शानू और उसकी अम्मा फरीदा का सम्बन्ध सदैव ही नरम गरम जैसा रहा । फरीदा ने शानू को बचपन से ही चटपटे भोजन का स्वाद चखाया पर बीच - बीच मे सात्विक भोजन भी परोसती रही । पर समस्या यह है कि एक बार किसी को चटपटे पदार्थ का आदत लग जाता है तब सात्विक भोजन पसंद नही आता ।
यही हाल कमोबेश शानू का है । उसे फरीदा रूपी चटपटे भोजन की लत लग गई है जो अन्य किसी भी भोजन से उसकी तृप्ति नही हो सकती । चाहे वह भोजन रेशमा मैम रूपी हो , वह जमीला रूपी हो , वह अलीना रूपी हो , वह गुलनार रूपी हो , वह शबनम रूपी हो या फिर वह चाहे नानीश्री रूपी ही क्यों न हो ।
खैर , कभी कभी सम्बन्धों के दरम्यान कुछ वर्षों की दूरियां सम्बन्धों को करीब लाने का काम करती है । शायद शानू और फरीदा के बीच की यह लंबी दूरी अब इनके सम्बन्ध के फासले कम कर दे !
लेकिन एक ट्विस्ट भी है इस फसाने मे जो फरीदा मैडम के रहस्यमय किरदार को लेकर है । इनकी झूठ बोलने की आदत बेवजह तो नही हो सकती । इनकी किताब के पन्ने अभी तक ठीक से खुल नही पाया है । इनकी मनोदशा अब भी रहस्य के साये मे है ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट भाई ।