ओर लम्बी खींचती हुई थी ।।

बोल जान ,,,

ओर मेरे दिमाग ने शायद मेरी जुबान का साथ देना शुरू कर दिया था , ओर मेरे दिल को भी अपनी भागीदारी में रख लिया था ,,,

तभी तो मेरे मुँह से ये शब्द निकले ,

आपको खुश रखना मेरा फ़र्ज़ है ।।।
समर के मुँह से सिसकी सी निकली ,,,

yesssssssssssssssss यस जान हाँ तू खुश करेगी न मुझे ।।

हम्म इस हम्म में मेरी हाँ थी

ओर अह्ह्ह्ह में चीख पड़ी ।।

समर इतना उतावला हो गया था कि उसके हाथ ने मेरे बूब्स को बेरहमी से दबा दिए , दबाये क्या थे बस ये समझ लो कि कस कर भिचंते हुए गोल घूमते हुए मरोड़ दिए थे ।


माँ आईई ,,,, धीरे रेरेरे ,, में चीख पड़ी थी ,,

चीख बहार सुनी गई होगी रूम से ,पक्का कह कह सकती हूँ , रिसेप्शन से हमारा रूम सिर्फ लगभग ७-८ मीटर कि दुरी पर होगा ,
रिसेप्शन से साइड में एक लॉबी थी उसी लॉबी में पहला रूम था हमारा

खुश करेगी न,,जान मुझे ,,
इन शब्दों के साथ एक बार ओर मेरे बूब्स को समर के पंजो ने मरोड़ दिया
मगर इस बार मरोड़ पहली वाली मरोड़ने से थोड़ी कम थी , शायद वो संभल गया था

खुद ब खुद मेरे मुँह से निकला ,,,,, हाँ हैं करूंगी उफ्फ्फ अहह करूंगी खुश करूंगी ।।
न जाने कोन सी ताकत थी जो मुझे बेशर्म बनlती जा रही थी ,

मेरी इस बात पर समर फिर सिसकी ले कर yesss को कुछ ज्यादा हे खींचकर बोलते हुए टूट पड़ा मेरे ऊपर,

एक हाथ से मेरी ठोड़ी पकड़ी ओर रख दिए अपने सख्त होठ मेरे होठो पर.........

उसके होठो ने मेरे कोमल होठो को अपने गिरफ्त मे इस तरह लिया कि मेरा अपना सिर हिलाकर बचने का कोई सवाल ही ना रहा,
एक्सपर्ट है वो मैं समझ गई थी अब कियुँकि मेरे होठो फिर एक बार जैसे किसी वैक्यूम क्लीनर ने खींचे हो, इस तरह एक पल मे ही खींच लिया उसके होठो ने अपने अंदर मेरे दोनों होठो को..
ममममममम... कि हलकी कराह.. और मै उसके चुंगल मे फांसी अपनी सांस पे काबू पाने कि कोशिश करने लगी l

अहह...उसका ढेर सारा थूक एक साथ मेरे होठो के बीच समाता चला गया कियुँकि पीछे से उसकी जुबान का बेहिसाब दवाब जो पड़ा था मेरे होठो के बीच मे...

एक दम उसके मुँह के अंदर का कसेला स्वाद और हलकी सी कुछ अलग सी.. जैसे मुँह को कुछ घंटो से कुल्ला ना करा गया हो... कुछ ऐसी हलकी बहुत हलकी बदबू...
मेरे मुँह मे समाती चली गई

Ooyaaa एक दम मैने मुँह खोलकर अपनी सांस बहार निकल चाही,
सच तो ये है कि मुँह अपने आप खुल गया था उस कसेले स्वाद, बहुत सारे थूक और हलकी अजीब सी बदबू से..
मेरा ऊपर वाला होंठ उसकी पकड़ से आज़ाद हुआ
और उसके ऊपर वाले होंठ के साइड से बाहर निकल आया,

बिलकुल गीला था मेरा वो होंठ..
बस यही गलती हुई और समर कि जुबान मेरी जुबान के ऊपर से फिसलती हुई लगभग मेरे हलक के पहले तक एक झटके मे पहुंच गई

सख्त जुबान,,,, शायद उसने जुबान को सख्त करके लम्बी नोकीली करके ये हमला किया था..

आआक़कहहह... ओऊ उहहह ... एक दम जैसे उलटी होगी इस तरह फील हुआ,

बहुत सारा थूक मेरे हलक के अंदर उतर गया, चिपचपा
लार सा...

गन्दा सा.. छी ::::
अब भी सोचती हूँ तो झुरझुरी आ जाती है

वो चिपचपा सा गाड़ा तरल नहीं था, बल्कि यूँ बोल सकते है कि वो तरल कि तरह ही नहीं था, वो जैसे बुलबुले अकराहट से भरे हुए,, अजीब सा था

मै describe नहीं कर पर रही. सॉरी दोस्तों

वोमिट तो नहीं हुए मगर वोमिट जैसे फील ने मेरा मुँह और ज्यादा खोल दिया था, मैंने सिर अलग करना चाहा मगर नहीं कर सकी, समर ने अब मेरे सर को जकड़ रखा था.

मैंने उसकी जुबान से बचने को अपना मुझे बंद किया तो
मेरे होंठ फिर उसके होठो के बीच फ़स गए जुबान तो उसने बाहर खींच ली मगर अब वो जुबान मेरे दोनों होठो को रगड रही थी,

दांतो मे फिर मेरे होठो को दबा लिया गया था, और जुबान से चाटा जा रहा था

थूक और लार मेरे होठो के बीच बार बार अंदर धकेली जाती
और होठो के ऊपर भी बहुत सारो लार चपर चपर जैसे आवाज़ ला कारण बन रही थी

समर ने गहरी सांस ली और टूट पड़ा फिर चूसने लगा मेरे होठो को
आअह्ह्ह हल्के दर्द से भरी मेरी कराह फूट पड़ी

और फिर ना जाने क्यों फिर एक बार जैसे काले घरे बादल सेक्स के आगोश मे मुझे ले जा रहे थे

मुझे ना जाने क्यों वो आवाज़ और गिला पन अच्छा लगने लगा

और मैंने अपने शरीर के साथ अपने होठो के मांसपेशियों को ढीला छोड़ दिया

मेरा मुँह अपने आप खुल गया और बेशरम जुबान खुद समर कि जुबान से मिल गई,

उसकी जुबान ने सख्त होते हुए मेरी जुबान से खेलना शुरू किया
कभी ऊपर फिसलती कभी निचे

मै भी कोशिश कर रही थी कि उसकी जुबान को समेट लू..

अपनी जुबान से मगर इस खेल मे मुझे सांस रोककर उसके लार और थूक का एक बड़ा घूंट गटकना पड़ा

वही कसेला स्वाद और हलकी बदबू मगर इस बार मै बह रही थी समर के तूफ़ान मे उसके साथ

वो बदबू अब मुझे अच्छी लग थी थी बल्कि उससे मुझे नशा सा हो रहा था

मेरे दोनों पैर खुद हि और ज्यादा खुल गए कि समर जो मेरी टांगो के बीच था उसकी लण्ड कि रगड मेरी चूत पर ठीक से पड़े
और बदले मे समर ने कमर का दवाब बढ़ायाl

अह्ह्ह चूत पर उसका लण्ड और सख्त मेसूस हुआ जैसे जीन्स को फाड़कर अंदर रगड देगा

उस दवाब के बाद समर का दवाब निचे से ऊपर कि तरह रगड़ता हुआ गया
...एआईई ीीे उफ्फ्फ्फ़ माँ मा माँ मै चीख सी पड़ी,

मस्ती कि तरंग दौड़ पड़ी चूत से निप्पल से होती हुई दिमाग़ तक

मानो पैंट और जीन्स के ऊपर से ही चूत के मांस को रगड के छील देगा समर आज,,

अब उसके दांये हाथ ने मेरे टॉप को निचे से पकड़ा और अपना माल समझते हुए बेदर्दी से ऊपर करना शुरू किया

अह्ह्ह्ह मै कराह उठी, उसके बेदर्द पन के कारण मेरे टॉप कि रगड़ पीछे मेरी कमर पर पड़ी, जैसे किसी ने कोई सख्त कपड़ा रगड दिया को पीछे कमर पर, वहाँ टॉप सिमट कर एक लाइन मे होकर सख्त हो गया था

समर रुका मेरी इस कराह पर
शायद वो समझ गया था मेरी परेशानी को

वो उठ कर बैठ गया

मेरी ओर देखते हुए बोला
जान मेरी.. चल उतर दे इसको उसका इशारा मेरे टॉप के तरफ था

उतार दे...
ओर मै कुछ ना बोली
उसकी आँखों मे देखती हुई मैंने निचे से अपना टॉप पकड़ा
और
और
और ऊपर किया....... ऊपर कमर कि हिस्से को देखते ही समर कि आँखे जैसे फैल गई
बेसब्र सा घूर रहा था..
मै रुक गई उसकी और देखकर मुस्कुराई

वो एकदम बोल उठा
उतार दे साली उतार... ना...

पहली बार मैंने इस तरह सेक्स मे गाली सुनी थी
एक बार को तो मेरे हाथ ठिठक गए
मै उसकी तरफ देखने लगी..

मेरी बीवी है ना तू अब?
उसके इस सवाल पे बस " हम्म्म.." शब्द निकला मेरे मुह से..

तो साली उतार दे इसको..

ना जाने दूसरी बार साली शब्द ने क्या हिट या जादू किया एक दम मेरे मुझे से सिसकी निकली और सेक्स बेहटा चला आया मेरे मस्तिष्क मे

उफ्फफ्फ्फ़ यस अह्ह्ह सिसकी के साथ मेरे हाथ टॉप को पकड़े हुए ऊपर उठते चले गये l

और समर जैसे चिल्ला पड़ा
हाँ क्या बात है साली
...
मस्त... मस्त ये मस्त शब्द इतना जोर से बोला था समर ने कि होटल मे दूर तक सुना गया होगा

खोल ना पूरा... यर मुझे साफ याद है समर के शब्द आउट इन शब्दों के असर मे मैंने टॉप उतार के नीचे डाल डाल दिया था l

मै ब्रा मै बैठी थी समर के सामने
मगर अब शरम नहीं थी मेरे अंदर

और समर ने सामने बैठे बैठे मेरी ब्रा के ऊपर से ही मेरे बूब्स पकड़ लिए
सीईई लम्बी सांस समर कि और मेरी हल्की चीख ahhhh
दब गये थे मेरे बूब्स समर के हाथो मे
उफ्फ्फ

फिर अगले पल
आइईईई चीख निकल गई मेरी
लम्बी चीख जोर से थी वो...

ये चीख भी रिसेप्शन पर सुनी गई होंगी

मगर सेक्स अब काम कर चूका था

ना जाने कब मैंने अपने दोनों हाथ पीछे करते हुए पीछे बेड से टिकाये और अपने बूब्स को और उठा दिया समर कि तरफ कि वो और इनका मर्दन कर सके

मस्ती आ रही है साली तुझे.. बोल ना

समर कि आवाज़ मेरे दिमाग़ के कई कोनो मे एक साथ टकराई

और जवाब मे मेरे मुह से निकला
हाँ... जी हाँ

साली तू पूरी चालू है..
है ना तू चालू?
समर के इस सवाल का मै क्या जवाब देती

मै कुछ बोलने लायक ही ना थी अब

बस सेक्स बोल रहा था अब मेरी जुबान मे बैठ कर
हाँ हाँ हू हूँ... ये शब्द थे वो जिसनर समर को कॉन्फिडेंस दिया और...

तू तो कुतिया है है ना.
तू है ना कुतिया. बोल ना साली

इस सवाल पर....

Yes जी हाँ Iam a bitch.. आपकी bitch..
शायद इतना तो समर को भी उम्मीद नहीं होंगी कि मै बोल दूंगी

मगर अब मुझे भूख थी उसके लण्ड की..
मुझे भूख थी की कोई भी कोई भी मैंने कहा कोई भी मुझे चोद दे अब

मै त्यार थी.. टाँगे खोलने के लिए, समर हो या कोई और आ जाये अब फर्क नहीं पड़ता था





मैंने समर की आँखों मे देखा
वो मुस्कुरा रहा था, मगर अब उसकी मुस्कुराहट वैसी मासूम नहीं थी,....

उसकी होठो पर ऐसे भाव थे जैसे उसके होठो पर नाचती मुस्कुराहट बोल रही हो...

साली आज फ़सी है तू... तुझे तो चूस जाऊंगा...

मैंने एक दम अपनी नज़रो को नीचे झुका लिया,
हिम्मत ही नहीं हो पाई ki. उसकी आँखों मे और ज्यादा देख पाऊं

उसकी दांये हाथ की एक ऊँगली ने मेरे ब्रा के बीच, मेरे बूब्स के बिलकुल बीच गहरी तराई मे धीरे से प्रवेश किया
और उसकी वो ऊँगली हुक के शेप मे मुड़ गई


अह्ह्ह्ह सी निकल गई मेरी फिर एक बार फिर..
एक दम थोड़ा झटके से खिंचा था उसने मेरी ब्रा को ऊँगली मे फसा के
कि मै आगे की तरफ झटका खा कर झुकती चली गई, मेरे दोनों हाथ एक दम आगे आकर बेड के सहारे से मुझे ना बचाते तो मेरा मुँह सीधा समर के चेहरे से टकराता और मुझे चोट लग सकती थी..

ब्रा के स्ट्रैप उस खींचने के कारण मेरे कंधो और बगल के नीचे थोड़ा पीछे की तरफ खींच की टीस महसूस कराते चले गये...

उफ्फ्फ्फ़ माँ अह्ह्ह......... फिर एक बार और निकला मेरे मुँह से उस टीस पर...

समर की तरफ एक दम से निगाह अपने आप उठ गई..
निगाह मिलते ही उसने अपनी जुबान निकली और अपने होठो पर फेर ली..

जैसे चिड़ा रहा हो वो मुझे और साथ ही साथ मेरी हालत का अहसास भी दिला रहा हो..

पागल हूँ मै कि ना जाने क्यों मैंने उस हरकत के बदले, उस टीस से उभरते हुए,
मैंने अपने दोनों होंठ दाँत पीसते हुए खोले और अपनी जुबान सख्त करते हुए धीरे से बहार निकली....

फिर मेरी वो जुबान मेरे ऊपरी होठो के ऊपर अपने आप फिर गई.. बांये कोने से दांये कोने तक......

ससीईई... समर के मुँह से साफ सिसकी निकलती मैंने सुनी...

इससे पहले मै कुछ कहती समर बोल उठा..
अह्ह्ह.. वाह बड़ी आग भरी है तुझमे तो..

और एक फरमाईश भी आ गई उसकी...

एक बार और निकाल जुबान.. निकल ना

समर की इस फरमाइश पर मुझे क्या करना चाहिए था?
पता नहीं....

मगर मैंने फिर अपनी जुबान बहार निकली, इस बार जुबान गीली थी मेरे ही थूक से, और उस गीली जुबान को अपने होठो पर,
नीचे वाले होठो से गोल घुमाते हुए ऊपर वाले होंठ के ऊपर से फिर एक बार धीरे से फिर गोल घुमाते हुए, अपने होठो को अपने ही थूक से गिला करते हुए जुबान फिर अंदर चली गई..

अह्ह्ह्हह साली.... समर के ये शब्द बिलकुल साफ सुने मैंने..

समर थोड़ा पास आया और फिर मैंने जाना की उसकी उंगलियां मेरे ब्रा के स्ट्रैप्स को मेरे कंधो से नीचे सरका रही है

मै चुपचाप बैठी थी...... नीचे मुँह किये

समर के हाथ फिर मेरे पीठ के पीछे तक गये, समर झुका था मेरी ओर हल्का सा और.....

हलकी सी सकककक की आवाज़ के साथ मेरी ब्रा ढीली होते हुए मेरे दोनों हाथो के बाज़ूओं मे झूल गई

दिल अब धड़क रहा था मेरा, वो पल और पास आ गया, जिस पल मै उसके नीचे सिर्फ एक भोग वस्तु बन पीसी जानी थी


समर ने मेरे दोनों कलाई पकड़ी, खुद कलाई उसके खींचने के कारण उसकी ओर सीधी होती चली गई

समर के हाथ फिसले और..... मेरी ब्रा मेरे दोनों हाथो से फिसलती हुए समर के सामने नीची पड़ी थी.....

शायद यही इनकी सही जगह थी, जहाँ समर ने उनको रखा,,,,, समर ने ब्रा को उठा कर जमीन मे फेक दिया,

उनको उनकी सही जगह...और सही औकात दिखा दी गई थी समर के द्वारा....


ऊपर चलते पंखे की हवा सीधे मेरे निप्पल से टकराई..
मैंने साफ उनको अकड़ते महसूस किया, निप्पल गिर औऱ सख्त होते गये..

समर मेरे बूब्स को घूर रहा था.. जैसे बिल्ले को उसका मनपसंद दूध मिल गया हो

अगले ही पल मेरी हसीं छूट गई औऱ साथ मे कराह भी
अहह समर ने मेरी दोनों कलाइयों को पकड़ मुझेअपनी ओर खींच लिया था

मै उसके सीने से जा लगी थी

अच्छा ही हुआ बूब्स को निप्पल छिपाने की जगह समर की छाती मे मिल गई थी

मगर ये सोच अगले ही पल टूट गई.. समर का पंजा मेरे बाये बूब पर कसता चला गया

उई ईई माँ... धीरे प्लीज.. अह्ह्ह्ह
उसकी उंगलियों की हरकत ने जैसे मुझे चीखने की मशीन बना दिया था

आइए प्लीज समर आह्ह
ओर साथ मे मेरे अंदर एक भुखी bitch जन्म ले बैठी थी

सांस तेज होकर बगावत कर चुकी थी
उस पिसने के हलके दर्द मे भी मुझे मजा आ रहा था,

मैंने अपने होंठ आगे बढ़ाये ओर समर के होंठ पर अपने होंठ रख दिए..
इससे पहले समर बाज़ी अपने हाथ मे लेता और मेरे होठो पर कब्ज़ा करता, मैंने उसका निचला होंठ अपने दांतो मे दबा लिया था..
अब बस बहुत हुआ, ये शर्माना, मैंने समर के निचला होंठ इस तरह दबा लिया था कि अब समर छुड़ा के तो दिखाए,
आह्ह समर कि कराह उसके हलक से निकली,

भाड़ मे जाये समर और उसका दर्द, मैंने उसके दाँत और कस कर दांतो के बीच दबाये कि लगभग काट ही दिए उसके होंठ,
मेरे दाँत अपने आप इस तरह मशीन कि तरह आगे से पीछेचलने लगे कि उसका निचले होंठ का आउट हिस्सा मेरे मुँह मे समता चला गया
एक हाथ से उसके बाल पकड़े और दूसरा हाथ उसके गर्दन के पीछे लपेट लिया कस कर, मै लगभग अपने घुटनो के बल हो चुकी थी उसपर अपने शरीर का भार डालती हुई,

उसके होंठ को चूसना शुरू किया, चुभलाने लगी उसके होंठ को और गिला करती हुई अपना बदला लेने लगी, मेरी निगोड़ी जुबान कहाँ अब पीछे रहती, एक पूरा हमला और गुस्ती चली गई जुबान उसके होठो के बीच.........

अगले ही पल और कुछ कर पाती..
कि आआह्ह्ह्हह
चीख निकल गई मेरी
समर ने पूरी ताकत से मेरा बूब्स दबा दिया था

माँ उई ई ीे ई माँ

बस इतना चीख पाई कि समर ने बाज़ी बदल दी मेरी कमर मे दूसरा हाथ डालकर उसने मुझे लगभग पलट दिया मै उसके सामने मगर थोड़ा बगल मे बेड पर गिर और समर टूट पड़ा

उसका हमला सीधे मेरे निप्पल पर था

अह्ह्ह (साला मुझे क्या अपनी प्रॉपर्टी समझ लिया उसने )...

उसके दांतो ने लगभग काट ही डाला था मेरे दांये निप्पल को अपने मुँह मे भरकर.

दांतो से दबा कर इस तरह खिंचा कि

उफ्फ्फ्फ़ मै फिर चीख पड़ी
निप्पल के आस पास का एलोरा (ब्राउन सर्किल ) को भी उसने मुँह मे भर लिया और अह्ह्ह्ह मा उफ्फ्फ
सिसकी निकल पड़ी मेरी जब उसकी जुबान ने हलके प्रेशर के साथ निप्पल को कुरेदा

अह्हह्ह्ह्ह yes yes एस्सस

मेरे होंठ मस्ती मे भिंच गये

मेरे मन ने चीख के कहा..... पी जाओ मुझे समर प्लीज पी जाओ


बना दो आज मुझे अपनी पालतू कुतिया

और मेरे मुँह से निकल ही पड़ा

प्लीज ।। आह्हः प्लीज यूज़ मी ,,,,,,,,,,,,,,,, यस यूज़ मी

समर ने एक दम ऊपर मेरे चेहरे की तरफ देखा ,

फिर जुबान बहार निकाल मेरे निप्पल पर पूरी ताक़त से दबाते हुए मेरी गर्दन तक चाटता हुआ ले गया ,
उसके होठ मेरे कानो के पास आये और उसने फुसफुसाते हुए जो कहा कि मैं सेक्स की आग में उफनती हुई चली गई

साली रांड ,,, तू है ही बस इस्तमाल करने के लिए ,,

हलकी सी हसीं उसके बाद, मैंने साफ़ सुनी थी उसकी ।। और फिर कुछ शब्द भी मेरे कानो से मेरे जहन में गरम पिघले शीशे कि तरह उतरते चले गए ,,,,,,,,,,,,,

तुझे तो आज मैं घोड़ी बनाऊंगा , ।

।फिर वो फिर एक बार हल्का सा हसा ।।।

क्या बनाऊंगा तुझे ? समर ने कुछ अपने शब्दों को खींचते हुए पुछा

बोल ना ,,


और मेरे मुँह से अपने आप निकल पड़ा ,, " आपकी घोड़ी "

वहहहह वाह ,,कहते हुए समर फिर हंस पड़ा मगर इस बार उसकी हंसी तेज थी

मैंने अपने अंदर थोड़ी guilty महसूस की ,,,, मगर अब किया ही क्या जा सकता था , बाज़ी तो अब समर के हाथ में थी

कुछ और सोच पाती
कि तभी समर ने मेरे गाल को अपने दांये हाथ कि अंगूठेऔर चार उँगलियों को गालो के दोनों तरफ रखकर
इस तरह दबाया कि मेरे होठ गोल शेप में उभर क्र ऊपर उठ गए ,

और समर के होठो ने उनको अपने कब्ज़े में लेने में देर न की ,,,

मममम,,, मममम ,,,,,,
कि आवाज़ ही निकल पा रही थी मेरे मुँह से ,

समर के होठ अब मेरे होठो को अपनी गिरफ्त में लेके उहने चूस रहे थे ,
मैं फिर होश खोने लगी और मेरा एक हाथ अपने आप समर के गर्दन के पीछे पहुँच गया , ।

उसकी गर्दन को मैंने कब सहलाना शुरू क्र दिया इसका मुझे भी होश नहीं था ,
सांस अब फिर तेज और सीना मेरा मेरे बूब्स को उठाते हुए तेजी से ऊपर निचे हो रहे थे ,

तभी समर ने अपनी छाती का पूरा बोझ मेरे बूब्स पर डाला ,,,


अह्ह्ह अह्ह्ह्हह ओह्ह्ह ओह ।।।। डाब गए मेरे बूब्स पूरी तरह उनकी छाती के नीचे,,

हाय राम पीस ही डालेगा ये आज मेरी इन कोमल गोल छतियो को ,,,

उफ़ मेरी साँसों का तूफ़ान बूब्स पिसनेके कारण और मेरी छाती दबने के कारण एक दम बाहर निकली
कि जैसे किसी ने गुब्बारे को दबा कर उसकी हवा निकल दी हो ,

एक पल को लगा पसली ही टूट जायगी ।।

अह्ह्ह उम्मम्म,,,,,,,, माँ ,,,, बस इतना हे निकला मेरे हलक से ,
पूरी कोशिश की मैंने कि सांस फिर से भर सकू अपनी पसलियों में मगर इससे पहले सांस लेती

समर मेरे होठो को चूसते हुए थोड़ा सा और ऊपर हो आया कि उसका वजन पूरा फिर मेरी छाती पर पड़ा


हक़्क़क़ आउच ,,,,,,कक्क्क्क मेरी सांस एक झटके में मेरी पसलियों से मेरे मुँह और नाक से बहार निकली,
मेरी आँखें एक पल को बड़ी हो गई

समर के होठो से ेल पल को मेरे होठ छूटे मगर पल पूरा होने से पहले समर ने झपट क मेरे होठ फिर अपने होठो के बीच कैद कर लिए ,

फिर मेरे ऊपर वाले होठ को दांतो में दबा कर इस कदर ऊपर कि तरफ खिंचा कि मेरे दांतो कि पंक्तिया साफ़ नुमाया हो गई
जैसे होठ अलविदा कह रहे दांतो की लाइन से ।।


ीीी ीे इ इ इ इ ी इ इ ।।। मैं बस इ इ इ इ इ इ करके चीख सकी,

समर ने मेरे होठ खोले और पीछे हो कर सीधा बैठ गया ,
उसकी टाँगे मुड़ी हुई कुछ इस तरह थी कि मेरे हिप्स उसके जांघो के ऊपर आ गए थे ,

उसके दोनों घुटने मेरे जांघो के नीचे से दोनों तरफ मेरी कमर के दोनों तरफ थे ,

और मेरे दोनों पैर अलग अलग हुए समर के कमर के दोनों ओर से बहार होते हुए उसके पीछे जा रहे थे ,

अजीब सी हालत थी मेरी हुए ऊपर से मैं कमर के ऊपर पूरी नंगी थी

समर मुस्कुराया ओर उसके हाथ मेरी नाभि पर घूमने लगे ,

अहह मैं उसकी इस हरकत पर सिसकती हुई बलखा गई

माँ अहह ,,,, बस इतना कह पाई मैं ,,

दोनों हाथो से मेरी कमर के दोनों तरफ हल्के से सहलाता हुआ वो अपनी उँगलियों को मेरे नाभी स्थल तक लता ,

गोल- गोल करते हुए मेरी नाभी पर उंगलिया ओर नाख़ून से हल्के से सहलाता

उफ़ उफ़ उफ्फफ्फ्फ़ ठण्ड सी उठ पड़ी , फुरफुरी ओर ठंड सी कुछ कि मेरा रोम रोम खड़ा हो गया ,,, अह्ह्ह मा

कमर के दोनों ओर से उठकर फुरफुरी नाभी से टकराती और फिर कमर पेट से हलचल सी मचाती हुई निपल और बूब्स के साइड तक फेल जाती ,

अहह
सच में दोस्तों इस हरकत से मुझे ठण्ड जैसे फुरफुरी होने लगी थी , मैं बिलख पड़ी ,

समर कि तरफ देखा तो वो बस मेरे बूब्स को घूर रहा था तो कभी मेरी नाभी को


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क्या मस्त चूत है तेरी
 
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