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Thank you broबहुत ही सुंदर लाजवाब और मदमस्त अपडेट है भाई मजा आ गया
बहुत ही शानदार और जानदार अपडेट हैं भाई मजा आ गयाUPDATE 192 A
बारात आ गयी !!
बारात आ गयी !!
गीता चहकते हुए उपर हाल मे सब औरतों को आवाज देती है और सारी औरते उपर की बालिकिनी मे कसाकस खड़ी होने लगती है ।
भीड के बीच मे दूल्हे की शेरवानी से लेकर बरातियों के डांस और समधन के कपड़ो की बातें उठ रही थी ।
इधर निचे सड़क मे मुख्य द्वार पर दुल्हन के घर के सभी मर्द निचे आ गये थे स्वागत के लिए
दूल्हे और सम्धी को माला पहना कर स्वागत किया गया ।
सबको मीठा पानी नास्ते के लिए लगा दिया गया ।
अमन भी एक सोफे पर बैठ कर नजर फिराते हुए सोनल को खोजता हुआ गरदन उठा कर बाल्किनी ने देखता है कि वहा लड़कियो की लाईन लगी थी , एक से बढ कर एक हसिन जवान खिले रन्ग बिरंगे गुलाबो का बागीचा का सजा हो मानो ।
बबिता ने हाथ उठा कर इशारा - हाय जीजू हिहिही
अमन लाज के मारे मुस्कुरा कर नजरे फिरा लेता है और बगल मे उसकी पहरेदार बनी रिन्की हस पड़ी ।
वही राज और अनुज दोनो सगे साले अपने जीजा का आवभगत करने ट्रे लेकर उसके पास पहुचे ।
अनुज ने अमन के पाव छू कर उपर देखा तो बगल मे एक बला सी खुबसूरत उसके हम उम्र की लडकी इतराती हुई अपनी पलके स्लो मोशन मे झपकाये अपने चमकीले आई-शैडो दिखा रही थी और आई-लाईनर ने उसकी काली सुरमई आंखो को और भी आकर्षक बना दिया ।
अनुज ने नजर भर उसको देखा और अनुज को खुद की ओर देखता पाकर रिन्की मुस्कुराइ और उसके ट्रे से पानी का गिलास लेके उसके सामने ही उस ग्लास पर अपनी महरुन सुगर-मैट लिपस्टिक की छाप देती हुई पानी का सिप लेते हुए नजरे उठा कर अनुज को देखती है ।
अनुज लाज से नजरे फेर कर आगे बढ़ जाता है , मगर उस्का दिल पुरा काप रहा था ।
रिन्की मुस्कुरा कर अनुज को जाते देखा और खुद पर इतराती हुई दुलारी भौजी को ऐसा कातिलाना लूक देने के थैंकयू बोला ।
दुलारी ने मुस्कुरा कर उसको आंख मारी और काजूकतली की बाइट को अपने सफेद दाँतो से दबाते हुए बड़ी अदा से रिन्की को देखा कि रिन्की को लगा मानो दुलारि ने उसके निप्प्ल काट लिये हो
वो आंख भिंच कर सिहर उथी और मुस्कुराने लगी ।
रंगी - अरे बेटा इधर ला मुझे दे
रन्गी राज के ट्रे से मीठे का प्लेट उठा कर अपनी समधन ममता को देता हुआ - लिजिए भाभी जी
ममता मुस्कुरा कर आंखो ही आंखो मे रंगी को देखा और थोडा नजाकत से उसके हाथो से प्लेट लेते हुए - जी शुक्रिया ।
रन्गी ने देखा कि ये वही ब्लाउज था जिसका डिजाईन रंगी ने सोचा था ,
स्लीवलेस , लो-नेक और वाइड शोल्डर उफ्फ्फ ममता का गुलाबी गोरा जिस्म निखर कर सामने आ गया था उस मरून ब्लाउज मे उसपे से हल्की ट्रासपैरेन्सी वाली ऑरगंजा साडी का पल्लू उसके दूधिया जोबनो को छिपाने वजाय और भी आकर्षक का केंद्र बना रहा था ।
कमर पर बाहर की ओर निकाली चर्बीऔर साड़ियों के प्लिट मे छिपती नाभि की ढलाने उफ्फ़ सब कुछ कामोत्तेजक था इस वक़्त रन्गी के लिए ।
मन और लन्ड दोनो के जज्बात छिपाते हुए रंगी आगे बढ़ कर अपने समधि मुरारी और मदन से मिलने लगा ।
वही उपर की बाल्किनी मे दो बहनों मे अलग ही कौतूहल मचा हुआ था ।
रज्जो - अरे कहा है तेरे समधन की ननद
रागिनी - वो देखो ग्रीन-ब्लू साडी वाली , वहा दामाद बाबू के बाई ओर वाली
रज्जो - कौन वो जिसके हाथ मे वाइट पर्स है
रागिनी - हा वही !
रज्जो - अरे वाह क्या गजब का रसगुल्ला है हिहिहिही
रागिनी हस कर - हा तो जीजू को बोल दो आज इस रसगुल्ला का सारा रस यही निचोड़ना है हिहिहिही
रज्जो - अच्छा तुने अपने देवर से बात की
रागिनी लजाते हुए मुस्कुरा कर - हमम्म
रज्जो - तो क्या बोला ?
रागिनी - हिहिहिही ये मर्द जात कहा पीछे रहेगी वो क्यू मना करते भला
रज्जो - वो तो पहचानता है दूल्हे की बुआ को
रागिनी - हा पहचाते तो है लेकिन मै एक बार इशारा कर दूँगी ।
रज्जो - ठिक है चलो चलते है निचे तैयारियाँ करनी है ।
दोनो सीढियों से निचे जा रही थी ।
रज्जो - अरे ये तेरी देवरानी कहा रह गयी
रागिनी - अरे वो तो ऐसे सज सवर रही है मानो आज समधि के साथ वही फेरे लेगी हाहाहहा
रज्जो भी हसने लगती थी तभी अनुज जीने से होकर उपर आता हुआ दिखा जो अभी कुछ देर पहले बाहर हुए रिन्की के साथ उसके अनुभव से थोड़ा खुश था और वो खाली भी था तो रिन्की को निहारने के लिए छत की बाल्किनी मे जा रहा था ।
रागिनी उसको पकडते हुए - हे रुक कहा जा रहा है ?
अनुज हकला कर - वो वो मै !!
रागिनी - उपर कमरे मे जा रहा है ना ?
अनुज क्या ही बोलता उसने अपनी मा के हां मे हां मिलाया - हा !!
रागिनी - अरे तेरी चाची को बोल दे जल्दी तैयार हो जाये और निचे आये , जा बोल दे जा
अनुज - ठिक है मा
फिर अनुज सरपट जीने से हाल मे आया और सीधा बाल्किनी मे जाने के लिए गैलरी की ओर बढा था कि वापस भन्नाते हुए हाल की ओर घूमता - अरे यार ये मम्मी भी ना , कहा हो चाचीईईई उम्म्ंम
अनुज लपक कर अपने कमरे की ओर बढ़ता है तो उसे बगल मे सोनल के कमरे मे लड़कीयों और औरतों की हसी ठिठोली भरी अवाजे आ रही थी और अनुज की इतनी हिम्मत नही थी कि वो भीतर झान्के तो उसने लपक कर अपने कमरे का भिड़का हुआ दरवाजा हल्का सा खोलकर झाका
भीतर शालिनी अपनी मुलायम satin-silk वाली साड़ी के ड्राप सेट कर रही थी और उसका सीना बिल्कुल खुला पड़ा,
आगे झुकने से उसके बडे गले वाले ब्लाउज से उसकी उजली छातियों की गहरी लकीरें साफ नजर आ रही थी वही पेट पर उसकी गुदाज नाभि अलग ही रसदार छवि बना रही थी ।
अनुज ने थुक गटका और अपने सर उठाते लण्ड को पैंट के उपर से दबाते हुए दरवाजा खोलते हुए झटके से कमरे मे दाखिला
शालिनी चिहुकते हुए अपनी फैली हुई साड़ी के आचल को समेटते हुए अपने खुले सीने को ढकती हुई - हाय्य दैयाअह्ह , अ अनुज बेटा तु है
शालिनी ने आन्खे बन्द कर गहरी सान्स ली और मुस्कुराने लगी ।
अनुज का लन्ड फनफना रहा था ।
शालिनी हाफ्ते हुए मुस्कुरा कर - बेटा जल्दी से दरवाजा लगा दे कोई आ जायेगा ।
अनुज ने झटके से दरवाजा ल्गाया और बोला - चाची चलो मम्मी बुला रही है , बारात आ गयी है ।
शालिनी बेबस भरी हँसी हसने की कोसिस करती हुई - हा बेटा बस 5 मिंट ये साडी का पल्ला सही नही बन रहा है , जरा मदद करेगा बेटा ।
अनुज चौक कर - मै ! मेरा मतलब मुझे कहा आती है साड़ी पहनाने
शालिनी हस कर - अरे पागल तुझे पहनाना नही है ,मै पहन लूंगी , तु बस ये निचे बैठ कर प्लीट पकडकर टाइट करना ठिक है
अनुज ने हा गरदन हिलाया और शालिनी के आगे घुटने के बल बैठ गया ।
शालिनी ने वापस से हाथ मे लिया हुआ आंचल छोड दिया और एक बार फिर उसका सिना खुल गया ।
शालिनी की प्लीट बनाती हुई सेट करके एक एक अनुज की निचे से टाइट करने को कह रही थी ।
"हा बेटा बस इसको छोड और वो बगल से निचे से कोना पकड के निचे खिंच " , शालिनी ने अपने दाहिने ओर साडी के बार्डर की ओर इशारा किया ।
इससे पहले शालिनी अपनी साडी को आगे Tuck करके अनुज को आगे का instructions देती , अनुज ने अपनी उंगलियों से जोर देकर दाहिनी तरफ की साडी का किनारा ऐसा खिंचा कि शालिनी की दाये और पीछे की तरफ उसकी साडी जित्नी भी पेतिकोट मे खोन्सी हुई थी सारी tucking बाहर आ गयी ।
शालिनी - अरे बुधु ये क्या किया तुने , सब बाहर आ गया । इतना जोर से थोड़ी ना खिंचना था ।
अनुज शालिनी को परेशान देख कर खड़ा हुआ - सॉरी चाची अभी अन्दर कर देता हु इसको
अनुज ने जल्दी जल्दी शालिनी की उधडी हुई साड़ियों की टकिंग को वापस से कमर मे खोंसने लगा उसकी उंगलियाँ शालिनी के नंगी कमर और पीछे कूल्हो पर स्पर्श होने लगी ।
शालिनी - ओही रहने दे तुझसे नही होगा मुझे फिर से निकालनी पड़ेगी साडी
शालिनी ने वापस से अपनी कमर से साडी निकालती हुई - ओहो देख ऐसे खिंच की इसकी इस्त्री बिगड़ गयि ।
अनुज उदास मन से - सॉरी चाची ।
शालिनी कुछ सोच कर - मै साडी ही बदल देती हु ये नही पहुन्गी ।
शालिनी वैसे ही ब्लाउज पेतिकोट मे घूमती हुई अपना बैग खोलकर उसमे से साड़ियां निकालने लगी
वही अनुज अपनी चाची को इस रूप मे देख कर पागल हुआ जा रहा था । उसका लन्ड और कडक हो रहा था ।
शालिनी - अब तो इसके ब्लाउज पेतिकोट और चूडियां सब बदलनी पड़ेगी ।
अनुज - तो चाची मै जाउँ
शालिनी उसको डांट कर - कहा जायेगा , जल्दी से मेरी मदद कर ये साडी फ़ोल्ड कर दे तब मै ब्लाउज पेतिकोट बदल लेती हु।
अनुज चाची की डांट पर थोडा सहमा और चुप चाप साडी समेट कर बेड के करीब आया और साडी के सिरे मिलाते हुए उन्हे फ़ोल्ड करने लगा ।
वही शालिनी ने जल्दी अनुज के पीछे खड़े होकर अपने ब्लाउज के हुक चटकाने लगी
वही अनुज को बेड से लगी आलमारी के आईने अपनी चाची की छवि मिल रही थी ।
शालिनी ने झटके से अपना ब्लाउज निकाला तो ब्रा मे कैद उसकी नायाब कड़क मोटी नारियल जैसी चुचियां देख कर अनुज की आंखे चमक उठी ।
उसके हाथ रुक गये थे और वही शालिनी की नजर उसपे गयी - अरे जल्दी कर ना भाई और ये ब्लाउज का हुक लगा कर उसको फ़ोल्ड करना
शालिनी ने ब्लाउज बेड पर अनुज के पास फेकते हुए बोली ।
और जल्दी से अपने पेतिकोट का नाड़ा खोलने लगी , मगर ये क्या अनुज ने जिस तरह से साडी खिंची थी शालिनी के पेतिकोट के डोरी की गांठ कस गयी थी और शालिनी की लाख कोसिस पर वो खुल नही रही थी
"ऊहह इसे क्या हुआ , एक तो लेट हो रहा है और उपर से अह्ह्ह माआह , क्या हुआ इतना आसानी से तो बान्धा था " , शालिनी अपनी उंगलियों से अपने पेतिकोट की डोरी खोलने की कोसिस करती हुई बड़बड़ाइ ।
वही अनुज आईने ने अपनी चाची को परेशान देख कर मस्त था क्योकि हर बितते पल के साथ उसे अपनी झुकी हुई चाची की गोरी छातीया और देरी देखने को मिल रही थी ।
शालिनी ने आगे देखा कि अनुज साडी फ़ोल्ड करके तिरछी नजरों से आईने मे उसे ही निहार रहा था ।
शालिनी - देख क्या रहा है , ये नही कि मदद कर दूँ चाची की
अनुज सकपकाया और थोड़ा हिचक कर अपनी चाची की ओर घुमा - जी !!
शालिनी अनुज के सहमे हुए और भोली प्रतिक्रिया पर हसी - इधर आ पागल कही का , खोल इसे देख खुल नही रहा है ।
अनुज थुक गटक कर सामने खड़ी अपनी रसदार चाची की ब्रा मे कैद दुधारू चुचियों की घाटियों मे खोया हुआ आगे बढ़ता हुआ पास आया ।
अनुज - अरे इसकी गांठ तो इतनी टाइट क्यू कर दीं आपने , इसको काटना पड़ेगा अब
शालिनी - जा फिर चाकू ला जल्दी
अनुज - नही रुको मेरे पास छोटी वाली कैंची है
फिर अनुज लपक कर अपनी आलमारी से कैंची निकालकर लाया और शालिनी का पेतिकोट का नाड़ा काटने लगा ।
अनुज - ह्ह हो गया अब निकाल दो इसे
शालिनी ने घुर के उसको देखा तो अनुज को समझ आया कि वो क्या बोल गया और वो शरम से नजरे चुराने लगा तो शालिनी की हसी छूट गयी ।
शालिनी अपनी हसी दबाती हुई - ला वो मेरा पेतिकोट दे
अनुज बेड से पेतिकोट उठा कर शालिनी को दिया और शालिनी ने पहने हुए पेतिकोट को उठा कर उपर करते हुए दाँतो मे फसाया , जिससे निचे उसकी घुटनो के साथ साथ मांसल सुडौल चिकनी जान्घे भी आगे से दिखने लगी ।
वही शालिनी ने दुसरा पेतिकोट उपर से पहना और उसको सरका कर कमर तक लाई , फिर उसने अपने मुह से वो पेतिकोट छोड़ दिया जो उसके पेट पर आकर अटक गया ।
शालिनी ने उपर से नया पेतिकोट आगे फैलाया और निचे वाला पुराना पेतिकोट हाथो से खोस खोस कर निचे करने लगी , मगर वो निचे पैरो तक नही सरक रही थी
शालिनी ने पैरो से भी कोसी की लेकिन पेतिकोट उपर खिंचने से वो उसके चुतडो पर पीछे से रोल होकर अटक गया था और निचे नही जा रहा था ।
शालिनी परेशान होकर जब उसके हाथ थक गये - देखना बेटा कहा फसा है
अनुज झट से आगे बढ़ के निचे बैठा और उपर वाले पेतिकोट मे निचे से हाथ डाल अन्दर का पेतिकोट खिंचने लगा ।
"चाची ये तो फस गया है , ये वाला उपर करो ", अनुज ने ऊपर वाले नये पेतिकोट को हिलाते हुए अपनी चाची की ओर गरदन उठा कर बोला ।
शालिनी असहज होकर मजबूरी ने आगे झुक कर उपर वाला पेतिकोट को बीच से पकड के उसकी उंगलियों से खिंचते हुए दोनो तरफ से उपर करने लगी ।
शालिनी - दिखा क्या बेटा
अनुज ने गरदन लफाते हुए भीतर पेतिकोट मे झाका और उसे दो पेतिकोट के बीच जांघो के जड़ो मे हल्की काली हरियाली लिये हुए शालिनी के फान्केदार चुत के दरशन हुए ।
अनुज की आंखे फैल गयी कि उसकी चाची ने निचे कुछ नही पहना वही शालिनी अनुज की हरकत से भीतर से विचलित होकर अपनी आंखे भींच ली और खुद पर शर्मिंदा थी कि अबतक शायद अनुज ने उसकी निचली गुफा का दिदार कर लिया होगा ।
अनुज पेतिकोट के अंदर हाथ डाल कर निचे वाला पेतिकोट खिंचता हुआ - मिल गया चाची मिल गया ।
अनुज ने निचे वाला पेतिकोट खिंच कर शलिनी के पैरो मे करते हुए चहक कर - मिल गया चाची हिहिही
शालिनी तुन्की - क्या फाय्दा अब हुउह जब सब गुड गोबर हो गया
अनुज शालिनी की भुनभुनाहट का मतलब समझ गया था और वो अपनी हसी होठो मे दबा कर मुस्कुराया ।
शालिनी उसको देख कर चपत लगाने को होती है मगर उसको भी हसी आ जाती है एक कहावत सोच कर " जिसका जितना जतन उसका उतना पतां " ।
शालिनी - चल जा अब बदमाश कही का
अनुज हस कर - पक्का चाची आपको मेरी जरुरत नही है हिहिहिही
शालिनी के गुस्से पर अनुज की हसी हावी थी और वो भी हस्ती हुई - अब जा तेरी मदद नही चाहिये , काम बिगाडू है तु
अनुज हस कर कमरे से बाहर जाता हुआ - ओके चाची , जल्दी आना
अनुज खिलखिलाता हुआ कमरे से बाहर हाल मेआया और तभी उसको रिन्की का ख्याल आया वो लपक कर बाल्किनी की ओर बढ गया ।
घर मे सारे जेंटस बारात की आवभगत मे लगे थे , मगर बनवारी चुपचाप मारे शर्मिंदगी मे राज के कमरे मे ही था । राज के बार बार कहने पर भी उसने अपने जमाई से नजरे मिलाने की हिम्मत नही थी ।
इधर नासता पानी होने के बाद रिस्तेदारों का आपस मे परिचय का दौर होने लगा और वही जैसे ही मुरारी ने इशारे ने रन्गी को अपनी बड़ी बहन को दिखाया ।
बगल मे खड़ी रागिनी ने हाथ जोड़ कर उससे नमस्ते करते हुए मुस्कुराकर पास मे खड़े अपने देवर की ओर देखा और अंखियों से इशारा किया कि यही है ।
जंगी ने थोड़ी असहजता भरी हसी को थामा और अच्छे से संगीता को उपर से निचे तक स्कैन किया ।
मर्दजात के आंखो का स्पर्श संगीता बखूबी भाप लेती थी और उसने भी तय किया कि आज का शिकार जन्गी ही होगा ।
रंगी - अरे रागिनी बाऊजी कहा है
रागिनी - पता नही मैने तो उन्हे दोपहर से ही नही देखा ।
"दीदी उनकी तबियत तो ठिक है ना " , रागिनी ने फ़िकरमन्द होकर रज्जो को पुछा ।
वही रन्गी जो समझ रहा था कि दोपहर बाद से उसके ससुर के गायब होने का क्या कारण है तो वो खुद पर थोडा लज्जित हुआ ।
उसने सबको बैठने का बोलकर खुद घर मे चला गया ।
हाल पहले ही आस पड़ोस के महिलाओ से भरा हुआ था
उसने गेस्ट रूम चेक किया तो वहा राज के बुआ की पूरी फैमिली भरी हुई थी और उनकी अपनी ही बाते चल रही थी ।
रंगीलाल उनको भी डिस्टर्ब किये बिना सीधा राज के कमरे मे जाता है ।
जहा बनवारी करवट लेके आंखे खोले हुए लेटा था ।
अपने ससुर की हालत पर रंगी भीतर से विचलित हो उठा और उसे समझ आया कि उसने सच मे अपने ससुर से कुछ ज्यादा ही कड़ा रुख कर दिया था ।
वो सहज भाव के बनवारी के पास बैठा और उसके पाव पर हाथ रखते हुए - बाऊजी !!
अपने पाव की एड़ियो पर ठन्डे हाथों का स्पर्श पाकर बनवारी चौका और उसकी सासे तो और तेज हो गयी जब उसने रंगी को सामने पाया ।
बनवारी हड़बड़ा कर उठता हुआ - अरे जमाई बाबू आप !!
बनवारी को परेशान देख रंगी उसको तसल्ली देता हुआ - अरे नही आराम करिये , क्या हुआ आप बाहर नही आये । बारात आ गई है बाऊजी ।
बनवारी कुछ सोचता हुआ - अच्छा, वो जरा आंख लग गयी थी ।
बनवारी का झुठ रंगी अच्छे से समझ रहा था और उसे अपनी गलती का अहसास था वो नजरे फेर कर कमरे के एक कोने मे आंखे टीकाए बोला - बाऊजी मै माफी चाहता हु , मुझे आपसे ऐसे बात नही करनी चाहिए थी । आज मेरी बेटी की शादी है और ले देकर आप ही मेरे पिता समान है , अगर आप ही नही शामिल होंगे ।
अपने दमाद को भावुक होता देख बनवारी आगे बढ़ कर उसका हाथ पकड लिया - अरे अरे जमाई बाबू ये क्या कह रहे है आप !! मेरी नातिन की शादी है मै तो नाचूँगा भी । वो तो बस आज जो हुआ वो सोच कर ....
रंगी - कोई बात नहीं जो हुआ सो हुआ , हम इसपे कोई बात नही करेंगे आगे से और आप भी ध्यान मत दीजिये । आईये चलिये मेरे साथ
बनवारी रंगी का मुह देखता हुआ - तो क्या तुमने मुझे माफ कर दिया बेटा?
रंगी भावुक आंखो से - बाऊजी , आप पिता समान है मेरे मै कौन होता हु आपको माफ करने वाला । गलती मेरी थी कि मै आपकी जरुरतों को समझ नही पाया और काम के टेनसन मे ना जाने क्या ....ह्ह
बनवारी- नही नही जमाई तुम अपनी जगह पर ठिक थे बस लापरवाही हमसे ही हुई थी और उसमे बेचारी जमुना बहू का भी दोष नही है
रंगी - हा भौजी की भी हालत आपके जैसी है मै जानता हु
बनवारी- मतलब ?
रंगी को ध्यान आया वो क्या बोल गया - कुछ नही आप उठिए और चलिये , बाहर सब इन्तेजार कर रहे है ।
फिर रंगी बनवारी को लिवा के बाहर चला आया ।
वही एक ओर राहुल और अरून बारबार घर मे अन्दर बाहर चक्कर काट रहे थे कि कही से उन्हे गीता बबिता की झलक मिल जाये मगर वो दोनो अभी अपनी दुल्हन दीदी के साथ स्टेज पर आने की तैयारियाँ करने मे व्यस्त थी
वही हमारा आशिक आवारा अनुज बाल्किनी मे आकर टहलता हुआ अपनी हीरोइन रिन्की को ताड़ रहा था ।
नेवी व्लू और डार्क ग्रीन मे फ्रील वाली सरारा शूट मे रिन्की गजब की खिल रही थी और उसकी कजरारी आंखे भी अपने एकलौते आशिक़ को ही खोज रही थी कि तभी दुलारी ने हल्के से उसको धक्का दिया ।
रिन्की ने उसकी ओर देखकर आंखो से इशारा किया कि क्या बात है ।
दुलारि मुस्कुराते हुए आन्खे उपर की ओर इशारे करती हुई होठो से बुदबुदाइ - बाल्किनी ।
रिन्की फौरन अपनी जुल्फो को झटकते हुए उपर बाल्किनी की ओर देखा और अनुज फौरन पीछे हट गया
मगर उससे पहले रिन्की उसकी छत से लटकती झालरो की रोशनी मे चमकती जैकेट को देख जाती है ।
रिन्की शर्माते हुए नजरे नीची कर इतराने लगती है और मुस्कुरा कर तिरछी नजर से एक बार फिर उपर देखा तो अनुज वही बाल्किनी की रेलिंग से थोड़ा पीछे खड़ा था जहा छत की झाप के अन्धेरे मे उसका चेहरा साफ तो नही दिख रहा था मगर रिन्की को पुरा यकीन था कि वो अनुज ही है ।
वही अनुज की हालत कम खराब नही थी , रिन्की का यू उसकी ओर आकर्षित हो जाना उसके लिए किसी अजुबे से कम ना था ।
पहली बार कोई लड़की खुद से भाव दे रही थी और उसको समझ नही आ रहा था ।
तभी उसकी नजर अपने भैया राज पर गयी और उसने तय किया कि इस बारे मे वो राज से बात करेगा ।
वही इनसब से अलग राज के दोनो बुआ और फूफा की आपस मे कुछ अलग ही मिटिंग चल रही थी गेस्टरूम ने ।
शिला - नीलू के पापा आप कैसी बाते कर रहे है ? मुझे सच मे टाईम नही मिला उस रात ऑनलाइन जाने का ।
"और क्या ये बातें आज और यही करना जरुरी है " , शिला ने नाराज होते हुए कहा ।
मानसिंह - ओहो तुम नाराज क्यू हो रही हो जान, मै तो बस कैजुअली पुछ रहा हूँ ।
कम्मो- अरे जीजू अभी छोडिए ना ये सब और खुशी की बात है कि दीदी एक क्या मेम्बर जोड़ने वाली है हमारी टीम मे ।
रामसिंह - क्या सच मे भाभी ? कौन है वो ?
शिला इतरा कर - अभी तक मैने उससे इस बारे मे कोई बात नही की है , मुझे वक़्त चाहिये इसके लिए और इस लिये शादी के बाद भी कुछ दिन मै यहा रुकने वाली हु ।
मानसिंह - क्या ?
शिला - हा , कम्मो अब तु ही समझा इन्हे !!
कम्मो - हा जीजू दीदी ठिक कह रही है ।
मानसिंह - लेकिन हमारी ऑनलाइन स्ट्रीम का क्या होगा ? ऐसे तो हमारी ट्रैफिक डाउन होती जायेगी ।
कम्मो - उसकी टेन्सन आप लोग ना लें , दीदी और मैने उसका सॉल्यूशन निकाल लिया है घर पर इस बारे मे हम बातें करेंगे ।
शिला - और फिल्हाल शादी में चलते है , क्या सोचेंगे भैया हमारे बारे मे कि जबसे आये है एक भी बार शकल नही दिखाई आप लोगो ने उन्हे ।
रामसिंह - भैया भाभी बात सही कह रही है , हमे चलना चाहिए अब ।
जारी रहेगी ।
Wow wonderful kamuk update thanks guruji
Tum bhi humari kahani par revo kar do yaar![]()
Shaandar jabardast super hot Mast Lajwab Kamuk Update![]()
Nice update
Super UpdateKeep it up
awesome
Waiting for next update
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Anuj ko kaha bejh Rahe ho agar rangi nahi hai aur raj bhi dukaan par hai toh ragini aur anuj ko thaoda time de chachiye tha par nahi kab tak anuj aur ragini ko dur rakhoge kab tak kab anuj aur ragina ka dekhen ko milega
Wow......bhai aapne toh aag hii laga di har jagah......
Fantastic update bhai....
Waiting more sonal...
Excellent update
Update mast raha ye wala bhi pehle nisha sonal aur aman ka threesome phir murari bhi manju ke nazare dekh liya udhar maansingh ne rajjo ko ragad diya aur edhar ghar par bhi masti hone wali hai aur rangilal bhi apne sasural me kuch na kuch kaand jaroor karega
Nice update bro![]()
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Jabardast update![]()
Lajawab jabrdast hot update
Der aaye durust aaye bade update ke sath Romanchak. Pratiksha agle rasprad update ki
Superb update
Overall good update but missing old vibes and also exited about new equations like ragini anuj Sonal murari Mamta aman, raj full family sex, shila's home , Rahul house etc
Waiting for next update
shandar
Nice update
Hot update
AWESOME
Waah bahut khoob update.. maza aayega murari ko manju ka size pta lagega jigyasa shant le liye , uskke mummo ka size D ya DD tho nhi hoga , patle share pe bade chuche tho nhi....
Maza ayega. .....
कहानी की अगली कड़ी पोस्ट कर दी गई हैभाई ये कहानी तो समाप्त हो चुकी थी ना तो अभी अपडेट कैसे
Shaandar Mast Hot Kamuk Updateअध्याय 02
UPDATE 003
पिछले 3 हफ्ते थे अनुज घर और शादी के ऐसा उलझा था कि उसे न पढ़ाई के लिए समय मिला और न ही आने वाली परीक्षा की तैयारियों का
आने वाले महीनों उसके प्रैक्टिकल शुरू हो रहे थे और उसके प्रोजेक्ट अधूरे क्या शुरू ही नहीं हो पाए थे ।चिंता भरे मन से अनुज उलझा हुआ कालेज के लिए जा रहा था । उसका कालेज भी वही था जहां से पहले उसके भैया राज ने दसवीं और इंटर पास किया था ।
राज के अच्छे व्यवहार और पढ़ाई में अच्छा होने की वजह से उसके कालेज के टीचर अनुज से अकसर उसके बारे में हाल चाल ले लिया करते यहां तक कि अनुज की पहचान भी अभी तक राज के छोटे भाई के तौर पर ही थी । क्योंकि ना ही अनुज पढ़ाई के उतना अव्वल था और न ही खेल कुद जैसी प्रतियोगीताओ में कोई रुचि रखता था , हालांकि चढ़ती उम्र में वासना ने उसे लालची जरूर बना दिया था ।
कालेज को जाती सड़क पर चल रहा था , आमतौर पर ये सड़के बच्चों से व्यस्त होती थी मगर आज पापा की वजह से उसे थोड़ा लेट हो गया क्योंकि अनुज का तो आज जरा भी मन नहीं था ।
09.30 बजने को हो रहे थे और कालेज कुछ दूर ही था कि उसकी नजर आगे पुलिया पर गई , जहां दो लड़कियां एक दूसरे की तस्वीरें निकाल रही थी ।
उनमें से कालेज ड्रेस में एक लड़की का गोरा दुधिया चेहरा दूर से चमकता दिखा और अनुज समझ गया कौन थे वो दोनों ।
: अरे वो देख , तेरा हीरो आ रहा है हीही ( दूसरी लड़की ने पहली लड़की को छेड़ा )
: धत्त कमिनी, चुप कर वो आ रहा है ( उसने अपने सूट को कमर के पीछे से खींच कर अपने गोल मटोल चूतड़ों पर चुस्त किया और विजिबल चुन्नी से अपना क्लीवेज ढकती हुई बड़ी सहूलियत से खड़ी होकर अपने जुल्फे कान में खोसने लगी )
" हाय अनुज , बड़े दिन बाद " , उस पहली लड़की ने अनुज को टोकते हुए कहा ।
अनुज : ओह हाय कृतिका , हा वो मै दीदी की शादी में उलझा था । बताया तो था उस दिन दुकान पर ?
अनुज के जवाब पर वो दूसरी लड़की ने आंखे महीन कर कृतिका को घूरा तो कृतिका नजरे चुराती हुई मुस्कुरा दी : अच्छा हा , और कैसे हो ?
अनुज : अच्छा हु और तुम दोनों ?
" अच्छा तो तुम्हे दिख गई मै , ठीक हूं मै भी " , कृतिका के साथ वाली लड़की बोली जिसके नारियल जैसे चूचे सूट को सीने पर पूरा ताने हुए थे जिससे उसका दुपट्टा ज्यादा ही उठा नजर आ रहा था ।
अनुज थोड़ा झेप कर मुस्कुराता हुआ : अरे पूजा वो तो मै , अच्छा सॉरी बाबा
कृतिका पूजा से : क्या तू भी परेशान कर रही है , चलो अनुज
अनुज : हम्म्म चलो
अनुज थोड़ा आगे हुआ कि उसके कानो में पूजा की भुनभुनाहट आई : हरामीन तूने बताया नहीं न मिलने गई थी उम्मम ।
इसके बाद कृतिका की हल्की सी सिसकने की आवाज आई : सीईईई मम्मीई, कुत्ती....
कृतिका और दो चार गालियां पूजा को देती मगर उसकी नजर आगे अनुज से टकराई और वो थोड़ा शर्मा कर अपने कमर के पिछले हिस्से को सहलाते हुए मुस्कुराने लगी ।
" तुम्हारे प्रोजेक्ट्स कहा तक पहुंचे अनुज " , कृतिका ने सवाल किया ।
आगे वो बातें करते हुए निकल गए कालेज की ओर ।
वहीं दुकान पर आज राज का पहले दिन ही बड़ी मगजमारी झेलने पड़ी ।
बबलू काका की मदद से चीजे आसान थी मगर बाप की पहचान और रुतबे के आगे राज फीकी चाय से भी फीका था ।
11 बजने को हो रहे थे और राज केबिन में बैठा हिसाब बना रहा था ।
एक्जाम तो उसके भी आने वाले थे मगर अभी उसके पास डेढ़ माह का समय अतिरिक्त था अनुज से ।
बबलू काका : छोटे सेठ , बड़े घर से ठकुराइन आई है !
राज थोड़ा अचरज से : ठकुराइन कौन ?
बबलू काका थोड़ा हिचक कर : छोटे सेठ वो सेठ जी के दोस्त ठाकुर साहब है न उनकी मैडम ।
राज खुश होकर : अच्छा आंटी जी आई है , अरे तो भेजिए न उनको !
बबलू काका : जी छोटे सेठ
राज : और सुनिए कुछ देर में नाश्ता भेजवा दीजियेगा ओके
बबलू : ठीक है छोटे सेठ
कुछ ही देर में राज के सामने संजीव ठाकुर की बीवी खड़ी थी । ऊपर से नीचे तक खुद को बड़ी ही अदब और सादगी से ऐसे ढकी हुई थी कि उनका गदराया जिस्म की रत्ती भर झलक नहीं मिल पा रही थी सिवाय चेहरे के ।
पूरी बाजू की ब्लाउज जो क्लिवेज के साथ साथ पीठ गर्दन सब कवर किए हुए थी । सिम्पल हल्की साड़ी जिससे उन्होंने अपना पेट और कमर पूरी तरह से ढक रखा था और कूल्हे पर ऐसी चुस्त की गाड़ का उभार उठा हुआ नजर आ रहा था ।
ठुकराईन : कैसे हो बेटा ?
राज की नजर उसके चेहरे पर गई , गजब का आकर्षन था उनकी आंखों में और मुस्कुराहट से फैले हुए मोटे मोटे होठो के चटक लिपस्टिक और भी ललचा रहे थे ।
राज : जी ठीक हूं आंटी जी , नमस्ते आइए न
राज खड़ा होकर उनका अभिवादन किया और ठकुराइन राज के पास सोफे पर बैठ गई ।
ठकुराइन : बेटा पापा नहीं है ?
राज मुस्कुरा कर : जी वो नानू के यहां गए है हफ्ते दस दिन में आ जायेंगे ।
ठकुराइन हस्ती हुई : हाहा ससुराल गए है घूमने भाईसाहब
राज मुस्कुराकर : जी ,
ठकुराइन : और तुम्हारी पढ़ाई कैसी चल रही है , या फिर तुम भी पढ़ाई छोड़ कर पहले शादी ही करने वाले हो सोनल के जैसे
राज मुस्कुरा कर : अरे नहीं आंटी , अभी मेरी उम्र नहीं है और दीदी भी अभी अपनी पढ़ाई जारी ही रखेगी ।
ठकुराइन : तो क्या सोनल अपने पति के साथ नहीं जाएगी ?
राज उलझे हुए स्वर में : अभी कुछ कह नहीं सकते आंटी जी , मार्च बाद से हम लोगों के भी एग्जाम शुरू हो जायेंगे तो मुझे नहीं लग रहा है कि वो जा पाएंगी ।
ठकुराइन : बस ससुराल वाले राजी हो जाए उसे पढ़ाने के लिए
राज : मुझे नहीं लगता कोई कुछ कहेगा , अच्छे लोग है सब
ठकुराइन इधर उधर की बातों को खींच रही थी और राज को अब बेचैनी हो रही थी । कुछ देर बाद तो ठकुराइन के पास कहने को कुछ बचा ही नहीं । अब राज को शक होने लगा कि शायद वो किसी काम से आई थी और उससे कहने में हिचक रही है ।
राज : आंटी आप कुछ काम से आई थी ?
ठकुराइन : हा बेटा वो ...
बबलू काका : छोटे सेठ ये नाश्ता
ठकुराइन कुछ कहती कि बबलू काका आ गए और वो चुप हो गई थी । वो नाश्ता रख कर निकल गए ।
राज : हा आंटी जी कहिए , देखिए पापा नहीं है मगर कुछ भी मेरे लायक होगा मै कर दूंगा आप बेहिचक कहिए ।
ठुकराई थोड़ा सोच कर : बेटा मै तुम्हारे पापा से नहीं तुमसे ही बात करने आई थी ।
राज अचरज से : मुझसे ?
ठकुराईन : मैने कल दुपहर ही तुम्हारे पापा से बात की थी कि तुमसे कैसे मिल सकती हूं।
राज : हा तो कहिए ? क्या बात है ?
ठकुराइन : बेटा वो मै कैसे कहूँ,
राज : आंटी आप टेंशन मत लीजिए और मुझपर भरोसा करिए प्लीज , बताइए ..
ठकुराइन : बेटा वो तुम्हारा दोस्त है न , रामवीर का लकड़ा चंदू ?
चंदू का नाम सुनते ही राज का दिमाग सन्न हो गया , क्योंकि चंदू तो ठकुराइन की बेटी मालती का दीवाना था और काफी दिनों से वो ठाकुर साहब के यहां ही काम पर जाता था अपने बाप के साथ ।
राज का गला सूखने लगा : जी आंटी क्या बात चंदू के बारे में उसने कुछ किया क्या ?
ठकुराइन : बेटा तुम तो समझदार हो , उसको समझाओ ऐसे किसी के घर की इज्जत से खिलवाड़ नहीं करते ..
राज को यकीन होने लगा जरूर चंदू की कोई कारस्तानी की भनक लगी है ठकुराइन को : मै समझा नहीं आंटी , वो तो गोदाम में काम करता है न फिर क्या दिक्कत हो गई ?
ठकुराइन : कभी कभी बेटा वो .. कभी कभी क्या इन दिनों लगभग रोज ही वो घर में आ जाता है और उसने मेरी बेटी मालती के साथ ...
ठकुराइन बोलते हुए चुप हो गई ।
राज और उलझ गया और मन में बड़बड़ाया : बहिनचोद ये साला चंदू खुद भी मरेगा और मुझे भी मरवाएगा हरामी
राज : आंटी , उसकी गलती के लिए मै आपसे माफी मांगता हू। प्लीज इस बात को अंकल या उनके बाऊजी को मत कहिएगा । मै उसको बोल दूंगा वो सुधर जाएगा प्लीज
ठकुराइन कुछ देर चुप हुई और एकदम से उनके तेवर बदले : इसीलिए मै तुम्हारे पास आई हु राज , अगर मै ये बात कह दूं घर में मालती के पापा या फिर बाउजी से तो कही लाश भी नहीं मिलेगी उसकी । उसको समझाओ और दुबारा बिना कहे घर दिखा न तो खैर नहीं रहेगी उसकी ।
ठकुराइन का ऐसा बदला स्वरूप देख कर राज की फट गई और वो मन ही मन गाली दिए जा रहा था चंदू को ।
राज : आप बेफिक्र रहे आंटी जी , मै समझा दूंगा और प्लीज आप ये सब किसी ने मत कहिएगा मै रिक्वेस्ट कर रहा हु ।
ठकुराइन ने आगे कुछ देर तक अपनी बातों को घूमा फिरा कर रखती रही और फिर निकल गई ।
उनके जाते ही राज ने चंदू को फोन घुमाया
: भोसड़ी के जहां भी हो जल्दी से पापा वाली दुकान पर आ
: .......
: हा बर्तन वाले पर , जल्द आ
राज ने चंदू को हड़काया और फोन काट दिया । पानी का ग्लास गटागट खाली करता हुआ राज थोड़ा खुली हवा के लिए बाहर आया ।
मगर उसके जहन में एक सवाल खाए जा रही थी कि आखिर ठकुराइन ने ये बात सिर्फ मुझसे ही क्यों की । वो चाहती तो सीधा ही चंदू से कह देती या फिर उसे काम पर आने से मना कर सकती थी या फिर ऐसा कर देती कि वो घर के अंदर आए ही नहीं । जरूर कुछ बात है और राज गल्ले पर बैठा सोच रहा था कि इतने में चंदू आ गया ।
चंदू हांफता हुआ : क्या हुआ भाई , कुछ अर्जेंट है क्या ?
राज ने गुस्से से उसे घूरा , फिर अन्दर चलने का इशारा किया और दोनों केबिन में चले गए ।
शिला के घर
" चुप करो तुम , अगर एक मिनट और नहीं आती तो अबतक तो नंदोई जी मेरी साड़ी उतार चुके होते " , रज्जो शिला को डांटती हुई बोली ।
शिला खिलखिलाकर : अरे भाभी , आज नहीं तो कल साड़ी तो उठाएंगे ही वो आपकी हीही
रज्जो लजा कर : धत्त तुम भी न , सीधे चलो
शिला हस्ती हुई आगे बढ़ रही थी कि रज्जो की नजर सड़क से लग कर एक मकान पर गई जिसके बाहर एक खूबसूरत औरत साड़ी पहने हुए खड़ी थी ।
उसके कजरारी आंखो में गजब का आकर्षण था , उसपे से उसकी पतली कमर और गुदाज गोरा पेट , देखते ही रज्जो तो मानो उसके कातिलाना हुस्न की कायल हो गई ।
रज्जो धीरे से उसकी ओर दिखा कर : हे दीदी ये कौन है , बड़ी कातिल चीज है उम्मम किसका माल है ये ? एकदम रसभरी है
शिला मुस्कुरा कर आगे बढ़ गई
रज्जो : अरे बताओ न , क्या हुआ हस क्यों रही हो
शिला : क्यों दिल तो नहीं आ गया उसपे उम्मम
रज्जो मुस्करा कर : मेरा तो पता नहीं मगर जिस तरफ से वो तुम्हे निहार रही है पक्का वो तुम पर लट्टू है । कितना नशा है उसकी आंखों , शायद कल मैने इसको उधर बाग की ओर भी देखा था ।
शिला : हम्म्म हा वो उसका अड्डा है
रज्जो : अड्डा कैसा अड्डा ?
शिला : बताती हु अभी चलो यहां से
कुछ दूर आगे बढ़ते ही रज्जो : क्या हुआ बताओ न
शिला मुस्कुराई : अरे उधर उसके कस्टमर मिलते है उसको , गांव और कस्बा का कोई डायरेक्ट उसके घर में नहीं जाता
रज्जो उत्सुकता से : क्यों ?
शिला मुस्कुरा कर: अरे वो किन्नर है
रज्जो की आँखें फैली : हैं ? सच में .. इतना खूबसूरत
शिला : हा लेकिन उसका टेस्ट थोड़ा अलग है ?
रज्जो : मतलब ?
शिला : अरे उसको मोटी जैसी गदराई औरतें पसन्द है मगर यहां गांव का माहौल देख ही रही हो , इसीलिए उधर जाता है औरतों को निहारने ।
रज्जो : क्या सच में ? तुमको कैसे पता
शिला : अरे पिछले साल जब आया था तब उसने एक बार मेरा भी पीछा किया था , मगर उसको मना कर दिया
रज्जो : अह्ह्ह्ह मना क्यों किया , ले लेती न नए लंड का स्वाद हीही।
शिला हस्ती हुई : भक्क तुम भी न भाभी
फिर दोनों आगे बढ़ गए और गांव वाले घर के लिए।
घर में घुसते ही रज्जो ने बरामदे में बैठे हुए शिला के ससुर के पाव छूए : प्रणाम बाउजी
शिला के ससुर की नजर रज्जो के चुस्त ब्लाउज में चिपके हुए गदराये जोबनो पर गई और वो सिहर उठा ,
रज्जो ने वही शिला वाली साड़ी ही पहनी थी , जिसमें उसके दूध बुरी तरह से ठुसे हुए थे । शिला के ससुर के बदन में सरसरी फैल गई और रज्जो ने चुपके से शिला को आंख मारी । तो शिला भी मुस्कुरा कर रज्जो की शरारत को समझते हुए अपने ससुर के पाव छूए और फिर खड़ी होकर अपनी कुर्ती को पीछे से उठा कर अपने कूल्हे पर चढ़ाया ।
जिससे उसके ससुर की नजर लेगी के उभरी हुई उसके तरबूज जैसे चूतड़ों पर गई और वो थूक गटकने लगा ।
फिर दोनों फुसफुसाती हुई घर में चली गई , और अंदर देखा तो शिला की सास अभी नहाने की तैयारी भी थी । झूले हुए नंगे चूचे और नंगा पेट , कमर में अटकी हुई पेटीकोट ।
रज्जो : प्रणाम अम्मा , बड़ी देर से नहाने जा रही हो
शिला की सास : अरे क्या करु बहु वो मीरा कलमुंही टाइम से आती ही नहीं झाड़ू कटका के लिए इसलिए देर हो जाती है
शिला : ठीक है अम्मा आप नहा लो , हम लोग कपड़े लेने आए थे तो उधर से ही निकल जायेंगे
शिला की सास : अरे एक आध रोज के लिए बहु को यही छोड़ जा , आई है तो चार बात मुझसे भी कर लेगी ।
" आऊंगी अम्मा एक दो रोज में तो रुकूंगी ठीक है " , रज्जो ने दरवाजे पर खड़े शिला के ससुर की परछाई देख कर जवाब दिया ।
शिला : ठीक है अम्मा चलती हु प्रणाम
फिर वो निकल गए कपड़े लेने और कुछ देर बाद वो दोनों अपने घर के आगे से वापस टाउन की ओर जा रहे थे कि रज्जो की नजर घर गई , बरामदे में बैठे हुए शिला के ससुर गायब थे ।
रज्जो : हे दीदी बाउजी कहा गए
शिला : अरे भीतर गए होंगे चलो छोड़ो उनको
रज्जो हस कर : अरे अंदर तो अम्मा नहा रही थी न
शिला : हा तो ?
रज्जो के चेहरे पर फिर से शरारत भरी मुस्कुराहट फैलने लगी ।
शिला आंखे बड़ी कर रज्जो के इरादे भांपते हुए : नहीं मै नहीं जाऊंगी , चलो घर
रज्जो : धत्त चलो न , देखे तो हीही और दरवाजा भी खुला है
रज्जो शिला का हाथ पकड़ कर खींचने लगी और शिला ना नुकूर करती हुई उसके साथ चल दी
धीरे धीरे वो अंदर घर में गए और भीतर देखा तो आंगन खाली था , नल के पास पानी गिरा था और शिला के सास के गिले पैरो को छाप एक कमरे की ओर जाती दिख रही थी
रज्जो उसके फूट प्रिंट की ओर इशारा करते हुए उस कमरे का इशारा : हे उधर देखो हीही
शिला फुसफुसा कर : तुम न पागल हो पूरी
रज्जो खिलखिलाई और धीरे धीरे उस कमरे की ओर बढ़ गई
जैसे ही वो खिड़की के पास गए दोनों की आंखे फेल गई और मुंह पर हाथ रख कर एक दूसरे को भौचक्के निहारने लगे
सामने कमरे में शिला की सास पूरी नंगी होकर लेटी हुई थीं और उसका ससुर ऊपर चढ़ कर हचक हचक कर पेले जा रहा था । शिला की सास कराह रही थी
शिला की सास : अह्ह्ह्ह्ह मन्नू के बाउजी ओह्ह्ह्ह कितनी जल्दी जल्दी आप गर्म हो जाते हो , फिर से बहु को देखा क्या ?
शिला मुस्कुरा कर रज्जो को देखी और अंदर का नजारा देखने लगी
शिला का ससुर अपनी बीवी के फटे भोसड़े में लंड उतारता हुआ : हा मन्नू की अम्मा , बहु के साथ जो आई उसके जोबन देख कर मेरा बुरा हाल हो गया और बड़ी बहु के चौड़े कूल्हे अह्ह्ह्ह
शिला के ससुर की बातें सुनते ही रज्जो के भीतर से हंसी की दबी हुई किलकारी फूट गई और झट से वो खिड़की से हट गए
और कमरे से शिला के ससुर की कड़क आवाज आई : कौन है ?
शिला और रज्जो एकदम से हड़बड़ा उठी और झटपट घर से बाहर निकल गई
शिला रज्जो का हाथ पकड़ कर : इधर से नहीं , पीछे से चलो , बाउजी जान जायेंगे
रज्जो को भी आइडिया सही लगा तो वो घर के बगल की गली से तेजी से निकल गए ।
कुछ ही देर में शिला का ससुर लूंगी लपेटते हुए बाहर आया मगर उसे कोई नहीं दिखा तो वापस चला गया ।
घर से दूर हो जाने के बाद दोनों के जान में जान आई और दोनों खिलखिला कर हस पड़े ।
शिला : तुम न बड़ी पागल हो , चुप नहीं रह सकती थी हीही
रज्जो : अरे मुझे हसी इस बात की आई कि हमारी वजह से बेचारी तेरी सास की सांस चढ़ने लगती है हाहाहाहाहा
शिला हस्ती हुई : हा लेकिन बाल बाल बचे आज ,
रज्जो : बच तो गए मगर वापस घर कैसे जायेंगे
शिला : अरे उधर बागीचे से भी एक रास्ता है पगडंडी वो आगे सड़क में जुड़ेगा चलो
और दोनों आगे बातें करते हुए बगीचे की ओर निकल गए ।
मुरारी - मंजू
11 बजने वाले थे और मुरारी खाली समय बिस्तर पर बिखरे हुए मंजू के कपड़े खोल खोल कर उसके हिसाब से जो ठीक ठाक नजर आ रहे थे उन्हें अलग कर रहा था बाकी सब एक झोले में ठूस रहा था ।
तभी उसके हाथ में एक जींस आई
लेबल देखा तो 38 साइज कमर वाली जींस थी , साफ था मंजू का ही होगा
मुरारी खुद से बड़बड़ाया : उफ्फ कितना चौड़ा चूतड़ होगा इसमें उसका उम्मम
मुरारी ने जींस की मियानी को मुंह पर रख कर सुंघा और फिर उसको फोल्ड कर दिया ।
तभी कपड़े के ढेर एक चटक नीला रंग का फीता नजर आया , मुरारी ने उसको खींचा तो देखा कि वो तो पतले स्ट्राप वाली ब्रा थी , जिसके cups पर खूबसूरत लैस वाली डिजाइन थी ।
उस मुलायम ब्रा को मुठ्ठी में भर कर उसने अपने सर उठाते लंड पर घिसा : अह्ह्ह्ह मंजू क्या चीज है रे तू उम्मम
तभी मुरारी के मोबाईल पर रिंग हुई ये मंजू का ही फोन था
फोन कर
मंजू : हैलो भाई साहब , मेरा ऑफिस का काम हो गया है , आप आ जाइए
मुरारी : ठीक है , लेकिन आना किधर है
फिर मंजू उसको एक मॉल का पता बताती है और मुरारी घर बन्द कर के ऑटो से निकल जाता है
कुछ ही देर में वो मंजू के पास होता
बड़ी सी 4 मंजिला इमारत और सैकड़ों की भीड़ , इतनी चकाचौंध मुरारी के लिए बड़ी बात नहीं थी । मगर वहा की मॉर्डन सेक्सी कपड़ों में गदराई औरतें देख कर उसका ईमान और लंड दोनो डोल रहे थे और मंजू भी मुरारी के हाव भाव पर मुस्कुराती जब वो उसे टाइट जींस में फूली हुई चूतड़ों को निहारता पाती ।
मंजू : चले भइया
मुरारी एक मोटी औरत के कुर्ती में झटके खाते चूतड़ को मूड कर निहारता हुआ : हा चलो , यहां तो सब ऐसे ही कपड़े पहनते है क्या ?
मंजू मुस्कुरा कर : जी भइया, बड़ा शहर है तो यहां बहुत कामन है
मुरारी आगे देखा तो एक फैमिली जिसमें 2 औरते और दो लड़के और बच्चे थे । उस फैमिली की सभी औरते टाइट जींस और टॉप में थी ।
बड़े बड़े रसीले मम्में पूरे बाहर उभरे हुए । सनग्लास लगाए हुए आपस में बातें करते हुए आ रही थी ।
मुरारी तो टॉप में उसके बड़े बड़े रसीले मम्में देखता ही रह गया ।
मंजू मुस्कुरा रही थी जैसा मुरारी हरकते कर रहा था और तभी मुरारी की नजर मंजू से मिली तो वो झेप कर मुस्कुराने लगा ।
दोनो अब थोड़ा हिचक रहे थे नजरे फेर कर बिना कुछ बोले अंदर एंट्री करते है और अंदर और भी चीजें मस्त थी , दुनिया भर की दुकानें और सबसे बढ़ कर नए उम्र के जोड़े , हाथ पकड़े एक दूसरे से चिपके हुए ।
मंजू : भैया ऊपर चलना पड़ेगा लेडीज सेक्शन ऊपर है
मुरारी : सीढ़ी किधर है ?
मंजू मुस्कुरा कर सामने एलिवेटर की ओर इशारा किया मुरारी की हालत खराब ।
अब होने वाली भयोह के आगे कैसे मना करे , मन मार कर हिम्मत जुटाया और दो तीन प्रयास किया मगर कलेजे से ज्यादा तो पाव कांप रहे थे ।
इतने में दो लड़कियां उसके बगल से निकल कर आगे चढ़ गई और उसी धक्के में मुरारी भी उनके पीछे खड़ा हो गया
मगर जैसे ही वो सीधा हुआ आंखे फट कर चार , सामने वाली जो अभी अभी उसके बगल से आगे निकली थी वो ठीक उसके मुंह के आगे
क्रॉप टॉप और नीचे कसी जींस , मोटी मोटी मांसल गाड़ पूरा शेप लिए बाहर की ओर निकली हुई ।
मुरारी का गला सूखने लगा और जैसे ही उस लड़की ने मूड कर देखा वो नजरे फेरने लगा , लंड एकदम फड़फड़ाने लगा पजामे में ।
ऊपर पहुंचते ही वो लड़कियां तेजी से दूसरी ओर निकल गई और मुरारी उस लड़की के हिलकोर खाते चूतड़ देख कर अपनी बहु सोनल के बार में सोचने लगा
मंजू : भइया इधर से
मंजू के आवाज पर मुरारी उसके पीछे लेडीज सेक्शन की ओर चला गया ।
मंजू अपने पसंद के कंफर्टेबल कपड़े देखने लगी और मुरारी वहां की औरते
तभी उसकी नजर ट्रॉली लेकर घूमती एक औरत पर गई
" सीईईई क्या चीज है भाई , इतना बड़ा और गोल " , मुरारी मन ही मन बड़बड़ाया । उसके लंड में सुरसुरी होने लगी
जिस लेन में वो खड़ा था उसी लेन में दूसरी ओर एक मोटी गदराई महिला जो कि टीशर्ट और पैंट में थी , पेंट में उसके बड़े बड़े मटके जैसे चूतड़ों का शेप देख कर मुरारी जैसे खो ही गया ।
उसने बहुत से माल और शहर में घूमा था मगर यहां जैसा माहौल कही नहीं दिखा उसे ।
तभी उसे मंजू का ख्याल आया और उसने कुछ पल के लिए उस महिला के चूतड़ से नजरे हटा दी ।
वो मंजू के साथ ही इधर उधर रह कर देख रहा था , मंजू ने कुछ प्लाजो सेट और दो तीन काटन कुर्ती देखे , उसकी नजर जींस स्टॉक पर थी मगर वो मुरारी की वजह से हिचक रही थी ।
मुरारी : इसके साथ क्या लेना , जींस या फिर लेगिंग्स
मंजू मुस्कुराने लगी : मुझे समझ नहीं आ रहा है ,
मुरारी : तुम तो जींस भी पहनती हो न , तो लेलो । इस बात के लिए बेफिक्र रहो तुम्हे कोई कुछ नहीं कहेगा ठीक है
मंजू मुस्कुरा कर : जी ठीक है
फिर मंजू वहां से दो तीन जींस लेकर ट्रायल रूम की ओर बढ़ गई ।
जींस के स्टॉक के पास खड़े खड़े मुरारी ने साइज देखने लगा और उसकी नजर 4XL size की जींस पर गई और उसके ख्यालों के ममता का नाम आया , मगर बात वही थी कि पता नहीं वो पहनेगी या नहीं ।
इतने में मुरारी का मोबाइल रिंग हुआ देखा तो अमन फोन कर रहा था
फोन पर
मुरारी : हा बेटा
अमन : पापा कहा हो , निकल गए क्या ?
मुरारी : नहीं बेटा , वो तेरी चाची को कपड़े लेने थे और कुछ काम भी था तो आज रुक गया कल निकलूंगा
अमन : अरे वाह फिर से मेरी तरफ से भी चाची के लिए ले लेना , वैसे कैसे कपड़े पहनती है चाची
मुरारी : उम्मम बेटा वो लगभग सभी पहनती है , अभी अभी जींस लेकर गई है ट्राई करने
अमन : अरे वाव , पापा मम्मी के लिए भी लेलो न जींस
मुरारी : बेटा मै भी सोच रहा था और ये भी सोच रहा था कि ( मुरारी एक किनारे गया जहा उसकी आवाज कोई और न सुने फिर वो धीमी आवाज में ) तेरी मां के लिए कुछ जोड़ी फैंसी ब्रा पैंटी भी ले लूं , यहां मॉल में सब मिल रहा है
अमन : हा पापा क्यों नहीं , लेलो न फिर
मुरारी : अरे लेकिन वो लेडीज सेक्शन है उधर मै कैसे जाऊंगा और दूर से देखा तो एक से एक बढ़िया फैंसी सेट थे वहा ।
अमन : अरे तो चाची को बोल दो न ?
मुरारी कुछ सोचता हुआ : उससे!!! ठीक है देखता हूं और बता तू ठीक है
अमन : मै तो एकदम मस्त हू अभी जस्ट उठा हु नहाकर आपको फोन किया है
मुरारी : अभी उठा है ?
अमन : हा पापा रात में वैसे भी यहां किसे नीद आती है हीहीही
मुरारी : सही बेटा मजे कर
अमन हंसता हुआ : पापा आप कबतक चाची के घर पहुंचेनंगे ।
मुरारी : अभी एक दो घंटे बाद
अमन : अच्छा, वो मैने आपके व्हाट्सअप पर कुछ भेजा है हीही, फ्री होना तो देख लेना पसंद आएगा आपको
अमन की बात सुनते ही मुरारी के तन बदन में सरसरी उमड़ी और उसके पेट में अजीब सी हड़बड़ाहट होने लगी : क्या , क्या भेजा है बता न
अमन मुस्कुरा कर : आप देख लेना , आपकी लाडली बहु की वीडियो है , ओके मै रखता हु बाय पापा
अमन ने फोन काट दिया और यहां मुरारी एकदम से तड़प उठा , उसे समझ नहीं आ रहा था क्या करे , उसने झट से मोबाईल खोला तो देखा अमन ने 4 5 वीडियो और फोटो भेजे थे । तस्वीरें देखते ही मुरारी ने झट से मोबाईल लॉक कर दिया ।
लंड एकदम फड़फड़ाने लगा सुपाडे में चुनचुनाहट होने लगी , कुर्ते के नीचे हाथ घुसा कर पजामे के ऊपर से उनसे अपना सुपाड़ा मिज़ा। फिर वो चेंजिंग रूम की ओर देखा , मंजू को भी समय लग रहा था , उसे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे कहा जाए , बाकी से चेंजिंग रूम भी इंगेज दिख रहे थे और ऐसे में उसको बाथरूम का ख्याल आया ।
वो लपक कर बाहर आया और बाथरूम खोजने लगा , इधर उधर भागने पर उसे टॉयलेट बोर्ड दिखा और लपक कर वो उधर निकल गया ।
तेजी से चलते हुए वो बाथरूम में घुस गया और टॉयलेट सीट पर बैठ कर अपनी सास को आराम देने लगा
उसके पैर थरथर कांप रहे थे पेट में अजीब सी हड़बड़ाहट मची थी ।
गहरी सास लेते हुए उसने दुबारा से मोबाइल खोला तो मुरारी का मुंह भी खुला का खुला रह गया ।
मैचिंग ब्रा पैंटी में दोनों बहनों में बड़े ही कामोत्तेजक लुक दिए थे
उनके झूलते नंगे बूब्स और बाहर निकली हुई नंगी गाड़ देख कर मुरारी पजामे के ऊपर से ही अपना लंड मसलने लगा : अह्ह्ह्ह्ह बहु कितनी सेक्सी है उम्मम उफ्फ इसके गुलाबी निप्पल और ये लचीली गाड़ उम्मम जी कर रहा है खा जाऊ अह्ह्ह्ह
मुरारी टॉयलेट सीट पर बैठ कर अपना लंड बाहर निकलने लगा
तभी अगली तस्वीर में दोनों बहने अमन का मोटा लंड पकड़े हुए हस रही थी और एक दूसरे को निहार रही थी ।
किसी में सोनल अमन का लंड चूस रही थी किसी में निशा , मुरारी अपना लंड पकड़ कर उसको भींचे जा रहा था और अगली चीज एक वीडियो थी
जैसे ही मुरारी ने उसे क्लिक किया वो वीडियो तेज आवाज में शुरू हो गई , ये वही शॉर्ट ब्लॉग थी जिसे सोनल ने शूट किया था
सोनल की तेज आवाज आते ही मुरारी ने झट से स्पीकर पर हाथ रखते हुए आवाज कम किया और वीडियो में जो देखा उसकी आंखे फटी की फटी रह गई
और जब वीडियो में सोनल ने बोला " कोई है जो मुझे चोदना चाहेगा " मुरारी का लंड एकदम अकड़ गया , आड़ो में पंपिंग होने लगी
मुरारी अपनी बहु की कामोत्तेजना भरे हरकते देख कर पागल हो गया था , वो जोर से लंड भींचे जा रहा था और सोनल का नाम लेके बडबडा रहा था : अह्ह्ह्ह्ह मेरी प्यारी बहु मै हु न अह्ह्ह्ह तुम्हारे पापाजी तुमको चोदेंगे बेटा आह्ह्ह्ह बहु उम्ममम अह्ह्ह्ह
मुरारी चरम पर था मगर ऐन मौके पर मंजू ने उसको फोन घुमाने लगी
मुरारी : ओह्ह्ह्ह यार , क्या करु
उधर मंजू लगातार मुरारी को काल किए जा रही थी , मुरारी लंड झाड़ना चाहता था मगर मंजू ने उसका फ्लो बिगाड़ दिया।
मन मारकर अपना लंड पजामे में डाल कर बाहर आ गया , अभी भी उसके लंड की अकड़न जस की तस थी , लपक कर वो मंजू की ओर गया ।
मंजू : कहा चले गए थे
मुरारी थोड़ा हिचक कर : वो मै थोड़ा फ्रेश होने ... हो गया तुम्हारा
मंजू : जी , आप भी कुछ ले लीजिए न
मुरारी : अह् मुझे मेरे मतलब का क्या मिलेगा
मंजू : अरे आप भी टीशर्ट जींस ले लीजिए न , मुझे उनके लिए भी लेनी है
मंजू लजाते हुए बोली
मुरारी समझ गया कि वो मदन के लिए भी खरीदारी करना चाहती है ।
मुरारी : ठीक है भई जिसमें तुम्हारी खुशी , अब मदन के लिए लोगी तो मेरे लिए भी एक ले लेना साइज तो एक ही हमारा
मंजू : अच्छा सुनिए , भाभी की साइज क्या होगी
मुरारी हंसकर : तो क्या उसके लिए जींस लोगी
मंजू बड़े ही कैजुअली होकर बोली : हा , अगर वो पहनती हो तो !
मुरारी हस कर : क्यों भाई सिर्फ मुझे ही ये सजा क्यों , अमन की मां भी परेशान हो तंग जींस पहन कर हाहाहाहाहा , उसको 4XL के कपड़े ही होते है ।
मंजू मुस्कुरा: जी ठीक है आइए पहले उनके लिए ही लेती हूं
फिर मंजू मुरारी के साथ ममता के लिए दो जींस , लांग कुर्ती और दो सूट लिए
मुरारी अभी भी हिचक रहा था कि कैसे आखिर वो ममता के लिए ब्रा पैंटी ले । बार बार उसकी नजर अंडरगार्मेंट एरिया में जा रही थी ।
मंजू : चले भइया , जेंस वाला फ्लोर ऊपर है
मुरारी थोड़ा अटक कर : हा चलो , वो जरा मै सोच रहा था । खैर छोड़ो चलो चलते है ।
मंजू : अरे क्या हुआ कहिए न , कुछ दूसरा पसंद आया क्या भाभी जी के लिए, वो देख लेती हु न
मुरारी : नहीं दरअसल , नहीं कुछ नहीं चलो छोड़ो , वो अपना ले लेगी जब शहर जाएगी ।
मंजू मुस्कुरा कर : अरे भैया बताइए न , क्या चाहिए भाभी के लिए
मुरारी थोड़ा नजरे फेर कर : दरअसल अमन की मां के नाप के अंडर गारमेंट नहीं मिलते चमनपुरा में , मुझे लगा यहां उसके नाप के कपड़े है तो शायद वो सब भी मिल जाए ।
मंजू मुस्कुरा रही थी थोड़ी खुद भी लजा रही थी ।
मुरारी : तुमने लिए क्या अपने लिए ?
मंजू ने शॉक्ड होकर मुस्कुराते होठों से आंखे बड़ी कर मुरारी को देखा ।
मुरारी बड़बड़ाता हुआ : सॉरी ये मै क्या पूछ रहा हूं , प्लीज चलो अब
मंजू ने एक गहरी सास ली और आगे बढ़ते मुरारी का हाथ पकड़ लिया और इशारे से उधर चलने को कहा बिना बोले ।
मंजू का स्पर्श पाकर मुरारी एकदम से चौक गया और मंजू जबरन उसे अंडर गारमेंट वाले काउंटर की ओर ले गई ।
वहा पर कई लड़कीया स्टॉफ में थी और दूसरे भी नवयुवा कपल वहां साथ में खरीदारी कर रहे थे ।
स्टाफ : जी मैम क्या दिखाऊं
मंजू ने बिना कुछ बोले मुरारी की ओर देखा
मुरारी हिचक कर : जी वो बढ़िया फैंसी सेट में अंडर गारमेंट चाहिए
स्टाफ : जी मैम आपका साइज क्या रहेगा
जैसे ही स्टाफ ने मंजू से उसका साइज पूछा दोनों मुंह फेर हसने लगे ।
मंजू ने आंखो से मुरारी को इशारा किया कि वो स्टाफ की बातों का जवाब दे ।
मुरारी थोड़ा असहज होकर : जी वो 44DD की ब्रा और 48 की पैंटी दिखाइए
ममता का साइज सुनकर मंजू और वो स्टाफ दोनों ताज्जुब हुए । मंजू कुछ देर तक मुस्कुराती रही जबतक कि वो स्टाफ कुछ बॉक्स ब्रा और पैंटी के निकाल कर नहीं लाई ।
स्टाफ : सर आपके साइज बड़े एक्सक्लूसिव है तो हमारे पास लिमिटेड ब्रा पैंटी है , इन्हें देखे आप
वो स्टाफ कुछ ब्रा पैंटी खोलकर काउंटर पर बिखेरने लगी और मंजू थोड़ा नजरे चुराने लगी ।
मुरारी उनमें से एक ब्रा जिसके cups विजिबल दिख रहे थे उसे चूना तो मंजू ने मुंह फेर कर मुस्कुराने लगी और मुरारी ने उसे छोड़ दिया और एक फूली कवर ब्रा देखने लगा ।
लेकिन उस ब्रा के साथ जो मैचिंग रंग की पैंटी थी वो एक पतली थांग जैसी थी । मुरारी को समझ नहीं आ रहा था । पसंद तो उसे दोनों आ रहे थे ।
स्टाफ : क्या हुआ सर कोई पसंद आए इसमें से
मुरारी : अह मुझे तो समझ नहीं आ रहा है
मंजू ने मूड कर मुरारी को देखा और उसके करीब होकर बोली : भाभी को कैसे पसंद है
मुरारी मुस्कुराने लगा और धीरे से उसकी ओर झुक कर कान में बोला : वहा उसके नाप की मिलती नहीं तो वो नीचे कभी कभार ही पहनती है ।
मंजू को अजीब लगा मगर वो मुस्कुराने लगी
मुरारी : तुम्हे कौन सा सही लग रहा है , दो सेट फाइनल कर दो
मंजू ने आंखे उठा कर मुरारी को देखा तो मुरारी मिन्नते करता हुआ नजर आया ।
मंजू ने मजबूरी में एक लेस वाली फैंसी और दूसरी सिंपल फूली कवर ब्रा उस थांग पैंटी के साथ फाइनल कर दी
वो स्टाफ दोनों को अजीब नजरो से देख रही थी वहां फिर जेंस वाले फ्लोर पर उन्होंने शॉपिंग की और फिर बिलिंग के लिए निकल गए ।
बिलिंग काउंटर जब मुरारी बिलिंग कराने लगा तो उसकी ट्रॉली में दो जोड़ी और ब्रा पैंटी निकल आई
मुरारी : एक मिनट भाई साहब , अंडरगार्मेंट के दो ही सेट होंगे , लगता है गलती से आ गया होगा
मंजू जो उसके बगल में खड़ी थी वो परेशान हो उठी इससे पहले वो बिलिंग स्टाफ उसके प्रोडक्ट को कैनसिल करता वो बोल पड़ी : अरे वो मैंने रखे है ?
मुरारी ने जैसे ही मंजू की आवाज सुनी उसको अपनी गलती समझ आई और बिलिंग स्टाफ वापस से सारी बिलिंग करने लगा ।
फिर मुरारी ने सारे पेमेंट किए ।
वहा से निकल कर दोनों ऑटो से मंजू के घर के लिए निकल गए ।
रास्ते भर मंजू के चेहरे पर मुस्कुराहट बनी रही
मुरारी समझ रहा था आज मंजू की नजर में उसकी खूब किरकिरी हुई है
मुरारी : अब बस भी करो भई , मुझे क्या पता था कि वो तुमने लिए थे पहले ही ।
मंजू हंसने लगी : सॉरी
मुरारी भी मुस्कुराने लगा
वही इनसब से अलग रंगीलाल खड़ी दुपहरी में अपने ससुराल पहुंच गया था ।
बरामदे में बनवारी के कमरे के बाहर लगी कुर्सी पर बैठे हुए घर का जायजा ले रहा था और तभी सामने से उसकी खूबसूरत गदराई हुई सलहज सुनीता साड़ी का पल्लू पूरे बरामदे में लहराते हुए हाथों में जलपान का ट्रे लिए आई और जैसे ही उसने रंगीलाल के आगे टेबल पर ट्रे रखा
बिना पिन की साड़ी का आंचल उसके सीने से सरक कर कलाई में आ गया और कसे चुस्त ब्लाउज में भरे हुए मोटे मोटे मम्मे झूलते हुए रंगीलाल को ललचाने लगे ।
जारी रहेगी ।
कहानी पर पाठकों की प्रतिक्रिया , व्यूज के हिसाब से बहुत कम मिल रही है ।
कहानी पर लेट अपडेट का कारण आप सभी कम प्रतिक्रियाए ही है ।
कृपया पढ़ कर समुचित रिप्लाई जरूर किया करे ।
धन्यवाद
बहुत ही गरमागरम कामुक और मदमस्त अपडेट है भाई मजा आ गयाUPDATE 192 B
वरमाला का समय हो चुका था और दोनो एक दुसरे के सामने खुश होकर वरमाला लेके खड़े थे
दूल्हा दुल्हन की फोटो और तस्वीरों को मोबाइल मे कैपचर कर सबको अपना स्टोरी स्टेटस अपडेट करना था ।
ऐसे मे दोनो पक्षो के लोग स्टेज के सामने निचे बिल्कुल अव्यवस्थित और बेकाबू थे । सीटी बाजी और हुल्लड़बाजी से सदभावना भरी धक्कामुक्की भी हल्की फुल्की हो रही थी ।
ऐसे मे कमलनाथ अपने जेब से मोबाइल लेके भीड मे आगे बढता हुआ मोबाइल उपर करके बेधड़क रिकॉर्डिंग करने इस बात से बेखबर की अभी भी उसकी कोहनी से जिसके कन्धे पर धक्का लगा है वो दुल्हे की बुआ संगीता थी ।
संगीता - आउच्च , अरे देखिये ना कैसे धक्का दे रहे है ।
भीड और शोर अक्सर आपकी नैतिकता आपसे छीन कर आपको विवेकहीन बना ही देती है और उम्र का इससे कोई भी लेना देना नही होता ।
शादी जैसे माहौल मे वरमाला जैसा मनमोहक पल जिसमे हसी मजाक होना एक आम बात होती है ऐसी शोर और सिटियाबाजी होती भीड भरे वातावरण मे कमलनाथ के कान मे जैसे ही संगीता की आवाज पड़ी वो उसके शब्दों को दोहरे अर्थ मे ले गया और हस पड़ा ।
कमलनाथ बिना उसकी ओर देखे हसी मे बोला - कौन है भाई जो बिना देखे भाभी जी को धक्का दे रहा है , देख के धक्का दो ।
संगीता कमलनाथ के मजाक को समझ गयी और थोड़ी लाज मे हस भी पड़ी ।
उसकी हसी कानो मे पडते ही कमलनाथ ये जाचने के लिए उसकी ओर घुमा कि देखू तो कौन है और जैसे ही वो गरदन घुमा कर संगीता की ओर देखा , उसकी नजरे सीधा संगिता के गहरे गले वाले नीले ब्लाउज पर गयी और उसकी उभरी हुई गुदाज चुचियॉ की घाटी देख कर उसकी आन्खे फैल गयी ।
"ओ बैनचौं " , कमलनाथ के मुह से इतना ही निकला और वो संगीता को अपनी ओर देखता पाकर चुप होकर सामने देखने लगा ।
कमलनाथ की एक पल के लिए फट ही गयी समझो वही संगीता को कमलनाथ का कॉमप्लीमेंट पसन्द आया और उसने सोचा क्यू ना कमलनाथ को ही लपेटा जाये ।
मगर अगले ही पल उसे जन्गीलाल का ख्याल आया , तो उसने सोचा ट्राई करती हु देखती हु कौन आता है हाथ मे ।
भरी भीड का फायदा संगीता को लेना ही था और जानबुझ कर कमलनाथ की ओर झुकी ,
"अरेह्ह भाभी जी आराम से, कही गिर मत जाईये "
" मेरे प्यार मे " , कमलनाथ आखिर के लब्ज फुसफुसाता हुआ संगीता के हाथ पकड कर उसको सीधा किया ।
संगिता लाज भरी मुस्कुराहट के साथ - सॉरी वो किसी ने पीछे से धक्का दे दिया
कमलनाथ अपने आगे जगह बनाता हुआ - अच्छा आप यहा आ जाईये इधर जगह है
संगीता मुस्कुराई और कमलनाथ के बाई तरफ से उसके पुरे आगे ना आकर उसके बाई जांघ के सीध मे आधा आगे आ गयी ।
कमलनाथ का मुसल अब तक अपना असर छोड़ चुका था , पजामे मे टेन्ट और संगीता के दाये कूल्हो पर स्पर्श ।
सुपाडा रगड़ कर कमलनाथ को जितना मजा आ रहा था वही संगीता की भी कोसिस हो रही थी अपनी
पीठ का स्पर्श कमलनाथ के कंधो और सिनो पर हो सके ।
वही स्टेज पर लड़के लड़कियो मे दूल्हा दुल्हन को घेर रखा था ।
रिन्की भी थोडा अटेन्सन पाने की आस मे अपने दुल्हे भैया का पीछा नही छोड रही थी , वही दुल्हन की ओर से संख्या ज्यादा थी ।
ऐसे मे अनुज सरकते धक्के खाते वीडियो फ्रेम मे आने के प्रयास मे दूल्हे की साइड पहुच गया
"का हो देवर जी माल देख कर बराती साइड हो गईलीं " , पंखुडी भाभी ने अनुज को बगल मे खड़ी रिन्की को लेके छेड़ते हुए बोली ।
सारे लोग हस दिये , ऐसे मे अनुज मारे लाज के हस तो दिया मगर रिन्की से नजरे मिलते ही वो हसी भी गायब हो गयी ।
रिन्की ने भी बगल मे खड़े अनुज को पाया तो उसकी भी बेचैनी बढने लगी , उसने अपनी जुल्फो को कानों मे अटकाकर कनअखियों से उसकी ओर निहारा और सामने देखने लगी ।
वही दुल्हन की ओर खड़े राहुल ने मौका पाकर बबिता से सट रहा था , जिसपर बबिता खीझ रही थी मगर सबके सामने चाह कर भी कुछ बोल नही सकती थी ।
बबिता के बगल मे ही अरून था और उसके बाई तरफ पीछे ही गीता खड़ी थी ।
जो अरून को अपने पास पाकर बहुत खुश थी , हौले से उसने अपना हाथ धीरे से आगे करके उल्टे पंजे से अपनी उंगलियाँ अरून की उंगलियो पर स्पर्श किया ।
जिससे दोनो सिहर गये और अरून झटके से गरदन घुमा कर गीता की ओर देखा तो वो मुस्कुरा रही थी , अरून की सासे भी तेज हुई और उसने हाथ पीछे कर निचे ही गीता की कलाई को पकड़ लिया ।
गीता मानो सहम कर एक पल को पुतला ही बन गयी , आंखे फैली हुई सासे अटकी हुई धड़कन तेज और तभी उसी समय वरमाला हो गया ।
धड़ाधड कर चमकीले एक्सपलोजन दागे गये और तालियाँ सिटियां बजने लगी ।
तब जाके कही गीता को सुध आया और जब उसने वापस अरून की ओर देखा तो वो आगे देखता हुआ तालियां बजा रहा था ।
गीता ने चौक कर निचे देखा तो उसका हाथ वैसे ही खाली है और मानो पल भर के लिए उसने कोई सपना देखा हो ।
गीता मन में बड़बडाने लगी - शायद मेरा भ्रम ही था , अरून ऐसा नही कर सकता उसमे इतनी हिम्मत नही ।
उसके बाद सारे लोग निचे आ गये और आशीर्वाद - सगुन देने का प्रोग्राम चालू हो गया ।
वहीं स्टेज के नीचे कुर्सियों पर जिसको जहा जगह मिली वो बैठ गया ।
इधर संगीता ने आस पास कमलनाथ को देखा तो नजर नही आया और वो कुछ लाईन पीछे बैठा हुआ था ।
मौका देखकर संगीता उठी और कमलनाथ के पास जाने लगी ।
वही मुरारी की नजरे अभी तक अपनी बहन पर जमी हुई थी ।
उसने संगीता को उठ कर कमलनाथ के पास जाते हुए देखा और वहा उसे समझ नही आया कि वो क्या बातें कर रहे है ।
अपनी बहन का पहनावा और उसके हसमुख मिजाज से हो रही बात चीत पर मुरारी परेशान हो रहा था ।
उसने देखा कि संगीता कमलनाथ के मोबाइल पर कुछ टाइप करके मोबाइल उसको दिया और फिर हस्ती हुई कुछ बोल कर वापस आने लगी ।
मुरारी ने नजरे फेर ली दुसरी ओर
ममता ने नोटिस किया कि उसके पति अभी भी कुछ परेशान है तो उसने उनकी ओर देख कर पूछा- क्या हुआ सब ठिक है ना ?
मुरारी ने मुस्कुरा कर हा मे सर हिलाया और धीरे धीरे एक एक करके बारी बारी से सारे लोग स्टेज पर तस्वीरें निकलवा कर निपटारा करने लगे ।
वही संगीता के मोबाईल पर मैसेज बिप होने लगे एक के बाद एक करके
संगीता ने अपना मोबाइल खोला और व्हाट्सअप पर एक नये नम्बर से कुछ वीडियोज़ फोटो आये थे ।
सगीता ने उस नये नम्बर की डीपी देखी और फिर मुस्कुराते हुए गरदन घुमा कर कमलनाथ की ओर देखा ।
कमलनाथ भी उसकी ओर देख कर मुस्कुराते हुए वापस स्टेज की ओर देखने लगा ।
वही मुरारी को बेचैनी हो रही थी कि संगीता - कमलनाथ के बीच क्या खिचड़ी पक रही है ।
संगीता ने कमलनाथ के मदद के लिए उसको व्हाट्सअप पर थैंक्स का मैसेज किया ।
वही कमलनाथ का मैसेज बिप हुआ तो उसने मोबाइल खोल कर संगीता का मैसेज देखकर मुस्कुराया और टाइप करने लगा ।
कमलनाथ - most welcome ji
संगीता - ☺☺
कमलनाथ ने एक नजर संगीता की ओर देखा और वापस मोबाइल मे टाइप करने लगा
कमलनाथ - agar aap kahe to mai aapki bhi aisi hi achchi tasvire nikal sakata hu
संगीता ने मैसेज पढ कर ही कमलनाथ का इरादा समझ गयी और मुस्कुराते हुए मैसेज टाइप करने लगी
संगीता - achcha ji , lekin kaha ?
संगीता - yaha to kitni bhid hai koi dekhega to kya sochega ?
कमलनाथ - abhi nahi thoda sbko khana pina kar lene dijiye , fir ek jagah hai waha chal sakte hai hm log
संगीता की सासे चढ़ने लगी और उसने टाइप किया - hmm ok dekhati hu
फिर उसने नजरे घुमा कर कमलनाथ की ओर देखा , दोनो की आंखो मे हवस उतर ही चुका था , कमलनाथ बैठे हुए ही अपना मुसल सेट करने लगा कुर्ते के निचे से ।
कुछ देर बाद लोग खाना खाने पर भीड गये वही स्टेज पर दूल्हा दुल्हन का क्लोजअप तस्वीरें के पोजेज हो रहे थे ।
कैमरामेन तरीके तरिके रोमैंटिक पोज बता रहा था और जो कुछ भी हो सकता था अमन और सोनल करने की कोसिस करते थे ।
पास मे खड़ी निशा ने कुछ सोचा और कैमरामैन से बोली - भैया यहा पर ये लोग एक भी अच्छा पोज नही करने वाले देख नही रहे कैसे शर्मा रहे है सबके सामने !!
सोनल मारे लाज मुस्कुरा कर मुह फेर ली और अमन भी हस दिया ।
निशा - ऐसा करती हुई मै इन दोनो को लेके उपर जाती हु और आप भी खाना खा के आजाओ जल्दी से फिर शादी भी होनी है उपर ही
कैमरा मेन ने अपने साथी की ओर देखा तो उसने हामी भर दी और निशा दोनो को लेकर घर मे जाने लगी
दूल्हे के साइड से कुछ लोगो के आपति कि तो उसने निशा ने चहक कर जवाब दिया - जीजू अब हमारे हो गये है आप लोग खाना खा के घर जाओ हिहिहिही
निशा की शरारत भरी बात पर सब हस दिये ।
रागिनी - अरे कहा लेके जा रही है उपर , जमाई बाबू कुछ खायेंगे नही क्या ।
निशा - खायेंगे ना लेकिन शादी के बाद अभी तो इनका फोटोशूट बाकी है उसके लिए उपर लेके जा रही
बबिता - मै भी चलुगी जीजू के साथ हिहिही
निशा डांट कर - नही कोई नही आयेगा , ये लोग पहले से ही इतना शर्मा रहे है और भीड नही चाहिये
राज की मामी ने भी बदले मे बबिता को समझाया और जाने से मना किया, फिर घर के सारे लोग खाना खाने के लिए स्टाल की ओर चले और निशा दोनो को लेके उपर चली गयी
उपर पहुचते ही निशा सोनल और अमन सोनल के कमरे मे चले गये
कमरे मे जाते ही सोनल ने लपक कर अमन को पकडा और उसके होठ चूसने लगी निशा के सामने ही
और अमन को सुरुर चढने लगा उसने भी सोनल के कन्धे थाम कर उसके होठ चुसने लगा ।
निशा दरवाजा भिड़का कर - ओहो लैला मजनू , थोड़ा सबर कर लो हिहिहिही और तु सोनल थोडा अपने मेकअप का ध्यान दे
दोनो हस्ते हुए अपने होठ पर रुमाल रख कर साफ करते हुए अलग हुए
अमन ने पास ही आईने मे अपना मुह देखा तो
सोनल की लिपस्टिक उस्के होठो के उपर निचले लाल कर चुकी थी जिसे देख कर निशा चहकी - हिहिहिही अब जीजू ऐसे ही रहो आप हिहिही
अमन हड़बड़ा कर - अरे नही यार , वाशरूम कहा है
निशा खिलखिला कर - निचे है ,जाना है ऐसे ही
सोनल अमन को परेशान देख - अब परेशान मत कर और इनको उपर वाले बाथरूम मे लेके जा जल्दी ,
निशा हस्ती - चलिये जीजू हिहिही
दोनो जीने से उपर जाने लगे और उपर का दरवाजा खोलकर उसे बाहर से बन्द करते हुए
निशा - तब मेरे डार्लिंग जीजू आपको अपना वादा याद है ना
उपर की छत पर कोई नही था , बस शादी के लिए मंडप सजा हुआ था सारे लोग निचे ही थे ।
अमन - कैसा वादा
निशा ने मौका देख कर झट से अपना हाथ शेरवानी के उपर से अमन का लन्ड दबोचा- अह्ह्ह वही कल सुहागरात वाला , करेंगे का वीडियो काल
अमन का लन्ड पूरी तरह से तनमना गया उसने झटके से निशा को अपनी ओर खिंच और वही जीने के पास ही उसके रसिले होठ चुसने लगा
निशा भी उसका साथ देने लगी ।
अमन अपने हाथ निचे ले जाकर निशा की चर्बीदार गाड़ को उसकी उस्के लहगे के उपर से दबोचना चाह रहा था मगर कोसिस नाकाम थी ।
वही निशा अमन के होठ चुसते हुए अमन की शेरवानी मे हाथ घुमा कर पजामे के उपर से उसका मोटा लन्ड मसल रही थी
अमन - उम्म्ं निशा रुक जाओ ह्ह सीई मै परेशान हो जाऊंगा प्लिज्ज्ज सीईई अह्ह्ह
निशा ने उसकी आंखो मे देखा और उसके आड़ सहलाती हुई बोली - आज नही जीजू
फिर निशा झट से निचे बैठ कर अमन की शेरवाणी उठा कर अपने सर पर कर दिया और उसके पैंट वाली डिजाइन मे बने पजामे के हुक खोलकर उसका चैन निचे किया
फिर अंडरबियर मे हाथ घुसा कर उसका 9 इंच वाला बियर की कैन जैसा मोटा गर्म लन्ड बाहर निकाल लिया ।
अमन की हालत खराब थी और उसे डर भी लग रहा था ।
यूँ खुली छत पर सरेआम एक दुल्हा अपनी ही शादी वाले दिन अपनी साली से लन्ड चुसवा रहा है । वो उत्तेजित डर से घिरा आस पास के घरो की छत पर देख रहा था ।
वही निचे निशा अपना मुह खोल कर उसका सुपाडा मुह मे भर चुकी थी ।
अमन सिस्का - अह्ह्ह निशाह्ह्ह उम्मममं सीईईई
निशा शेरवानी के निचे ही मुह डाले अमन का मोटा लन्ड पकड कर चुसे जा रही थी और अमन आहे भर रहा था ।
निशा ने लन्ड को उठा कर अपनी जीभ को उसकी सुपाडे की निचली गांठ पर जीभ से कुरेदा तो अमन पागल सा हो गया , उसने एक गहरी आह भरी और जीने की दिवाल का सहारा ले लिया ।
निशा ने दोनो हाथो ने उसका लन्ड पकड़ कर चुसने लगी और अमन के लिए ये सब बहुत ही रोमांचक था ।
बीते समय अपनी मा के साथ बिताये रोमांचक पल और अभी खुद की शादी मे साली से मिला सरप्राइज अमन को पुरा उत्तेजित कर दिया ।
उसके लन्ड की खुजली बढ़ने लगी थी
उसने निशा के सर को पकड कर अपने लन्ड पर दबाव बनाने लगा तो निशा भी लन्ड को गले तक उतारने लगी
उसकी लार मे लसराया हुआ अमन का मुसल पुरा फौलादी हुआ पड़ा था और उसका सुपाडा बुरी तरह जल रहा था , उसके अब बर्दाशत होना पॉसिबल नही था
एडिया उचका कर उसने निशा के मुह मे लन्ड को भर दिया और झटके खाने लगा , निशा का मुह पहले से लार छोड रहा और उसका मुह अब अमन मे वीर्य से भरने लगा , गट गट कर वो सारा वीर्य पी गयी और हफते हुए जब अमन शान्त हुआ तो उसने उसका लन्ड साफ कर वापस शेरवानी सेट कर दिया ।
निशा खड़ी होकर अपना मुह हथेली से पोछती हुई हस दी
अमन हस कर - तु बड़ी वो हो ?
निशा - क्या छिनाल ? हिहिहिही
अमन उसकी कमर मे हाथ डाल कर - उससे भी बढ़ कर पोर्नस्टार हो तुम एकदम चुदक्कड़
निशा उसको बाथरूम की ओर ले जाती हुई - अच्छा इतनी जल्दी जान गये मुझे
अमन - अरे साली साहिबा तुम्हे तो हम पहले से ही जानते है , ये चुतड़ कैसे मोटे हुए मै सब समझता हु
निशा हस कर शर्माती हुई - धत्त चलो फ्रेश हो लो , निचे जाना है हमे
अमन हस कर - वैसे कल वीडियो काल क्यू करना , मै तो कह रहा हु कि तुम भी चलो कल , रात मे तुम्हारी दीदी को सुला कर तुम्हारे पास आ जाऊंगा
निशा - ऊहु इतनी भी क्या जल्दी है जीजू , पहले दीदी का दिदार कर लो और मै भी तो देख लू कि आप कितने बडे खिलाड़ी है हिहिहिही
उसके बाद दोनो निचे आ गये , देखा तो निचे राज की मामी खाना लेके आई थी ।
मामी मुस्कुरा कर - अरे इतनी देर लगा दी हाथ धुलाने मे
निशा मजे लेती हुई - क्या करू मामी , जीजू को यहा का बाथरूम इतना पसन्द आया कि वो बाहर ही नही आ रहे थे , वैसे क्या कर रहे थे जीजू
अमन मामी के सामने लजा कर बस मुस्कुरा कर चुप ही रहा ।
वही निचे दूल्हे के पक्ष के खास मेहमानो की खातिरदारी मे लोग लगे हुए थे और ऐसे मे संगीता की निगाहे काफी समय से कमलनाथ को खोज रही थी , उसने दो बार मसेज भी किया मगर उसे कोई रेस्पोंस नही मिला ।
तभी उसकी नजर जंगी पर गयी जो उसकी ओर ही आ रहा था ।
जन्गी - चलिये खाना खा लिजिए
जन्गी को देखकर और कमलनाथ का रिस्पोंस ना पाकर संगीता का मूड स्विन्ग हुआ और उसने जन्गी को लपेटने का सोचा ।
संगीता - जी वो मुझे वाशरूम यूज़ करना था थोड़ा
जंगीलाल - अच्छा आप आईये इधर चलिये
और जन्गी उसे लेकर नजदीक के चंदू के घर मे घुस गया
गलियारे से होकर दोनो पीछे आंगन मे गये और वहा टोइलेट की स्थिति कुछ खास ठिक नही थी ।
संगीता - ओहो ये तो पुरा गन्दा है
जंगीलाल ने भी नजर मारी तो पाया कि किसी ने टोइलेट मे पानी नही डाला था ।
संगीता - आप बाहर जाईये मै आती हु
जन्गीलाल समझ गया कि वो खुले आंगन मे ही पेसाब करने वाली है
जन्गीलाल का मुसल टाइट हुआ और वो गलियारे से बाहर आ गया , मगर उसके दिमाग मे रागिनी से किया वादा और संगीता को पेलने की च्सक उठ रही थी ।
उसका मुसल तन रहा था और वो धीरे धीरे दबे पाव वापस गलियारे से होकर आंगन की ओर जाने लगा ,
आंगन तक पहुचने से पहले ही जंगीलाल ठहर गया उसकी आगे बढ़ने की हिम्मत नही हो रही थी।
वही संगीता पेसाब करने के बाद वही उठ कर खड़ी थी कि इस आश मे कि शायद जंगी आ जाये
संगिता को लगा कि शायद जन्गी उस मिजाज का नही है जैसा वो समझ रही है और उसका मन उतर गया
उसने अपनी साड़ी सही की और फिर वापस गलियारे की ओर आई , जैसे ही गलियारे मे वो दाखिल हुई सामने दिवाल से चिपके जंगी को देख कर वो चौकी - अरे आप यही थे क्या ?
जन्गी हड़बड़ाया - जी नही वो मै अभी आया हु
संगीता मुस्कुराई और जंगी को परेशान देख कर अपना रुख कड़ा किया - ये अच्छी बात नही है , मैने आपपर भरोसा किया था और आप
जन्गी - मै सच कह रहा हु मैने जरा भी नही देखा ,मै आया तब तक उठ चुकी थी
संगीता - मतलब आप देखने के इरादे से ही वापस आये थे ना
जंगी की चोरी पक्डी गयी और वो इस बात से कैसे इन्कार करता - जी वो मै न्हीईई
संगीता मुस्कुरा रही थी और उसको मुस्कुराता देख जंगी को अचरज हुआ - जी सॉरी वो मै बहक गया था , शादी के भागा दौडी भरे माहौल मे आपको देखकर मैने सोचा कि
संगीता की सासे चढ़ने लगी - क्या सोचा आपने , यही कि चोरी से देख लू उम्म्ंम
जंगी - जी बस ऐसा ही कुछ,
संगीता - वैसे क्या करने वाले थे देख कर आप मुझे
जंगी लाल - जी वो मै अह छोडिए ना प्लीज ,चलिये चलते है
संगिता के बार बार ओफर करने पर भी जन्गी की हिम्मत नही हो रही थी और वही उसका मुसल बेताब हुआ जा रहा था ।
संगीता ने नशीली आंखो से उसकी ओर देखा और बोली - बोलिए ना , अगर मेरे लायाक हुआ तो मै मदद कर दूंगी मै
जन्गी ने आंखे बड़ी कर संगीता की ओर देखा और थुक गटक कर बोला - जी बस देख कर हिला लेता और क्या ? इतने दिनो से मेरी बीवी ने मुझसे दुरी की है शादी की वजह से
संगीता को एक पल को जन्गी की वजह वाजीब लगी मगर उसको इससे फर्क नही पडने वाला था और वो पूरी तरह से गर्म हो गयी थी , उसने मुस्कुरा कर वापस आंगन की ओर गयि
जन्गी उसके मटकते मादक मोटे कूल्हो को हिलत देख कर उसकी ओर घूम कर अपना मुसल मसला
संगीता ने इतरा कर आंगन के बिचोबिच खडी होकर गरदन घुमा कर जंगीलाल को देखा और मुस्कुरा कर अपनी साडी उपर करने लगी ।
संगीता की हरकत से जंगी का दिमाग खराब होने लगा वो बौखला उठा , उसका लन्ड फड़कने लगा , उसने जोर से अपना मुसल मसला और थुक गटक कर वही खड़ा रहा ।
संगीता पीछे से अपनी साडी पेतिकोट के साथ बटोरती हुई उपर करने लगी , उसकी जान्घे और उसकी गाड़ और फिर पीछे से पूरी जंगी
फिर वो आगे की जैसे ही झुकी उसकी गाड़ फैल कर जन्गी के सामने थी और बुर की मोटी फाके सफेद रस छोड रही थी
जंगी ने झट से एक नजर बाहर की ओर देखा और अपना पैजामा खोलकर लन्ड बाहर निकाल कर हिलाता हुआ संगीता के पास पहुच्गा - उह्ह्ह भाभीई जीई आपने मेरे लिये उह्ह्ह्ह्ह
संगीता - मुझे किसी का दर्द देखा नही जाता भाईसाहब अह्ह्ह कर लिजिए आप अपना
जंगी ने फौरन जेब से मोबाइल निकाला और रिकॉर्डिंग ऑन करते हुए निचे की ओर फोकस करते हुए सामने संगीता की गाड़ पर फोकस कर उसकी वीडियो बनाता हुआ वापस से कैमरा अपना तनमनाये मुसल पर किया और हाथो मे लेके हिलाने लगा ।
जंगी समझ रहा था ये आज चुद के ही जायेगी इसलिए उसने भी देर ना करते हुए उसकी गिली फाको मे लन्ड भिड़ाते हुए हचाक से लन्ड उसकी बुर मे पेल दिया
संगीता की आंखे उलट सी गयि इस अचानक हमले से , उसे लगा जंगी प्यार ए उसको स्पर्श कर उसकी रसिले फाको को चाट कर उसे दुलार देगा
मगर जन्गी ने उसके उलटे एकदम से अपना मोटा लन्ड उसकी बुर मे उतार दिया
संगीता - अह्ह्ह माह्ह्ह येह्ह्ह क्याह्ह उह्ह्ह्ब उम्म्ं सीईई ओह्ह्ह्ह
जन्गी - चुप कर छिनार साली बनती क्या है बहनचोद येह्ह्ह लेह्ह्ह्ह साली चुदक्कड़ उह्ह्ह क्या गर्म बुर है उह्ह्ह
सन्गिता जन्गी के मुह से गालियां सुनकर और मस्त हो गयि वही
संगीता- अह्ह्ह आराम सेह्ह्ह उम्म्ंम सीईई इह्ह्ह फक्क्क्क मीईई उम्म्ंम्म्ं फ्क्क्क्क मीई येस्स्स एयेस्स
जंगी - ओह्ह तु अंग्रज की चोदी है रुक बताता हु आह्ह लेह्ह्ह अब बोल उह्ह्ह
जंगी ने मोबाईल की कामलायक रिकार्डिंग होने के बाद मोबाइल कुर्ते की जेब मे रख कर उसके कुल्हे पकड कर कस कस लन्ड पेलने लगा
संगीता के लिए ऐसे आगे झुके हुए लन्ड ले पाना कठिन हो रहा था और वही जन्गी के लिए इस पोजीशन मे मजा रहा था , उसका लन्ड खड़े खड़े ही संगीता की बुर मे जड़ तक जा रहा था ,
जंगी - उह्ह्ह एल्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह और लेह्ह्ह उम्म्ं आयेगा आह्ह बता कहा भरू , भर दू तेरी चुत मे बोल ना साली उह्ह्ह आह्ह एल्ह्ह्ह
संगीता - न न्हीईई अंडर न्हीई उह्ह्ह्ह बाहर बाहर निकाल दोह्ह्ह उह्ह्ह
जंगी लाल झट से लन्ड बाहर निकाल कर उसकी गाड़ पर पिचकारी छोड़ने लगा और झाड़ कर पीछे हट गया ।
संगीता बुरी तरह वैसे ही झुकी हुई हाफ रही थी और गाड़ पर
उसके जन्गी का वीर्य रिस्ता हुआ उसकी जांघो पर जाने लगा
संगीता - आरेह्ह जरा साफ करेंगे उस्को
जंगी ने जल्दी आनग्न मे एक तौलिये से अपना वीर्य संगीता की जांघ से साफ किया और उसे एक बालटी मे डाल दिया ।
संगीता खड़ी हुई और मुस्कुरा कर जन्गी की ओर देखा - आप तो बस कुछ और करने वाले थे ना
जंगी - हा लेकिन उसे देख कर रहा नही गया
संगीता - बहुत चालू निकले आप हिहिहिही
जन्गी उस्के पास आकर उसकी गाड़ मस्लता हुआ - अगर फुर्सत मिले तो बताता हु कितना चालू हु
संगीता - धत्त छोडिए अब , कोई आ जायेगा
जंगीलाल ने वही उचित समझा और चुप चाप दोनो बाहर आ गये ।
वही बाहर कमलनाथ के साथ साथ मुरारी की निगाहे भी संगीता को खोज रही थी । मगर कमलनाथ को अपनी आंखो के आगे पाकर मुरारी थोडा निश्चिंत जरुर था ।
मगर कमलनाथ की बेताबी बढ़ रही थी उसने मैसेज का रिप्लाई किया मगर संगीता का कोई रेस्पोन्स नही आया था ।
तो वो कॉल करने लगा ।
जन्गीलाल जैसे ही बाहर आया तो संगीता रुक कर साइड होकर कमलनाथ का फोन पिक की - हा हैलो
कमलनाथ - कहा है आप , दिख नही रही
संगीता इतरा कर स्टाल की ओर कमलनाथ को देखा जो उसे ही खोज रहा था ।
सन्गिता मुस्कुरा कर फोन पर जवाब देते हुए - लेकिन मुझे क्यूँ खोज रहे है आप ?
कमलनाथ - अरे मैने सोचा सब बिजी है तो क्यू ना आपकी तस्वीरे निकाल दूँ
संगीता ने सोचा यही मौका ठिक है और जंगी से जल्दीबाजी मे चुद भी नही पाई थी ।
संगीता - अच्छा ये बगल मे एक मकान है ना जिसपे कलर नही लगा है बस खाली सा पड़ा है
कमलनाथ ने झट से चंदू के घर की ओर देखा और संगीता के साडी से दुर से ही उसे पहचान गया ।
संगीता वही खड़ी थी ।
कमलनाथ - हा हा देख गया
संगीता - आयिये मै अन्दर हु
कमलनाथ का मुसल टाइट हुआ और उसने आस पास देखा और चुपचाप सरकता हुआ चंदू के घर मे घुस गया ।
जारी रहेगी
Super Update Guru Jiअध्याय 02
UPDATE 003
पिछले 3 हफ्ते थे अनुज घर और शादी के ऐसा उलझा था कि उसे न पढ़ाई के लिए समय मिला और न ही आने वाली परीक्षा की तैयारियों का
आने वाले महीनों उसके प्रैक्टिकल शुरू हो रहे थे और उसके प्रोजेक्ट अधूरे क्या शुरू ही नहीं हो पाए थे ।चिंता भरे मन से अनुज उलझा हुआ कालेज के लिए जा रहा था । उसका कालेज भी वही था जहां से पहले उसके भैया राज ने दसवीं और इंटर पास किया था ।
राज के अच्छे व्यवहार और पढ़ाई में अच्छा होने की वजह से उसके कालेज के टीचर अनुज से अकसर उसके बारे में हाल चाल ले लिया करते यहां तक कि अनुज की पहचान भी अभी तक राज के छोटे भाई के तौर पर ही थी । क्योंकि ना ही अनुज पढ़ाई के उतना अव्वल था और न ही खेल कुद जैसी प्रतियोगीताओ में कोई रुचि रखता था , हालांकि चढ़ती उम्र में वासना ने उसे लालची जरूर बना दिया था ।
कालेज को जाती सड़क पर चल रहा था , आमतौर पर ये सड़के बच्चों से व्यस्त होती थी मगर आज पापा की वजह से उसे थोड़ा लेट हो गया क्योंकि अनुज का तो आज जरा भी मन नहीं था ।
09.30 बजने को हो रहे थे और कालेज कुछ दूर ही था कि उसकी नजर आगे पुलिया पर गई , जहां दो लड़कियां एक दूसरे की तस्वीरें निकाल रही थी ।
उनमें से कालेज ड्रेस में एक लड़की का गोरा दुधिया चेहरा दूर से चमकता दिखा और अनुज समझ गया कौन थे वो दोनों ।
: अरे वो देख , तेरा हीरो आ रहा है हीही ( दूसरी लड़की ने पहली लड़की को छेड़ा )
: धत्त कमिनी, चुप कर वो आ रहा है ( उसने अपने सूट को कमर के पीछे से खींच कर अपने गोल मटोल चूतड़ों पर चुस्त किया और विजिबल चुन्नी से अपना क्लीवेज ढकती हुई बड़ी सहूलियत से खड़ी होकर अपने जुल्फे कान में खोसने लगी )
" हाय अनुज , बड़े दिन बाद " , उस पहली लड़की ने अनुज को टोकते हुए कहा ।
अनुज : ओह हाय कृतिका , हा वो मै दीदी की शादी में उलझा था । बताया तो था उस दिन दुकान पर ?
अनुज के जवाब पर वो दूसरी लड़की ने आंखे महीन कर कृतिका को घूरा तो कृतिका नजरे चुराती हुई मुस्कुरा दी : अच्छा हा , और कैसे हो ?
अनुज : अच्छा हु और तुम दोनों ?
" अच्छा तो तुम्हे दिख गई मै , ठीक हूं मै भी " , कृतिका के साथ वाली लड़की बोली जिसके नारियल जैसे चूचे सूट को सीने पर पूरा ताने हुए थे जिससे उसका दुपट्टा ज्यादा ही उठा नजर आ रहा था ।
अनुज थोड़ा झेप कर मुस्कुराता हुआ : अरे पूजा वो तो मै , अच्छा सॉरी बाबा
कृतिका पूजा से : क्या तू भी परेशान कर रही है , चलो अनुज
अनुज : हम्म्म चलो
अनुज थोड़ा आगे हुआ कि उसके कानो में पूजा की भुनभुनाहट आई : हरामीन तूने बताया नहीं न मिलने गई थी उम्मम ।
इसके बाद कृतिका की हल्की सी सिसकने की आवाज आई : सीईईई मम्मीई, कुत्ती....
कृतिका और दो चार गालियां पूजा को देती मगर उसकी नजर आगे अनुज से टकराई और वो थोड़ा शर्मा कर अपने कमर के पिछले हिस्से को सहलाते हुए मुस्कुराने लगी ।
" तुम्हारे प्रोजेक्ट्स कहा तक पहुंचे अनुज " , कृतिका ने सवाल किया ।
आगे वो बातें करते हुए निकल गए कालेज की ओर ।
वहीं दुकान पर आज राज का पहले दिन ही बड़ी मगजमारी झेलने पड़ी ।
बबलू काका की मदद से चीजे आसान थी मगर बाप की पहचान और रुतबे के आगे राज फीकी चाय से भी फीका था ।
11 बजने को हो रहे थे और राज केबिन में बैठा हिसाब बना रहा था ।
एक्जाम तो उसके भी आने वाले थे मगर अभी उसके पास डेढ़ माह का समय अतिरिक्त था अनुज से ।
बबलू काका : छोटे सेठ , बड़े घर से ठकुराइन आई है !
राज थोड़ा अचरज से : ठकुराइन कौन ?
बबलू काका थोड़ा हिचक कर : छोटे सेठ वो सेठ जी के दोस्त ठाकुर साहब है न उनकी मैडम ।
राज खुश होकर : अच्छा आंटी जी आई है , अरे तो भेजिए न उनको !
बबलू काका : जी छोटे सेठ
राज : और सुनिए कुछ देर में नाश्ता भेजवा दीजियेगा ओके
बबलू : ठीक है छोटे सेठ
कुछ ही देर में राज के सामने संजीव ठाकुर की बीवी खड़ी थी । ऊपर से नीचे तक खुद को बड़ी ही अदब और सादगी से ऐसे ढकी हुई थी कि उनका गदराया जिस्म की रत्ती भर झलक नहीं मिल पा रही थी सिवाय चेहरे के ।
पूरी बाजू की ब्लाउज जो क्लिवेज के साथ साथ पीठ गर्दन सब कवर किए हुए थी । सिम्पल हल्की साड़ी जिससे उन्होंने अपना पेट और कमर पूरी तरह से ढक रखा था और कूल्हे पर ऐसी चुस्त की गाड़ का उभार उठा हुआ नजर आ रहा था ।
ठुकराईन : कैसे हो बेटा ?
राज की नजर उसके चेहरे पर गई , गजब का आकर्षन था उनकी आंखों में और मुस्कुराहट से फैले हुए मोटे मोटे होठो के चटक लिपस्टिक और भी ललचा रहे थे ।
राज : जी ठीक हूं आंटी जी , नमस्ते आइए न
राज खड़ा होकर उनका अभिवादन किया और ठकुराइन राज के पास सोफे पर बैठ गई ।
ठकुराइन : बेटा पापा नहीं है ?
राज मुस्कुरा कर : जी वो नानू के यहां गए है हफ्ते दस दिन में आ जायेंगे ।
ठकुराइन हस्ती हुई : हाहा ससुराल गए है घूमने भाईसाहब
राज मुस्कुराकर : जी ,
ठकुराइन : और तुम्हारी पढ़ाई कैसी चल रही है , या फिर तुम भी पढ़ाई छोड़ कर पहले शादी ही करने वाले हो सोनल के जैसे
राज मुस्कुरा कर : अरे नहीं आंटी , अभी मेरी उम्र नहीं है और दीदी भी अभी अपनी पढ़ाई जारी ही रखेगी ।
ठकुराइन : तो क्या सोनल अपने पति के साथ नहीं जाएगी ?
राज उलझे हुए स्वर में : अभी कुछ कह नहीं सकते आंटी जी , मार्च बाद से हम लोगों के भी एग्जाम शुरू हो जायेंगे तो मुझे नहीं लग रहा है कि वो जा पाएंगी ।
ठकुराइन : बस ससुराल वाले राजी हो जाए उसे पढ़ाने के लिए
राज : मुझे नहीं लगता कोई कुछ कहेगा , अच्छे लोग है सब
ठकुराइन इधर उधर की बातों को खींच रही थी और राज को अब बेचैनी हो रही थी । कुछ देर बाद तो ठकुराइन के पास कहने को कुछ बचा ही नहीं । अब राज को शक होने लगा कि शायद वो किसी काम से आई थी और उससे कहने में हिचक रही है ।
राज : आंटी आप कुछ काम से आई थी ?
ठकुराइन : हा बेटा वो ...
बबलू काका : छोटे सेठ ये नाश्ता
ठकुराइन कुछ कहती कि बबलू काका आ गए और वो चुप हो गई थी । वो नाश्ता रख कर निकल गए ।
राज : हा आंटी जी कहिए , देखिए पापा नहीं है मगर कुछ भी मेरे लायक होगा मै कर दूंगा आप बेहिचक कहिए ।
ठुकराई थोड़ा सोच कर : बेटा मै तुम्हारे पापा से नहीं तुमसे ही बात करने आई थी ।
राज अचरज से : मुझसे ?
ठकुराईन : मैने कल दुपहर ही तुम्हारे पापा से बात की थी कि तुमसे कैसे मिल सकती हूं।
राज : हा तो कहिए ? क्या बात है ?
ठकुराइन : बेटा वो मै कैसे कहूँ,
राज : आंटी आप टेंशन मत लीजिए और मुझपर भरोसा करिए प्लीज , बताइए ..
ठकुराइन : बेटा वो तुम्हारा दोस्त है न , रामवीर का लकड़ा चंदू ?
चंदू का नाम सुनते ही राज का दिमाग सन्न हो गया , क्योंकि चंदू तो ठकुराइन की बेटी मालती का दीवाना था और काफी दिनों से वो ठाकुर साहब के यहां ही काम पर जाता था अपने बाप के साथ ।
राज का गला सूखने लगा : जी आंटी क्या बात चंदू के बारे में उसने कुछ किया क्या ?
ठकुराइन : बेटा तुम तो समझदार हो , उसको समझाओ ऐसे किसी के घर की इज्जत से खिलवाड़ नहीं करते ..
राज को यकीन होने लगा जरूर चंदू की कोई कारस्तानी की भनक लगी है ठकुराइन को : मै समझा नहीं आंटी , वो तो गोदाम में काम करता है न फिर क्या दिक्कत हो गई ?
ठकुराइन : कभी कभी बेटा वो .. कभी कभी क्या इन दिनों लगभग रोज ही वो घर में आ जाता है और उसने मेरी बेटी मालती के साथ ...
ठकुराइन बोलते हुए चुप हो गई ।
राज और उलझ गया और मन में बड़बड़ाया : बहिनचोद ये साला चंदू खुद भी मरेगा और मुझे भी मरवाएगा हरामी
राज : आंटी , उसकी गलती के लिए मै आपसे माफी मांगता हू। प्लीज इस बात को अंकल या उनके बाऊजी को मत कहिएगा । मै उसको बोल दूंगा वो सुधर जाएगा प्लीज
ठकुराइन कुछ देर चुप हुई और एकदम से उनके तेवर बदले : इसीलिए मै तुम्हारे पास आई हु राज , अगर मै ये बात कह दूं घर में मालती के पापा या फिर बाउजी से तो कही लाश भी नहीं मिलेगी उसकी । उसको समझाओ और दुबारा बिना कहे घर दिखा न तो खैर नहीं रहेगी उसकी ।
ठकुराइन का ऐसा बदला स्वरूप देख कर राज की फट गई और वो मन ही मन गाली दिए जा रहा था चंदू को ।
राज : आप बेफिक्र रहे आंटी जी , मै समझा दूंगा और प्लीज आप ये सब किसी ने मत कहिएगा मै रिक्वेस्ट कर रहा हु ।
ठकुराइन ने आगे कुछ देर तक अपनी बातों को घूमा फिरा कर रखती रही और फिर निकल गई ।
उनके जाते ही राज ने चंदू को फोन घुमाया
: भोसड़ी के जहां भी हो जल्दी से पापा वाली दुकान पर आ
: .......
: हा बर्तन वाले पर , जल्द आ
राज ने चंदू को हड़काया और फोन काट दिया । पानी का ग्लास गटागट खाली करता हुआ राज थोड़ा खुली हवा के लिए बाहर आया ।
मगर उसके जहन में एक सवाल खाए जा रही थी कि आखिर ठकुराइन ने ये बात सिर्फ मुझसे ही क्यों की । वो चाहती तो सीधा ही चंदू से कह देती या फिर उसे काम पर आने से मना कर सकती थी या फिर ऐसा कर देती कि वो घर के अंदर आए ही नहीं । जरूर कुछ बात है और राज गल्ले पर बैठा सोच रहा था कि इतने में चंदू आ गया ।
चंदू हांफता हुआ : क्या हुआ भाई , कुछ अर्जेंट है क्या ?
राज ने गुस्से से उसे घूरा , फिर अन्दर चलने का इशारा किया और दोनों केबिन में चले गए ।
शिला के घर
" चुप करो तुम , अगर एक मिनट और नहीं आती तो अबतक तो नंदोई जी मेरी साड़ी उतार चुके होते " , रज्जो शिला को डांटती हुई बोली ।
शिला खिलखिलाकर : अरे भाभी , आज नहीं तो कल साड़ी तो उठाएंगे ही वो आपकी हीही
रज्जो लजा कर : धत्त तुम भी न , सीधे चलो
शिला हस्ती हुई आगे बढ़ रही थी कि रज्जो की नजर सड़क से लग कर एक मकान पर गई जिसके बाहर एक खूबसूरत औरत साड़ी पहने हुए खड़ी थी ।
उसके कजरारी आंखो में गजब का आकर्षण था , उसपे से उसकी पतली कमर और गुदाज गोरा पेट , देखते ही रज्जो तो मानो उसके कातिलाना हुस्न की कायल हो गई ।
रज्जो धीरे से उसकी ओर दिखा कर : हे दीदी ये कौन है , बड़ी कातिल चीज है उम्मम किसका माल है ये ? एकदम रसभरी है
शिला मुस्कुरा कर आगे बढ़ गई
रज्जो : अरे बताओ न , क्या हुआ हस क्यों रही हो
शिला : क्यों दिल तो नहीं आ गया उसपे उम्मम
रज्जो मुस्करा कर : मेरा तो पता नहीं मगर जिस तरफ से वो तुम्हे निहार रही है पक्का वो तुम पर लट्टू है । कितना नशा है उसकी आंखों , शायद कल मैने इसको उधर बाग की ओर भी देखा था ।
शिला : हम्म्म हा वो उसका अड्डा है
रज्जो : अड्डा कैसा अड्डा ?
शिला : बताती हु अभी चलो यहां से
कुछ दूर आगे बढ़ते ही रज्जो : क्या हुआ बताओ न
शिला मुस्कुराई : अरे उधर उसके कस्टमर मिलते है उसको , गांव और कस्बा का कोई डायरेक्ट उसके घर में नहीं जाता
रज्जो उत्सुकता से : क्यों ?
शिला मुस्कुरा कर: अरे वो किन्नर है
रज्जो की आँखें फैली : हैं ? सच में .. इतना खूबसूरत
शिला : हा लेकिन उसका टेस्ट थोड़ा अलग है ?
रज्जो : मतलब ?
शिला : अरे उसको मोटी जैसी गदराई औरतें पसन्द है मगर यहां गांव का माहौल देख ही रही हो , इसीलिए उधर जाता है औरतों को निहारने ।
रज्जो : क्या सच में ? तुमको कैसे पता
शिला : अरे पिछले साल जब आया था तब उसने एक बार मेरा भी पीछा किया था , मगर उसको मना कर दिया
रज्जो : अह्ह्ह्ह मना क्यों किया , ले लेती न नए लंड का स्वाद हीही।
शिला हस्ती हुई : भक्क तुम भी न भाभी
फिर दोनों आगे बढ़ गए और गांव वाले घर के लिए।
घर में घुसते ही रज्जो ने बरामदे में बैठे हुए शिला के ससुर के पाव छूए : प्रणाम बाउजी
शिला के ससुर की नजर रज्जो के चुस्त ब्लाउज में चिपके हुए गदराये जोबनो पर गई और वो सिहर उठा ,
रज्जो ने वही शिला वाली साड़ी ही पहनी थी , जिसमें उसके दूध बुरी तरह से ठुसे हुए थे । शिला के ससुर के बदन में सरसरी फैल गई और रज्जो ने चुपके से शिला को आंख मारी । तो शिला भी मुस्कुरा कर रज्जो की शरारत को समझते हुए अपने ससुर के पाव छूए और फिर खड़ी होकर अपनी कुर्ती को पीछे से उठा कर अपने कूल्हे पर चढ़ाया ।
जिससे उसके ससुर की नजर लेगी के उभरी हुई उसके तरबूज जैसे चूतड़ों पर गई और वो थूक गटकने लगा ।
फिर दोनों फुसफुसाती हुई घर में चली गई , और अंदर देखा तो शिला की सास अभी नहाने की तैयारी भी थी । झूले हुए नंगे चूचे और नंगा पेट , कमर में अटकी हुई पेटीकोट ।
रज्जो : प्रणाम अम्मा , बड़ी देर से नहाने जा रही हो
शिला की सास : अरे क्या करु बहु वो मीरा कलमुंही टाइम से आती ही नहीं झाड़ू कटका के लिए इसलिए देर हो जाती है
शिला : ठीक है अम्मा आप नहा लो , हम लोग कपड़े लेने आए थे तो उधर से ही निकल जायेंगे
शिला की सास : अरे एक आध रोज के लिए बहु को यही छोड़ जा , आई है तो चार बात मुझसे भी कर लेगी ।
" आऊंगी अम्मा एक दो रोज में तो रुकूंगी ठीक है " , रज्जो ने दरवाजे पर खड़े शिला के ससुर की परछाई देख कर जवाब दिया ।
शिला : ठीक है अम्मा चलती हु प्रणाम
फिर वो निकल गए कपड़े लेने और कुछ देर बाद वो दोनों अपने घर के आगे से वापस टाउन की ओर जा रहे थे कि रज्जो की नजर घर गई , बरामदे में बैठे हुए शिला के ससुर गायब थे ।
रज्जो : हे दीदी बाउजी कहा गए
शिला : अरे भीतर गए होंगे चलो छोड़ो उनको
रज्जो हस कर : अरे अंदर तो अम्मा नहा रही थी न
शिला : हा तो ?
रज्जो के चेहरे पर फिर से शरारत भरी मुस्कुराहट फैलने लगी ।
शिला आंखे बड़ी कर रज्जो के इरादे भांपते हुए : नहीं मै नहीं जाऊंगी , चलो घर
रज्जो : धत्त चलो न , देखे तो हीही और दरवाजा भी खुला है
रज्जो शिला का हाथ पकड़ कर खींचने लगी और शिला ना नुकूर करती हुई उसके साथ चल दी
धीरे धीरे वो अंदर घर में गए और भीतर देखा तो आंगन खाली था , नल के पास पानी गिरा था और शिला के सास के गिले पैरो को छाप एक कमरे की ओर जाती दिख रही थी
रज्जो उसके फूट प्रिंट की ओर इशारा करते हुए उस कमरे का इशारा : हे उधर देखो हीही
शिला फुसफुसा कर : तुम न पागल हो पूरी
रज्जो खिलखिलाई और धीरे धीरे उस कमरे की ओर बढ़ गई
जैसे ही वो खिड़की के पास गए दोनों की आंखे फेल गई और मुंह पर हाथ रख कर एक दूसरे को भौचक्के निहारने लगे
सामने कमरे में शिला की सास पूरी नंगी होकर लेटी हुई थीं और उसका ससुर ऊपर चढ़ कर हचक हचक कर पेले जा रहा था । शिला की सास कराह रही थी
शिला की सास : अह्ह्ह्ह्ह मन्नू के बाउजी ओह्ह्ह्ह कितनी जल्दी जल्दी आप गर्म हो जाते हो , फिर से बहु को देखा क्या ?
शिला मुस्कुरा कर रज्जो को देखी और अंदर का नजारा देखने लगी
शिला का ससुर अपनी बीवी के फटे भोसड़े में लंड उतारता हुआ : हा मन्नू की अम्मा , बहु के साथ जो आई उसके जोबन देख कर मेरा बुरा हाल हो गया और बड़ी बहु के चौड़े कूल्हे अह्ह्ह्ह
शिला के ससुर की बातें सुनते ही रज्जो के भीतर से हंसी की दबी हुई किलकारी फूट गई और झट से वो खिड़की से हट गए
और कमरे से शिला के ससुर की कड़क आवाज आई : कौन है ?
शिला और रज्जो एकदम से हड़बड़ा उठी और झटपट घर से बाहर निकल गई
शिला रज्जो का हाथ पकड़ कर : इधर से नहीं , पीछे से चलो , बाउजी जान जायेंगे
रज्जो को भी आइडिया सही लगा तो वो घर के बगल की गली से तेजी से निकल गए ।
कुछ ही देर में शिला का ससुर लूंगी लपेटते हुए बाहर आया मगर उसे कोई नहीं दिखा तो वापस चला गया ।
घर से दूर हो जाने के बाद दोनों के जान में जान आई और दोनों खिलखिला कर हस पड़े ।
शिला : तुम न बड़ी पागल हो , चुप नहीं रह सकती थी हीही
रज्जो : अरे मुझे हसी इस बात की आई कि हमारी वजह से बेचारी तेरी सास की सांस चढ़ने लगती है हाहाहाहाहा
शिला हस्ती हुई : हा लेकिन बाल बाल बचे आज ,
रज्जो : बच तो गए मगर वापस घर कैसे जायेंगे
शिला : अरे उधर बागीचे से भी एक रास्ता है पगडंडी वो आगे सड़क में जुड़ेगा चलो
और दोनों आगे बातें करते हुए बगीचे की ओर निकल गए ।
मुरारी - मंजू
11 बजने वाले थे और मुरारी खाली समय बिस्तर पर बिखरे हुए मंजू के कपड़े खोल खोल कर उसके हिसाब से जो ठीक ठाक नजर आ रहे थे उन्हें अलग कर रहा था बाकी सब एक झोले में ठूस रहा था ।
तभी उसके हाथ में एक जींस आई
लेबल देखा तो 38 साइज कमर वाली जींस थी , साफ था मंजू का ही होगा
मुरारी खुद से बड़बड़ाया : उफ्फ कितना चौड़ा चूतड़ होगा इसमें उसका उम्मम
मुरारी ने जींस की मियानी को मुंह पर रख कर सुंघा और फिर उसको फोल्ड कर दिया ।
तभी कपड़े के ढेर एक चटक नीला रंग का फीता नजर आया , मुरारी ने उसको खींचा तो देखा कि वो तो पतले स्ट्राप वाली ब्रा थी , जिसके cups पर खूबसूरत लैस वाली डिजाइन थी ।
उस मुलायम ब्रा को मुठ्ठी में भर कर उसने अपने सर उठाते लंड पर घिसा : अह्ह्ह्ह मंजू क्या चीज है रे तू उम्मम
तभी मुरारी के मोबाईल पर रिंग हुई ये मंजू का ही फोन था
फोन कर
मंजू : हैलो भाई साहब , मेरा ऑफिस का काम हो गया है , आप आ जाइए
मुरारी : ठीक है , लेकिन आना किधर है
फिर मंजू उसको एक मॉल का पता बताती है और मुरारी घर बन्द कर के ऑटो से निकल जाता है
कुछ ही देर में वो मंजू के पास होता
बड़ी सी 4 मंजिला इमारत और सैकड़ों की भीड़ , इतनी चकाचौंध मुरारी के लिए बड़ी बात नहीं थी । मगर वहा की मॉर्डन सेक्सी कपड़ों में गदराई औरतें देख कर उसका ईमान और लंड दोनो डोल रहे थे और मंजू भी मुरारी के हाव भाव पर मुस्कुराती जब वो उसे टाइट जींस में फूली हुई चूतड़ों को निहारता पाती ।
मंजू : चले भइया
मुरारी एक मोटी औरत के कुर्ती में झटके खाते चूतड़ को मूड कर निहारता हुआ : हा चलो , यहां तो सब ऐसे ही कपड़े पहनते है क्या ?
मंजू मुस्कुरा कर : जी भइया, बड़ा शहर है तो यहां बहुत कामन है
मुरारी आगे देखा तो एक फैमिली जिसमें 2 औरते और दो लड़के और बच्चे थे । उस फैमिली की सभी औरते टाइट जींस और टॉप में थी ।
बड़े बड़े रसीले मम्में पूरे बाहर उभरे हुए । सनग्लास लगाए हुए आपस में बातें करते हुए आ रही थी ।
मुरारी तो टॉप में उसके बड़े बड़े रसीले मम्में देखता ही रह गया ।
मंजू मुस्कुरा रही थी जैसा मुरारी हरकते कर रहा था और तभी मुरारी की नजर मंजू से मिली तो वो झेप कर मुस्कुराने लगा ।
दोनो अब थोड़ा हिचक रहे थे नजरे फेर कर बिना कुछ बोले अंदर एंट्री करते है और अंदर और भी चीजें मस्त थी , दुनिया भर की दुकानें और सबसे बढ़ कर नए उम्र के जोड़े , हाथ पकड़े एक दूसरे से चिपके हुए ।
मंजू : भैया ऊपर चलना पड़ेगा लेडीज सेक्शन ऊपर है
मुरारी : सीढ़ी किधर है ?
मंजू मुस्कुरा कर सामने एलिवेटर की ओर इशारा किया मुरारी की हालत खराब ।
अब होने वाली भयोह के आगे कैसे मना करे , मन मार कर हिम्मत जुटाया और दो तीन प्रयास किया मगर कलेजे से ज्यादा तो पाव कांप रहे थे ।
इतने में दो लड़कियां उसके बगल से निकल कर आगे चढ़ गई और उसी धक्के में मुरारी भी उनके पीछे खड़ा हो गया
मगर जैसे ही वो सीधा हुआ आंखे फट कर चार , सामने वाली जो अभी अभी उसके बगल से आगे निकली थी वो ठीक उसके मुंह के आगे
क्रॉप टॉप और नीचे कसी जींस , मोटी मोटी मांसल गाड़ पूरा शेप लिए बाहर की ओर निकली हुई ।
मुरारी का गला सूखने लगा और जैसे ही उस लड़की ने मूड कर देखा वो नजरे फेरने लगा , लंड एकदम फड़फड़ाने लगा पजामे में ।
ऊपर पहुंचते ही वो लड़कियां तेजी से दूसरी ओर निकल गई और मुरारी उस लड़की के हिलकोर खाते चूतड़ देख कर अपनी बहु सोनल के बार में सोचने लगा
मंजू : भइया इधर से
मंजू के आवाज पर मुरारी उसके पीछे लेडीज सेक्शन की ओर चला गया ।
मंजू अपने पसंद के कंफर्टेबल कपड़े देखने लगी और मुरारी वहां की औरते
तभी उसकी नजर ट्रॉली लेकर घूमती एक औरत पर गई
" सीईईई क्या चीज है भाई , इतना बड़ा और गोल " , मुरारी मन ही मन बड़बड़ाया । उसके लंड में सुरसुरी होने लगी
जिस लेन में वो खड़ा था उसी लेन में दूसरी ओर एक मोटी गदराई महिला जो कि टीशर्ट और पैंट में थी , पेंट में उसके बड़े बड़े मटके जैसे चूतड़ों का शेप देख कर मुरारी जैसे खो ही गया ।
उसने बहुत से माल और शहर में घूमा था मगर यहां जैसा माहौल कही नहीं दिखा उसे ।
तभी उसे मंजू का ख्याल आया और उसने कुछ पल के लिए उस महिला के चूतड़ से नजरे हटा दी ।
वो मंजू के साथ ही इधर उधर रह कर देख रहा था , मंजू ने कुछ प्लाजो सेट और दो तीन काटन कुर्ती देखे , उसकी नजर जींस स्टॉक पर थी मगर वो मुरारी की वजह से हिचक रही थी ।
मुरारी : इसके साथ क्या लेना , जींस या फिर लेगिंग्स
मंजू मुस्कुराने लगी : मुझे समझ नहीं आ रहा है ,
मुरारी : तुम तो जींस भी पहनती हो न , तो लेलो । इस बात के लिए बेफिक्र रहो तुम्हे कोई कुछ नहीं कहेगा ठीक है
मंजू मुस्कुरा कर : जी ठीक है
फिर मंजू वहां से दो तीन जींस लेकर ट्रायल रूम की ओर बढ़ गई ।
जींस के स्टॉक के पास खड़े खड़े मुरारी ने साइज देखने लगा और उसकी नजर 4XL size की जींस पर गई और उसके ख्यालों के ममता का नाम आया , मगर बात वही थी कि पता नहीं वो पहनेगी या नहीं ।
इतने में मुरारी का मोबाइल रिंग हुआ देखा तो अमन फोन कर रहा था
फोन पर
मुरारी : हा बेटा
अमन : पापा कहा हो , निकल गए क्या ?
मुरारी : नहीं बेटा , वो तेरी चाची को कपड़े लेने थे और कुछ काम भी था तो आज रुक गया कल निकलूंगा
अमन : अरे वाह फिर से मेरी तरफ से भी चाची के लिए ले लेना , वैसे कैसे कपड़े पहनती है चाची
मुरारी : उम्मम बेटा वो लगभग सभी पहनती है , अभी अभी जींस लेकर गई है ट्राई करने
अमन : अरे वाव , पापा मम्मी के लिए भी लेलो न जींस
मुरारी : बेटा मै भी सोच रहा था और ये भी सोच रहा था कि ( मुरारी एक किनारे गया जहा उसकी आवाज कोई और न सुने फिर वो धीमी आवाज में ) तेरी मां के लिए कुछ जोड़ी फैंसी ब्रा पैंटी भी ले लूं , यहां मॉल में सब मिल रहा है
अमन : हा पापा क्यों नहीं , लेलो न फिर
मुरारी : अरे लेकिन वो लेडीज सेक्शन है उधर मै कैसे जाऊंगा और दूर से देखा तो एक से एक बढ़िया फैंसी सेट थे वहा ।
अमन : अरे तो चाची को बोल दो न ?
मुरारी कुछ सोचता हुआ : उससे!!! ठीक है देखता हूं और बता तू ठीक है
अमन : मै तो एकदम मस्त हू अभी जस्ट उठा हु नहाकर आपको फोन किया है
मुरारी : अभी उठा है ?
अमन : हा पापा रात में वैसे भी यहां किसे नीद आती है हीहीही
मुरारी : सही बेटा मजे कर
अमन हंसता हुआ : पापा आप कबतक चाची के घर पहुंचेनंगे ।
मुरारी : अभी एक दो घंटे बाद
अमन : अच्छा, वो मैने आपके व्हाट्सअप पर कुछ भेजा है हीही, फ्री होना तो देख लेना पसंद आएगा आपको
अमन की बात सुनते ही मुरारी के तन बदन में सरसरी उमड़ी और उसके पेट में अजीब सी हड़बड़ाहट होने लगी : क्या , क्या भेजा है बता न
अमन मुस्कुरा कर : आप देख लेना , आपकी लाडली बहु की वीडियो है , ओके मै रखता हु बाय पापा
अमन ने फोन काट दिया और यहां मुरारी एकदम से तड़प उठा , उसे समझ नहीं आ रहा था क्या करे , उसने झट से मोबाईल खोला तो देखा अमन ने 4 5 वीडियो और फोटो भेजे थे । तस्वीरें देखते ही मुरारी ने झट से मोबाईल लॉक कर दिया ।
लंड एकदम फड़फड़ाने लगा सुपाडे में चुनचुनाहट होने लगी , कुर्ते के नीचे हाथ घुसा कर पजामे के ऊपर से उनसे अपना सुपाड़ा मिज़ा। फिर वो चेंजिंग रूम की ओर देखा , मंजू को भी समय लग रहा था , उसे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे कहा जाए , बाकी से चेंजिंग रूम भी इंगेज दिख रहे थे और ऐसे में उसको बाथरूम का ख्याल आया ।
वो लपक कर बाहर आया और बाथरूम खोजने लगा , इधर उधर भागने पर उसे टॉयलेट बोर्ड दिखा और लपक कर वो उधर निकल गया ।
तेजी से चलते हुए वो बाथरूम में घुस गया और टॉयलेट सीट पर बैठ कर अपनी सास को आराम देने लगा
उसके पैर थरथर कांप रहे थे पेट में अजीब सी हड़बड़ाहट मची थी ।
गहरी सास लेते हुए उसने दुबारा से मोबाइल खोला तो मुरारी का मुंह भी खुला का खुला रह गया ।
मैचिंग ब्रा पैंटी में दोनों बहनों में बड़े ही कामोत्तेजक लुक दिए थे
उनके झूलते नंगे बूब्स और बाहर निकली हुई नंगी गाड़ देख कर मुरारी पजामे के ऊपर से ही अपना लंड मसलने लगा : अह्ह्ह्ह्ह बहु कितनी सेक्सी है उम्मम उफ्फ इसके गुलाबी निप्पल और ये लचीली गाड़ उम्मम जी कर रहा है खा जाऊ अह्ह्ह्ह
मुरारी टॉयलेट सीट पर बैठ कर अपना लंड बाहर निकलने लगा
तभी अगली तस्वीर में दोनों बहने अमन का मोटा लंड पकड़े हुए हस रही थी और एक दूसरे को निहार रही थी ।
किसी में सोनल अमन का लंड चूस रही थी किसी में निशा , मुरारी अपना लंड पकड़ कर उसको भींचे जा रहा था और अगली चीज एक वीडियो थी
जैसे ही मुरारी ने उसे क्लिक किया वो वीडियो तेज आवाज में शुरू हो गई , ये वही शॉर्ट ब्लॉग थी जिसे सोनल ने शूट किया था
सोनल की तेज आवाज आते ही मुरारी ने झट से स्पीकर पर हाथ रखते हुए आवाज कम किया और वीडियो में जो देखा उसकी आंखे फटी की फटी रह गई
और जब वीडियो में सोनल ने बोला " कोई है जो मुझे चोदना चाहेगा " मुरारी का लंड एकदम अकड़ गया , आड़ो में पंपिंग होने लगी
मुरारी अपनी बहु की कामोत्तेजना भरे हरकते देख कर पागल हो गया था , वो जोर से लंड भींचे जा रहा था और सोनल का नाम लेके बडबडा रहा था : अह्ह्ह्ह्ह मेरी प्यारी बहु मै हु न अह्ह्ह्ह तुम्हारे पापाजी तुमको चोदेंगे बेटा आह्ह्ह्ह बहु उम्ममम अह्ह्ह्ह
मुरारी चरम पर था मगर ऐन मौके पर मंजू ने उसको फोन घुमाने लगी
मुरारी : ओह्ह्ह्ह यार , क्या करु
उधर मंजू लगातार मुरारी को काल किए जा रही थी , मुरारी लंड झाड़ना चाहता था मगर मंजू ने उसका फ्लो बिगाड़ दिया।
मन मारकर अपना लंड पजामे में डाल कर बाहर आ गया , अभी भी उसके लंड की अकड़न जस की तस थी , लपक कर वो मंजू की ओर गया ।
मंजू : कहा चले गए थे
मुरारी थोड़ा हिचक कर : वो मै थोड़ा फ्रेश होने ... हो गया तुम्हारा
मंजू : जी , आप भी कुछ ले लीजिए न
मुरारी : अह् मुझे मेरे मतलब का क्या मिलेगा
मंजू : अरे आप भी टीशर्ट जींस ले लीजिए न , मुझे उनके लिए भी लेनी है
मंजू लजाते हुए बोली
मुरारी समझ गया कि वो मदन के लिए भी खरीदारी करना चाहती है ।
मुरारी : ठीक है भई जिसमें तुम्हारी खुशी , अब मदन के लिए लोगी तो मेरे लिए भी एक ले लेना साइज तो एक ही हमारा
मंजू : अच्छा सुनिए , भाभी की साइज क्या होगी
मुरारी हंसकर : तो क्या उसके लिए जींस लोगी
मंजू बड़े ही कैजुअली होकर बोली : हा , अगर वो पहनती हो तो !
मुरारी हस कर : क्यों भाई सिर्फ मुझे ही ये सजा क्यों , अमन की मां भी परेशान हो तंग जींस पहन कर हाहाहाहाहा , उसको 4XL के कपड़े ही होते है ।
मंजू मुस्कुरा: जी ठीक है आइए पहले उनके लिए ही लेती हूं
फिर मंजू मुरारी के साथ ममता के लिए दो जींस , लांग कुर्ती और दो सूट लिए
मुरारी अभी भी हिचक रहा था कि कैसे आखिर वो ममता के लिए ब्रा पैंटी ले । बार बार उसकी नजर अंडरगार्मेंट एरिया में जा रही थी ।
मंजू : चले भइया , जेंस वाला फ्लोर ऊपर है
मुरारी थोड़ा अटक कर : हा चलो , वो जरा मै सोच रहा था । खैर छोड़ो चलो चलते है ।
मंजू : अरे क्या हुआ कहिए न , कुछ दूसरा पसंद आया क्या भाभी जी के लिए, वो देख लेती हु न
मुरारी : नहीं दरअसल , नहीं कुछ नहीं चलो छोड़ो , वो अपना ले लेगी जब शहर जाएगी ।
मंजू मुस्कुरा कर : अरे भैया बताइए न , क्या चाहिए भाभी के लिए
मुरारी थोड़ा नजरे फेर कर : दरअसल अमन की मां के नाप के अंडर गारमेंट नहीं मिलते चमनपुरा में , मुझे लगा यहां उसके नाप के कपड़े है तो शायद वो सब भी मिल जाए ।
मंजू मुस्कुरा रही थी थोड़ी खुद भी लजा रही थी ।
मुरारी : तुमने लिए क्या अपने लिए ?
मंजू ने शॉक्ड होकर मुस्कुराते होठों से आंखे बड़ी कर मुरारी को देखा ।
मुरारी बड़बड़ाता हुआ : सॉरी ये मै क्या पूछ रहा हूं , प्लीज चलो अब
मंजू ने एक गहरी सास ली और आगे बढ़ते मुरारी का हाथ पकड़ लिया और इशारे से उधर चलने को कहा बिना बोले ।
मंजू का स्पर्श पाकर मुरारी एकदम से चौक गया और मंजू जबरन उसे अंडर गारमेंट वाले काउंटर की ओर ले गई ।
वहा पर कई लड़कीया स्टॉफ में थी और दूसरे भी नवयुवा कपल वहां साथ में खरीदारी कर रहे थे ।
स्टाफ : जी मैम क्या दिखाऊं
मंजू ने बिना कुछ बोले मुरारी की ओर देखा
मुरारी हिचक कर : जी वो बढ़िया फैंसी सेट में अंडर गारमेंट चाहिए
स्टाफ : जी मैम आपका साइज क्या रहेगा
जैसे ही स्टाफ ने मंजू से उसका साइज पूछा दोनों मुंह फेर हसने लगे ।
मंजू ने आंखो से मुरारी को इशारा किया कि वो स्टाफ की बातों का जवाब दे ।
मुरारी थोड़ा असहज होकर : जी वो 44DD की ब्रा और 48 की पैंटी दिखाइए
ममता का साइज सुनकर मंजू और वो स्टाफ दोनों ताज्जुब हुए । मंजू कुछ देर तक मुस्कुराती रही जबतक कि वो स्टाफ कुछ बॉक्स ब्रा और पैंटी के निकाल कर नहीं लाई ।
स्टाफ : सर आपके साइज बड़े एक्सक्लूसिव है तो हमारे पास लिमिटेड ब्रा पैंटी है , इन्हें देखे आप
वो स्टाफ कुछ ब्रा पैंटी खोलकर काउंटर पर बिखेरने लगी और मंजू थोड़ा नजरे चुराने लगी ।
मुरारी उनमें से एक ब्रा जिसके cups विजिबल दिख रहे थे उसे चूना तो मंजू ने मुंह फेर कर मुस्कुराने लगी और मुरारी ने उसे छोड़ दिया और एक फूली कवर ब्रा देखने लगा ।
लेकिन उस ब्रा के साथ जो मैचिंग रंग की पैंटी थी वो एक पतली थांग जैसी थी । मुरारी को समझ नहीं आ रहा था । पसंद तो उसे दोनों आ रहे थे ।
स्टाफ : क्या हुआ सर कोई पसंद आए इसमें से
मुरारी : अह मुझे तो समझ नहीं आ रहा है
मंजू ने मूड कर मुरारी को देखा और उसके करीब होकर बोली : भाभी को कैसे पसंद है
मुरारी मुस्कुराने लगा और धीरे से उसकी ओर झुक कर कान में बोला : वहा उसके नाप की मिलती नहीं तो वो नीचे कभी कभार ही पहनती है ।
मंजू को अजीब लगा मगर वो मुस्कुराने लगी
मुरारी : तुम्हे कौन सा सही लग रहा है , दो सेट फाइनल कर दो
मंजू ने आंखे उठा कर मुरारी को देखा तो मुरारी मिन्नते करता हुआ नजर आया ।
मंजू ने मजबूरी में एक लेस वाली फैंसी और दूसरी सिंपल फूली कवर ब्रा उस थांग पैंटी के साथ फाइनल कर दी
वो स्टाफ दोनों को अजीब नजरो से देख रही थी वहां फिर जेंस वाले फ्लोर पर उन्होंने शॉपिंग की और फिर बिलिंग के लिए निकल गए ।
बिलिंग काउंटर जब मुरारी बिलिंग कराने लगा तो उसकी ट्रॉली में दो जोड़ी और ब्रा पैंटी निकल आई
मुरारी : एक मिनट भाई साहब , अंडरगार्मेंट के दो ही सेट होंगे , लगता है गलती से आ गया होगा
मंजू जो उसके बगल में खड़ी थी वो परेशान हो उठी इससे पहले वो बिलिंग स्टाफ उसके प्रोडक्ट को कैनसिल करता वो बोल पड़ी : अरे वो मैंने रखे है ?
मुरारी ने जैसे ही मंजू की आवाज सुनी उसको अपनी गलती समझ आई और बिलिंग स्टाफ वापस से सारी बिलिंग करने लगा ।
फिर मुरारी ने सारे पेमेंट किए ।
वहा से निकल कर दोनों ऑटो से मंजू के घर के लिए निकल गए ।
रास्ते भर मंजू के चेहरे पर मुस्कुराहट बनी रही
मुरारी समझ रहा था आज मंजू की नजर में उसकी खूब किरकिरी हुई है
मुरारी : अब बस भी करो भई , मुझे क्या पता था कि वो तुमने लिए थे पहले ही ।
मंजू हंसने लगी : सॉरी
मुरारी भी मुस्कुराने लगा
वही इनसब से अलग रंगीलाल खड़ी दुपहरी में अपने ससुराल पहुंच गया था ।
बरामदे में बनवारी के कमरे के बाहर लगी कुर्सी पर बैठे हुए घर का जायजा ले रहा था और तभी सामने से उसकी खूबसूरत गदराई हुई सलहज सुनीता साड़ी का पल्लू पूरे बरामदे में लहराते हुए हाथों में जलपान का ट्रे लिए आई और जैसे ही उसने रंगीलाल के आगे टेबल पर ट्रे रखा
बिना पिन की साड़ी का आंचल उसके सीने से सरक कर कलाई में आ गया और कसे चुस्त ब्लाउज में भरे हुए मोटे मोटे मम्मे झूलते हुए रंगीलाल को ललचाने लगे ।
जारी रहेगी ।
कहानी पर पाठकों की प्रतिक्रिया , व्यूज के हिसाब से बहुत कम मिल रही है ।
कहानी पर लेट अपडेट का कारण आप सभी कम प्रतिक्रियाए ही है ।
कृपया पढ़ कर समुचित रिप्लाई जरूर किया करे ।
धन्यवाद
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