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Thriller शतरंज की चाल

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Jabse Kajal (Agrawal) ka ghar basa hai ye akele (hath me pakde) rah gaye hain...... :D :hehe::rofl: :lol: :lol1:
Ye main kya sun raha hu Chutiyadr , ?? Sab bol rahe hai ki aap kajal ji ke jaane ke baad mutthal ban ke rah gaye ho :D
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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#अपडेट २२


अब तक आपने पढ़ा -



मैं ये सब सोच ही रहा था कि मेरे फोन में एक mms का नोटिफिकेशन आया, और उसमें नेहा की फोटो थी, जिसमें उसके सर पर रिवॉल्वर लगी हुई थी। साथ में लिखा था, "पास या नेहा की मौत?"....


अब आगे -


वो फोटो देखते ही मैने सारी संभावना लगाना छोड़ दिया और पास बनाने पर सोचने लगा।


अगले दिन मैं ऑफिस पहुंचा और रोजमर्रा के काम को देखते हुए पास बनाने का मौका ढूंढने लगा, आज मुझे महेश सर के साथ कुछ मीटिंग करनी थी, और मित्तल सर भी वापस लौटने वाले थे, जिनको मुझे ही रिसीव करना था। आज समय कम था मेरे पास।


मगर शाम को कुछ ज्यादा देर ऑफिस में बैठ कर मैने पास बना ही लिया, और चूंकि उतनी देर कोई रुकता नहीं ऑफिस में, तो उस पास के बनने की सारी जानकारी बस मेरे पास ही थी।


अब मुझे कल शाम तक इंतजार ही करना था क्योंकि किडनैपर से मैं खुद नहीं कॉन्टेक्ट कर सकता था।


अगला दिन भी ऐसे ही कट गया, और शाम होते ही मैं घर आ कर उसके फोन का वेट करने लगा।


कोई सात बजे के आस पास मेरा फोन बजा। ये किडनैपर ही था।


"मैने पास बना दिया है, उसे ले कर नेहा को छोड़ दो प्लीज।" मैने फोन उठते ही मिन्नतें करते हुए कहा।


"तो पास बना दिया मैनेजर साहब अपने।" वैसी ही खरखराती आवाज फिर एक बार मेरे कानों में पड़ी, इस बार वो आवाज सबसे पहले वाली थी, जिसका मतलब था कि इसमें कोई २ ३ लोग शामिल थे।


"हां जैसा बोला था, हरीश नाम के व्यक्ति का पास है और साथ में 5 और लोग जो इलेक्ट्रिसिटी के काम के लिए जाएंगे अंदर।"


"और औजारों का क्या?"


"बेसिक औजार, जैसे पेचकस, प्लास, हथौड़ी, Am meter, एक laptop अलाउड है। जिसे चेक करवा कर ही अंदर जाने दिया जाएगा।"


"गुड, तुम तो बहुत स्मार्ट हो।"


"पास ले लो और नेहा को छोड़ो।"


"नेहा को अभी कैसे छोड़ दे मैनेजर साहब, पहले पास का उपयोग भी तो कर ले हम, उसके बाद ही नेहा आपको मिलेगी। फिलहाल पास ले कर आप अपनी बिल्डिंग के पीछे वाली सड़क पर जाएं, वहां कोने में एक ढाबा है, उस ढाबे के पास GJ 4 AB 2567 नंबर की एक मोटरसाइकिल खड़ी होगी। उसकी डिक्की में वो पास रख कर वापस आ जाइए। और हां, कोई चालाकी नहीं, अगर हमे पास नहीं मिला या नकली पास हुआ तो आपको पता है हम नेहा के साथ क्या करेंगे। और पास रख कर वापस आ जाना, रुक कर देखना नहीं वहां" इसी के साथ फोन कट गया।


मैं कुछ रुक कर घर से निकला, मैंने वो पास अपने जेब में रख लिया था और ऐसे चल रहा था जैसे वॉक करने निकला हूं। गेट से बाहर निकल कर मैं आराम से बिल्डिंग के पीछे वाली सड़क पर आ गया। ये सड़क आगे जा कर खत्म हो जाती थी और फिर कुछ दूर खाली जमीन थी, जिन पर झाड़ियां उग आई थी, फिर उसके कुछ दूर पर और बिल्डिंग थीं। ढाबा भी सड़क के खत्म होने वाली जगह पर ही था। अभी वहां ज्यादा भीड़ नहीं थी। यहां ज्यादातर मेरी बिल्डिंग और आसपास में काम करने वाले गार्ड और अन्य लोग अपना खाना पीना करते थे। ढाबे के बगल में खड़ी वो बाइक मुझे दिख गई।


बाइक ऐसे खड़ी की गई थी कि ढाबे में से कोई उसे न देख पाए।


मैं बाइक के पास पहुंच कर उसकी टेक लगा कर खड़ा हो गया और और ऐसा दिखने लगा जैसे किसी का इंतजार कर रहा हूं। कुछ देर इधर उधर ध्यान देने के बाद मुझे लगा किसी का ध्यान मुझ पर नहीं है तो मैंने वो पास अपनी जेब से निकल कर उस बाइक की डिक्की में रख दिया, डिक्की में लॉक नहीं लगाया हुआ था। फिर मैं वापस चला आया।


अगले दिन मैं ऑफिस जल्दी चला गया, और सबसे पहले मैने वाल्ट सिक्योरिटी स्टाफ को उस पास की जानकारी दे कर कहा कि जैसे ही वो पास इस्तेमाल में आए, मुझे इनफॉर्म किया जाय। अगले 2 दिन तक कुछ भी नहीं हुआ, पर फिर भी मैं वाल्ट में आने जाने वालों की जानकारी लेता रहता था। कुछ प्राइवेट वाल्ट वाले लोगों ने एंट्री की थी, जिसमें मित्तल सर भी थे, जिनके साथ प्रिया और आंटी भी अंदर गई थी। कोई भी संदिग्ध सिचुएशन नहीं हुई।


अगले दिन संडे था, तो मैं आराम के मूड में था। पर सुबह 9 बजे ही सिक्योरिटी से कॉल आया कि उस पास से 6 लोग अंदर गए हैं। मैने पूछा कि चेकिंग सही से की है थी, तो उसने कहा कि उतना सामान ही अन्दर ले जाने दिया गया जितना पास में लिखा था। मुझे कुछ अजीब सा लगा रहा था जब से पास मेरे हाथ से निकला था। इसीलिए मैं फौरन तैयार हो कर निकल गया।


जैसे ही मैं वाल्ट वाली बिल्डिंग के पास पहुंचा मेरे फोन पर प्राइवेट नंबर से कॉल आई।


"मैनेजर साहब, हमने अपना काम शुरू कर दिया है। आपको तो खबर लग ही गई होगी, तो आप अब कुछ चालाकी मत करिएगा, वरना आपको तो पता ही है कि नेहा.." और कॉल कट गया।


मैं अपनी कार वाल्ट से कुछ दूर लगा कर पैदल ही वाल्ट की ओर चल दिया। अभी तक कुछ भी संदिग्ध नहीं दिख रहा था। बाहर सब सामान्य ही था। मुझे भरोसा था कि अगर जो वो लोग कुछ भी गलत करेंगे तो पास वाले थाने में अलार्म जरूर बजेगा।



मैं गेट के सामने मौजूद बस स्टैंड के पास खड़ा हो कर देखने लगा, तभी एक सफेद स्कॉर्पियो मेरे सामने आ कर रुकी और उसका दरवाजा खुला....
Ye log aakhir walt me ghus hi gaye, per main walt me kaise jayege? Doosre ye bhi ho sakta hai ye log cctv access hack kar le, or security decode kar de, maamla thoda atpata hai? Wo white Scorpio me kon aaya hoga? Nice update 👍
 

Napster

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#अपडेट ३

अब तक आपने पढ़ा -

वहीं उन्होंने मेरा नाम मोनू से मनीष मित्तल करवा दिया, और सरकारी दस्तावेज में मेरे पिता भी वही बन गए। मैने भी उनके इस अहसान को माना और अपने आपको पूरी तरह से पढ़ाई में झोंक दिया।

तभी एक झटका लगने से मैं अतीत से बाहर आ गया। मेरी गाड़ी मेरे अपार्टमेंट में आ चुकी थी....

अब आगे -

मैं गाड़ी से निकल कर, ऊपर अपने फ्लैट में चला गया। वहां अपनी आदत अनुसार पहले मैंने शावर लिया और बाहर आ कर किचन में चाय बना कर टीवी चला दिया।

थोड़ी देर न्यूज सुनने के बाद मैंने अपना फोन उठा कर खाने का ऑर्डर कर दिया और बाहर आ कर बालकनी में बैठ कर शहर के नजारे को देखने लगा। मन धीरे धीरे फिर से यादों में खो गया।

पुणे के स्कूल में दसवीं में ही मैंने राज्य में टॉप 5 में अपना नाम दर्ज करवा लिया था। मित्तल साहब, जिन्हे अब मैं सर बोलने लगा था, मेरी इस उपलब्धि से बहुत खुश थे। आगे मैने उनके ही कहने पर मैथ और फिजिक्स से 12वीं की, और उसी साल मेहनत से, और सर के भरोसे मैं इंजीनियरिंग करने यूएस चला गया। अगले 5 साल भी मैने अपने को पढ़ाई में पूरी तरह से झोंक दिया, मेरे दिमाग में बस मित्तल सर की हर कसौटी पर खरा उतरने का जुनून था। इन सारे दिनों में मेरा पूरा ध्यान सिर्फ और सिर्फ पढ़ाई में था, कोई दोस्त नही बनाया मैने अपनी जिंदगी में, ना लड़का न लड़की, हां खेल में थोड़ा अच्छा था, खास कर बैडमिंटन और स्विमिंग में, तो लोगों से जान पहचान बनी रहती थी।

इंजीनियरिंग में मैने मित्तल सर के कहने पर आईटी ली हुई थी। वहां जाने के बाद भी हर महीने एक तयशुदा रकम मेरे खाते में हर महीने बराबर आती रही। लेकिन यहां मुझे स्कॉलरशिप मिलने लगी थी, इसी कारण मैने उस रकम को ज्यादातर छुआ ही नही।

पढ़ाई खत्म करने के बाद में वापस भारत आ गया। अब LN group का हेडक्वार्टर भारत के पश्चिमी तट पर स्थित वापी में जा चुका था, और दिल्ली वाले ऑफिस को नॉर्थ डिवीजन का डिविजनल ऑफिस बना दिया गया था। सर भी अपनी पूरी फैमिली के साथ वहीं शिफ्ट हो गए थे। मैं भारत में सीधे दिल्ली उतरा और कुछ समय वहां बिता कर मित्तल साहब से मिलने वापी पहुंच गया।

वहां पहुंचते ही मित्तल साहब ने मुझे इस फ्लैट में शिफ्ट करवा दिया। और मुझसे मिलने आए।

"तो बेटे, अब तो पढ़ाई खत्म। आगे क्या इरादा है तुम्हारा?"

"सर, अब बस आपके साथ रह कर आपके साथ ही आगे बढ़ना है, आपके ही सपनों को पूरा करना है।"

"बहुत अच्छा, चलो फिर कल से ऑफिस ज्वॉइन करना फिर।"

मित्तल सर कम बोलने वाले व्यक्ति थे, ज्यादातर वो काम की ही बातें करते थे। औसत कद के सांवले रंग के शरीर से चुस्त व्यक्ति थे वो, नजर पर चढ़ा चश्मा उनको एक अच्छे बिजनेसमैन जैसा ही दिखाता था।

मैने पूछा, " सर, एक बात पूछना चाहता हूं।"

"पूछो।"

"आपका कोई ऐसा सपना जो अभी न पूरा हुआ हो, में उसे पूरा करना चाहता हूं।"

मित्तल साहब मेरी ओर मुस्कुराते हुए देखने लगे।

"मेरा एक सपना है की मैं एक ऐसी बैंक बनाऊं जो पूरी दुनिया में यूनिक हो!"

"मगर आप तो पहले से बैंकिंग में हैं न?"

"हां, लेकिन वो एक रेगुलर बैंक है, मुझे कुछ ऐसा चाहिए जिसे देख लोग सालों तक याद करें कि ये रजत मित्तल की देन है।"

फिर कुछ देर हम दोनो इस मुद्दे पर बात करते रहे, और कुछ बातें मुझे समझ आई।मैने उनके इस सपने पर कई दिन तक विचार किया और फिर मुझे कुछ समझ आने लगा, मैं कुछ दिनों तक उसकी रूप रेखा पर काम किया और एक ब्लूप्रिंट जैसा बना कर मित्तल सर को दिखाया।

ब्लूप्रिंट देखते ही उनके चेहरे पर एक खुशी की लहर दौड़ गई और उन्होंने मुझे तुरंत अपने गले से लगा लिया।

"मनीष, कुछ ऐसे ही बैंक का सपना मैने देखा था।"

"उम्मीद है ये आपको पसंद आया।"

"बिलकुल, और मैं ये भी चाहता हूं कि इस पर तुम काम भी शुरू कर दो।"

फिर उन्होंने मुझे जो भी चाहिए था, उसका इंतजाम करके दे दिया और मैं जी जान से उसकी साकार करने में जुट गया। 2 साल की मेहनत के बाद मैने और मेरी टीम ने एक ऐसी बैंक ब्रांच को खड़ा कर दिया जो लगभग फुल्ली ऑटोमेटेड थी।

एंट्री गेट से ही बायोमैट्रिक सिस्टम लगा था, और अंदर जाते ही पैसे जमा करने और निकलने की अलग अलग मशीनें थी, जिनमे ग्राहक का बायोमेट्रिक कार्ड ही काम आता, लोन लेने के लिए भी पूरा ऑटोमेटेड सिस्टम था जिसमे ग्राहक के सारे डॉक्यूमेंट्स अकाउंट खोलते समय ले लेते और बाकी कामों के लिए भी कोई पर्सनल इंट्रैक्शन नही होता, जो भी होना था वो बस अकाउंट खोलते समय होता, जिसके लिए बैंक के बाहर ही एक छोटा सा ऑफिस था, जिसमे 3 4 स्टाफ बैठने की जगह थी। और वहीं पर बायोमैट्रिक कार्ड देने के बाद ही ग्राहक अंदर जा कर सारा काम खुद से करते थे। अंदर बस कुछ सहायता और साफ सफाई के लिए स्टाफ थे।

अपनी समय का सबसे एडवांस सिक्योरिटी सिस्टम से युक्त ब्रांच थी वो, बिना बायोमैट्रिक के किसी का भी न सिर्फ अंदर जाना, बल्कि बाहर निकलना भी संभव नहीं था। अंदर का भी पूरा सिस्टम हाई टेक सिक्योरिटी था और जरा भी गड़बड़ी की आशंका के लिए अलार्म बटन कई जगह लगे हुए थे। और उनके बजते ही पुलिस 10 मिनिट में ही वहां पहुंच जाती।

मित्तल साहब सारा इंतजाम देख कर बहुत खुश हुए, और इसकी खूबियां के बल पर वापी शहर के कई बड़े व्यापारी अपना बड़ा अकाउंट वहां खोलने के लिए राजी हो गया। जल्दी ही वो ब्रांच न सिर्फ वापी, बल्कि देश की लीड ब्रांच में शामिल हो गई। और इसी उपलब्धि के कारण मुझे न सिर्फ वाइस प्रेसिडेंट बनाया गया, बल्कि बोर्ड ऑफ डायरेक्टर में भी जगह मिल गई। और ग्रुप के बैंकिंग का GM भी बन गया।

तभी डोर बेल की आवाज से मैं वापस वर्तमान में आ गया, और गेट खोल कर देखा तो मेरा खाना आ चुका था।

खाना खा कर, मैं सो गया। अगले दिन अपने समय से उठ कर दिनचर्या के काम निपटा कर में ऑफिस चला गया।

अपने केबिन में बैठे अभी कुछ ही देर हुई थी कि इंटरकॉम बजा।

"हेलो?"

"हां, मनीष, अभी कुछ देर में मीटिंग है तैयार रहना।" ये मित्तल सर थे।

"जी सर, कितनी देर में आना है?"

"मीटिंग 1 घंटे में शुरू करेंगे, लेकिन तुम एक बार मेरे पास 15 मिनिट पहले आ जाना।"

"जी, आता हूं।"

मेरे इतना बोलते ही उन्होंने फोन रख दिया, वो वैसे भी बस काम भर ही बात करते थे। कुछ देर बाद मैं उठ कर उनके केबिन की ओर चल दिया। 5 फ्लोर की इस बिल्डिंग में मेरा केबिन टॉप फ्लोर पर था, जिसमे बैंकिंग और रियल एस्टेट डिवीजन के GM बैठते थे। मित्तल साहब का 3rd फ्लोर पर था, और उसी फ्लोर पर मीटिंग रूम भी था।

मै उनके केबिन के बाहर पहुंच कर दरवाजे को खटखटाया, "कम इन"

ये सुन कर मैं दरवाजा खोल कर अंदर गया। सर अपने डेस्क के पीछे बैठे कोई फाइल देख रहे थे, मुझे देखते ही उन्होंने आंख से बैठने का इशारा किया। मैं उनके सामने वाली कुर्सी पर बैठ गया। 2 मिनिट के बाद उन्होंने वो फाइल अपने सामने से हटा कर रखी, और मुझे देख कर बोले, "ये मीटिंग मैने ऑटोमेटेड ब्रांच के लिए बुलाई है, तो तुम एक बार उसकी प्रेजेंटेशन भी इसमें दिखा देना। अब जाओ मैं आता हूं।"

मैं वहां से उठ कर मीटिंग रूम में जा कर बैठ गया, वहां पर लगभग सारे लोग आ चुके थे। मैं अपनी सीट पर जा कर बैठ गया।
मेरी सीट के बगल में मेरा असिस्टेंट और बैंकिंग का एजीएम कारण बैठा था, वो 28 29 साल का एक मेहनती और तेज दिमाग का इंसान था। मेरे LN group को ज्वाइन करने से पहले से ही वो यहां पर काम कर रहा था। मेरे सामने सर की इकलौती बेटी और रियल एस्टेट की GM, प्रिया बैठी थी। वो एक दरमायन कद की 27 साल के करीब तीखे नैन नक्श वाली लड़की थी, अपने पिता की तरह ही वो भी स्वभाव की अच्छी थी, और मुझसे हमेशा अच्छे से ही पेश आई थी अब तक।
उसके दाएं तरफ रजत मित्तल के बड़े भाई, और LN group के MD महेश मित्तल बैठे थे। मेरी बाएं ओर शिविका मित्तल, महेश मित्तल की बेटी और फाइनेंस की GM बैठी थी, वो भी प्रिया की तरह ही दिखती थी, बस उसका रंग प्रिया से ज्यादा साफ था। मित्तल परिवार के सारे बच्चों में वो सबसे ज्यादा चुलबुली थी, उसकी चेहरे पर हमेशा मुस्कान बनी रहती थी, मेरे साथ वो हमेशा एक दोस्त के जैसा व्यवहार करती, और कई बार मजाक भी करती रहती थी। उसके बगल में श्रेयन मित्तल, महेश जी का बेटा, जो केमिकल और टेक्सटाइल का GM था और हम सब में सबसे बड़ा, व्यवहार में वो भी अपने पापा और चाचा जैसा था, पर पता नही क्यों मुझसे थोड़ा खींचा खींचा रहता था।

कु
छ देर बाद दरवाजा खुला और जो भी अंदर आया उसे देख कर मेरे दिल में एक हलचल सी होने लगी....
बहुत ही शानदार और जानदार अपडेट हैं भाई मजा आ गया
 

Napster

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#अपडेट ४


अब तक आपने पढ़ा -


कुछ देर बाद दरवाजा खुला और जो भी अंदर आया उसे देख कर मेरे दिल में एक हलचल सी होने लगी....


अब आगे -


काली साड़ी में लिपटी वो...


दूध में केसर घोल दी गई हो जैसे, वैसा रंग, जो काली साड़ी में और कहर ढा रहा था, छरहरा बदन, जो हर उस हिस्से पर सुडौल था, जहां होना चाहिए था, दरम्याना कद और चेहरे पर मासूमियत और आकर्षक मुस्कान लिए वो मीटिंगरूम में आई, और मुझे लगा जैसे एक सेकंड के लिए मेरे दिल की धड़कन रुक गई हो।


अंदर आते ही उसने चारों ओर देखा और मेरी तरफ ही देख कर आने लगी, मेरी नजरें उस बला से हट ही नहीं रही थी। ये क्या हो गया मुझे?


वो मेरी तरफ आ कर करण के पास वाली सीट पर बैठ गई और उसे सर झुका कर अभिवादन किया। मैं ये देख कर सोच में पड़ गया कि क्या ये मेरे ही डिपार्टमेंट में है? तो पहले देखा क्यों नहीं कभी इसे?


तभी मीटिंग रूम का दरवाजा फिर से एक बात खुला और मित्तल सर अंदर आए, सारे लोग अपनी कुर्सी छोड़ कर खड़े हो गए। ये हलचल देख मेरे भी होश वापस आए और मैने अभी फिलहाल उसकी ओर देखने लगभग बंद ही कर दिया।


सर ने आते ही मीटिंग चालू कर दी।


"गुड मॉर्निंग ऑल, सबसे पहले आइए मिलते हैं अपनी टीम में नई ज्वाइन हुई नेहा वर्मा से, ये HFC बैंक से आई हैं और वहां क्लाइंट रिलेशन की सीनियर मैनेजर थी, अभी 15 दिन पहले ही ज्वाइन किया है। यहां पर ये AGM बैंकिंग होंगी, करण अब से DGM बैंकिंग का कार्यभार संभालेगा।"


सब लोग नेहा को ग्रीट करते हैं। मेरे मन में तो लड्डू फूटने लगा कि ये तो मेरे ही डिपार्टमेंट में हैं।



"जैसा आप सब जानते हैं कि ये मीटिंग नई ऑटोमेटेड ब्रांच के भविष्य को देश के अन्य शहरों में देखने के बारे में है। तो इसके लिए श्रेयन ने कुछ योजनाएं बनाई है। श्रेयन इस बारे में आप बताइए।"


श्रेयन, "मैने इस बारे में 2 तरह का प्लान सोचा है, पहला एक प्रिंट और टीवी विज्ञापन जो पूरे देश में चलेगा। और दूसरा, हम कुछ ग्राउंड लेवल पर संपर्क करके इसके भविष्य को देखें कि देश के किन शहरों में इसे पहले खोला जा सकता है। हालांकि मुझे लगता है कि पहले हमें दूसरे प्लान से शुरू करना चाहिए, जिससे हमें एक आइडिया लग जाय, और उसके बाद ही हम प्रिंट और टीवी विज्ञापन पर खर्च करें।"


मित्तल सर, "बढ़िया, मैं भी यही कहने वाला था कि पहले हमें ग्राउंड वर्क ही करना चाहिए, मेरे खयाल से इसमें भी तुमने कोई प्लान बनाया होगा?"


"जी बिलकुल, मेरे खयाल से हमे 2 2 के ग्रुप में देश के हर हिस्से में अपनी एक टीम भेजनी चाहिए जो देश के लगभग हर बड़े शहर में इसके पोटेंशियल को देखे जाने। चूंकि अपनी ब्रांचेस लगभग हर शहर में हैं तो वहां पर संपर्क साधने में दिक्कत नहीं आएगी। इसके लिए मेरे खयाल से प्रिया और करण साउथ में, शिविका और महेंद्र, DGM real estate को पूर्वी भारत में, मनीष और राघव, DGM finance को नॉर्थ में, और मैं और नेहा पश्चिम में जा कर कुछ शहरों में मीटिंग रखे, और वहां के लोगों को इसके कॉन्सेप्ट से परिचित करवाएं, जिससे पता चले कि वह लोग किस हद तक इसे पसंद करते हैं।"


मित्तल सर, "परफेक्ट प्लान है श्रेयन, बस मनीष के साथ नेहा को भेजो और राघव को तुम अपने साथ रखो, क्योंकि मनीष और राघव दोनों का कस्टमर रिलेशन में ज्यादा experience नहीं है, वहीं नेहा का एक्सपीरियंस इसी फील्ड में है।"


श्रेयन, "जी ये सही रहेगा, इस बारे में मैने ध्यान नहीं दिया। मनीष के साथ नेहा और मेरे साथ राघव जाएंगे फिर।"


मित्तल सर, "चलो फिर हर जोन में कुछ शहरों को भी चुन लेते हैं कि कहां कहां इसके टारगेट कस्टमर्स मिल सकते हैं।"


फिर सारे लोगों ने देश के कई शहरों की लिस्ट बनानी शुरू कर दी, और अंत में हर जोन से 5 शहरों को चुना गया। मेरे हिस्से में लखनऊ, दिल्ली, चंडीगढ़, देहरादून और शिमला आए।


सारी टीम को हर शहर में 2 से 3 दिन दिए गए और लगभग 15 दिन का टूर बना।


श्रेयन, "आज 15 दिसंबर है और हम सब यहां से 22 दिसंबर को निकलेंगे। शिविका सारी टीम का अरेंजमेंट कर दो।"


शिविका ने फौरन अपने डिपार्टमेंट में इसकी सूचना दे दी।


मित्तल सर, "मनीष, अब तुम अपनी प्रेजेंटेशन एक बार दे कर सबको बता दो कि वहां क्या क्या बताना है, और आप लोग इस पर जितने भी सवाल हो सकते हैं वो पूछ लीजिए, ताकि वहां प्रेजेंटेशन देते समय आपको की दिक्कत न आए।"


फिर मैने बैंक के बारे में प्रेजेंटेशन दी, और सबने कई तरह के सवाल किए और मैने उनका जवाब दिया, जिसे सब लोगों ने नोट कर लिया।


अब मीटिंग खत्म हो गई थी और सब लोग धीरे धीरे बाहर निकलने लगे थे।


नेहा ने मेरे पास आ कर, "गुड मॉर्निंग सर, मुझे लगा मनीष मित्तल कोई मिडिल एज के होंगे, मैने नहीं सोचा था कि इस उम्र में आप इतना बड़ा अचीवमेंट कर लेंगे।"


मैने भी मुस्कुराते हुए कहा, "ये कोई इतनी बड़ी बात भी नहीं है, वैसे भी पूरी टीम ही young और energetic है साथ ही साथ मित्तल सर और महेश सर का एक्सपीरियंस भी है हम सबके साथ।" ये बोलते हुए मेरी दिल की धड़कन तेज हुई जा रही थी। आज हो क्या रहा था मेरे साथ ये?


नेहा, "अच्छा सर मैं अब चलती हूं।"


मैं उसे जाता देख रहा था।




"वैसे दिखने में तो बढ़िया है न?"


मैने हड़बड़ा कर पीछे देखा, ये शिविका थी, अपनी चिरपरिचित मुस्कान के साथ उसने मुझे आंख भी मारी।


"क्या प्लान बना है! खास कर तुम्हारा मनीष, ये उत्तर भारत की ठंड का मौसम, और ऐसी लोकेशंस, ऐसा लग रहा है ये बिजनेस टूर नहीं अंकल ने तुम्हे हनीमून टूर दिया है।"


मैने उसे आंख दिखाई।


"वैसे मजे करना।"


ये बोल कर वो भी निकल गई। और मैं भी अपने केबिन में आ गया। अब कुछ काम नहीं था मुझे तो मैने इंटरकॉम पर सर से बात की


"सर, क्या आज मैं जल्दी चला जाऊं?"


"बिलकुल मनीष, चाहो तो कल भी मत आना, वैसे भी पिछले 3 महीनों से आराम नहीं किया है तुमने।"


मैं ऑफिस से घर आ गया, शाम हो चली थी, फ्रेश हो कर मैं क्लब चला गया।


ये वापी का सबसे अच्छा क्लब था, जहां लगभग सारे इनडोर गेम्स के लिए एक बड़ा हॉल था, जिसे नेट लगा कर अलग अलग सेक्शन में बांटा गया था। हाल ऐसा था कि एक कोने से दूसरे कोने तक सब दिखाता था, उसी हाल के एक साइड स्विमिंग पूल और बार एंड रेस्टुरेंट थे। बिल्डिंग के पीछे समुद्र की तरफ गोल्फ कोर्स था।


मैं सीधे बैडमिंटन कोर्ट में पहुंचा जहां २ लोग पहले से ही खेल रहे थे। मैं बैठ कर मैच देखने लगा।


अभी बैठे कुछ देर ही हुई थी कि एक हाथ मेरे कंधे पर पड़ा, "आज फुर्सत मिल ही गई जीएम साहब को यहां आने की।"


ये समर सिंह था, वापी का ASP और कंपनी के बाहर मेरा इकलौता दोस्त।


"तुझे पता ही है कि मैं कहां बिजी था।"


"मुझे तो लगा कि मेरी भाभी ढूंढ ली है तुमने, और अब मुझे खुद ही मिलने आना पड़ेगा।"


हम ऐसे ही कुछ इधर उधर की बाते करते रहे, तब तक उन दिनों का मैच भी पूरा हो गया था। फिर हम चारों ने एक डबल खेल, जिसमे मैं और समर एक तरफ और वो दोनों दूसरी तरफ थे। ये मैच हमने 21-10 से जीता। उसके बाद वो दोनों चले गए।


समर,"देखा कैसे हराया मैने दोनों को।"


"तुमने? या मैने?"


"हाहाहा, चलो पता करते हैं। बेस्ट ऑफ थ्री।"


और इसी के साथ हम दोनो ने अपना मैच स्टार्ट कर दिया, और पहला मैच मैने बड़ी आसानी से 21-8 से जीता।


"देखा ASP साहब, किसने वो मैच जितवाया था!"


"बेस्ट ऑफ थ्री की बात हुई है GM साहब।"



और फिर दूसरा मैच शुरू हुआ और पहले 5 पॉइंट मैने आसानी से बनाए। फिर मेरी नजर समर के पीछे टेनिस कोर्ट पर पड़ी और....
बहुत ही मस्त और लाजवाब अपडेट है मजा आ गया
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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Riky007

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असली हीरो तो समर है जो चक्रव्यूह में फंसे अभिमन्यु को निकालने सही समय पर आ गया

वॉल्ट के अन्दर वाले तो वहां फंस गए लेकिन इस फार्महाउस पर देखते हैं क्या सामने आता है
बिल्कुल, हीरो मनीष नहीं है इस कहानी का।

धन्यवाद भाई 🙏🏼
 

Riky007

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Awesome update
आखिर चाहे मनीष ने कितना भी chutiyapa किया हो लेकिन समर ने एक जिगरी दोस्त के जैसे बिना कहे सब सिचुएशन समझ ली और खुद से ही मनीष के पीछे लग कर बहुत कुछ मालूम कर लिया
जैसा सबका कहना था कि एक चूतिए के जैसे मनीष एक लड़की के पीछे अपने सब सपने अपनी इज्जत और अपने गॉड फादर मित्तल के भी सपने को दाव पर लगा दिया है वहीं समर ने उसे समझाया , और उसका भी शक नेहा के ऊपर ही है
अब देखना है कि समर का शक कितना सही है।

धन्यवाद रेखा जी 🙏🏼
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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WOW to ye Manish ka dost Summer hai
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Manna pdega Summer ko sahi tarike se handle kia usne is Khel ko kidnapper ko bhi shak nahi hone dia Summer ne kher ab dekhte hai kya such me Summer apne maqsad me kamyaab hua hai ki nahi
.
Kya Summer ne jo kaha Manish se Neha ke leye kya wo such hai ya fir ek Andaja hai
.
Very well update Riky007 bhai
पुलिस वाला है, वो भी IPS
 
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