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Fantasy 'सुप्रीम' एक रहस्यमई सफर

dhalchandarun

[Death is the most beautiful thing.]
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#88.

तिलिस्मा का निर्माण

आज से 4 दिन पहले.....
(5 जनवरी 2002, शनिवार, 14:00, सामरा राज्य का समुद्र तट, अराका द्वीप)

व्योम को होश आ गया। सूरज बिल्कुल सिर पर चमक रहा था। व्योम ने एक बार अपनी आँखे खोली, फ़िर तेज रोशनी की वजह से वापस बंद कर ली।

व्योम ने पहले अपनी आँखो को दोनों हाथो से रगड़ा और फ़िर धीरे-धीरे उसे खोल दिया।
वह इस समय समुद्र के किनारे पानी पर पड़ा था।

लहरें बार-बार आकर उसके शरीर को चूम रही थी, जिसकी वजह से उसके कपड़े अभी भी गीले थे। समुद्र की लहरो के उसके शरीर पर टकराने की वजह से उसके कपड़ो में काफ़ी ज़्यादा रेत लगी हुई थी।

व्योम धीरे से खड़ा हुआ और अपने शरीर पर लगी रेत को अपने हाथो से झाड़कर साफ करने लगा।

कपड़े पर लगी रेत साफ करके व्योम ने पहले एक नजर समुद्र की लहरो पर मारी और फ़िर उस रहस्यमय द्वीप पर मौजूद जंगल की ओर देखा।

व्योम ने एक गहरी साँस ली और फ़िर अपने सफर के बारे में याद करना शुरू कर दिया कि कैसे किसी ने असलम को मारकर झरने में फेंक दिया था। फ़िर कुछ दिन बाद असलम ने न्यूयॉर्क बंदरगाह पर आकर स्मिथ के सामने अपने बारे में बताया, जिसकी वजह से व्योम हेलीकाप्टर के द्वारा बारामूडा त्रिकोण के रहस्यमय क्षेत्र में पहुंचा।

फ़िर जब धुंध ने उसका हेलीकाप्टर खराब कर दिया, तो उसने हेलीकाप्टर को पानी पर उतारकर बोट बना लिया। तभी उसे एक सुनहरी रोशनी दिखाई दी। जब उसका ध्यान रोशनी की ओर था, तभी पीछे से समुद्र की लहरें अचानक ऊपर उठी और उसकी बोट पर आकर गिर गयी।

बोट टूट गयी, पर व्योम ने समय रहते पानी में छलांग लगा कर अपनी जान बचा ली। पानी में गोता लगाते ही उसे पानी के अंदर एक चमकीली रोशनी बिखेरती उड़नतस्तरी दिखाई दी। यह देख उस पर बेहोशी सी छा गयी। बेहोश होने के पहले उसने केवल इतना देखा कि वह एक सुनहरे मानव के हाथो में है।

“बड़ा ही अजीब और रहस्यमयी क्षेत्र है यह तो।" व्योम मन ही मन बुदबुदाया- “पता नहीं कौन था वह सुनहरा मानव? जिसने मुझे बचाया। यह तो अच्छा हुआ कि मैं इस द्वीप के पास था, वरना मुझे समुंदर की लहरो में खो जाना था।"

अब व्योम की नजर अपनी अपनी बेल्ट में फंसे एक बैग की ओर गयी। उसने बैग से सारा सामान निकालकर वहीं जमीन पर बिखेर दिया और उसे चेक करने लगा।

बैग में जरूरत का वह सारा सामान था जो दुर्घटना के पहले ही व्योम ने अपने पास रख लिया था।

बैग में एक वॉटरप्रूफ रिवॉल्वर, उसकी कुछ गोलियां, एक धारदार बड़ा चाकू, एक लाइटर, एक शक्तिशाली पेंसिल-टॉर्च, पतली मगर बेहद मजबूत नायलोन की रस्सी, एक छोटा कैमपास, एक छोटी मगर शक्तिशाली दूरबीन, एक नोटबुक और एक बॉल पेन था।

व्योम ने सबकुछ चेक करने के बाद वापस अपने बैग में डाल लिया। व्योम ने खड़े होकर एक बार फ़िर उस रहस्यमयी द्वीप की ओर देखा। अब उसके दाँत गुस्से से भींच गए।

“अब मैं इस रहस्यमयी द्वीप का रहस्य जानकर ही रहूँगा।" व्योम मन ही मन बुदबुदाया और उठकर जंगल की ओर चल दिया।

व्योम को जंगल काफ़ी घना दिखाई दे रहा था।

व्योम के पैरो के नीचे से अब रेत ख़तम होने लगी थी। घास और झाड़ियां उसके पैर के नीचे आने लगी थी।

तभी अचानक व्योम किसी अदृश्य चीज से जोर से टकरा कर गिर गया।

“ये क्या था?" व्योम ने अपनी नजरों को इधर-उधर दौड़ाकर देखा, पर उसे अपने आस-पास कोई चीज दिखाइ नहीं दी।

व्योम उठकर खड़ा हुआ और उसने फ़िर अपने कदम को बढ़ाकर जंगल के अंदर जाना चाहा, पर इस बार व्योम सतर्क था।

व्योम का शरीर फ़िर किसी अदृश्य वस्तु से टकराया। चूंकि इस बार व्योम सतर्क था इसिलये इस बार वह गिरा नहीं।

व्योम ने तुरंत अपने बैग से चाकू निकालकर अपने दाहिने हाथ में ले लिया।

इस बार व्योम ने खुद आगे ना बढ़कर अपना बांया हाथ आगे बढ़ाकर देखा। उसका हाथ किसी अदृश्य दीवार से टकराया।

व्योम ने उस दीवार को टटोलकर देखा, वह अदृश्य दीवार उसे किसी सख्त धातु की बनी दिखाई दी।

व्योम को समझ नहीं आया कि यह कौन सी धातु है, जो इस कदर पारदर्शी है कि उसके आर-पार की हर वस्तु बिल्कुल साफ दिखाई दे रही है।

व्योम ने चाकू की मूठ से उस अदृश्य दीवार पर एक चोट करके देखा। कोई आवाज तो नहीं हुई पर व्योम का हाथ जरूर इस वार से झनझना उठा।

इस बार व्योम ने थोड़ा और आगे बढ़कर जंगल में घुसने की कोशिश की, पर वहां भी वह अदृश्य दीवार थी।

आधे घंटे के अंदर व्योम ने बहुत सी स्थानो से जंगल में घुसने की कोशिश की। मगर सब व्यर्थ गया, अदृश्य दीवार हर जगह मौजूद थी।

“यह कैसी दीवार है, ऐसी दीवार के बारे में तो मैने कभी सुना भी नहीं। पता नहीं कौन सी तकनीक का प्रयोग करके इस दीवार को बनाया है?"

व्योम मन ही मन बुदबुदाया- “ऐसे तो मैं जंगल में घुस ही नहीं पाऊंगा। अगर मैं जंगल में प्रवेश नहीं कर पाया तो मैं खाऊंगा-पीयूंगा क्या?"

लगभग 2 घंटे की मेहनत के बाद व्योम समझ गया कि जंगल के अंदर घुसने का कोई रास्ता नहीं है। इसिलये उसने अब अपना लक्ष्य परिवर्तन कर दिया।

उसने एक बड़ी सी लकड़ी के नीचे अपने चाकू को बांधकर मछलियों का शिकार करना शुरू कर दिया।

व्योम ने आग जलाकर कुछ मछलियों को पका लिया। खाने की समस्या तो हल हो गयी थी, अब बची थी पीने की समस्या। तो व्योम ने देखा कि कुछ नारियल के पेड़ समुद्र किनारे पर भी थे।

व्योम ने नारियल को तोड़ उसका पानी भी लिया। दिन ख़त्म हो गया। व्योम ने वहीं समुद्र के किनारे पर आग जलाकर रात बिताई।

अब व्योम की यही रोज की दिनचर्या बन चुकी थी। वह रोज पहले कुछ देर तक उस जंगल में अंदर घुसने का रास्ता ढूंढता, फ़िर मछलियों का शिकार करके उन्हें पकाकर खाता।

धीरे-धीरे ऐसे करते हुए दिन बीतने लगे। आज व्योम को होश आये 4 दिन बीत चुके थे।

व्योम एक पत्थर पर बैठकर अपने चाकू पर धार लगा रहा था कि तभी उसे समुद्र के पानी में एक
ब्लू-व्हेल दिखाई दी।

“यह कैसे पॉसीबल है? ब्लू-व्हेल तो समुद्र के गहरे पानी में रहती है। यह इस द्वीप के इतने किनारे तक कैसे आ गयी? किसी भी द्वीप के किनारे पर तो काफ़ी कम पानी होता है। ऐेसे में ब्लू-व्हेल इतने कम पानी में कैसे तैर सकती है?"

यह विचार दिमाग में आते ही व्योम ने अपने बैग को चेक किया और तुरंत पानी में छलांग लगा दी।
व्योम पानी के अंदर ही अंदर तैर रहा था।

थोड़ी ही देर में पानी के अंदर द्वीप की जमीन दिखाई देना बंद हो गयी।

“यह कैसे संभव है? यह द्वीप की जमीन इतनी जल्दी कैसे ख़त्म हो गयी?"

अब व्योम एक बार पानी के ऊपर आया और अपने फेफड़ो में जोर की हवा भरकर, उसने दोबारा डाइव मार दी।

अब वह कम से कम 25 मिनट तक पानी के अंदर रह सकता था। पानी के अंदर अब कहीं भी व्योम को ब्लू-व्हेल नहीं दिखाई दे रही थी।

व्योम धीरे-धीरे पानी के नीचे और नीचे जा रहा था।

समुद्र का पानी अंदर से साफ था, इसिलये अंदर का नजारा बिल्कुल साफ दिखाई दे रहा था।

तभी नीचे का नजारा देखकर व्योम हैरान रह गया क्यों कि वह द्वीप समुद्र की तली से जुड़ा हुआ नहीं था। वह पानी पर तैर रहा था।

“यह कैसे संभव है? यह द्वीप तो पानी पर तैर रहा है। और....और नीचे से देखने पर यह द्वीप किसी विशालकाय पानी के जहाज के जैसा लग रहा है। थोड़ा और पास चलकर देखता हूं।"

यह सोचकर व्योम ने थोड़ा और पास जाकर नीचे से द्वीप की सतह को देखा। नीचे से द्वीप की सतह किसी सुनहरी धातु की बनी दिख रही थी।

“यह तो किसी धातु का बना कोई कृत्रिम द्वीप लग रहा है। इतने विशालकाय कृत्रिम द्वीप को किसने बनाया होगा? मुझे तो यह कोई ‘एलियन’ की टेक्नोलॉजी लग रही है? मनुष्य अभी इतना विकसित नहीं हुआ कि इस प्रकार की कोई रचना कर सके? कहीं यह एलियन का कोई बहुत बड़ा अंतरिक्ष-यान तो नहीं?"

व्योम के दिमाग में ऐसे ही अजीब-अजीब से विचार आ रहे थे।

तभी व्योम को उस ब्लू-व्हेल का ख़याल आया। उसने चारो तरफ नजर दौड़ा कर देखा, पर ब्लू-व्हेल उसे कहीं दिखाई नहीं दी।

व्योम को पानी के नीचे आये हुए 10 मिनट बीत चुके थे।

व्योम अभी इसी उलझन में फंसा था कि तभी द्वीप के एक निचले हिस्से से, एक काँच की लगभग 10 फुट लंबी, आदमकद कैप्सूलनुमा ट्यूब गोली की रफ़्तार से निकली और पानी में कहीं जाकर गायब हो गयी।

व्योम तेजी से तैरकर उस जगह पहुंच गया, जहां से वह काँच की ट्यूब निकली थी।

द्वीप में उस जगह पर एक दरवाजा दिखाई दे रहा था, जो कि धीरे-धीरे बंद हो रहा था।

व्योम बिना समय गंवाए उस रास्ते में प्रविष्ट हो गया। व्योम के अंदर घुसते ही वह दरवाजा स्वतः ही बंद हो गया।

ये एक बहुत चौड़ी सुरंग थी, जिसमें पानी भरा हुआ था। व्योम लगातार तैरते हुए आगे बढ़ रहा था।

लगभग 10 मिनट तक तैरने के बाद व्योम को पानी में वही ब्लू-व्हेल खड़ी हुई दिखाई दी। ऐसा लग रहा था जैसे ब्लू-व्हेल वहां सो रही हो। ऊपर पानी की सतह पर उजाला भी दिख रहा था।

एक बार तो व्योम ब्लू-व्हेल को वहां देखकर डर सा गया, पर फ़िर वह ब्लू-व्हेल से थोड़ी दूरी बनाकर पानी की सतह पर निकला।

बाहर का नजारा देखकर वह पूरी तरह से हैरान रह गया। वह एक बहुत बड़ा विशालकाय कमरा था। उसे देखकर ऐसा लग रहा था कि जैसे किसी पहाड़ को अंदर से खोखला करके उस कमरे को बनाया गया हो या फ़िर वह कोई विशालकाय पिरामिड हो।

उस कमरे में किनारे-किनारे पत्थरो से फ़्लोर बनाया गया था। एक नजर में वह कोई बहुत बड़ा स्वीमिंग पूल जैसा नजर आ रहा था। कमरे में चारो तरफ सुरंग जैसे कई रास्ते बने थे।

वहीं एक किनारे पर ब्लू-व्हेल सो रही थी।

“यह जगह तो किसी इंसान द्वारा बनायी गयी लग रही है या फ़िर एलियन द्वारा?"



जारी रहेगा______✍️
Nice update brother, Vyom ko wapas story mein dekh kar achha laga.
Vyom yahan sabhi ki help karne aaya tha par abhi uski khud hi bahut sare challenges ka samna karna hoga.

Suyash aur uske group ke paas kam se kam Shefali hai jo sabhi ko kaphi help kar rahi hai.

Let's see ki Vyom ka present life uske past life se connected hai ya nahi.
 

DEVIL MAXIMUM

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Nice update brother, Vyom ko wapas story mein dekh kar achha laga.
Vyom yahan sabhi ki help karne aaya tha par abhi uski khud hi bahut sare challenges ka samna karna hoga.

Suyash aur uske group ke paas kam se kam Shefali hai jo sabhi ko kaphi help kar rahi hai.

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Kya hal chal hai dhalchandarun bhai
Kaise rhe Holi aapki
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Nice update brother, Vyom ko wapas story mein dekh kar achha laga.
Vyom yahan sabhi ki help karne aaya tha par abhi uski khud hi bahut sare challenges ka samna karna hoga.

Suyash aur uske group ke paas kam se kam Shefali hai jo sabhi ko kaphi help kar rahi hai.

Let's see ki Vyom ka present life uske past life se connected hai ya nahi.
Vyom ko halke me na lena dost, aakhir Hindustani hai wo :approve:
Dekhte jaao, aage aur bhi rahasya aur Romanch milega aapko:shhhh:
Thank you very much for your wonderful review and support bhai :thanx:
 

Dhakad boy

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#88.

तिलिस्मा का निर्माण

आज से 4 दिन पहले.....
(5 जनवरी 2002, शनिवार, 14:00, सामरा राज्य का समुद्र तट, अराका द्वीप)

व्योम को होश आ गया। सूरज बिल्कुल सिर पर चमक रहा था। व्योम ने एक बार अपनी आँखे खोली, फ़िर तेज रोशनी की वजह से वापस बंद कर ली।

व्योम ने पहले अपनी आँखो को दोनों हाथो से रगड़ा और फ़िर धीरे-धीरे उसे खोल दिया।
वह इस समय समुद्र के किनारे पानी पर पड़ा था।

लहरें बार-बार आकर उसके शरीर को चूम रही थी, जिसकी वजह से उसके कपड़े अभी भी गीले थे। समुद्र की लहरो के उसके शरीर पर टकराने की वजह से उसके कपड़ो में काफ़ी ज़्यादा रेत लगी हुई थी।

व्योम धीरे से खड़ा हुआ और अपने शरीर पर लगी रेत को अपने हाथो से झाड़कर साफ करने लगा।

कपड़े पर लगी रेत साफ करके व्योम ने पहले एक नजर समुद्र की लहरो पर मारी और फ़िर उस रहस्यमय द्वीप पर मौजूद जंगल की ओर देखा।

व्योम ने एक गहरी साँस ली और फ़िर अपने सफर के बारे में याद करना शुरू कर दिया कि कैसे किसी ने असलम को मारकर झरने में फेंक दिया था। फ़िर कुछ दिन बाद असलम ने न्यूयॉर्क बंदरगाह पर आकर स्मिथ के सामने अपने बारे में बताया, जिसकी वजह से व्योम हेलीकाप्टर के द्वारा बारामूडा त्रिकोण के रहस्यमय क्षेत्र में पहुंचा।

फ़िर जब धुंध ने उसका हेलीकाप्टर खराब कर दिया, तो उसने हेलीकाप्टर को पानी पर उतारकर बोट बना लिया। तभी उसे एक सुनहरी रोशनी दिखाई दी। जब उसका ध्यान रोशनी की ओर था, तभी पीछे से समुद्र की लहरें अचानक ऊपर उठी और उसकी बोट पर आकर गिर गयी।

बोट टूट गयी, पर व्योम ने समय रहते पानी में छलांग लगा कर अपनी जान बचा ली। पानी में गोता लगाते ही उसे पानी के अंदर एक चमकीली रोशनी बिखेरती उड़नतस्तरी दिखाई दी। यह देख उस पर बेहोशी सी छा गयी। बेहोश होने के पहले उसने केवल इतना देखा कि वह एक सुनहरे मानव के हाथो में है।

“बड़ा ही अजीब और रहस्यमयी क्षेत्र है यह तो।" व्योम मन ही मन बुदबुदाया- “पता नहीं कौन था वह सुनहरा मानव? जिसने मुझे बचाया। यह तो अच्छा हुआ कि मैं इस द्वीप के पास था, वरना मुझे समुंदर की लहरो में खो जाना था।"

अब व्योम की नजर अपनी अपनी बेल्ट में फंसे एक बैग की ओर गयी। उसने बैग से सारा सामान निकालकर वहीं जमीन पर बिखेर दिया और उसे चेक करने लगा।

बैग में जरूरत का वह सारा सामान था जो दुर्घटना के पहले ही व्योम ने अपने पास रख लिया था।

बैग में एक वॉटरप्रूफ रिवॉल्वर, उसकी कुछ गोलियां, एक धारदार बड़ा चाकू, एक लाइटर, एक शक्तिशाली पेंसिल-टॉर्च, पतली मगर बेहद मजबूत नायलोन की रस्सी, एक छोटा कैमपास, एक छोटी मगर शक्तिशाली दूरबीन, एक नोटबुक और एक बॉल पेन था।

व्योम ने सबकुछ चेक करने के बाद वापस अपने बैग में डाल लिया। व्योम ने खड़े होकर एक बार फ़िर उस रहस्यमयी द्वीप की ओर देखा। अब उसके दाँत गुस्से से भींच गए।

“अब मैं इस रहस्यमयी द्वीप का रहस्य जानकर ही रहूँगा।" व्योम मन ही मन बुदबुदाया और उठकर जंगल की ओर चल दिया।

व्योम को जंगल काफ़ी घना दिखाई दे रहा था।

व्योम के पैरो के नीचे से अब रेत ख़तम होने लगी थी। घास और झाड़ियां उसके पैर के नीचे आने लगी थी।

तभी अचानक व्योम किसी अदृश्य चीज से जोर से टकरा कर गिर गया।

“ये क्या था?" व्योम ने अपनी नजरों को इधर-उधर दौड़ाकर देखा, पर उसे अपने आस-पास कोई चीज दिखाइ नहीं दी।

व्योम उठकर खड़ा हुआ और उसने फ़िर अपने कदम को बढ़ाकर जंगल के अंदर जाना चाहा, पर इस बार व्योम सतर्क था।

व्योम का शरीर फ़िर किसी अदृश्य वस्तु से टकराया। चूंकि इस बार व्योम सतर्क था इसिलये इस बार वह गिरा नहीं।

व्योम ने तुरंत अपने बैग से चाकू निकालकर अपने दाहिने हाथ में ले लिया।

इस बार व्योम ने खुद आगे ना बढ़कर अपना बांया हाथ आगे बढ़ाकर देखा। उसका हाथ किसी अदृश्य दीवार से टकराया।

व्योम ने उस दीवार को टटोलकर देखा, वह अदृश्य दीवार उसे किसी सख्त धातु की बनी दिखाई दी।

व्योम को समझ नहीं आया कि यह कौन सी धातु है, जो इस कदर पारदर्शी है कि उसके आर-पार की हर वस्तु बिल्कुल साफ दिखाई दे रही है।

व्योम ने चाकू की मूठ से उस अदृश्य दीवार पर एक चोट करके देखा। कोई आवाज तो नहीं हुई पर व्योम का हाथ जरूर इस वार से झनझना उठा।

इस बार व्योम ने थोड़ा और आगे बढ़कर जंगल में घुसने की कोशिश की, पर वहां भी वह अदृश्य दीवार थी।

आधे घंटे के अंदर व्योम ने बहुत सी स्थानो से जंगल में घुसने की कोशिश की। मगर सब व्यर्थ गया, अदृश्य दीवार हर जगह मौजूद थी।

“यह कैसी दीवार है, ऐसी दीवार के बारे में तो मैने कभी सुना भी नहीं। पता नहीं कौन सी तकनीक का प्रयोग करके इस दीवार को बनाया है?"

व्योम मन ही मन बुदबुदाया- “ऐसे तो मैं जंगल में घुस ही नहीं पाऊंगा। अगर मैं जंगल में प्रवेश नहीं कर पाया तो मैं खाऊंगा-पीयूंगा क्या?"

लगभग 2 घंटे की मेहनत के बाद व्योम समझ गया कि जंगल के अंदर घुसने का कोई रास्ता नहीं है। इसिलये उसने अब अपना लक्ष्य परिवर्तन कर दिया।

उसने एक बड़ी सी लकड़ी के नीचे अपने चाकू को बांधकर मछलियों का शिकार करना शुरू कर दिया।

व्योम ने आग जलाकर कुछ मछलियों को पका लिया। खाने की समस्या तो हल हो गयी थी, अब बची थी पीने की समस्या। तो व्योम ने देखा कि कुछ नारियल के पेड़ समुद्र किनारे पर भी थे।

व्योम ने नारियल को तोड़ उसका पानी भी लिया। दिन ख़त्म हो गया। व्योम ने वहीं समुद्र के किनारे पर आग जलाकर रात बिताई।

अब व्योम की यही रोज की दिनचर्या बन चुकी थी। वह रोज पहले कुछ देर तक उस जंगल में अंदर घुसने का रास्ता ढूंढता, फ़िर मछलियों का शिकार करके उन्हें पकाकर खाता।

धीरे-धीरे ऐसे करते हुए दिन बीतने लगे। आज व्योम को होश आये 4 दिन बीत चुके थे।

व्योम एक पत्थर पर बैठकर अपने चाकू पर धार लगा रहा था कि तभी उसे समुद्र के पानी में एक
ब्लू-व्हेल दिखाई दी।

“यह कैसे पॉसीबल है? ब्लू-व्हेल तो समुद्र के गहरे पानी में रहती है। यह इस द्वीप के इतने किनारे तक कैसे आ गयी? किसी भी द्वीप के किनारे पर तो काफ़ी कम पानी होता है। ऐेसे में ब्लू-व्हेल इतने कम पानी में कैसे तैर सकती है?"

यह विचार दिमाग में आते ही व्योम ने अपने बैग को चेक किया और तुरंत पानी में छलांग लगा दी।
व्योम पानी के अंदर ही अंदर तैर रहा था।

थोड़ी ही देर में पानी के अंदर द्वीप की जमीन दिखाई देना बंद हो गयी।

“यह कैसे संभव है? यह द्वीप की जमीन इतनी जल्दी कैसे ख़त्म हो गयी?"

अब व्योम एक बार पानी के ऊपर आया और अपने फेफड़ो में जोर की हवा भरकर, उसने दोबारा डाइव मार दी।

अब वह कम से कम 25 मिनट तक पानी के अंदर रह सकता था। पानी के अंदर अब कहीं भी व्योम को ब्लू-व्हेल नहीं दिखाई दे रही थी।

व्योम धीरे-धीरे पानी के नीचे और नीचे जा रहा था।

समुद्र का पानी अंदर से साफ था, इसिलये अंदर का नजारा बिल्कुल साफ दिखाई दे रहा था।

तभी नीचे का नजारा देखकर व्योम हैरान रह गया क्यों कि वह द्वीप समुद्र की तली से जुड़ा हुआ नहीं था। वह पानी पर तैर रहा था।

“यह कैसे संभव है? यह द्वीप तो पानी पर तैर रहा है। और....और नीचे से देखने पर यह द्वीप किसी विशालकाय पानी के जहाज के जैसा लग रहा है। थोड़ा और पास चलकर देखता हूं।"

यह सोचकर व्योम ने थोड़ा और पास जाकर नीचे से द्वीप की सतह को देखा। नीचे से द्वीप की सतह किसी सुनहरी धातु की बनी दिख रही थी।

“यह तो किसी धातु का बना कोई कृत्रिम द्वीप लग रहा है। इतने विशालकाय कृत्रिम द्वीप को किसने बनाया होगा? मुझे तो यह कोई ‘एलियन’ की टेक्नोलॉजी लग रही है? मनुष्य अभी इतना विकसित नहीं हुआ कि इस प्रकार की कोई रचना कर सके? कहीं यह एलियन का कोई बहुत बड़ा अंतरिक्ष-यान तो नहीं?"

व्योम के दिमाग में ऐसे ही अजीब-अजीब से विचार आ रहे थे।

तभी व्योम को उस ब्लू-व्हेल का ख़याल आया। उसने चारो तरफ नजर दौड़ा कर देखा, पर ब्लू-व्हेल उसे कहीं दिखाई नहीं दी।

व्योम को पानी के नीचे आये हुए 10 मिनट बीत चुके थे।

व्योम अभी इसी उलझन में फंसा था कि तभी द्वीप के एक निचले हिस्से से, एक काँच की लगभग 10 फुट लंबी, आदमकद कैप्सूलनुमा ट्यूब गोली की रफ़्तार से निकली और पानी में कहीं जाकर गायब हो गयी।

व्योम तेजी से तैरकर उस जगह पहुंच गया, जहां से वह काँच की ट्यूब निकली थी।

द्वीप में उस जगह पर एक दरवाजा दिखाई दे रहा था, जो कि धीरे-धीरे बंद हो रहा था।

व्योम बिना समय गंवाए उस रास्ते में प्रविष्ट हो गया। व्योम के अंदर घुसते ही वह दरवाजा स्वतः ही बंद हो गया।

ये एक बहुत चौड़ी सुरंग थी, जिसमें पानी भरा हुआ था। व्योम लगातार तैरते हुए आगे बढ़ रहा था।

लगभग 10 मिनट तक तैरने के बाद व्योम को पानी में वही ब्लू-व्हेल खड़ी हुई दिखाई दी। ऐसा लग रहा था जैसे ब्लू-व्हेल वहां सो रही हो। ऊपर पानी की सतह पर उजाला भी दिख रहा था।

एक बार तो व्योम ब्लू-व्हेल को वहां देखकर डर सा गया, पर फ़िर वह ब्लू-व्हेल से थोड़ी दूरी बनाकर पानी की सतह पर निकला।

बाहर का नजारा देखकर वह पूरी तरह से हैरान रह गया। वह एक बहुत बड़ा विशालकाय कमरा था। उसे देखकर ऐसा लग रहा था कि जैसे किसी पहाड़ को अंदर से खोखला करके उस कमरे को बनाया गया हो या फ़िर वह कोई विशालकाय पिरामिड हो।

उस कमरे में किनारे-किनारे पत्थरो से फ़्लोर बनाया गया था। एक नजर में वह कोई बहुत बड़ा स्वीमिंग पूल जैसा नजर आ रहा था। कमरे में चारो तरफ सुरंग जैसे कई रास्ते बने थे।

वहीं एक किनारे पर ब्लू-व्हेल सो रही थी।

“यह जगह तो किसी इंसान द्वारा बनायी गयी लग रही है या फ़िर एलियन द्वारा?"



जारी रहेगा______✍️
Shandar update
Ab pata chala vyom itne dino tak kese survive Kiya
Vyom ka to is dveep ke rahasya dekhkar dimag kharab ho gaya
Ab dekte hai us piramid jese kamre me kya hota hai kahi vyom pakda na jaye
 

avsji

Weaving Words, Weaving Worlds.
Supreme
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अपडेट 83 + 84 पर मेरी प्रतिक्रिया :

(1) सुप्रीम पर जो भी नरक मचा है, वो सब युफासा और सनूरा ने किया है।
(2) उन्होंने यह सारे काण्ड मकोटा के कारण (उसके इशारे पर) किए हैं।
(3) मकोटा ने यह सब किया क्योंकि उसको तमराज जैगन से कुछ चाहिए।
(4) और जैगन स्साला बेहोश है।

तो क्या उसको मानव लाशों से कुछ चाहिए? मनुष्यों का शरीर क्या उसके लिए संजीवनी है?

लॉरेन की लाश गायब होने का कारण समझ में आया।

युफासा और सनूरा ने जो किया है वो सब दबाव में किया है। ये महामानवीय शक्तियों से लेस जीव (मानव तो नहीं कह सकते इनको) मानवीय रीतियों के अनुरूप अपराधी तो हैं, लेकिन क्या उनकी सभ्यता में यह सब अपराध माना जाएगा? जैसे हम चींटियों को मार देते हैं और सोचते भी नहीं... ऐसे जीवों के लिए तो मानव भी चींटियाँ ही हैं! वैसे हर हत्या के बाद लुफासा ‘विचलित’ महसूस कर रहा है। लिहाज़ा, उसके अंदर भी विवेक है, और मानवीय नैतिकता है।

कम से कम दोनों ने रोजर को फिलहाल मकोटा से बचा लिया है। शायद वो भी नहीं चाहते कि मकोटा अपने मंसूबों में कामयाब हो।

अद्भुत लेखनी राज भाई! :) ♥️

फ़ोरम से अनुपस्थिति का कारण ये है कि कंपनी ने जो टारगेट दिया है उसको ही पूरा करने में लगा हुआ हूँ आज कल! ये अमृतकाल हम जैसे सेल्स के लोगों के लिए “काल” बन गया है। अपने क्लाइंट स्ट्रगल कर रहे हैं, और उनके कारण हम! इतनी कोशिश कर रहा हूँ, फिर भी टारगेट पूरा होता प्रतीत नहीं होता। ख़ैर - चार दिन का त्रास और! फिर जो होगा, सो होगा।

आप लिखते रहें। ✍️
 

Rekha rani

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तिलिस्मा का निर्माण

आज से 4 दिन पहले.....
(5 जनवरी 2002, शनिवार, 14:00, सामरा राज्य का समुद्र तट, अराका द्वीप)

व्योम को होश आ गया। सूरज बिल्कुल सिर पर चमक रहा था। व्योम ने एक बार अपनी आँखे खोली, फ़िर तेज रोशनी की वजह से वापस बंद कर ली।

व्योम ने पहले अपनी आँखो को दोनों हाथो से रगड़ा और फ़िर धीरे-धीरे उसे खोल दिया।
वह इस समय समुद्र के किनारे पानी पर पड़ा था।

लहरें बार-बार आकर उसके शरीर को चूम रही थी, जिसकी वजह से उसके कपड़े अभी भी गीले थे। समुद्र की लहरो के उसके शरीर पर टकराने की वजह से उसके कपड़ो में काफ़ी ज़्यादा रेत लगी हुई थी।

व्योम धीरे से खड़ा हुआ और अपने शरीर पर लगी रेत को अपने हाथो से झाड़कर साफ करने लगा।

कपड़े पर लगी रेत साफ करके व्योम ने पहले एक नजर समुद्र की लहरो पर मारी और फ़िर उस रहस्यमय द्वीप पर मौजूद जंगल की ओर देखा।

व्योम ने एक गहरी साँस ली और फ़िर अपने सफर के बारे में याद करना शुरू कर दिया कि कैसे किसी ने असलम को मारकर झरने में फेंक दिया था। फ़िर कुछ दिन बाद असलम ने न्यूयॉर्क बंदरगाह पर आकर स्मिथ के सामने अपने बारे में बताया, जिसकी वजह से व्योम हेलीकाप्टर के द्वारा बारामूडा त्रिकोण के रहस्यमय क्षेत्र में पहुंचा।

फ़िर जब धुंध ने उसका हेलीकाप्टर खराब कर दिया, तो उसने हेलीकाप्टर को पानी पर उतारकर बोट बना लिया। तभी उसे एक सुनहरी रोशनी दिखाई दी। जब उसका ध्यान रोशनी की ओर था, तभी पीछे से समुद्र की लहरें अचानक ऊपर उठी और उसकी बोट पर आकर गिर गयी।

बोट टूट गयी, पर व्योम ने समय रहते पानी में छलांग लगा कर अपनी जान बचा ली। पानी में गोता लगाते ही उसे पानी के अंदर एक चमकीली रोशनी बिखेरती उड़नतस्तरी दिखाई दी। यह देख उस पर बेहोशी सी छा गयी। बेहोश होने के पहले उसने केवल इतना देखा कि वह एक सुनहरे मानव के हाथो में है।

“बड़ा ही अजीब और रहस्यमयी क्षेत्र है यह तो।" व्योम मन ही मन बुदबुदाया- “पता नहीं कौन था वह सुनहरा मानव? जिसने मुझे बचाया। यह तो अच्छा हुआ कि मैं इस द्वीप के पास था, वरना मुझे समुंदर की लहरो में खो जाना था।"

अब व्योम की नजर अपनी अपनी बेल्ट में फंसे एक बैग की ओर गयी। उसने बैग से सारा सामान निकालकर वहीं जमीन पर बिखेर दिया और उसे चेक करने लगा।

बैग में जरूरत का वह सारा सामान था जो दुर्घटना के पहले ही व्योम ने अपने पास रख लिया था।

बैग में एक वॉटरप्रूफ रिवॉल्वर, उसकी कुछ गोलियां, एक धारदार बड़ा चाकू, एक लाइटर, एक शक्तिशाली पेंसिल-टॉर्च, पतली मगर बेहद मजबूत नायलोन की रस्सी, एक छोटा कैमपास, एक छोटी मगर शक्तिशाली दूरबीन, एक नोटबुक और एक बॉल पेन था।

व्योम ने सबकुछ चेक करने के बाद वापस अपने बैग में डाल लिया। व्योम ने खड़े होकर एक बार फ़िर उस रहस्यमयी द्वीप की ओर देखा। अब उसके दाँत गुस्से से भींच गए।

“अब मैं इस रहस्यमयी द्वीप का रहस्य जानकर ही रहूँगा।" व्योम मन ही मन बुदबुदाया और उठकर जंगल की ओर चल दिया।

व्योम को जंगल काफ़ी घना दिखाई दे रहा था।

व्योम के पैरो के नीचे से अब रेत ख़तम होने लगी थी। घास और झाड़ियां उसके पैर के नीचे आने लगी थी।

तभी अचानक व्योम किसी अदृश्य चीज से जोर से टकरा कर गिर गया।

“ये क्या था?" व्योम ने अपनी नजरों को इधर-उधर दौड़ाकर देखा, पर उसे अपने आस-पास कोई चीज दिखाइ नहीं दी।

व्योम उठकर खड़ा हुआ और उसने फ़िर अपने कदम को बढ़ाकर जंगल के अंदर जाना चाहा, पर इस बार व्योम सतर्क था।

व्योम का शरीर फ़िर किसी अदृश्य वस्तु से टकराया। चूंकि इस बार व्योम सतर्क था इसिलये इस बार वह गिरा नहीं।

व्योम ने तुरंत अपने बैग से चाकू निकालकर अपने दाहिने हाथ में ले लिया।

इस बार व्योम ने खुद आगे ना बढ़कर अपना बांया हाथ आगे बढ़ाकर देखा। उसका हाथ किसी अदृश्य दीवार से टकराया।

व्योम ने उस दीवार को टटोलकर देखा, वह अदृश्य दीवार उसे किसी सख्त धातु की बनी दिखाई दी।

व्योम को समझ नहीं आया कि यह कौन सी धातु है, जो इस कदर पारदर्शी है कि उसके आर-पार की हर वस्तु बिल्कुल साफ दिखाई दे रही है।

व्योम ने चाकू की मूठ से उस अदृश्य दीवार पर एक चोट करके देखा। कोई आवाज तो नहीं हुई पर व्योम का हाथ जरूर इस वार से झनझना उठा।

इस बार व्योम ने थोड़ा और आगे बढ़कर जंगल में घुसने की कोशिश की, पर वहां भी वह अदृश्य दीवार थी।

आधे घंटे के अंदर व्योम ने बहुत सी स्थानो से जंगल में घुसने की कोशिश की। मगर सब व्यर्थ गया, अदृश्य दीवार हर जगह मौजूद थी।

“यह कैसी दीवार है, ऐसी दीवार के बारे में तो मैने कभी सुना भी नहीं। पता नहीं कौन सी तकनीक का प्रयोग करके इस दीवार को बनाया है?"

व्योम मन ही मन बुदबुदाया- “ऐसे तो मैं जंगल में घुस ही नहीं पाऊंगा। अगर मैं जंगल में प्रवेश नहीं कर पाया तो मैं खाऊंगा-पीयूंगा क्या?"

लगभग 2 घंटे की मेहनत के बाद व्योम समझ गया कि जंगल के अंदर घुसने का कोई रास्ता नहीं है। इसिलये उसने अब अपना लक्ष्य परिवर्तन कर दिया।

उसने एक बड़ी सी लकड़ी के नीचे अपने चाकू को बांधकर मछलियों का शिकार करना शुरू कर दिया।

व्योम ने आग जलाकर कुछ मछलियों को पका लिया। खाने की समस्या तो हल हो गयी थी, अब बची थी पीने की समस्या। तो व्योम ने देखा कि कुछ नारियल के पेड़ समुद्र किनारे पर भी थे।

व्योम ने नारियल को तोड़ उसका पानी भी लिया। दिन ख़त्म हो गया। व्योम ने वहीं समुद्र के किनारे पर आग जलाकर रात बिताई।

अब व्योम की यही रोज की दिनचर्या बन चुकी थी। वह रोज पहले कुछ देर तक उस जंगल में अंदर घुसने का रास्ता ढूंढता, फ़िर मछलियों का शिकार करके उन्हें पकाकर खाता।

धीरे-धीरे ऐसे करते हुए दिन बीतने लगे। आज व्योम को होश आये 4 दिन बीत चुके थे।

व्योम एक पत्थर पर बैठकर अपने चाकू पर धार लगा रहा था कि तभी उसे समुद्र के पानी में एक
ब्लू-व्हेल दिखाई दी।

“यह कैसे पॉसीबल है? ब्लू-व्हेल तो समुद्र के गहरे पानी में रहती है। यह इस द्वीप के इतने किनारे तक कैसे आ गयी? किसी भी द्वीप के किनारे पर तो काफ़ी कम पानी होता है। ऐेसे में ब्लू-व्हेल इतने कम पानी में कैसे तैर सकती है?"

यह विचार दिमाग में आते ही व्योम ने अपने बैग को चेक किया और तुरंत पानी में छलांग लगा दी।
व्योम पानी के अंदर ही अंदर तैर रहा था।

थोड़ी ही देर में पानी के अंदर द्वीप की जमीन दिखाई देना बंद हो गयी।

“यह कैसे संभव है? यह द्वीप की जमीन इतनी जल्दी कैसे ख़त्म हो गयी?"

अब व्योम एक बार पानी के ऊपर आया और अपने फेफड़ो में जोर की हवा भरकर, उसने दोबारा डाइव मार दी।

अब वह कम से कम 25 मिनट तक पानी के अंदर रह सकता था। पानी के अंदर अब कहीं भी व्योम को ब्लू-व्हेल नहीं दिखाई दे रही थी।

व्योम धीरे-धीरे पानी के नीचे और नीचे जा रहा था।

समुद्र का पानी अंदर से साफ था, इसिलये अंदर का नजारा बिल्कुल साफ दिखाई दे रहा था।

तभी नीचे का नजारा देखकर व्योम हैरान रह गया क्यों कि वह द्वीप समुद्र की तली से जुड़ा हुआ नहीं था। वह पानी पर तैर रहा था।

“यह कैसे संभव है? यह द्वीप तो पानी पर तैर रहा है। और....और नीचे से देखने पर यह द्वीप किसी विशालकाय पानी के जहाज के जैसा लग रहा है। थोड़ा और पास चलकर देखता हूं।"

यह सोचकर व्योम ने थोड़ा और पास जाकर नीचे से द्वीप की सतह को देखा। नीचे से द्वीप की सतह किसी सुनहरी धातु की बनी दिख रही थी।

“यह तो किसी धातु का बना कोई कृत्रिम द्वीप लग रहा है। इतने विशालकाय कृत्रिम द्वीप को किसने बनाया होगा? मुझे तो यह कोई ‘एलियन’ की टेक्नोलॉजी लग रही है? मनुष्य अभी इतना विकसित नहीं हुआ कि इस प्रकार की कोई रचना कर सके? कहीं यह एलियन का कोई बहुत बड़ा अंतरिक्ष-यान तो नहीं?"

व्योम के दिमाग में ऐसे ही अजीब-अजीब से विचार आ रहे थे।

तभी व्योम को उस ब्लू-व्हेल का ख़याल आया। उसने चारो तरफ नजर दौड़ा कर देखा, पर ब्लू-व्हेल उसे कहीं दिखाई नहीं दी।

व्योम को पानी के नीचे आये हुए 10 मिनट बीत चुके थे।

व्योम अभी इसी उलझन में फंसा था कि तभी द्वीप के एक निचले हिस्से से, एक काँच की लगभग 10 फुट लंबी, आदमकद कैप्सूलनुमा ट्यूब गोली की रफ़्तार से निकली और पानी में कहीं जाकर गायब हो गयी।

व्योम तेजी से तैरकर उस जगह पहुंच गया, जहां से वह काँच की ट्यूब निकली थी।

द्वीप में उस जगह पर एक दरवाजा दिखाई दे रहा था, जो कि धीरे-धीरे बंद हो रहा था।

व्योम बिना समय गंवाए उस रास्ते में प्रविष्ट हो गया। व्योम के अंदर घुसते ही वह दरवाजा स्वतः ही बंद हो गया।

ये एक बहुत चौड़ी सुरंग थी, जिसमें पानी भरा हुआ था। व्योम लगातार तैरते हुए आगे बढ़ रहा था।

लगभग 10 मिनट तक तैरने के बाद व्योम को पानी में वही ब्लू-व्हेल खड़ी हुई दिखाई दी। ऐसा लग रहा था जैसे ब्लू-व्हेल वहां सो रही हो। ऊपर पानी की सतह पर उजाला भी दिख रहा था।

एक बार तो व्योम ब्लू-व्हेल को वहां देखकर डर सा गया, पर फ़िर वह ब्लू-व्हेल से थोड़ी दूरी बनाकर पानी की सतह पर निकला।

बाहर का नजारा देखकर वह पूरी तरह से हैरान रह गया। वह एक बहुत बड़ा विशालकाय कमरा था। उसे देखकर ऐसा लग रहा था कि जैसे किसी पहाड़ को अंदर से खोखला करके उस कमरे को बनाया गया हो या फ़िर वह कोई विशालकाय पिरामिड हो।

उस कमरे में किनारे-किनारे पत्थरो से फ़्लोर बनाया गया था। एक नजर में वह कोई बहुत बड़ा स्वीमिंग पूल जैसा नजर आ रहा था। कमरे में चारो तरफ सुरंग जैसे कई रास्ते बने थे।

वहीं एक किनारे पर ब्लू-व्हेल सो रही थी।

“यह जगह तो किसी इंसान द्वारा बनायी गयी लग रही है या फ़िर एलियन द्वारा?"



जारी रहेगा______✍️
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Chutiyadr

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तिलिस्मा का निर्माण

आज से 4 दिन पहले.....
(5 जनवरी 2002, शनिवार, 14:00, सामरा राज्य का समुद्र तट, अराका द्वीप)

व्योम को होश आ गया। सूरज बिल्कुल सिर पर चमक रहा था। व्योम ने एक बार अपनी आँखे खोली, फ़िर तेज रोशनी की वजह से वापस बंद कर ली।

व्योम ने पहले अपनी आँखो को दोनों हाथो से रगड़ा और फ़िर धीरे-धीरे उसे खोल दिया।
वह इस समय समुद्र के किनारे पानी पर पड़ा था।

लहरें बार-बार आकर उसके शरीर को चूम रही थी, जिसकी वजह से उसके कपड़े अभी भी गीले थे। समुद्र की लहरो के उसके शरीर पर टकराने की वजह से उसके कपड़ो में काफ़ी ज़्यादा रेत लगी हुई थी।

व्योम धीरे से खड़ा हुआ और अपने शरीर पर लगी रेत को अपने हाथो से झाड़कर साफ करने लगा।

कपड़े पर लगी रेत साफ करके व्योम ने पहले एक नजर समुद्र की लहरो पर मारी और फ़िर उस रहस्यमय द्वीप पर मौजूद जंगल की ओर देखा।

व्योम ने एक गहरी साँस ली और फ़िर अपने सफर के बारे में याद करना शुरू कर दिया कि कैसे किसी ने असलम को मारकर झरने में फेंक दिया था। फ़िर कुछ दिन बाद असलम ने न्यूयॉर्क बंदरगाह पर आकर स्मिथ के सामने अपने बारे में बताया, जिसकी वजह से व्योम हेलीकाप्टर के द्वारा बारामूडा त्रिकोण के रहस्यमय क्षेत्र में पहुंचा।

फ़िर जब धुंध ने उसका हेलीकाप्टर खराब कर दिया, तो उसने हेलीकाप्टर को पानी पर उतारकर बोट बना लिया। तभी उसे एक सुनहरी रोशनी दिखाई दी। जब उसका ध्यान रोशनी की ओर था, तभी पीछे से समुद्र की लहरें अचानक ऊपर उठी और उसकी बोट पर आकर गिर गयी।

बोट टूट गयी, पर व्योम ने समय रहते पानी में छलांग लगा कर अपनी जान बचा ली। पानी में गोता लगाते ही उसे पानी के अंदर एक चमकीली रोशनी बिखेरती उड़नतस्तरी दिखाई दी। यह देख उस पर बेहोशी सी छा गयी। बेहोश होने के पहले उसने केवल इतना देखा कि वह एक सुनहरे मानव के हाथो में है।

“बड़ा ही अजीब और रहस्यमयी क्षेत्र है यह तो।" व्योम मन ही मन बुदबुदाया- “पता नहीं कौन था वह सुनहरा मानव? जिसने मुझे बचाया। यह तो अच्छा हुआ कि मैं इस द्वीप के पास था, वरना मुझे समुंदर की लहरो में खो जाना था।"

अब व्योम की नजर अपनी अपनी बेल्ट में फंसे एक बैग की ओर गयी। उसने बैग से सारा सामान निकालकर वहीं जमीन पर बिखेर दिया और उसे चेक करने लगा।

बैग में जरूरत का वह सारा सामान था जो दुर्घटना के पहले ही व्योम ने अपने पास रख लिया था।

बैग में एक वॉटरप्रूफ रिवॉल्वर, उसकी कुछ गोलियां, एक धारदार बड़ा चाकू, एक लाइटर, एक शक्तिशाली पेंसिल-टॉर्च, पतली मगर बेहद मजबूत नायलोन की रस्सी, एक छोटा कैमपास, एक छोटी मगर शक्तिशाली दूरबीन, एक नोटबुक और एक बॉल पेन था।

व्योम ने सबकुछ चेक करने के बाद वापस अपने बैग में डाल लिया। व्योम ने खड़े होकर एक बार फ़िर उस रहस्यमयी द्वीप की ओर देखा। अब उसके दाँत गुस्से से भींच गए।

“अब मैं इस रहस्यमयी द्वीप का रहस्य जानकर ही रहूँगा।" व्योम मन ही मन बुदबुदाया और उठकर जंगल की ओर चल दिया।

व्योम को जंगल काफ़ी घना दिखाई दे रहा था।

व्योम के पैरो के नीचे से अब रेत ख़तम होने लगी थी। घास और झाड़ियां उसके पैर के नीचे आने लगी थी।

तभी अचानक व्योम किसी अदृश्य चीज से जोर से टकरा कर गिर गया।

“ये क्या था?" व्योम ने अपनी नजरों को इधर-उधर दौड़ाकर देखा, पर उसे अपने आस-पास कोई चीज दिखाइ नहीं दी।

व्योम उठकर खड़ा हुआ और उसने फ़िर अपने कदम को बढ़ाकर जंगल के अंदर जाना चाहा, पर इस बार व्योम सतर्क था।

व्योम का शरीर फ़िर किसी अदृश्य वस्तु से टकराया। चूंकि इस बार व्योम सतर्क था इसिलये इस बार वह गिरा नहीं।

व्योम ने तुरंत अपने बैग से चाकू निकालकर अपने दाहिने हाथ में ले लिया।

इस बार व्योम ने खुद आगे ना बढ़कर अपना बांया हाथ आगे बढ़ाकर देखा। उसका हाथ किसी अदृश्य दीवार से टकराया।

व्योम ने उस दीवार को टटोलकर देखा, वह अदृश्य दीवार उसे किसी सख्त धातु की बनी दिखाई दी।

व्योम को समझ नहीं आया कि यह कौन सी धातु है, जो इस कदर पारदर्शी है कि उसके आर-पार की हर वस्तु बिल्कुल साफ दिखाई दे रही है।

व्योम ने चाकू की मूठ से उस अदृश्य दीवार पर एक चोट करके देखा। कोई आवाज तो नहीं हुई पर व्योम का हाथ जरूर इस वार से झनझना उठा।

इस बार व्योम ने थोड़ा और आगे बढ़कर जंगल में घुसने की कोशिश की, पर वहां भी वह अदृश्य दीवार थी।

आधे घंटे के अंदर व्योम ने बहुत सी स्थानो से जंगल में घुसने की कोशिश की। मगर सब व्यर्थ गया, अदृश्य दीवार हर जगह मौजूद थी।

“यह कैसी दीवार है, ऐसी दीवार के बारे में तो मैने कभी सुना भी नहीं। पता नहीं कौन सी तकनीक का प्रयोग करके इस दीवार को बनाया है?"

व्योम मन ही मन बुदबुदाया- “ऐसे तो मैं जंगल में घुस ही नहीं पाऊंगा। अगर मैं जंगल में प्रवेश नहीं कर पाया तो मैं खाऊंगा-पीयूंगा क्या?"

लगभग 2 घंटे की मेहनत के बाद व्योम समझ गया कि जंगल के अंदर घुसने का कोई रास्ता नहीं है। इसिलये उसने अब अपना लक्ष्य परिवर्तन कर दिया।

उसने एक बड़ी सी लकड़ी के नीचे अपने चाकू को बांधकर मछलियों का शिकार करना शुरू कर दिया।

व्योम ने आग जलाकर कुछ मछलियों को पका लिया। खाने की समस्या तो हल हो गयी थी, अब बची थी पीने की समस्या। तो व्योम ने देखा कि कुछ नारियल के पेड़ समुद्र किनारे पर भी थे।

व्योम ने नारियल को तोड़ उसका पानी भी लिया। दिन ख़त्म हो गया। व्योम ने वहीं समुद्र के किनारे पर आग जलाकर रात बिताई।

अब व्योम की यही रोज की दिनचर्या बन चुकी थी। वह रोज पहले कुछ देर तक उस जंगल में अंदर घुसने का रास्ता ढूंढता, फ़िर मछलियों का शिकार करके उन्हें पकाकर खाता।

धीरे-धीरे ऐसे करते हुए दिन बीतने लगे। आज व्योम को होश आये 4 दिन बीत चुके थे।

व्योम एक पत्थर पर बैठकर अपने चाकू पर धार लगा रहा था कि तभी उसे समुद्र के पानी में एक
ब्लू-व्हेल दिखाई दी।

“यह कैसे पॉसीबल है? ब्लू-व्हेल तो समुद्र के गहरे पानी में रहती है। यह इस द्वीप के इतने किनारे तक कैसे आ गयी? किसी भी द्वीप के किनारे पर तो काफ़ी कम पानी होता है। ऐेसे में ब्लू-व्हेल इतने कम पानी में कैसे तैर सकती है?"

यह विचार दिमाग में आते ही व्योम ने अपने बैग को चेक किया और तुरंत पानी में छलांग लगा दी।
व्योम पानी के अंदर ही अंदर तैर रहा था।

थोड़ी ही देर में पानी के अंदर द्वीप की जमीन दिखाई देना बंद हो गयी।

“यह कैसे संभव है? यह द्वीप की जमीन इतनी जल्दी कैसे ख़त्म हो गयी?"

अब व्योम एक बार पानी के ऊपर आया और अपने फेफड़ो में जोर की हवा भरकर, उसने दोबारा डाइव मार दी।

अब वह कम से कम 25 मिनट तक पानी के अंदर रह सकता था। पानी के अंदर अब कहीं भी व्योम को ब्लू-व्हेल नहीं दिखाई दे रही थी।

व्योम धीरे-धीरे पानी के नीचे और नीचे जा रहा था।

समुद्र का पानी अंदर से साफ था, इसिलये अंदर का नजारा बिल्कुल साफ दिखाई दे रहा था।

तभी नीचे का नजारा देखकर व्योम हैरान रह गया क्यों कि वह द्वीप समुद्र की तली से जुड़ा हुआ नहीं था। वह पानी पर तैर रहा था।

“यह कैसे संभव है? यह द्वीप तो पानी पर तैर रहा है। और....और नीचे से देखने पर यह द्वीप किसी विशालकाय पानी के जहाज के जैसा लग रहा है। थोड़ा और पास चलकर देखता हूं।"

यह सोचकर व्योम ने थोड़ा और पास जाकर नीचे से द्वीप की सतह को देखा। नीचे से द्वीप की सतह किसी सुनहरी धातु की बनी दिख रही थी।

“यह तो किसी धातु का बना कोई कृत्रिम द्वीप लग रहा है। इतने विशालकाय कृत्रिम द्वीप को किसने बनाया होगा? मुझे तो यह कोई ‘एलियन’ की टेक्नोलॉजी लग रही है? मनुष्य अभी इतना विकसित नहीं हुआ कि इस प्रकार की कोई रचना कर सके? कहीं यह एलियन का कोई बहुत बड़ा अंतरिक्ष-यान तो नहीं?"

व्योम के दिमाग में ऐसे ही अजीब-अजीब से विचार आ रहे थे।

तभी व्योम को उस ब्लू-व्हेल का ख़याल आया। उसने चारो तरफ नजर दौड़ा कर देखा, पर ब्लू-व्हेल उसे कहीं दिखाई नहीं दी।

व्योम को पानी के नीचे आये हुए 10 मिनट बीत चुके थे।

व्योम अभी इसी उलझन में फंसा था कि तभी द्वीप के एक निचले हिस्से से, एक काँच की लगभग 10 फुट लंबी, आदमकद कैप्सूलनुमा ट्यूब गोली की रफ़्तार से निकली और पानी में कहीं जाकर गायब हो गयी।

व्योम तेजी से तैरकर उस जगह पहुंच गया, जहां से वह काँच की ट्यूब निकली थी।

द्वीप में उस जगह पर एक दरवाजा दिखाई दे रहा था, जो कि धीरे-धीरे बंद हो रहा था।

व्योम बिना समय गंवाए उस रास्ते में प्रविष्ट हो गया। व्योम के अंदर घुसते ही वह दरवाजा स्वतः ही बंद हो गया।

ये एक बहुत चौड़ी सुरंग थी, जिसमें पानी भरा हुआ था। व्योम लगातार तैरते हुए आगे बढ़ रहा था।

लगभग 10 मिनट तक तैरने के बाद व्योम को पानी में वही ब्लू-व्हेल खड़ी हुई दिखाई दी। ऐसा लग रहा था जैसे ब्लू-व्हेल वहां सो रही हो। ऊपर पानी की सतह पर उजाला भी दिख रहा था।

एक बार तो व्योम ब्लू-व्हेल को वहां देखकर डर सा गया, पर फ़िर वह ब्लू-व्हेल से थोड़ी दूरी बनाकर पानी की सतह पर निकला।

बाहर का नजारा देखकर वह पूरी तरह से हैरान रह गया। वह एक बहुत बड़ा विशालकाय कमरा था। उसे देखकर ऐसा लग रहा था कि जैसे किसी पहाड़ को अंदर से खोखला करके उस कमरे को बनाया गया हो या फ़िर वह कोई विशालकाय पिरामिड हो।

उस कमरे में किनारे-किनारे पत्थरो से फ़्लोर बनाया गया था। एक नजर में वह कोई बहुत बड़ा स्वीमिंग पूल जैसा नजर आ रहा था। कमरे में चारो तरफ सुरंग जैसे कई रास्ते बने थे।

वहीं एक किनारे पर ब्लू-व्हेल सो रही थी।

“यह जगह तो किसी इंसान द्वारा बनायी गयी लग रही है या फ़िर एलियन द्वारा?"



जारी रहेगा______✍️
Romanchak safar hai chalte rahiye
 
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