- 8,139
- 22,987
- 189
END OF THE SEASON
कहानी के इस सीजन का आखिरी अपडेट पोस्ट कर दिया गया
UPDATE 37 POST ON PAGE NO. 157
Last edited:
Super UpdateUPDATE 019
तिराहा
: शानू बाहर आ मै कह रही हूं न ( अम्मी बाहर चिल्ला रही थी )
: नहीं अम्मी मै नहीं ... ( मैने अम्मी की बात पर जवाब दिया )
: देख अगर तू बाहर नहीं आया तो ... तो मै ( अम्मी नाराज हो कर बोली )
मेरे भीतर भी खलबली मची थी कि क्या करने वाली थी अम्मी
: मै तुझसे कभी बात नहीं करूंगी तेरी कसम खा .... ( अम्मी अपनी बात पूरी करती मै उसके पहले ही दरवाजा खोल दिया )
: नहीं मै आ रहा हु ( अम्मी मेरे आगे अपनी कमर पर हाथ रख कर गुस्से से मुझे देख रही थी , इस समय उनके जिस्म पर एक ढीली काटन की नाइटी थी )
भरा गदराया जोबन उसपे काटन नाइटी , अम्मी और भी ज्यादा कामुक लग रही थी । बिना ब्रा के चूचे लटके हुए पपीते के नाइटी को आगे से उठा रखा था जिससे अम्मी का उभरा हुआ पेट भी पता नहीं चल रहा था । कमर के बगल से उन्हें चौड़े कूल्हे का उभार बहुत ही कामुक था ।
: कहा है ला मुझे दे ( अम्मी ने हाथ बढ़ाया और गुस्से से मुझे घुरा )
: क्या ?
: मेरी कच्छी मुझे दे शानू , मै दुबारा नहीं बोलूंगी ( अम्मी ने आंखे दिखा कर गरजी )
सहम कर मै जेब से अम्मी की पतली सी थांग वाली पैंटी अपनी मुठ्ठी में रखे हुए उन्हें दी और जैसे ही मुट्ठी खुली वो पैंटी का कपड़ा अम्मी के हाथ में खुलने लगा
मै बिना एक पल रुके वहां से सरक रहा था कि अम्मी की गालीया शुरू हो गई
: हरामजादे , दुबारा मेरे कपड़े छुए तो किसी दिन तेरी टांगे तोड़ दूंगी कमीना कही का
दूर से देखा अम्मी पैंटी फैला कर उसमें लगे मेरे प्रीकम को देख कर अजीब सा मुंह बना रही थी और फिर गुस्से में बाथरूम की बाल्टी में डाल दी।
ये दूसरी बार था जब अम्मी ने रंगे हाथ मुझे उनके अंडर गारमेंट के साथ पकड़ा था , परीक्षा के दिनों में अम्मी ने ना सिर्फ मुझ पर बल्कि खुद पर पाबंदी लगा दी थी ।
अब्बू से भी इन दिनों दो टूक शब्दों में कह चुकी थी कि शानू की परीक्षाएं खत्म होने तक कोई फरमाइश नहीं ।
संयोग की ही बात थी कि अब्बू ही विभागीय कार्यों में व्यस्त दिख रहे थे इन दिनों , जल्द ही उनका तबादला नए जगह होने वाला था ।
कही से भी कुछ तरकीब देख सुन ना पाने के कारण मैने अम्मी के अंडर गारमेंट चुरा कर मुठ्ठी मारनी शुरू कर दी थी लेकिन अब वो भी पकड़ी गई ।
आज मेरी आखिरी परीक्षा थी और नहा धोकर मै निकल गया ।
*****************************
फोन पर
: हाय ! कहा हो ?
: अरे बाबा आ रही हूं, सामने ही तो हूं देखो ( सामने मुझे शबनम दुपट्टे में कान से फोन लगाए हुए आती दिखी )
उफ्फ क्या कयामत थी , टॉप जींस और सर को हिजाब से ढके हुए वो मेरे ओर आ रही थी , मैने फोन काट कर उसकी ओर देखा ।
ये उसका नया अवतार था मेरे आगे , पहली बार उसे मॉर्डन सेक्सी कपड़ों में देखा था , जींस उसके कूल्हे पर पूरी टाइट थी और टॉप सीने पर एकदम चुस्त , हर चाल के साथ हल्का सा उछाल उफ्फ लंड हरकत में आ गया ।
: वाव यार सो सेक्सी ( उसके आते ही मैने कॉम्प्लीमेंट दिया )
: धत्त गंदे , आओ चलो ( वो आगे आगे चलने लगी और मै उसके जींस में मटकते चूतड़ देख कर सिहर उठा )
: यार पीछे से तुम कहर ढा रही हो , सोचा भी था तुम्हे इस रूप में देखूंगा ( मैंने उसकी कमर में हाथ डाला तो मुझे हटाने लगी )
: यहां नहीं शानू , अंदर चले प्लीज
: ओके यार , वैसे भी तुम्हे देखकर भी कोई नहीं पहचानेगा हिहिही ( मै बोला )
: अच्छा सच में ( वो इतराई )
: हा यार , मुझे नहीं लगता ऑफिस क्या पूरे शहर में किसी ने तुम्हे ऐसे देखा होगा हीहीहीही
: क्या तुम भी ... आओ उधर चलते है ( शबनम ने खुद ही एक कार्नर सिलेक्ट किया और हम उधर ही चले गए )
मैं आस पास अच्छे से जायजा ले रहा था , सब ओर लगभग कपल ही थे , एक से बढ़ कर एक हायक्लास लड़के लड़कियां
कुछ तो शॉर्ट्स और मिडी में थी , उनकी चिकनी जांघों को देख कर मेरी आंखे चौंधिया रही थी ।
: देख लो देख लो , उन्हें ही निहारने आए हो न ( शबनम चिढ़ी)
: अरे नहीं यार , ये शहर इतना मॉर्डन कब हो गया वो समझ नहीं आया , आज से पहलें मैने ऐसे कपड़े में लड़किया नहीं देखी । कम से कम इस शहर में तो नहीं
: अरे बुद्धु इस रेस्तरां में ऐसे लोग ही मिलेंगे और इसीलिए तो मै भी ऐसे कपड़े में आई हु ( वो मुझे समझाते हुई बोली)
: लेकिन तुम्हारे आगे सब फीकी है ( मैने जींस के ऊपर से उसकी जांघें सहलाते हुए कहा )
: शानू !! क्या कर रहे हो कोई देख लेगा ( वो मेरा हाथ हटाती हुई बोली, उसकी सांसे चढ़ने लगी थी )
: कहा कोई देख रहा है ( टेबल के नीचे मै वापस से उसके जांघों के बीच में जाकर पंजे से उन्हें भरते हुए कहा ) सब एक दूसरे में मस्त है तुम भी हो जाओ न
: अच्छा जी , छोड़ो वेटर आ रहा है ( शबनम बोलो और मै सीधा हो गया )
फिर हमने खाने के लिए ऑर्डर दिया और बातें करते हुए खाने लगे ।
: यार मुझे अभी भी डर लग रहा है ( वो कोल्ड काफी स्ट्रा से सुरकते हुए बोली)
: देखो शबनम तुम चाहो तो वापस जा सकती हो , मै कभी तुमसे जबरजस्ती नहीं करूंगा ( उसको समझाते हुए मेरे हाथ लगातार उसकी जांघों को मसल रहे थे और उंगलियां बीच बीच में उसके चूत के आस भी जा रही थी जिससे वो कसमसाने लगती या फिर मेरे हाथ हटाने लगती )
: शानू ... ( वो मदहोश नजरों से मुझे देख रही थी, हम दोनो की सास तेजी से ऊपर नीचे हो रही थी )
: भरोसा करो न मुझ पर ( मैने उसका हाथ पकड़ कर अपने जींस के ऊपर से अपने तने हुए लंड पर रख दिया जो रोड की तरह उबरा हुआ था )
स्पर्श पाते ही उसके बदन में सरसरी सी फैली गई और वो पूरी तरह ग़नगना गई ।
उंगलियों से कस कर उसने मेरा लंड जींस के ऊपर से पकड़ लिया
: चलेगी मेरे साथ ( मैने उसकी आंखों में देखा , कामुकता से भरी हुई गुलाबी आंखे भर भर उसकी कामोत्तेजना की गवाही दे रही थीं और उसने भी हा में सर हिला कर मेरा इन्वाइटेशन एक्सेप्ट किया )
: तुम बाथरूम में जाओ चेंज करने मै आता हु बिल देकर ( वो सहमति दिखा कर बैग लेकर बाथरूम की ओर जाने लगी और मै वेटर को बिल के लिए बोल दिया ।
धीरे धीरे 5 मिनट होने लगे
मै उसका इंतजार करने लगा कि क्यों इतना वक्त लग रहा है, डर रह था कही साली मेरा प्लान न चौपट कर दे ।
उठ कर मै भी बाथरूम की ओर बढ़ गया । ऐसे बड़े रेस्तरां में कहा कौन ध्यान दे रहा था कि लेडीज कौन जेंस कौन ?
मै लपक कर लेडीज बाथरूम में घुस गया और दरवाजा लगा दिया , सामने शबनम थी जो मुझे देख कर हड़क गई
: शानू तु यहां.... ( वो कुछ बोलती उससे पहले ही मैने आगे बढ़ कर उसके लिप्स से लिप्स जोड़ लिए )
वो भी दुगनी जोश से मेरे लिप्स चूसने लगी
मेरे पंजे उसके चूतड़ नोचने लगे और वो दुगने जोश से मुझसे लिपटने लगी
उसके हाथ मेरे लंड को भींचने लगे
उसके लिप्स चूसने की अदा बहुत ही कामुक थी ,लग नहीं रहा था ये उसका पहली बार था और उनके हथेली आड़ो सहित मेरे लंड को जकड़े हुए थी
मैने उसे घुमाया और सामने आइने की ओर करके पीछे से टॉप के ऊपर से उसके संतरे मिजने लगा , अह्ह्ह्ह्ह क्या मस्त कसे हुए चूचे थे एकदम कोरे बाके और कड़क
वो अपनी पीठ मेरे जिस्म पर घिस रही थी और मै उसके कान चुबला रहा था वो मदहोश हो रही थी ।
जैसे ही मेरे हाथ उसके टॉप में घुसे उसके पेट को छुआ वो छटकने लगी
: उन्हू इतनी भी क्या जल्दी है तुम्हे , चल तो नहीं हु न ( वो मुझे रोक रही थी और मै अपना लंड उसके गाड़ में चुभो रहा था पीछे से )
: नहीं रहा जा रहा है मेरी जान ( उसके गरदन पर अपने नथुने और लिप्स घुमाता हुआ मै बोला )
अजीब सी मदहोशी हो रही थी मुझे , शायद उसने कोई इत्र लगाया था गर्दन और कंधे के पास जिसकी खुशबू मुझे उसकी ओर रिझा रही थी । अलीना से लेकर रेशमा मैम सबकी एक से बढ़ कर एक चॉइस के परफ्यूम और बॉडी स्प्रे की खुशबू से परिचित था मैं मगर ये कुछ नया और तेज था ।
एकाएक मेरा दिमाग ठनका और जहन में नीलू आंटी की बातें खनकी
तबतक शबनम अपने पर्स से मोबाइल निकाल चुकी थी ।
: ये किस लिए शबनम ( मुझे अजीब सा नशा सा हो रहा था हल्की फुल्की रह रह कर दिमाग में उलझने हो रही थी मगर भीतर से एक डेडीकेशन था कि यहां फसना नहीं है )
: बस हमारी यादों के लिए ( वो सामने बाथरूम के मिरर में कैमरे का एंगल ऐसे पोज में रख कर फोटो निकाल रही थी कि उसका चेहरा पूरी तरह से छिप रहा था और मेरा फेस पूरा बिजिबल )
मैने उसे निकालने दिया तस्वीरें और फिर वीडियो पर धीरे से क्लिक कर दिया
: अरे वीडियो क्यों ....( वो बोलना चाह रही थी कि मैं उसके टॉप में हाथ घुसा कर उसके निप्पलों को जोर से मिज दिया)
वो अगले ही पल आंखे उलटने लगी , उसकी पूरी बॉडी मेरे ऊपर आ चुकी थी
: अब बनाओ न यादें , आखिर हम दोनो का रिश्ता इसी का है ।
मै उसके टॉप ऊपर कर ब्रा के ऊपर से चूचे मिजते हुए उसके लिप्स से अपना लिप्स जोड़ दिया ।
वो दुगने जोश से मेरा हाथ देने लगी , अब हम दोनो के फेस साफ साफ बिजिबल थे ।
मेरी सतर्कता काम आ रही थीं और मैने आगे से हाथ बढ़ा कर उसके जींस में उंगली घुसाने लगा ।
: उम्हू रुको शानू
: अब और नहीं रुक सकता प्लीज सक माय डिक , चूसो इसे नहीं तो ये मुझे पागल कर देगा ( मैने अपना लंड बाहर निकाल दिया )
वो आंखे फाड़े हुए मेरा 9 इंच बड़ा मोटा खूंटे जैसा लंड देख रही थी , उसकी हलक सुख रही थी ।
मैने उसके हाथ से मोबाइल ले लिया और वीडियो रिकार्ड चालू कर दिया
: जाओ न प्लीज , ऑन योर नी बेबी ( मैने उसके लिप्स चूस कर बोला )
वो घुटने के बल आ गई उसने दोनों हाथों से मेरा लंड पकड़ा उसकी आंखों में खुमारी से ज्यादा डर दिख रहा था उस वीडियो का जो मै बना रहा था ।
अगले ही पल उसने मुंह खोला और मेरा सुपाड़ा उसके जीभ के ऊपर
: आह्ह्ह्ह यस्अस बेबी उम्मम्म ( उसके गिले ठंडे जीभ का स्पर्श पाते ही मै सिहर उठा , लंड और फैलने लगा )
उसके दोनों हाथ लगातार मेरे लंड की लंबी सतह को सहला रहे थे और उसके मुंह में मेरा सुपाड़ा भरा हुआ था
: ओह्ह्ह्ह गॉड सक इट बेबी अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह यस्स बेबी उम्मम्म फक्क्क् ओह्ह्ह्ह गॉड क्या मस्त चूस रही हो यार तुम उम्मम्म फक्क्क्
मैने रिकार्डिंग बंद कर दी थी और बस मोबाइल का फ्लैश लाइट ऑन कर एक एक करके सारी वीडियो फोटो अपने व्हाट्सअप पर भेज दी और फिर चैट भी क्लियर कर दी
आसान नहीं था शबनम को ऐसे चकमा देना , लगातार उसके चेहरे के भाव बदल रहे थे जब जब मेरी उंगलियां मोबाइल स्क्रीन पर चल रही थी तो ,
इस समय हम दोनो कॉम्प्रोमाइज कर रहे थे बस , भीतर से कामुकता बैठने लगी । उसे शक न हो इसीलिए
मैने उसे उठाया और उसके लिप्स चूसते हुए उसके ब्रा ऊपर कर दिए और उसके निप्पलों को नंगे हाथों से सहलाने लगा
एक बार फिर वो कमागनि में कुद पड़ी और लगातार उसका हाथ मेरे लंड को सहला रहा था
मै आगे झुक कर उसके संतरे जैसे चूचे को मुंह में भर लिया
: आह्ह्ह्ह शानू उम्मम आराम से अह्ह्ह्ह सीईईईईई अम्मीईइ अह्ह्ह्ह्ह ( वो मेरे सर को अपने सीने से लगाए हुए थी और मै कस कर उसके निप्पल सहित चूचे को मुंह में भर कर चूस रह था
तभी मेरे मोबाइल पर फोन बजना शुरू हुआ
: शानू ... शानू फोन बज रहा है अह्ह्ह्ह रुको तो ( वो मुझे अलग करती हुई बोली )
मैने मोबाईल निकाला तबतक फोन कट गया था । उम्मीदन अलीना का ही काल होना चाहिए था मगर मोबाईल स्क्रीन पर जो नम्बर था उसे देख कर मै एकदम शांत हो गया ।
मेरे चेहरे के भाव एकदम सीरियस हो गए , उदासी मानो मुझे घेरे जा रही थी ।
: शानू ... शानू क्या हुआ , किसका फोन है ( शबनम अपने कपड़े सही करती हुई बोली )
: वो .. मुझे जाना होगा सॉरी ( मै भी अपना मुरझाता लंड पेंट में डालता हुआ बोला)
: जाना होगा ? पर कहा ? क्या बात है शानू !! ( वो मुझे देख कर बोली)
: मैं बाद में इस बारे में बात करूंगा पक्का , प्लीज तुम घर चली जाओ और परेशान मत होना ( मैने उसके गाल चूम कर कहा और बाथरूम से बाहर निकल आया )
रेस्तरां के बाहर मैने एक ऑटो रुकवाई और शबनम को जाने को कहा ।
: शानू , बात क्या है बताओ न ?
: तुम जाओ मै कॉल करता हु शाम तक ( मैं ऑटो वाले को पता बताया और पैसे दे दिए )
फिर वो निकल गई और मै बाइक लेकर तेजी से घर के लिए निकल पड़ा ।
मुझे बस एकांत चाहिए था खुद को शांत करने के लिए
दिल ही दिल में एक डर मुझ पर हावी हो रहा था । इतने दिनों सालों बाद वो मुझे क्यों फोन कर रही थी ।
अम्मी की चिंता मुझे खाने लगी , बाइक चलाते हुए मुझे खुद पर गुस्सा आ रहा था क्यों मैने खुद से पहल करके अम्मी से बात नहीं की ।
अगर उन्हें कुछ हुआ होगा , या फिर उनकी तबियत बिगड़ी होगी तो ।
नहीं नहीं , ऐसा नहीं होगा
दिल ही दिल में अम्मी के लिए फिकर बढ़ती जा रही थी और जेब में मोबाईल फिर से रिंग होने लगा
मै एक्सिलरेटर घुमाता हुआ तेजी से घर के लिए निकल गया ।
*****************************
घर पर रोज की तरह शांति ही थी , कोई खास चहल पहल नहीं । मगर बरामदे में चौकी के पास एक जूती थी किसी महिला की । घर में कोई बाहर का आया था साफ था मगर कौन ।
नगमा मामी की सैंडल तो मै बखूबी परिचित था और जुबैदा चच्ची तो कभी चप्पल पहन कर आती ही नहीं थी । फिर ये कौन था ।
मै धीरे से हाल की ओर बढ़ा तो सामने अम्मी किचन में नाश्ता बना रही थी ।
घर पर मेहमान आए हो तो शरारतें करने के बाद भी अभिभावकों के आगे उछलने चहकने में आनंद आता है ये सोच कर कि अभी सजा तो बच ही गए ।
: अम्मी कौन आया है ( मै चहक कर बोला तो अम्मी ने गुस्से से मुझे घूरा)
: जा खुद देख ले , मुझसे मत पूछ कुछ भी समझा ( अम्मी ने गुस्से में जवाब दिया )
उप्स अम्मी सुबह के लिए अभी भी फायर थी और मै अम्मी के कमरे की ओर बढ़ा तो तो देखा सूती सलवार सूट में एक भड़कीले चूतड़ों वाली औरत करवट होकर लेती हुई है ,
दुपट्टा से उसका चेहरा ढका हुआ था ।
कपड़ो की रंगत और चॉइस देख कर कुछ कुछ अनुमान मुझे हो रहा था मगर यकीन नहीं हो रहा था ।
जैसे ही मैं घूम कर बिस्तर के आगे गया खुशी से चहक
: नानी आप
मेरी तेज खिलखिलाहट भरी आवाज से नानी की आंख खुली और वो उठ कर बैठ गई
: आ गया मेरा बच्चा , कबसे राह देख रही थी
मै लपक कर उनके पास बैठ गया और उनको हग कर किया
: कितने दिनों बाद आए हो , कितनी याद आती थी आपकी ( मैने भी अपनी शिकायतें शुरू कर दी )
: चल चल नाटक मत , तू क्यों नहीं आया मिलने इतनी याद आ रही थी तो उम्मम ( वो मुझे कसते हुए बोली
: अपनी बेटी से पूछो, वो मुझे आपसे दूर रखती है हीहीहीही ( मै अम्मी की ओर इशारा कर हस कर नानी के बड़े बड़े रसीले लटके हुए भारी भारी पपीते जैसे चूचे में दुबक गया , बिल्कुल वही अम्मी वाला अहसास बस दुलार थोड़ा ज्यादा ही मिलता था नानी से )
: बहुत बिगड़ गया है तू , नटखट कही का ( वो हस्ते हुए बोली )
: अभी मै आपको जाने नहीं दूंगा , छुट्टियो में आप मेरे साथ ही रहोगे बस फिक्स है ये हा ( मैने भी अपना हक जताया )
: हा बाबा नहीं होने वाली मेरे शानू से दूर , लेकिन मै यहां रहूंगी नहीं तू मेरे साथ चलेगा ( नानी ने बड़ी खुशी से बोली )
मगर जैसे ही समझ आया कि अम्मी से दूर होना पड़ेगा इस बात पर मेरी हालत खराब होने लगी ।
मेरी आंखे भरने लगी और मैने नजर उठा कर कमरे में आती अम्मी को देख जो ट्रे में चाय नाश्ता लेकर आई थी । मुझे देखा और बड़ी बेरुखी से मुझसे नजरे फेर ली ।
: क्या ? लेकिन अम्मी अकेले कैसे रहेगी ? ( मैने घुमा कर सवाल किया )
: तू अपने अम्मी की फिकर न कर , वो कुछ रोज तेरे अब्बू के पास रहने जा रही है , उनका नए जगह तबादला होने जा रहा है
नानी अपनी बात कहे जा रही थी और मै अवाक होकर अम्मी के बोलने का इंतजार कर रहा था , रुआस नजरो से अम्मी की प्रतिक्रिया चाह रहा था । मगर अम्मी ने इस बारे ने एक शब्द नहीं कहा कुछ भी ।
अजीब सी हड़बड़ाहट हो रही थी ,मानो अम्मी खुद मुझसे दूर होना चाहती हो और ना जाने मुझसे कितनी नाराज हो ।
मेरा दिल भीतर से रो रहा था अम्मी एक बार तो कुछ कहे मगर ना वो मुझसे कुछ बोल रही थी और न मेरी ओर देख रही थी ।
दिल ही दिल में मुझे अहसास हो रहा था मेरी मस्तियां और छोड़ने वाली हरकते मुझे अम्मी से दूर किए जा रही थी , शायद अगर मैं थोड़ा कम तंग करता तो, शायद ये , शायद वो.....
अफसोस ही रह गया था मेरे हाथ अब ।
जिंदगी मुझे उस तिराहे पर खड़ी दिख रही थी जहां तक मैं और अम्मी एक साथ सफर करते आए थे , मगर आगे की राहें अलग कर दे रही थी । अम्मी ने अपना नया सफर अब्बू के साथ शुरू करने का तय कर लिया था और मै नानी के साथ एक अंजान सफर के लिए खुद को तैयार भी नहीं करना चाहता था ।
जारी रहेगी
अपडेट पढ़ कर अपने विचार जरूर साझा करे
मुझे इंतेज़ार रहेगा
Kya update diya hai bhai maza aa gaya padkeUPDATE 019
तिराहा
: शानू बाहर आ मै कह रही हूं न ( अम्मी बाहर चिल्ला रही थी )
: नहीं अम्मी मै नहीं ... ( मैने अम्मी की बात पर जवाब दिया )
: देख अगर तू बाहर नहीं आया तो ... तो मै ( अम्मी नाराज हो कर बोली )
मेरे भीतर भी खलबली मची थी कि क्या करने वाली थी अम्मी
: मै तुझसे कभी बात नहीं करूंगी तेरी कसम खा .... ( अम्मी अपनी बात पूरी करती मै उसके पहले ही दरवाजा खोल दिया )
: नहीं मै आ रहा हु ( अम्मी मेरे आगे अपनी कमर पर हाथ रख कर गुस्से से मुझे देख रही थी , इस समय उनके जिस्म पर एक ढीली काटन की नाइटी थी )
भरा गदराया जोबन उसपे काटन नाइटी , अम्मी और भी ज्यादा कामुक लग रही थी । बिना ब्रा के चूचे लटके हुए पपीते के नाइटी को आगे से उठा रखा था जिससे अम्मी का उभरा हुआ पेट भी पता नहीं चल रहा था । कमर के बगल से उन्हें चौड़े कूल्हे का उभार बहुत ही कामुक था ।
: कहा है ला मुझे दे ( अम्मी ने हाथ बढ़ाया और गुस्से से मुझे घुरा )
: क्या ?
: मेरी कच्छी मुझे दे शानू , मै दुबारा नहीं बोलूंगी ( अम्मी ने आंखे दिखा कर गरजी )
सहम कर मै जेब से अम्मी की पतली सी थांग वाली पैंटी अपनी मुठ्ठी में रखे हुए उन्हें दी और जैसे ही मुट्ठी खुली वो पैंटी का कपड़ा अम्मी के हाथ में खुलने लगा
मै बिना एक पल रुके वहां से सरक रहा था कि अम्मी की गालीया शुरू हो गई
: हरामजादे , दुबारा मेरे कपड़े छुए तो किसी दिन तेरी टांगे तोड़ दूंगी कमीना कही का
दूर से देखा अम्मी पैंटी फैला कर उसमें लगे मेरे प्रीकम को देख कर अजीब सा मुंह बना रही थी और फिर गुस्से में बाथरूम की बाल्टी में डाल दी।
ये दूसरी बार था जब अम्मी ने रंगे हाथ मुझे उनके अंडर गारमेंट के साथ पकड़ा था , परीक्षा के दिनों में अम्मी ने ना सिर्फ मुझ पर बल्कि खुद पर पाबंदी लगा दी थी ।
अब्बू से भी इन दिनों दो टूक शब्दों में कह चुकी थी कि शानू की परीक्षाएं खत्म होने तक कोई फरमाइश नहीं ।
संयोग की ही बात थी कि अब्बू ही विभागीय कार्यों में व्यस्त दिख रहे थे इन दिनों , जल्द ही उनका तबादला नए जगह होने वाला था ।
कही से भी कुछ तरकीब देख सुन ना पाने के कारण मैने अम्मी के अंडर गारमेंट चुरा कर मुठ्ठी मारनी शुरू कर दी थी लेकिन अब वो भी पकड़ी गई ।
आज मेरी आखिरी परीक्षा थी और नहा धोकर मै निकल गया ।
*****************************
फोन पर
: हाय ! कहा हो ?
: अरे बाबा आ रही हूं, सामने ही तो हूं देखो ( सामने मुझे शबनम दुपट्टे में कान से फोन लगाए हुए आती दिखी )
उफ्फ क्या कयामत थी , टॉप जींस और सर को हिजाब से ढके हुए वो मेरे ओर आ रही थी , मैने फोन काट कर उसकी ओर देखा ।
ये उसका नया अवतार था मेरे आगे , पहली बार उसे मॉर्डन सेक्सी कपड़ों में देखा था , जींस उसके कूल्हे पर पूरी टाइट थी और टॉप सीने पर एकदम चुस्त , हर चाल के साथ हल्का सा उछाल उफ्फ लंड हरकत में आ गया ।
: वाव यार सो सेक्सी ( उसके आते ही मैने कॉम्प्लीमेंट दिया )
: धत्त गंदे , आओ चलो ( वो आगे आगे चलने लगी और मै उसके जींस में मटकते चूतड़ देख कर सिहर उठा )
: यार पीछे से तुम कहर ढा रही हो , सोचा भी था तुम्हे इस रूप में देखूंगा ( मैंने उसकी कमर में हाथ डाला तो मुझे हटाने लगी )
: यहां नहीं शानू , अंदर चले प्लीज
: ओके यार , वैसे भी तुम्हे देखकर भी कोई नहीं पहचानेगा हिहिही ( मै बोला )
: अच्छा सच में ( वो इतराई )
: हा यार , मुझे नहीं लगता ऑफिस क्या पूरे शहर में किसी ने तुम्हे ऐसे देखा होगा हीहीहीही
: क्या तुम भी ... आओ उधर चलते है ( शबनम ने खुद ही एक कार्नर सिलेक्ट किया और हम उधर ही चले गए )
मैं आस पास अच्छे से जायजा ले रहा था , सब ओर लगभग कपल ही थे , एक से बढ़ कर एक हायक्लास लड़के लड़कियां
कुछ तो शॉर्ट्स और मिडी में थी , उनकी चिकनी जांघों को देख कर मेरी आंखे चौंधिया रही थी ।
: देख लो देख लो , उन्हें ही निहारने आए हो न ( शबनम चिढ़ी)
: अरे नहीं यार , ये शहर इतना मॉर्डन कब हो गया वो समझ नहीं आया , आज से पहलें मैने ऐसे कपड़े में लड़किया नहीं देखी । कम से कम इस शहर में तो नहीं
: अरे बुद्धु इस रेस्तरां में ऐसे लोग ही मिलेंगे और इसीलिए तो मै भी ऐसे कपड़े में आई हु ( वो मुझे समझाते हुई बोली)
: लेकिन तुम्हारे आगे सब फीकी है ( मैने जींस के ऊपर से उसकी जांघें सहलाते हुए कहा )
: शानू !! क्या कर रहे हो कोई देख लेगा ( वो मेरा हाथ हटाती हुई बोली, उसकी सांसे चढ़ने लगी थी )
: कहा कोई देख रहा है ( टेबल के नीचे मै वापस से उसके जांघों के बीच में जाकर पंजे से उन्हें भरते हुए कहा ) सब एक दूसरे में मस्त है तुम भी हो जाओ न
: अच्छा जी , छोड़ो वेटर आ रहा है ( शबनम बोलो और मै सीधा हो गया )
फिर हमने खाने के लिए ऑर्डर दिया और बातें करते हुए खाने लगे ।
: यार मुझे अभी भी डर लग रहा है ( वो कोल्ड काफी स्ट्रा से सुरकते हुए बोली)
: देखो शबनम तुम चाहो तो वापस जा सकती हो , मै कभी तुमसे जबरजस्ती नहीं करूंगा ( उसको समझाते हुए मेरे हाथ लगातार उसकी जांघों को मसल रहे थे और उंगलियां बीच बीच में उसके चूत के आस भी जा रही थी जिससे वो कसमसाने लगती या फिर मेरे हाथ हटाने लगती )
: शानू ... ( वो मदहोश नजरों से मुझे देख रही थी, हम दोनो की सास तेजी से ऊपर नीचे हो रही थी )
: भरोसा करो न मुझ पर ( मैने उसका हाथ पकड़ कर अपने जींस के ऊपर से अपने तने हुए लंड पर रख दिया जो रोड की तरह उबरा हुआ था )
स्पर्श पाते ही उसके बदन में सरसरी सी फैली गई और वो पूरी तरह ग़नगना गई ।
उंगलियों से कस कर उसने मेरा लंड जींस के ऊपर से पकड़ लिया
: चलेगी मेरे साथ ( मैने उसकी आंखों में देखा , कामुकता से भरी हुई गुलाबी आंखे भर भर उसकी कामोत्तेजना की गवाही दे रही थीं और उसने भी हा में सर हिला कर मेरा इन्वाइटेशन एक्सेप्ट किया )
: तुम बाथरूम में जाओ चेंज करने मै आता हु बिल देकर ( वो सहमति दिखा कर बैग लेकर बाथरूम की ओर जाने लगी और मै वेटर को बिल के लिए बोल दिया ।
धीरे धीरे 5 मिनट होने लगे
मै उसका इंतजार करने लगा कि क्यों इतना वक्त लग रहा है, डर रह था कही साली मेरा प्लान न चौपट कर दे ।
उठ कर मै भी बाथरूम की ओर बढ़ गया । ऐसे बड़े रेस्तरां में कहा कौन ध्यान दे रहा था कि लेडीज कौन जेंस कौन ?
मै लपक कर लेडीज बाथरूम में घुस गया और दरवाजा लगा दिया , सामने शबनम थी जो मुझे देख कर हड़क गई
: शानू तु यहां.... ( वो कुछ बोलती उससे पहले ही मैने आगे बढ़ कर उसके लिप्स से लिप्स जोड़ लिए )
वो भी दुगनी जोश से मेरे लिप्स चूसने लगी
मेरे पंजे उसके चूतड़ नोचने लगे और वो दुगने जोश से मुझसे लिपटने लगी
उसके हाथ मेरे लंड को भींचने लगे
उसके लिप्स चूसने की अदा बहुत ही कामुक थी ,लग नहीं रहा था ये उसका पहली बार था और उनके हथेली आड़ो सहित मेरे लंड को जकड़े हुए थी
मैने उसे घुमाया और सामने आइने की ओर करके पीछे से टॉप के ऊपर से उसके संतरे मिजने लगा , अह्ह्ह्ह्ह क्या मस्त कसे हुए चूचे थे एकदम कोरे बाके और कड़क
वो अपनी पीठ मेरे जिस्म पर घिस रही थी और मै उसके कान चुबला रहा था वो मदहोश हो रही थी ।
जैसे ही मेरे हाथ उसके टॉप में घुसे उसके पेट को छुआ वो छटकने लगी
: उन्हू इतनी भी क्या जल्दी है तुम्हे , चल तो नहीं हु न ( वो मुझे रोक रही थी और मै अपना लंड उसके गाड़ में चुभो रहा था पीछे से )
: नहीं रहा जा रहा है मेरी जान ( उसके गरदन पर अपने नथुने और लिप्स घुमाता हुआ मै बोला )
अजीब सी मदहोशी हो रही थी मुझे , शायद उसने कोई इत्र लगाया था गर्दन और कंधे के पास जिसकी खुशबू मुझे उसकी ओर रिझा रही थी । अलीना से लेकर रेशमा मैम सबकी एक से बढ़ कर एक चॉइस के परफ्यूम और बॉडी स्प्रे की खुशबू से परिचित था मैं मगर ये कुछ नया और तेज था ।
एकाएक मेरा दिमाग ठनका और जहन में नीलू आंटी की बातें खनकी
तबतक शबनम अपने पर्स से मोबाइल निकाल चुकी थी ।
: ये किस लिए शबनम ( मुझे अजीब सा नशा सा हो रहा था हल्की फुल्की रह रह कर दिमाग में उलझने हो रही थी मगर भीतर से एक डेडीकेशन था कि यहां फसना नहीं है )
: बस हमारी यादों के लिए ( वो सामने बाथरूम के मिरर में कैमरे का एंगल ऐसे पोज में रख कर फोटो निकाल रही थी कि उसका चेहरा पूरी तरह से छिप रहा था और मेरा फेस पूरा बिजिबल )
मैने उसे निकालने दिया तस्वीरें और फिर वीडियो पर धीरे से क्लिक कर दिया
: अरे वीडियो क्यों ....( वो बोलना चाह रही थी कि मैं उसके टॉप में हाथ घुसा कर उसके निप्पलों को जोर से मिज दिया)
वो अगले ही पल आंखे उलटने लगी , उसकी पूरी बॉडी मेरे ऊपर आ चुकी थी
: अब बनाओ न यादें , आखिर हम दोनो का रिश्ता इसी का है ।
मै उसके टॉप ऊपर कर ब्रा के ऊपर से चूचे मिजते हुए उसके लिप्स से अपना लिप्स जोड़ दिया ।
वो दुगने जोश से मेरा हाथ देने लगी , अब हम दोनो के फेस साफ साफ बिजिबल थे ।
मेरी सतर्कता काम आ रही थीं और मैने आगे से हाथ बढ़ा कर उसके जींस में उंगली घुसाने लगा ।
: उम्हू रुको शानू
: अब और नहीं रुक सकता प्लीज सक माय डिक , चूसो इसे नहीं तो ये मुझे पागल कर देगा ( मैने अपना लंड बाहर निकाल दिया )
वो आंखे फाड़े हुए मेरा 9 इंच बड़ा मोटा खूंटे जैसा लंड देख रही थी , उसकी हलक सुख रही थी ।
मैने उसके हाथ से मोबाइल ले लिया और वीडियो रिकार्ड चालू कर दिया
: जाओ न प्लीज , ऑन योर नी बेबी ( मैने उसके लिप्स चूस कर बोला )
वो घुटने के बल आ गई उसने दोनों हाथों से मेरा लंड पकड़ा उसकी आंखों में खुमारी से ज्यादा डर दिख रहा था उस वीडियो का जो मै बना रहा था ।
अगले ही पल उसने मुंह खोला और मेरा सुपाड़ा उसके जीभ के ऊपर
: आह्ह्ह्ह यस्अस बेबी उम्मम्म ( उसके गिले ठंडे जीभ का स्पर्श पाते ही मै सिहर उठा , लंड और फैलने लगा )
उसके दोनों हाथ लगातार मेरे लंड की लंबी सतह को सहला रहे थे और उसके मुंह में मेरा सुपाड़ा भरा हुआ था
: ओह्ह्ह्ह गॉड सक इट बेबी अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह यस्स बेबी उम्मम्म फक्क्क् ओह्ह्ह्ह गॉड क्या मस्त चूस रही हो यार तुम उम्मम्म फक्क्क्
मैने रिकार्डिंग बंद कर दी थी और बस मोबाइल का फ्लैश लाइट ऑन कर एक एक करके सारी वीडियो फोटो अपने व्हाट्सअप पर भेज दी और फिर चैट भी क्लियर कर दी
आसान नहीं था शबनम को ऐसे चकमा देना , लगातार उसके चेहरे के भाव बदल रहे थे जब जब मेरी उंगलियां मोबाइल स्क्रीन पर चल रही थी तो ,
इस समय हम दोनो कॉम्प्रोमाइज कर रहे थे बस , भीतर से कामुकता बैठने लगी । उसे शक न हो इसीलिए
मैने उसे उठाया और उसके लिप्स चूसते हुए उसके ब्रा ऊपर कर दिए और उसके निप्पलों को नंगे हाथों से सहलाने लगा
एक बार फिर वो कमागनि में कुद पड़ी और लगातार उसका हाथ मेरे लंड को सहला रहा था
मै आगे झुक कर उसके संतरे जैसे चूचे को मुंह में भर लिया
: आह्ह्ह्ह शानू उम्मम आराम से अह्ह्ह्ह सीईईईईई अम्मीईइ अह्ह्ह्ह्ह ( वो मेरे सर को अपने सीने से लगाए हुए थी और मै कस कर उसके निप्पल सहित चूचे को मुंह में भर कर चूस रह था
तभी मेरे मोबाइल पर फोन बजना शुरू हुआ
: शानू ... शानू फोन बज रहा है अह्ह्ह्ह रुको तो ( वो मुझे अलग करती हुई बोली )
मैने मोबाईल निकाला तबतक फोन कट गया था । उम्मीदन अलीना का ही काल होना चाहिए था मगर मोबाईल स्क्रीन पर जो नम्बर था उसे देख कर मै एकदम शांत हो गया ।
मेरे चेहरे के भाव एकदम सीरियस हो गए , उदासी मानो मुझे घेरे जा रही थी ।
: शानू ... शानू क्या हुआ , किसका फोन है ( शबनम अपने कपड़े सही करती हुई बोली )
: वो .. मुझे जाना होगा सॉरी ( मै भी अपना मुरझाता लंड पेंट में डालता हुआ बोला)
: जाना होगा ? पर कहा ? क्या बात है शानू !! ( वो मुझे देख कर बोली)
: मैं बाद में इस बारे में बात करूंगा पक्का , प्लीज तुम घर चली जाओ और परेशान मत होना ( मैने उसके गाल चूम कर कहा और बाथरूम से बाहर निकल आया )
रेस्तरां के बाहर मैने एक ऑटो रुकवाई और शबनम को जाने को कहा ।
: शानू , बात क्या है बताओ न ?
: तुम जाओ मै कॉल करता हु शाम तक ( मैं ऑटो वाले को पता बताया और पैसे दे दिए )
फिर वो निकल गई और मै बाइक लेकर तेजी से घर के लिए निकल पड़ा ।
मुझे बस एकांत चाहिए था खुद को शांत करने के लिए
दिल ही दिल में एक डर मुझ पर हावी हो रहा था । इतने दिनों सालों बाद वो मुझे क्यों फोन कर रही थी ।
अम्मी की चिंता मुझे खाने लगी , बाइक चलाते हुए मुझे खुद पर गुस्सा आ रहा था क्यों मैने खुद से पहल करके अम्मी से बात नहीं की ।
अगर उन्हें कुछ हुआ होगा , या फिर उनकी तबियत बिगड़ी होगी तो ।
नहीं नहीं , ऐसा नहीं होगा
दिल ही दिल में अम्मी के लिए फिकर बढ़ती जा रही थी और जेब में मोबाईल फिर से रिंग होने लगा
मै एक्सिलरेटर घुमाता हुआ तेजी से घर के लिए निकल गया ।
*****************************
घर पर रोज की तरह शांति ही थी , कोई खास चहल पहल नहीं । मगर बरामदे में चौकी के पास एक जूती थी किसी महिला की । घर में कोई बाहर का आया था साफ था मगर कौन ।
नगमा मामी की सैंडल तो मै बखूबी परिचित था और जुबैदा चच्ची तो कभी चप्पल पहन कर आती ही नहीं थी । फिर ये कौन था ।
मै धीरे से हाल की ओर बढ़ा तो सामने अम्मी किचन में नाश्ता बना रही थी ।
घर पर मेहमान आए हो तो शरारतें करने के बाद भी अभिभावकों के आगे उछलने चहकने में आनंद आता है ये सोच कर कि अभी सजा तो बच ही गए ।
: अम्मी कौन आया है ( मै चहक कर बोला तो अम्मी ने गुस्से से मुझे घूरा)
: जा खुद देख ले , मुझसे मत पूछ कुछ भी समझा ( अम्मी ने गुस्से में जवाब दिया )
उप्स अम्मी सुबह के लिए अभी भी फायर थी और मै अम्मी के कमरे की ओर बढ़ा तो तो देखा सूती सलवार सूट में एक भड़कीले चूतड़ों वाली औरत करवट होकर लेती हुई है ,
दुपट्टा से उसका चेहरा ढका हुआ था ।
कपड़ो की रंगत और चॉइस देख कर कुछ कुछ अनुमान मुझे हो रहा था मगर यकीन नहीं हो रहा था ।
जैसे ही मैं घूम कर बिस्तर के आगे गया खुशी से चहक
: नानी आप
मेरी तेज खिलखिलाहट भरी आवाज से नानी की आंख खुली और वो उठ कर बैठ गई
: आ गया मेरा बच्चा , कबसे राह देख रही थी
मै लपक कर उनके पास बैठ गया और उनको हग कर किया
: कितने दिनों बाद आए हो , कितनी याद आती थी आपकी ( मैने भी अपनी शिकायतें शुरू कर दी )
: चल चल नाटक मत , तू क्यों नहीं आया मिलने इतनी याद आ रही थी तो उम्मम ( वो मुझे कसते हुए बोली
: अपनी बेटी से पूछो, वो मुझे आपसे दूर रखती है हीहीहीही ( मै अम्मी की ओर इशारा कर हस कर नानी के बड़े बड़े रसीले लटके हुए भारी भारी पपीते जैसे चूचे में दुबक गया , बिल्कुल वही अम्मी वाला अहसास बस दुलार थोड़ा ज्यादा ही मिलता था नानी से )
: बहुत बिगड़ गया है तू , नटखट कही का ( वो हस्ते हुए बोली )
: अभी मै आपको जाने नहीं दूंगा , छुट्टियो में आप मेरे साथ ही रहोगे बस फिक्स है ये हा ( मैने भी अपना हक जताया )
: हा बाबा नहीं होने वाली मेरे शानू से दूर , लेकिन मै यहां रहूंगी नहीं तू मेरे साथ चलेगा ( नानी ने बड़ी खुशी से बोली )
मगर जैसे ही समझ आया कि अम्मी से दूर होना पड़ेगा इस बात पर मेरी हालत खराब होने लगी ।
मेरी आंखे भरने लगी और मैने नजर उठा कर कमरे में आती अम्मी को देख जो ट्रे में चाय नाश्ता लेकर आई थी । मुझे देखा और बड़ी बेरुखी से मुझसे नजरे फेर ली ।
: क्या ? लेकिन अम्मी अकेले कैसे रहेगी ? ( मैने घुमा कर सवाल किया )
: तू अपने अम्मी की फिकर न कर , वो कुछ रोज तेरे अब्बू के पास रहने जा रही है , उनका नए जगह तबादला होने जा रहा है
नानी अपनी बात कहे जा रही थी और मै अवाक होकर अम्मी के बोलने का इंतजार कर रहा था , रुआस नजरो से अम्मी की प्रतिक्रिया चाह रहा था । मगर अम्मी ने इस बारे ने एक शब्द नहीं कहा कुछ भी ।
अजीब सी हड़बड़ाहट हो रही थी ,मानो अम्मी खुद मुझसे दूर होना चाहती हो और ना जाने मुझसे कितनी नाराज हो ।
मेरा दिल भीतर से रो रहा था अम्मी एक बार तो कुछ कहे मगर ना वो मुझसे कुछ बोल रही थी और न मेरी ओर देख रही थी ।
दिल ही दिल में मुझे अहसास हो रहा था मेरी मस्तियां और छोड़ने वाली हरकते मुझे अम्मी से दूर किए जा रही थी , शायद अगर मैं थोड़ा कम तंग करता तो, शायद ये , शायद वो.....
अफसोस ही रह गया था मेरे हाथ अब ।
जिंदगी मुझे उस तिराहे पर खड़ी दिख रही थी जहां तक मैं और अम्मी एक साथ सफर करते आए थे , मगर आगे की राहें अलग कर दे रही थी । अम्मी ने अपना नया सफर अब्बू के साथ शुरू करने का तय कर लिया था और मै नानी के साथ एक अंजान सफर के लिए खुद को तैयार भी नहीं करना चाहता था ।
जारी रहेगी
अपडेट पढ़ कर अपने विचार जरूर साझा करे
मुझे इंतेज़ार रहेगा