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Thriller शतरंज की चाल

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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Selfmade aur with Godfather's Grace me ek hi fark hota hai
Decesion Capability
हां ये भी बात है, पर कभी कभी दिमाग काम करना बंद कर देता, वक्त हमेशा अच्छा नहीं होता कभी कभी।
 

kamdev99008

FoX - Federation of Xossipians
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हां ये भी बात है, पर कभी कभी दिमाग काम करना बंद कर देता, वक्त हमेशा अच्छा नहीं होता कभी कभी।
लेकिन ये तथ्य है कि स्वयंभू कभी अपने फैसले से हार नहीं मानते बल्कि हमेशा बहुत सारे विकल्प लेकर चलते हैं। खुद दवाब में रहने की बजाय अपना दवाब बनाये रखने को
जो गुण मनीष में नहीं है
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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लेकिन ये तथ्य है कि स्वयंभू कभी अपने फैसले से हार नहीं मानते बल्कि हमेशा बहुत सारे विकल्प लेकर चलते हैं। खुद दवाब में रहने की बजाय अपना दवाब बनाये रखने को
जो गुण मनीष में नहीं है
मानता हूं, पर अभी तक मनीष खुद के पैर पर खड़ा नहीं हुआ, छत्रछाया में बढ़ा पौधा धूप से विचलित जरूर होता है। देखिए शायद अब उसे कुछ अक्ल आए आगे।
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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अब अगला अपडेट भी दे दो
अगला अपडेट में समय है, अभी तो लिखना भी शुरू नहीं किया। अगले हफ्ते ही उम्मीद करिए।
 

TheBlackBlood

Keep calm and carry on...
Supreme
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पिस्तौल पकड़ी हुई लहूलुहान लड़की sexy कैसे हो सकती है भाई, खूंखार जरूर होगी।
Apan pistol aur lahu kyo imagine kare jiska jhaanth barabar bhi koi matlab nahi, bole to Arjun ke maafik only ek cheez par focus rahta hai apan ka :D
 

Ajju Landwalia

Well-Known Member
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#अपडेट २६


अब तक आपने पढ़ा -


समर ने बताया था कि वाल्ट के अंदर पहुंचे लुटेरों को हथियार अंदर ही किसी वाल्ट से मिले, और उनके पास से वाल्ट का ब्लू प्रिंट भी मिला था, इन दोनों बातों को दबा दिया गया।


समाचार देखते देखते मेरे मन में बहुत तेज हलचल मची हुई थी, और मेरा दिल कर रहा था कि मित्तल सर को जा कर मैं सब कुछ बता दूं। इसी उधेड़बुन में शाम ढल गई और मेरे फ्लैट की डोर बेल बजी....


अब आगे -


ये समर था, मैने उसे अंदर आने दिया। वो भी काफी थका दिख रहा था।


कुछ देर ऐसे ही बात करके वो चला गया। उसने बताया कि वाल्ट के अंदर ही एक हैंडबैग में हथियार रखे मिले उन लोग को। फार्म हाउस में जो मारे गए माइकल उनमें से ही एक था। और जो लोग पकड़े गए हैं उनका एकमात्र कॉन्टेक्ट प्वाइंट माइकल ही था तो अभी तो फिलहाल कोई भी तरीका नहीं दिख रहा है उस मास्टरमाइंड तक पहुंचने का।


उसके जाने के बाद भी मैं उधेड़बुन में था कि मित्तल सर को बताऊं या नहीं। यही सोचते सोचते मैं सोफे पर ही सो गया। अगली सुबह ऑफिस जाने पर दिन भर पुलिस की इन्वेस्टिगेशन और लोगों की इंक्वायरी ही चलती रही। इस घटना के बाद शेयर मार्केट में भी कंपनी के शेयर को एक तगड़ा झटका लगा था। हालांकि मित्तल सर ने अपने कॉन्टेक्ट द्वारा सरकार से प्रेस नोट निकलवा दिया कि सरकार का सोना पूरी तरह से सुरक्षित है और सरकार भी इसकी सिक्योरिटी से संतुष्ट है। इससे बाजार में मची अफरा तफरी कुछ कम हुई। शाम को मैं एक बार मित्तल सर के बारे में पता किया तो वो शायद घर को निकल गए थे। इसीलिए उनसे मिले बिना मैं अपने फ्लैट पर आ गया।


मेरे फोन पर करण का फोन आया, और उसे किसी फाइल पर साइन लेने थे, पर आज की अफरा तफरी के कारण नहीं ले पाया था, इसीलिए मैने उसे अपने फ्लैट पर ही बुला लिया था। करीब 6 बजे वो मेरे घर आया। मैने उसे बैठा कर फाइल पर साइन किए और उसे ड्रिंक का पूछा, जिसपर वो तैयार हो गया। मैं अपने कमरे में व्हिस्की की बोतल और ग्लास लेने चला गया।


जब मैं बाहर आया तो करण सोफे से उठा हुआ था और कुछ बेचैन लग रहा था। मेरे बाहर आते ही उसने कहा, "सर, आज रहने दीजिए, अभी पापा का कॉल था, वो लोग यहीं है आज कल, और मां की तबियत कुछ सही नहीं है। इसीलिए थोड़ा जल्दी घर पहुंचना है।"


मैने उसे जाने की इजाजत दे दी। और खुद अकेले ही एक पैग बना कर बैठ गया। पीते पीते भी मैं यही सोच रहा था कि क्या सर को सब बता दूं, फिर एकदम से मैं उठा कर कार की चाभी ली और मित्तल मेंशन की ओर चल दिया।


मैं कोई आधे घंटे बाद मित्तल मेंशन के बाहर था, एक मिनिट को गाड़ी रोक कर मैं गेट के बाहर फिर से विचार किया कि सर को बताना चाहिए या नहीं, पर इस बार मन पक्का कर लिया और फिर एंट्री करवा कर अंदर चल गया।


पार्किंग में बाहर की तरफ गाड़ी लगा कर मैं अंदर गया, हॉल खाली था, कोई था नहीं वहां पर, फिर मैं सीधे अंदर की ओर बढ़ गया, नीचे सबसे पहले श्रेय का कमरा पड़ता था जो इस समय अंदर से बंद था। और उसी के पास से सीढ़ी थी ऊपर के फ्लोर पर जाने के लिए। रजत सर का परिवार ऊपर ही रहता था और महेश अंकल का नीचे। मैं सीढ़ी से ऊपर पहुंचा और सामने ही मित्तल सर की स्टडी थी, जिसकी लाइट जल रही थी। इसका मतलब वो अभी स्टडी में ही थे।


मैंने एक बार दरवाजा खटखटाया, मगर अंदर से कोई जवाब नहीं आया, तो मैने हल्के से दरवाजे को धक्का दिया तो वो खुल गया। अंदर मुझे कोई नहीं दिखा, मगर मुझे कुछ अजीब सा अहसास हुआ तो मैं अंदर की ओर बढ़ा। अंदर सर के की चेयर टेबल के पीछे गिरी हुई थी। ये देख मैं और आगे बढ़ा तो नीचे टेबल और गेस्ट चेयर के बीच कुछ गिरा हुआ था। मैने झुक कर उसे उठाया, और वो एक रिवॉल्वर थी। मैं उसे उठा कर जैसे ही सीधा हुआ टेबल के उस पार मित्तल सर औंधे मुंह गिरे हुए थे।


ये देखते ही मैने दौड़ कर उनको पलटा, उनके पेट और सीने में गोलियां लगी थी। जैसे ही मैने उनको पलटा, वैसे ही प्रिया उस स्टडी में आई और, मुझे और मित्तल सर को देखते ही वो चिल्लाई, "पापा... मनीष ये तुमने क्या किया??"



उसके इस सवाल को सुनते ही मेरा ध्यान अपने हाथ पर गया और उसमें रिवॉल्वर थी....

Sabse pehle to kahani ke 100 pages pure hone par Hardik Shubhkamnaye Riky007 Bhai,

Manish ko dekhkar kabhi labhi lagta he ki koi insaan itna bhi bewkoof ho sakta he...........

Jab revolver padi thi to use uthane ki kya jarurat thi..............jaisa ki kamdev99008 Bhai ne kaha , Readymade katil mil gaya........

Ho na ho, jo koi in sabke peeche he...........vo Mittal mension me hi rehta he........

Keep rocking Bro
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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Apan pistol aur lahu kyo imagine kare jiska jhaanth barabar bhi koi matlab nahi, bole to Arjun ke maafik only ek cheez par focus rahta hai apan ka :D
BDSM lober 😌
 
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